गंगा एक्सप्रेसवे: जानें मार्ग, नक्शा और इससे लगे प्रमुख शहरों की खास जानकारी

602 किलोमीटर लंबा गंगा एक्सप्रेसवे मेरठ से प्रयागराज तक वाराणसी के रास्ते कई जिलों और प्रमुख शहरों को जोड़ेगा।

उत्तर प्रदेश के आंतरिक इलाकों से बेहतर कनेक्टिविटी के लिए गंगा एक्सप्रेसवे को एक महत्वाकांक्षी परियोजना के रूप में तैयार किया गया। इसे दो चरणों में बनाया जाएगा और पूरा होने पर यह सबसे लंबे एक्सप्रेसवे में से एक होगा। 602 किलोमीटर लंबा यह मार्ग मेरठ से प्रयागराज तक वाराणसी होते हुए कई जिलों से गुजरेगा।

उत्तर प्रदेश सरकार ने एक्सप्रेसवे परियोजना के डेवलपर्स को दिसंबर 2024 तक निर्माण कार्य पूरा करने के निर्देश दिए थे, ताकि 2025 के प्रयागराज महाकुंभ मेले से पहले इसे शुरू किया जा सके। लेकिन अब यह परियोजना 2025 के अंत तक पूरी होने की उम्मीद है।

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रिपोर्ट्स के मुताबिक, गंगा एक्सप्रेसवे प्रोजेक्ट 36,000 करोड़ रुपये की लागत से बनाया जा रहा है और इसके लिए 6,556 हेक्टेयर जमीन की जरूरत होगी। यह एक्सप्रेसवे आपातकालीन हवाई पट्टी के रूप में भी काम करेगा।

2 सितंबर 2021 को राज्य कैबिनेट ने ग्रीनफील्ड, छह-लेन गंगा एक्सप्रेसवे प्रोजेक्ट को मंजूरी दी।

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सरकारी प्रवक्ता और एमएसएमई मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह के अनुसार, यह परियोजना सार्वजनिक-निजी भागीदारी मॉडल के तहत विकसित, निर्माण, वित्त, संचालन और स्थानांतरण (DBFOT) आधार पर लागू की जाएगी। मंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश में एक्सप्रेसवे परियोजनाओं का नेटवर्क राज्य को ट्रिलियन-डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने में बड़ी भूमिका निभाएगा। एक्सप्रेसवे मार्ग के साथ औद्योगिक क्लस्टर विकसित करने की योजना के साथ इस क्षेत्र में रियल एस्टेट में महत्वपूर्ण वृद्धि की उम्मीद है।

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गंगा एक्सप्रेसवे मार्ग

गंगा एक्सप्रेसवे चरण 1 गंगा एक्सप्रेसवे चरण 2 (400 किमी अतिरिक्त विस्तार)
मेरठ प्रयागराज
अमरोहा वाराणसी
बुलंदशहर बलिया
बदायूं  
शाहजहांपुर  
कन्नौज  
उन्नाव  
रायबरेली  
प्रतापगढ़  
प्रयागराज  

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उत्तर प्रदेश सरकार ने 14 दिसंबर 2021 को जानकारी दी थी कि गंगा एक्सप्रेसवे का आधे से ज्यादा हिस्सा पश्चिमी उत्तर प्रदेश से गुजरेगा। इसमें मेरठ, हापुड़, अमरोहा, बुलंदशहर, संभल, बदायूं और शाहजहांपुर जैसे जिले शामिल हैं। यह एक्सप्रेसवे पूर्वी उत्तर प्रदेश को पश्चिमी उत्तर प्रदेश और नेशनल कैपिटल रीजन (NCR) से जोड़ेगा।

यह 602 किलोमीटर लंबा एक्सप्रेसवे दो चरणों में तैयार हो रहा है और मेरठ के बिजौली गांव से शुरू होकर प्रयागराज के जुड़ापुर डांडू गांव तक जाएगा। रास्ते में यह कई जिलों, शहरों और गांवों को जोड़ेगा। इसमें कुल 12 जिले और 519 गांव शामिल होंगे।

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गंगा एक्सप्रेसवे हापुड़ के गढ़मुक्तेश्वर को मेरठ के शहीद स्मारक के रास्ते जोड़ेगा। अगला इंटरसेक्शन बुलंदशहर में होगा, जहां प्रस्तावित औद्योगिक कॉरिडोर विकसित किया जा रहा है। इसके बाद यह एक्सप्रेसवे अमरोहा से गुजरेगा, जो प्रसिद्ध वासुदेव मंदिर के लिए जाना जाता है। आगे चलकर यह संभल को जोड़ेगा, जहां कैलादेवी मंदिर स्थित है। फिर यह एक्सप्रेसवे बदायूं से होते हुए औद्योगिक कॉरिडोर और हनुमंत धाम तक पहुंचेगा।

राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे को गंगा एक्सप्रेसवे से जोड़ने की योजना बनाई है। यह कनेक्शन मोदीनगर के पास जैनुद्दीनपुर गांव से निकलेगा और दासना-मेरठ सेक्शन के माध्यम से जुड़ेगा। यह 14 किलोमीटर लंबा खंड होगा, जिससे पश्चिमी उत्तर प्रदेश से पूर्वी उत्तर प्रदेश जाने वाले यात्रियों को सीधी सुविधा मिलेगी।

गंगा एक्सप्रेसवे चरण-1

गंगा एक्सप्रेसवे के पहले चरण को 12 अलग-अलग पैकेज में बांटा गया है। इस प्रोजेक्ट की कुल लागत 37,350 करोड़ रुपए है, जिसमें भूमि अधिग्रहण पर 9,500 करोड़ रुपए से अधिक खर्च किए गए हैं।

🔹 बीजौली (मेरठ) से चांदनेर (हापुड़) – 48.9 किमी
🔹 चांदनेर (हापुड़) से मिर्जापुर डुंगल (अमरोहा) – 30 किमी
🔹 मिर्जापुर डुंगल (अमरोहा) से नगला बराहा (बदायूं) – 50.7 किमी
🔹 नगला बराहा (बदायूं) से बिनावर (बदायूं) – 52.1 किमी
🔹 बिनावर (बदायूं) से डरी गुलाऊ (शाहजहांपुर) – 46.7 किमी
🔹 डरी गुलाऊ (शाहजहांपुर) से उबरिया खुर्द (हरदोई) – 52.9 किमी
🔹 उबरिया खुर्द (हरदोई) से इकसाई (हरदोई) – 52.4 किमी
🔹 इकसाई (हरदोई) से रैया मऊ (उन्नाव) – 50.2 किमी
🔹 रैया मऊ (उन्नाव) से सरसों (उन्नाव) – 53.1 किमी
🔹 सरसों (उन्नाव) से तेरुखा (रायबरेली) – 51.8 किमी
🔹 तेरुखा (रायबरेली) से नौधिया (प्रतापगढ़) – 52 किमी
🔹 नौधिया (प्रतापगढ़) से जुड़ापुर डांडू (प्रयागराज जिला) – 53 किमी

गंगा एक्सप्रेसवे चरण-2

दूसरे चरण में एक्सप्रेसवे का मार्ग टिगरी (गढ़मुक्तेश्वर) से उत्तराखंड सीमा (हरिद्वार के पास) तक बढ़ाया जाएगा।

गंगा एक्सप्रेसवे मार्ग मानचित्र

गंगा एक्सप्रेसवे

गंगा एक्सप्रेसवे रूट मैप 2021 देखें, जो मेरठ से प्रयागराज तक के गावों और अन्य स्थानों को दिखाता है, जहां यह प्रोजेक्ट जाएगा।

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गंगा एक्सप्रेसवे परियोजना: विशेषताएं और विवरण

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 18 दिसंबर 2021 को 600 किलोमीटर लंबे 6 लेन वाले गंगा एक्सप्रेसवे की आधारशिला रखी थी। यह एक ग्रीनफील्ड परियोजना है, जिसे उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी (UPEIDA) तैयार कर रही है। यह एक्सप्रेसवे उत्तर प्रदेश के 12 जिलों से होकर गुजरेगा और 519 गांवों का आपस में जोड़ेगा। शाहजहांपुर में आपातकालीन लैंडिंग के लिए एक हवाई पट्टी बनाई जाएगी। इसके अलावा मार्ग के साथ औद्योगिक क्लस्टर और 9 स्थानों पर सार्वजनिक सुविधाएं भी होंगी।

एक्सप्रेसवे को 8-लेन तक बढ़ाया जा सकेगा, जहां वाहनों की अधिकतम गति सीमा 120 किमी प्रति घंटे होगी। गंगा नदी पर 1 किमी लंबा पुल और रामगंगा नदी पर 720 मीटर लंबा पुल भी प्रस्तावित है। एक्सप्रेसवे पर 9 सार्वजनिक सुविधा केंद्र, 381 अंडरपास, 14 बड़े पुल, 126 छोटे पुल, 929 कलवर्ट, 7 आरओबी, 28 फ्लाईओवर और 8 डायमंड इंटरचेंज होंगे। रेलवे ओवरब्रिज की चौड़ाई 120 मीटर होगी।

राइट ऑफ वे (ROW) की चौड़ाई 120 मीटर होगी, जिसमें स्थानीय यातायात के लिए एक्सप्रेसवे के एक तरफ 3.75 मीटर की सर्विस रोड होगी।

मुख्य टोल प्लाजा मेरठ और प्रयागराज में बनाए जाएंगे, जबकि गंगा एक्सप्रेसवे मार्ग पर 15 रैंप टोल प्लाजा होंगे। पर्यावरण संरक्षण के लिए एक्सप्रेसवे के किनारे करीब 18,55,000 पौधे लगाए जाएंगे। परियोजना के लिए अधिग्रहित भूमि पर सौर ऊर्जा का उपयोग बिजली उत्पादन के लिए किया जाएगा।

राज्य सरकार ने निर्माण कार्य में मिट्टी की कमी को दूर करने के लिए फ्लाई ऐश के उपयोग की अनुमति दी है। इससे कार्बन उत्सर्जन में कटौती होगी और पर्यावरण के अनुकूल निपटान की सुविधा मिलेगी, साथ ही परियोजना को तेजी से पूरा करने में मदद मिलेगी।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में कहा कि गंगा एक्सप्रेसवे के रास्ते में औद्योगिक क्लस्टर, एक हवाई पट्टी, आपातकालीन लैंडिंग के लिए हेलीपैड और एयर-एम्बुलेंस संचालन, ट्रॉमा सेंटर जैसी सार्वजनिक सुविधाएं विकसित की जाएंगी। उन्होंने यह भी बताया कि गंगा एक्सप्रेसवे परियोजना के लिए 518 ग्राम पंचायतों की कुल आवश्यक 7,386 हेक्टेयर भूमि में से लगभग 96 प्रतिशत भूमि अधिग्रहित की जा चुकी है।

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गंगा एक्सप्रेसवे: परियोजना की लागत

गंगा एक्सप्रेसवे परियोजना को लगभग 36,230 करोड़ रुपए की लागत से विकसित किया जाएगा। इसे चार समूहों (प्रत्येक में तीन पैकेज) में लागू किया जाएगा। नागरिक निर्माण कार्यों की अनुमानित लागत 22,125 करोड़ रुपए है, जबकि भूमि अधिग्रहण के लिए 9,255 करोड़ रुपए का अनुमान लगाया गया है।

उत्तर प्रदेश सरकार ने 5 फरवरी 2024 को पेश किए गए वार्षिक बजट 2024-25 में गंगा एक्सप्रेसवे के लिए 2057.76 करोड़ रुपए का आवंटन किया है।

यह परियोजना पीपीपी (पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप) मॉडल पर विकसित की जाएगी, जिसके लिए 30 साल का समझौता किया गया है।

गौतम अडानी के नेतृत्व वाले अडानी ग्रुप द्वारा गंगा एक्सप्रेसवे परियोजना का लगभग 80 प्रतिशत हिस्सा विकसित किया जाएगा। यह 464 किमी का सेक्शन पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बदायूं से पूर्वी भाग में प्रयागराज तक फैला होगा। वहीं, आईआरबी इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपर्स लिमिटेड मेरठ से बदायूं तक 129.7 किमी का हिस्सा बनाएगी।

अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड ने इस परियोजना के लिए 10,238 करोड़ रुपये की वित्तीय मंजूरी हासिल कर ली है। परियोजना की रियायत अवधि 30 साल होगी, जिसमें 6 साल का ट्रैफिक लिंक विस्तार प्रावधान शामिल है। निर्माण कार्य के लिए 3 साल का समय निर्धारित किया गया है।

अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड (AEL) की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनियां बदायूं हरदोई रोड प्राइवेट लिमिटेड (BHRPL), हरदोई उन्नाव रोड प्राइवेट लिमिटेड (HURPL) और उन्नाव प्रयागराज रोड प्राइवेट लिमिटेड (UPRPL) ने उत्तर प्रदेश में गंगा एक्सप्रेसवे परियोजना (ग्रुप-II, III और IV) के लिए वित्तीय बंदोबस्त पूरा कर लिया है। यह परियोजना पीपीपी मॉडल के तहत DBFOT (टोल) आधार पर संचालित होगी।

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गंगा एक्सप्रेसवे: समयरेखा

तारीख आयोजन
जनवरी 2019 गंगा एक्सप्रेसवे परियोजना पुनर्जीवित की गई।
सितंबर 2019 संरेखण तैयार किया गया। विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने के लिए परामर्शदाता नियुक्त किया गया।
फरवरी 2020 एक्सप्रेसवे के निर्माण के लिए 2,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए।
मार्च 2021 गंगा एक्सप्रेस हाईवे परियोजना के पहले चरण के लिए भूमि अधिग्रहण शुरू।
दिसंबर 2021 प्रधानमंत्री ने गंगा एक्सप्रेसवे की आधारशिला रखी
जून 2025 एक्सप्रेसवे का प्रथम चरण चालू हो जाएगा।

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गंगा एक्सप्रेसवे भूमि अधिग्रहण

उत्तर प्रदेश सरकार के आधिकारिक बयान के अनुसार, 14 दिसंबर 2021 तक गंगा एक्सप्रेसवे के लिए 94 फीसदी भूमि खरीदी जा चुकी थी। यह भूमि 82,720 किसानों से एक साल में खरीदी गई, जबकि इस दौरान कोरोना महामारी की चुनौती भी रही। इस परियोजना के लिए कुल 7386 हेक्टेयर भूमि की जरूरत है, जिसमें से 90 फीसदी से ज्यादा भूमि बीते चार महीनों में 71,621 किसानों से खरीदी गई।

प्रयागराज से मेरठ के बीच करीब 9 फीसदी भूमि को एक्सप्रेसवे निर्माण के लिए खाली कराना पड़ा। एसआर एशिया एजेंसी ने इस परियोजना के स्थानीय लोगों पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर एक सर्वे किया। रिपोर्ट में कहा गया कि प्रभावित लोगों को मुआवजा और पुनर्वास मिलेगा। सर्वे पूरा होने पर पता चला कि गांव वालों पर असर तो पड़ा, लेकिन एक्सप्रेसवेसे गांवों और आसपास के इलाकों में विकास भी होगा। लोगों का मानना था कि इस परियोजना से रोजगार के नए अवसर भी मिलेंगे।

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गंगा एक्सप्रेसवे का रियल एस्टेट पर प्रभाव

यह एक्सप्रेसवे तेज यात्री और माल परिवहन की सुविधा देगा और अपने मार्ग के साथ-साथ औद्योगिक गलियारों, कृषि विपणन श्रृंखलाओं और पर्यटन सर्किट को मजबूती देगा।

संचालन शुरू होने के बाद गंगा एक्सप्रेसवे उत्तर प्रदेश का सबसे लंबा एक्सप्रेसवे बन जाएगा। यह राज्य के पश्चिमी और पूर्वी हिस्सों को जोड़ेगा और पूर्वी यूपी से राष्ट्रीय राजधानी तक बेहतर कनेक्टिविटी प्रदान करेगा। यह पूर्वांचल एक्सप्रेसवे, यमुना एक्सप्रेसवे और आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे जैसे प्रमुख मार्गों से भी जुड़ा होगा। इसके अलावा उन्नाव के पास 2 जंक्शन विकसित किए जाएंगे और लखनऊ-कानपुर एक्सप्रेसवे को गंगा एक्सप्रेसवे से रैंप के जरिए जोड़ा जाएगा, जिससे दोनों एक्सप्रेसवे पर वाहन आसानी से आ-जा सकेंगे।

यह एक्सप्रेसवे अपने मार्ग के आसपास आर्थिक गतिविधियों को भी बढ़ावा देगा, जिसमें उद्योग, व्यापार, कृषि और पर्यटन शामिल हैं। इसके अलावा क्षेत्र में सामाजिक और आर्थिक विकास को भी गति मिलेगी।

उत्तर प्रदेश सरकार विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) विकसित करने की योजना बना रही है, जिससे इस क्षेत्र में व्यावसायिक रियल एस्टेट का विकास बढ़ने की उम्मीद है। यूपीईआईडीए के अनुसार, गंगा एक्सप्रेसवे से गुजरने वाले सभी जिलों में फार्मा पार्क, टेक्सटाइल पार्क, प्लास्टिक मोल्डिंग यूनिट्स और अन्य औद्योगिक इकाइयों वाले औद्योगिक क्लस्टर विकसित किए जाएंगे। इसके अलावा, खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों के विकास की भी योजना है, जिससे क्षेत्र में अन्य उद्योगों की मांग बढ़ेगी। आवासीय रियल एस्टेट के मामले में, कानपुर, प्रयागराज, मेरठ और उत्तराखंड जैसे क्षेत्रों में सड़क संपर्क बेहतर होने से आवास की मांग बढ़ने की संभावना है।

गंगा एक्सप्रेसवे के किनारे संपत्ति की दरें

जगह प्रति वर्गफुट औसत संपत्ति मूल्य औसत मासिक किराया
मेरठ 5,200 रुपये 13,600 रुपये
शाहजहांपुर 5,500 रु. 10,000 रुपये
प्रयागराज 7,300 रुपये 11,800 रुपये
वाराणसी 7,100 रुपये 15,200 रुपये

 

गंगा एक्सप्रेसवे: हानिकारक प्रभाव

गंगा एक्सप्रेसवे एक ओर जहां ग्रामीण इलाकों में काफी ज्यादा विकास लेकर लाएगा, वहीं इसके इसके निर्माण से करीब 1,024 गांव प्रभावित होंगे। सरकार ने इस बारे में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी थी, लेकिन कमलेश सिंह ने जब आरटीआई के तहत सवाल पूछा, तब यह संख्या सामने आई। एक्सप्रेसवे के लिए करीब 14,000 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहित की जाएगी, जिससे फसल उत्पादन घटेगा और कई किसानों की आजीविका प्रभावित होगी। हालांकि, सर्वेक्षणों में पता चला कि गांवों के लोग अपनी जमीन देने को तैयार हैं, क्योंकि वे एक्सप्रेसवे से होने वाले विकास की उम्मीद कर रहे हैं।

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Housing.com का पक्ष

गंगा एक्सप्रेसवे के विकास से इस मार्ग के आसपास रियल एस्टेट निवेश के अवसर बढ़ गए हैं, इसलिए एक्सप्रेसवे के पास प्रॉपर्टी खरीदने का यह सही समय है। जैसे-जैसे एक्सप्रेसवे पूरा होने के करीब पहुंचेगा, कीमतें बढ़ने की संभावना है। यह उन लोगों के लिए फायदेमंद होगा जो किराये की आय कमाना चाहते हैं।

 

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

गंगा एक्सप्रेसवे कहां स्थित है?

गंगा एक्सप्रेसवे उत्तर प्रदेश में प्रस्तावित है और यह 6-लेन का ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे होगा।

भारत का सबसे लंबा एक्सप्रेसवे कौन सा है?

पूरा बनने के बाद महाराष्ट्र समृद्धि महामार्ग 701 किलोमीटर की लंबाई के साथ भारत का सबसे लंबा एक्सप्रेसवे होगा।

गंगा एक्सप्रेसवे की कुल लंबाई कितनी होगी?

गंगा एक्सप्रेसवे की कुल लंबाई 594 किलोमीटर होगी।

गंगा एक्सप्रेसवे किन जिलों को जोड़ेगा?

गंगा एक्सप्रेसवे उत्तर प्रदेश के हापुड़, मेरठ, बुलंदशहर, संभल, अमरोहा, हरदोई, बदायूं, उन्नाव, शाहजहांपुर, प्रयागराज (इलाहाबाद) और रायबरेली जैसे जिलों को जोड़ेगा।

गंगा एक्सप्रेसवे कितने गांवों को जोड़ेगा?

गंगा एक्सप्रेसवे उत्तर प्रदेश के 519 गांवों को जोड़ेगा।

गंगा एक्सप्रेसवे पर वाहनों की प्रस्तावित गति क्या होगी?

गंगा एक्सप्रेसवे पर वाहनों की अधिकतम प्रस्तावित गति 120 किमी प्रति घंटा होगी।

गंगा एक्सप्रेसवे निर्माण की परियोजना लागत कितनी होगी?

उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी (UPEDIA) के अनुसार, गंगा एक्सप्रेसवे की परियोजना लागत 36,000 से 42,000 करोड़ रुपये होगी।

गंगा एक्सप्रेसवे परियोजना कब शुरू होगी?

प्रधानमंत्री द्वारा दिसंबर 2021 में गंगा एक्सप्रेसवे का शिलान्यास करने के बाद यह परियोजना शुरू हुई। एक्सप्रेसवे 2024 तक तैयार हो जाएगा।

गंगा एक्सप्रेसवे किन जिलों को कवर करेगा?

गंगा एक्सप्रेसवे उत्तर प्रदेश के मेरठ, हापुड़, बुलंदशहर, अमरोहा, संभल, बदायूं, शाहजहांपुर, हरदोई, उन्नाव, रायबरेली, प्रतापगढ़ और प्रयागराज जैसे प्रमुख जिलों को जोड़ेगा।

मेरठ से प्रयागराज की दूरी गंगा एक्सप्रेसवे से कितनी है?

गंगा एक्सप्रेसवे के माध्यम से मेरठ से प्रयागराज की दूरी 596 किमी है।

क्या गंगा एक्सप्रेसवे तैयार है?

594 किमी लंबा गंगा एक्सप्रेसवे दिसंबर 2024 तक चालू होने की उम्मीद थी।

हमारे लेख से संबंधित कोई सवाल या प्रतिक्रिया है? हम आपकी बात सुनना चाहेंगे। हमारे प्रधान संपादक झूमर घोष को jhumur.ghosh1@housing.com पर लिखें
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