सीआरआर या कैश रिजर्व रेशियो (नकद आरक्षित अनुपात) क्या होता है?

बैंकिंग प्रणाली में लिक्विडिटी पर नियंत्रण के लिए सीआरआर आरबीआई के लिए उपलब्ध सबसे महत्वपूर्ण साधनों में से एक है

4 मई, 2022 को आरबीआई ने नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में 50 आधार अंकों की बढ़ोत्तरी कर 4.5% तक ला दिया, जो एक ऐसा कदम है जिससे ब्याज दरों पर दबाव पड़ने की संभावना है। हालांकि, इस कदम के पूरे असर को समझने के लिए हमें इस बात की अच्छी समझ होनी जरूरी है कि नकद आरक्षित अनुपात या सीआरआर क्या होता है।

 

सीआरआर क्या है?

भारत में बैंकों को अपनी कुल जमा राशि का कुछ प्रतिशत भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पास नकदी के रूप में बनाए रखना होता है। उनकी कुल जमा राशि का यह प्रतिशत नकद आरक्षित अनुपात या सीआरआर के रूप में जाना जाता है। नकद आरक्षित अनुपात के रूप में रखी गई राशि या तो आरबीआई को भेजा जाता है या बैंक की तिजोरी में रखा जाता है।

सीआरआर बैंकिंग प्रणाली में लिक्विडिटी की मात्रा को नियंत्रित करने के लिए आरबीआई द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला एक उपयोगी साधन है।

यह भी देखें: सीआरएआर अनुपात या पूंजी पर्याप्तता अनुपात के बारे में जानें

 

नकद आरक्षित अनुपात का मतलब

सरल शब्दों में सीआरआर या नकद आरक्षित अनुपात नकदी का प्रतिशत है जिसे बैंकों को अपनी कुल डिपॉजिट की तुलना में रिजर्व में रखना होता है, जिसे तकनीकी रूप से ‘शुद्ध मांग और समय देयता’ (एनडीटीएल – नेट डिमांड ऐंड टाइम लायबिलिटीज) कहा जाता है।

सीआरआर दर में बदलाव करके आरबीआई मुद्रास्फीति को अपने वांछित स्तर पर रखने और बैंकिंग प्रणाली में पैसे के प्रवाह को नियंत्रित और मॉनिटर करता है।

यह भी देखें: आरबीआई मौद्रिक नीति रेपो रेट

 

सीआरआर का उद्देश्य

नकद आरक्षित अनुपात के तीन प्रमुख उद्देश्य हैं।

बैंक लिक्विडिटी बनाए रखना: आरबीआई, एक बैंकिंग नियामक की क्षमता में, लिक्विडिटी के स्तर को नियंत्रित करने और निगरानी करने के लिए जिम्मेदार है। उस लक्ष्य को हासिल करने के लिए यह सीआरआर के द्वारा प्रणाली से लिक्विडिटी को बाहर निकालता है या प्रणाली में लिक्विडिटी डालता है। यदि आरबीआई प्रणाली में अधिक लिक्विडिटी डालना चाहता है, तो यह सीआरआर को कम करता है और बैंकों को अपने ग्राहकों को लोन देने के लिए अधिक लिक्विडिटी के साथ छोड़ देता है। वहीं, अगर वह सिस्टम से लिक्विडिटी निकालना चाहता है तो सीआरआर बढ़ा देता है।

बैंकों की वित्तीय सेहत को बनाए रखना: बैंकों के वित्तीय स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए सीआरआर एक महत्वपूर्ण साधन है। चूंकि बैंक सीआरआर को बैंकिंग नियामक के पास जमा रखते हैं, वे इस फंड का इस्तेमाल तब कर सकते हैं जब उनके ग्राहक बड़ी निकासी करना शुरू कर दें। नकद आरक्षित अनुपात बैंकों को ऐसी स्थिति में खुद को सुरक्षित रखने में सहायता करता है, क्योंकि आरबीआई के पास रखा गया नकद रिजर्व यह सुनिश्चित करता है कि बैंक अपने ग्राहकों की मांगों को पूरा करने के लिए नकदी की कमी से न जूझे।

रेपो तेर तय करना: आरबीआई पर समय-समय पर पुनर्खरीद दर या रेपो रेट तय करने की भी जिम्मेदारी है। यह न्यूनतम दर है जिस पर यह भारत में बैंकों को लोन देता है। रेपो रेट तय करते समय आरबीआई सीआरआर रेट पर भी विचार करता है। जब रिजर्व बैंक चाहता है कि बेकिंग प्रणाली में अधिक लिक्विडिटी डाले, तो वह रेपो रेट को कम कर देता है। इसके विपरीत, अगर आरबीआई मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए रेपो रेट बढ़ाने का फैसला करता है तो बैंकों के पास लोन देने के लिए कम पैसा बचता है। महंगाई पर काबू पाने के लिए आरबीआई ने 4 मई 2022 को रेपो रेट बढ़ाकर 4.40% कर दिया। यदि मुद्रास्फीति एक निश्चित सीमा से अधिक हो जाती है, तो आरबीआई भविष्य में रेपो रेट बढ़ा सकता है।

यह भी देखें: आरबीआई ने रेपो रेट बढ़ाकर 4.40% किया

 

CRR or cash reserve ratio

 

नकद आरक्षित अनुपात कैलक्युलेट करने का फॉर्मूला

भारत में शीर्ष बैंक के रूप में सीआरआर तय करने और इसमें बदलाव करने का अधिकार आरबीआई के पास है। यदि कोई ग्राहक अपने बैंक में 1,000 रुपये जमा करता है और नकद आरक्षित अनुपात 8% है, तो बैंक को 80 रुपये सीआरआर के रूप में आरबीआई के पास रखना होगा। बैंक इस राशि को या तो अपनी तिजोरी में या आरबीआई के पास नकदी के रूप में रख सकता है। इसका मतलब यह भी है कि बैंक ग्राहक की डिपॉजिट राशि का केवल 910 रुपये लोन देने के लिए इस्तेमाल कर सकता है।

यदि आरबीआई किसी समय सीआरआर को 8% से बढ़ाकर 10% कर देता है, तो बैंक को 1,000 रुपये जमा करने पर सीआरआर के रूप में 100 रुपये अपनी तिजोरी में अलग रखना होगा या इसे आरबीआई के पास जमा करना होगा। सीआरआर का इस्तेमाल आरबीआई या बैंकों द्वारा लोन देने के लिए नहीं किया जा सकता है।

यह भी देखें: आरबीआई शिकायत ईमेल आईडी और आरबीआई शिकायत दर्ज करने की प्रक्रिया के बारे में जानें

 

भारत में वर्तमान सीआरआर रेट

4 मई 2022 को वृद्धि के बाद भारत में सीआरआर 4.50% हो गया है। इसका मतलब है कि अगर किसी बैंक में 100 रुपये डिपॉजिट होते हैं, तो उसे आरबीआई के पास 4.5 रुपये नकद जमा रखने होंगे। वर्तमान सीआरआर दर दर्शाता है कि बैंक ग्राहकों की जमा राशि का कुछ निश्चित प्रतिशत हमेशा आरबीआई के पास सुरक्षित रहता है, भले ही उनके बैंक की वित्तीय सेहत कमजोर हो जाए।

 

स्टैच्युटरी लिक्विडिटी रेशियो (एसएलआर)

वैधानिक तरलता अनुपात या स्टैच्युटरी लिक्विडिटी रेशियो (एसएलआर) भी रिजर्व रखने की अनिवार्यता है जिसे बैंकों से ग्राहकों को लोन देने से पहले अलग रखने की अपेक्षा होती है। एसएलआर डिपॉजिट का न्यूनतम प्रतिशत है जिसे बैंकों को नकद, सोना या अन्य प्रतिभूतियों (सिक्योरिटीज) के रूप में बनाए रखना होता है।

 

सीआरआर और एसएलआर: अंतर

सीआरआर एसएलआर
सीआरआर केवल नकद में बनाए रखना होगा एसएलआर को सोना या नकदी के रूप में बनाए रखा जा सकता है
सीआरआर आरबीआई के पास रखा जाता है एसएलआर बैंक के पास रखा जाता है
बैंक सीआरआर पर रिटर्न नहीं कमाते हैं बैंक एसएलआर पर रिटर्न कमाते हैं

हालांकि दोनों मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने और मुद्रा की आपूर्ति को मॉनिटर करने के लिए आरबीआई के साधन हैं, सीआरआर और एसएलआर में कुछ अंतर हैं।

 

सीआरआर और मुद्रास्फीति

जब मुद्रास्फीति आरबीआई द्वारा वांछित स्तर से ऊपर चली जाती है, तो रिजर्व बैंक सीआरआर दर को बढ़ा देता है। हालाँकि, वर्तमान में कोरोनावायरस महामारी की तीन लहरों के बाद मुश्किल स्थिति से गुजरते हुए डिमांड को बढ़ाने के लिए आरबीआई ने सीआरआर को निम्न स्तर पर बनाए रखा है, ताकि अर्थव्यवस्था को सहारा मिले।

वास्तव में, उपभोक्ता मूल्य-आधारित मुद्रास्फीति (सीपीआई), जो आरबीआई की मौद्रिक नीति एंकर है, मई और जून 2021 में लगातार दो महीने आरबीआई की संतुष्टि के जोन 2%-6% के ऊपरी बैंड से उच्च स्तर पर बनी रही। सीपीआई मुद्रास्फीति मई 2021 में छह महीने के उच्च स्तर 6.30% पर चली गई, जो जून 2021 में थोड़ा घटकर 6.26% तक आ गई।

 

नकद आरक्षित अनुपात को लेकर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

भारत में नकद आरक्षित अनुपात या सीआरआर दर कौन तय करता है?

भारत में नकद आरक्षित अनुपात या सीआरआर मौद्रिक नीति समीक्षा के दौरान आरबीआई की छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति द्वारा तय किया जाता है। नकद आरक्षित अनुपात आरबीआई के पास लिक्विडिटी मैनेज करने और अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति को नियंत्रण में रखने के लिए उपलब्ध साधनों में से एक है।

आरबीआई सीआरआर को कब संशोधित करता है?

आरबीआई को अपनी मौद्रिक नीति समीक्षा के दौरान सीआरआर दर में बदलाव करने का अधिकार है, जो हर छह सप्ताह में होती है।

सीआरआर बैंकिंग प्रणाली में मुद्रा आपूर्ति को कैसे प्रभावित करता है?

सीआरआर की रेट जितनी कम होगी, बैंकों के पास लिक्विडिटी उतनी ही ज्यादा होगी। सीआरआर जितना ज्यादा होगा, बैंकों के पास लिक्विडिटी उतनी ही कम होगी।

ऊँची सीआरआर दर अर्थव्यवस्था को कैसे प्रभावित कर सकती है?

सीआरआर दर ऊँची होने पर सिस्टम में मुद्रा आपूर्ति कम हो जाएगी, जिससे निवेश पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। चूंकि पैसे की आपूर्ति कम हो जाएगी, बैंक लोन की ब्याज दर में वृद्धि करेंगे। इससे डिमांड पर बुरा असर पड़ेगा।

कम सीआरआर दर अर्थव्यवस्था को कैसे प्रभावित कर सकती है?

सीआरआर दर कम होने पर बैंकों के पास लोन देने के लिए अधिक पैसा होगा, जिससे सिस्टम में मांग को बढ़ावा मिलेगा। वे ग्राहकों के लिए लोन लेने की लागत को भी कम करेंगे, जिससे वे प्रॉपर्टी में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित होंगे।

क्या आरबीआई के पास सीआरआर रखने पर बैंकों को कोई ब्याज मिलता है?

सीआरआर मैंडेट के तहत आरबीआई के पास रखे गए पैसे पर बैंकों को कोई ब्याज नहीं मिलता है।

एनडीटीएल क्या है?

एनडीटीएल बैंक के पास मांग और मीयादी देनदारियां (डिपॉजिट) और दूसरे बैंक द्वारा रखी गई संपत्ति के रूप में डिपॉजिट के बीच के अंतर को दर्शाता है। बैंक की एनडीटीएल = मांग और मीयादी देनदारियां (डिपॉजिट) - अन्य बैंकों के पास डिपॉजिट

रेपो रेट क्या है?

रेपो रेट या पुनर्खरीद दर वह दर है जिस पर आरबीआई भारत में बैंकों को लोन देता है। कम रेपो रेट का मतलब है कि बैंक कम ब्याज दर पर आरबीआई से पैसे प्राप्त कर सकते हैं, अधिक रेपो रेट का मतलब है कि आरबीआई लोन पर अधिक ब्याज लेगा।

भारत में अभी रेपो रेट क्या है?

भारत में अभी रेपो रेट 4.4% है। इसका मतलब है कि आरबीआई लोन पर 4.4% ब्याज लेता है। चूंकि रेपो रेट वर्तमान में रिकॉर्ड निचले स्तर पर है, इसलिए कर्जदारों को अभी लोन पर तुलनात्मक रूप से कम दरों का भुगतान करना पड़ता है।

रिवर्स रेपो रेट क्या है?

रिवर्स रेपो रेट वह रेट है जिस पर आरबीआई भारत में बैंकों से लोन लेता है। अभी भारत में रिवर्स रेपो रेट 3.35% है।

 

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