देश के ग्रामीण हिस्सों में बेहतर कनेक्टिविटी और पहुंच देश के समग्र आर्थिक विकास के लिए आवश्यक है। यह सामानों के बेहतर वितरण और सेवाओं, सुविधाओं और रोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए रास्ता खोलता है। इससे ग्रामीण आबादी के सामाजिक-आर्थिक विकास में मदद मिलती है। ग्रामीण क्षेत्रों के योजनाबद्ध विकास के सन्दर्भ में ग्रामीण सड़कों के विकास पर सरकार का फोकस है। पीएमजीएसवाई (प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना) भारत में ग्रामीण सड़कों के विकास के लिए केंद्र सरकार का एक प्रमुख कार्यक्रम है।
हाल ही में हरियाणा प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के फेज-I और फेज-II के तहत सभी कार्यों को पूरा करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है। राज्य ने वित्तीय वर्ष 2020-21 के अंत तक पीएमजीएसवाई के तहत 1,000 किलोमीटर लंबी ग्रामीण सड़क बनाने की योजना बनाई थी। हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा था कि राज्य को आठ जिलों में सड़कें बनाने के लिए फंड मिला है और बाकी 14 जिलों के लिए मंजूरी का इंतजार है।
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के बारे में
पीएमजीएसवाई केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित योजना है, जिसे दिसंबर 2000 में शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य राज्यों को दुर्गम बस्तियों में पक्की सड़क नेटवर्क के निर्माण में मदद करना है। इसे गरीबी दूर करने के कदम के रूप में परिकल्पित किया गया था। साथ ही, ग्रामीण सड़क नेटवर्क के सतत प्रबंधन को सुनिश्चित करने के लिए उच्च तकनीकी और प्रबंधन मानकों (मैनेजमेंट स्टैंडर्ड) को स्थापित करने और राज्य स्तरीय नीति विकास की योजना बनाई गई थी। यह योजना केवल ग्रामीण क्षेत्रों को कवर करती है और शहरी सड़कों को पीएमजीएसवाई कार्यक्रम के दायरे से बाहर रखा गया है।
पीएमजीएसवाई के लिए पात्रता
पीएमजीएसवाई का मूल उद्देश्य उन सड़कों को तरजीह देना है जहाँ बड़ी आबादी रहती है – मैदानी क्षेत्रों में 500 या उससे अधिक की आबादी (2001 की जनगणना के अनुसार) और पहाड़ी राज्यों, आदिवासी और रेगिस्तानी इलाके में 250 या अधिक की आबादी। पीएमजीएसवाई इन पात्र दुर्गम बस्तियों को कनेक्टिविटी प्रदान करती है।
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प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना का विवरण
- राज्य सरकारों के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, कार्यक्रम के कोर नेटवर्क की पहचान करने के लिए एक सर्वेक्षण में लगभग 1.67 लाख बिना कनेक्टिविटी वाली बस्तियां प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत कवरेज के लिए पात्र हैं। इसमें नई कनेक्टिविटी के लिए लगभग 3.71 लाख किलोमीटर की सड़कों का निर्माण और 3.68 लाख किलोमीटर की सड़कों को अपग्रेड करना शामिल है।
- कोर नेटवर्क सभी पात्र बस्तियों के लिए सामाजिक और आर्थिक सेवाओं तक बुनियादी पहुंच प्रदान करने के लिए आवश्यक सभी ग्रामीण सड़कों का नेटवर्क है।
- इस योजना के तहत, किसी बस्ती को केवल एक ही सड़क कनेक्टिविटी दी जाएगी और अगर वह क्षेत्र पहले से ही पक्की सड़क से जुड़ा हुआ है, तो उस बस्ती के लिए कोई नई सड़क नहीं बनाई जा सकती है। पक्की सड़क का मतलब वो सड़क है जिसका इस्तेमाल सभी मौसमों में किया जा सकता है।
- पीएमजीएसवाई के तहत विकसित ग्रामीण सड़कें भारतीय सड़क कांग्रेस के प्रावधानों के अनुसार होंगी, जैसा कि ग्रामीण सड़क नियमावली में दिया गया है।
राज्यों द्वारा दिए गए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) के आधार पर ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत कार्यों को मंजूरी दी जाती है।
फेज- I के लिए पीएमजीएसवाई टेंडर
पहले फेज के तहत मुख्य फोकस नई कनेक्टिविटी विकसित करना और नई सड़कों का निर्माण करना था। इसके अलावा, फेज 1 के तहत लगभग 2,25,000 किलोमीटर ग्रामीण सड़कें अपग्रेड के लिए पात्र हो गई।
पीएमजीएसवाई फेज- II
सरकार ने 2013 में पीएमजीएसवाई II को लॉन्च करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। फेज- II के तहत, गांवों को जोड़ने के लिए 50,000 किलोमीटर तक सड़कों को अपग्रेड किया गया था। अपग्रेड करने के खर्च का 75% केंद्र द्वारा और 25% राज्यों द्वारा वहन किया जाना था।
पीएमजीएसवाई फेज- III
कार्यक्रम के फेज- III को जुलाई 2019 में केंद्रीय कैबिनेट से मंजूरी मिली। इसके तहत पूरे भारत में 1.25 लाख किलोमीटर तक फैली सड़कों को चौड़ा करने और फिर से बनाने पर फोकस किया गया, जिससे गांवों, अस्पतालों, स्कूलों और ग्रामीण कृषि बाजारों से कनेक्टिविटी में सुधार हुआ। इन सड़कों के निर्माण में प्लास्टिक कचरे का इस्तेमाल एक प्रमुख विशेषता थी। फेज- III की अवधि 2024-25 के लिए निर्धारित की गई थी। 80,250 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत केंद्र और राज्यों के बीच 60:40 के अनुपात में साझा की जाएगी, जबकि आठ पूर्वोत्तर और तीन हिमालयी राज्यों के लिए अनुपात 90:10 होगा।
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OMMAS पीएमजीएसवाई ऑनलाइन
लक्ष्यों की पहचान करने और सड़क बनाने के सभी चरणों की प्रगति पर नजर रखने के लिए ऑनलाइन प्रबंधन, निगरानी और लेखा प्रणाली (अकाउंटिंग सिस्टम) या OMMAS जीआईएस प्रणाली बनाई गई है। सिस्टम में ई-पेमेंट और विस्तृत रिपोर्ट जैसी एडवांस विशेषताएं हैं।
ग्रामीण विकास मंत्रालय ने एक मोबाइल ऐप लॉन्च करके डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के तहत ई-गवर्नेंस पहल की शुरुआत की है। इससे किसी को शिकायत दर्ज करने या किए जा रहे काम के बारे में अपनी फीडबैक देने की सुविधा मिलेगी।
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पीएमजीएसवाई: ताजा खबर
2019 में सरकार ने कहा कि प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत सभी पात्र और जहाँ संभव हो उन बस्तियों में से लगभग 97% को पक्की सड़कों से जोड़ा गया है।
हरियाणा ने पहले चरण के तहत 426 सड़कों और दूसरे चरण के तहत 88 सड़कों का निर्माण पूरा कर लिया है, जिसमें 18 पुलों का निर्माण भी शामिल है। सिरसा जिले में 131 किलोमीटर की सड़कों के लिए केंद्र से मंजूरी मिल गई है।
राज्य में सड़क नेटवर्क को मजबूत करने और यातायात में सुधार लाने के लिए हरियाणा सरकार तीसरे चरण के तहत लगभग 688 किलोमीटर की कुल लंबाई वाली 83 सड़कों को अपग्रेड करने के लिए 383.58 करोड़ रुपये खर्च करेगी। अब तक 200 किलोमीटर का काम पूरा हो चुका है और शेष वित्तीय वर्ष 2021-22 के अंत तक पूरा हो जाएगा।
हरियाणा भी दो सड़क परियोजनाएं लेकर आ रहा है जिसमें डबवाली से जींद होते हुए आगरा तक प्रस्तावित मार्ग और हिसार से कुंडली-मानेसर पलवल होते हुए तोशाम, महेंद्रगढ़ और रेवाड़ी तक एक अन्य मार्ग शामिल है। इन निर्माणों की योजना राज्य में पूर्व-पश्चिम सड़क कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने के लिए बनाई गई है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
पीएमजीएसवाई का फुल फॉर्म क्या है?
पीएमजीएसवाई योजना का फुल फॉर्म प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना है। यह भारत सरकार द्वारा 100% केंद्र प्रायोजित योजना है, जो बिना कनेक्टिविटी वाली बस्तियों को पक्की सड़क कनेक्टिविटी प्रदान करती है।
पीएमजीएसवाई OMMAS क्या है?
OMMAS पीएमजीएसवाई कार्यक्रम की प्रगति पर नज़र रखने के लिए बनाई गई ऑनलाइन प्रबंधन, निगरानी और लेखा प्रणाली (ऑनलाइन मैनेजमेंट, मॉनिटरिंग और अकाउंटिंग सिस्टम) है। नागरिक http://oms.nic.in/ वेबसाइट पर जाकर जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।