ऐसे समय में जब भारत अमेरिका के साथ व्यापारिक टैरिफ युद्ध जैसी चुनौतियों से जूझ रहा है, मोदी सरकार ने जीएसटी सुधारों की घोषणा की है। इनका उद्देश्य नागरिकों की सबसे बड़ी चिंताओं में से एक सुलभता को आसान बनाना है। 18 फीसदी और 5 फीसदी की नई जीएसटी दरें 22 सितंबर 2025 से लागू होंगी।
56वीं जीएसटी काउंसिल की बैठक 3 सितंबर, 2025 को केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट मामलों की मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में आयोजित हुई। मीडिया को संबोधित करते हुए वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा कि इस कर सरलीकरण के जरिए सरकार मुआवजे, सुगम जीवन, पंजीकरण की सरलता, रिटर्न फाइलिंग और रिफंड जैसी कई अहम समस्याओं का समाधान करेगी।
जीएसटी दरों को सुव्यवस्थित करने का यह कदम सबसे पहले प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्र के नाम संबोधन में घोषित किया था।
During my Independence Day Speech, I had spoken about our intention to bring the Next-Generation reforms in GST.
The Union Government had prepared a detailed proposal for broad-based GST rate rationalisation and process reforms, aimed at ease of living for the common man and…
— Narendra Modi (@narendramodi) September 3, 2025
सरल जीएसटी ढांचा – 18%, 5% और 40%
कर प्रणाली को और आसान बनाने की कोशिश में जीएसटी काउंसिल ने मौजूदा चार-स्तरीय ढांचे (28%, 18%, 12% और 5%) को खत्म कर अब इसे दो-स्तरीय ढांचे में बदलने का फैसला किया है। इसके तहत सामान्य दर 18 फीसदी होगी, जबकि जरूरी सामानों पर रियायती दर 5 फीसदी लागू होगी। वहीं कुछ लग्जरी सेवाओं और विलासिता की वस्तुओं पर 40 फीसदी की डिमेरिट दर लागू की जाएगी। सरकार के इस फैसले पर गेरा डेवलपमेंट्स के प्रबंध निदेशक रोहित गेरा कहते हैं कि “जीएसटी दरों में कटौती और दो स्लैब को खत्म करना केवल मामूली बदलाव नहीं, बल्कि साहसिक और ठोस कदम है। यह संरचनात्मक सरलता पारदर्शिता और कारोबार की सहजता के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। त्योहारों से पहले लिया गया यह निर्णय कारोबारियों और उपभोक्ताओं दोनों के लिए सौगात है। इससे खपत में उछाल आएगा और जीडीपी को मजबूती मिलेगी। रियल एस्टेट क्षेत्र के लिए यह राहत और स्पष्टता लाएगा। घर खरीदारों की पहुंच बढ़ेगी, हर दाम के घरों की मांग में बढ़ोतरी होगी और व्यापक विकास चक्र को नई गति मिलेगी।”
हिरानंदानी और नैरेडको नेशनल के चेयरमैन निरंजन हिरानंदानी के अनुसार, “खरीदने की क्षमता बढ़ाकर, खपत को प्रोत्साहित कर और महंगाई पर नियंत्रण रखने में मदद करके यह सुधार एक गुणात्मक असर पैदा करता है, जो भारत की जीडीपी वृद्धि को 8 फीसदी से आगे ले जाएगा। वैश्विक अनिश्चितता के इस दौर में ऐसा वित्तीय प्रोत्साहन हमारी घरेलू अर्थव्यवस्था की मजबूती को दर्शाता है और भारत की विकास यात्रा पर भरोसे को और मजबूत बनाता है। उद्योग जगत हो या उपभोक्ता, सभी को इस प्रगतिशील कदम से लाभ होगा।”
ईजीलोन के संस्थापक और सीईओ प्रमोद कथूरिया ने कहा, “जीएसटी का सरल मॉडल भारतीय परिवारों के लिए घर को और अधिक किफायती बनाने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है। हाउसिंग चेन में लागत की जटिलताओं को आसान बनाकर यह न सिर्फ घरों को सस्ता करता है बल्कि खरीदारों का भरोसा भी बढ़ाता है, खासतौर पर पहली बार घर खरीदने वालों के बीच यह एक सराहनीय कदम है। एक डिजिटल होम लोन कंपनी होने के नाते हम मानते हैं कि यह बदलाव सभी वर्गों के इच्छुक खरीदारों को तेज और आसान क्रेडिट उपलब्ध कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।”
जीएसटी सुधार : कंस्ट्रक्शन सेक्टर के लिए राहत
जीएसटी काउंसिल ने सीमेंट, स्टील, रेत, ईंट, सिरेमिक और सेनेटरी वेयर पर टैक्स दर को 28 फीसदी से घटाकर 18 फीसदी कर दिया है।
सीबीआरई के चेयरमैन एवं सीईओ (इंडिया, दक्षिण-पूर्व एशिया, मिडिल ईस्ट और अफ्रीका) अंशुमन मैगजीन ने कहा, “कंस्ट्रक्शन लागत में सीमेंट, स्टील और अन्य इनपुट्स का हिस्सा आम तौर पर 40 से 45 फीसदी तक होता है। ऐसे में टैक्स घटने से प्रोजेक्ट की कुल लागत में बड़ा अंतर आएगा। डेवलपर्स अब इन बचतों का कुछ हिस्सा घर खरीदारों तक पहुंचा सकते हैं, जिससे घरों की कीमतें अपेक्षाकृत किफायती होंगी और मांग बढ़ेगी। यह सुधार त्योहारी सीजन से ठीक पहले आया है, जो होमबायर की भावनाओं को सकारात्मक बनाने और खरीद निर्णयों को प्रोत्साहित करने के लिए अनुकूल माहौल तैयार करेगा।”
क्या सचमुच लोगों को बड़ा फायदा होगा?
जीएसटी रिफॉर्म्स के मुख्य लाभार्थी सीधे तौर पर अफोर्डेबल और मिड-हाउसिंग सेगमेंट होंगे, खासकर ग्रामीण आवास को क्षेत्र में ज्यादा फायदा देखने को मिल सकता है। आईसीआरए की वाइस प्रेसिडेंट एवं को-ग्रुप हेड, अनुपमा रेड्डी के मुताबिक, “चूंकि ग्रामीण आवास में कुल निर्माण लागत का लगभग 10-12 फीसदी हिस्सा सीमेंट पर खर्च होता है, इसलिए इस टैक्स कटौती से कुल निर्माण खर्च में 0.8 से 1.0 फीसदी की कमी आएगी। यह कम आय वाले परिवारों को थोड़ी राहत देगा और व्यापक हाउसिंग फॉर ऑल मिशन को मजबूती प्रदान करेगा। प्रति बैग 26-28 रुपए की कीमत का लाभ खुदरा ग्राहकों तक पहुंचेगा, बिना सीमेंट कंपनियों की लाभप्रदता पर खास असर डाले। इस कदम का समय भी रणनीतिक है, क्योंकि यह मानसून के बाद ग्रामीण और अर्ध-शहरी इलाकों में निर्माण गतिविधियों में आने वाली मौसमी तेजी के साथ मेल खाता है।
हालांकि, साया ग्रुप के प्रबंध निदेशक विकास भसीन ने बताया कि सीमेंट पर जीएसटी में कटौती एक सकारात्मक कदम है और इससे निर्माण लागत कुछ हद तक कम होगी, लेकिन यह ध्यान रखना जरूरी है कि रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स की कुल लागत में निर्माण सामग्री का हिस्सा केवल लगभग 25–30 फीसदी ही होता है और सीमेंट उनमें से सिर्फ एक घटक है। इसलिए, इस कदम का असर अंतिम कीमतों पर सीमित रहेगा। उन्होंने कहा, “एक अधिक सार्थक सुधार यह होता कि अधनिर्मित संपत्तियों पर जीएसटी घटाई जाती, क्योंकि इससे घर खरीदारों को सीधे और बड़े पैमाने पर लाभ मिलता। हमें उम्मीद है कि सरकार निकट भविष्य में इस महत्वपूर्ण कदम पर विचार करेगी।”
नवाचार पर ध्यान
साथ ही, जब लागत का पहलू संतुलित हो जाएगा, तब इन श्रेणियों में नवाचार पर और गंभीरता से ध्यान दिया जाएगा। गोयल गंगा डेवलपमेंट्स के चेयरमैन अनुज गोयल ने कहा, “यह घर खरीदारों के लिए डबल बोनस है, क्योंकि क्योंकि सस्ते घरों के कारण जीएसटी कम लगता है। बचत को अनोखी सुविधाओं और पर्यावरण-अनुकूल डिजाइनों पर खर्च किया जा सकता है, जिससे संपत्ति का स्वामित्व और भी आकर्षक व सुलभ बनेगा।”
लक्जरी सेवाओं पर 40 फीसदी जीएसटी का असर
जहां किफायती और मिड-सेगमेंट हाउसिंग को जीएसटी दरों में कटौती का फायदा मिलेगा, वहीं लक्जरी सेगमेंट पर इसका उल्टा असर दिख सकता है। इसका कारण है लक्जरी प्रॉपर्टी में लगने वाले सामान जैसे – टाइल्स, फिटिंग्स और फिक्स्चर्स पर मौजूदा 28 फीसदी जीएसटी की जगह 40 फीसदी जीएसटी लागू होना। उदाहरण के तौर पर, गुरुग्राम में 18 करोड़ रुपए कीमत का एक रॉ फ्लैट लक्जरी अपार्टमेंट लें, जिसमें लगभग 3 करोड़ रुपये की प्रीमियम इंटीरियर्स (फिटिंग्स और फिक्स्चर्स सहित) लगाई जाती हैं। अभी तक इस पर डेवलपर को 28 फीसदी जीएसटी के हिसाब से करीब 84 लाख रुपये टैक्स देना पड़ता है। ऐसे में प्रॉपर्टी की कुल कीमत लगभग 21.84 करोड़ रुपये होती है। लेकिन नई 40 फीसदी जीएसटी दर लागू होने पर यही टैक्स बढ़कर 1.20 करोड़ रुपए हो जाएगा। नतीजा यह कि प्रॉपर्टी की कुल कीमत 22.20 करोड़ रुपए तक पहुंच जाएगी।
वाणिज्यिक रियल्टी पर प्रभाव
ईरोस ग्रुप के डायरेक्टर अवनीश सूद ने कहा कि “सीमेंट निर्माण क्षेत्र में सबसे बड़े लागत कारकों में से एक है। इसमें संतुलन आने से प्रोजेक्ट की लागत सीधे तौर पर कम होगी। डेवलपर्स के लिए इनपुट कॉस्ट घटने का मतलब है कि प्रोजेक्ट का निष्पादन अधिक सहज होगा और समग्र व्यवहार्यता भी बढ़ेगी। इसके साथ ही यह बाजार में सकारात्मक भावना को भी मजबूत करता है, क्योंकि इससे खरीदारों और डेवलपर्स दोनों को भरोसा मिलता है कि नीतिगत सुधार जमीनी हकीकत से मेल खाते हुए किए जा रहे हैं।”
उमा बिल्डकॉन के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर अनिरुद्ध मेहता ने कहा कि “प्रस्तावित सुधारों के तहत जीएसटी का तार्किकीकरण (रैशनलाइजेशन) रियल एस्टेट और कंस्ट्रक्शन उद्योग के लिए एक ऐतिहासिक पड़ाव है। लागत में बचत से आगे बढ़कर, जीएसटी 2.0 में व्यापक स्तर पर विकास और रोजगार सृजन को गति देने की क्षमता है। देश के सबसे बड़े रोजगार प्रदाताओं में से एक होने के नाते रियल एस्टेट सेक्टर बेहतर लिक्विडिटी और पुनर्निवेश (रीइन्वेस्टमेंट) के अवसरों से लाभान्वित होगा, जिससे निर्माण कार्य, सहायक उद्योगों और सेवाओं में अधिक नौकरियां पैदा होंगी।
इसके अलावा, सरल और पारदर्शी कर व्यवस्था लंबे समय के निवेशकों में भरोसा जगाती है। यह पूंजी प्रवाह को बढ़ा सकती है, टिकाऊ भवन निर्माण की दिशा में सहयोग कर सकती है और आखिरकार भारत के आवास और अवसंरचना लक्ष्यों की पूर्ति में योगदान दे सकती है। हालांकि, संक्रमणकालीन प्रावधानों और टैक्स क्रेडिट फ्लो पर स्पष्टता बेहद जरूरी होगी ताकि बदलाव सुगमता से हो और निकट भविष्य में वर्किंग कैपिटल चक्र सुरक्षित रह सके।”
Housing.com का पक्ष
जीएसटी स्लैब को 18 फीसदी और 5 फीसदी पर तर्कसंगत करना सरकार का एक ठोस कदम है, जिससे कर प्रणाली सरल होगी और कारोबार करने में आसानी बढ़ेगी। डेवलपर्स को जीएसटी में 10 फीसदी की कटौती से जो बचत होगी, अगर उसे घर खरीदार तक पहुंचाया जाता है, तो इसका रियल एस्टेट सेक्टर पर सकारात्मक असर पड़ेगा। हालांकि, असली परीक्षा यही होगी कि यह बचत वास्तव में खरीदार तक पहुंचती है या नहीं। यह भी ध्यान देने योग्य है कि कई डेवलपर्स अब भी पुराने रॉ मटेरियल कॉन्ट्रैक्ट्स से बंधे हुए हैं, इसलिए इन बदलावों का असर दिखने में थोड़ा समय लग सकता है। अंततः, रियल एस्टेट भले ही एक पसंदीदा एसेट क्लास हो, लेकिन इस समय देशभर में इसमें मंदी देखी जा रही है। ऐसे में यह बचत घर खरीदारों तक पहुंचाना सेक्टर को गति देगा, खासकर त्योहारों के मौसम में, जब घरों की बुकिंग तेजी पकड़ती है।
(हमारे लेख से संबंधित कोई सवाल या प्रतिक्रिया है? हम आपकी बात सुनना चाहेंगे। हमारे प्रधान संपादक झूमर घोष को jhumur.ghosh1@housing.com पर लिखें।)