कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाई जाती है अक्षय नवमी या आंवला नवमी। माना जाता है जो लोग इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा अर्चना करते हैं,उन्हें अक्षय फल की प्राप्ति होती है। इस दिन किये गये दान – पुण्य जन्मों – जन्मों तक खत्म नहीं होते। अक्षय नवमी के दिन लोग आंवले के पेड़ को भगवान विष्णु का अवतार मानकर विशेष पूजा- अर्चना करते हैं। साथ ही इस दिन लोग आंवले के पेड़ के नीचे भोजन बनाते हैं और भगवान विष्णु को भोग लगाते हैं। साथ ही ब्राह्मण को भी भोजन कराते हैं। फिर उसे प्रसाद के रूप में पूरे परिवार के लोग ग्रहण करते हैं।
औषधीय गुणों से भी भरपूर है आंवले का पेड़
वैसे तो आंवले का पेड़ पूज्यनीय है ही, लेकिन इसके साथ ही साथ यह औषधीय गुणों से भी भरपूर है। आंवले के फल को वेदों में अमृत कहा गया है. यह सभी बीमारियों में उपयोगी होता है और हम इसे अपने दैनिक जीवन में भी उपयोग में लाते हैं, यह हमारे बाल, पेट की तमाम तरह की दिक्कतों में भी उपयोगी होता है।
अक्षय नवमी या आंवला नवमी 2023 कब है?
आंवला नवमी 2023 में 21 नवंबर दिन मंगलवार को मनाई जायेगी।
अक्षय नवमी या आंवला नवमी 2023 तिथि
अक्षय नवमी या आंवला नवमी कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को 21 नवंबर दिन मंगलवार को सुबह 3 बजकर 16 मिनट पर शुरू हो रहा है। और 22 नवंबर को रात में, 1 बजकर 8 मिनट पर समाप्त होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार आंवला नवमी 21 नवंबर दिन मंगलवार को मनाया जायेगा।
अक्षय नवमी या आंवला नवमी 2023 पूजा शुभ मुहूर्त
अक्षय नवमी या आंवला नवमी 2023 में पूजा का शुभ मुहूर्त 21 नवंबर दिन मंगलवार को सुबह 6 बजकर, 48 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 7 मिनट तक पूजा का शुभ मुहूर्त बन रहा है।
ऐसे में आप इस समय आंवले के पेड़ की पूजा कर सकते हैं। पर अगर आप किसी कारण वश इस समय पूजा नहीं कर पाएं तो आप शाम के समय पूजा कर सकते हैं।
अक्षय नवमी या आंवला नवमी पूजा विधि 2023
1-आंवला नवमी के दिन परिवार के सभी सदस्य सुबह जल्दी उठकर सबसे पहले नित्य क्रिया से निपटकर स्नान करें।
2- उसके बाद अपने पास के किसी भी आंवले के पेड़ के पास जाकर या आपके घर में भी आंवले का पेड़ हो या गमले में तो आप सबसे पहले पेड़ के पास साफ- सफाई करके पानी से अच्छे से धोएं।
3- इसके बाद आंवले के पेड़ के नीचे पूर्व दिशा में खड़े होकर जल और गाय के कच्चे दूध को पेड़ की जड़ में भगवान विष्णु का नाम लेकर चढ़ाएं।
4- इसके बाद फूल, अक्षत, पीला चंदन, सिंदूर, मीठा, केला, सभी सामाग्री एक- एक करके चढ़ाएं।
5- इसके बाद आंवले के पेड़ के चारो तरफ कच्चे धागे को हल्दी में रंगकर फिर उसे आंवले के पेड़ के चारो तरफ भगवान विष्णु का स्मरण करते हुए लपेटें। तथा भगवान विष्णु के मंत्रों का जप भी करें।
6- पूजा करने के बाद आंवले के पेड़ की आरती उतारें एवं अपने परिवार की सुख, समृद्धि की कामना करें।
7- इतनी पूजा संपन्न करके आप घर वापस आकर अन्न तथा कद्दू का दान करें।
8- इसके साथ ही आंवला नवमी के दिन जरूरत मंदों में अगर हो सके तो पीले वस्त्रों का दान अवश्य करें।
अक्षय नवमी या आंवला नवमी 2023 शाम की पूजा
आंवला नवमी में आंवले के पेड़ की शाम की भी पूजा की जाती हैं। अगर आप दिन में पूजा नहीं कर पाते हैं, तो आप शाम में आंवले के पेड़ की पूजा कर सकते हैं।
1- ऐसे में आप भी शाम के समय आंवले के पेड़ के नीचे आंवला नवमी के दिन शाम में घी का दीपक अवश्य जलाएं।
2- साथ ही इस दिन आंवले के पेड़ के नीचे आंवला नवमी के दिन शाम में खीर, पूरी, सब्जी बनाएं, चाहे तो मिट्टी के चूल्हे पर बनाएं, अगर चूल्हे पर न हो सके तो गैस पर भी बना सकते हैं।
3- ध्यान रहे खाना जो बनाएं बिना प्याज , लहसुन के सात्विक भोजन बनाएं।
4- उसके बाद जब भोजन तैयार हो जाए तो सबसे पहले घर के मुखिया आंवले के पेड़ पर जनेऊ चढ़ाएं, तथा पीला तिलक लगाकर पूजा करें। तथा जो भोजन बना है उसे भी निकालकर चढ़ाएं।
5- उसके बाद गाय के लिए भी भोजन निकाल कर उसे भी भोजन करायें।
6- साथ ही ब्राह्मण को भी आंवले के पेड़ के नीचे ही बैठाकर उन्हें भी भोजन करायें। तथा उन्हें कुछ दक्षिणा भी प्रदान करें।
7- इसके बाद परिवार के सभी सदस्य खुद भी पेड़ के नीचे ही बैठकर भोजन प्रसाद को ग्रहण करें।
8- अंत में सभी लोग हाथ जोड़कर भगवान विष्णु को प्रणाम करें.
9- उसके बाद सभी लोग विष्णु सहस्रनाम के नामों का जप करते हुए 108 बार पेड़ की परिक्रमा करें, तथा भगवान विष्णु से अपने बच्चों तथा परिवार की सुख- समृद्धि, संपन्नता की कामना करते हुए प्रार्थना करें।
शांताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशम्,
विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्णं शुभाङ्गम् ।
लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम्,
वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम् ।।
अक्षय नवमी या आंवला नवमी 2023 महत्व
मान्यता के अनुसार आंवले के पेड़ पर भगवान विष्णु का वास होता है। इसलिए इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा की जाती और उसके बाद ही आंवले को खाया जाता है।
माना जाता है आंवला नवमी के दिन आंवले के पेड़ के नीचे ब्राह्मण को भोजन कराने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है। तथा हमारे द्वारा किये गये सभी पाप कर्मों से भी मुक्ति मिलती है।
अक्षय नवमी या आंवला नवमी 2023 व्रत कथा
माना जाता है। एक बार माता लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करने आई. रास्ते में उन्होंने भगवान विष्णु और शिव की एक साथ पूजा करने की कामना की। लेकिन लक्ष्मी माँ ने सोचा भगवान विष्णु और भगवान शिव को एक साथ कैसे पूजा किया जा सकता है। तब उन्होंने महसूस किया कि तुलसी और बेल की गुणवत्ता एक साथ आंवले के पेड़ में ही पाई जाती है। तुलसी को भगवान विष्णु से प्रेम है, और भगवान शिव को बेल पत्र से। तब माता लक्ष्मी ने आंवले के पेड़ को विष्णु और शिव का प्रतीक मानकर आंवले के पेड़ की पूजा की। पूजा से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु और भगवान शिव प्रकट हुए। तब लक्ष्मी माता ने आंवले के पेड़ के नीचे भोजन तैयार किया और उसे भगवान विष्णु और भगवान शिव को परोसा. इसके बाद उन्होंने खुद भी उसी भोजन को प्रसाद के रूप में स्वयं ग्रहण किया। जिस दिन यह माता लक्ष्मी ने किया था, उस दिन कार्तिक माह की शुक्ल नवमी तिथि थी। अतः आंवले के पेड़ के नीचे भोजन बनाने की यह परंपरा उस समय से ही चली आ रही है।