वास्तु के अनुसार घर में कैसी होना चाहिए जल व्यवस्था, चमक जाएगी किस्मत

घर में पानी सही स्थान और सही दिशा में रखने पर घर के लोगों का स्वास्थ्य अच्छा रहता है और उनकी सुख समृद्धि में वृद्धि होती है।

मानव जीवन में वास्तु का विशेष महत्व है। वास्तु के अनुसार कार्य करने से लोगों के जीवन में सुख समृद्धि आती है और लोगों को आनंद की प्राप्ति होती है। घर में पानी सही स्थान और सही दिशा में रखने पर घर के लोगों का स्वास्थ्य अच्छा रहता है और उनकी सुख समृद्धि में वृद्धि होती है। वास्तु शास्त्र में घर बनाने से लेकर, फर्नीचर लगाने और जल भंडारण के लिए उचित स्थान का जिक्र किया गया है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि वास्तु के हिसाब से घर में जल की किस प्रकार से व्यवस्था करना चाहिए।

Table of Contents

 

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वास्तु शास्त्र के हिसाब से जल के लिए घर में सबसे अच्छी जगह ईशान कोण मानी गई है। ईशान कोण पर पानी की व्यवस्था करने पर घर के लोगों की समृद्धि में बढ़ोत्तरी होती है। साथ ही अगर घर के पूर्वी भाग में जल की व्यवस्था की जाए तो घर के लोगों को सुख शांति और धन की प्राप्ति होती है।

वास्तु शास्त्र में कहा गया है कि आग्नेय कोण में जल की व्यवस्था कदापि नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से घर के मुखिया के बेटे को कष्ट होता है। उसे किसी भी प्रकार की बीमारी लग सकती है, या उसे नौकरी या व्यापार में घाटा हो सकता है। इसके साथ ही घर के दक्षिण दिशा में किसी भी  प्रकार का जल का प्रबंध नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से घर में रहने वाली स्त्रियों को परेशानी होगी। यह परेशानी मानसिक और शारीरिक दोनों हो सकती हैं।

वास्तु शास्त्र के जानकार कहते हैं कि घर के नैऋत्य कोण में जलीय व्यवस्था नहीं करना चाहिए। इससे भी घर में रहने वाले लोगों को परेशानियां झेलनी पड़ सकती हैं। इस कोण पर जलीय व्यवस्था बनाने पर घर के स्वामी को मृत्यु तुल्य कष्ट हो सकता है। जो परिवार के अन्य सदस्यों के लिए एक चिंता का विषय बन सकता है। इसलिए पानी की व्यवस्था के मामले में घर के लोगों को नैऋत्य कोण से दूरी बनाकर रखनी चाहिए।

इसके साथ ही घर के वायव्य कोण में भी जल की व्ययस्था को अच्छा नहीं माना गया है। कहा जाता है कि इस कोण पर जल की व्यवस्था करने पर घर में रहने वाले लोगों की शत्रुओं से पराजय हो सकती है। इसके साथ ही शत्रु कभी भी उन्हें हानि पहुंचा सकते हैं।

घर के बीचोंबीच जल की व्यवस्था नहीं करना चाहिए। इसे ब्रह्म स्थान कहा गया है। इस जगह जल की व्यवस्था करने पर घर के लोगों के लिए अशुभ माना गया है।

वास्तु शास्त्र में घर के पश्चिमी भाग में जल की व्यवस्था करना अच्छा माना गया है। इसे घर में सुख शांति आती है और घर के लोग समृद्ध होते हैं। घर के पश्चिमी भाग में जल की व्यवस्था बनाने से परिवार के लोगों को सुख भी मिलता है।

घर के उत्तरी भाग में जलाशय होने पर घर के सभी लोगों को समाज में सम्मान मिलता है। साथ ही समाज और आस पास के लोग आपसे प्यार करते हैं और लोगों के साथ मेल जोल बढ़ता है।

घर में पानी का बर्तन रसोई के उत्तर-पूर्व या पूर्व में भरकर रखना चाहिए। साथ ही घर का ओवर हेड टैंक उत्तर और वायव्य कोण के बीच होना चाहिए और टैंक की बनावट गोल होनी चाहिए। घर के बाथरूम को हमेशा पूर्व दिशा में बनाना चाहिए। इसके साथ ही ध्यान रखना चाहिए कि घर के किसी भी नल से पानी रिसता न हो।

वास्तु के नियम के अनुसार मकान बनवाते समय मकान का दक्षिण पश्चिम हिस्सा हमेशा ऊंचाई पर होना चाहिए। साथ ही उत्तर-पूर्व का हिस्सा हल्का स नीचे होना चाहिए। यह तभी संभव हो पाएगा जब घर में जल की व्यवस्था उत्तर पूर्व की ओर की गई हो। अगर घर की बोरिंग अथवा कुएं में सूरज की रोशनी न आए तो वह स्थान अशुभ हो जाता है। इसलिए ईशान कोण में जलीय व्ययस्था करना सबसे उत्तम माना गया है।

 

घर की छत पर पानी की व्यवस्था करते समय ध्यान रखने योग्य बात

घर की छत पर सही दिशा में पानी की टंकी

यूं तो ईशान कोण में जल की व्यवस्था करना शुभ माना गया है, लेकिन छत पर जल का भंडारण करने के लिए पानी की टंकी की व्यवस्था हमेशा नैऋत्य कोण, दक्षिण या पश्चिम में करनी चाहिए, ताकि ईशान कोण भारी न हो सके। वास्तु शास्त्र में पश्चिम दिशा और दक्षिण दिशा में जल का स्त्रोत अच्छा नहीं माना जाता लेकिन पानी इकट्ठा करने के लिए छत के उपर टंकी आदि बनाई जा सकती है। वास्तु शास्त्र में घर की छत पर टंकी की इस व्यवस्था के लिये नैऋत्य दिशा को ‘उत्तम’ फलदायक तथा पश्चिम व दक्षिण दिशा को ‘मध्यम’ फलदायक माना गया है।

घर के नल से जुड़े वास्तु नियम

  • यदि आपके घर में कोई भी पानी का ऐसा नल है जिससे लगातार पानी बहता है तो कोशिश करें कि उसे तुरंत ठीक कराएं या बदल दें। नल से पानी का बहना धन के नुकसान को बढ़ाता है। इसके अलावा आपको इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि घर का कोई भी नल टूटा हुआ न हो या उसमें जंग न लगा हो। अगर ऐसा है तो आप उसे तुरंत ठीक करायें।
  • वास्तु के अनुसार, घर में नल से पानी कभी भी टपकता हुआ नहीं होना चाहिए, क्योंकि इस कारण घर में वास्तु दोष उत्पन्न हो सकता है। जिससे व्यक्ति को आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। साथ ही इस बात का भी ध्यान रखें कि आपके घर में नल या पाइप से किसी तरह का लीकेज न हो।

 

इस नक्षत्र में कराएं अपने घर में बोरिंग

अपने घर में रोहिणी, पुष्य, मघा, मृगशिरा, हस्त, अनुराधा और धनिष्ठा नक्षत्र में बोरिंग करानी चाहिए। यह नक्षत्र बोरिंग के लिए शुभ माने जाते हैं। इनके अलावा यदि चंद्रमा मकर, मीन और कर्क राशि में हो तो भी घर में बोरिंग करवाना उत्तम माना जाता है। घर में कुआं खुदवाने के लिए भी वास्तुशास्त्र में नियम बताए गए हैं। वास्तुशास्त्र के अनुसार यदि गुरु बुध लग्न में और शुक्र दशम स्थान में हो तो घर में कुआं खुदवाना शुभ माना जाता है।

बोरिंग करवाने के लिए या कुआं खुदवाने के लिए सोमवार, गुरुवार, बुधवार और शुक्रवार का दिन शुभ माना जाता है। बोरिंग कराते समय यह ध्यान रखें कि उस जगह के ऊपर पार्किंग न हो। साथ ही बोरिंग और कुएं के सामने मुख्य द्वार का वेध भी नहीं होना चाहिए।

ओवरहेड वॉटर टैंक क्या होता है?

ओवरहेड वॉटर टैंक एक प्रकार का जल टैंक होता है, जो एक निश्चित ऊंचाई पर लगाया जाता है। इसे किसी भी सामग्री से बनाया जा सकता है, लेकिन इसका उद्देश्य इसे ऊंचाई पर रखकर अधिकतम दक्षता सुनिश्चित करना होता है। जमीन से पानी को एक पम्पिंग सिस्टम के जरिये टैंक में भरा जाता है। टैंक तक पानी को उच्च दाब से पहुंचाने के लिए हाई-पावर मोटर पम्पों का उपयोग किया जाता है। इसका डिजाइन इस तरह से किया जाता है कि पानी का वितरण समान रूप से हो, दाब स्थिर बना रहे और प्रवाह लगातार बना रहे।

ओवरहेड वॉटर टैंक का घरेलू और व्यवसायिक उपयोग

ऊपर स्थित जल टंकियों का उपयोग घरेलू और व्यवसायिक उद्देश्यों के लिए किया जाता है।

  • घरेलू उपयोग: ये सामान्य स्नानगृह उपयोग और अन्य उपकरणों जैसे वाशिंग मशीन और जल शोधक के लिए लगातार जल प्रवाह प्रदान करने में सहायक होती हैं। ऊपर स्थित जल टंकियों से जल का उपयोग घरों में पीने, खाना बनाने, सफाई, कपडे धोने, स्नान आदि कार्यों में किया जाता है।
  • व्यवसायिक उपयोग: ऊपर स्थित टंकियां जल और रसायनों को संग्रहित करने में लाभदायक होती हैं। ऐसी टंकियों के निर्माण में प्रयुक्त सामग्री रसायनों के प्रति प्रतिरोधक होती है। इनका उपयोग रासायनिक उद्योगों, औद्योगिक इमारतों, निर्माण इकाइयों, अस्पतालों, लॉजिस्टिक यार्ड्स आदि जैसे व्यवसायिक प्रतिष्ठानों में किया जाता है।

घर के ऊपर रखी पानी की टंकी का रखरखाव कैसे करें

चूंकि ऊपर बने पानी के टैंक से रोजमर्रा की जरूरतों के लिए पानी लिया जाता है, इसलिए यह जरूरी है कि वह जंग-मुक्त और क्षरण-मुक्त रहे, ताकि ताजा पानी की आपूर्ति बनी रहे। ऊपर बने टैंक को बनाए रखने के लिए यहां कुछ उपयोगी सुझाव दिए गए हैं – 

  • सबसे पहले टैंक की अच्छी तरह से जांच करें ताकि यह पता चल सके कि उसमें कहीं जंग, क्षरण या धूल की परत तो नहीं जम गई है।
  • पानी के टैंक को साफ रखें। इसे नियमित रूप से, कम से कम 6 महीने में दो बार जरूर साफ करें।
  • मुख्य पानी की लाइन बंद करें और टैंक को खाली कर दें। फिर स्क्रबिंग ब्रश की मदद से पूरे टैंक की सतह को साफ करना शुरू करें।
  • कोई उपयुक्त सफाई वाला रसायन या पतला घरेलू ब्लीच उपयोग करें। पानी के टैंक और पाइपों को कीटाणुरहित करें।
  • साफ पानी से सतह को अच्छी तरह धो लें।
  • टैंक को पूरी तरह सूखने के लिए छोड़ दें। अंत में एक बार फिर जांच करें कि टैंक पूरी तरह साफ हुआ है या नहीं।
  • फिर टैंक में पानी भरें। सुनिश्चित करें कि सभी नल और निकास बंद हैं। इसके बाद मुख्य पानी की लाइन खोल दें।

ओवरहेड वॉटर टैंक : उपयोगी वास्तु टिप्स

  • हमेशा पानी की टंकी को पूरी तरह से ढका हुआ रखें।
  • किसी भी तरह के रिसाव या सीलन के लिए नियमित रूप से जांच करें।
  • वास्तु के अनुसार, ऊपर स्थित पानी की टंकी रसोईघर या बाथरूम के ठीक ऊपर नहीं होनी चाहिए।
  • जब घर में पानी की टंकी लगाई जा रही हो, तो ध्यान रखें कि भूमिगत पानी की टंकी और सेप्टिक टैंक एक ही दिशा या क्षेत्र में न हों, क्योंकि यह आसपास की ऊर्जा को प्रभावित करता है।
  • ऐसा स्थान चयन करने से प्रदूषण की संभावना भी बढ़ जाती है।

वास्तु के अनुसार ओवरहेड वाटर टैंक का सामग्री

प्लास्टिक उन सामान्य सामग्रियों में से एक है, जिनका उपयोग पानी के भंडारण टैंक बनाने में किया जाता है। हालांकि, वास्तु के अनुसार, पानी की टंकी के लिए धातु और कंक्रीट जैसी सामग्रियों का चयन करना चाहिए।

ओवरहेड वॉटर टैंक: वास्तु के अनुसार रंग 

पानी की टंकी की दिशा वास्तु के अनुसार, पानी की टंकी का रंग किन रंगों से बचें
दक्षिण पश्चिम दिशा पीला, सफेद या ग्रे रंग नीला, काला, हरा, भूरा, लाल या नारंगी रंग 
पश्चिम दिशा पीला, सफेद या ग्रे रंग लाल, नारंगी, भूरा या हरा रंग
दक्षिण दिशा पीला, लाल, नारंगी, हरा और भूरा रंग नीला, काला, सफेद या ग्रे रंग

वास्तु के अनुसार, घर में पानी का सही स्थान

वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर में पानी का सही स्थान और दिशा तय करना बेहद जरूरी होता है। पानी सिर्फ जीवन का आधार नहीं है, बल्कि यह घर में ऊर्जा का भी प्रमुख स्रोत है। यदि पानी को गलत दिशा में रखा जाए तो इससे घर के सदस्यों के स्वास्थ्य, सुख और समृद्धि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। वहीं, सही दिशा में पानी रखने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है। यहां प्रस्तुत हैं पानी से जुड़े 8 सरल और प्रभावशाली वास्तु टिप्स:

  • पानी का बर्तन सही दिशा में रखें: पानी से भरा बर्तन या घड़ा हमेशा रसोई के उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) या पूर्व दिशा में रखें। इससे सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बना रहता है और परिवार में शांति बनी रहती है।
  • भूमिगत टैंक और बोरिंग के लिए उपयुक्त दिशा: घर में भूमिगत पानी टैंक, बोरिंग या जल भंडारण की व्यवस्था पूर्व, उत्तर या पूर्वोत्तर दिशा में होनी चाहिए। ईशान कोण जल तत्व का प्रतीक होता है और यह स्थान जल भंडारण के लिए सबसे शुभ माना जाता है।
  • वास्तु के अनुसार पानी का पंप भी रखें: जो पंप पानी को नीचे से ऊपर की टंकी में भेजता है, उसे भी पूर्वोत्तर या उत्तर दिशा में ही लगाना चाहिए। इससे घर में जल प्रवाह का संतुलन बना रहता है।
  • कुआं या ट्यूबवेल का ट्यूबवेल की दिशा: दक्षिण-पूर्व, उत्तर-पश्चिम या दक्षिण-पश्चिम दिशा में कुआं, ट्यूबवेल या कोई जल स्रोत नहीं बनवाना चाहिए। यह दिशाएं अग्नि और वायु तत्व से जुड़ी हैं, जो जल तत्व से विपरीत हैं और इससे वास्तु दोष उत्पन्न हो सकता है।
  • ओवरहेड टैंक के लिए सही दिशा: ऊपर की पानी की टंकी यानी ओवरहेड टैंक को उत्तर और वायव्य (उत्तर-पश्चिम) कोण के बीच बनाना सबसे बेहतर होता है। साथ ही, टंकी का ऊपरी हिस्सा गोल आकार का होना शुभ माना जाता है, जिससे ऊर्जा का प्रवाह बाधित नहीं होता।
  • नहाने के कमरे की दिशा: बाथरूम या स्नानगृह को पूर्व दिशा में बनाना शुभ होता है। इससे नकारात्मक ऊर्जा का शुद्धिकरण होता है और मानसिक शांति मिलती है।
  • रिसता पानी बन सकता है अशुभ संकेत: घर के किसी भी नल से यदि लगातार पानी रिस रहा हो तो यह वास्तु दोष का संकेत है। इसे जल्द से जल्द ठीक कराना जरूरी है, क्योंकि रिसता हुआ पानी धन की हानि और दरिद्रता को आकर्षित कर सकता है।

ओवरहेड टैंक रखते समय वास्तु का ध्यान क्यों रखा जाता है?

वास्तु शास्त्र, प्राचीन भारतीय वास्तुकला का ऐसा विज्ञान है, जो हमारे जीवन में सुख-शांति, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा को बनाए रखने के लिए दिशाओं और पंचतत्वों के संतुलन पर आधारित है। यह शास्त्र सदियों से अपनाया जा रहा है और आज भी आधुनिक गृह-निर्माण में इसकी भूमिका अहम मानी जाती है।

पंचतत्वों का संतुलन ही है वास्तु का मूल

वास्तु शास्त्र के अनुसार, पूरी सृष्टि 5 तत्वों से बनी है, जल (पानी), अग्नि (आग), पृथ्वी (मिट्टी), वायु (हवा), और आकाश (आकाशीय स्थान)। घर में इन तत्वों का सही संतुलन हो तो जीवन में समृद्धि, स्वास्थ्य और मानसिक शांति बनी रहती है, लेकिन जब इनका असंतुलन होता है, तो तनाव, बीमारी और आर्थिक बाधाएं जन्म लेती हैं। वास्तु के अनुसार, जल तत्व उत्तर-पूर्व दिशा (ईशान कोण) से संबंधित होता है। इसी कारण घर में जल से संबंधित सभी व्यवस्थाओं, जैसे हैंडपंप, बोरवेल, भूमिगत टंकी आदि को इस दिशा में रखने की सलाह दी जाती है। ओवरहेड टैंक को जल स्रोत तो माना जाता है, लेकिन यह घर की छत पर भारी वजन के रूप में होता है, इसलिए इसे जल तत्व से ज्यादा पृथ्वी तत्व से जोड़कर देखा जाता है।

ओवरहेड टैंक के लिए शुभ दिशा कौन सी है?

वास्तु शास्त्र के अनुसार, ओवरहेड टैंक को दक्षिण-पश्चिम दिशा में बनवाना सबसे उत्तम माना गया है। इस दिशा को स्थिरता, शक्ति और नियंत्रण की दिशा कहा जाता है। यदि भारी वस्तुएं इस दिशा में रखी जाती है तो जीवन में स्थिरता बनी रहती है और घर के मुखिया की स्थिति मजबूत होती है।

वास्तु के अनुसार ओवरहेड टैंक की 3 सर्वोत्तम दिशाएं

  • पश्चिम-दक्षिण-पश्चिम सबसे उत्तम दिशा: वास्तु शास्त्र के अनुसार, यह वह दिशा है, जहां पृथ्वी तत्व सबसे मजबूत होता है। छत पर भारी वस्तुएं, जैसे कि ओवरहेड टैंक इस दिशा में रखने से जीवन में स्थिरता आती है। यह स्थिरता सिर्फ मानसिक या पारिवारिक नहीं, बल्कि आर्थिक रूप से भी होती है। घर का मुखिया मजबूत बनता है और घर में निर्णय लेने की शक्ति बढ़ती है। हालांकि इस बात का भी ध्यान रखें कि दक्षिण-पश्चिम दिशा को कभी भी खाली न छोड़ें। अगर यह हिस्सा खाली होगा तो वहां से नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश शुरू हो सकता है। इसलिए टैंक को मजबूती से इसी दिशा में स्थापित करें।

  • दक्षिण दिशा दूसरी सबसे उत्तम दिशा: दक्षिण दिशा का संबंध अग्नि तत्व से होता है। यह ऊर्जा, प्रेरणा और परिवर्तन की दिशा मानी जाती है। जब ओवरहेड टैंक इस दिशा में होता है तो यह घर में सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह को बनाए रखता है और परिवार के सदस्यों में जोश, उत्साह और आत्मविश्वास बना रहता है। हालांकि इस बात का ध्यान रखें कि दक्षिण दिशा पर सीधा तेज सूरज नहीं पड़ता, जिससे गर्मियों में पानी ज्यादा गर्म नहीं होता है। 

  • पश्चिम दिशा तीसरी सबसे अच्छी दिशा: पश्चिम दिशा को वायु तत्व से जोड़ा गया है, जो संचार, बदलाव और प्रगति का प्रतीक है। इस दिशा में ओवरहेड टैंक रखने से घर में संवाद, स्पष्टता और विचारों का बहाव सुचारू रहता है। यह परिवार के सदस्यों के बीच समझ को बढ़ाता है और रिश्तों को मजबूत करता है। इस बात का ध्यान रखें कि पश्चिम दिशा के कॉर्नर यानी स्वन भाग में टैंक न रखें। क्योंकि वहां पृथ्वी तत्व प्रबल होता है और पानी जैसी चलायमान वस्तु वहां रखने से ऊर्जा टकरा सकती है, जिससे तनाव और रुकावटें उत्पन्न हो सकती हैं।

इन दिशाओं में ओवरहेड टैंक लगाने से करें परहेज

  • उत्तर-पूर्व (ईशान कोण): इस दिशा को देवताओं का स्थान माना जाता है। यहां ओवरहेड टैंक रखने से मानसिक तनाव, आर्थिक हानि और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।
  • उत्तर दिशा: यह दिशा धन और अवसरों की प्राप्ति की दिशा है। यहां भारी वजन रखने से नौकरी या व्यापार में रुकावटें आ सकती हैं।
  • पूर्व दिशा: पूर्व दिशा से ऊर्जा का प्रवाह होता है। यहां ओवरहेड टैंक रखने से घर में आलस्य, अस्वस्थता और निर्णय में भ्रम की स्थिति बन सकती है।

वास्तु शास्त्र में ड्रेनेज और पाइपलाइन की दिशा

घर बनाते समय अक्सर लोग नींव, दरवाजे या रसोई की दिशा जैसी चीजों पर ध्यान तो देते हैं, लेकिन एक चीज जो लगभग नजरअंदाज हो जाती है, वह है – ड्रेनेज और पाइपलाइन की दिशा। वास्तु शास्त्र के अनुसार, जल का बहाव केवल एक शारीरिक क्रिया नहीं, बल्कि ऊर्जा प्रवाह से भी जुड़ा होता है। यदि जल गलत दिशा में बहता है या घर में नालियां दोषपूर्ण दिशा में जाती हैं तो यह घर में नकारात्मकता, बीमारियां और आर्थिक समस्याओं को जन्म दे सकती है। यहां आप जान सकते हैं कि वास्तु के अनुसार ड्रेनेज सिस्टम और पाइपलाइन की दिशा कैसी होनी चाहिए ताकि घर में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहे।

शौचालय और बाथरूम की पाइपलाइन

वास्तु के अनुसार, शौचालय और स्नानघर से निकलने वाले गंदे पानी की निकासी पश्चिम या उत्तर-पश्चिम दिशा में की जानी चाहिए। इन दिशाओं को वायु तत्व से जोड़ा गया है, जो अशुद्धियों को बाहर निकालने के लिए उपयुक्त मानी जाती हैं। इससे घर में शुद्धता बनी रहती है और बीमारियों का खतरा कम होता है।

किचन और बाथरूम की पानी की निकासी

रसोई और बाथरूम में जो पाइपलाइन होती है, वहां रोजमर्रा के पानी का उपयोग होता है। ऐसे स्थानों पर पानी की निकासी पूर्व या उत्तर दिशा में होनी चाहिए। ये दिशाएं सकारात्मक ऊर्जा से जुड़ी होती हैं और इनसे बहने वाला पानी घर की सकारात्मकता को बाधित नहीं करता।

दक्षिण दिशा में पानी की निकासी

वास्तु शास्त्र में यह मान्यता है कि दक्षिण दिशा में जल निकासी नहीं होनी चाहिए, चाहे वो कितनी भी छोटी पाइपलाइन क्यों न हो। अगर गलती से ऐसा हो भी गया हो, तो उस पाइपलाइन को मोड़कर पूर्व या उत्तर दिशा में निकासी दी जानी चाहिए। दक्षिण दिशा यम का स्थान मानी जाती है और यहां जल प्रवाह दुर्भाग्य को आमंत्रित कर सकता है। घर के बाहर या आसपास बनने वाली गटर या जल निकासी की नाली को दक्षिण दिशा को छोड़कर किसी भी दिशा में बनाया जा सकता है। दक्षिण दिशा में नाली होने से धन हानि, मानसिक तनाव और पारिवारिक कलह बढ़ सकता है।

ऊपरी मंज़िलों से आने वाली पाइपलाइन 

अगर आपके घर में दो या अधिक मंजिलें हैं और ऊपर से पानी नीचे आ रहा है, तो उस पानी को लाने वाली पाइपलाइन दक्षिण-पश्चिम कोने में नहीं होनी चाहिए। यह कोना स्थिरता और शक्ति का प्रतीक होता है और यहां से बहता पानी वहां की ऊर्जा को कमजोर कर देता है। यदि ऐसी पाइप मजबूरी में इस कोने में है तो यह सुनिश्चित करें कि वह एकदम लीक-प्रूफ हो। रिसाव से भारी वास्तु दोष उत्पन्न हो सकता है।

FAQs

अलग-अलग प्रकार की पानी की टंकियों में कौन-कौन सी टंकियां आती हैं?

पानी की टंकियों को मुख्य रूप से तीन श्रेणियों में बांटा जाता है: ग्राउंड वॉटर टैंक, अंडरग्राउंड वॉटर टैंक और ओवरहेड वॉटर टैंक। इनकी संरचना और आकार के आधार पर इन्हें निम्नलिखित प्रकारों में भी विभाजित किया जाता है - आयताकार पानी की टंकी, वर्गाकार पानी की टंकी, गोलाकार टंकी, कोन के आकार वाली तली वाली टंकी और बहुभुज टंकी।

पानी की टंकी साफ करने के लिए कौन से रसायनों का प्रयोग किया जाता है?

पानी की टंकियों की सफाई के लिए क्लोरीन का उपयोग किया जाता है, क्योंकि यह बैक्टीरिया और काई को खत्म करने में मदद करती है।

(हमारे लेख से संबंधित कोई सवाल या प्रतिक्रिया है? हम आपकी बात सुनना चाहेंगे। हमारे प्रधान संपादक झूमर घोष को jhumur.ghosh1@housing.com पर लिखें।)

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