मैसूर पैलेस भारत के सबसे ऐतिहासिक और मशहूर स्थलों में से एक है. यह कर्नाटक की शान है और वाडियार वंश का आधिकारिक निवास है, जो पहले मैसूर साम्राज्य था. यह शहर के बीचोबीच स्थित है और पूर्व में इसके चामुंडी पहाड़ी है. मैसूर को महलों का शहर कहा जाता है और यह पैलेस पुराने किले के अंदर है.
(Gate of the Mysore Palace. Source: Shutterstock)
चामराजपुरा के आगराहारा में सयाजी राव रोड पर बसे मैसूर पैलेस उस भूमि पर स्थित है, जिसे मूल रूप से गढ़ या पुरागिरी कहा जाता था. अब इसे पुराना किला कहा जाता है.
पुराने किले में यदुराय ने पहला महल 14वीं सदी में बनवाया था, जिसे कई बार तोड़ा और बनाया गया. पुराने महल के जलने और नष्ट होने के बाद वर्तमान इमारत 1897 और 1912 के बीच बनाई गई थी. ताजमहल के बाद मैसूर पैलेस देश का मशहूर पर्यटक स्थल है और लाखों पर्यटक हर साल इस अद्भुत वास्तुकला को देखने आते हैं. यह करीब 72 एकड़ में फैला हुआ है और इसमें चार मेहराब द्वार हैं.
मैसूर पैलेस की कीमत
ऐसी कमाल की इमारत की कीमत का अंदाजा लगाना बेहद मुश्किल है. एक एकड़ के बराबर 43,560 वर्ग फुट में, यह पूरी प्रॉपर्टी विशालकाय 31,36,320 स्क्वेयर फुट में फैली हुई है. अगर सयाजी राव रोड पर मौजूदा मार्केट रेट्स के हिसाब से देखें तो यह करीब 10000 रुपये है (हालांकि इतिहास, कल्चर, टूरिज्म, रॉयल स्टेटस को देखते हुए इमारत की कीमत कहीं ज्यादा होगी) और कीमत करीब 3,136.32 करोड़ रुपये हो सकती है.

(Side view of the Mysore Palace and lawns. Source: Shutterstock)
मैसूर पैलेस: निर्माण और वास्तुकला
साल 1896 में पुराना महल दशहरा के त्योहार के समय आग में जल गया था. इसके बाद महाराजा कृष्णराज वोडेयार चतुर्थ और उनकी मां महारानी केपनपंजमन्नी देवी ने नया महल बनाने का काम ब्रिटिश वास्तुकार हेनरी इरविन को सौंपा. इसके बाद रॉयल फैमिली पास के जगनमोहन पैलेस में रहने लगी. इसे बनाने में तब 41,47,913 रुपये का खर्च आया था और काम 1912 में पूरा हुआ. साल 1930 में पैलेस का विस्तार किया गया और महाराजा जयचामाराजेंद्र वाडियार के शासनकाल में मौजूदा पब्लिक दरबार हॉल उसमें जोड़ा गया.

(Interiors of the Mysore Palace. Source: Shutterstock)
महल के गुंबद राजपूत, हिंदू, मुगल और गोथिक डिजाइन शैलियों के संयोजन के साथ इंडो-सारासेनिक शैली को दर्शाते हैं. तीन मंजिला इमारत में 145 फुट ऊंचे मार्बल के गुंबद, पांच मंजिला टावर और आसपास बगीचे हैं. मेहराब और प्रवेश द्वार में मैसूर साम्राज्य का प्रतीक लगा हुआ है. आदर्श वाक्य यहां संस्कृत में लिखा गया है. केंद्रीय परिसर की चौड़ाई 156 फीट और लंबाई 245 फीट है. महल के हर हिस्से में अग्निशमन यंत्र लगे हुए हैं. यहां तीन एंट्रेंस हैं, जिनके नाम ईस्ट गेट, साउथ एंट्रेंस और वेस्ट एंट्रेंस हैं.

(A view of the domes of the Mysore Palace. Source: Shutterstock)
पत्थर की इमारत ग्रे ग्रेनाइट और गुलाबी संगमरमर के गुंबदों के साथ अच्छी तरह से जड़ी हुई है और अग्रभाग में मुख्य मेहराब के आसपास कई छोटे मेहराब हैं, जिनके पीछे लंबे और राजसी मेहराब हैं. केंद्रीय मेहराब के ऊपर हाथियों के साथ धन, वैभव, ऐश्वर्य और समृद्धि की देवी लक्ष्मी की मूर्ति है. महल के मध्य में भवन के भीतर पुराने किले के परिसर में 18 के साथ तीन मंदिर भवन हैं.

(A temple inside the Mysore Palace compound. Source: Shutterstock)
महल का निर्माण परकला मठ के प्राचीन मुख्यालय के बगल में किया गया है, जहां नेता हमेशा राजगुरु या शाही गाइड / मैसूर के राजाओं के शिक्षक रहे हैं. राजा देवी चामुंडी के भक्त रहे हैं इसलिए इस महल का मुख चामुंडी पहाड़ी की तरफ है. महल के अंदर कई बिल्डिंग्स, गार्डन्स और प्रांगण के अलावा दो दरबार हॉल हैं.
मैसूर पैलेस के दिलचस्प तथ्य
आइए आपको मैसूर पैलेस से जुड़े कुछ अहम तथ्य बताते हैं:
-अब इसे म्यूजियम का रूप दे दिया गया है, जिसमें पेटिंग्स, स्मारिका, शाही वेशभूषा और वोडेयार राजवंश के आभूषण रखे गए हैं.
-रिपोर्ट्स के मुताबिक इस महल में सबसे ज्यादा सोने की चीजों का संग्रह है (मात्रा के लिहाज से)
-सोने का राजसी हाथी का सिंहासन, कल्याण मंडप (शादी का हॉल) और दरबार हॉल आकर्षण का मुख्य केंद्र हैं.
-एंट्री एक शानदार गैलरी से है, जिसमें अन्य समारोह आइटम्स के अलावा कई यूरोपीय और भारतीय मूर्तियां रखी हुई हैं.
-एलिफेंट गेट महल के मध्य जाने का मुख्य रास्ता है और इसमें मैसूर का राजसी चिह्न लगा है (दो मुखों वाला ईगल). सोने का हाथी का सिंहासन उत्तर की ओर है, जो (24 कैरेट) 84 किलोग्राम सोने से जड़ा है.
-कल्याण मंडप तक जाने वाली दीवारों पर सजावट के लिए ऑयल पेंटिंग्स लगी हुई हैं.
-इन पेंटिंग्स का अहम पहलू ये है कि इन्हें किसी भी दिशा से देखा जाए तो ये एक ही दिशा में नजर आती हैं.
-हॉल के अंदर विशाल झूमर, विभिन्न रंग वाले शीशे और मोर के डिजाइन्स हैं. इस दरबार हॉल में गोल्ड पेंटेड पिलर्स और छत हैं. इसके अलावा कई नामी चित्रकारों की दुर्लभ पेंटिंग्स लगी हुई हैं.

(Interior of the Mysore Palace. Source: Shutterstock)
-हॉल में एक मंदिर है, जो देवी चामुंडेश्वरी को समर्पित है. यहां से चामुंडी पहाड़ी का शानदार दृश्य दिखाई देता है.
-यहां के म्यूजियम में टीपू सुल्तान की तलवार और राजा रवि वर्मा की पेंटिंग्स भी रखी है.
-रिपोर्ट्स के मुताबिक रत्न जड़ित सिंहासन का ताल्लुक पांडवों से है.
-10 दिन के दशहरे महोत्सव के दौरान मैसूर पैलेस जगमगा उठता है. यह परंपरा 15वीं सदी से चली आ रही है. उत्सव के समय पर इस महल को 1 लाख बल्ब से सजाया जाता है.
-रविवार और सार्वजनिक अवकाश के अलावा हर शाम यहां 45 मिनट का लाइट एंड साउंड शो होता है.
-महल के नीचे कई सुरंग हैं, जिसमें तहखाना भी शामिल है, जो टीपू सुल्तान, श्रीरंगपट्टन और अन्य महलों के समर पैलेस तक जाते हैं.

(The Mysore Palace lit up in the evening. Source: Shutterstock)
पूछे जाने वाले सवाल
मैसूर पैलेस कहां स्थित है?
मैसूर पैलेस चामराजपुरा के अग्रहारा में सयाजी राव रोड के साथ स्थित है.
नए मैसूर पैलेस को किसने बनवाया था?
महाराजा कृष्णराज वोडेयार IV ने नए मैसूर पैलेस के निर्माण का काम शुरू किया था.
मैसूर पैलेस के वास्तुकार कौन हैं?
पुराना महल आग में जल जाने के बाद ब्रिटिश वास्तुकार हेनरी इरविन को नया महल बनाने का काम सौंपा गया था.