भारत में संपत्ति खरीदना जीवन का एक महत्वपूर्ण पड़ाव होता है और यह निर्णय अक्सर वास्तु विचारों के साथ जुड़ा होता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, किसी घर के मेन गेट की दिशा का विशेष महत्व होता है, क्योंकि यह सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह को प्रभावित करती है। एक पूर्वमुखी घर को शुभ माना जाता है और यह घर खरीदारों की पहली पसंद होता है। पूर्व दिशा सूर्योदय की दिशा होती है और ऐसा माना जाता है कि पूर्व की ओर मुख वाला घर बहुत सारी सकारात्मकता और अच्छा स्वास्थ्य लेकर आता है, लेकिन क्या यह सभी के लिए उपयुक्त होता है? हम इस विषय पर इस आर्टिकल में चर्चा करेंगे और पूर्वमुखी घर के लिए कुछ उपयोगी वास्तु टिप्स आपसे शेयर करेंगे।
पूर्व मुखी घर क्या है?
अगर आप घर के अंदर हैं, तो प्रवेश द्वार के सामने, घर से बाहर निकलते समय आपका मुख इसी दिशा में होता है। अगर घर से बाहर निकलते समय आपका मुख पूर्व दिशा की ओर होता है तो आपका घर पूर्व मुखी है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार, पूर्व मुखी घर या अपार्टमेंट बहुत अच्छा माना जाता है। अगर इसे वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें, तो सूरज पूर्व में उगता है, जिससे पूर्व मुखी घर में रहने वालों को सुबह की सूर्य की किरणें मिलती हैं। सुबह-सुबह सूरज की किरणें स्वास्थ्य के लिए अच्छी होती हैं। यह दिशा सबसे ज्यादा सकारात्मक ऊर्जा आकर्षित है।
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पूर्व मुखी घर का वास्तु योजन
अगर आप पूर्व मुखी घर बनाने की योजना बना रहे हैं, तो यह जरूरी है कि आप वास्तु के अनुसार घर की योजना बनाएं, ताकि घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहे। आप किसी आर्किटेक्ट से भी सलाह ले सकते हैं, जो आपकी जरूरतों के अनुसार एक विशेष पूर्व मुखी वास्तु योजना तैयार कर सकते हैं। यहां संक्षेप में बताया गया है कि पूर्व मुखी घर की योजना कैसी होनी चाहिए –
ऊपर बताया गया हाउस प्लान पूर्व की ओर मुंह वाले घरों का है. यह उत्तर से दक्षिण तक नौ पाड़ा में विभाजित है.
आइए आपको कुछ फैक्ट्स बताते हैं, जो आपको निर्माण कराते वक्त ध्यान में रखने चाहिए.
- अगर पूर्व मुखी घर है तो पांचवां पाड़ा में मेन डोर लगाएं. इससे सम्मान, शोहरत और रुतबा बढ़ेगा. अगर पांचवां पाड़ा छोटा है तो आप तीसरे, चौथे, छठे और सातवें पाड़ा का भी इस्तेमाल कर सकते हैं.
- पहला, दूसरा, आठवां और नौवें पाड़ा का इस्तेमाल मेन डोर लगाने के लिए न करें.
- वास्तु में पूरब मुखी घर के मुख्य प्रवेश द्वार के लिए आठवां और नौवां पाड़ा वर्जित है क्योंकि यहाँ से बीमारी घर में प्रवेश कर सकती है। यदि मुख्य द्वार है तो वास्तु उपायों का पालन करना चाहिए।
- अगर आप पहले पाड़ा में दरवाजा लगा रहे हैं तो पूर्वोत्तर की दीवार से कम से कम छह इंच की जगह छोड़ दें।
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गृह पद क्या दर्शाता है?
वास्तु शास्त्र के अनुसार, वास्तु पुरुष मंडल का इस्तेमाल करके 81 छोटे वर्ग (9X9=81) बनाने के लिए साइट को अलग-अलग भागों में बांटा जा सकता है। प्रत्येक भाग/चरण एक ऊर्जा क्षेत्र है जिसे पाड़ा कहा जाता है। कुल मिलाकर 9 पाड़ा होते हैं। पाड़ा 1 और 2 का इस्तेमाल मना है, क्योंकि यह फायदेमंद नहीं हो सकता है। फिर भी अगर कोई और विकल्प न हो तो उत्तर-पूर्व दिशा में दीवार से कम से कम छह इंच की जगह छोड़ दें। उत्तर-पश्चिम पाड़ा पहला है जबकि दक्षिण-पश्चिम पाड़ा नौवां है।
पूर्व मुखी घर में मुख्य प्रवेश द्वार के लिए पांचवां पाड़ा सबसे भाग्यशाली स्थान माना जाता है।
पूर्वमुखी घर में कुबेर मूल कौन सा होता है?
हिंदू धर्म में कुबेर देवता को धन का देवता माना जाता है और वास्तु के अनुसार कुबेर देव को उत्तर, उत्तर-पूर्व दिशा का अधिपति माना जाता है। इस क्षेत्र में कोई भी रुकावट या नकारात्मक ऊर्जा का स्रोत जैसे कि बाथरूम आदि हो तो सकारात्मक ऊर्जा को बिगाड़ सकता है। उत्तर-पूर्व दिशा को ‘कुबेर मूल’ कहा जाता है और यह धन बढ़ाने वाली एक शक्तिशाली दिशा मानी जाती है। कोई भी व्यक्ति पूर्व की ओर मुख किए हुए कुबेर की मूर्ति या कुबेर यंत्र को पूर्वमुखी घर के उत्तर-पूर्व दिशा में स्थापित कर सकता है।
पूर्व मुखी घर का वास्तु कैसे तय करें?
पूरब वह दिशा है, जहां से सूर्योदय होता है। यह जानना आवश्यक है कि पृथ्वी का घूर्णन अक्ष 23.5 डिग्री झुका हुआ है और साल भर में सूरज के उगने की दिशा एक निश्चित अवधि में बदलती रहती है। इसका अर्थ है कि जब पृथ्वी सूर्य की एक परिक्रमण पूरी करती है, तो ऋतुओं में बदलाव आता है। सूरज वर्ष में 2 बार बिल्कुल पूरब दिशा से उगता है। ये दो तिथि है 20 मार्च या 21 मार्च और 22 सितंबर या 23 सितंबर को।
वास्तु के अनुसार, पूर्व मुखी घर की दिशा जानने के लिए उस कंपास का प्रयोग करें, जो उत्तर दिशा को सही-सही दर्शाता हो। कंपास का उपयोग पूरब दिशा जानने का एक विश्वसनीय तरीका है। अब घर से मेन गेट से बाहर निकलें। आप जिस दिशा की ओर देख रहे हैं, वह पूरब है तो इसका अर्थ है कि आपके घर का मुख्य द्वार पूरब की ओर है और यह एक पूरब मुखी घर कहलाएगा।
क्या पूर्वमुखी मकान शुभ होता है या अशुभ?
वास्तु नियमों के मुताबिक, आम तौर पर पूर्वमुखी घरों को शुभ माना जाता है। वास्तु विशेषज्ञों के अनुसार किसी संपत्ति की दिशा मात्र से पूरे वास्तु का निर्धारण नहीं किया जा सकता। घर में रहने वाले कमरे, बेडरूम, रसोई घर, शौचालय और पूजा घर जैसी विभिन्न जगहों की स्थिति भी अहम भूमिका निभाती है।
वास्तु शास्त्र के नियमों के अनुसार, पूर्वमुखी संपत्तियों को इमारतों और बहुमंजिला अपार्टमेंट्स के लिए अच्छा माना जाता है। हालांकि, स्वतंत्र मकानों और बंगलों के लिए यह दिशा सबसे बेहतरीन ऑप्शन में नहीं गिनी जाती है। इसके अलावा पूर्वमुखी संपत्ति के वास्तु को लेकर कुछ विशेष नियम, दिशा निर्देश और सिद्धांतों का पालन करना आवश्यक होता है।
पूर्व मुखी घर को शुभ क्यों माना जाता है?
- प्राकृतिक रोशनी की प्रचुरता: पूर्व दिशा सूर्य के उगने की दिशा है, इसलिए पूर्वमुखी घरों को सुबह की भरपूर धूप मिलती है, जो शुभ और स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होती है। यह सकारात्मक ऊर्जा को आमंत्रित करती है।
- सकारात्मक ऊर्जा: पूर्व दिशा से उगता सूर्य सकारात्मक ऊर्जा का स्रोत है। इसी कारण पूर्वमुखी घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है, जो विकास, आशावाद और समग्र सुख-शांति को बढ़ावा देती है।
- आध्यात्मिक महत्व: कई संस्कृतियों में पूर्व दिशा को आध्यात्मिकता और ज्ञान से जोड़ा गया है, इसलिए पूर्वमुखी घर को शुभ माना जाता है, क्योंकि यह आंतरिक शांति और आध्यात्मिक गतिविधियों को बढ़ावा देता है।
- स्वास्थ्य लाभ: पूर्वमुखी घर की सुबह की धूप शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभकारी मानी जाती है। यह शरीर में विटामिन-डी के उत्पादन में सहायक होती है और सकारात्मक दृष्टिकोण को प्रोत्साहित करती है।
- बुद्धि और रचनात्मकता में सुधार: उगता सूर्य नई शुरुआत और नए विचारों का प्रतीक है। पूर्वमुखी घर व्यक्ति की बुद्धि और रचनात्मकता को बढ़ावा दे सकता है।
- रिश्तों में सामंजस्य: पूर्वमुखी घर का प्रवेश द्वार परिवार में सामंजस्य और समझ बढ़ाने में मदद करता है। यह रिश्तों और संचार को मजबूत बनाता है।
- विकासशील परिवार के लिए आदर्श: पूर्व मुखी घर विकास और ऊर्जा से जुड़े होते हैं। इसलिए यह बढ़ते परिवारों या नए परिवार शुरू करने वाले जोड़ों के लिए सबसे उपयुक्त है, क्योंकि यह छोटे सदस्यों के विकास और समग्र कल्याण को प्रोत्साहित करता है।
पूर्वमुखी घर कब अशुभ माना जाता है?
सिर्फ दिशा से कोई घर शुभ या अशुभ नहीं होता। कई कारण इसे अशुभ बना सकते हैं। जैसे मुख्य द्वार, पूजा कक्ष या रसोई का गलत स्थान घर में नकारात्मक ऊर्जा ला सकता है। इन दोषों को ठीक करना जरूरी होता है। इसके लिए वास्तु विशेषज्ञ की सलाह भी ली जा सकती है।
वास्तु के अनुसार पूर्व मुखी घर में मुख्य प्रवेश द्वार
मुख्य दरवाजा बाहरी दुनिया को घर से जोड़ता है और यहीं से घर में सकारात्मक ऊर्जा प्रवेश करती है। मुख्य प्रवेश द्वार की गलत दिशा घर को अशुभ बना सकती है और परिवार पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है।
पूर्वमुखी घर में मुख्य द्वार कहां बनाना चाहिए, यह जानने के लिए सबसे पहले घर के पूर्व दिशा को उत्तर-पूर्व कोने (पहला पाद) से दक्षिण-पूर्व कोने (नवां पाद) तक 9 बराबर भागों में बांट लें। वास्तु नियमों के अनुसार, इन भागों को पाद या चरण कहा जाता है। मुख्य द्वार के लिए पांचवां पाद शुभ माना जाता है, क्योंकि यह सूर्य देव का स्थान है, जो कीर्ति और यश के देवता माने जाते हैं। यह घर के निवासियों के लिए नाम, सम्मान और प्रतिष्ठा लाता है।
वास्तु विशेषज्ञों के अनुसार, पूर्व दिशा में 8 पाद होते हैं, जो इस प्रकार है – अग्नि, जयंत, इंद्र, सूर्य, सत्य, भृश, अंतरिक्ष, और अनिल (ऊपर से नीचे की ओर)। पूर्वमुखी घर के वास्तु में, जयंत या इंद्र पाद को मुख्य द्वार के लिए सबसे शुभ स्थान माना जाता है। ऐसा विश्वास है कि यह स्थान परिवार के सदस्यों के लिए समृद्धि और खुशी आकर्षित करता है।
यदि आपका घर पूर्व दिशा की ओर मुख करके बना है तो मेन गेट को लगाते समय सावधानी बरतना चाहिए। हमेशा यह सुनिश्चित करें कि आपका मुख्य द्वार बिलकुल बीच में हो और इसे दक्षिण-पूर्व या उत्तर-पूर्व के कोने में लगाने से बचना चाहिए। वास्तु के अनुसार, इन दोनों कोनों में मुख्य द्वार लगाना अशुभ माना जाता है।
यदि आपका मुख्य द्वार उत्तर-पूर्व के कोने में है, तो ध्यान दें कि वह दीवार से बिल्कुल सटा हुआ न हो। इसके लिए मुख्य द्वार और दीवार के बीच कम से कम 6 इंच (आधा फुट) का अंतर रखें।
अगर आपके घर का मुख्य द्वार दक्षिण-पूर्व दिशा में है तो वास्तु दोष को दूर करने के लिए ये उपाय अपनाएं –
- तीन वास्तु पिरामिड लगाएं, एक दरवाजे के हर किनारे पर और तीसरा दरवाजे के ऊपर, बीच में।
- दरवाजे के दोनों तरफ ‘ओम’, ‘स्वस्तिक’ और ‘त्रिशूल’ के चिन्ह लगाएं।
- नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने के लिए सिद्ध शुक्र यंत्र स्थापित करें।
- वैकल्पिक रूप से, सिद्ध वास्तु कलश का उपयोग करें, जिससे इस कोने में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाई जा सके।
पूर्व दिशा में मुख्य द्वार और खिड़कियों के वास्तु नियम:
- पूर्व दिशा वाले घर का मुख्य द्वार सबसे बड़ा होना चाहिए।
- घर में पर्याप्त धूप आने के लिए पूर्व दिशा में अधिक खिड़कियां लगवाएं।
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पूर्व मुखी घरों के लिए लिविंग रूम का वास्तु
पूर्व मुखी घरों के लिए लिविंग रूम उत्तर-पूर्व की ओर होना चाहिए क्योंकि इसे शुभ माना जाता है. इसके अलावा, सुनिश्चित करें कि उत्तर और पूर्व की ओर की दीवारें दक्षिण और पश्चिम की तुलना में थोड़ी छोटी और पतली हों. यह व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन दोनों में समृद्धि और सफलता को आकर्षित करता है।
डाइनिंग रूम के लिए वास्तु योजना
पूर्वमुखी घर में डाइनिंग रूम रसोई के साथ पूर्व, पश्चिम या दक्षिण दिशा में होना चाहिए। साथ ही डाइनिंग रूम का दरवाजा मेन गेट के सामने नहीं होना चाहिए। वास्तु योजना के अनुसार, बैठने की व्यवस्था ऐसी होनी चाहिए कि व्यक्ति पूर्व, उत्तर या पश्चिम दिशा की ओर मुख करके बैठे। परिवार के मुखिया को पूर्व दिशा की ओर बैठना चाहिए और परिवार के अन्य सदस्य पूर्व, उत्तर या पश्चिम दिशा की ओर मुख करके बैठ सकते हैं।
पूर्वमुखी घर के लिए किचन का वास्तु
वास्तु नियमों के मुताबिक, पूर्वमुखी घर के लिए रसोई घर दक्षिण-पूर्व दिशा में होनी चाहिए। यदि यह संभव न हो तो उत्तर-पश्चिम दिशा भी उपयुक्त मानी जाती है। हालांकि, उत्तर, उत्तर-पूर्व और पश्चिम दिशाओं से बचना चाहिए। जो व्यक्ति भोजन पका रहा हो उसे दक्षिण-पूर्व दिशा वाली रसोई में पूर्व दिशा की ओर और उत्तर-पश्चिम दिशा वाली रसोई में पश्चिम दिशा की ओर मुंह करके खाना पकाना चाहिए। सकारात्मक ऊर्जा के लिए चूल्हा, ओवन और टोस्टर को दक्षिण-पूर्व क्षेत्र में रखना चाहिए। भंडारण और फ्रिज को पूर्वमुखी घर के वास्तु योजना के अनुसार दक्षिण-पश्चिम दिशा में रखना चाहिए।
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पूर्वमुखी घर का वास्तु: मास्टर बेडरूम
वास्तु के अनुसार, पूर्वमुखी घर में मास्टर बेडरूम दक्षिण-पश्चिम दिशा में होना चाहिए। यह कमरे में मौजूद अन्य कमरों से बड़ा होना जरूरी है। बेड को दक्षिण या पश्चिम दीवार के पास रखना चाहिए, ताकि सिर दक्षिण या पश्चिम दिशा में और पैर उत्तर या पूर्व दिशा में रहें। मास्टर बेडरूम में बदलने (ड्रेसिंग) का कमरा पश्चिम या उत्तर दिशा में होना चाहिए। साथ ही, बाथरूम का दरवाजा सीधे बेड की ओर नहीं होना चाहिए और उसे हमेशा बंद रखना चाहिए।
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पूर्व मुखी घर में पूजा कक्ष का वास्तु प्लान
पूर्व दिशा की ओर मुख वाले घर के वास्तु प्लान में पूजा कक्ष को ध्यान में रखते हुए वास्तु सिद्धांतों का पालन करना जरूरी है, क्योंकि मंदिर या पूजा कक्ष एक पवित्र स्थान है, जहां भगवान की मूर्तियां स्थापित की जाती हैं।
वास्तु निर्देशों के अनुसार, पूर्व दिशा की ओर मुख वाले घर में पूजा कक्ष उत्तर-पूर्व दिशा में होना चाहिए। अगर यह स्थान उपलब्ध न हो तो वास्तु प्लान में उत्तर या पूर्व कोने को भी पूजा कक्ष के लिए उपयुक्त माना जाता है। इस बात का ध्यान रखें कि पूजा करने वाले व्यक्ति का मुख इन दिशाओं की ओर होना चाहिए। पूजा कक्ष की छत अन्य कमरों की तुलना में नीची होनी चाहिए।
साथ ही, पूजा कक्ष को बाथरूम जैसी जगहों से दूर रखना बेहतर होता है। पूजा कक्ष बाथरूम के बिल्कुल पास नहीं होना चाहिए।
पूर्व मुखी घर वास्तु: गेस्ट रूम
अधिकतर घरों में गेस्ट रूम होता है। वास्तु के अनुसार, गेस्ट रूम को घर के उत्तर-पश्चिम दिशा में होना चाहिए। उत्तर-पश्चिम दिशा वायु तत्व से जुड़ी होती है, जो ताजगी और नए अवसरों का प्रतीक है। कमरे में बिस्तर को दक्षिण-पश्चिम कोने में रखना चाहिए। वास्तु नियमों का पालन करने से मेहमानों और घर के सदस्यों के बीच अच्छी बातचीत और मजबूत संबंध बनते हैं।
पूर्व मुखी घर वास्तु: बच्चों का बेडरूम
पूर्वमुखी घर में बच्चों के शयनकक्ष को उत्तर-पश्चिम दिशा में बनाना चाहिए। इससे एकाग्रता बढ़ेगी और सर्वांगीण सफलता को बढ़ावा मिलेगा। बिस्तर को स्थिरता के लिए दक्षिण-पश्चिम कोने में रखना चाहिए।
पूर्व मुखी घर में स्टडी रूम का वास्तु
पूर्व की ओर मुंह वाले घर में, स्टडी रूम घर की पूर्व या पश्चिम दिशा में होना चाहिए, जबकि उत्तर दूसरी सबसे अच्छी दिशा है। हालांकि, सुनिश्चित करें कि स्टडी चेयर के ठीक पीछे दरवाजा न हो। साथ ही स्टडी टेबल के सामने एक खुला एरिया होना चाहिए। अगर आपको टेबल को दीवार के साथ लगाना है, तो ऊर्जा के संचार के लिए आप स्टडी टेबल और बगल की दीवार के बीच थोड़ा सा गैप भी छोड़ सकते हैं।
पूर्व मुखी घर में सीढ़ियों के लिए वास्तु
वास्तु के अनुसार, पूर्वमुखी घरों में सीढ़ियां उत्तर-पूर्व कोने में नहीं बनानी चाहिए। आदर्श स्थान दक्षिण-पूर्व या उत्तर-पश्चिम कोना होता है। सीढ़ियां घर के मध्य भाग में नहीं होनी चाहिए और इन्हें हमेशा घड़ी की दिशा में घुमाव लेना चाहिए। सीढ़ियों के नीचे कोई कमरा नहीं बनाना चाहिए, इसे स्थान को स्टोरेज के लिए उपयोग किया जा सकता है।
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पूर्वमुखी घर का वास्तु: बाथरूम
जब आप अपने पूर्वमुखी घर को वास्तु नियमों के अनुसार डिजाइन करें तो तो बाथरूम का स्थान दक्षिण-पूर्व या उत्तर-पश्चिम दिशा में होना चाहिए। उत्तर-पूर्व दिशा में बाथरूम और शौचालय का निर्माण करने से बचें। बाथरूम को पूजा कक्ष (उत्तर-पूर्व) और घर के केंद्र (ब्रह्मस्थान) के पास नहीं रखना चाहिए, क्योंकि ये पवित्र क्षेत्र माने जाते हैं और बाथरूम का स्थान नकारात्मक ऊर्जा का कारण बन सकता है।
पूर्वमुखी घर वास्तु: दीवार के रंग
वास्तु के अनुसार पूर्वमुखी अपार्टमेंट की दीवारों के रंगों का चुनाव इस विचार पर आधारित होना चाहिए कि घर उज्ज्वल और स्वागत योग्य दिखे। इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि इसे पर्याप्त धूप मिले। इसके अलावा, चमक बढ़ाने के लिए, सुनिश्चित करें कि आपने दीवार के लिए सही रंग चुना है। पूर्व की ओर मुख वाले अपार्टमेंट के लिए हरा और नीला रंग बहुत ही अच्छा विकल्प हैं। शांत प्रभाव देने के अलावा,वह कमरे को अधिक आकर्षक बनाते हैं। गुलाबी रंग के शेड्स और सफेद रंग न्यूनतर थीम केलिए सही चुनाव है।
पूरब मुखी घर का वास्तु: कलाकृतियां रखने के लिए टिप्स
वास्तु के अनुसार, पूरब की ओर मुख वाले अपार्टमेंट में परिवार और दोस्तों के साथ संबंधों को बेहतर बनाने और प्रसिद्धि को आकर्षित करने के लिए उगते सूरज की तस्वीरों को पूरब दिशा में रखा जा सकता है। लिविंग रूम की दीवार पर पूरब दशा में पानी में दौड़ते सात घोड़ों की एक पेंटिंग लगाएं। यह धन को आकर्षित करने में मदद करता है। हरा वायु तत्व को समर्पित रंग है और यह पूरब दिशा को नियंत्रित करता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, हरे भरे पेड़ों, खेतों, जंगलों आदि की पेंटिंग विकास को दर्शाती है। इस तरह के चित्रों को पूरब की दीवार में प्रदर्शित किया जा सकता है। साथ ही परिवार में सुख शांति के लिए लाफिंग बुद्धा की मूर्ति को पूरब दिशा में रखें।
पूर्व मुखी घर में पानी की टंकी का वास्तु
पानी की टंकी रखने के लिए नॉर्थ या नॉर्थ ईस्ट सबसे अच्छी जगह होती है. अंडरग्राउंड वाटर टैंक के लिए आप ईस्ट-नॉर्थ-ईस्ट दिशा को भी चुन सकते हैं. ओवरहेड वाटर टैंक के लिए सर्वश्रेष्ठ दिशा साउथ-वेस्ट या वेस्ट होती है. वास्तु के मुताबिक कभी भी टैंक को बीच में ना रखें.
पूर्वमुखी घर में सेप्टिक टैंक का स्थान
वास्तु के अनुसार, पूर्वमुखी घर में सेप्टिक टैंक रखने के लिए उत्तर-पश्चिम दिशा सबसे उपयुक्त होती है। इस स्थान से मुख्य प्रवेश द्वार सेप्टिक टैंक से दूर रहता है, जिससे नकारात्मक ऊर्जा नहीं फैलती। दक्षिण-पश्चिम (या उत्तर-पूर्व दिशा में सेप्टिक टैंक लगाने से बचें। इसे कंपाउंड की दीवार से एक या दो फीट की दूरी पर रखें। प्लिंथ लेवल से नीचे सेप्टिक टैंक न बनाएं।
पूर्वमुखी घर में बालकनी के लिए वास्तु
पूरब मुखी घर के वास्तु के अनुसार, अक्सर पूरब दिशा में खुली जगह बची रहती है। ऐसा यह सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है कि सूरज की रोशनी बिना किसी रुकावट के घर में प्रवेश कर सके। यह नकारात्मक ऊर्जा को भी समाप्त करता है और सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ावा देता है। इस तरह से इस प्रकार की पूरब मुखी घर की वास्तु योजना घर में रहने वाले लोगों के लिए अच्छा स्वास्थ्य लाती है। पूर्वी कोने को अवरुद्ध रखने से स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं, जिसमें बच्चे के जन्म के दौरान कठिनाइयां भी शामिल हैं।
घर के पूर्वी हिस्से में पर्याप्त जगह दें। अगर पर्याप्त जगह न हो तो एक छोटी बालकनी बनाएं।
पूर्व मुखी घर के लिए वास्तु: क्या करें और क्या न करें
क्या करें | क्या न करें |
चुंबकीय कम्पास का उपयोग करके वास्तविक पूर्व दिशा निर्धारित करें। | उगते सूर्य के अनुसार पूर्व दिशा का निर्धारण करने से बचें। |
पूजा कक्ष और लिविंग रूम को पूर्वोत्तर दिशा में डिजाइन करें। | उत्तर-पूर्व दिशा में शयनकक्ष, सीढ़ियां, गेराज, स्नानघर और रसोईघर बनाने से बचें। |
घर के पूर्वी और उत्तरी भाग में अधिक खुला स्थान छोड़ें। | घर के उत्तरी और पूर्वी हिस्से में कोई बड़ा पेड़ नहीं होना चाहिए। |
ऐसा प्लॉट चुनें, जिसका ढलान दक्षिण से उत्तर की ओर हो। | ऐसी संपत्ति खरीदने से बचें, जो दक्षिण या पश्चिम दिशा की जमीन से जुड़ी हो। |
यदि दरवाजा पूर्व दिशा में है तो लकड़ी की नेमप्लेट चुनें | पूर्व दिशा को पूरी तरह से अवरुद्ध न करें। |
यह सुनिश्चित करें कि उत्तर और पूर्व की दीवारें दक्षिण और पश्चिम की दीवारों की तुलना में थोड़ी छोटी और पतली हों। | ऐसी संपत्ति चुनें जिसका प्लॉट उत्तर दिशा में हो, जो समृद्धि और सौभाग्य लाता है। |
भूखंड के दक्षिणी और पश्चिमी भाग में चारदीवारी को ऊंचा डिजाइन करें। | उत्तर-पूर्व दिशा में तीखे किनारों या कट से बचें। |
इस बात का ध्यान रखें कि छत या चादरें पूर्व दिशा की ओर मुड़ी हों। | बिजली के खंभे, पेड़ आदि जैसी वस्तुओं को पूर्व दिशा में मुख्य प्रवेश द्वार को अवरुद्ध नहीं करना चाहिए। |
अगर घर में कोई विद्यार्थी है तो उत्तर-पूर्व क्षेत्र में क्रिस्टल ग्लोब रखें। | मुख्य प्रवेश द्वार के बाहरी भाग पर फव्वारा या कोई सजावटी वस्तु न रखें। |
पूर्व दिशा में बरामदा या आंगन जैसी पर्याप्त खुली जगह रखें, जिससे निवासियों को धन, स्वास्थ्य और संतान की प्राप्ति होती है। | पूर्वी सामने की दीवार की ऊंचाई पश्चिमी पीछे की दीवार से अधिक न रखें। मुख्य द्वार उत्तर-पूर्व में होना चाहिए। |
ऊर्जा बढ़ाने के लिए घर को सप्ताह में दो बार पहाड़ी नमक से शुद्ध करें। | घर को अव्यवस्थित न रखें, विशेष रूप से प्रवेश द्वार के पास, क्योंकि मलबा और कचरा ब्रह्मांडीय अंतरिक्ष से आने वाली सकारात्मक ऊर्जा को zबाधित करता है। |
पूर्वमुखी घर किनके लिए उपयुक्त होते हैं?
- व्यवसायी या उद्यमी
- सरकारी अधिकारी
- रचनात्मक पेशेवर (कलाकार, संगीतकार, नृत्यकार, आभूषण डिजाइनर, फोटोग्राफी, लेखन आदि)
- यात्रा उद्योग से जुड़े लोग
- इवेंट मैनेजमेंट करने वाले
- शैक्षणिक पेशेवर
वास्तु एक्सपर्ट के मुताबिक, हर घर भी एक व्यक्ति की तरह अनोखा होता है। हर घर हर किसी के लिए उपयुक्त नहीं होता। पूर्वमुखी घर में सूर्य प्रमुख होता है और यह उन कार्यों से जुड़ा होता है, जिनमें अधिकार, शक्ति और गरिमा होती है। पूर्व दिशा हवा, फुर्ती, रचनात्मकता, एकाग्रता और सुरक्षा का प्रतीक मानी जाती है।
पूर्व मुखी घर शुभ है या नहीं, यह तय करने में ज्योतिष शास्त्र की भूमिका
वास्तु शास्त्र में किसी व्यक्ति के लिए पूर्व दिशा की ओर प्रवेश द्वार वाला घर उपयुक्त है या नहीं, यह जानने के लिए उसके ज्योतिषीय चार्ट या कुंडली की जांच करना भी आवश्यक होता है। जब किसी परिवार में कई सदस्य होते हैं और सभी के अपने-अपने अलग ज्योतिषीय चार्ट या जन्म कुंडली होती हैं, तब उस परिवार के मुखिया की जन्म कुंडली को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। इसी तरह अगर बात किसी व्यावसायिक संपत्ति की हो तो उस संपत्ति के मालिक की कुंडली की देखा जाता है।
अगर आप किसी पूर्वमुखी संपत्ति को खरीदने के बारे में सोच रहे हैं तो इस बात की जांच जरूर कर लें कि वह संपत्ति उस व्यक्ति के नक्षत्रों के अनुरूप है या नहीं, जो उसमें रहने वाला है। इसके लिए घर के निवासियों की ज्योतिषीय गणनाओं पर विचार करना आवश्यक होता है। इसी तरीके से यह पता चल सकता है कि उस व्यक्ति के लिए कौन सी दिशा सबसे अनुकूल है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सूर्यदेव को पूर्व दिशा का स्वामी माना जाता है, इसलिए यदि किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में सूर्य की स्थिति अनुकूल नहीं है तो उसके लिए पूर्वमुखी घर फायदेमंद नहीं हो सकता।
पूर्व दिशा की ओर मुख वाला घर इन राशियों के लिए लाभकारी होता है
- मेष (Aries)
- मिथुन (Gemini)
- तुला (Libra)
- सिंह (Leo)
- धनु (Sagittarius)
पूर्वमुखी घर के लिए पौधे
नीचे कुछ पौधों के बारे में हम आपको बता रहे हैं जो पूर्व की ओर मुख वाले घरों में अच्छी तरह से विकसित हो सकते हैं:
- तुलसी का पौधा
- लकी बैंबू
- मनी प्लांट
- नीम का पौधा
- केले का पौधा
- गुलदाउदी
- बेर के फूल
- सिट्रस प्लांट
- डैफ़ोडिल
- कमल
- एलोवेरा
कार पार्किंग दिशा
वास्तु के अनुसार, पूर्वमुखी मकान में कार पार्किंग दक्षिण-पश्चिम दिशा में होनी चाहिए। कोई व्यक्ति गैराज डिजाइन करने के लिए पश्चिम या दक्षिण दिशा भी चुन सकता है। घर में कभी भी पार्किंग एरिया उत्तर और पूर्व दिशा में नहीं चाहिए, इस दिशा में पार्किग एरिया बनाने के बचना चाहिए।
पूर्वमुखी घरों के लिए वास्तु उपाय
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- मेन गेट के पास पिरामिड: वास्तु दोष के नकारात्मक प्रभावों को दूर करने के लिए मेन गेट के नीचे वास्तु द्वार पिरामिड रखना चहिए।
- वास्तु कलश: वास्तु दोषों को दूर करने और घर में सकारात्मक ऊर्जा आमंत्रित करने के लिए ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) में वास्तु कलश रख सकते हैं।
- खुली जगहें: यदि पूर्वमुखी घर बंगला या स्वतंत्र मकान है तो चौड़ी खुली जगह रखें।
- नमक से घर की सफाई: सप्ताह में 2 बार पहाड़ी नमक से घर की सफाई करें और स्थान को शुद्ध करें। घर के विभिन्न कोनों में सेंधा नमक के कटोरे रखें, ताकि आसपास का वातावरण शुद्ध हो सके।
- मंदिर की स्थापना: मानसिक शांति के लिए मंदिर को ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) में स्थापित करें।
- कटे कोने का उपाय: यदि पूर्व दिशा में कटाव हो या पूर्वमुखी घर में पश्चिम की ओर ढलान हो तो पूर्वी दीवार पर तांबे का सूर्य और सूर्य यंत्र स्थापित करें।
- वास्तु के अनुसार पेंटिंग्स: बढ़ा हुआ पूर्वी कोना ईशान दिशा में कटाव पैदा कर सकता है, जिसे अशुभ माना जाता है। इस वास्तु दोष को दूर करने के लिए वास्तु के अनुसार पेंटिंग्स लगा सकते हैं।
- क्रिस्टल ग्लोब: यदि कोई छात्र पूर्वमुखी घर में रहता है तो उसकी सफलता और सकारात्मक ऊर्जा के लिए ईशान दिशा में क्रिस्टल ग्लोब रखना चाहिए।
- गलत रसोई, बाथरूम या सीढ़ियों की स्थिति का उपाय –
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- यदि रसोई पूर्व दिशा में है तो दीवारों को पीले या नारंगी रंग से रंगना चाहिए। स्लैब के लिए हरा या भूरा रंग चुन सकते हैं।
- यदि बाथरूम पूर्व दिशा में है तो टॉयलेट के चारों ओर नीली टेप लगाना चाहिए।
- यदि सीढ़ियां पूर्व दिशा में हैं तो लकड़ी की रेलिंग लगाना चाहिए।
पूर्व मुखी प्लॉट के लिए वास्तु टिप्स
पूर्व मुखी प्लॉट पर घर का मेन गेट हमेशा पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। आमतौर पर यह माना जाता है कि प्लॉट की दिशा ही व्यक्ति के भाग्य का निर्धारण करता है, लेकिन वास्तु के अनुसार यह मुख्य रूप से इस बात पर निर्भर करता है कि मेन गेट किस दिशा और स्थान पर स्थित है, तभी पूर्व मुखी प्लॉट को शुभ माना जाता है।
ऐसे प्लॉट से बचना चाहिए जो किसी भी दिशा से ‘टी’ जंक्शन पर हों। ऐसे प्लॉट से भी बचना चाहिए,, जिसमें दक्षिण-पूर्व कोने की ओर सड़क सीधे टकराती हो। ऐसे प्लॉट न चुनें, जिनका ढलान उत्तर से दक्षिण की ओर हो। घर बनाने के लिए प्लॉट चुनना चाहिए, जिसमें हल्का सा ढलान दक्षिण से उत्तर की ओर हो। ऐसे प्लॉट को हमेशा शुभ माना जाता है।
विभिन्न प्लॉट साइज के लिए पूर्व मुखी घर का वास्तु
- 30 X 40 पूर्व दिशा में स्थित घर का वास्तु योजना: 30 X 40 आकार का प्लॉट प्रॉपर्टी खरीदने वालों द्वारा बहुत पसंद किया जाता है। यह वास्तु योजना सुविधाजनक मानी जाती है क्योंकि यह संकुचित होते हुए भी पर्याप्त रहने की जगह प्रदान करती है। इस बात का ध्यान रखें कि घर का मेन गेट रहने की जगह और निजी स्थानों को सही वास्तु दिशाओं के अनुसार संरेखित किया गया हो।
- 30 X 60 पूर्व दिशा में स्थित घर का वास्तु योजना: यह उन लोगों के लिए आदर्श आकार है, जो पतले और लंबे प्लॉट को पसंद करते हैं। 30 X 60 पूर्व दिशा में स्थित घर के वास्तु योजना में विस्तारित लेआउट शामिल है, जो सामने के यार्ड या बगीचे के लिए पर्याप्त जगह देता है। इस प्लॉट पर घर डिजाइन करते समय विशेष रूप से मुख्य प्रवेश द्वार, रसोई और मास्टर बेडरूम के वास्तु सिद्धांतों का पालन करना चाहिए।
- 40 X 60 पूर्व दिशा में स्थित घर का वास्तु योजना: यदि आप एक विशाल घर बनाने की योजना बना रहे हैं तो 40 X 60 आकार का प्लॉट पूर्व दिशा में स्थित घर के लिए आदर्श है। इस बात का ध्यान रखें कि घर की संरचना वास्तु अनुरूप हो, ताकि आप शांति, संपत्ति और अच्छे स्वास्थ्य को आमंत्रित कर सकें।
पूर्व मुखी घर के लिए वास्तु के अनुसार सजावट के आइडिया
- चूंकि पूरब उगते सूरज की दिशा है, इसलिए पूरब की दीवार पर उगते सूरज की फोटो लगाना लाभकारी होता है।
- जीवन में उन्नति और विकास के लिए एक पौधा या पौधे की पेंटिंग भी लगा सकते हैं।
- ईस्ट-फेसिंग हाउस की पॉजिटिव एनर्जी को बढ़ाने और इसे वास्तु-फ्रेंडली बनाने के लिए उपयुक्त रंगों का इस्तेमाल करें। घर में शांत माहौल बनाए रखने के लिए हल्के रंग चुनना चाहिए।
- घर की सजावट के लिए उत्तर-पूर्व कोने में एक क्रिस्टल ग्लोब भी रख सकते हैं। इससे बच्चों की पढ़ाई में सुधार होगा।
- तुलसी या शमी जैसे पौधों को शुभ माना जाता है। इन्हें भी घर में रख सकते हैं।
- पूर्व मुखी घर के पूर्वी कोने में एक लाफिंग बुद्धा की मूर्ति रखना चाहिए। ऐसा करने से घर में शांति और समरसता बनी रहेगी।
Housing.com का पक्ष
पूर्व दिशा को घर के प्रवेश द्वार के लिए शुभ माना जाता है, विशेष रूप से कुछ विशेष पेशों से जुड़े लोगों के लिए। ऐसा माना जाता है कि यह दिशा प्रचुर मात्रा में सकारात्मक ऊर्जा, प्राकृतिक प्रकाश और स्वास्थ्य लाभ को आकर्षित करती है। यह बुद्धिमत्ता के साथ क्रिएटिविटी को भी बढ़ावा देती है और रिश्तों में सामंजस्य लाती है।
पूर्वमुखी संपत्ति को अंतिम रूप देने से पहले निम्न बातों पर ध्यान देना आवश्यक है –
- पेशा: आप किस पेशे में हैं, यह तय करेगा कि घर आपके लिए लाभकारी है या नहीं।
- राशि: ऐसा माना जाता है कि पूर्वमुखी घर कुछ विशेष राशियों के लिए विशेष रूप से लाभकारी होते हैं।
वास्तु दोष की मौजूदगी: सामान्यतः यह सलाह दी जाती है कि ऐसी संपत्ति न खरीदें, जिसमें वास्तु दोष हों या खरीदने से पहले उन दोषों का निवारण जरूर करवा लें।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
क्या सर्पिल सीढ़ियां अच्छी होती हैं?
वास्तु शास्त्र के नियमों के अनुसार, सर्पिल सीढ़ियां अशुभ मानी जाती हैं।
क्या मैं सीढ़ियों के नीचे पूजा कक्ष बना सकता हूं?
वास्तु विशेषज्ञ के मुताबिक, सीढ़ियों के नीचे कभी भी पूजा कक्ष नहीं बनाया जाना चाहिए।
क्या मुख्य द्वार के सामने सीढ़ियां बनाना अच्छा है?
वास्तु शास्त्र के अनुसार, सीढ़ियों के सामने मुख्य द्वार अच्छा नहीं होता है और यह घर में रहने वालों की सफलता और समृद्धि पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
वास्तु शास्त्र में सीढ़ियों का क्या महत्व है?
वास्तु शास्त्र में सीढ़ियां काफी ज्यादा महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि यह विभिन्न मंजिलों की ऊर्जाओं के बीच एक कड़ी के रूप में काम करती हैं। सीढ़ियां घर का वह महत्वपूर्ण बिंदु है, जो मजबूत ऊर्जा निर्मित करती है और अगर इसे सही तरीके से रखा जाए तो यह परिवार के अच्छे स्वास्थ्य और समृद्धि में योगदान दे सकती है।
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