छठ पूजा हिंदू धर्म का एक पवित्र त्योहार है जो मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल में मनाया जाता है। इसमें सूर्य देव और उनकी बहन षष्ठी देवी की पूजा की जाती है। चार दिनों तक चलने वाली इस पर्व में कठोर अनुष्ठान जैसे कि पवित्र स्नान, निर्जला उपवास, और उगते और डूबते सूर्य को प्रार्थना अर्पित की जाती है। उगते सूर्य की पूजा तो कई त्योहारों में की जाती है लेकिन ऐसा माना जाता है की डूबते सूर्य को अर्घ्य देने की रीति केवल छठ पर्व से ही जुड़ी है। यह समय पवित्रता, चिंतन और भक्ति का होता है, जहां भक्त शक्ति, समृद्धि और दीर्घायु के लिए आशीर्वाद मांगते हैं। छठ पूजा में प्रकृति और उसकी हमारे जीवन में महत्व पर विशेष जोर दिया जाता है। इस प्राचीन त्योहार का विशेष महत्व इसलिए भी है क्योंकि इसे सभी शक्तियों के स्रोत सूर्य देव द्वारा अपने भक्तों पर आशीर्वाद बरसाने का एकमात्र समय माना जाता है। ऐसा भी माना जाता है कि शरीर और मन की शुद्धि करके छठ पूजा की रस्में मानसिक शांति प्रदान करती हैं, ऊर्जा स्तर और प्रतिरक्षा को बढ़ाती हैं, क्रोध, ईर्ष्या और कई नकारात्मक भावनाओं की आवृत्ति को कम करती हैं।
छठ पूजा (4-दिवसीय त्योहार)
दिन 1: नहान-खान
दिन 2: खरना
दिन 3: संध्या अर्घ्य
दिन 4: उषा अर्घ्य
2023 में छठ पूजा कब है?
छठ का महापर्व चार दिन तक चलता है।
पहला दिन: नहाय–खाय: 17 नवंबर 2023
सूर्योदय: सुबह 6 बजकर 45 मिनट
सूर्यास्त: शाम 5 बजकर 27 मिनट
दूसरा दिन: खरना: 18 नवंबर 2023
सूर्योदय: सुबह 6 बजकर 46 मिनट
सूर्यास्त: शाम 5 बजकर 26 मिनट
तीसरा दिन: संध्या अर्घ्य/सांझ घाट/संध्या घाट: 19 नवंबर
सूर्यास्त: शाम 5 बजकर 26 मिनट
चौथा दिन: उषा घाट/भोर घाट 20
सूर्योदय: 6 बजकर 47 मिनट
छठ पूजा अनुष्ठान और सामग्री
पहला दिन
* किसी नदी या स्वच्छ जलाशय में अनुष्ठानिक स्नान
* इसे एक शुद्धिकरण प्रक्रिया माना जाता है, जो भक्तों को उपवास की शुरुआत के लिए तैयार करती है
* स्नान के बाद, भक्त एक ही भोजन करता है – लौकी की सूखी सब्जी और चावल – केवल मिट्टी के चूल्हे पर कांसे या मिट्टी के बर्तन और आम की लकड़ी का उपयोग करके पकाया जाता है।
* शेष दिन अगले दिनों की तैयारी में व्यतीत होता है।
सामग्री
1. गेंहू
2. चावल
3. चना or अरहर दाल
4. लौकी
5. धनिया पत्ती
6. कोहड़ा
7. आलू
8. गोभी
9. मेथी
10. हल्दी
11. सेंधा नमक
12. धनिया powder
13. जीरा powder
14. लाल मिर्च powder
15. जीरा साबुत
16. बेसन
17. नींबू
18. चीनी
19. चाय पत्ती
20. घी
21. सरसों तेल
22. केला पत्ता
23. हवन सामग्री
24. धूप
25. सिंदूर
26. कपूर
27. अगरबत्ती
28. आम लकड़ी
29. लहटी
30. आलता
31. रसगुल्ला
32. नई साड़ी
दूसरा दिन
* भक्त पूरे दिन उपवास रखता है, जो शाम को सूर्यास्त के थोड़ी देर बाद समाप्त होता है
* सूर्य और चंद्रमा की पूजा करने के बाद अपना व्रत खोलते हैं
* प्रसाद में खीर (साथी के चावल, गुड़ से बना), रोटी, पान, सुपारी, मूली और केले शामिल हैं
* यह प्रसाद परिवार और दोस्तों के बीच बांटा जाता है
* फिर भक्त बिना पानी के 36 घंटे का कठोर उपवास शुरू करता है
सामग्री
1. रसगुल्ला
2. गुड़
3. दूध
4. साठी चावल
5. घी
6. मूली
7. केला
8. पान
9. सुपारी
10. लौंग
11. इलायची
12. सिंदूर
13. फूल
14. केला पत्ता
15. धूप
16. कपूर
17. अगरबत्ती
18. दीया
19. बत्ती
20. नई साड़ी
तीसरा दिन
* छठ पूजा का मुख्य दिन
* भक्त घर पर प्रसाद (ठेकुआ आदि) तैयार करने में दिन बिताते हैं
* शाम को, भक्त और उनके परिवार और दोस्त बांस की टोकरियों (दौरा) में प्रसाद और अन्य प्रसाद लेकर नदी के किनारे, तालाब या एक आम बड़े जल निकाय के पास इकट्ठा होते हैं।
* लोक गीतों और प्रार्थनाओं के साथ डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है
सामग्री
ठेकुआ बनाने के लिए सामान
1. आटा
2. गुड़
3. नारियल गोला
4. सौंफ
5. एलाइची
6. घी
7. मैदा
8. चीनी
बाकी सामान
9. बांस की दो बड़ी टोकरियां
10. सूप
11. पीला कपड़ा
12. दीया
13. बत्ती
14. घी
दौरा में जाने वाली चीज़ें
15. ईख
16. नारियल
17. गागल
18. केला
19. सिंघाड़ा
20. सेब
21. नारंगी
22. सुथनी
23. हल्दी साबुत
24. केराव
25. अरबी
26. अदरक साबुत
27. पान
28. सुपारी
27. लौंग
28. एलाइची
29. सिंदूर
30. अक्षत साठी
31. बोड़ी सूखा हुआ
32. अर्घ्यपात
33. बद्धी
34. शकरकंदी
35. शरीफा
36. नाशपाती
37. हल्दी का पौधा
38. गाजर
चौथा दिन
* छठ पूजा का अंतिम दिन
* इसमें उगते सूर्य को अर्घ्य देना शामिल है
* भक्त, परिवार और दोस्तों के साथ, सूर्योदय से पहले नदी तट पर जाता है और अनुष्ठान की तैयारी करता है
* अर्घ्य देने के बाद व्रती छठ प्रसाद के साथ अपना व्रत तोड़ते हैं
* उत्सव का समापन उपस्थित लोगों के बीच प्रसाद वितरण और बड़ों से आशीर्वाद लेने के साथ होता है
सामग्री
1. दूध
2. दीया
3. बत्ती
4. घी
ध्यान दें: यदि यह कोशी मतलब अतिरिक्त विशेष अनुष्ठान है तो अतिरिक्त अनुष्ठान समग्रियों की जरुरत होगी
* कोशी में संध्या घाट के बाद घर पर या नदी के किनारे कोशी स्थापित करना शामिल है।
सामग्री
हाथी (मिट्टी का खिलौना)
कपटी (मिट्टी का ढक्कन)
पीला कपड़ा
ईख
दीया, बत्ती
घी
हाथी के लिए गेंहू
कोशी मटका
पूजा के हर दिन काम में आने वाला विविध सामान
जल
ग्लास
लोटा
कलश
थाली
अक्षत
कुमकुम
चंदन
माचिस
मिठाई
मौनी