कंप्यूटर आ जाने के बाद हर शख्स का पैन (परमानेंट अकाउंट नंबर) कई वित्तीय और गैर-वित्तीय लेनदेन के लिए अहम दस्तावेज बन गया है। प्रॉपर्टी बेचने, खरीदने या लीज पर देने के लिए भी यह उतना ही जरूरी है।
प्रॉपर्टी खरीदने के लिेए:
अगर आप भारत के नागरिक हैं और कृषि भूमि को छोड़कर एक अचल संपत्ति खरीदते हैं, जिसकी कीमत 50 लाख से ज्यादा है तो बिल्डर या विक्रेता को पेमेंट करते वक्त 1 प्रतिशत टैक्स चुकाना पड़ता है। आमतौर पर टीडीएस जमा करने (स्रोत पर टैक्स कटौती) के लिए आपके पास TAN (tax deduction account number) होना चाहिए। हालांकि अचल संपत्ति की खरीद पर टैक्स कटौती सभी करदाताओं पर लागू होती है, लिहाजा कानून व्यक्तिगत करदाताओं को टीएएन की जरूरत से छूट देता है। लेकिन इसकी जगह आपके पास टीडीएस भरने के लिए एक वैध पैन कार्ड होना चाहिए। यह एेसे मामलों में भी लागू होता है, जहां आपकी आय इनकम टैक्स के दायरे में नहीं आती और इनकम टैक्स रिटर्न्स भी फाइल नहीं करना पड़ता। मौजूदा कानून के मुताबिक, एेसे मामलों में विक्रेता को पैन कार्ड आपको दिखाना चाहिए। अगर विक्रेता एेसा नहीं करता तो आपको निर्धारित 1% की बजाय 20% की दर से टैक्स कटौती करनी चाहिए।
किराए से आय के संबंध में टीडीएस के लिए क्रेडिट पाने पर:
कानून के मुताबिक अगर कोई शख्स अचल संपत्ति (चाहे वह जमीन हो, मकान हो, कमर्शियल प्रॉपर्टी हो या फैक्टरी) के लिए किराया चुका रहा है और सालाना किराया 1.80 लाख से ज्यादा है तो वह किराये से स्रोत पर 10 प्रतिशत की दर से टैक्स कटौती कर सकता है। अगर मकानमालिक अपना पैन कार्ड मुहैया नहीं कराता तो किरायेदार किराये से 20 प्रतिशत की दर से टैक्स कटौती कर सकता है। इसके अलावा अगर पैन कार्ड मुहैया नहीं कराया जाता तो मकानमालिक को टीडीएस के लिए क्रेडिट नहीं मिलेगा। इसलिेए अगर मकानमालिक पैन कार्ड मुहैया नहीं कराता तो उसको दोहरी मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। पहला 10 प्रतिशत की जगह 20 प्रतिशत की दर से टैक्स कटौती होगी। दूसरा मकानमालिक को 20 प्रतिशत टीडीएस के लिए क्रेडिट भी नहीं मिलेगा। कानून के मुताबिक अगर कटौती करने वाले को पैन कार्ड नहीं दिखाया जाता तो 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है।
स्रोत पर टैक्स कटौती के बिना हासिल की गई आय:
कानून आपको स्रोत पर टैक्स कटौती के बिना किराये की आय का लुत्फ उठाने का पूरा मौका देता है। मगर इसके लिए कुछ शर्तें हैं। अगर आपकी उम्र 60 वर्ष से कम है तो फॉर्म नंबर 15जी और सीनियर सिटीजन्स को फॉर्म नंबर 15एच भरना होगा। अगर पैन नंबर मुहैया नहीं कराया गया है तो फॉर्म 15जी और 15एच अवैध माने जाएंगे। नतीजन आय का भुगतानकर्ता किराए पर 20% की ऊंची दर पर टैक्स घटाएगा। मौजूदा कानून के मुताबिक आप अपने टीडीएस अफसर को सर्टिफिकेट जारी करने के लिए एप्लिकेशन दे सकते हैं। यह सर्टिफिकेट आपको बिना टीडीएस के किराया या 10 प्रतिशत की तुलना में कम दर पर टीडीएस पाने के काबिल बनाएगा। लेकिन यह फॉर्म भी अवैध माना जाएगा, अगर आप सही पैन नहीं भरते।
कुछ लेनदेन के लिए बिक्री या खरीद दस्तावेजों के लिए पैन की जरूरत:
अगर अचल संपत्ति की कीमत 5 लाख को पार कर जाती है तो कानून के मुताबिक खरीददार और विक्रेता के पैन देना अनिवार्य है। दस्तावेजों को रजिस्टर करने वाले रजिस्ट्रार को यह देखना चाहिए कि खरीद या बिक्री के दस्तावेजों पर परमानेंट अकाउंट नंबर हो। अगर आपने पैन नंबर नहीं दिया तो रजिस्ट्रार खरीद या बिक्री के दस्तावेजों को रजिस्टर करने से मना कर सकता है। लेकिन अगर आपके पास पैन नंबर नहीं है तो आप राशन कार्ड, पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस इत्यादि के साथ फॉर्म नंबर 60 जमा कर सकते हैं।