क्या सब-रजिस्ट्रार आपके प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन एप्लीकेशन को रिजेक्ट कर सकता है?

कुछ परिस्थितियों में SRO को हक़ है की वह प्रॉपर्टी रजिस्ट्री से मन कर दे। जानिये इस आर्टिकल में कि ऐसा किन हालातों में किया जा सकता है।

भारत में किसी भी तरह कि अचल संपत्ति, फिर चले वह ज़मीन हो या बंगला, फ्लैट हो या इंडिपेंडेंट फ्लोर, पर मालिकाना हक़ पाने के लिए खरीदार को उसे अपने नाम पर रजिस्टर करना ही पड़ता है|बिना रजिस्ट्री के खरीदार का किसी भी अचल संपत्ति पर फिजिकल कब्ज़ा तो हो सकता है, मगर वह कानून कि नज़र में तब तक उसका मालिक नहीं माना जायेगा जब तक कि रजिस्ट्री उसके नाम पर नहीं हो जाती।

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भारत में, इस प्रक्रिया के लिए नियम 1908 के पंजीकरण अधिनियम (Registration Act of 1908) के तहत प्रदान किए गए हैं, जो यह कम्पलसरी करता है कि कुछ दस्तावेजों को पंजीकृत किया जाना चाहिए; अन्यथा, उनके पास कानूनी स्वीकृति नहीं है।

उप-पंजीयक यानि सब-रजिस्ट्रार का कार्यालय, जो राज्य सरकार के अंतर्गत आता है, संपत्ति के लेन-देन को पंजीकृत करने के लिए जिम्मेदार अथॉरिटी है। यह लेख उन परिस्थितियां पर चर्चा करता है जिनके तहत उप-रजिस्ट्रार किसी संपत्ति के पंजीकरण से इनकार कर सकता है।  इस लेख में आप यह भी जानेंगे कि ऐसे में एक घर खरीदार के पास क्या क्या ऑप्शन मौजूद हैं।

 

क्या कहता है कानून?

कानूनी रूप से, खरीदार भारत में किसी संपत्ति का कानूनी मालिक नहीं बन सकता है जब तक कि लेनदेन उनके नाम पर विधिवत पंजीकृत नहीं होता है, जैसा कि पंजीकरण अधिनियम 1908 और संपत्ति अधिनियम 1982 में डिटेल में बताया गया है| इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए, खरीदार और विक्रेता, दो गवाहों के साथ, एक नियत समय पर अपने एरिया के उप-पंजीयक के कार्यालय में संपर्क करना चाहिए। इस समय पर, एक नए खरीदार के पास कई प्रश्न हो सकते हैं:

  1. क्या होगा अगर कागजात में कोई गड़बड़ हैं?
  2. क्या होगा यदि उप-रजिस्ट्रार संपत्ति पंजीकरण के लिए आवेदन को अस्वीकार कर देता है?
  3. क्या होगा यदि कागजी कार्रवाई की प्रामाणिकता के साथ समस्याएं हैं?

लेन-देन के पक्षकारों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि संपत्ति पंजीकरण आवेदन उप-पंजीयक कार्यालय के अधिकारियों द्वारा अस्वीकार नहीं किया गया है। यहाँ बताया गया है कि आप इसे कैसे सुनिश्चित कर सकते हैं।

प्रॉपर्टी रजिस्ट्री को गवर्न करने वाला कानूनी ढांचा

भारत में संपत्ति पंजीकरण मुख्य रूप से 1908 के पंजीकरण अधिनियम पर आधारित है| यह अधिनियम स्पष्ट करता है कि किस प्रकार के दस्तावेजों में पंजीकरण की आवश्यकता है।  यह अधिनियम ऐसा करने की प्रक्रिया और उप-पंजीयक की शक्तियां को भी स्पष्ट करता है।

रजिस्ट्रेशन अधिनियम की धारा 17 के अनुसार, बिक्री के विलेख (सेल डीड), उपहार विलेख (गिफ्ट डीड) और लीज डीड (रेंट एग्रीमेंट) जो एक वर्ष से अधिक हैं, जैसे दस्तावेज आधिकारिक तौर पर पंजीकृत होने चाहिए। इसके अतिरिक्त, भारत में संपत्ति पंजीकरण पर विभिन्न राज्य कानून भी लागू होते हैं। इस अधिनियम का उद्देश्य उचित संपत्ति लेनदेन सुनिश्चित करना और प्रक्रिया में शामिल सभी पक्षों की प्रोट्रेक्शन करना है।

संपत्ति पंजीकरण में उप-पंजीयक या सब-रजिस्ट्रार की भूमिका

उप-पंजीयक या सब-रजिस्ट्रार भारत में प्रॉपर्टी रजिस्ट्री में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सब-रजिस्ट्रार सरकार द्वारा नियुक्त एक सार्वजनिक अधिकारी है और इसे विभिन्न कानूनी दस्तावेजों को पंजीकृत करने का काम सौंपा जाता है। इनमें से, अचल संपत्ति की बिक्री, पट्टे या बंधक का पंजीकरण उप-पंजीयक द्वारा किया जाने वाला एक प्रमुख कार्य है। संपत्ति पंजीकरण में उप-पंजीयक की भूमिका के बारे में कुछ विवरण यहां दिए गए हैं:

पब्लिक डाक्यूमेंट्स का अभिरक्षक: क्षेत्राधिकार का उप-पंजीयक निर्धारित रजिस्टर में दर्ज संपत्ति लेनदेन की ‘रजिस्ट्री’ रखता है। एक पंजीकरण दस्तावेज़ को सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध कराता है।  जिसका मतलब है कि आम जनता इसे आसानी से एक्सेस कर सकती है। यह संपत्ति बाजार में धोखाधड़ी को रोकने में भी सहायता करता है और संपत्ति लेनदेन को कानूनी मान्यता देता है।

दस्तावेजों का सत्यापन: संपत्ति लेनदेन को पंजीकृत करने की प्रारंभिक प्रक्रियाओं के दौरान, उप-रजिस्ट्रार बिक्री विलेख और पहचान प्रमाण सहित सभी आवश्यक कागजात की वास्तविकता के साथ-साथ पठनीयता की जांच करता है। यह लेन-देन की कानूनी प्रामाणिकता की जांच करता है और इससे भी अधिक लेनदेन के लिए पार्टियों की कानूनी क्षमता की जांच करता है।

स्टाम्प ड्यूटी का आकलन: स्टाम्प ड्यूटी, कुछ उपकरणों पर लगाए गए कर को संदर्भित करता है, उप-रजिस्ट्रार भी स्टाम्प शुल्क के भुगतान की पुष्टि करता है। जहां स्टांप शुल्क अपर्याप्त है, उप-रजिस्ट्रार पूर्ण स्टांप शुल्क भुगतान की कमी में संपत्ति को पंजीकृत करने से इनकार कर सकता है।

कानूनी अनुपालन सुनिश्चित करना: सब-रजिस्ट्रार यह सत्यापित करता है कि संपत्ति का हस्तांतरण या बिक्री संपत्ति के ज़ोनिंग और भूमि उपयोग से संबंधित कानून के अनुरूप है या नहीं। यदि संबंधित लेनदेन कानून के खिलाफ है, तो उप-रजिस्ट्रार पंजीकरण को अस्वीकार कर सकता है।

धोखाधड़ी से सुरक्षा: नियम और कानूनों का पालन करके हुआ किया गया संपत्ति का सौदा फ्रॉड और धोखाधड़ी कि संभावना को समाप्त करता है। बिना नियम-कानून फॉलो किये गए प्रॉपर्टी डील्स में ये खतरा हमेशा ही बना रहता है।

 

सब-रजिस्ट्रार के पास क्या-क्या पावर हैं?

कार्यालय प्रमुख: उप-पंजीयक या सब-रजिस्ट्रार अपने कार्यालय कर्मचारियों की देखरेख करता है और कार्यालय संचालन का प्रबंधन करता है।

वित्तीय प्राधिकरण: सब-रजिस्ट्रार कार्यालय के वित्तीय मामलों को संभालने के लिए ड्राइंग और संवितरण अधिकारी के रूप में कार्य करता है।

पंजीकरण प्राधिकरण: पंजीकरण अधिनियम के तहत दस्तावेजों को पंजीकृत करता है और यह सुनिश्चित करता है कि कानूनी लेनदेन ठीक से दर्ज किए गए हैं।

स्टाम्प कलेक्टर: सब-रजिस्ट्रार भारतीय स्टाम्प अधिनियम की धारा 47-ए और धारा 40 के अनुसार स्टाम्प शुल्क एकत्र करता है।

विवाह अधिकारी: सब-रजिस्ट्रार विशेष विवाह अधिनियम के तहत विवाह पंजीकृत करता है।

जन सूचना अधिकारी (पीआईओ): सब-रजिस्ट्रार आरटीआई अधिनियम के तहत सूचना अनुरोधों को संभालता है।

स्टाम्प विक्रेता: सब-रजिस्ट्रार इलेक्ट्रॉनिक फ्रैंकिंग के माध्यम से गैर-न्यायिक स्टाम्प पेपर की बिक्री को अधिकृत करता है। 

 

संपत्ति पंजीकरण के लिए आवश्यक दस्तावेज

लेन-देन में शामिल पार्टियों को संपत्ति पंजीकरण के समय विभिन्न दस्तावेज उपलब्ध करने होते हैं।  संपत्ति के दस्तावेजों के अलावा, इनमें खरीदार, विक्रेता और गवाहों की पहचान और पते का प्रमाण शामिल है। इन डाक्यूमेंट्स कि प्रतिलिपियों के अलावा, हर पार्टी को ओरिजिनल डॉक्यूमेंट भी पेश करने होंगे। यदि संपत्ति खरीदने के लिए होम लोन लिया जाता है, तो बैंक का एक प्रतिनिधि भी सब-रजिस्ट्रार के सामने पेश होगा। आपको नीचे उल्लिखित कुछ या सभी दस्तावेज प्रदान करने होंग।  डाक्यूमेंट्स का नंबर इस बात पर निर्भर करते हुए कि आप एक बन रही संपत्ति खरीद रहे हैं या बना-बनाया घर खरीद रहे हैं 

  1. सेल डीड
  2. बिल्डिंग प्लान की कॉपी
  3. एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट
  4. नो-ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट
  5. अलॉटमेंट  letter
  6. कम्पलीशन सर्टिफिकेट
  7. ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट
  8. संपत्ति कर रसीदें
  9. पंजीकृत दस्तावेज़ की एकाधिक प्रतियां

 

प्रॉपर्टी रजिस्ट्री (संपत्ति पंजीकरण) के समय आवश्यक अन्य दस्तावेज

  1. खरीदार, विक्रेता और गवाहों के दो पासपोर्ट साइज के फोटो
  2. खरीदार और विक्रेता का पैन कार्ड और उसकी कॉपीज़
  3. खरीदार, विक्रेता और गवाहों की मूल फोटो पहचान प्रमाण और उसकी कॉपीज़
  4. नोट: यदि हाउसिंग फाइनेंस लेनदेन में शामिल है तो संपत्ति पंजीकृत होने के बाद, बैंक ओरिजिनल दस्तावेजों को रखेगा और उन्हें होम लोन के पुनर्भुगतान के बाद ही खरीदार को वापस करेगा। 

 

आधार जिस पर संपत्ति पंजीकरण आवेदन अस्वीकार किया जा सकता है

वैसे तो सब-रजिस्ट्रार पंजीकरण के लिए दिए गए दस्तावेजों को पंजीकृत करने के लिए बाध्य है।  लेकिन पंजीकरण अधिनियम 1908 की धारा 34 उन शर्तों को अंडरलाइन करती है जिनके तहत उप-रजिस्ट्रार संपत्ति पंजीकरण से इनकार करता है।  इन परिस्थितियों को पंजीकरण अधिनियम, 1908 की धारा 34 में उल्लिखित किया गया है, और मोटे तौर पर निम्नानुसार वर्गीकृत किया जा सकता है: 

दस्तावेज़ में गड़बड़ी

प्रॉपर्टी रजिस्ट्री की समय पेश किये जाने वाले डाक्यूमेंट्स की एक लम्बी लिस्ट है।  इस लिस्ट में से अगर एक भी डॉक्युमनेट आप लेन में असफल रहे हैं तो सुब-रजिस्ट्रार की पास पूरा हक़ है कि वह आपकी एप्लीकेशन को रिजेक्ट कर दे।  इन डाक्यूमेंट्स कि फेहरिस्त में सेल डीड, बिल्डिंग प्लान की कॉपी, एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट, नो-ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट, अलॉटमेंट लेटर, कम्पलीशन सर्टिफिकेट, ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट और संपत्ति कर रसीदें आदि शामिल हैं।  

स्टांप शुल्क पेमेंट में कमी

स्टांप ड्यूटी सरकार द्वारा डाक्यूमेंट्स पर लगाया जाने वाला एक टैक्स है जो घर खरीदार को भरना होता है। स्टांप शुल्क संपत्ति के मूल्य के आधार पर चार्ज किया जाता है। अगर भुगतान किया गया स्टांप शुल्क अपर्याप्त है या यदि भुगतान नहीं किया गया है, तो उप-पंजीयक संपत्ति को पंजीकृत करने से इनकार कर सकता है। 

फैक्ट्स का मिसमैच

उप-पंजीयक को उप-रजिस्टर में दर्ज विवरण के साथ दस्तावेजों में संपत्ति के विवरण को क्रॉस-चेक करना आवश्यक है। अगर संपत्ति के विवरण, स्पॉट सीमांकन या संपत्ति के स्वामित्व के संबंध में विवाद हैं, तो उप-रजिस्ट्रार संपत्ति को तब तक पंजीकृत नहीं कर सकता जब तक कि ऐसे विवादों का समाधान नहीं हो जाता। 

संपत्ति की स्वमित्व पर सवाल

यदि संपत्ति का स्वामित्व विवाद में है या यदि संपत्ति का टाइटल क्लियर नहीं है तो उप-पंजीयक संपत्ति को पंजीकृत करने से इनकार कर सकता है। पंजीकरण प्रक्रिया केवल तभी आगे बढ़ सकती है जब इस मामले का निपटारा कर दिया गया हो और टाइटल को मंजूरी दे दी गई हो।

कानूनी आवश्यकताओं का उल्लंघन

उप-रजिस्ट्रार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि संपत्ति का लेनदेन कानूनी है और कानून के किसी भी प्रावधान का उल्लंघन नहीं करता है। उप-रजिस्ट्रार पंजीकरण से इनकार कर सकता है अगर लेनदेन किसी भी कानून का उल्लंघन करता है, जिसमें ज़ोनिंग कानून, भूमि सीलिंग कानून, या कृषि भूमि के हस्तांतरण को नियंत्रित करने वाले कानून शामिल हैं। 

फ्रॉड या जालसाजी या उपयोग

यदि उप-रजिस्ट्रार को संदेह है कि पंजीकरण के लिए प्रस्तुत दस्तावेज झूठे या जाली हैं, तो वे दस्तावेजों को पंजीकृत होने से रोक सकते हैं। यह उपाय उन स्थितियों को रोकने में मदद करता है जहां कोई व्यक्ति उन संपत्तियों को पंजीकृत करता है जिन्हें उन्होंने कानूनी रूप से प्राप्त नहीं किया था या धोखाधड़ी के माध्यम से प्राप्त नहीं किया था।

नोट: पंजीकरण अधिनियम के प्रावधानों के तहत, उप-पंजीयक पंजीकरण के लिए आपके आवेदन को इसके लिए एक विशिष्ट कारण का उल्लेख किए बिना या बिना अस्वीकार कर सकता है।

 

सेल डीड यानि बिक्री विलेख का कंटेंट 

विभिन्न ग्राउंड्स जिस पर सब-रजिस्ट्रार आपकी संपत्ति के दस्तावेजों को पंजीकृत करने से इनकार कर सकता है, वह है टाइटल डीड कि भाषा  में गड़बड़ी या बेमेलजानकारी। अगर दस्तावेज़ इस तरह से लिखा गया है कि कॉन्ट्रैक्ट का नेचर स्पष्ट नहीं है, तो आपका आवेदन अस्वीकार कर दिया जाएगा। सेल डीड में उल्लिखित लेन-देन करने वाले पक्षों के नाम, पते या व्यवसाय के मामले में भी यह बात लागू होती है।  अगर ये चीज़ें आईडी प्रूफ और एड्रेस प्रूफ द्वारा विधिवत समर्थित नहीं हैं तो अप्पकी अप्प्लिशन फ़ौरन रिजेक्ट हो जाएगी। इसके अलावा, डीड टाइप टाइप करने के बाद किए गए बदलाव आपके आवेदन को अमान्य बना देंगे। इसलिए, सेल डीड कि टाइपिंग तभी करवानी चाहिए जब मसौदा बिलकुल पुख्ता हो चुका हो।

 

सेल डीड के आवश्यक कंपोनेंट्स

शामिल पक्ष: बिक्री विलेख को वैलिड होने की लिए खरीदार के साथ-साथ विक्रेता के नाम, पते और अन्य आवश्यक विवरणों का उल्लेख करना ज़रूरी होगा। यह इनफार्मेशन घर बेचने वाले और घर खरीदने वाले की आइडेंटिटी स्थापित करने में भी मदद करती है।  

संपत्ति का विवरण: यह सेक्शन उन चीज़ों का डिटेल्ड विवरण प्रदान करता है जो संपत्ति में बेची जा रही हैं जैसे कि फ्लैट या बंगला। इन डिटेल्स में स्थान, घर का टाइप और भूमि का क्षेत्र, इसकी माप और घर की परिधि के भीतर मौजूद कोई भी अन्य डिटेल्स शामिल हैं। इसके अलावा, बिक्री विलेख में नगरपालिका/राजस्व सर्वेक्षण संख्या, गाटा संख्या आदि भी मेंशन होनी चाहिए।

प्रॉपर्टी की कीमत: बिक्री विलेख में उस राशि का उल्लेख होता है जिसके लिए संपत्ति बेची जा रही है। यह भुगतान का सटीक विवरण प्रदान करता है। इसमें बताया गया है कि कितना पैसा अग्रिम भुगतान किया गया है और कितना भुगतान पंजीकरण के समय किया गया है। इसमें भुगतान के तरीके के साथ-साथ स्टांप शुल्क और पंजीकरण शुल्क विवरण का भी उल्लेख है।

बिक्री का मसौदा: सेल डेड का एक सेक्शन यह मेंशन करता है कि संपत्ति लेनदेन में खरीदार और विक्रेता के बीच पारस्परिक रूप से किन बताऊपन पर सहमति बनी है। इस सेक्शन में यह भी बताया जाना चाहिए कि भुगतान कैसे किया जाना है, क्या भुगतान एक बार या एक विशिष्ट अवधि में किया जाएगा।  अगर उनके बीच कोई अन्य शुल्क पर सहमत बनी है तो उस बात का भी ज़िक्र होगा।

टाइटल का हस्तांतरण: इस सेक्शन की अंडर विक्रेता बेची गई संपत्ति को पूरी तरह खरीदार सौप देता है। यह बिक्री विलेख का एक महत्वपूर्ण घटक बनाता है क्योंकि यह संपत्ति के संदर्भ में खरीदार की कानूनी स्थिति को परिभाषित करता है और उसे नया वैध मालिक बनाता है।

ट्रांसफर की तिथि: सेल डीड में यह साफ़ तौर पर लिखा होना चाहिए कि किस तारीख से प्रॉपर्टी बेचनेवाले की अधिकार में न रह कर खरीदनेवाले की स्वामित्व में आ जाएगी।  इस तारिख का सेल डीड में मेंशन होना बहुत ही ज़रूरी है।

नुक्सान कि भरपाई: इन्डेम्निटी क्लाज़  को शामिल करके, विक्रेता खरीदार को संपत्ति पर स्पष्ट स्वामित्व का आश्वासन देता है। यह खरीदार को विश्वास दिलाता है कि विक्रेता के पास संपत्ति बेचने का कानूनी अधिकार है और कोई छिपी हुई देनदारियां नहीं हैं। विक्रय विलेख या विक्रय समझौते की शर्तों के किसी भी उल्लंघन की स्थिति में, इन्डेम्निटी क्लाज़ खरीदार को विक्रेता से मुआवजे का दावा करने के लिए कानूनी सहारा प्रदान करता है। यह वित्तीय क्षति, कानूनी शुल्क और विवादों को सुलझाने से जुड़ी लागत सहित विभिन्न नुकसानों को कवर कर सकता है।

एन्कम्ब्रन्स का विवरण: अगर उक्त सम्पाती पर किसी तरह का कोई बंधन है जिसमे बैंक लोन आदि शामिल है तो सेल डीड ऐसे एन्कम्ब्रन्स का स्पष्ट तौर पर खुलासा करता है।  ऐसा करना बहुत ही ज़रूरी है जिससे बाद में किसी भी पार्टी कोई किसी तरह का कोई कन्फूज़न या समस्या न पैदा हो।

कब्जा वितरण: आमतौर पर, सेल डीड में उस तारीख को शामिल किया जाना चाहिए जिस पर विक्रेता खरीदार को संपत्ति वितरित करेगा। यह उस समय को परिभाषित करने में भी मदद करता है जिस पर खरीदार संपत्ति का फिजिकल कब्जा ले सकता है।

निष्पादन और गवाह: मूल बिक्री विलेख केवल तभी वैध और कानूनी है जब इसमें शामिल पक्ष, यानी खरीदार और विक्रेता ने हस्ताक्षर किए हों। साथ ही, लेन-देन दस्तावेज़ का समर्थन करने के लिए कम से कम दो गवाहों को हस्ताक्षर करने की आवश्यकता होती है। विलेख में दर्ज की जाने वाली अन्य जानकारी में गवाहों के नाम और पते शामिल हो सकते हैं।

पंजीकरण: इसका मतलब यह है कि बिक्री विलेख लागू करने के लिए उप-पंजीयक के कार्यालय में सामान्य रूप से पंजीकरण आवश्यकताओं का अनुपालन होना चाहिए। पंजीकरण अंततः अनुबंध को अंतिम रूप देता है, इसे कानून की नजर में वैध बनाता है, और खरीदार को संपत्ति के कानूनी अधिकार और स्वामित्व प्रदान करता है।

 

यह भी देखें: संपत्ति अधिनियम के हस्तांतरण के बारे में सब कुछ जानें

 

सही सब-रजिस्ट्रार से संपर्क करें

आपके द्वारा खरीदी गई संपत्ति एक निश्चित उप-पंजीयक कार्यालय के दायरे में आती है। आपको अपनी संपत्ति पंजीकृत करने के लिए इस विशिष्ट कार्यालय में अपॉइंटमेंट बुक करना होगा। बड़े शहरों में, ऐसे कई कार्यालय विभिन्न क्षेत्रों में संपत्ति लेनदेन को नियंत्रित करते हैं। हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है कि आप पंजीकरण करवाने के लिए उनमें से किसी से भी संपर्क कर सकते हैं। पंजीकरण के लिए आने से पहले संबंधित उप-पंजीयक के कार्यालय का पता लगाएं और अपॉइंटमेंट लें।

 

पंजीकरण के समय उपस्थित होने वाली पार्टियां

लेन-देन में शामिल सभी पक्षों (खरीदार/विक्रेताओं, विक्रेताओं, दलाल/ओं और गवाहों) को नियत समय पर उप-पंजीयक के कार्यालय में उपस्थित होना होगा। इन सभी लोगों को रजिस्ट्रेशन के समय अंगूठे का निशान, फोटो और हस्ताक्षर देने होंगे।

 

यह भी देखें: संपत्ति के लिए अटॉर्नी की शक्ति के बारे में जानें

 

संपत्ति खरीदारों और विक्रेताओं के लिए आवश्यक टिप्स

सब-रजिस्ट्रार आपकी प्रॉपर्टी को रजिस्टर करने से इनकार न करे ऐसा सुनिश्चित करने की लिए बायर और सेलर दोनों को कुछ बातों को ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है. इन बातोपन को समझने से दोनों पार्टियों को पंजीकरण प्रक्रिया को अधिक प्रभावी ढंग से नेविगेट करने में मदद मिल सकती है। 

करें ड्यू डिलिजेंस 

सबसे पहली बात, खरीदारी की हर स्टेप को समझने कि कोशिश करें और हर संभव प्रयास करें की आपका हर एक डॉक्यूमेंट तरतीबवार आपकी फाइल में मौजूद हो। याद रहे, जितनी म्हणत आपक शुरू में कर लेंगे उतनी ही बाद में आपको आसानी होगी।  अगर शुरू में ही भूक चूक होती चली गई तो बाद में बड़ी समस्याएं पैसा होने का खतरा होगा।    

लें कानूनी सहायता

संपत्तियों के पंजीकरण के कारण उत्पन्न होने वाले कई मुद्दों के कारण, पंजीकरण के लिए दस्तावेज तैयार करते समय वकील से परामर्श करना महत्वपूर्ण है। एक सक्षम कानूनी सहायक यह जांचने में सहायता कर सकता है कि सभी कानूनी औपचारिकताओं का अनुपालन किया गया है और दस्तावेजों में कोई गलती नहीं है। 

विवादों की इफेक्टिव समाप्ति

यदि पंजीकृत होने वाली संपत्ति पर कोई विवाद मंडरा रहा है, तो पंजीकरण का प्रयास करने से पहले झगड़ों को सुलझाना सर्वोपरि है। मुकदमेबाजी या नागरिक विवादों से निपटने के अन्य तरीके शीर्षक को साफ़ करने और पंजीकरण के लिए तैयार करने के लिए उपयोगी हैं।

 

हाउसिंग का लीगल दृष्टिकोण

अगर सब-रजिस्ट्रार आपकी प्रॉपर्टी रजिस्ट्री कि दरख्वास्त को रिजेक्ट कर देता है तो ये एक सर-दर्दी का मसला बन सकता है। रिजेक्शन का मतलब है कि आपको जो भी ऑब्जेक्शन सब-रजिस्ट्रार ने उठाई है, उस पर काम करके हुए चीज़ें ठीक करनी होंगी।  साथ ही, दोबारा से एक नियत समय पर ऑफिस पहुंच कर सब-रजिस्ट्रार रजिस्ट्री करनी होगी।  ऐसे में झुंझलाहट जायज़ है, लेकिन यहाँ यह भी समझना बहुत ज़रूरी है कि यह थोड़ी सी सरदर्दी आपको बड़े फ्रॉड से बचाने और भविष्य में कोई दूसरी टेंशन न पैसा हो यह सुनिश्चित करने कि लिए एक मामूली प्राइस है। खरीदारों और विक्रेताओं को अस्वीकृति से बचने, जोखिमों को कम करने और स्मूथ ट्रांसक्शन के लिए संपत्ति पंजीकरण की प्रक्रिया को अच्छी तरह से समझना चाहिए।

 

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

वह रीज़न कौन सा है जिसकी बिना पर एक सब-रजिस्ट्रार मेरी संपत्ति को पंजीकृत करने से इनकार कर सकता है?

उप-रजिस्ट्रार द्वारा पंजीकरण से इनकार किया जा सकता है जब दस्तावेज में या तो कोई गड़बड़ी हैं या उचित डाक्यूमेंट्स पेश नहीं किए गए हैं। यह तब भी हो सकता है अगर पर्याप्त स्टाम्प शुल्क का भुगतान नहीं किया गया है, संपत्ति के विवरण में दोष हैं, स्वामित्व विवादित है, ट्रांसक्शन लेनदेन कानून का उल्लंघन करता है या लेनदेन एक धोखाधड़ी है।

उप-पंजीयक किस प्रकार प्रस्तुत किए गए संपत्ति दस्तावेजों की वास्तविकता की पुष्टि करता है?

उप-रजिस्ट्रार दस्तावेजों की उनकी कंटेंट की जांच करके, पार्टियों की पहचान करके और यह सुनिश्चित करके पुष्टि करता है कि सभी दस्तावेजों को ठीक से और बिना किसी जालसाजी के पूरी प्रक्रिया चल रही है।

क्या दस्तावेजों में मामूली त्रुटि होने पर उप-पंजीयक पंजीकरण से इनकार कर सकता है?

हां, उप-रजिस्ट्रार गलती ठीक होने तक पंजीकरण रोक सकता है। छोटी-मोटी गलतियों को संशोधन या सुधार द्वारा ठीक किया जा सकता है। ऐसा रेक्टिफिकेशन डीड के माध्यम से हो सकता है।

यदि उप-पंजीयक अपर्याप्त स्टांप शुल्क के कारण संपत्ति को पंजीकृत करने से इनकार करता है तो क्या होगा?

यदि स्टांप शुल्क अपर्याप्त है तो उप-पंजीयक संपत्ति का पंजीकरण नहीं करेगा। सही राशि का भुगतान किया जाना चाहिए पंजीकरण प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए ज़रूरी है।

क्या उप-रजिस्ट्रार द्वारा पंजीकरण से इनकार करने के खिलाफ अपील की जा सकती है?

हां, यदि उप-रजिस्ट्रार दस्तावेजों को पंजीकृत करने से इनकार करता है, तो शामिल पक्ष जिला रजिस्ट्रार से अपील कर सकता है या न्यायिक समीक्षा के लिए उच्च न्यायालय में रिट याचिका दायर कर सकता है।

इन्डेम्निटी क्लॉज़ (क्षतिपूर्ति खंड) क्या है, और यह बिक्री विलेख में क्यों महत्वपूर्ण है?

इन्डेम्निटी क्लॉज़ संपत्ति से संबंधित किसी भी भविष्य के मुद्दों के लिए खरीदार से किसी भी संभावित मुकदमे के खिलाफ खरीदार की रक्षा करता है। यह सुनिश्चित करता है कि विक्रेता खरीदार को किसी भी कानूनी नुकसान की भरपाई करेगा जो हस्तांतरण के बाद हो सकता है, जैसे कि शीर्षक या छिपे हुए शीर्षक में दोष।

क्या उप-पंजीयक के पास विलेख दर्ज किए बिना अस्वीकार करने की शक्ति है?

उप-पंजीयक के पास विलेख के पंजीकरण से इनकार करने की शक्ति है, लेकिन उन्हें ऐसा करने कि वजह भी बतानी होगी।

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