होम लोन या तो घर खरीदने का फिर घर के निर्माण के लिए लिया जाता है. एक जमीन या प्लॉट लोन जमीन का टुकड़ा खरीदने के लिए लिया जाता है. इन दोनों फाइनेंशियल प्रोडक्ट्स के बीच काफी समानताएं और फर्क हैं. इसके अलावा, खरीदार को उनमें से प्रत्येक के बारे में पूरी समझ होनी चाहिए, ताकि यह पता लगाया जा सके कि कौन सा प्रोडक्ट उसकी खास जरूरतों के लिए काफी होगा.
होम लोन बनाम लैंड लोन/प्लॉट लोन
मकसद: जहां हाउसिंग लोन आपको रीसेल या अंडर कंस्ट्रक्शन प्रॉपर्टी खरीदने में मदद करता है. वहीं लैंड लोन के जरिए आप जमीन का टुकड़ा खरीद सकते हैं, जिस पर आप बाद में मकान बना सकते हैं. आप प्लॉट खरीदने के लिए होम लोन का इस्तेमाल नहीं कर सकते. इसी तरह आप अंडर कंस्ट्रक्शन या रेडी प्रॉपर्टी खरीदने के लिए लैंड लोन नहीं ले सकते.
एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया: दोनों ही फाइनेंशियल प्रोडक्ट्स के लिए एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया एक समान है. भारत के बैंक्स लैंड या होम लोन सभी सैलरीभोगी और खुद के रोजगार वालों को मुहैया कराते हैं, इन आधार पर
-उम्र
-आय का स्रोत
-रीपेमेंट कैपिसिटी
-क्रेडिट स्कोर
ये लोन्स देने से पहले बैंक्स एक जैसी डॉक्युमेंटेशन और अप्रेजल की प्रक्रिया अपनाते हैं. दोनों ही प्रोडक्ट्स के लिए ईएमआई के विकल्प भी समान ही हैं.
अवधि: जहां होम लोन्स की अवधि 30 साल तक जा सकती है वहीं प्लॉट्स के लिए यह 15-20 साल होती है. कुछ बैंक्स इससे भी छोटी अवधि रखने के लिए कह सकते हैं. प्लॉट लोन लेने के बाद, ग्राहक को लोन अप्रूवल के दो साल बाद खरीद करनी होगी.
लोन की राशि: बैंक होम लोन के रूप में प्रॉपर्टी की कीमत का 90% तक दे देते हैं. जबकि आम तौर पर जमीन के टुकड़े के मूल्य के तौर पर 60-70 प्रतिशत लैंड लोन के रूप में देते हैं. बाकी का पैसा खरीदार को अपनी जेब से देना होता है.
ब्याज दर: होम लोन्स की तुलना में प्लॉट लोन्स पर ब्याज दरें ज्यादा होती हैं. फिलहाल होम लोन्स 7.50 प्रतिशत सालाना की ब्याज दर पर उपलब्ध हैं. जबकि प्लॉट लोन्स की मौजूदा कीमत 8 से 10 प्रतिशत प्रति वर्ष के बीच होती है. प्लॉट लोन तुलनात्मक रूप से जोखिम भरा होता है और इसलिए, होम लोन की तुलना में अधिक कीमत होती है, जहां बैंकों को एक गारंटी देनी होती है, जिसे वे आसानी से बेच सकते हैं और नुकसान की वसूली कर सकते हैं, यदि जरूरत पड़ी तो.
टैक्स छूट: होम लोन्स में ग्राहकों को प्रिंसिपल और ब्याज भुगतान पर काफी टैक्स छूट मिलती है लेकिन प्लॉट की खरीद पर कोई टैक्स छूट उपलब्ध नहीं है. अगर कंस्ट्रक्शन वर्क को पूरा करने के लिए एक समग्र लोन (Composite loan) लिया जाता है, तो ग्राहक आयकर कानून के विभिन्न वर्गों जैसे धारा 24 सी, धारा 80 सी, धारा 80 ईई और धारा 80 ईईए के तहत टैक्स छूट का दावा कर सकता है. कंपोजिट लोन वह होता है, जिसमें कंस्ट्रक्शन की लागत और जमीन की खरीद जुड़ी हुई होती है.
यहां ध्यान दें कंपोजिट लोन पर टैक्स कटौती केवल कंस्ट्रक्शन के लिए ली गई लोन राशि के लिए लागू होगी और कंस्ट्रक्शन खत्म होने के बाद ही इसका फायदा उठाया जा सकता है.
लैंड लोन्स की कुछ अहम खासियतें
-गांवों में प्लॉट्स की खरीद के लिए प्लॉट लोन उपलब्ध नहीं है.
-प्लॉट लोन के पुनर्भुगतान पर कोई टैक्स कटौती उपलब्ध नहीं है.
-होम लोन के विपरीत, ज्यादातर बैंक लैंड लोन की ऊपरी सीमा रखते हैं.
-बैंक एनआरआई को प्लॉट लोन देने से कतराते हैं. यदि वे ऐसा करते हैं, तो उन्हें इसकी ज्यादा कीमत चुकानी पड़ती है.
अकसर पूछे जाने वाले सवाल
क्या प्लॉट लोन को होम लोन में बदला जा सकता है?
प्लॉट लोन को होम लोन में नहीं बदला जा सकता है. लेकिन ग्राहक एक कंपोजिट लोन के लिए आवेदन कर सकता है.
क्या हमें प्लॉट पर भी लोन्स मिल सकता है?
हां, भारत में बैंक गैर-कृषि प्लॉट्स की खरीद के लिए लोन देते हैं, अगर लैंड पार्सल शहर की सीमा के भीतर है और एक सक्षम प्राधिकारी ने उसे अप्रूव किया है.
क्या लैंड फाइनेंसिंग घर के जैसी ही है?
लैंड लोन हाउसिंग लोन जैसा नहीं होता. दोनों के बीच काफी फर्क है जैसे लोन टू वैल्यू (LTV) रेश्यो, अवधि, बुनियादी एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया, ब्याज दर और टैक्स छूट.
क्या लैंड लोन पर टैक्स छूट ली जा सकती है?
जमीन या प्लॉट्स की खरीद के लिए लिए गए लोन्स पर किसी तरह की टैक्स छूट नहीं मिलती है.