अगर आपको बड़े खर्चे जैसे घर लेना, शादी करना, इमरजेंसी या कोई बड़ी योजना में पैसे लगाना है, तो बेहतर है कि आप लोन लें. क्योंकि ऐसी परिस्थिति में अपनी गाढ़ी कमाई को खर्च करना सही विकल्प नहीं होता. अगर आप बैंक या किसी संस्था से लोन लेते हैं, तो आप आने वाले समय में इस लोन को महीने दर महीने आसान किश्तों में चुका सकते हैं. महीने दर महीने चुकाने वाली इन आसान किश्तों को ही EMI यानी इक्वेटेड मंथली इन्सटॉलमेंट कहते हैं. उदाहरण के तौर पर, अगर आप घर खरीद रहे हैं, तो आपको ढेर सारा पैसा एक साथ खर्च करना होगा. लेकिन अगर आप लोन लेते हैं, तो एक तो आपको टैक्स में छूट मिलेगी और दूसरा ये कि आप इसे आसान किश्तों (EMI) में आने वाले महीनों में चुका पाएंगे.
मौजूदा समय में जब महंगाई हर रोज बढ़ रही है, EMI आपको स्ट्रेस फ्री रखती है. क्योंकि इसके चलते आपको एक बार भारी-भरकम रकम खर्च नहीं करनी पड़ती. बस आपको हर महीने कुछ पैसे किश्तों (EMI) में भरने पड़ते हैं. इससे आपकी जेब पर भी ज्यादा असर नहीं पड़ता और धीरे-धीरे आपका लोन अमाउंट भी कम होता जाता है.
EMI क्या है?
EMI का मतलब है एक फिक्स्ड रकम जो आप बैंक या उस संस्था को उस रकम के एक छोटे हिस्से के तौर पर हर महीने अदा करते हैं, जो आपने लोन के रूप में ली हो. ये रकम आपको एक तय समय सीमा में हर महीने एक तय तारीख को जमा करनी होती है.
आसान शब्दों में कहें तो EMI यानी मासिक किस्त, एक फैसिलिटी है जो बैंक या अन्य फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन अपने कस्टमर को उपलब्ध कराते हैं. ताकि उनसे लोन के रूप में पैसा लेकर कस्टमर अपनी बड़ी जरूरतों को पूरा कर सकें. और उस रकम को एक ब्याज दर के साथ एक तय समय सीमा में किस्तों के रूप में चुका सकें. कस्टमर को इस रकम को EMI के रूप में हर महीने की एक तय तारीख को चुकाना होता है. कस्टमर के पास इस EMI रकम को चेक, ऑनलाइन या ऑटो-डेबिट फैसिलिटी के रूप में चुकाने का विकल्प होता है.
EMI के हिस्से
EMI के दो हिस्से यानी कंपोनेंट होते हैं- प्रिंसिपल रीपेमेंट और ब्याज. शुरुआती सालों में, EMI के ज्यादातर हिस्से में ब्याज होता है. लेकिन लोन के अंतिम सालों में प्रिंसिपल रकम ज्यादा होती है और ब्याज की रकम कम हो जाती है.
EMI: लोनमुक्ति शेड्यूल क्या है?
लोनमुक्ति शेड्यूल की बात विस्तृत टेबल को लेकर होती है जिसमें लोन का पूरा ब्योरा होता है. जिसमें EMI पेमेंट का ब्रेक-अप दिया जाता है. इसमें हर महीने के प्रिंसिपल अमाउंट, उसमें ब्याज कितना लगा है उसका ब्योरा रहता है. इस शेड्यूल के माध्यम से आप समझ सकते हैं कि कैसे सालों के दौरान आपने लोन पूरा किया.
लोनमुक्ति टेबल में शेड्यूल पेमेंट, कितना पैसा उधार लिया गया, और हर शेड्यूल पेमेंट में कितना ब्याज लगा, हर चीज का ब्योरा रहता है. इसके माध्यम से आप पता लगा सकते हैं कि लोन कैसे काम करता है. साथ ही टैक्स बेनिफिट में आपको कैसे फायदा मिलेगा, इसका भी पता लगा सकते हैं.
EMI केलकुलेटर क्या है?
EMI केलकुलेटर एक डिजिटल टूल है जो मासिक किस्तों की गणना करता है. उदाहण के तौर पर- EMI रकम जो आपको पे करनी है, आपके द्वारा दर्ज की गई डीटेल के आधार पर, जैसे कि लोन की अवधि, ब्याज की दर और लोन की रकम. इस टूल के माध्यम से आप आसानी से पता लगा सकते हैं कि आपको हर महीने कितनी रकम EMI के तौर पर भरनी है. कई तरह के EMI केलकुलेटर होते हैं, जैसे- पर्सनल लोन EMI केलकुलेटर, होम लोन के लिए EMI केलकुलेटर, एजुकेशन लोन EMI केलकुलेटर, आदि.
EMI केलकुलेटर इस्तेमाल करने के लाभ
फाइनेंशियल प्लानिंग: ऑनलाइन EMI केलकुलेटर बहुत उपयोगी है. इसकी मदद से आपको महीने में कितनी EMI देनी है, ये पता चल जाता है और अन्य इन्वेस्टमेंट के दौरान आपकी फाइनेंशियल प्लानिंग में मदद करता है.
सटीकता: जैसा कि केलकुलेशन कंप्युटर के माध्यम से होती है, तो आप निश्चिंत हो जाएं कि इसमें कोई गड़बड़ी होगी और जो रकम आपको EMI के तौर पर देनी होगी, वही इसमें दिखाई देगी.
एक्सेसिबल: अब आपको बैंक जाने की जरूरत नहीं. अब आप इसे अपने मोबाइल पर ही, जहां चाहें, जब चाहें वहां असानी से इस्तेमाल कर सकते हैं.
टाइम-सेविंग: अब आपको पेन पेपर पर हिसाब लगाते हुए ना ही माथा फोड़ने की जरूरत है और न ही समय गुजारने की, बल्कि इसके माध्यम से आप अपनी EMI को एक क्लिक में जान पाएंगे. इस तरह से आपके समय की भी बचत होगी.
आसानी से अन्य लोन को कर पाएंगे कंपेयर: अब आप अपने मोबाइल से ही अलग-अलग लोन ऑफर को कंपेयर कर सकते हैं. इसके लिए आपको जरूरी लोन रकम, अवधि डालना होगा. अलग-अलग तरह के कॉम्बिनेशन डालते हुए आप रिजल्ट को कंपेयर कर सकते हैं, ताकि आप सही फैसला ले पाएं.
EMI केलकुलेटर के प्रकार
आप किस तरह का लोन ले रहे हैं, उसे देखते हुए आपको अलग-अलग तरह के EMI केलकुलेटर का इस्तेमाल करना होगा. जिसके बारे में विस्तार से नीचे बताया गया है.
होम लोन EMI केलकुलेटर: होम लोन, जो सबसे लोकप्रिय और आम बैंक लोन है. इसके लिए रकम बड़ी होती है और अवधि काफी ज्यादा होती है.
एजुकेशन लोन EMI केलकुलेटर: इस तरह के केलकुलेटर का इस्तेमाल तब किया जाता है, जब किसी ने एजुकेशन लोन लिया हो, इस तरह के लोन की मोराटोरियम अवधि होती है. इस तरह से व्यक्ति पढ़ाई पूरी होने पर, इस तरह के लोन चुकाना शुरू कर सकता है.
पर्सनल लोन EMI केलकुलेटर: आज कल लोग पर्सनल लोन खूब लेने लगे हैं. क्योंकि आप इस लोन को घर की मरम्मत करवाने, घूमने जाने या शादी आदि के लिए ले सकते हैं.
कार लोन EMI केलकुलेटर: अगर आप नई कार खरीदने के लिए लोन लेने जा रहे हैं, तो आप कार लोन EMI केलकुलेटर के माध्यम से अपनी EMI पता कर सकते हैं. अगर आप समय पर लोन नहीं चुका पाते, तो बैंक आपकी कार वापस ले सकता है.
प्रॉपर्टी के नाम पर लोन EMI केलकुलेटर: अगर आप प्रॉपर्टी के नाम पर लोन लेना चाहते हैं, तो आप अपनी प्रॉपर्टी को कॉलेटरल सिक्योर करते हुए, यह लोन ले सकते हैं. जब आप इस तरह के लोन ले रहे हों, तो EMI केलकुलेटर के माध्यम से अपनी महीने की EMI केलकुलेट कर लें और समझें कि यह कैसे काम करता है.
EMI कैसे केलकुलेट की जाती है?
नीचे दिए गए मैथमैटिकल फॉर्मूला के आधार पर EMI कैलकुलेट की जाती है
EMI = P × r × (1 + r) ^ n / ((1 + r) ^ n – 1)
जहां,
P = लोन की रकम
r = ब्याज की दर, जो महीने के हिसाब से कैलकुलेट की जाती हैै.
n = लोन की अवधि (महीने में).
नीचे दिए गए उदाहरण के हिसाब से समझते हैं:
विनय ने 5 लाख रुपये का लोन लिया 12% के इटरेस्ट रेट पर, वो भी 3 साल के लिए. EMI ऊपर दिए गए फॉर्मूला के आधार पर कैलकुलेट की जाएगी.
टेबल
EMI, यानी मासिक किस्त, इसे दो तरीके से कैलकुलेट किया जा सकता है- फ्लैट रेट तरीका और रीड्यूसिंग बैलेंस तरीका, जिसके बारे में नीचे बताया गया है:
फ्लैट रेट तरीका
फ्लैट रेट मैथड में, EMI को प्रिंसिपल लोन और ब्याज को प्रिंसिपल रकम से जोड़ने, रिजल्ट को पीरियड की संख्या के भाग देने और कुल महीनों की संख्या से गुणा करने पर कैलकुलेट किया जाता है.
उदाहरण के तौर पर, लोन की रकम 3 प्रतिशत ब्याज की दर पर 3,00,000 रुपये है और कुल समय 10 साल है
तो, EMI = (3,00,000 + (3,00,000 x 10 x 0.030) ) / 10 x 12 = 3,90,000 / 120 = 3,250
तो, फ्लैट रेट मैथेड के आधार पर, मासिक किस्त यानी EMI 3,250 रुपये बनी.
रिड्यूसिंग बैलेंस तरीका
रिड्यूसिंग बैलेंस मैथेड के जरिए आपको ये फॉर्मूला लगाना होगा:
EMI = (P x I) x ( (1 + r)n ) / (t x ( (1+r) n )
जहां,
P प्रिंसिपल रकम है
I सालाना ब्याज दर है
r महीने की ब्याज दर है
t उस साल के कुल महीने हैं
n महीने का कुल भुगतान है
EMI: फैक्टर जो आपकी EMI को प्रभावित कर सकते हैं
ये रहे मुख्य फैक्टर जो आपकी EMI को प्रभावित कर सकते हैं:
प्रिंसिपल लोन अमाउंट: यह वह रकम है जो व्यक्ति किसी बैंक या संस्था से लोन के रूप में लेता है. इसी के आधार पर EMI तय की जाती है. अगर प्रिसिंपल ररकम ज्यादा है, तो EMI भी बढ़ेगी.
ब्याज की दर: यह वह ब्याज की दर है जो बैंक या संस्था जिससे आपने लोन लिया है वह रीपेमेंट के तौर पर चार्ज करती है. यह रेट लोन लेने वाले की क्रेडिट प्रोफाइल पर निर्भर करता है.
लोन की अवधि: लोन की अवधि का मतलब है वो समय जिसके अंदर लोन लेने वाले को पूरा लोन, ब्याज समेत अदा करना होता है. अगर लोन चुकाने की अवधि लंबी है, तो आपको बैंक को ज्यादा ब्याज चुकाना होगा.
लोन ब्याज रेट के प्रकार क्या हैं?
लोन ब्याज रेट निम्न प्रकार के होते हैं:
निश्चित ब्याज दर: यहां, ब्याज दर लोन अवधि के दौरान अपरिवर्तित रहती है. इसलिए, लोन EMI समान रहता है. आमतौर पर, निश्चित ब्याज दरें वर्तमान फ्लोटिंग ब्याज दरों से 1% से 2% अधिक होती हैं. हालांकि, चूंकि ब्याज दर अलग-अलग नहीं होती है, इसलिए आपको अपने भविष्य के EMI भुगतानों के बारे में स्पष्ट जानकारी मिल जाती है.
फ्लोटिंग या परिवर्तनीय ब्याज दर: फ्लोटिंग ब्याज दरों के मामले में, बाजार के रुझान के आधार पर ब्याज दर परिवर्तन होती रहती है. यह लोन देने वाली संस्था द्वारा दी जाने वाली बेस रेट पर आधारित है. इस प्रकार, यदि बेस रेट बदलता है तो ब्याज दरें अपने आप से बदल जाती हैं.
होम लोन EMI क्या है?
होम लोन एक प्रकार का लोन है, जिसे कोई घर खरीदने के लिए किसी बैंक या किसी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (NBFC) से उधार ले सकता है. यह लोकप्रिय प्रकार के लोन में से है. चूंकि संपत्ति की कीमतें बढ़ रही हैं, इसलिए होम लोन का विकल्प चुनना बुद्धिमानी है. बैंक या उधार देने वाली संस्था इस लोन पर एक विशिष्ट ब्याज दर लगाती है. यह लोन लंबी अवधि के लिए बड़ी रकम का हो सकता है. होम लोन की EMI में मूलधन और ब्याज का हिस्सा शामिल होता है, जो कि लोन की अवधि के हिसाब से तय होता है.
क्या आपको फिक्स्ड ब्याज दर या फ्लोटिंग ब्याज दर का विकल्प चुनना चाहिए?
चूंकि निश्चित ब्याज दरें आपको EMI भुगतान को लेकर रिलेक्स रखती हैं, जिसकी पेमेंट एक ही तय रकम करनी होती है, आप इसका विकल्प चुन सकते हैं क्योंकि इससे आपको अपने भुगतानों के बारे में ज्यादा सोचना नहीं पड़ेगा, खासकर यदि आप ब्याज दरों में वृद्धि का जोखिम नहीं उठाना चाहते हैं. आदर्श रूप से, यह उपयुक्त है यदि लोन की अवधि तीन से 10 वर्ष के बीच हो।
हालांकि, यदि यह 20 या 30 वर्षों का ज्यादा समय का लोन है, तो फ्लोटिंग ब्याज दर का चयन करना उचित है. फ्लोटिंग ब्याज दर चुनें जब आप जानते हैं कि बेस रेट एक अवधि के दौरान स्थिर या कम रहेगी. आप पूर्व भुगतान की योजना बना सकते हैं और अपने लोन पर कुल ब्याज कम कर सकते हैं, जिससे काफी बचत हो सकती है.
क्या लोन अवधि के दौरान EMI में बदलाव होता है?
मासिक किस्त या EMI की गणना फैक्टर्स के आधार पर की जाती है, जैसे लोन रकम, ब्याज दर और अवधि. हालांकि, EMI के रूप में भुगतान की जाने वाली राशि कुछ शर्तों के आधार पर, लोन अवधि के दौरान अलग हो सकती है.
हम नीचे उनकी चर्चा कर रहे हैं:
फ्लोटिंग ब्याज दर: फिक्स्ड रेट लोन के मामले में, EMI रकम समान रहती है. हालांकि, यदि कोई फ्लोटिंग ब्याज दर का विकल्प चुनता है, तो ब्याज दर में बदलाव हो सकती है, क्योंकि फ्लोटिंग ब्याज दर बाजार के परिदृश्य के अनुसार बदलती रहती है. इसलिए, यह आपके द्वारा देय EMI को प्रभावित करेगा.
लोन का पूर्व भुगतान: कई बैंक समय से पहले एकमुश्त राशि के रूप में लोन राशि के एक हिस्से का पूर्व भुगतान करने की सुविधा प्रदान करते हैं. लोन राशि का पूर्व भुगतान करने से, मूल राशि कम हो जाएगी, इस प्रकार, देय EMI राशि कम हो जाएगी. प्रीपेमेंट एक व्यक्ति को ब्याज पर बचत करने में सक्षम बनाता है.
प्रोग्रेसिव EMI: कुछ उधार देने वाली संस्थाएं लोन राशि चुकाने के लिए प्रोग्रेसिव EMI के विकल्प की अनुमति देती हैं. एक तय अवधि के लिए एक निश्चित EMI का भुगतान करने की आवश्यकता होती है, जिसके बाद राशि बाद में बढ़ जाती है. यह आमतौर पर लंबी अवधि के लोन के मामले में लागू होता है।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
EMI का मतलब क्या है
EMI का मतलब मासिक किस्त
EMI अच्छी है या बुरी?
जबकि EMI विकल्प किश्तों में लोन चुकाने की सुविधा प्रदान करता है, आपको इस तथ्य को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए कि आप प्रोडक्ट के वास्तविक मूल्य से अधिक भुगतान कर रहे हैं. ब्याज और प्रोसेसिंग फीस के रूप में अतिरिक्त पैसा देते हैं. इसके अलावा, यदि आप EMI भुगतान में चूक करते हैं, तो यह आपके क्रेडिट स्कोर को प्रभावित कर सकता है और आपको अतिरिक्त शुल्क या बढ़ी हुई ब्याज दरों का वहन करना पड़ सकता है. हालांकि, जब लंबी अवधि के खर्चों की बात आती है जैसे कि घर खरीदना, EMI सुविधा के साथ लोन प्राप्त करना अत्यधिक फायदेमंद होता है, क्योंकि आप टैक्स बेनिफिट का आनंद लेते हुए समय पर भुगतान आसानी से कर सकते हैं.
EMI और लोन में क्या अंतर है?
एक लोन उस राशि के बारे में बताता है जो एक बैंक या वित्तीय संस्थान एक उधारकर्ता को एक समझौते के बदले में उधार देता है कि उधारकर्ता ब्याज सहित राशि चुकाएगा। EMI लेन-देन पद्धति को बताता है, जिसके आधार पर उधारकर्ता एक तय अवधि में एक तय ब्याज दर पर लोन चुकाता है।
क्या पर्सनल लोन की EMI पर GST लागू है?
GST लोन चुकौती राशि या लोन पर ब्याज पर लागू नहीं है. हालांकि, GST आपके लोनदाता द्वारा लगाए गए प्रोसेसिंग फीस और अन्य फीस पर लागू होगा.
EMI समय पर न चुकाने पर क्या होता है?
अगर समय पर EMI का भुगतान नहीं किया जाता है, तो यह उधारकर्ता के क्रेडिट स्कोर को प्रभावित कर सकता है. आम तौर पर, बैंक किसी ग्राहक को डिफॉल्टर नहीं मानते हैं यदि वह एक बार EMI भुगतान करने से चूक जाता है और यदि ग्राहक लगातार तीन बार चूक करता है तो उसे रिमाइंडर भेजेगा. बैंक देर से जुर्माना शुल्क जारी करते हैं और अगर ग्राहक रिमाइंडर का जवाब नहीं देते हैं तो नोटिस जारी कर सकते हैं.
मामूली और बड़ी चूक क्या हैं?
90 दिनों के भीतर किए गए EMI भुगतानों को मामूली चूक माना जाता है जबकि पिछले 90 दिनों या उससे अधिक के भुगतानों को प्रमुख चूक माना जाता है. ऐसे लोन खातों को NPA के रूप में बांटा किया जाता है।
नो कॉस्ट EMI क्या है?
'नो कॉस्ट EMI' एक ऐसे लोन को बताता है, जहां आपको मूलधन पर अतिरिक्त ब्याज का भुगतान नहीं करना पड़ता है. यह आम तौर पर खुदरा विक्रेताओं/ऑनलाइन मार्केटप्लेस द्वारा उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुओं, इलेक्ट्रॉनिक्स इत्यादि जैसे अपेक्षाकृत छोटी टिकट खरीद के लिए दिया जाता है.