किसी व्यक्ति के जीवन में जमीन का एक हिस्सा या प्लॉट खरीदना और घर बनवाना बेहद खास होता है। भारत में यह एक आम मान्यता है कि जमीन पर निर्माण कार्य शुरू करने से पहले ईश्वर का आशीर्वाद लेने से सौभाग्य और समृद्धि आती है। भारत में कई लोग वास्तु शास्त्र और भूमि पूजन की रस्म को बहुत महत्व देते हैं, जिसे भूमि पूजन या नींव पूजन के नाम से भी जाना जाता है। भूमि पूजन निर्माण स्थल के उत्तर-पूर्व कोने में किया जाता है।
भूमि पूजन क्या है?
भूमि पूजन एक प्राचीन हिंदू अनुष्ठान है, जिसमें देवी पृथ्वी (भूमि) और अन्य देवताओं की पूजा की जाती है। इसका उद्देश्य निर्माण कार्य शुरू करने से पहले उनकी अनुमति और आशीर्वाद प्राप्त करना होता है।
भूमि पूजन में इन देवताओं की होती है पूजा
- देवी पृथ्वी: दिव्य ऊर्जा का संचार करती हैं और बाधाओं को दूर करती हैं।
- वास्तु पुरुष: घर में समरसता और शुभता लाते हैं।
- भगवान गणेश: शुभ शुरुआत के देवता माने जाते हैं।
- नाग देवता: सुरक्षा का प्रतीक हैं।
- पांच तत्व (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश): सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करते हैं।
परंपराओं के अनुसार, एक ईंट या नींव पत्थर रखा जाता है। भूमि पूजन की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है, जब भूमि खोदना पाप या ‘खनन दोष’ माना जाता था, इसलिए देवी पृथ्वी, सप्त समुद्र और अन्य देवताओं की पूजा की परंपरा शुरू हुई। भूमि पूजन को शुभ माना जाता है और इसे भूमि की खुदाई, ड्रिलिंग और जुताई के लिए दिव्य अनुमति प्राप्त करने के लिए किया जाता है। यह सुख-समृद्धि लाता है और संपत्ति के निवासियों के कल्याण को सुनिश्चित करता है।
भूमि पूजन की तिथि चुनते समय ध्यान देने योग्य बातें
- भूमि पूजन के शुभ महीने: वैशाख, फाल्गुन, कार्तिक, माघ, भाद्रपद, पौष, अग्रहायण और श्रावण।
- जिन महीनों में भूमि पूजन नहीं करना चाहिए: चैत्र, ज्येष्ठ, आषाढ़ और अश्विन।
- भूमि पूजन के लिए शुभ नक्षत्र: उत्तरा फाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा, उत्तराभाद्रपद, रोहिणी, मृगशिरा, रेवती, चित्रा, अनुराधा, शतभिषा, धनिष्ठा, हस्त और पुष्य।
- भूमि पूजन के लिए शुभ तिथियां: द्वितीया, तृतीया, पंचमी, सप्तमी, दशमी, एकादशी, त्रयोदशी और पूर्णिमा।
- भूमि पूजन के लिए शुभ लग्न: वृषभ,मिथुन, सिंह, वृश्चिक, धनु और कुंभ।
- भूमि पूजन के लिए सप्ताह के शुभ दिन: सोमवार, बुधवार, गुरुवार और शुक्रवार।
- जिन दिनों में भूमि पूजन से बचना चाहिए: शनिवार, रविवार और मंगलवार।
भूमि पूजन या गृह निर्माण पूजन के लाभ
- सकारात्मक ऊर्जा: भूमि पूजन करने से स्थान शुद्ध होता है और नए घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।
- माता पृथ्वी और अन्य देवताओं को प्रसन्न करना: यह पूजन देवी पृथ्वी और दिशाओं के देवता वास्तु पुरुष सहित विभिन्न देवताओं को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है। साथ ही, यह भूमि संसाधन प्रदान करने वाली माता पृथ्वी के प्रति कृतज्ञता और सम्मान प्रकट करने का तरीका है। यह प्रकृति के पांच तत्वों – पृथ्वी, वायु, अग्नि, आकाश और जल – को भी संतुष्ट करता है।
- आध्यात्मिक महत्व: भूमि पूजन एक प्राचीन हिंदू परंपरा है, जिससे नए घर के मालिक को आध्यात्मिक आशीर्वाद और दिव्य कृपा प्राप्त होती है। इसके अलावा, यह पूजन धरती के अंदर रहने वाले जीवों से अनजाने में हुई हानि के लिए क्षमा याचना करने के उद्देश्य से भी किया जाता है।
- बाधाओं और नकारात्मकता को दूर करना: भूमि पूजन से वास्तु दोष और नकारात्मक ऊर्जाओं का नाश होता है। साथ ही, यह संपत्ति और उसके निवासियों को दुर्घटनाओं और अन्य अनिष्ट घटनाओं से सुरक्षा प्रदान करता है।
- फसल उत्पादन में वृद्धि: यदि भूमि कृषि कार्यों के लिए है, तो भूमि पूजन करने से उपज में वृद्धि होती है और भूमि मालिक को अधिक लाभ मिलता है।
भूमि पूजन मुहूर्त चुनने के कोई नुकसान भी हो सकते हैं क्या?
भूमि पूजन मुहूर्त की एक सीमा यह है कि यह व्यक्ति को किसी विशेष दिन और समय पर ही पूजा करने के लिए बाध्य करता है। यह सभी के समय और प्राथमिकताओं के अनुसार सुविधाजनक नहीं हो सकता। इससे निर्माण कार्य में देरी भी हो सकती है। साथ ही, यदि शुभ तिथि पर मौसम अनुकूल न हो, तो वह भी निर्माण कार्य को बाधा पैदा कर सकता है।
इसके अलावा, यदि गलत मुहूर्त चुना जाए तो यह जीवन में रुकावट या विलंब का कारण बन सकता है। पारंपरिक नियमों और रीति-रिवाजों की अनदेखी करते हुए घर निर्माण शुरू करना सामाजिक या आध्यात्मिक अस्वीकृति की स्थिति पैदा कर सकता है।
2025 में वास्तु के अनुसार घर बनाने के लिए सबसे अच्छा माह कौन-सा है?
हिंदू महीने | जॉर्जियाई कैलेंडर में के माह | वास्तु के अनुसार लाभ |
वैशाख | अप्रैल और मई | धन और समृद्धि लाता है |
फाल्गुन | मार्च और अप्रैल | स्वास्थ्य और तंदुरुस्ती को फायदा |
कार्तिक | अक्टूबर और नवंबर | इन महीनों में घर बनाने से गृहस्वामी को खुशी और आनंद मिलता है। |
माघ | जनवरी और फरवरी | जीवन के सभी पहलुओं में सफलता और उपलब्धि सुनिश्चित करता है। |
भाद्रपद | अगस्त से सितम्बर | शुभ |
पौष | दिसंबर से जनवरी | शुभ |
अग्रहायण | नवंबर से दिसंबर | शुभ |
श्रावण माह | जुलाई से अगस्त | शुभ |
नए घर के निर्माण के शुभ मुहूर्त को लेकर अलग-अलग मत होते हैं। आमतौर पर माना जाता है कि आषाढ़ शुक्ल से कार्तिक शुक्ल के बीच घर का निर्माण शुरू नहीं करना चाहिए। ऐसा विश्वास है कि भगवान विष्णु आषाढ़ शुक्ल एकादशी से कार्तिक शुक्ल एकादशी तक 4 महीने तक सोते हैं। इन महीनों में लोग आमतौर पर विवाह, घर निर्माण या नया व्यवसाय शुरू करने से बचते हैं।
भूमि पूजन मुहूर्त मार्च 2025
तारीख | मुहूर्त |
मार्च 1, 2025, शनिवार | 2 मार्च प्रातः 11:22 से प्रातः 6:45 तक |
मार्च 7, 2025, शुक्रवार | 00:05 पूर्वाह्न से 9:09 पूर्वाह्न तक |
मार्च 10, 2025, सोमवार | प्रातः 7:45 बजे से प्रातः 00:51 बजे तक |
भूमि पूजन मुहूर्त अप्रैल 2025
तारीख | मुहूर्त |
अप्रैल 14, 2025, सोमवार | प्रातः 5:57 बजे से प्रातः 00:13 बजे तक |
अप्रैल 21, 2025, सोमवार | प्रातः 5:50 से प्रातः 6:29 तक |
अप्रैल 23, 2025, बुधवार | 24 अप्रैल, शाम 4:44 बजे से सुबह 5:47 बजे तक |
अप्रैल 24, 2025, बृहस्पतिवार | सुबह 5:41 बजे से दोपहर 12:01 बजे तक |
अप्रैल 30, 2025, बुधवार | 5:41 AM to 12:01 PM |
भूमि पूजन मुहूर्त, मई 2025
तारीख | शुभ मुहूर्त |
1 मई, 2025, गुरुवार | 11:24 पूर्वाह्न से 2:21 अपराह्न तक |
7 मई, 2025, बुधवार | शाम 6:17 से रात 11:22 तक |
8 मई, 2025, गुरुवार | दोपहर 12:30 बजे से रात 9:06 बजे तक |
28 मई, 2025, बुधवार | 5:25 AM से 00:29 AM, मई 29 |
भूमि पूजन मुहूर्त जून 2025
तारीख | मुहूर्त |
12 जून 2025, गुरुवार | 5:24 AM से 13 जून को सुबह 5:23 बजे तक |
13 जून 2025, शुक्रवार | सुबह 5:24 से रात 11:21 तक |
19 जून 2025, गुरुवार | 11:16 PM से जून 20 को सुबह 5:24 बजे तक |
20 जून 2025, शुक्रवार | सुबह 5:25 से रात 9:45 तक |
29 जून 2025, रविवार | 10:30 पूर्वाह्न – 12:00 अपराह्न |
भूमि पूजन मुहूर्त जुलाई 2025
तारीख | मुहूर्त |
17 जुलाई 2025, गुरुवार | 8:08 AM से 18 जुलाई को सुबह 2:51 बजे तक |
21 जुलाई 2025, सोमवार | 5:37 पूर्वाह्न से 22 जुलाई को सुबह 5:37 बजे तक |
31 जुलाई 2025, गुरुवार | 00:42 AM से 1 अगस्त को के सुबह 04:59 बजे तक |
भूमिपूजन मुहूर्त अगस्त 2025
तारीख | मुहूर्त |
1 अगस्त 2025, शुक्रवार | 6:11 PM से 2 अगस्त से सुबह 3:40 बजे तक |
25 अगस्त 2025, सोमवार | 5:56 AM से 26 अगस्त के सुबह 3:50 बजे तक |
28 अगस्त 2025, गुरुवार | 8:43 पूर्वाह्न से 11:48 पूर्वाह्न तक |
30 अगस्त 2025, शनिवार | दोपहर 2:37 से 3:09 बजे तक |
भूमिपूजन मुहूर्त सितंबर 2025
तारीख | मुहूर्त |
3 सितंबर, 2025, बुधवार | 4:22 पूर्वाह्न से 4 सितंबर को सुबह 6:01 बजे तक |
4 सितंबर, 2025, गुरुवार | सुबह 6:01 से रात 11:44 तक |
5 सितंबर, 2025, शुक्रवार | 11:38 PM से 6 सितंबर को 4:13 बजे तक |
13 सितंबर, 2025, शनिवार | 6:12 PM से 14 सितंबर को सुबह 6:06 बजे तक |
भूमिपूजन मुहूर्त अक्टूबर 2025
तारीख | मुहूर्त |
22 अक्टूबर 2025, बुधवार | 8:17 से 23 अक्टूबर को 1:52 पूर्वाह्न तक |
23 अक्टूबर 2025, गुरुवार | 4:51 सुबह से 24 अक्टूबर को सुबह 6:28 बजे तक |
24 अक्टूबर 2025, शुक्रवार | 06:28 से 25 अक्टूबर को सुबह 1:20 बजे तक |
भूमिपूजन मुहूर्त नवंबर 2025
तारीख | मुहूर्त |
3 नवंबर, 2025, सोमवार | 3:06 PM से 4 नवंबर को सुबह 2:06 बजे तक |
7 नवंबर, 2025, शुक्रवार | दोपहर 2:48 से रात 9:16 तक |
10 नवंबर 2025, सोमवार | 6:48 PM से 11 नवंबर को देर रात 00:08 बजे तक |
17 नवंबर 2025, सोमवार | 5:01 AM से 18 नवंबर को सुबह 6:46 बजे तक |
28 नवंबर 2025, शुक्रवार | 12:28 अपराह्न से 29 नवंबर को 00:16 पूर्वाह्न तक |
29 नवंबर, 2025, शनिवार | 2:22 अपराह्न से 30 नवम्बर को सुबह 6:56 प्रातः |
भूमिपूजन मुहूर्त दिसंबर 2025
तारीख | मुहूर्त |
4 दिसंबर, 2025, गुरुवार | 5 दिसंबर, शाम 6:41 बजे से सुबह 6:00 बजे तक |
5 दिसंबर, 2025, शुक्रवार | 7:00 AM से 6 दिसंबर को सुबह 7:00 बजे तक |
6 दिसंबर, 2025, शनिवार | सुबह 7:00 बजे से 8:08 बजे तक |
यह भी देखें: नए घर के लिए गृह प्रवेश पूजा युक्तियाँ
भूमिपूजन को तमिल में गृहारंभ मुहूर्त या वास्तु नाल (वास्तु दिवस) जैसे विभिन्न नामों से भी जाना जाता है। इसके अलावा, शुभ मुहूर्त की तारीखें अलग-अलग कैलेंडर जैसे विक्रम संवत, तमिल कैलेंडर आदि के आधार पर भिन्न हो सकती हैं।
भूमिपूजन को तमिल में गृहारंभ मुहूर्त या वास्तु नाल (वास्तु दिवस) जैसे विभिन्न नामों से भी जाना जाता है। इसके अलावा भूमि पूजन के लिए शुभ मुहूर्त की तारीखें अलग-अलग कैलेंडर जैसे विक्रम संवत, तमिल कैलेंडर आदि के आधार पर भिन्न हो सकती हैं।
भूमि पूजन की शुभ तिथियों में क्षेत्रीय विविधताएं
भूमि पूजन को विभिन्न नामों से भी जाना जाता है, जैसे कि गृहारंभ मुहूर्त या तमिल में वास्तु नाल (वास्तु दिवस)। इसके अलावा, शुभ मुहूर्त की तिथियां अलग-अलग पंचांगों जैसे विक्रम संवत, तमिल कैलेंडर आदि के आधार पर भिन्न हो सकती हैं।
दक्षिण भारत: तमिलनाडु और केरल जैसे राज्यों में लोग अय्यनार देवता की पूजा करते हैं, जो भूमि और सीमाओं के रक्षक माने जाते हैं।
पश्चिम भारत: गुजरात और राजस्थान में लोग प्लॉट के केंद्र में एक छोटा गड्ढा खोदते हैं और उसमें दूध व शहद भरते हैं। यह अनुष्ठान भूमि के पोषण का प्रतीक है।
उत्तर भारत: उत्तर भारत के कुछ क्षेत्रों में तांबे की एक प्लेट पर ज्योतिषीय जानकारी और मंत्र अंकित किए जाते हैं। फिर इस प्लेट को नए घर के निर्माण स्थल पर दबाकर पूजा की जाती है।
पूर्व भारत: पश्चिम बंगाल में नए घर के निर्माण समारोह के दौरान लोग नाग देवी मनसा की पूजा करते हैं।
भूमि पूजन कौन कर सकता है?
- परिवार का मुखिया: वास्तु शास्त्र के नियमों के अनुसार, भूमि पूजन परिवार के मुखिया द्वारा उनकी पत्नी के साथ मिलकर किया जाना चाहिए। परिवार के स्वामी होने के नाते, उनका पूरे कार्य से सीधा संबंध होता है और वे ईश्वरीय आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उत्तरदायी होते हैं, जिससे निर्माण कार्य की सफलता सुनिश्चित होती है।
- परिवार के सदस्य: पूजन वरिष्ठ और नजदीकी पारिवारिक सदस्यों की उपस्थिति में किया जाना चाहिए। सामूहिक प्रार्थनाएं समृद्धि लाने और परिवार के कल्याण को सुनिश्चित करने वाली मानी जाती हैं। यदि घर में कोई महिला गर्भवती हो तो घर के निर्माण की शुरुआत से बचना चाहिए।
- पंडित: भूमि पूजन पंडित की उपस्थिति में जरूर करना चाहिए, जो शुभ भूमि पूजन मुहूर्त की बता सकता है और पूजन को सफलतापूर्वक संपन्न कराने में सहायक होता है।
वास्तुकार या ठेकेदार (वैकल्पिक): कुछ विशेष परिस्थितियों में, घर बनाने वाले ठेकेदार या बिल्डर को भी भूमि पूजन में आमंत्रित किया जा सकता है ताकि वे भी आशीर्वाद प्राप्त कर सकें और घर के निर्माण कार्य की सफल पूर्णता के लिए प्रार्थना कर सकें।
भूमि पूजन के आधुनिक ट्रेंड
ऑनलाइन भूमि पूजन
पुरानी परंपराएं अब तकनीक के साथ कदम मिला रही हैं। आज कोई भी पुजारी को ऑनलाइन बुक कर सकता है, भूमि पूजन के लिए पूजा सामग्री और रेडीमेड किट बस एक क्लिक में मंगवा सकता है। आप सोशल मीडिया के जरिए भूमि पूजन का लाइव प्रसारण भी कर सकते हैं, जिससे दोस्त और परिवार वर्चुअली शामिल हो सकें। यहां तक कि कुछ पुजारी भी ऑनलाइन बैठकर दूर से ही पूजा संपन्न करवाते हैं। यह प्रवृत्ति खासकर उन एनआरआई और लोगों के बीच लोकप्रिय है, जो भूमि पूजन के लिए शारीरिक रूप से उपस्थित नहीं हो सकते।
डिजिटल रिकॉर्ड्स
कुछ लोग भूमि पूजन समारोह की यादों को संजोने के लिए इसके फोटो और वीडियो का डिजिटल रिकॉर्ड बनाते हैं, जिससे वे इन खास पलों को बाद में याद कर सकें और दोस्तों व रिश्तेदारों के साथ शेयर कर सकें।
सरल भूमि पूजन विधि
आजकल लोग व्यस्त जीवनशैली के कारण पारंपरिक विधियों का पूरी तरह पालन नहीं कर पाते। इसलिए कुछ लोग केवल प्रमुख अनुष्ठानों और महत्वपूर्ण तत्वों को चुनकर भूमि पूजन की संक्षिप्त विधि अपनाते हैं।
पर्यावरण अनुकूल भूमि पूजन
बढ़ते प्रदूषण के प्रति जागरूकता के चलते लोग अब पर्यावरण के अनुकूल पूजा पद्धतियां अपना रहे हैं, जैसे बायोडिग्रेडेबल सामग्री का उपयोग करना, प्लास्टिक का इस्तेमाल न करना आदि।
बड़े प्रोजेक्ट्स में भूमि पूजन
बड़े पैमाने पर निर्माण कार्य शुरू करने से पहले भूमि पूजन को प्रोजेक्ट की कुल समय सीमा और उद्घाटन समारोह का हिस्सा बनाया जाता है।
सूर्य की राशि के अनुसार 2025 में भूमि पूजन के शुभ मुहूर्त
ज्योतिष विशेषज्ञों का सुझाव है कि विभिन्न राशियों के माध्यम से सूर्य की चाल के आधार पर चुने गए शुभ मुहूर्त पर घर का निर्माण शुरू करें।
राशि चक्र में सूर्य की स्थिति | प्रभाव |
वृषभ | धन और वित्तीय लाभ |
मिथुन | घर के मालिक के लिए समस्या |
कर्क | धन में बढ़ोतरी |
सिंह | शोहरत और नौकरों की खुशी |
कन्या | बीमारियां |
तुला | सकारात्मक प्रभाव |
वृश्चिक | वित्तीय लाभ |
धनु | काफी नुकसान और बर्बादी |
मकर | संपत्ति में बढ़ोतरी और धन लाभ |
कुंभ | रत्न और धातु की प्राप्ति |
मीन | नुकसान |
2025 में नए घर के लिए भूमिपूजन करने के शुभ अवसर
त्योहार | दिनांक और दिन |
चैत्र नवरात्रि | 30 मार्च, रविवार – 7 अप्रैल, सोमवार |
शरद नवरात्रि | 22 सितंबर, सोमवार – 1 अक्टूबर, बुधवार |
तुलसी विवाह | 2 नवंबर, रविवार |
कार्तिक पूर्णिमा | 5 नवंबर, 2025, बुधवार |
कुछ त्योहार ऐसे होते हैं, जिन्हें भूमि पूजन के लिए शुभ माना जाता है। शुभ मुहूर्त जानने के लिए किसी ज्योतिषी या वास्तु विशेषज्ञ से परामर्श ले सकते हैं।
2025 में भूमि पूजन के लिए अशुभ समय: इन दिनों से बचें
- चैत्र: यह मार्च से अप्रैल तक का समय है। इस समय घर के मालिक के लिए मुश्किलें लेकर आता है, इसलिए इस समय घर में काम करने से बचना चाहिए।
- ज्येष्ठ: यह जून का महीना है और ग्रह अनुकूल स्थिति में नहीं हैं।
- आषाढ़: जुलाई माह में शिलान्यास न करें, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस माह में व्यापार में हानि होती है।
- श्रावण: यह महीना जुलाई के अंत या अगस्त के पहले सप्ताह से शुरू होता है और यह समय अनुकूल नहीं है क्योंकि यह वित्तीय नुकसान ला सकता है।
- भाद्रपद: सितंबर में अपने नए घर की नींव खोदने से बचें, क्योंकि इससे घर में झगड़े और तनाव हो सकता है।
- आश्विन: वास्तु नियमों के मुताबिक, अक्टूबर में पड़ने वाले इस महीने में अपने नए घर की नींव रखने से बचें।
- माघ: यह हिंदू कैलेंडर का 11वां महीना है, जो 18 जनवरी से शुरू होकर 16 फरवरी को खत्म होगा। इस महीने में भूमि पूजन करना या नींव रखना शुभ नहीं होगा। हालांकि कोई पूर्व या पश्चिम मुखी घर बनाने पर विचार कर सकते हैं।
ध्यान देने योग्य बातें
- उपरोक्त बताए गए महीनों में घर निर्माण के लिए समय अनुकूल नहीं हो सकता है, लेकिन व्यक्ति की कुंडली और अन्य कारकों के आधार पर कुछ विशेष अवधि को नए घर निर्माण के लिए शुभ माना जा सकता है।
- वास्तु और ज्योतिष विशेषज्ञों के अनुसार, फाल्गुन माह में होलाष्टक के बाद शुभ भूमि पूजन मुहूर्त तिथियां होती हैं। होली के त्योहार से पहले के आठ दिनों की अवधि को होलाष्टक कहा जाता है।
- इसके अलावा, विशेषज्ञ सुझाव देते हैं कि चैत्र माह में हिंदू नववर्ष जिसे चैत्र शुक्ल प्रतिपदा कहा जाता है, के आसपास नए घर निर्माण के लिए अच्छे मुहूर्त हो सकते हैं।
दशहरा का त्योहार अश्विन माह में पड़ता है। यह कुंडली, स्थान और अन्य कारकों के आधार पर नए घर निर्माण की शुरुआत के लिए अनुकूल नींव पूजन या भूमि पूजन की तिथियां प्रदान कर सकता है।
भूमि पूजन के लिए किन पक्षों से बचना चाहिए?
हिंदू चंद्र कैलेंडर के अनुसार, पक्ष का अर्थ है एक महीने में एक पखवाड़े या चंद्र चरण। भूमि पूजन करने के लिए दिवास्करमा, श्राद्ध और हडपक्षे से बचें।
किन तिथियों पर भूमि पूजन करने से बचें?
चौथी, नौवीं और चौदहवीं तिथि से बचें क्योंकि ये गृह निर्माण या भूमि पूजा के लिए शुभ नहीं मानी जाती हैं।
चंद्र नक्षत्रों का प्रभाव
यदि चंद्र दिवस महीने की पहली और सातवीं या 19 और 28 तारीख के बीच पड़ता है तो भूमि पूजन करने से बचें क्योंकि इसे अशुभ माना जाता है। 8 से 18 तारीख के बीच पड़ने वाले किसी भी चंद्र दिवस को भूमि पूजन के लिए शुभ माना जाता है।
चंद्र नक्षत्रों का प्रभाव
यदि कोई चंद्र दिवस (तिथि) किसी महीने की 1 से 7 या 19 से 28 के बीच आता है, तो भूमि पूजन नहीं करना चाहिए, क्योंकि इसे अशुभ माना जाता है। जबकि 8 से 18 के बीच आने वाला कोई भी चंद्र दिवस भूमि पूजन के लिए शुभ होता है।
घर के निर्माण कार्य की शुरुआत से पहले वृष-वास्तु की गणना करनी चाहिए। ज्योतिष के अनुसार, यदि किसी दिन का नक्षत्र सूर्य से गिने जाने पर 7 तक आता है, तो यह अशुभ होता है, अगले 11 शुभ माने जाते हैं, जबकि उसके बाद के 10 नक्षत्र अशुभ माने जाते हैं।
भूमि पूजन या गृह निर्माण के लिए श्रेष्ठ दिन
सोमवार: इस दिन घर निर्माण कार्य शुरू करना या भूमि पूजन करना नए आरंभ और समृद्धि का प्रतीक है।
बुधवार: यह दिन संचार और सफलता से जुड़ा होता है।
गुरुवार: इस दिन गृह निर्माण करने से वृद्धि और विस्तार प्राप्त होता है।
शुक्रवार: इस दिन भूमि पूजन या घर निर्माण कार्य करने से सौहार्द और संतुलन बना रहता है।
भूमि पूजन या गृह निर्माण पूजन के लाभ
सकारात्मक ऊर्जा: ऐसा माना जाता है कि भूमि पूजन करने से वह स्थान शुद्ध हो जाता है और नए घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
धरती माता व अन्य देवताओं को प्रसन्न करना: भूमि पूजन का अनुष्ठान धरती माता और वास्तु पुरुष जैसे कई देवताओं को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है, जो दिशाओं के देवता माने जाते हैं। वहीं भूमि पूजन धरती माता का आभार व्यक्त करने का एक तरीका है, जिन्होंने निर्माण के लिए आवश्यक भूमि संसाधन हमें दिए हैं। भूमि पूजन पंच तत्वों पृथ्वी, वायु, अग्नि, आकाश और जल की भी आराधना की जाती है।
आध्यात्मिक महत्व: भूमि पूजन एक प्राचीन हिंदू अनुष्ठान है, जो नए घर के मालिक को आध्यात्मिक आशीर्वाद और दिव्य कृपा प्रदान करने के लिए किया जाता है। इसके अलावा भूमि पूजन से निर्माण कार्य के दौरान अनजाने में हुए किसी भी प्रकार के नुकसान के लिए भूमिगत निवासियों से क्षमा प्रार्थना भी की जाती है।
विघ्न और नकारात्मकता का निराकरण: भूमि पूजन के अनुष्ठान वास्तु दोष और स्थान में मौजूद नकारात्मक ऊर्जा को दूर करते हैं। इस पूजन को करने से संपत्ति और इसके निवासियों को दुर्घटनाओं या अन्य असामयिक घटनाओं से सुरक्षा की प्राप्ति होती है।
फसल की पैदावार में बढ़ोतरी: यदि आप कृषि भूमि पर भूमि पूजन करते हैं तो यह भूमि मालिक को उच्च फसल उत्पादन दिलाने में मदद करता है।
भूमि पूजन 2025: नींव पूजन की तैयारी कैसे करें?
- भूमि पूजन की प्रक्रिया प्लॉट के चारों कोनों और बीच में गड्ढा खोदने से शुरू होती है। नींव के लिए भी एक गड्ढा खोदें।
- गड्ढों पर पानी छिड़कें और आसन बिछाएं। भूमि पूजन की रस्मों के लिए परिवार के सभी सदस्यों को एक साथ होना चाहिए।
- गृह निर्माण पूजा शुरू करने से पहले परिवार के सदस्यों को ‘हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे, हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे’ का जाप करना चाहिए।
- जल, मिट्टी, औषधि बांटकर कलश में रखें।
- कलश को फूलों की माला से सजाएं और उस पर ‘श्री’ लिखें। अगरबत्ती जलाएं।
- सिंदूर से पांच पत्थरों पर ‘श्री’ लिखें। पूर्वोत्तर कोने में आसन बिछाएं।
- खूँटे और पत्थर पाँचों गड्ढों में डालें।
- हरेक कलश पर बैल, घोड़े, आदमी, हाथी और सांप की मूर्ति स्थापित करें और पूजा शुरू करें। सभी कलशों की पूजा की जाती है।
भूमि पूजन की विधि क्या है
- स्थान की पहचान और शुद्धिकरण: भूमि पूजन के लिए उचित स्थान का चयन करें। स्नान करने के बाद इस स्थान को अच्छे से साफ करें। शुद्धिकरण के लिए गंगाजल का छिड़काव करें।
- गड्ढा खोदना: पूजन की शुरुआत भूखंड के चारों कोनों और मध्य में गड्ढे खोदने से होती है। यह गड्ढा भवन की नींव के लिए भी आवश्यक होता है। गड्ढों में जल छिड़ककर आसन लगाएं। नींव का चयन शुभ मुहूर्त और संपत्ति मालिक के नाम के आधार पर किया जाता है।
- पूजा की तैयारी: परिवार के सदस्यों को ‘हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे, हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे’ मंत्र का जाप करना चाहिए। जल, मिट्टी, औषधि को एक पात्र में एकत्र करें और उन्हें कलश में डालें। कलश को फूलों की माला से सजाएं और उस पर ‘श्री’ लिखें। धूप जलाकर वातावरण को शुद्ध करें। पाँच पत्थरों पर सिंदूर से ‘श्री’ लिखें। पूर्वोत्तर कोने में आसन बिछाकर सभी पाँच गड्ढों में खूंटियां और पत्थर रखें।
- मूर्ति स्थापना और पूजा: प्रत्येक कलश पर बैल, घोड़ा, पुरुष, हाथी और नाग की प्रतिमा स्थापित करें और पूजा प्रारंभ करें। सभी कलशों की विधिवत पूजा की जाती है।
- वास्तु पुरुष मंडल निर्माण: निर्माण स्थल के पूर्वोत्तर कोने में 64 भागों वाला चित्र बनाया जाता है, जो विभिन्न देवताओं और वास्तु पुरुष का प्रतिनिधित्व करता है।
- पुरोहित द्वारा पूजन अनिवार्य: भूमि पूजन किसी योग्य पुरोहित द्वारा कराया जाना चाहिए। यह अनिवार्य है ताकि वास्तु दोष और नकारात्मक ऊर्जाओं को समाप्त किया जा सके।
- सही दिशा में बैठकर पूजा करें: भूमि पूजन करते समय व्यक्ति को पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठना चाहिए। पुरोहित आमतौर पर उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठते हैं।
- भगवान गणेश की पूजा: भूमि पूजन की शुरुआत भगवान गणेश की आराधना से होती है। यह पूजन कार्य में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए किया जाता है।
- नाग देवता और अन्य मूर्तियों की स्थापना: तेल या घी का दीपक जलाया जाता है। भगवान गणेश की पूजा के बाद नाग देवता की चांदी की प्रतिमा और कलश की पूजा की जाती है। नाग पूजा का महत्व यह है कि शेषनाग पृथ्वी के अधिपति माने जाते हैं और भगवान विष्णु के सेवक हैं। इसलिए उनका आशीर्वाद लेना आवश्यक होता है। नाग देवता, जो पाताल लोक के निवासी हैं, उनसे भवन निर्माण कार्य प्रारंभ करने की स्वीकृति मांगी जाती है।
- कलश पूजा: कलश ब्रह्मांड का प्रतीक होता है। इसे जल से भरा जाता है और उसके ऊपर आम या पान के पत्ते रखे जाते हैं। एक नारियल उल्टा रखकर, उसमें सिक्का और सुपारी डाली जाती है। यह पूजा भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए की जाती है। कलश पूजा से दिव्य ऊर्जा सक्रिय होती है और भूमि पर समृद्धि व सकारात्मकता आती है।
- मुख्य भूमि पूजन विधि: शुभ मुहूर्त पर मुख्य पूजा संपन्न की जाती है, जिसमें गणेश पूजन और हवन शामिल होता है।
विस्तृत विधि क्षेत्र के अनुसार अलग-अलग हो सकती है।
शेषनाग का आह्वान आमतौर पर मंत्रोच्चारण और दूध, दही व घी अर्पित करके किया जाता है। आप देखेंगे कि पुजारी कलश में सुपारी और एक सिक्का डालते हैं ताकि देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त हो सके। जैसे-जैसे पूजा आगे बढ़ती है, दिशाओं के देवता (दिक्पाल), नाग देवता और कुलदेवता की पूजा की जाती है। भूमि खुदाई के समय नाग मंत्र का जाप किया जाता है। भूमि पूजन के अवसर पर उपस्थित लोगों में मिठाई या फल बांटना शुभ माना जाता है।
भेंट सामग्री
भूमि पूजन और मंत्रोच्चारण के दौरान पुजारी को फूल, अगरबत्ती, कलावा, अक्षत (कच्चे चावल), चंदन, हल्दी, रोली, सुपारी, फल और मिठाई अर्पित करनी चाहिए।
भूमि पूजन के बाद के अनुष्ठान: भूमि पूजन के बाद, मेहमानों और पुजारियों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करें और उन्हें भोजन व अन्य वस्तुएं अर्पित करें। पूजा स्थल को साफ करें। पूजा पूरी होने के बाद, स्थल पर निर्माण कार्य प्रारंभ करें।
भूमि पूजन मुहूर्त: सामग्री सूची
- देवताओं की मूर्तियाँ: भगवान् गणेश, माता लक्ष्मी, नाग देवता और अन्य देवी देवता मूर्तियाँ।
- पवित्र जल या फिर गंगाजल: पूजा स्थान को शुद्ध करने के लिये।
- कलश: पानी से भरा हुआ लोटा जिसके ऊपर आम का पल्लव व उसके ऊपर नारियल रखें।
- हवन कुंड: हवन कुंड एक पवित्र अग्नि कुंड जिसमें हवन किया जाता है।
भूमि पूजन के लिये अन्य सामाग्री
- चावल
- नारियल
- सुपारी
- फूल गुच्छा
- फल
- प्रसाद
- कपूर
- अगरबत्ती
- आरती के लिए कपास
- तेल या घी
- दीप या दीया
- पानी
- हल्दी पाउडर
- कुमकुम
- पेपर टॉवल
- कुल्हाड़ी
- क्वार्टर सिक्के
- नवरत्न
- पंचधातु
आजकल लोग भूमि पूजन सामग्री किट ऑनलाइन भी मंगवा सकते हैं.
नए घर में मुख्य दरवाजे की चौखट लगाने से पहले इन चीजों को कंक्रीट स्लैब पर रखा जाता है:
- मूल नवरत्न जिसमें मूल रत्न शामिल हैं।
- शुद्ध धातुओं से बनाया गया मूल पंचलोहा
- पीतल से बना वास्तु विग्रह
- पीतल से बना वास्तु यंत्र
- मरकरी बीड
- तांबे का सिक्का
- तांबे की कील
इन वस्तुओं को रखने से पृथ्वी की ऊर्जा को नए घर में ट्रासंफर करने में मदद मिलती है।
भूमि पूजन मुहूर्त का नकारात्मक पक्ष
भूमि पूजन मुहूर्त की एक सीमा यह है कि यह व्यक्ति को एक विशेष दिन और समय पर अनुष्ठान करने के लिए बाध्य करता है। यह सभी के शेड्यूल और सुविधाओं के अनुसार अनुकूल नहीं हो सकता। इससे निर्माण कार्य में देरी भी हो सकती है। इसके अलावा चुनी गई शुभ तिथि पर प्रतिकूल मौसम होने से निर्माण कार्य बाधित हो सकता है।
भूमि पूजा मंत्र
विभिन्न मंत्रों का जाप देवताओं को प्रसन्न करने और उस भूमि में निवास करने वाली शुभ सकारात्मक ऊर्जाओं को आमंत्रित करने के लिए किया जाता है।
भूमि पूजन का सबसे महत्वपूर्ण मंत्र है – ‘ॐ वसुधाराय विद्महे भूतधात्राय धीमहि तन्नो भूमिः प्रचोदयात’, जिसका अर्थ है – ‘आइए, हम सभी वस्तुओं की प्रदाता भूमि देवी का स्मरण करें; हम प्रार्थना करते हैं कि वह हमें समृद्धि और सौभाग्य का आशीर्वाद दें।’
इसके अलावा अन्य मंत्रों का भी जाप किया जाता है, जैसे कि बाधाओं को दूर करने के लिए गणेश मंत्र और जीवन में सुख-समृद्धि लाने व नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करने के लिए गायत्री मंत्र।
इसके अतिरिक्त, भूमि गायत्री मंत्र का भी भूमि पूजन के दौरान उच्चारण किया जाता है, क्योंकि यह भूमि देवी की उपस्थिति को आमंत्रित करता है और प्रार्थनाओं के माध्यम से हमें परम शक्ति से सीधे जुड़ने में सहायता करता है। यह हमारे ग्रह पृथ्वी और इस पर निवास करने वाले विभिन्न जीवों से हमारा संबंध स्थापित करता है।
यह भी देखें: वास्तु के अनुसार पूजा रूम कैसे सेट करें
भूमि पूजन करते समय इन बातों की रखें सावधानी
- भूमि पूजन करते समय इस बात का ध्यान रखें कि जिस स्थान पर पूजन किया जाना है, वह स्थान पूरी तरह से साफ हो।
- पूजन स्थल से कांटेदार पेड़-पौधों को हटा दें। उस स्थान पर कांटेदार पेड़ या पौधे जीवित न हों।
- इस बात का भी ध्यान रखें कि संपत्ति का अधिकार लेने के बाद भी भू-स्वामी को उस जमीन पर खेती करना चाहिए और पौधे लगाना चाहिए।
- भूमि पूजन के लिए हिंदू पंचांग देखकर शुभ शुभ मुहूर्त का चयन करना चाहिए।
- भूमि-पूजन के दौरान गाय या बछड़े की पूजा भी करना चाहिए। इस दौरान गाय को हरी घास खिलाने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
- भूमि-पूजन के दौरान मंत्रों का ठीक से उच्चारण करें।
- भूमि पूजन से पहले ही उस जमीन का पिछला रिकॉर्ड भी चेक कर लें। सबसे उपजाऊ मिट्टी वाले प्लॉट का चयन करें। इस बात का भी ध्यान रखें कि जमीन पथरीली न हो।
- ऐसी भूमि का चयन करें, जो पूरी तरह से समतल हो।
- वास्तु नियमों के अनुसार, ऐसी प्लॉट का चयन करना चाहिए, जिसके पूर्वी हिस्से, उत्तरी हिस्से या उत्तर-पूर्वी हिस्से की ओर से सड़क आ रही हो।
- भूमि पूजन के लिए धार्मिक पुस्तकों और पवित्र सामग्रियों का उपयोग करें। अनुचित या अशुद्ध वस्तुओं से बचें।
- भूमि पूजन करते समय प्राकृतिक परिवेश का भी ध्यान रखें। प्लॉट के आसपास हरियाली हो और सेहत का लाभ पहुंचाने वाले पेड़ पौधे लगे हों।
- यदि किसी कारण से जमीन खरीदने के बाद निर्माण शुरू नहीं कर पा रहे हैं, तो प्लॉट के मध्य भाग को साफ रखना चाहिए। इस बारे में वास्तु शास्त्र के जानकार और ज्योतिष विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए।
- घर का निर्माण शुरू करने से पहले कंपाउंड की दीवार बनानी चाहिए। दीवार के दक्षिण-पश्चिम भाग की ऊंचाई अन्य दीवारों की तुलना में अधिक हो। पूर्व और उत्तर की दीवारें दक्षिण और पश्चिम की दीवारों से छोटी हो सकती हैं। कंपाउंड की दीवार बनाने से पहले भूमि पूजन करने की आवश्यकता नहीं होती है।
भूमि पूजन के दौरान की जाने वाली गलतियां
शुभ मुहूर्त न देखना: एक आम गलती यह होती है कि लोग भूमि पूजन के लिए शुभ मुहूर्त पंडित से नहीं पूछते। अशुभ समय में भूमि पूजन करने से ऊर्जा संतुलन बिगड़ सकता है।
वास्तु नियमों की अनदेखी: भूमि पूजन का आयोजन वास्तु नियमों के अनुसार होना चाहिए। वास्तु का पालन न करने से संरचना की ऊर्जा प्रवाह में असंतुलन आ सकता है।
गलत पूजा सामग्री का उपयोग: देवताओं को निम्न गुणवत्ता की सामग्री अर्पित करना अशुभ माना जाता है। हमेशा ताजे फूल, फल, अनाज आदि का उपयोग करना चाहिए।
भूमि पूजन की किसी प्रक्रिया को छोड़ना: भूमि पूजन में तीन प्रमुख चरण होते हैं, जिनमें देवताओं को अर्पण और मंत्रों का उच्चारण शामिल है। किसी भी चरण को छोड़ने से पूजा का आध्यात्मिक महत्व प्रभावित हो सकता है।
भूमि की तैयारी की अनदेखी: भूमि पूजन से पहले यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि भूमि समतल हो और वहां कोई कचरा या अव्यवस्था न हो। इस नियम की अनदेखी करने से पूजन की पवित्रता भंग हो सकती है।
भूमि पूजन के लिए वास्तु नियम
- शुभ मुहूर्त चुनें: भूमि पूजन के लिए शुभ दिन और समय निर्धारित करें।
- स्थान की तैयारी करें: जिस जगह पर भूमि पूजन होना है, उसे साफ-सुथरा रखें। वहां कोई बाधा न हो और रंगोली, फूल आदि से सजावट करें। कांटेदार पेड़-पौधों को हटा दें।
- चारदीवारी का निर्माण करें: भूमि पूजन से पहले चारदीवारी बनाना आवश्यक है। दक्षिण-पश्चिम दिशा की दीवार अन्य दीवारों से ऊंची होनी चाहिए। पूर्व और उत्तर दिशा की दीवारें दक्षिण और पश्चिम की तुलना में छोटी हो सकती हैं।
- समर्पण सामग्री की व्यवस्था करें: फलों, फूलों, धान्य और धूप आदि को भूमि देवता को समर्पित करें, जिससे आभार प्रकट किया जा सके और देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त हो।
- गाय का महत्व: भूमि पर बछड़ा या गाय रखना शुभ माना जाता है। गाय का वहां की घास खाना शुभ संकेत होता है।
- मंत्रोच्चार करें: भूमि देवी और वास्तु पुरुष का आशीर्वाद पाने के लिए उचित मंत्रों का उच्चारण करें।
- नींव पत्थर की उचित स्थापना: वास्तु और धार्मिक विधियों के अनुसार निर्धारित स्थान पर नींव का पत्थर या ईंट स्थापित करें।
- स्पष्ट संकल्प लें: निर्माण कार्य के लिए शुभ संकल्प लें और सफलता हेतु ईश्वरीय आशीर्वाद प्राप्त करें।
- श्रद्धा प्रकट करें: भूमि और पूजन के दौरान आहूत देवताओं के प्रति आदर और विनम्रता दिखाएं।
- समाप्ति और आशीर्वाद: भूमि पूजन को समर्पण, प्रार्थना और सभी संबंधित लोगों की समृद्धि की कामना के साथ संपन्न करें।
पूजन के बाद संकल्प निभाएं: भूमि पूजन के बाद, भूमि और उसके परिवेश के साथ सकारात्मक संबंध बनाए रखें और किए गए संकल्पों का पालन करें, जिससे समृद्धि और सौहार्द बना रहे।
घर के निर्माण से संबंधित चरण क्या हैं?
भारत में घर निर्माण शुरू करने के लिए 2025 में सबसे अच्छे महीने
घर निर्माण शुरू करने के लिए सबसे अच्छा समय
मौसम के अनुसार निर्माण कार्य की गति बदलती है। आपने कई ठेकेदारों को शरद ऋतु (सितंबर के अंत से नवंबर तक) में घर बनाने की सिफारिश करते देखा होगा। इसका कारण यह है कि इस समय मिट्टी न तो सर्दियों में जमती है और न ही गर्मियों में इतनी गर्म होती है कि निर्माण सामग्री को नुकसान पहुंचे। शरद ऋतु का मौसम घर निर्माण शुरू करने और बाहरी काम को पूरा करने के लिए सबसे अनुकूल होता है। इसके बाद ठेकेदार धीरे-धीरे इंटीरियर के काम पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं।
घर के नवीनीकरण का सही समय
अगर आपका मुख्य ध्यान इंटीरियर पर है जैसे नवीनीकरण या रिमॉडलिंग तो सर्दियों का समय बुरा नहीं होता है। सर्दियों में मजदूरों के लिए काम करना आसान होता है क्योंकि गर्मियों में 45 डिग्री सेल्सियस तक तापमान पहुंच जाता है। हालांकि, इस दौरान यह सुनिश्चित करें कि बजट न बढ़े। अगर आपके क्षेत्र में सर्दियों में प्रदूषण अधिक होता है तो यह समय उपयुक्त नहीं हो सकता।
बसंत ऋतु में निर्माण कार्य शुरू करना
अगर मिट्टी गीली या जमी नहीं है तो वसंत ऋतु (मार्च-अप्रैल) भी अच्छा समय हो सकता है। भारत में ठेकेदार इस समय इंटीरियर का काम करना पसंद करते हैं। हालांकि अगर आपका घर बनाने का प्रोजेक्ट लंबे समय तक चलेगा तो बसंत के मौसम का पूरा उपयोग किया जा सकता है।
गर्मियों में घर निर्माण करना
अगर आपको घर निर्माण में देरी की उम्मीद है, तो गर्मियों में शुरुआत करें। गर्मियों के लंबे दिन मजदूरों को दिन का समय अच्छे से इस्तेमाल करने में मदद करते हैं। मौसम बहुत गर्म हो सकता है, लेकिन फिर भी आराम के बाद भी दिन की रोशनी ज्यादा देर तक रहती है और उसका बेहतर उपयोग किया जा सकता है। यह समय ऐसे प्रोजेक्ट्स के लिए अच्छा होता है, जिन्हें पूरा होने में ज्यादा समय लगता है।
यह भी देखा गया है कि गर्मियों की शुरुआत में जब बहुत सारे लोग निर्माण कार्य शुरू करते हैं, तो कच्चे माल की कीमतें भी बढ़ जाती हैं। आप फायदे और नुकसान को तौलकर फैसला ले सकते हैं।
मानसून के बाद का समय: सबसे अच्छा निर्माण मौसम
भारत में निर्माण कार्य के लिए सबसे उपयुक्त समय मानसून के बाद का समय होता है, जो सितंबर से मार्च तक होता है। वर्षा के कारण निर्माण कार्यों में बाधा आती है या निर्माण की गुणवत्ता पर असर पड़ता है, इसलिए यह नया मकान बनाने की शुरुआत करने का आदर्श समय माना जाता है। इस मौसम के दौरान RCC, चिनाई, फर्श और प्लास्टर के कार्य के लिए पर्याप्त समय मिलता है। भारत में लगभग 24 डिग्री सेल्सियस और ±5 डिग्री सेल्सियस का तापमान ठंडा माना जाता है, जो कंक्रीट मिश्रण में मिलाए गए सीमेंट के सही होता है।
सर्दियों में घर निर्माण: सबसे अच्छा समय
घर निर्माण का आदर्श समय सूखे मौसम के दौरान होता है, जो भारत के अधिकांश हिस्सों में आम तौर पर अक्टूबर से मार्च तक होता है। ऐसे में सर्दी का मौसम एक अनुकूल समय होता है, जिसे नए घर के निर्माण के लिए विचार किया जा सकता है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि सर्दी के महीनों में बने ढांचे, जो सामान्यतः सूखे होते हैं, गर्मियों में बने ढांचों की तुलना में बेहतर बनते हैं। इसके अतिरिक्त, सर्दी में कम तापमान कंक्रीट मिश्रण में सीमेंट में नमी बनाकर रखता है। निर्माण के दौरान इसे लगाने के बाद, ढांचे को वर्षा से बचाया जाना चाहिए, जिससे निर्माण की गुणवत्ता सुनिश्चित होती है और ढांचा टिकाऊ बनता है।
निर्माण के लिए किस दिशा में मुख वाला प्लॉट अच्छा है?
वास्तु शास्त्र के अनुसार, उत्तर मुखी प्लॉट नए घर के निर्माण के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। अन्य शुभ दिशाएं पूर्व मुखी और पश्चिम मुखी प्लॉट होती हैं। दक्षिण मुखी प्लॉट से बचना चाहिए, क्योंकि इसे अशुभ माना जाता है। प्लॉट का मुख्य प्रवेश द्वार उत्तर या पूर्व दिशा में होना चाहिए।
घर बनाने के लिए प्लॉट चुनने के टिप्स
- सबसे उपजाऊ मिट्टी वाला प्लॉट चुनें।
- घर बनाने के लिए पथरीली जमीन से बचें।
- ऐसा प्लॉट लें, जिसमें सड़क पूर्व या उत्तर दिशा से उत्तर-पूर्व भाग की ओर आती हो।
- जमीन की ढलान उत्तर या पूर्व दिशा की ओर हो।
भूमि पूजन 2025 इनविटेशन कार्ड
आप कस्टमाइज्ड निमंत्रण भेजकर अपने दोस्तों और परिवार को भूमि पूजन समारोह में बुला सकते हैं। आपको भूमि पूजन के बारे में सभी जरूरी जानकारियां देनी चाहिए जैसे तिथि, स्थान, समय आदि। वास्तु पूजा निमंत्रण का यह नमूना देखें।
स्रोत: Behance (Pinterest)
Housing.com का पक्ष
शुभ दिन पर भूमि पूजन करने से वास्तु शास्त्र के अनुसार कई लाभ मिलते हैं। हालांकि, 2025 में घर निर्माण शुरू करने की शुभ तिथि स्थान, हिंदू कैलेंडर, कुंडली आदि के अनुसार अलग हो सकती है। ध्यान देने वाली बात यह है कि पूरा दिन शुभ नहीं होता, मुहूर्त केवल एक निश्चित समय के लिए हो सकता है, इसलिए आपके लिए सबसे अच्छे भूमि पूजन के दिन जानने के लिए ज्योतिष और वास्तु विशेषज्ञ से परामर्श करना उचित होगा।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
कौन सा दिन भूमि पूजन के लिए शुभ होता है?
सोमवार और गुरुवार को भूमि पूजन के लिए शुभ माना जाता है।
भूमि पूजन में किन-किन देवताओं की पूजा की जाती है?
भूमि पूजन में वास्तु पुरुष, माता पृथ्वी, नाग देवता और पंच तत्वों की पूजा की जाती है।
वास्तु पुरुष कौन हैं?
वास्तु पुरुष भूमि और दिशाओं के देवता हैं। भवन निर्माण की वह विद्या, जो प्रकृति के अनुसार हो, उसे वास्तु कहते हैं। वास्तु पुरुष ऊर्जा, शक्ति, आत्मा और ब्रह्मांडीय पुरुष का प्रतीक माने जाते हैं।
भूमि पूजन के बाद क्या करना चाहिए?
वास्तु के अनुसार, जल समृद्धि का प्रतीक है। जल का स्रोत महत्वपूर्ण होता है, इसलिए निर्माण कार्य शुरू करने से पहले कुआं या जल संग्रहण का गड्ढा खोदना शुभ माना जाता है। वास्तु के अनुसार, इसे उत्तर या उत्तर-पूर्व दिशा में खोदना चाहिए और दक्षिण दिशा से बचना चाहिए।
भूमि पूजन की लागत कितनी होती है?
भूमि पूजन का खर्च लगभग 3000 रुपए से 10000 रुपए तक हो सकता है। हालांकि, कुल लागत विभिन्न कारकों पर निर्भर करती है।
घर बनाने के लिए सबसे अच्छा मौसम कौन सा होता है?
भारत में ग्रीष्म ऋतु और मानसून के बाद का समय घर निर्माण के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है।
शंकु स्थापना मुहूर्त क्या होता है?
शंकु स्थापना किसी खाली भूमि पर नींव रखने की प्रक्रिया को कहते हैं, जिसे भूमि पूजन भी कहा जाता है। इसे भारत में विभिन्न नामों से जाना जाता है, जैसे भूमि पूजन समारोह, नींव पूजन और शिलान्यास।
क्या हम बिना पंडित के भूमि पूजन कर सकते हैं?
वास्तु के अनुसार, भूमि पूजन का आयोजन किसी योग्य पंडित की उपस्थिति में करना आवश्यक होता है। वह शुभ मुहूर्त की जानकारी देते हैं और वास्तु दोष एवं नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने में मदद करते हैं।
निर्माण स्थल पर भूमि पूजन कहां करना चाहिए?
भूमि पूजन को निर्माण स्थल के उत्तर-पूर्वी कोने में करना चाहिए। इसी दिशा में खुदाई या टाइलिंग की शुरुआत करनी चाहिए, क्योंकि इस क्षेत्र का स्तर बाकी स्थल की तुलना में नीचे होना चाहिए। इससे उत्तर-पूर्व नीचा और दक्षिण-पूर्व ऊँचा हो जाता है, जो वास्तु के अनुसार शुभ माना जाता है।
घर बनाने में न्यूनतम समय कितना लगता है?
छोटे या मध्यम आकार के घर का निर्माण पूरा होने में आमतौर पर 6 महीने से 1 वर्ष का समय लगता है। बड़े और जटिल संरचनाओं के निर्माण में अधिक समय लग सकता है।
क्या भूमि पूजन का समय महत्वपूर्ण होता है?
हाँ, जिस प्रकार दिन और तिथि महत्वपूर्ण होते हैं, उसी प्रकार पूजा शुरू करने का सही समय भी मायने रखता है। इसी कारण बड़े-बुजुर्ग पंडितों और ज्योतिषियों से परामर्श लेते हैं।
नींव पत्थर रखने का सबसे अच्छा समय क्या है?
सुबह का समय नींव रखने के लिए सबसे उत्तम माना जाता है। शाम या रात के समय नींव पत्थर रखने से बचना चाहिए।
2025 में घर निर्माण शुरू करने की तिथि कैसे चुनें?
कई लोगों को अपने जन्म की सही तारीख, समय और स्थान की जानकारी नहीं होती। ऐसे में पंडित नाम राशि के आधार पर शुभ मुहूर्त तय कर सकते हैं। तिथि, नक्षत्र आदि को ध्यान में रखते हुए भी शुभ दिन चुना जा सकता है। आजकल अनुभवी ज्योतिषियों से ऑनलाइन भी परामर्श लिया जा सकता है।
भूमि पूजन कौन कर सकता है?
गृह निर्माण या भूमि पूजन विधि घर के मुखिया को अपनी पत्नी के साथ करनी चाहिए। यह पूजा पंडित की उपस्थिति में की जानी चाहिए, ताकि वह शुभ मुहूर्त बता सकें और पूजा को विधि पूर्वक पूरा करने में मार्गदर्शन कर सकें। यदि घर की महिला गर्भवती हो तो घर निर्माण शुरू करने से बचना चाहिए।
क्या गर्भावस्था के दौरान भूमि पूजन किया जा सकता है?
वास्तु विशेषज्ञों के अनुसार, यदि घर में कोई महिला गर्भवती हो तो भूमि पूजन करने से बचना चाहिए।
(स्नेहा शेरोन मममेन और पूर्णिमा गोस्वामी शर्मा के अतिरिक्त इनपुट्स के साथ)
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