किराये की रसीद जमा करते समय दस्तावेज़ को कानूनी रूप से वैध बनाने के लिए आपको राजस्व टिकट यानी रेवेन्यू स्टांप लगाना जरूरी है। हालाँकि, रेवेन्यू स्टांप की आवश्यकता हो भी सकती है और नहीं भी, यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप अपने मकान मालिक को कितना किराया देते हैं। इस गाइड में हम किराये की रसीद पर रेवेन्यू स्टांप के कानूनी पहलुओं पर नजर डालेंगे और यह भी समझेंगे कि किराये की रसीद पर इसे लगाना किरायेदार के लिए जरूरी है या नहीं।
राजस्व टिकट क्या होते हैं?
भारतीय स्टांप अधिनियम, 1899, के अनुसार, स्टांप का अर्थ है राज्य सरकार द्वारा अधिकृत किसी भी एजेंसी या व्यक्ति द्वारा कोई चिह्न, मुहर या अनुमोदन (एंडॉर्समेंट) और अधिनियम के तहत शुल्क चार्ज करने के लिए चिपकने वाला या छपा हुआ स्टांप।
सरकार कुछ सेवाओं के टैक्स के लिए रेवेन्यू स्टांप जारी करती है। डाक टिकटों जैसे दिखने वाले राजस्व टिकट टैक्स या शुल्क लेने के लिए सरकार द्वारा जारी किए गए एक प्रकार के लेबल हैं और नकदी की रसीदें, टैक्स पेमेंट एक्नॉलेजमेंट, किराये की रसीद, आदि दस्तावेजों में इस्तेमाल होते हैं। राजस्व टिकटों का इस्तेमाल अदालतों के रखरखाव के लिए शुल्क या राजस्व लेने के लिए भी किया जाता है।
Maharashtracivilservice.Org के अनुसार: “कानूनी रूप से स्वीकृत प्रत्येक लेनदेन के लिए सरकार को राजस्व देना अनिवार्य है। पैसे देने और लेने का प्रमाण देने वाली रसीदों या मुख्य दस्तावेजों पर स्टांप लगाने के लिए भी ऐसे राजस्व की आवश्यकता होती है और उसके प्रमाण में रेवेन्यू स्टांप लगाई जाती है। उचित रूप से स्टांप लगी रसीद या लोन दस्तावेज़ या नोट को सादे कागज़ की रसीद की तुलना में कानूनी प्रमाण के रूप में प्रथम दृष्टया स्वीकार्यता में प्राथमिकता मिलती है।”
रेवेन्यू स्टांप: इसकी आवश्यकता कब होती है?
रसीद पर रेवेन्यू स्टांप तब लगाना पड़ता है जब उसमें नोट, ज्ञापन, या लेख शामिल है जैसे:
- पैसे की रसीद, एक्सचेंज का बिल, चेक, या वचन पत्र
- किसी लोन के एवज में चल संपत्ति की स्वीकृति।
- लोन या डिमांड या उसके किसी हिस्से के लिए एक्नॉलेजमेंट, जो चुकाया गया हो।
रेवेन्यू स्टांप कैसे खरीदें?
राजस्व टिकटें स्थानीय डाकघरों से खरीदी जा सकती हैं। रेवेन्यू स्टांप की कीमत 1 रुपये है। आजकल स्थानीय दुकानें और कुछ ऑनलाइन शॉपिंग पोर्टल भी रेवेन्यू स्टांप रखते हैं और उन्हें डाकघरों की तुलना में अधिक कीमत पर बेचते हैं। नकली टिकट मिलने की जोखिम से बचने के लिए इसे डाकघर से खरीदने की सलाह दी जाती है।
क्या किराये की रसीद के लिए रेवेन्यू स्टांप जरूरी है?
अगर मासिक किराया 5,000 रुपये से कम है, तो रेवेन्यू स्टांप की कोई जरूरत नहीं है, भले ही किराया नकद में भुगतान किया गया हो। अगर नकद में भुगतान किया गया मासिक किराया 5,000 रुपये से अधिक है, तो किराए की रसीद पर रेवेन्यू स्टांप लगाना और मकान मालिक हस्ताक्षर अनिवार्य है। अगर किराया चेक से दिया गया है तो आपको किराये की रसीद पर रेवेन्यू स्टांप लगाने की आवश्यकता नहीं है।
किराये की रसीद पर रेवेन्यू स्टांप
अगर आप अपने नियोक्ता से एचआरए लाभ लेना चाहते हैं, तो नियोक्ता को किराए के भुगतान का प्रूफ देना अनिवार्य है। इसके लिए आपको मकान मालिक से किराए की रसीद प्राप्त करनी होगी।
किराये की रसीद का एक निर्धारित प्रारूप होता है, जिसे ठीक से भरना चाहिए। मकान मालिक किरायेदार से किराया लेने के बाद ही किराये की रसीद देता है। अगर किराया ऑनलाइन या चेक से दिया गया है, तो किराये की रसीद पर रेवेन्यू स्टांप की कोई आवश्यकता नहीं है। जब किराये का भुगतान नकद में किया जाता है, तो रेवेन्यू स्टांप के साथ किराये की रसीद लेनदेन को प्रमाणित करने के लिए दस्तावेजी साक्ष्य बन जाती है। यदि मकान मालिक और किरायेदार के बीच कोई कानूनी विवाद है, तो किराए की रसीद को अदालत में सबूत के तौर पर पेश किया जा सकता है।
किराये की रसीद पर रेवेन्यू स्टांप का मूल्य
भारतीय स्टांप अधिनियम, 1899, की अनुसूची-I में संशोधन के अनुसार, यदि नकद भुगतान 5,000 रुपये से अधिक है, तो आपको किराए की रसीद पर 1 रुपये का रेवेन्यू स्टांप लगाना होगा।
किराया रसीद प्रारूप (भरा हुआ)
किराये की रसीद के लिए 1 रुपये का रेवेन्यू स्टांप
रेवेन्यू स्टांप के साथ किराये की रसीद के कॉम्पोनेन्ट
किराये के नकद भुगतान के लिए किराये की रसीद के साथ रेवेन्यू स्टांप चिपकाए जाने पर वैध हो जाती है और इसमें निम्नलिखित जानकारी शामिल होती है:
- किरायेदार का नाम
- मकान मालिक का नाम
- किराये की प्रॉपर्टी का पता
- किराये की राशि
- किराये की अवधि
- भुगतान का प्रकार – नकद/ऑनलाइन/चेक
- मकान मालिक के हस्ताक्षर
- यदि किराया राशि प्रति वर्ष 1 लाख रुपये से अधिक है, तो मकान मालिक का पैन नंबर किराए की रसीद पर प्रस्तुत किया जाना चाहिए
- अन्य शुल्कों जैसे पानी बिल, बिजली शुल्क आदि का विवरण
- यदि किराए की रसीद में नकद भुगतान 5,000 रुपये से अधिक है तो रेवेन्यू स्टांप लगाना चाहिए
अक्सर पूछे जाने प्रश्न (FAQs)
क्या प्रत्येक किराये के भुगतान पर रेवेन्यू स्टांप लगाना जरूरी है?
नहीं, रेवेन्यू स्टांप की आवश्यकता केवल तभी होती है जब किराया नकद में दिया गया हो और किराया राशि 5,000 रुपये से अधिक हो। उदाहरण के लिए, अगर किराये का भुगतान चेक या ऑनलाइन किया गया हो, तो रेवेन्यू स्टांप लगाने की कोई आवश्यकता नहीं है।
किराये की रसीद पर लगे रेवेन्यू स्टांप का मूल्य क्या होना चाहिए?
भारतीय स्टांपअधिनियम 1899 की अनुसूची I में संशोधन के अनुसार, जिस किराया रसीद में नकद भुगतान 5,000 रुपये से अधिक हो, उसमें 1 रुपये मूल्य का राजस्व स्टाम्प चिपकाएँ।
रेवेन्यू स्टांप का क्या उपयोग है?
रेवेन्यू स्टांप का उपयोग अदालतों के रखरखाव के लिए शुल्क या राजस्व लेने के लिए किया जाता है। कानूनी रूप से स्वीकृत प्रत्येक लेन-देन के लिए सरकार को राजस्व देना अनिवार्य होता है। पैसे के लेनदेन को साबित करने वाली रसीदों या मुख्य दस्तावेजों पर मोहर लगाने के लिए भी ऐसे राजस्व की आवश्यकता होती है और उसके प्रमाण के तौर पर रेवेन्यू स्टांप लगाई जाती है। उचित रूप से स्टांप लगी रसीद या लोन दस्तावेज़ या नोट को सादे कागज की रसीद की तुलना में स्वीकार्यता के लिए कानूनी प्रमाण के तौर पर प्रथम दृष्टया प्राथमिकता मिलती है।
1 रुपये के रेवेन्यू स्टांप की आवश्यकता कब होती है?
भारतीय स्टांप अधिनियम के तहत 5,000 रुपये से अधिक के भुगतान पर 1 रुपये का रेवेन्यू स्टांप अनिवार्य है। ऐसा न करने पर धारा 65 के तहत 100 रुपये का जुर्माना लगता है।