क्या जीएसटी लागू होने से पहले बुक हुए फ्लैट्स पर यह टैक्स लागू होगा, जानिए

उस शख्स की टैक्स देयता क्या होगी, जिसने अपना फ्लैट जीएसटी लागू होने से पहले बुक कराया है? इस स्थिति को साफ करने के लिए हम सेंट्रल बोर्ड अॉफ एक्साइज एंड कस्टम्स द्वारा जारी किए गए जीएसटी कानून, सर्कुलर्स और स्पष्टता के बारे में आपको बता रहे हैं।
गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) ने पिछले सर्विस टैक्स और वैट (वैल्यू एडेड टैक्स) की जगह ले ली है, जो पहले निर्माणाधीन संपत्ति के ग्राहकों पर लगाए जाते थे। इसके अलावा बिल्डर्स को भी निर्माण गतिविधियों के लिए मटीरियल और सर्विसेज पर कई तरह के टैक्स चुकाने पड़ते थे। हालांकि इसके कारण उन लोगों को कन्फ्यूजन हो गया, जिन्होंने अंडर-कंस्ट्रक्शन फ्लैट्स बुक किए हुए हैं। स्थिति उस वक्त और मुश्किल हो गई, जब बिल्डर्स ने कॉल करके ग्राहकों से पूरा पैसा चुकाने को कहा, ताकि बढ़ी हुई टैक्स दर से बचा जा सके। लोगों का संदेह मिटाने के लिए सेंट्रल बोर्ड अॉफ एक्साइज एंड कस्टमस ने समय-समय पर कई तरह के सर्कुलर्स जारी किए हैं।

कब से जीएसटी लागू होता है?

जब कोई कॉम्पलेक्स, बिल्डिंग या फ्लैट पूरा होने से पहले ही बेचा जाता है और विचार पूर्ण या आंशिक रूप में, पूरा होने से पहले हासिल किया जाता है। इसलिए अगर आपने फ्लैट बुक भी कर लिेया है, जहां बिल्डर आपको पोजेशन के बाद सिर्फ एक परसेंट या बहुत ही मामूली भुगतान व बैलेंस का भुगतान करने को कहता है फिर भी आपको पूरी राशि पर जीएसटी चुकाना होगा। इसके उलट, अगर बिल्डिंग पूरी होने के बाद बिक्री विचार का भुगतान किया जाता है तो जीएसटी नहीं चुकाना होगा। जीएसटी के तहत मौजूदा कानून इसके लागू होने के पहले के सर्विस टैक्स जैसा ही है।

अगर थोड़ी राशि का जीएसटी लागू होने से पहले भुगतान कर दिया गया है तो?

अगर राशि का कुछ हिस्सा जीएसटी लागू होने से पहले चुका दिया गया है तो आपको एेसे भुगतान पर अपने राज्य में लागू होने वाला वैट और 4.50 प्रतिशत सर्विस टैक्स चुकाना होगा। हालांकि 4.50 प्रतिशत सर्विस टैक्स की दर कंपोजिट स्कीम के तहत थी। इसमें बिल्डर्स जो मटीरियल और सर्विसेज इस्तेमाल करते थे, उस पर वे इनपुट क्रेडिट नहीं ले सकते थे। इसलिए पूरा सर्विस टैक्स और वैट कस्टमर्स से वसूला जाता था। 1 जुलाई 2017 से पहले बुक हुए अंडर कंस्ट्रक्शन फ्लैट्स, जिसमें भुगतान जीएसटी लागू होने से पहले किया गया है, में बिल्डर पहले ही सर्विस टैक्स और वैट वसूल चुका है। यह इन्हीं भुगतान की हुई राशि पर लागू होगा। अगर पेमेंट 1 जुलाई, 2017 से पहले नहीं किया गया था, लेकिन बिल्डर ने पूरी या कुछ राशि के लिए मांग कर दी थी तो आप उस पर सर्विस टैक्स और वैट का भुगतान करेंगे। क्योंकि सर्विस टैक्स के मामले में लागू टैक्सेशन नियम 2011 के मुताबिक, सर्विस टैक्स या तो भुगतान के वक्त या इनवॉयस जुटाते वक्त लगाया जा सकता है।
अंडर-कंस्ट्रक्शन प्रॉपर्टी पर जीएसटी का रेट 18 प्रतिशत है। हालांकि एक-तिहाई बिक्री विचार को उस मामले में भूमि की लागत की कीमत माना जाता है, जिसमें जमीन का हित भी हस्तांतरित होने की उम्मीद है। इसलिए प्रभावी रूप से एेसे मामलों में जीएसटी की दर 12 प्रतिशत है। भले ही अंडर-कंस्ट्रक्शन प्रॉपर्टी पर 12 प्रतिशत की दर ज्यादा लगती है, लेकिन विभिन्न कारणों से कस्टमर की लागत को कम माना जाता है। इसमें से एक कारण है कि यह अन्य टैक्स की जगह ले लेगा, जिसमें वैट, सर्विस टैक्स, एंट्री टैक्स इत्यादि शामिल हैं। दूसरा इन सभी टैक्स का असर और मटीरियल पर ज्यादा एक्साइज की दरों के अलावा सर्विस टैक्स और वैट की कंपोजिट स्कीम के पुराने सिस्टम को ध्यान में रखते हुए सेवाओं की लेवी पर बिल्डर को कोई इनपुट क्रेडिट नहीं मिलता था। इसका मतलब ज्यादा टैक्स था। चूंकि बिल्डर्स/डिवेलपर्स 12 प्रतिशत की जीएसटी देयता पर इनपुट टैक्स क्रेडिट का फायदा नहीं उठा पाएंगे, जिस वजह से मौजूदा जीएसटी शासन में कुल मुनाफा कम होगा। जिन मामलों में जमीन का स्वामित्व शामिल नहीं होता, वहां लागू जीएसटी की दर 18 प्रतिशत है। उदाहरण के तौर पर एेसे मामले जहां बिल्डर निर्माण के लिए किसी अन्य कॉन्ट्रैक्टर को आउटसोर्स करते हैं।
इसलिए शेष विचार के लिए, जिसका भुगतान नहीं हुआ और जिसके लिए बिल्डर ने इनवॉयस की मांग भी नहीं की, बिल्डर बकाया राशि पर 12 प्रतिशत जीएसटी की दर से वसूली करेगा। जीएसटी के नियमों के मुताबिक बिल्डर मटीरियल और सर्विसेज पर इनपुट क्रेडिट क्लेम करने की स्थिति में होगा और उसका फायदा फ्लैट खरीददार को देगा। इसलिए जीएसटी के तहत फायदों को ध्यान में रखे बिना बिल्डर्स को फ्लैट खरीददारों से पूरा 12 प्रतिशत नहीं मांगना चाहिए। हालांकि अगर बिल्डर एेसा करता है तो प्रशासन उसके खिलाफ जीएसटी कानून के प्रावधानों के तहत एक्शन ले सकता है।

क्या होगा अगर पूरा पैसा जीएसटी लागू होने से पहले दे दिया गया है, लेकिन कंस्ट्रक्शन जीएसटी लागू होने के बाद पूरी हुई है?

अगर पूरा पैसा जीएसटी के लागू होने से पहले ही दे दिया गया है या इनवॉयर की मांग का भी भुगतान किया जा चुका है तो आपने अग्रीमेंट की फुल वैल्यू पर सर्विस टैक्स चुका दिया है। इसलिए अगर निर्माण जीएसटी के लागू होने की तारीख (30-6-2017) के बाद हुआ है तो आपकी जीएसटी कानून के तहत आगे के लिए कोई टैक्स देयता नहीं है, क्योंकि जीएसटी में पहले के सर्विस टैक्स और वैट समाहित हो चुके हैं।
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