2023 में नवरात्रि घटस्थापना का शुभ मुहूर्त, तरीका और सरल पूजा विधि

नवरात्रि घटस्थापना का उद्देश्य मां दुर्गा की पूजा के माध्यम से शक्ति और शुभता की प्राप्ति करना होता है।

नवरात्रि घटस्थापना या शारदीय नवरात्रि भारतीय संस्कृति में एक प्रमुख धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सव है। यह उत्सव वर्षा ऋतु के अंत के बाद शुरू होता है और नवरात्रि के दौरान देवी दुर्गा की पूजा की जाती है। यह उत्सव नौ दिनों तक चलता है, जिसमें मां दुर्गा और उनकी अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है।

नवरात्रि की घटस्थापना में एक छोटा सा मंडप बनाया जाता है, जिसे देवी का निवास स्थान माना जाता है। मंडप में देवी दुर्गा की मूर्ति रखी जाती है, और उसे नौ दिनों तक पूजा जाता है। इसके साथ ही, नौ अलग-अलग रूपों की मूर्तियाँ भी रखी जाती हैं, जैसे शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री। इन रूपों की पूजा नवरात्रि के नौ दिनों में अलग-अलग दिनों पर की जाती है।

नवरात्रि घटस्थापना का उद्देश्य मां दुर्गा की पूजा के माध्यम से शक्ति और शुभता की प्राप्ति करना होता है। इस अवसर पर माता रानी की कृपा के लिए आराधना और पूजा की जाती है और साथ ही आपसी एकता, सामरिकता और प्रेम को स्थापित किया जाता है। यह उत्सव हमें देवी शक्ति की महत्वपूर्णता का आभास कराता है और सामाजिक संरचना में समर्पण और सहयोग का संकेत देता है।

 

नवरात्रि कलश स्थापना का सबसे शुभ मुहूर्त (auspicious timing) 2023:

दिनांक: 6 अक्टूबर 2023, शुक्रवार

सबसे शुभ मुहूर्त: प्रातः 6:16 बजे से 7:01 बजे तक

प्रभावशाली मुहूर्त: प्रातः 10:23 बजे से 11:08 बजे तक

सामान्य मुहूर्त: प्रातः 7:01 बजे से 8:45 बजे तक

 

यह मुहूर्त भारतीय पंचांग और हिंदू धर्म के प्रमाणित पुस्तकों के आधार पर निर्धारित किए जाते हैं। इसके अलावा भी आप अपने स्थानीय पंडित या ज्योतिषाचार्य से विशेष सलाह ले सकते हैं। उनकी सलाह के अनुसार आपको स्थापना का सबसे शुभ मुहूर्त निर्धारित कर सकते हैं। इस मुहूर्त के दौरान नवरात्रि की कलश स्थापना करके मां दुर्गा की पूजा का आरंभ किया जाता है।

 

घट  स्थापना  का तरीका और पूजा विधि

नवरात्रि के आगमन के साथ ही नवरात्रि कलश स्थापना का अवसर आता है। यह घट के माध्यम से मां दुर्गा का आवाहन किया जाता है और नवरात्रि के नौ दिनों तक उनकी पूजा की जाती है। इस अवसर पर कलश स्थापना करने का विशेष महत्व होता है। यह विधि निम्न रूप में होती है:

  • प्रथम तो, एक शुभ मुहूर्त पर घर के पूजा स्थान पर कलश रखें। आपके पास एक साफ और प्याले के रूप में उपयुक्त कलश होना चाहिए।
  • कलश को पूजा स्थान पर रखें और उसमें गंगा जल, गंध, अक्षत, सुपारी, नारियल, अर्थी, मूंग, रोली, चावल, धूप, दीप, फूल आदि के आपूर्ति करें।
  • उपरोक्त सामग्री के साथ ही कलश को आप्त पुष्प या माला से सजाएं। कलश के ओर राख के पंख बांधें और उसे चन्दन चढ़ाएं।
  • अब, कलश के ऊपर एक स्वस्तिक चिह्न बनाएं। स्वस्तिक के आकार को लाल रंग से बनाएं और उसे धूप और दीप से पूजें।
  • पूजा के बाद, कलश को अपने पुत्र-कन्या के नामों से प्रस्तुत करें। उनके नामों को चावल के दाने के साथ लिखें और कलश में डालें।
  • इसके बाद, आरती के साथ मां दुर्गा की पूजा करें और मंगलाचरण गाएं। धूप, दीप, पुष्प और प्रसाद के रूप में मां को अर्पित करें।
  • नवरात्रि के नौ दिनों तक, इस कलश की पूजा करते रहें और मां दुर्गा का आशीर्वाद लें।

नवरात्रि कलश स्थापना का यह विधि आपको मां दुर्गा के आशीर्वाद के नजदीक लेकर जाएगी और आपको खुशहाली और समृद्धि की प्राप्ति में सहायता करेगी।

कलश स्थापना: ध्यान देने वाली बातें

मान्यता है कि रात के समय और अमावस्या के दिन कलश को स्थापित नहीं करना चाहिए। किसी वजह से अगर आप निर्धारित समय पर कलश स्थापना न कर सकें तो आप अभिजीत मुहूर्त या सुबह के समय में कलश स्थापना करें।

 

नवरात्रि पूजा में ध्यान देने योग्य बातें:

  • सात्विक आहार: नवरात्रि के दौरान सात्विक आहार का सेवन करें, जैसे कि फल, सब्जियां, दाल, अन्न, दूध, दही आदि। त्यागी भोजन करें और अन्य उपवासी भोजन विकल्पों का पालन करें।
  • व्रत की विधि: नवरात्रि के नौ दिनों तक व्रत रखें और मां दुर्गा की पूजा करें। व्रत रखने के लिए अपनी इच्छा और समर्पणा के साथ मां की आराधना करें।
  • मन्त्र जाप: मां दुर्गा के मंत्र का जाप करें और उनकी कृपा और आशीर्वाद के लिए उनकी स्मरणा में रहें। “ॐ दुं दुर्गायै नमः” और “सर्वमंगलमांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते” जैसे मंत्रों का जाप कर सकते हैं।
  • आरती और भजन: मां दुर्गा की आरती और भजन गाएं और उन्हें फूल आदि समर्पित करें। यह आपको आध्यात्मिक और मानसिक शांति प्रदान करेगा।
  • प्रशास्त्रीय सलाह: नवरात्रि पूजा के लिए पंडित या ज्योतिषाचार्य से सलाह ले सकते हैं। उनके मार्गदर्शन में आपको व्रत, पूजा, और अनुष्ठान के बारे में अधिक जानकारी मिलेगी।
  • सेवा और दान: नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा की सेवा करें और अन्य लोगों की सहायता के लिए दान करें। यह आपको सात्विकता और समर्पणा की भावना देगा।
  • ध्यान और अध्ययन: नवरात्रि के दौरान ध्यान और अध्ययन में समय दें। मां दुर्गा की आराधना के साथ संयम, ध्यान, और आत्मानुभव की अभ्यास करें।

 

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