भगवान गणेश हिंदू धर्म के पूजनीय देवताओं में से एक हैं और उन्हें बाधाओं को दूर करने वाला और सुख-समृद्धि का प्रतीक माना गया है। भगवान गणेश को घरों के रक्षक के रूप में भी जाना जाता है, इसलिए बहुत से लोग बुरी शक्तियों को दूर रखने के लिए अपने घर के मेन गेट के पास गणेश जी की मूर्ति या फोटो लगाना पसंद करते हैं। वास्तु शास्त्र में गणेश जी की फोटो या मूर्ति रखने का सही तरीका बताया गया है। यदि आप भी अपने घर के मेन गेट पर भगवान गणेश की मूर्ति या फोटो लगाने पर विचार कर रहे हैं तो इन बारे में वास्तु दिशा-निर्देशों पर विचार जरूर करना चाहिए। इसके अलावा घर में गणेश जी की मूर्ति या फोटो रखते समय सही दिशा का भी ध्यान रखना चाहिए।
घर के लिए उचित गणेश मूर्ति: जानें महत्वपूर्ण तथ्य
घर में गणेश जी की मूर्ति या फोटो को रखने की सर्वोत्तम दिशा | पश्चिम, उत्तर और पूर्वोत्तर |
इस दिशा में न रखें गणेश जी की प्रतिमा | दक्षिण दिशा |
गणेश प्रतिमा स्थापित करने के लिए सर्वोत्तम स्थान | घर का मुख्य प्रवेश द्वार, बैठक कक्ष या पूजा कक्ष |
घर में इन स्थानों पर गणेश जी प्रतिमा नहीं रखना चाहिए | शयन कक्ष, सीढ़ियों के नीचे, भंडार कक्ष या गेराज, घर के बाहर |
गणेश मूर्ति के लिए शुभ रंग | सफेद रंग, सिंदूरी रंग, सुनहरा रंग |
घर में गणेश प्रतिमा रखने के लाभ | समृद्धि, सौभाग्य और स्वास्थ्य की प्राप्ति |
भगवान गणेश का सर्वोत्तम प्रसाद
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● मोदक
● चावल का छोटा कटोरा ● साटोरी, एक महाराष्ट्रीयन मीठी रोटी ● मोतीचूर लड्डू ● दुर्वा-दाल, एक प्रकार की घास |
आपके घर के लिए गणेश मूर्ति किस सामग्री की बनी होनी चाहिए?
घर के लिए गणेश मूर्ति की सामग्री | प्रभाव |
चांदी के गणेश | यश |
पीतल के गणेश | समृद्धि और खुशी |
लकड़ी के गणेश | अच्छा स्वास्थ्य और लंबी आयु |
क्रिस्टल गणेश | घर का वास्तु दोष दूर होता है। |
हल्दी की मूर्ति | यह गणेश मूर्ति घर में सौभाग्य लाती है और शुभ फल देती है। |
तांबे के गणेश | परिवार शुरू करने की योजना बना रहे नवविवाहित जोड़ों के लिए तांबे के गणेश जी की प्रतिमा सौभाग्य लेकर आती है। |
आम, पीपल और नीम की गणेश प्रतिमा | ऊर्जा और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। |
गाय के गोबर से बने गणेश | सौभाग्य और अच्छी ऊर्जा को आकर्षित करता है और जीवन से दुखों का नाश होता है। |
प्राकृतिक पत्थर से बनी गणेश प्रतिमा | जीवन में बार-बार आ रही बाधाओं को दूर करने में मदद मिलती है और धन प्राप्ति के साथ कार्य में सफलता मिलती है। |
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घर के लिए कौन से रंग की गणेश मूर्ति शुभ होती है?
गणेश मूर्ति का रंग | महत्व |
सफेद रंग | शांति और समृद्धि |
सिंदूरी रंग | आत्म विकास |
सुनहरा रंग | शुभ |
पीला या नारंगी रंग | पवित्रता, ज्ञान |
हरा रंग | सुरक्षा |
नीला रंग | सद्भाव और शांति |
गणेश के प्रकार
बाल गणेश (बच्चे के रूप में) |
तरुण गणपति (युवा रूप में) |
भक्ति गणेश (भक्त के रूप में) |
वीरा गणपति (वीर रूप में) |
शक्ति गणपति (ताकतवर रूप में) |
द्विज गणेश (गणपति, जो दुबारा पैदा हुए) |
सिद्धि गणेश (सिद्ध रूप में) |
उछिष्ट गणपति (आशीर्वाद देते हुए) |
विघ्न गणेश (विघ्न डालने वाले) |
शिप्रा गणेश (मनाने पर तुरंत मान जाने वाले) |
हेरंब गणेश (मां के दुलारे बेटे) |
लक्ष्मी गणेश (सौभाग्यशाली, मां लक्ष्मी के समान) |
महा गणपति (महान गणेश) |
विजय गणपति (विजेता गणेश) |
नृत्य गणेश (डांस करते गणेश) |
उर्ध्व गणपति (गणेश का वृहद रूप) |
एकाक्षरा गणेश (गणेश का एक अंश) |
वरा या वरदा गणेश (वरदान देने वाले) |
त्रिअक्षरा गणेश (तीन अक्षरों के रूप में) |
शिप्रा प्रसाद गणपति (जो तुरंत फल देते हों) |
हरिद्रा गणेश (कुमकुम कलर के गणेश) |
एकदंत गणेश (एक दांत वाले गणेश) |
सृष्टि गणपति (निर्माता के रूप में गणेश) |
उद्दंड गणपति (न्याय देने वाले) |
ऋणमोचन गणेश (कर्ज से मुक्ति दिलाने वाले) |
ढुंढि गणेश (लोकप्रिय गणेश) |
द्विमुखा गणपति (दो सिर वाले गणेश) |
त्रिमुखा गणपति (तीन मुंह वाले गणपति) |
सिंह गणपति (सिंह के समान वीर) |
योग गणपति (योग पोस्चर में बैठे गणेश) |
दुर्गा गणेश (अजेय गणेश, मां दुर्गा के समान) |
संकटहरण गणेश (विघ्नहर्ता गणेश) |
हिंदू देवता गणेश की शुभ पूजा सबसे पहले की जाती है। यह पूजा 32 अलग-अलग रूपों की होती है। जैसा कि ऊपर गणेश के 32 रूप बताए गए हैं। भारत में गणपति की मूर्तियां आपको इन्हीं 32 रूपों में मिलेगी। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान गणपति ये 32 रूप अपने भक्तों की अलग-अलग आपदाओं से रक्षा के लिए रखते हैं।
सबसे अधिक पॉपुलर रूप में गणपति भगवान या तो बैठे या फिर खड़े रूप में पाए जाते हैं। दूसरे फार्म के गणेश, जैसे डांस करते हुए गणेश की मूर्ति या फोटो सुंदरता के लिए रखी जाती है। ऐसा बहुत कम देखने में आता है कि जब उनकी सूड़ सीधी हो या ऊपर की ओर उठी हुई हो। गणेश की सबसे ज्यादा पॉपुलर मूर्ति वह है जिसमें वह हाथ में लड्डू लिए रहते हैं।
दक्षिण भारत में गणेश जी को पिल्लायार या विनयागर भी कहा जाता है। गणेश चतुर्थी के दिन विनयागर की मूर्ति की पूजा दक्षिण के राज्यों में धूमधाम से होती है। महाराष्ट्र में यह त्यौहार दस दिनों तक मनाया जाता है। लोग धूमधाम से गणपति की मूर्ति को घर लाते हैं और पूजते हैं। पूजा खत्म होने के बाद इन्हें समुद्र के जल में प्रवाहित कर दिया जाता है। मूर्ति विसर्जन के साथ ही उत्सव की समाप्ति मानी जाती है।
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स्रोत: Pinterest
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घर के लिए गणेश मूर्ति चुनने के टिप्स
घर के लिए भगवान गणेश की मूर्ति लाते समय इस बातों का सावधानी जरूर रखना चाहिए:
- गणेश जी की मुद्रा, चाहे देवता बैठे हों या खड़े हों
- गणेश जी की सूंड की उचित दिशा
- गणेश मूर्ति का रंग
- गणेश प्रतिमा के अतिरिक्त तत्व जैसे मोदक, चूहा आदि।
- गणेश जी को लाने का उद्देश्य, चाहे पूजा के लिए हो या घर में सुरक्षा के लिए रखना हो।
पोस्चर
घर में गणेश जी की मूर्ति लाते समय उनकी मुद्रा पर ध्यान देना न भूलें। आदर्श रूप से ललितासन में गणेश जी की तस्वीर या मूर्ति को सबसे अच्छा माना जाता है। इसे बैठे हुए गणेश जी के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि यह शांति को दर्शाता है। इसके अलावा, लेटे हुए स्थिति में गणेश जी की तस्वीर भी बहुत भाग्यशाली मानी जाती हैं क्योंकि यह विलासिता, आराम और धन का प्रतीक है।
गणेश प्रतिमा की सूंड की दिशा
वास्तु के अनुसार, गणेश प्रतिमा की सूंड बाईं ओर झुकी होनी चाहिए, क्योंकि यह सफलता और सकारात्मकता का प्रतीक है। ऐसा माना जाता है कि दाईं ओर झुकी सूंड वाली गणेश प्रतिमा को प्रसन्न करना काफी ज्यादा मुश्किल होता है। यह भगवान गणेश का एक दुर्लभ स्वरूप वह होता है, जिसमें गणेश जी की सूंड सीधी या ऊपर की ओर होती है।
पूजा कक्ष में गणेश प्रतिमा की सूंड की दिशा
पूजा कक्ष के लिए गणेश प्रतिमा का चयन करते समय इस बात का भी ध्यान रखें कि सूंड बाईं ओर झुकी हो, क्योंकि यह शांति और विजय का प्रतीक होती है। गणेश प्रतिमा की स्थापना करते समय निर्धारित पूजा विधियों का पालन करना चाहिए। प्रतिमा को उत्तर-पूर्व दिशा में स्थापित करना चाहिए। इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि गणेश प्रतिमा का मुख दक्षिण दिशा की ओर न हो।
मोदक/लड्डू और चूहा
गणेशजी की मूर्ति के साथ में मोदक और चूहे का होना बेहद जरूरी है। ऐसा इसलिए क्योंकि चूहा गणेशजी का वाहन माना जाता है और मोदक भगवान गणेश की प्रिय मिठाई है। ऐसी मूर्ति घर के प्रवेश द्वार के लिए आदर्श मानी जाती है।
इसके अलावा चूहा भौतिक इच्छाओं और हमारे मन का प्रतीक होता है, जो हमेशा इच्छाओं से भरा रहता है। चूहा भले ही छोटा हो और उसके दांत नन्हे हों, लेकिन वह लगातार कुतर-कुतर कर अनाज से भरे गोदाम को खाली कर सकता है। इसी तरह हर इंसान के भीतर भी एक ‘चूहा’ है – हमारी इच्छाएं। ये इच्छाएं हमारे भीतर की अच्छाई का बड़ा हिस्सा धीरे-धीरे खत्म कर सकती हैं।
चूहे के छोटे-छोटे तेज दांत जैसी उन रस्सियों को काट सकते हैं, जो हमें बांधकर रखती हैं। इसी प्रकार चूहा मंत्र का प्रतीक भी है, जो अज्ञानता की परतों को काटकर हमें ज्ञान और सत्य तक पहुंचाता है, जिसे भगवान गणेश के साथ दर्शाया गया है।
भगवान गणेश के हाथ में जो मोदक है, वह भौतिक समृद्धि, बल और शक्ति का प्रतीक है। इसलिए जब भी घर के लिए गणेशजी की मूर्ति का चयन करें तो इस बातों का ध्यान जरूर रखना चाहिए।
क्या घर में खड़े गणेश जी की मूर्ति रखना शुभ है?
घर में खड़े हुए गणेशजी की मूर्ति को रखना शुभ माना जाता है। यह सफलता और समृद्धि को आकर्षित करती है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, खड़े गणेश जी की मूर्ति भक्ति, स्थिरता और सौभाग्य का प्रतीक होती है। यह घर में शांति का वातावरण लेकर आती है। खड़े गणेश जी बाधाओं को दूर करने और ज्ञान देने का प्रतीक मानी जाती है। यह भक्तों को आध्यात्मिक मार्ग पर ले जाने के लिए प्रोत्साहित करती है।
धन आकर्षित करने के लिए गणेश मूर्ति
रिद्धि और सिद्धि के साथ गणेशजी की मूर्ति या पेंटिंग को रखना भी शुभ माना जाता है। एक तरह जहां रिद्धि को धन की देवी माना जाता है, वहीं दूसरी ओर सिद्धि को बुद्धि का प्रतीक माना जाता है। यदि आप धन, समृद्धि और बौद्धिक शक्ति को अपने घर में आकर्षित करना चाहते हैं तो रिद्धि-सिद्धि के साथ में गणेशजी की मूर्ति को अपने घर में स्थापित कर सकते हैं।
गणेशजी की मूर्ति किस दिशा में होनी चाहिए?
घर में गणेश जी की मूर्तियां या फोटो उत्तर, उत्तर-पूर्व, पूर्व या पश्चिम दिशा में रखे जाने चाहिए। यह ध्यान रखना चाहिए कि गणेशजी की मूर्ति उत्तर दिशा की ओर हो क्योंकि ऐसा माना जाता है कि उनके पिता भगवान शिव इसी दिशा में वास करते हैं। गणेशजी की मूर्ति को मेन गेट पर घर के अंदर की ओर रख सकते हैं। यदि गणेश जी की फोटो घर में लगा रहे हैं तो वह घर के मुख्य प्रवेश द्वार की ओर होना चाहिए। इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि मूर्ति की पीठ घर के बाहर की ओर नहीं होनी चाहिए।
घर के प्रवेश द्वार के लिए कौन-सी गणेश प्रतिमा उचित है?
घर के मेन गेट पर ‘दृष्टि गणेश’ की प्रतिमा लगाना शुभ माना जाता है। यह नकारात्मक ऊर्जा और दुर्भाग्य को दूर कर सकारात्मकता और समृद्धि को आकर्षित करता है। ‘दृष्टि गणपति’ की मूर्ति या फोटो मेन गेट के सामने की दीवार पर लगाई जानी चाहिए। आप घर के मेन गेट पर दो गणेश प्रतिमाएं भी स्थापित कर सकते हैं, जिनमें दोनों पीठ-से-पीठ बैठी हों। एक प्रतिमा घर के अंदर की ओर और दूसरी प्रतिमा बाहर की ओर होनी चाहिए।
इस बात का ध्यान रखें कि गणेश प्रतिमा के पीछे कोई खुला रास्ता नहीं होना चाहिए। यह धार्मिक मान्यता है कि गणेश जी अपनी पीठ पर दरिद्रता का भार उठाते हैं, इसलिए यदि एक ही गणेश प्रतिमा स्थापित कर रहे हैं, तो उनकी पीठ घर के अंदर की ओर न हो।
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गणेश जी की स्थापना के लिए वास्तु डायरेक्शन
ऐसे स्थानों पर गणेश जी को न रखें: वास्तु के जानकारों के अनुसार गणेश जी की मूर्ति को बेडरूम, गैरेज या कपड़े धोने वाली जगह पर नहीं रखना चाहिए। इस मूर्ति को सीढ़ियों के नीचे और बाथरूम के नजदीक भी नहीं रखना चाहिए। क्योंकि गैरेज और कार पार्किंग वाले स्थान खाली माने जाते हैं और यहां किसी देवी-देवता की स्थापना करना अनुचित होता है। ये स्थान किसी भी वास्तु आइटम को रखने के लिए भी अनुपयुक्त होते हैं।
गणेश जी को यह चढ़ाएं
- एक छोटे कटोरे में चावल भरकर गणेश जी को अर्पित किया जाना चाहिए। गणेश प्रतिमा को हमेशा ऊंचे स्थान पर रखें।
- मोदक: मोदक गणपति का फेवरिट स्वीट है। मोदक कई प्रकार के आते हैं। आप कोई भी खरीद सकते हैं।
- साटोरी: महाराष्ट्र का एक व्यंजन फ्लैटब्रेड है, जिसे गणपति पूजन के समय उनके भोग की रेस्पी में रखा जाता है।
- मोतीचूर लड्डू: मोदक के अलावा मोतीचूर का लड्डू गणेश जी को बहुत पसंद है, ऐसा माना जाता है।
- कुछ लोग गणेश को दूर्वा-दल (एक प्रकार की घास) भी चढ़ाते हैं।
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घर में गणेश मूर्ति का वास्तु महत्व
बड़ा सिर | बड़ा सोचना |
बड़े कान | ध्यानपूर्वक सुनना |
छोटी आंखें | ध्यान केंद्रित करने के लिए |
छोटा मुंह | कम बोलना |
एक दांत | अच्छाई बनाए रखने के लिए (टूटा हुआ दांत इस बात का प्रतीक है कि व्यक्ति द्वैत से परे है) |
बड़ा पेट | अच्छे और बुरे को पचाने के लिए |
लंबी सूंड | अनुकूलनीय बने रहने के लिए, शक्ति का प्रतीक बनें |
आशीर्वाद मुद्रा | आशीर्वाद देना और जीवन में सुरक्षा देना |
चार बाहें | चार गुण – मन, बुद्धि, अहंकार और विवेक |
एक पैर ऊपर उठा हुआ तथा दूसरा धरातल पर | यह इस बात का प्रतीक है कि व्यक्ति को आध्यात्मिक और भौतिक दोनों दुनियाओं में शामिल होना चाहिए। |
ऐसा माना जाता है कि घर में गणेश प्रतिमा या तस्वीर रखने से सौभाग्य और समृद्धि आती है। गणेश मूर्ति परिपूर्ण जीवन का प्रतीक है, जो महत्वपूर्ण सिद्धांतों की शिक्षा देती है। पौराणिक मान्यता के मुताबिक, भगवान गणेश का एक दांत टूटा हुआ है। टूटे हुए दांत का प्रतीक यह है कि बुद्धिमान व्यक्ति द्वैत से परे होता है। एकल दांत एकाग्र चित्तता का भी प्रतीक है।
वास्तु दोष दूर करने के लिए गणेश जी की फोटो और मूर्ति
वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर में गणेश जी की तस्वीरें और मूर्तियां रखने से वास्तु दोषों के कारण होने वाले नकारात्मक प्रभावों को दूर करने में मदद मिलती है। वास्तु पुरुष के अनुरोध पर भगवान ब्रह्मा ने वास्तु शास्त्र के नियमों की रचना की थी। ऐसे में भगवान गणेश की पूजा करने से वास्तु देवता संतुष्ट होते हैं। वास्तु के अनुरूप घर बनाने से परिवार में सुख, समृद्धि और प्रगति सुनिश्चित होती है।
यदि घर के मेन गेट पर एकदंत गणेश की मूर्ति या फोटो रखा है तो दूसरी ओर उसी स्थान पर गणेश की मूर्ति इस प्रकार रखनी चाहिए कि दोनों गणेश की पीठ मिली रहे, जिससे वास्तु दोषों के नकारात्मक प्रभाव को कम करने में मदद मिलती है।
इसके अलावा वास्तु शास्त्र के अनुसार, सफेद रंग के गणेश रखने और सिंदूरी रंग के गणेश की पूजा करने से घर से वास्तु दोष दूर होते हैं। इस बात का ध्यान रखें कि गणेश प्रतिमा में भगवान का पसंदीदा मोदक या लड्डू और उनका वाहन चूहा होना चाहिए, जिसे वास्तु दोषों को दूर करने के लिए आदर्श माना जाता है।
यदि आप ऑफिस या दुकान में गणेश जी की तस्वीर, चित्र या मूर्ति स्थापित करना चाहते हैं तो ऐसी जगह रखना चाहिए, जहां भगवान की खड़ी हुई प्रतिमा स्थापित की जा सकते। ऐसा करने से वास्तु दोष दूर करने में मदद मिलती है।
गणेश जी की स्थापना के लिए वास्तु टिप्स
- गणपति भगवान को एक ऊंचे मंच पर रखें। आमतौर पर अपनी आंखों के स्तर पर से ऊंचा होना चाहिए।
- भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करते समय उचित पूजा विधि का पालन किया जाना चाहिए।
- गणेश प्रतिमा के आसपास का क्षेत्र साफ होना चाहिए और किसी भी तरह की अव्यवस्था नहीं होना चाहिए।
- गणेश मूर्ति को श्रद्धा और सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ स्थापित करना चाहिए।
- गणेश प्रतिमा के पास फूल, धूप, तेल का दीपक आदि रखना चाहिए।
गणेश प्रतिमा वास्तु: इन स्थानों से बचें
- सीढ़ियों के नीचे गणेश जी की मूर्ति रखने से बचना चाहिए, क्योंकि यह नकारात्मक ऊर्जा का स्रोत हो सकता है।
- गणेश जी की मूर्ति शयनकक्ष में न रखें।
- गणेश जी की मूर्ति को स्टोर रूम और गैराज जैसी खाली जगहों पर नहीं रखना चाहिए।
- गणेश मूर्ति को उपयोगिता क्षेत्र में रखने से बचें
- गणेश जी की मूर्ति को कभी भी शौचालय वाले स्थान या बाथरूम के सामने नहीं रखना चाहिए।
घर में कितनी गणेश मूर्तियां रखें?
वास्तु के अनुसार, एक कमरे में केवल एक गणेश मूर्ति रखना उचित माना गया है। अगर एक से अधिक मूर्तियां साथ में रखी जाती हैं तो सकारात्मक ऊर्जा बाधित हो सकती है। इससे भगवान गणेश जी की पत्नियां ऋद्धि-सिद्धि के संतुलन पर असर पड़ सकता है और घर का वातावरण नकारात्मक बन सकता है।
गणेश चतुर्थी के लिए कौन-सी गणेश मूर्ति उचित है?
गणेश चतुर्थी के लिए सफेद रंग की गणेश मूर्ति लेना शुभ माना जाता है क्योंकि यह शांति और समृद्धि का प्रतीक है। गणेश चतुर्थी के लिए बैठी हुई गणेश लेता चाहिए. जिसे ललितासन कहा जाता है। इसके अलावा गणेश प्रतिमा की सूंड बाईं ओर मुड़ी होनी चाहिए, जो समृद्धि का प्रतीक है। परंपरा के अनुसार, गणेश प्रतिमा का विसर्जन पूजा के बाद डेढ़ दिन, 3 दिन या 10 दिन के बाद किया जा सकता है। घर में प्राकृतिक मिट्टी, जैविक रंग और बीजों से बनी ईको-फ्रेंडली गणेश मूर्ति को अपनाना पर्यावरण के लिए बेहतर होता है।
भगवान गणेश की पूजा कैसे करें?
- गणेश की मूर्ति को उत्तर, उत्तर-पूर्व, पूर्व या पश्चिम दिशा में किसी ऊंचे स्थान पर रखना चाहिए।
- गणेश मूर्ति या प्रतिमा के आसपास के स्थान को साफ और व्यवस्थित रखना चाहिए।
- एक पीतल का दीपक और अगरबत्ती जलाना चाहिए।
- पूजा की थाली में फूल, अक्षत (चावल), घी और कुमकुम रखें। लाल जवा फूल भगवान गणेश को प्रिय होते हैं, इन्हें पूजा के दौरान अर्पित करना नहीं भूलना चाहिए।
- मूर्ति पर ताजा फूलों की माला पहनाएं और तिलक लगाएं और गणेश मंत्र का जाप करें।
- भगवान गणेश को मोदक और लड्डू का भोग लगाएं।
भगवान गणेश की प्रतिमा का विसर्जन
गणेश चतुर्थी पूजा के एक-डेढ़ दिन, तीन, पांच, सात या ग्यारह दिन बाद गणेश विसर्जन किया जाता है। मूर्ति को तीन से दस दिनों तक पूजा घर में रखा जाता है और फिर जल में विसर्जित किया जाता है।
क्या गणेश जी की मूर्ति घर के बाहर रख सकते हैं?
वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर में सकारात्मकता लाने के लिए घर के एंट्रेंस को शुभ प्रतीक चिन्हों से सजाना चाहिए। आमतौर पर लोग सौभाग्य के प्रतीक चिन्ह के रूप में दरवाजे पर देवी-देवताओं की तस्वीरें लगाते हैं। हालांकि, घर के एंट्रेंस पर या मुख्य द्वार के ऊपर गणेश जी की मूर्ति नहीं लगानी चाहिए। ऐसा इसलिए है क्योंकि गणेश जी की मूर्ति को घर की ओर पीठ करके लगाने से बचना चाहिए क्योंकि इसे अशुभ माना जाता है। अगर मूर्ति लगानी ही है; घर के प्रवेश द्वार के भीतरी हिस्से में गणेश जी की मूर्ति लगा सकते हैं।
हिंदू धर्म के अनुसार, गणेश भगवान को एक बार उनकी मां पार्वती ने स्नान करते समय पहरा देने के लिए कहा था। उन्होंने अपने पिता भगवान शिव को परिसर में प्रवेश नहीं करने दिया। क्रोध में आकर भगवान शिव ने उसका सिर धड़ से अलग कर दिया। इसलिए कुछ मान्यताओं के अनुसार, द्वार पर गणेश जी की मूर्ति लगाने से विवाद या परेशानी हो सकती है। हालांकि, आप वास्तु की सलाह के अनुसार मूर्ति को घर के अंदर किसी उपयुक्त स्थान पर स्थापित कर सकते हैं।
गणेश जी की तस्वीर और मूर्ति लगाने से वास्तु दोष दूर होते हैं
वास्तु शास्त्र के अनुसार, गणेश जी की तस्वीर और मूर्ति को घर में रखने से वास्तु दोषों की वजह से होने वाले बुरे असर को दूर करने में मदद मिल सकती है। भगवान ब्रह्मा ने वास्तु पुरुष के अनुरोध पर वास्तु शास्त्र के नियमों का निर्माण किया था। गणेश जी की पूजा करने से वास्तु देवता प्रसन्न होते हैं। वास्तु के हिसाब से घर का निर्माण सुख, समृद्धि और प्रगति सुनिश्चित करता है।
अगर घर के मुख्य द्वार पर एकदंत गणेश जी की मूर्ति या तस्वीर हो तो दूसरी तरफ उसी जगह पर गणेश जी की इस प्रकार मूर्ति स्थापित करनी चाहिए कि दोनों गणेश जी की पीठ मिल जाए। ऐसा करने से वास्तु दोषों के असर से होने वाली नकारात्मकता कम होती है।
इसके अलावा, वास्तु शास्त्र के अनुसार सफेद रंग के गणेश जी को स्थापित करने और सिंदूरी रंग के गणेश की पूजा करने से घर से वास्तु दोष दूर होते हैं। गौरतलब है कि गणेश जी की प्रतिमा में उनका पसंदीदा मोदक या लड्डू और उनका वाहन चूहा जरूर होना चाहिए, जिसे वास्तु दोषों को ठीक करने के लिए आदर्श माना जाता है।
ऑफिस में वहां गणेश जी की खड़े मुद्रा में फोटो या मूर्ति रखने से वास्तु दोष दूर होता है।
Housing.com का पक्ष
घर में गणेश जी की मूर्ति या प्रतिमा स्थापित करने से कई लाभ मिलते हैं। भगवान गणेश अपने भक्तों को सौभाग्य, शुभता और बाधाओं से सुरक्षा देते हैं। अगर आप घर में भगवान गणेश की मूर्ति लाने की योजना बना रहे हैं तो वास्तु नियमों का पालन जरूर करना चाहिए ताकि इसका अधिकतम लाभ मिल सके। गणेश प्रतिमा चुनते समय सामग्री, स्वरूप, भगवान गणेश की स्थिति, सूंड की दिशा और मूर्ति के रंग जैसे पहलुओं पर विशेष ध्यान देना जरूरी है। मूर्ति को वास्तु के अनुसार सही दिशा में रखें और पूजा की प्रक्रिया का पालन करें।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
मैं मुख्य द्वार पर गणपति कैसे रख सकता हूं?
यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप मुख्य द्वार पर किस प्रकार की गणेश मूर्ति/तस्वीर लगा रहे हैं। अधिक जानकारी के लिए इस लेख को पढ़ें।
गणेश जी का मुख किस दिशा में होना चाहिए?
गणपति की मूर्तियों या तस्वीरों को आदर्श रूप से उत्तर, उत्तर-पूर्व, पूर्व या पश्चिम दिशा में रखा जाना चाहिए, मुख्यत: उत्तर की ओर।
कौन सी गणेश मूर्ति वर्क डेस्क के लिए सबसे अच्छी है?
वर्क डेस्क पर गणेश जी की खड़ी मूर्ति काम करने में उत्साह लाती है और बाधाओं को दूर करने में मदद करती है।
दूर्वा क्या है और इसे गणेश जी को क्यों चढ़ाया जाता है?
दूर्वा घास, जिसमें विषम संख्या में ब्लेड होते हैं, शरीर पर शीतल करने वाली प्रभाव डालती है और कहा जाता है कि इसमें उपचार वाले गुण होते हैं। ऐसा माना जाता है कि दूर्वा में भगवान गणेश की ऊर्जा को आकर्षित करने की शक्ति है और इस प्रकार, भक्त को उनका आशीर्वाद प्राप्त करने में मदद मिलती है।
गणेश जी का पसंदीदा फूल कौन सा है?
लाल हिबिस्कस गणेश जी का पसंदीदा फूल है और उन्हें प्रसन्न करने और समृद्धि एवं सफलता के लिए उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए चढ़ाया जाता है।
क्या कोई ऐसा कमरा है जिसमें हमें गणेश जी की मूर्ति या तस्वीर नहीं लगानी चाहिए?
यह सलाह दी जाती है कि गणेश जी की मूर्ति को कभी भी बेडरूम, बाथरूम या यहां तक कि बाथरूम से जुड़ी दीवार पर न लगाएं। गणेश जी की मूर्तियों के लिए सबसे अच्छी जगह आपके घर का प्रवेश द्वार है।
क्या हम घर में गणेश जी की दो मूर्तियां रख सकते हैं?
आप घर में दो अलग-अलग जगहों पर गणेश जी की दो तस्वीरें या मूर्तियां रख सकते हैं। एक से अधिक मूर्ति रखने से बचना चाहिए।
क्या काले गणपति रखना ठीक है?
सफलता, सद्भाव और सकारात्मक ऊर्जा लाने के लिए आप अपने घर में काले गणपति की मूर्ति रख सकते हैं। काले रंग की गणेश जी की मूर्ति उनकी दिव्यता, शक्ति और श्रेष्ठता का प्रतीक है।
मैं अपने घर से मूर्तियां कैसे हटाऊं?
वास्तु के अनुसार, घर में टूटी हुई मूर्तियां नहीं रखनी चाहिए। लोग आमतौर पर मूर्तियों को पीपल के पेड़ के नीचे रखते हैं। टूटी हुई मूर्तियों को नदी या समुद्र जैसे बहते पानी में विसर्जित कर देना चाहिए। हालांकि, जल प्रदूषण से बचने के लिए, मूर्तियों को पानी की बाल्टी में विसर्जित किया जा सकता है।
घर में नाचते हुए गणेश जी रखना अच्छा होता या बुरा?
वास्तु के अनुसार, आप दक्षिण-पूर्व दिशा में नाचते हुए गणेश की मूर्ति रख सकते हैं, जिससे घर में सकारात्मकता ऊर्जा बढ़ती है। माना जाता है कि घर में नाचते हुए गणेश की मूर्ति रखना रचनात्मक क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए लाभकारी होता है। हालांकि, पूजा कक्ष में नाचते हुए गणेश जी की कोई पेंटिंग या मूर्ति रखने से बचना चाहिए।
क्या हम भगवान गणेश की मूर्ति उपहार में दे सकते हैं?
आप गृह प्रवेश और अन्य शुभ अवसरों पर भगवान गणेश की मूर्तियां उपहार में दे सकते हैं।
क्या हम कार में दो गणेश मूर्तियां रख सकते हैं?
वास्तु शास्त्र के अनुसार, कार में गणेश जी की एक ही मूर्ति रखनी चाहिए।
क्या हम घर में दाहिनी सूंड वाले गणपति रख सकते हैं?
वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर में दाहिनी सूंड वाली गणेश प्रतिमा रखने से बचना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि दाहिनी सूंड वाले गणेश को प्रसन्न करना बेहद कठिन होता है और उन्हें सामान्य पूजा से प्रसन्न नहीं किया जा सकता है। दाहिनी सूंड वाली गणेश प्रतिमा आमतौर पर मंदिरों में देखने को मिलती है। दाहिनी सूंड वाले गणेश जी की पूजा अवश्य करना चाहिए। उन्हें सिद्धि विनायक या वरदान देने वाला कहा जाता है।
कौन सी गणेश मूर्ति धन पाने के लिए अच्छी है?
वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर में सफेद गणपति की तस्वीर या मूर्ति रखने से परिवार में धन और समृद्धि आती है। हालांकि, गणेश देवता को स्थापित करते समय सभी वास्तु दिशा-निर्देशों का पालन करना चाहिए। उदाहरण के लिए, गणेश जी की पीठ घर के बाहर की ओर होनी चाहिए।
क्या देवी लक्ष्मी को गणेश के बायीं ओर या दायीं ओर रखा जाता है?
वास्तु शास्त्र के अनुसार, देवी लक्ष्मी की मूर्ति को भगवान गणेश के दाहिनी ओर बैठनी चाहिए।
क्या हम घर के प्रवेश द्वार पर गणेश जी की मूर्ति रख सकते हैं?
आप घर के मेन गेट पर गणेश जी की मूर्ति रख सकते हैं। हालांकि, इस बात की सावधानी रखना चाहिए कि भगवान गणेश की पीठ घर के अंदर की ओर न हो। यदि यह संभव न हो तो दूसरी तरफ गणेश जी की एक और मूर्ति रखें, जिसमें मूर्ति की पीठ मूर्ति की ओर हो। गणेश जी की दो मूर्तियां रखने से घर में धन और समृद्धि आती है।
भगवान गणेश का पसंदीदा रंग कौन सा है?
भगवान गणेश को शुभ रंग लाल से जोड़ा जाता है, जो शक्ति और प्रेम का प्रतिनिधित्व करता है। इसलिए भगवान को लाल फूलों और कपड़ों से सजाया जाना चाहिए।
घर के प्रवेश द्वार के लिए किस रंग की गणेश प्रतिमा शुभ रहती है?
घर के प्रवेश द्वार के लिए सफेद रंग की गणेश प्रतिमा चुनना चाहिए, जो शुभ मानी जाती है।
पीले रंग के गणेश जी क्या दर्शाते हैं?
पीले रंग की भगवान गणेश की मूर्ति शुभ मानी जाती है क्योंकि यह पवित्रता, शांति और सच्चाई का प्रतिनिधित्व करती है।
क्या गणेश मूर्ति का मुख दक्षिण दिशा में रखा जा सकता है?
घर में गणेश जी की मूर्ति रखते समय ध्यान रखें कि उसका मुख दक्षिण दिशा की ओर न हो क्योंकि इससे नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
घर में गणेश जी की मूर्ति कब लाना चाहिए?
गणेश चतुर्थी त्यौहार पर पूजा से एक दिन पहले या गणेश चतुर्थी के शुभ दिन पर गणेश की मूर्ति घर लानी चाहिए। हालांकि, लोग त्यौहार से एक, तीन, सात या 10 दिन पहले भी गणेश की मूर्ति घर लाते हैं।
(सुरभि गुप्ता, पूर्णिमा गोस्वामी शर्मा और अरुणा राठौड़ के इनपुट्स के साथ)
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