उच्च-शिक्षित कामकाजी महिला को गुजारा भत्ता नहीं: दिल्ली हाई कोर्ट

उच्च-शिक्षित कामकाजी महिलाओं को गुजारा भत्ता मांगने का कोई अधिकार नहीं, जबकि उनका पति उनसे कम शिक्षित हों

September 15, 2023: एक महत्वपूर्ण मामले में दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा यह कहा गया कि वह महिला जो अपने पति से अधिक शिक्षित हो, और विवाह के समय नौकरी भी कर रही हो, उसे अपने पति से भरण-पोषण माँगने का अधिकार नहीं होगा।  यह आदेश फैमिली कोर्ट के एक आदेश के विरुद्ध दाखिल की गई एक अपील के निस्तारण में दिल्ली हाई कोर्ट ने दिया।  कोर्ट ने यह भी साफ़ किया कि इस स्थिति में हिन्दू मेरेज एक्ट की धारा 24 के तहत गुजारा भत्ता मिलने का कोई प्रावधान नही है.

प्रस्तुत मामले में पत्नी का विवाह वर्ष 2014 में हुआ, किन्तु आपसी मतभेद के चलते दोनो ने हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 13(A) के तहत आपसी सहमति से तलाक का मुकदमा भी दाखिल कर दिया। हालाँकि तब तक पत्नी नौकरी कर रही थी, उसने 22/5/2015 को अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया तथा तलाक के मुकदमे को आपसी सहमति से वापस ले लिया।  जल्दी ही, पुलिस को दिनांक 06/05/2016 को एक शिकायती प्रार्थना पत्र दिया गया कि दोनों पक्ष मे आपसी ताल-मेल नहीं बन रहा है। 

दिनांक 24/05/2016 को पति द्वारा हिन्दू मेरेज एक्ट की धारा 13 (1) के माध्यम से दाखिल किया गया।  इसी दौरान पत्नी द्वारा हिन्दू मेरेज एक्ट की धारा 24 के तहत दाखिल किया गया, जिसे फैमिली कोर्ट ने खारिज कर दिया।  इसी आदेश के विरुद्ध दाखिल अपील मे हाईकोर्ट के समक्ष यह तथ्य आया कि पत्नी शादी के समय तक एम फिल कर चुकी थी, और Ph.D कर रही थी तथा कम्प्यूटर की दक्षता भी रखती थी।  

कोर्ट ने कहा कि शादी के समय पत्नी कामकाजी महिला थी, और १२,000 प्रतिमाह कमा रही थी तथा पत्नी ने अपनी नौकरी 22/5/2015 को ऑफिस न पहुंच पाने के कारण छोड़ी है। कोर्ट ने साफ किया कि पत्नी उच्च-शिक्षित होने के साथ-साथ तब से काम काजी रही थी जब उसका विवाह भी नहीं हुआ था। पति द्वारा बताया गया कि पत्नी दिल्ली के कनॉट प्लेस में एक मेंबर ऑफ पार्लियामेन्ट के आफिस में काम करती थी। उसका यह कहना कि वह बेरोजगार है, गलत होगा।  

कोर्ट ने पत्नी के कथन को भी ध्यान में रखते हुए कहा कि फैमिली कोर्ट ने बहुत ध्यानपूर्वक विचार किया कि अगर ऐसा मान भी ले कि पत्नी कोई काम नहीं करती है या वह कोई काम चेरिटी के लिए भी कर रही हो पैसा उसने कहा है। कोर्ट ने कहा कि वह यह साबित करने में असमर्थ रही है। कोर्ट ने आगे यह भी कहा की इसका बिलकुल भी ये मतलब नहीं निकला जाना चाहिए कि अगर कोई महिला ज़्यादा पढ़ी-लिखी हुई है तो उसे काम करने के लिए बाध्य किया जा सकता है। लेकिन अगर उसमें आमदनी कमाने की क्षमता है, तो उसका अपने से कम पढ़े-लिखे पति से मेंटेनेंस माँगने का कोई औचित्य नहीं है।   

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