सुप्रीम कोर्ट ने 13 दिसम्बर को दिये एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि unstamped arbitration agreement केवल एक गलती या दोष है और इसे सुधारा जा सकता है. कोर्ट ने यह भी कहा कि इस प्रकार के एग्रीमेन्ट enforceable होते है.
यह कहते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एन एन ग्लोबल मर्केन्टाइल Pvt Ltd बनाम एम एस इन्डो यूनीक फ्लेम एण्ड अदर्स के मामले में दिये गये पाँच जजो के निर्णय को भी पलट दिया जिसमें 3:2 की मेज्योरिट के साथ यह कहा गया था कि unstamped agreement को इनफोर्स नही कराया जा सकताI
चीफ जस्टिस DY Chandrachud की अध्यकक्षता वाली 7 न्यायाधीशों की बेन्च ने कहा कि unstamped agreement को केवल इस आधार पर वाइड नही किया जा सकता मगर ये साक्ष्य के रूप मे कोर्ट मे इनएडमिसबल या ग्रहय नही होतेl कुल मिलाकर कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि एक एग्रीमेन्ट enforceable होते हुए भी साक्ष्य के रूप मे ग्रहण नही किया जा सकता है।
निर्णय में यह कहा गया कि कन्ट्रेक्ट एक्ट की धारा 2(जी) यह बताती है कि एग्रीमेन्ट जो कानूनी रूप से प्रवर्तनीय नही है वो वाइड एग्रीमेन्ट कहे जाते है. इसी प्रकार यह स्पष्ट होता है कि जब एक एग्रीमेन्ट वाइड होता है तो उसका प्रर्वतन कोर्ट द्वारा नही कराया जा सकताi जब पक्ष मध्यस्थता समझौते पर अपने हस्ताक्षर करते हैं तो उन्हें स्वतंत्र रूप से मध्यस्थता समझौते पर हस्ताक्षर करने वाला माना जाता है। इस प्रक्रिया में, पृथक्करण प्रावधान सक्षमता के सिद्धांत को जन्म देता है। सिद्धांत का नकारात्मक पहलू सक्षमता की बात यह है कि यह रेफरल चरण में अदालतों के हस्तक्षेप को सीमित करता है और मध्यस्थ न्यायाधिकरण को अपने अधिकार क्षेत्र पर शासन करने का मौका दिया जाता है,” अदालत ने कहा।
“समझौते पर मोहर लगाने के संबंध में कोई भी आपत्ति मध्यस्थ न्यायाधिकरण के दायरे में आती है। सक्षमता के सिद्धांत का परिणाम यह है कि अदालत केवल यह देख सकती है कि मध्यस्थता समझौता मौजूद है या नहीं। स्टांप शुल्क का भुगतान किया गया है या नहीं, इसके लिए विस्तृत साक्ष्य की आवश्यकता होगी। स्टाम्प अधिनियम की दी गई व्याख्या कानून का उल्लंघन करने की अनुमति नहीं देती है और यह सुनिश्चित करती है कि मध्यस्थता अधिनियम स्टाम्प अधिनियम से अलग नहीं होता है, ” शीर्ष अदालत ने कहा।
शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि स्टाम्प एक्ट यह नहीं कहता कि अगर किसी एग्रीमेन्ट पर स्टाम्प नहीं पे हुई है है तो वह वाइड है। स्टाम्प डयूटी का पेड न होना एक गलती है जिसे बाद में भी सुधारा जा सकता है। स्टाम्प एक्ट स्वयम ही उसे सही करने का तरीका बताता है।