वास्तु टिप्स: घर में इस प्रकार होनी चाहिए जल की व्यवस्था, सदस्यों की चमकेगी किस्मत

घर में पानी सही स्थान और सही दिशा में रखने पर घर के लोगों का स्वास्थ्य अच्छा रहता है और उनकी सुख समृद्धि में वृद्धि होती है।

मानव जीवन में वास्तु का विशेष महत्व है। वास्तु के अनुसार कार्य करने से लोगों के जीवन में सुख समृद्धि आती है और लोगों को आनंद की प्राप्ति होती है। घर में पानी सही स्थान और सही दिशा में रखने पर घर के लोगों का स्वास्थ्य अच्छा रहता है और उनकी सुख समृद्धि में वृद्धि होती है। वास्तु शास्त्र में घर बनाने से लेकर, फर्नीचर लगाने और जल भंडारण के लिए उचित स्थान का जिक्र किया गया है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि वास्तु के हिसाब से घर में जल की किस प्रकार से व्यवस्था करना चाहिए।

 

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वास्तु शास्त्र के हिसाब से जल के लिए घर में सबसे अच्छी जगह ईशान कोण मानी गई है। ईशान कोण पर पानी की व्यवस्था करने पर घर के लोगों की समृद्धि में बढ़ोत्तरी होती है। साथ ही अगर घर के पूर्वी भाग में जल की व्यवस्था की जाए तो घर के लोगों को सुख शांति और धन की प्राप्ति होती है।

वास्तु शास्त्र में कहा गया है कि आग्नेय कोण में जल की व्यवस्था कदापि नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से घर के मुखिया के बेटे को कष्ट होता है। उसे किसी भी प्रकार की बीमारी लग सकती है, या उसे नौकरी या व्यापार में घाटा हो सकता है। इसके साथ ही घर के दक्षिण दिशा में किसी भी  प्रकार का जल का प्रबंध नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से घर में रहने वाली स्त्रियों को परेशानी होगी। यह परेशानी मानसिक और शारीरिक दोनों हो सकती हैं।

वास्तु शास्त्र के जानकार कहते हैं कि घर के नैऋत्य कोण में जलीय व्यवस्था नहीं करना चाहिए। इससे भी घर में रहने वाले लोगों को परेशानियां झेलनी पड़ सकती हैं। इस कोण पर जलीय व्यवस्था बनाने पर घर के स्वामी को मृत्यु तुल्य कष्ट हो सकता है। जो परिवार के अन्य सदस्यों के लिए एक चिंता का विषय बन सकता है। इसलिए पानी की व्यवस्था के मामले में घर के लोगों को नैऋत्य कोण से दूरी बनाकर रखनी चाहिए।

इसके साथ ही घर के वायव्य कोण में भी जल की व्ययस्था को अच्छा नहीं माना गया है। कहा जाता है कि इस कोण पर जल की व्यवस्था करने पर घर में रहने वाले लोगों की शत्रुओं से पराजय हो सकती है। इसके साथ ही शत्रु कभी भी उन्हें हानि पहुंचा सकते हैं।

घर के बीचोंबीच जल की व्यवस्था नहीं करना चाहिए। इसे ब्रह्म स्थान कहा गया है। इस जगह जल की व्यवस्था करने पर घर के लोगों के लिए अशुभ माना गया है।

वास्तु शास्त्र में घर के पश्चिमी भाग में जल की व्यवस्था करना अच्छा माना गया है। इसे घर में सुख शांति आती है और घर के लोग समृद्ध होते हैं। घर के पश्चिमी भाग में जल की व्यवस्था बनाने से परिवार के लोगों को सुख भी मिलता है।

घर के उत्तरी भाग में जलाशय होने पर घर के सभी लोगों को समाज में सम्मान मिलता है। साथ ही समाज और आस पास के लोग आपसे प्यार करते हैं और लोगों के साथ मेल जोल बढ़ता है।

घर में पानी का बर्तन रसोई के उत्तर-पूर्व या पूर्व में भरकर रखना चाहिए। साथ ही घर का ओवर हेड टैंक उत्तर और वायव्य कोण के बीच होना चाहिए और टैंक की बनावट गोल होनी चाहिए। घर के बाथरूम को हमेशा पूर्व दिशा में बनाना चाहिए। इसके साथ ही ध्यान रखना चाहिए कि घर के किसी भी नल से पानी रिसता न हो।

वास्तु के नियम के अनुसार मकान बनवाते समय मकान का दक्षिण पश्चिम हिस्सा हमेशा ऊंचाई पर होना चाहिए। साथ ही उत्तर-पूर्व का हिस्सा हल्का स नीचे होना चाहिए। यह तभी संभव हो पाएगा जब घर में जल की व्यवस्था उत्तर पूर्व की ओर की गई हो। अगर घर की बोरिंग अथवा कुएं में सूरज की रोशनी न आए तो वह स्थान अशुभ हो जाता है। इसलिए ईशान कोण में जलीय व्ययस्था करना सबसे उत्तम माना गया है।

 

घर की छत पर पानी की व्यवस्था करते समय ध्यान रखने योग्य बात

घर की छत पर सही दिशा में पानी की टंकी

यूं तो ईशान कोण में जल की व्यवस्था करना शुभ माना गया है, लेकिन छत पर जल का भंडारण करने के लिए पानी की टंकी की व्यवस्था हमेशा नैऋत्य कोण, दक्षिण या पश्चिम में करनी चाहिए, ताकि ईशान कोण भारी न हो सके। वास्तु शास्त्र में पश्चिम दिशा और दक्षिण दिशा में जल का स्त्रोत अच्छा नहीं माना जाता लेकिन पानी इकट्ठा करने के लिए छत के उपर टंकी आदि बनाई जा सकती है। वास्तु शास्त्र में घर की छत पर टंकी की इस व्यवस्था के लिये नैऋत्य दिशा को ‘उत्तम’ फलदायक तथा पश्चिम व दक्षिण दिशा को ‘मध्यम’ फलदायक माना गया है।

घर के नल से जुड़े वास्तु नियम

  • यदि आपके घर में कोई भी पानी का ऐसा नल है जिससे लगातार पानी बहता है तो कोशिश करें कि उसे तुरंत ठीक कराएं या बदल दें। नल से पानी का बहना धन के नुकसान को बढ़ाता है। इसके अलावा आपको इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि घर का कोई भी नल टूटा हुआ न हो या उसमें जंग न लगा हो। अगर ऐसा है तो आप उसे तुरंत ठीक करायें।
  • वास्तु के अनुसार, घर में नल से पानी कभी भी टपकता हुआ नहीं होना चाहिए, क्योंकि इस कारण घर में वास्तु दोष उत्पन्न हो सकता है। जिससे व्यक्ति को आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। साथ ही इस बात का भी ध्यान रखें कि आपके घर में नल या पाइप से किसी तरह का लीकेज न हो।

 

इस नक्षत्र में कराएं अपने घर में बोरिंग

अपने घर में रोहिणी, पुष्य, मघा, मृगशिरा, हस्त, अनुराधा और धनिष्ठा नक्षत्र में बोरिंग करानी चाहिए। यह नक्षत्र बोरिंग के लिए शुभ माने जाते हैं। इनके अलावा यदि चंद्रमा मकर, मीन और कर्क राशि में हो तो भी घर में बोरिंग करवाना उत्तम माना जाता है। घर में कुआं खुदवाने के लिए भी वास्तुशास्त्र में नियम बताए गए हैं। वास्तुशास्त्र के अनुसार यदि गुरु बुध लग्न में और शुक्र दशम स्थान में हो तो घर में कुआं खुदवाना शुभ माना जाता है।

बोरिंग करवाने के लिए या कुआं खुदवाने के लिए सोमवार, गुरुवार, बुधवार और शुक्रवार का दिन शुभ माना जाता है। बोरिंग कराते समय यह ध्यान रखें कि उस जगह के ऊपर पार्किंग न हो। साथ ही बोरिंग और कुएं के सामने मुख्य द्वार का वेध भी नहीं होना चाहिए।

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