होम लोन लेने की योजना बनाते वक्त कुछ दस्तावेजों की जानकारी होना बहुत जरूरी है। आइए जानते हैं कि आवेदक को किन पेपरवर्क्स से गुजरना पड़ता है।
होम लोन एप्लिकेशन फॉर्म:
यह बुनियादी दस्तावेज होता है, जिसमें हर आवेदक को सभी जानकारियां भरनी होती हैं। अगर होम लोन के एक से ज्यादा आवेदक हैं तो सह-आवेदक की भी जानकारी देनी होगी। आपको अपनी और संयुक्त आवेदक की फोटो भी लगानी होगी। होम लोन एप्लिकेशन के साथ आपको प्रोसेसिंग फीस भी देनी होगी। यह फीस वापस नहीं होती, इसलिए कई कर्जदारों के पास आवेदन करने से बचें।
आवेदक का आईडी और अड्रेस प्रूफ:
आईडी के लिए कर्जदाता सरकार द्वारा जारी किया हुआ पैन कार्ड, पासपोर्ट, आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, आपकी कंपनी का आईडी कार्ड या वोटर आईडी मांगते हैं। अड्रेस प्रूफ के लिए आधार कार्ड, वोटर आईडी कार्ड, पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस, बिजली-पानी के बिल्स, ताजा बैंक स्टेटमेंट, जिसमें आवेदक का अड्रेस लिखा हो से काम चल जाता है।
आय के दस्तावेज:
आय के आधार पर ही आवेदक की होम लोन योग्यता तय होती है। नौकरीपेशा लोगों के लिए कर्जदाता आमतौर पर फॉर्म 16 या कुल आय की गणना के साथ उनकी इनकम टैक्स रिटर्न की एक कॉपी मांगते हैं। इसके अलावा कर्जदाता आवेदक से उसकी ताजा सैलरी स्लिप भी मांग सकता है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वह उसी कंपनी में काम कर रहा है और उसकी सैलरी में किसी तरह का नकारात्मक बदलाव नहीं आया है।
सेल्फ एम्प्लॉयड आवेदक:
खुद के रोजगार वाले लोगों से कर्जदार आमतौर पर कुल आय की गणना के साथ पिछले तीन वर्षों के आयकर रिटर्न की मांग करते हैं। इसके अलावा बैंक भी पिछले तीन वर्षों की अॉडिटेड प्रॉफिट अॉफ लॉस स्टेटमेंट और बैलेंस शीट मांग सकते हैं। अगर अकाउंट्स अॉडिटेड नहीं हैं तो आपको उन दस्तावेजों को किसी चार्टेड अकाउंटेंट से सर्टिफाइड कराना होगा। स्वयंरोजगार पेशेवरों से कर्जदार एजुकेशन क्वॉलिफिकेशन का सबूत भी पेश करने को कह सकते हैं। दोनों मामलों में (नौकरीपेशा और स्वयंरोजगार) वित्तीय संस्थान आपसे बैंक स्टेटमेंट्स की कॉपी मांगेगा, जहां आपकी सैलरी क्रेडिट होती है या बिजनेस ट्रांजेक्शंस होते हैं। इसका मकसद आपकी आय की सत्यता परखी जाती है।
संपत्ति से संबंधित दस्तावेज:
होम लोन के आवेदन से पहले जरूरी नहीं कि आप प्रॉपर्टी की पहचान करें। बेहतर होगा एक संपत्ति की पहचान करने से पहले लोन आवेदन किया जाए। एेसा करने से आपकी योग्यता, चाहे वह होम लोन की अवधि से जुड़े मुद्दे हों या क्रेडिट हिस्ट्री एवं क्रेडिट स्कोर से, वह सुलझ जाएंगे।
अगर आपने एक बार संपत्ति की पहचान कर ली तो आपको उससे जुड़े दस्तावेज भी दिखाने होंगे। अगर आप एक पुनर्बिक्री वाला घर खरीद रहे हैं तो आपको प्रतियों के अलावा पहले खरीददार से लेकर मौजूदा खरीददार तक के ओरिजनल दस्तावेज दिखाने होंगे। इससे यह साबित होगा कि संपत्ति गिरवी नहीं है। अगर संपत्ति किसी कॉपरेटिव सोसाइटी में है तो सोसाइटी से एनओसी लेना होगा। अगर बिल्डर से घर ले रहे हैं तो आपको वे दस्तावेज दिखाने होंगे, जो साबित करें कि स्थानीय प्रशासन से क्लियरेंस मिल चुका है। इन दस्तावेजों में बिल्डिंग प्लान, जमीन का मालिकाना हक और जमीन के शीर्षक से जुड़ी कानूनी राय शामिल है।