क्या है रिजर्व बैंक का दूसरा लोन मोरेटोरियम, जानें इसके बारे में सब कुछ

सुप्रीम कोर्ट ने लोन मोरेटोरियम पर सुनवाई स्थगित करते हुए कहा कि नीतियों को लेकर फैसला केंद्र सरकार को लेना चाहिए.

SC ने 11 जून, 2021 तक लोन मोरेटोरियम की मांग करने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई टाली

सुप्रीम कोर्ट ने 24 मई 2021 को सुनवाई के दौरान कहा कि कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर के कारण लोगों को पहुंचे वित्तीय नुकसान की भरपाई के लिए केंद्र सरकार को नीतियां तय करनी होंगी. सुप्रीम कोर्ट याचिकाकर्ता विशाल तिवारी की याचिका पर सुनवाई कर रहा था. इस याचिका में तिवारी ने सुप्रीम कोर्ट को केंद्र सरकार को COVID-19 की दूसरी लहर के कारण चल रहे संकट की स्थिति से निपटने के लिए उधारकर्ताओं को लोन मोरेटोरियम और ब्याज माफी की पेशकश करने का निर्देश देने की मांग की थी.

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तिवारी ने टर्म लोन्स पर 6 महीने की मोहलत और 6 महीने के लिए ब्याज माफी की मांग की. सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एमआर शाह की अगुआई वाली दो जजों की बेंच ने कहा कि नीतियों को लेकर फैसला लेने का काम केंद्र सरकार का है. कोर्ट ने आगे कहा, ‘ज्यादा से ज्यादा हम यह कर सकते हैं कि हम याचिकाकर्ता को केंद्र सरकार को अपना प्रतिनिधित्व देने की इजाजत दे सकते हैं. ‘

24 मई को मामले की सुनवाई कोर्ट ने स्थगित कर दी क्योंकि याचिकाकर्ता वर्चुअल तौर पर पेश नहीं हो पाया. इसलिए कोर्ट ने मामले की सुनवाई 11 जून 2011 तक के लिए टाल दी.

CREDAI के अध्यक्ष हर्षवर्धन पटोदिया ने कहा, साल 2020 के मुकाबले 2021 में रियल एस्टेट पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ा है क्योंकि शीर्ष इंडस्ट्री संस्था CREDAI ने इस मुद्दे पर आरबीआई और भारत सरकार को अलग-अलग रिप्रेजेंटेशन दी हैं.

माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर तिवारी ने लिखा कि अब वह आरबीआई और भारत सरकार से गुहार लगाएंगे ताकि हजारों ग्राहकों पर जो कोरोना वायरस महामारी के कारण प्रभाव पड़ा है, उससे उन्हें राहत दी जा सके.

आरबीआई ने लोन रीस्ट्रक्चरिंग के लिए रेजॉल्यूशन फ्रेमवर्क 2.0 का ऐलान किया

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने 5 मई 2021 को दूसरे लोन मोरेटोरियम का ऐलान किया ताकि कोविड-19 की मार झेल रहे ग्राहकों को मदद दी जा सके.

17 मई 2021: कोरोना वायरस महामारी की दूसरी मार झेल रहे ग्राहकों को मदद पहुंचाने के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर शक्तिकांत दास ने 5 मई 2021 को एक वर्चुअल स्पीच में बैंकों को दूसरा लोन मोरेटोरियम देने की इजाजत दे दी.

शक्तिकांत दास ने अपने भाषण में कहा, ‘ग्राहकों, जिनमें व्यक्ति और छोटे व्यवसाय, एमएसएमई, जिनकी आय 25 करोड़ रुपये तक है और जिन्होंने पिछले फ्रेमवर्क में मोरेटोरियम का फायदा नहीं उठाया था (इसमें 6 अगस्त 2020 का रेजॉल्यूशन फ्रेमवर्क भी शामिल है) और जिन्हें 31 मार्च 2021 को ‘स्टैंडर्ड’ घोषित किया गया है वे रेजॉल्यूशन फ्रेमवर्क 2.0 के तहत रीस्ट्रक्चर सुविधा का लाभ लेने योग्य हैं’. हालांकि आरबीआई द्वारा रीस्ट्रक्चरिंग सुविधा में मोरेटोरियम भी शामिल होगा, यह फैसला बैंकों का होगा.

आरबीआई का यह कदम सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर करने के एक महीने बाद आया है, जिसमें COVID-19 की दूसरी लहर के कारण बैंक बकाया के पुनर्भुगतान पर छह महीने की मोहलत मांगी गई थी. 30 मार्च 2021 को अपनी याचिका में एक वकील विशाल तिवारी ने केंद्र और आरबीआई पर कोरोना वायरस महामारी के कारण पैदा हुए हालातों पर लगाम लगाने में नाकाम रहने का आरोप लगाया और सुप्रीम कोर्ट से मांग की कि वह बैंकों को निर्देश दे कि वे छह महीने के लिए व्यक्तिगत ऋण चूक और लोन खातों को नॉन परफॉर्मिंग घोषित ना करें.

आरबीआई लोन मोरेटोरियम 2.0: जानें क्या है योग्यता

ग्राहक, जिन्होंने पहले लोन मोरेटोरियम के दौरान सुविधाओं का लाभ नहीं लिया था, वे दूसरी में फायदा उठा सकते हैं. जिन ग्राहकों ने पहले लोन मोरेटोरियम के दौरान लोन मोरेटोरियम का फायदा उठाया था, वे दूसरे में भी दो साल तक सुविधाओं का लाभ ले सकते हैं. इसके अलावा दूसरे लोन मोरेटोरियम के लिए योग्य होने के लिए ग्राहक के खाते में 31 मार्च 2021 तक लोन चुकौती में कोई चूक नहीं होनी चाहिए. आमतौर पर, एक लोन अकाउंट को डिफॉल्ट तब घोषित किया जाता है जब भुगतान 90 दिनों या उससे अधिक समय तक नहीं किया जाता.

अगर आपने पहले ही मोरेटोरियम ले लिया है?

जिन ग्राहकों ने साल 2020 में लोन मोरेटोरियम का लाभ उठाया था, वे दूसरे लोन मोरेटोरियम के तहत लाभ उठाने के योग्य हैं. हालांकि बाकी की अवधि केवल दो साल तक बढ़ाई जा सकती है.

दास ने कहा, व्यक्तिगत उधारकर्ताओं और छोटे व्यवसायों के मामले में, जिन्होंने रेजॉल्यूशन फ्रेमवर्क 1.0 के तहत लोन रीस्ट्रक्चरिंग का फायदा उठाया है, जहां रेजॉल्यूशन प्लान के तहत दो साल से कम के मोरेटोरियम की इजाजत दी गई थी, कर्ज देने वाले संस्थानों को इस तरह की योजनाओं को संशोधित करने के लिए इस विंडो का उपयोग करने की अनुमति दी जा रही है ताकि वे मोरेटोरियम की अवधि या फिर शेष अवधि को कुल दो वर्ष तक बढ़ा सकें. बाकी नियम वैसे ही रहेंगे.

लोन रीस्ट्रक्चरिंग 2.0 के लिए कैसे अप्लाई करें?

योग्य ग्राहक 30 सितंबर 2021 तक दूसरे लोन मोरेटोरियम के लिए अप्लाई कर सकते हैं. बशर्ते आप योग्यता के पैमाने पर खरा उतरते हों. बैंक आपको सुविधा देने के लिए 90 दिनों का समय ले सकता है.

आरबीआई लोन/ईएमआई मोरेटोरियम 1.0

साल 2020 में आरबीआई ने होम लोन ग्राहकों को तीन महीने 1 मार्च 2020 से लेकर 31 मई 2020 तक मोरेटोरियम की इजाजत दी थी. इसे बाद में तीन महीने यानी 31 अगस्त 2020 तक बढ़ाया गया ताकि बैंकों और ग्राहकों को मदद दी जा सके. कोरोना वायरस महामारी की पहली लहर में लाखों लोगों की नौकरियां चली गईं और पैसों की तंगी हो गई. बाद में आरबीआई ने मोरेटोरियम को रीस्ट्रक्चरिंग स्कीम का हिस्सा बना दिया, जहां लोन मोरेटोरियम को दो साल की अवधि तक बढ़ाया जा सकता है.

क्या आरबीआई होम लोन मोरेटोरियम 2.0 का ऐलान करेगा?

भारत में कोरोना वायरस महामारी के दूसरे प्रकोप के बीच ऐसी अटकलें हैं कि आरबीआई होम लोन मोरेटोरियम 2.0 का ऐलान कर सकता है.

5 मई 2021: भारत में कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर के दौरान बढ़ रहे संक्रमण के बीच आर्थिक विकास पर गहरा प्रभाव साफ नजर आने लगा है. ऐसे में इंडस्ट्री लीडर्स को यह उम्मीद है कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया यानी आरबीआई होम लोन मोरेटोरियम 2.0 का ऐलान कर सकता है.

हालांकि बैंकिंग रेग्युलेटर का मानना है कि ऐसे कदम की फिलहाल जरूरत नहीं है. भले ही कई राज्यों ने कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को रोकने के लिए लॉकडाउन लगाया है. इससे लोगों की रोजी-रोटी पर असर पड़ने लगा है.

साल 2020 में आरबीआई ने तीन महीने 1 मार्च 2020 से 31 मई 2020 तक होम लोन ग्राहकों के लिए मोरेटोरियम का ऐलान किया था. इसे बाद में 31 अगस्त 2020 तक बढ़ाया गया ताकि बैंकों और ग्राहकों को सपोर्ट दिया जा सके. कोरोना की पहली लहर में काफी वित्तीय नुकसान हुआ था. लाखों लोगों की नौकरियां चली गईं. अगस्त 2020 के बाद चुनिंदा खातों पर वन-टाइम लोन रीस्ट्रक्चरिंग की इजाजत दी गई थी.

साल 2021 में इकोनॉमी के पहिए चलाने के लिए आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने 5 मई 2021 को कहा था कि आरबीआई उभरती हुई स्थिति पर निगरानी रखेगा और पूरी ताकत झोंक देगा. आरबीआई का यह ऐलान ऐसे समय किया गया था, जब भारत में एक दिन में 4 लाख नए मामले सामने आ रहे थे और 3 हजार से ज्यादा मौतें हर रोज हो रही थीं.

हालांकि तब शक्तिकांत दास ने साल 2021 के लिए होम लोन मोरेटोरियम पर बात नहीं की थी क्योंकि आरबीआई अभी भी अर्थव्यवस्था पर कोविड-19 की दूसरी लहर के सटीक प्रभाव का आकलन करने की प्रक्रिया में है. अप्रैल 2021 में जब आरबीआई ने नए वित्त वर्ष के लिए पहली मौद्रिक नीति का ऐलान किया तो दास ने कहा कि लोन रीपेमेंट मोरेटोरियम की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि स्थिति से निपटने के लिए व्यवसाय बेहतर तरीके से तैयार थे.

उन्होंने कहा, ‘हम नियमित रूप से असेट क्वॉलिटी डेटा की निगरानी करते हैं. किसी भी स्थिति में, केंद्रीय बैंक को घुटने के बल प्रतिक्रिया नहीं देनी चाहिए और हम इसे भी नहीं लेंगे. निर्णय लेने से पहले हम स्थिति, उसकी गहराई, गंभीरता और प्रभाव को देखेंगे. ‘

बैंकों का मानना है कि वक्त आ गया है कि आरबीआई कोई एक्शन ले. सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) के मुताबिक कोविड-19 की दूसरी लहर और भारत में उस पर लगाम लगाने के लिए लगाए गए खंडित लॉकडाउन के कारण 75 लाख नौकरियों पर असर पड़ा है, जिससे बेरोजगारी अप्रैल 2021 में 4 महीने के उच्चतम स्तर 8 प्रतिशत पर पहुंच गई.

यूं तो आरबीआई ने भी कहा है कि इस वित्त वर्ष में इकोनॉमी 10.5 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी. वित्त वर्ष 2021 में इसे 7 प्रतिशत से ज्यादा का संकुचन देखा गया था. वित्त वर्ष 2022 के लिए रेटिंग एजेंसियों ने भारत के विकास दर के अनुमान को कम करना शुरू कर दिया है. हाल ही में ब्रोकरेज फर्म बारक्लेज ने भारत का विकास दर अनुमान वित्त वर्ष 2022 के लिए 10 प्रतिशत कर दिया है, जो पहले 11 प्रतिशत था.

ब्रोकरेज फर्म गोल्डमैन सैक्स ने भी वित्त वर्ष 2022 के लिए भारत का विकास दर अनुमान 11.1 प्रतिशत कर दिया है. पिछले अनुमान 11.7 प्रतिशत था.

आरबीआई की होम लोन मोरेटोरियम स्कीम क्या है?

कोविड-19 महामारी या फिर नोवेल कोरोना वायरस की वजह से कई लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा गया है. पैसों की तंगी से जूझ रहे लोगों को कुछ राहत देने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 27 मार्च 2020 को 3 महीने के मोरेटोरियम का ऐलान किया था, जो 31 मई 2020 को खत्म हो गया. 22 मई को आरबीआई ने इस मोरेटोरियम को 3 महीने और यानी 31 अगस्त 2020 तक बढ़ा दिया.

लोन चुकाने में लगातार हो रही चूक को देखते हुए, सुप्रीम कोर्ट और केंद्र सभी हितधारकों के लिए एक राहत की तलाश कर रहे हैं. साल 2020 में केंद्र सरकार ने 8 खास श्रेणियों के लिए 2 करोड़ रुपये के लोन के ब्याज पर ब्याज से छूट देने का ऐलान किया. हालांकि सुप्रीम कोर्ट को इस कदम के पीछे कोई तर्क नहीं मिला और 23 मार्च 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि  किसी भी उधारकर्ता पर मार्च से अगस्त 2020 तक लोन मोरेटोरियम पीरियड के दौरान किश्तों पर चक्रवृद्धि ब्याज, ब्याज पर ब्याज या दंडात्मक ब्याज नहीं लगाया जाना चाहिए, चाहे लोन राशि कुछ भी हो. यदि ब्याज पहले ही वसूल किया जा चुका है, तो इसे या तो उधारकर्ता को वापस कर दिया जाना चाहिए या अगली किस्तों में समायोजित किया जाना चाहिए.

हालांकि, पूर्ण ब्याज माफी की इजाजत नहीं है, क्योंकि बैंकों को जमाकर्ताओं और पेंशनभोगियों को ब्याज का भुगतान करना पड़ता है.

अप्रैल 2021 में सभी कर्जदाताओं को भेजे एक सर्कुलर में आरबीआई ने कहा कि सभी कर्ज देने वाले संस्थानों को मोरेटोरियम पीरियड के दौरान उधारकर्ताओं से लिए गए ब्याज पर ब्याज को वापस करने या समायोजित करने के लिए एक बोर्ड द्वारा मंजूर की गई नीति लागू करनी चाहिए. ऐसे रिफंड की कैलकुलेशन का तरीका आईबीए बताएगा.

क्या आरबीआई के ईएमआई मोरेटोरियम ने भारतीयों को राहत दी?

बैंकिंग इंडस्ट्री के लोगों का कहना है कि मोरेटोरियम राहत को अब बंद किया जा सकता है क्योंकि इकोनॉमी में सुधार के संकेत दिखना शुरू हो गए हैं. कई लोग अब कर्ज चुकाने की स्थिति में हैं. 25 अगस्त 2020 को जारी आरबीआई ने सालाना रिपोर्ट में कहा गया, ‘कर्ज की किस्तों पर मोरेटोरियम, ब्याज भुगतान को स्थगित करने और पुनर्गठन के मामले में महामारी के लिए आवश्यक नियामक वितरण, बैंकों के वित्तीय स्वास्थ्य के लिए भी निहितार्थ हो सकते हैं, जब तक कि उनकी बारीकी से निगरानी और विवेकपूर्ण तरीके से उपयोग नहीं किया जाता.’

आगे कहा गया, ‘जुलाई 2020 की वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट में किए गए मैक्रो स्ट्रेस टेस्ट से पता चलता है कि बेसलाइन सिनेरियो के तहत नॉन परफॉर्मिंग असेट मार्च 2020 के स्तर से 1.5 गुना और बहुत गंभीर रूप से तनावग्रस्त सिनेरियो में 1.7 गुना बढ़ सकती हैं. सिस्टम-स्तरीय सीआरएआर मार्च 2021 में बेसलाइन सिनेरियो के तहत अपने मार्च 2020 के स्तर से 13.3% और बहुत गंभीर तनाव परिदृश्य के तहत 11.8% तक गिर सकता है.”

आरबीआई यह मानता है कि इस समय सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बैंकों के लिए रीकैपिटलाइजेशन बहुत अहम है. आरबीआई ने आगे बढ़कर NBFC को कोविड-19 स्ट्रेस टेस्ट करने और जरूरी कदम उठाने की सलाह दी है.

मोरेटोरियम कई लोगों के लिए राहत लेकर आया

यहां यह बताना जरूरी है कि कई ग्राहकों के लिए मोरेटोरियम राहत लेकर आया. एनबीएफसी फिनवे की स्टडी में कुछ बातें कही गईं:

-पूरे भारत में 45 प्रतिशत ग्राहकों ने मोरेटोरियम का लाभ उठाया.
-अधिकतर ग्राहक मध्यम आयु, रोजगार या बिजनेस वाले थे.
-अधिकतर दिल्ली-एनसीआर से ताल्लुक रखते थे.
-ग्राहक अब लोन लेना चाहते हैं और अपने खर्च कम करना चाहते हैं.
-ग्राहक अब कम ब्याज दरों की मांग कर रहे हैं.

हालिया रिसर्च में पता चला है कि 45 प्रतिशत भारतीय ग्राहकों ने इस अस्थायी वित्तीय राहत का सहारा लिया है और यह देखते हुए कि कोविड-19 वायरस अभी भी बड़े पैमाने पर है, कई उधारकर्ता कठिन वित्तीय स्थिति में हैं. नतीजतन, कई लोग 31 दिसंबर, 2020 तक मोरेटोरियम सुविधा के और विस्तार की मांग कर रहे हैं.

स्नैपशॉट: भारत में ईएमआई मोरेटोरियम 

ईएमआई मोरटोरियम पीरियड 1 मार्च से 31 अगस्त 2020 तक
योग्य लोन सारे ईएमआई आधारित लोन और क्रेडिट कार्ड
 ईएमआई प्रयोज्यता उधारकर्ताओं के लिए स्वैच्छिक
मोरेटोरियम के लिए कैसे अप्लाई करें ऑनलाइन या ऑफलाइन
स्टेटस मोरेटोरियम योजना खत्म हो गई है और बैंकों को लोन रीस्ट्रक्चरिंग योजना का पता लगाने का निर्देश दिया गया है।

लोन मोरेटोरियम पर सुप्रीम कोर्ट के फैसलों की टाइमलाइन

26 अगस्त 2020 को जस्टिस अशोक भूषण की अगुआई वाली बेंच ने केंद्र सरकार को ब्याज माफी के मुद्दे पर अपना स्टैंड साफ करने का निर्देश दिया. वकील विशाल तिवारी ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट से यह कहते हुए गुहार लगाई थी कि  कोरोना महामारी का कहर झेल रहीं इंडस्ट्रीज को वित्तीय बोझ से उबरने के लिए और समय चाहिए. लिहाजा सुप्रीम कोर्ट ने 31 दिसंबर 2020 तक मोरेटोरियम पीरियड के विस्तार के बारे में सोचना चाहिए. यह 1 मार्च, 2020 तक बकाया सभी टर्म लोन की मासिक किस्तों के भुगतान पर लागू होता है. यह होम लोन पर भी लागू होता है.

1 सितंबर, 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने बैंकों को नॉन परफॉर्मिंग असेट के रूप में लोन्स को क्लासिफाई करने से बचने का निर्देश दिया, अगर ये स्टैंडर्ड लोन थे और 1 मार्च, 2020 तक 30 दिनों से अधिक समय तक ओवरड्यू नहीं थे. जब तक सुप्रीम कोर्ट कोई फैसला नहीं लेता, यह अगले दो महीनों के लिए कठिनाइयों का सामना कर रहे उधारकर्ताओं के लिए एक राहत की बात हो सकती है. इसके अलावा महामारी की मार झेल रहे ग्राहकों को लोन रीस्ट्रक्चरिंग सुविधा दी गई है. दूसरी ओर, यह बैंकों की सेहत खराब कर सकती है, एक अनुमान के मुताबिक बैंकों के बैड लोन्स 30 जून 2020 को 8.42 ट्रिलियन तक पहुंच गए हैं.

10 सितंबर 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह मामले की सुनवाई करेगा और अंतरिम आदेश सुनाएगा. केंद्र और आरबीआई के ठोस जवाब के अभाव में शीर्ष अदालत ने अपना फैसला टाल दिया. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार, आरबीआई और बैंकों से केवी कामथ कमिटी की सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए मोरेटोरियम पीरियड के दौरान लगाए गए ब्याज पर छूट देने के मद्देनजर एक ठोस जवाब देने को कहा.

5 अक्टूबर 2020 को केंद्र सरकार ने एक हलफनामा में कहा कि 2 करोड़ रुपये तक का कर्ज लेने वाले छोटे कर्जदारों को 6 महीने की मोहलत अवधि के दौरान चक्रवृद्धि ब्याज के भुगतान से राहत मिलेगी लेकिन यह 2 करोड़ रुपये से अधिक के लोन पर लागू नहीं होगा.

हालांकि केंद्र सरकार का जवाब किसी खास क्षेत्र को लेकर नहीं था. उदाहरण के तौर पर, इंडस्ट्री संस्था कन्फेडरेशन ऑफ रियल एस्टेट डेवेलपर्स असोसिएशन ऑफ इंडिया (CREDAI) जो देश के 12000 प्रोमोटर्स का प्रतिनिधित्व करती है, कहा कि लोन रीस्ट्रक्चरिंग के रूप में उन्हें कोई राहत नहीं दी गई.

14 अक्टूबर 2020 को आरबीआई ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि केंद्र सरकार 6 महीने की मोहलत अवधि के लिए 2 करोड़ रुपये तक के लोन पर लगने वाले चक्रवृद्धि ब्याज को माफ करने पर सहमत हो गई है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार  को योजना के साथ आगे बढ़ने का निर्देश दिया, लेकिन 2 नवंबर को ‘उचित कार्य योजना’ के साथ वापस आने को कहा.

नवंबर शुरू होने के बाद ये निम्नलिखित चर्चाएं सामने आईं.

कोरोना वायरस और उसका क्रेडिट स्कोर पर प्रभाव

कई लोगों के क्रेडिट स्कोर प्रभावित हुए हैं और यह न केवल संबंधित व्यक्ति के लिए बल्कि बैंकों के लिए भी एक दर्द का विषय होगा, क्योंकि वसूली कठिन हो गई है. इस स्तर पर आगे ब्याज माफी अहम हो सकती है.

अतिरिक्त नगदी जरूरी है

CREDAI मुंबई की ओर से कपिल सिब्बल ने कहा कि वित्त वर्ष 2021 के अंत तक मोरेटोरियम को बढ़ाया जाना चाहिए. इतना ही नहीं, एक आपातकालीन क्रेडिट लाइन और अतिरिक्त नगदी को बढ़ाने की जरूरत है.

बैंक भी असहाय हैं

इंडियन बैंक असोसिएशन की ओर से वकील हरीश साल्वे ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने बैंकों के अकाउंट को NPA के रूप में वर्गीकृत करने से रोकने के आदेश पारित किए थे.
इसने बैंकों को अपंग बना दिया है, जिससे वे डिफॉल्टरों के खिलाफ कार्रवाई करने में असहाय हो गए हैं. इस परिदृश्य में, मोरेटोरियम की अवधारणा और उसके प्रभाव को समझना जरूर होगा.

खास लोन श्रेणियों पर पूर्ण ब्याज माफी

कोरोना वायरस महामारी को देखते हुए विभिन्न सुनवाइयों के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने नरेंद्र मोदी सरकार को 2 करोड़ रुपये तक के 8 श्रेणियों के लोन पर ब्याज में छूट देने का निर्देश दिया था. आठ श्रेणियों के लोन में एमएसएमई (माइक्रो, स्मॉल एंड मिडियम एंटरप्राइजेज), एजुकेशन, हाउसिंग, कंज्यूमर ड्यूरेबल, क्रेडिट कार्ड्स, ऑटोमोबाइल्स, पर्सनल और खपत.

बेंच ने कहा, कई महीनों तक बड़ी इंडस्ट्रीज को काम नहीं करने दिया गया और छूट सिर्फ कुछ ही इंडस्ट्रीज को दी गईं ताकि वे अपनी गतिविधि जारी रख सकें, जिन्हें उस स्थिति में जरूरी समझा गया.

हालांकि, अगर वास्तव में एक पूरी छूट दी जाती है, तो अधिकारियों ने समझाया कि यह राशि 6 लाख करोड़ रुपये होगी और इससे आर्थिक विकास में बाधा आ सकती है.

घरेलू रेटिंग एजेंसी ICRA ने हाल ही में कहा था कि मासिक संग्रह, एनबीएफसी और एचएफसी द्वारा बड़े पैमाने पर पैदा अपने रेटेड खुदरा ऋण पूल में, दिसंबर 2020 तक प्री-मोरेटोरियम स्तर पर पहुंच गया है, लेकिन यह अपने रेटेड माइक्रो फाइनेंस प्लेयर्स के लिए सच नहीं है.

क्या होता है Moratorium?

ऋण स्थगन (Moratorium) एक तरीका है, जिससे किसी गतिविधि को आगे के लिए स्थगित कर दिया जाता है. लेकिन आपको कर्ज देने से ही छूट मिल गई है, यह कतई न सोचें. आइए ऋण स्थगन को समझने के लिए कुछ सवालों का जवाब देते हैं, जो आमतौर पर लोग इसके फायदे और नुकसान को लेकर पूछते हैं.

ग्राहकों पर असर:

होम लोन ग्राहकों के लिए 6 महीने के मोरेटोरियम का क्या मतलब है?

6 महीने के मोरेटोरियम का मतलब  है कि आप 6 महीने के लिए अपनी ईएमआई पेमेंट्स स्थगित कर सकते हैं. लेकिन ये ना समझें कि आपको इसे नहीं चुकाना पड़ेगा. अगर आपकी किस्त 1 मार्च 2020 से लेकर 31 अगस्त 2020 के बीच बकाया हैं तो आरबीआई ने बैंकों को यह इजाजत दे दी है कि आप अपनी पेमेंट स्थगित कर सकते हैं.
हालांकि आपका बैंक ऐसा करे या ना करे ये उसके हाथ में है. हर बैंक का अपना अगर पैमाना होगा कि वह इन 6 महीनों के लिए आपको ईएमआई हॉलिडे दे या नहीं. हालांकि, जो बैंक पहले से ही तीन महीने की शुरुआती मोहलत की अनुमति दे रहे थे, वे ऐसा करना जारी रख सकते हैं.

अगर मैंने ऋण स्थगन चुना है, तो क्या मुझे ब्याज के रूप में अतिरिक्त भुगतान करना होगा?

जवाब है हां. अगर ऋण स्थगन आपने चुना है तो आपको ज्यादा ब्याज चुकाना होगा. आइए आपको बताते हैं कि यह कैसे काम करेगा.

मान लीजिए आपने 70 लाख रुपये का होम लोन इलाहाबाद बैंक से 20 साल के लिए 9 प्रतिशत की ब्याज दर पर ले रखा है. इस मामले में आपकी मासिक ईएमआई बनती है 64,400 रुपये की. अगर आप तीन महीने के लिए ईएमआई को टालते हैं तो ब्याज लगता जाएगा और यह होगा 1,58,684 रुपये. यह आपकी कुल देयता में जुड़ जाएगा.

लिहाजा

*मूल (प्रिंसिपल)= 70 लाख रुपये

*चुकाए जाने वाला ब्याज= 82,99,365 रुपये

*ऋण स्थगन पर ब्याज= 1,58,684 रुपये

*कुल भुगतान राशि=1,54,58,049 रुपये

अगर ऋण स्थगन का विकल्प न चुनें तो चुकाए जाने वाली राशि= 1,51,15,396 रुपये

ऐसे में आपको ईएमआई के भुगतान पर ज्यादा राशि चुकानी होगी. हाउसिंग ईएमआई पर मिली छूट आपको शॉर्ट टर्म में फाइनेंस को फिर से अरेंज करने में मदद करेगी. दूसरी ओर, अगर आप ऋण स्थगन नहीं चुनते हैं तो 3,42,653 रुपये बचा सकते हैं.

होम लोन ईएमआई पर आरबीआई का स्थगन: इसका क्या मतलब है?

-ग्राहक 6 महीने तक ईएमआई नहीं चुकाने का विकल्प चुन सकता है.

-जो किस्त है वो 1 मार्च 2020 से लेकर 31 मई 2020 के बीच होनी चाहिए

-यह तय करना बैंक का काम है कि कौन ईएमआई हॉलिडे चुन सकता है कौन नहीं.

-ऋण स्थगन चुनकर ईएमआई पेमेंट को स्थगित करने से आपके क्रेडिट स्कोर पर कोई असर नहीं पड़ेगा.

-लेकिन ऋण स्थगन की अवधि के दौरान होम पर ब्याज लगता रहेगा, जो ग्राहक को चुकाना होगा.

क्या मोरेटोरियम प्रिंसिपल रीपेमेंट, ब्याज भुगतान पर लागू होगा या दोनों पर?

मोरेटोरियम मूल राशि और ब्याज दोनों पर ही लागू होगा, यानी जहां भी आप ईएमआई या प्री ईएमआई का भुगतान कर रहे हैं. लागू ब्याज दर पर ब्याज, मोरेटोरियम पीरियड के दौरान लोन के बकाया हिस्से पर जमा होता रहेगा.

क्या ऋण स्थगन का विकल्प चुनने से मेरे क्रेडिट स्कोर पर असर पड़ेगा?

जवाब है नहीं. ऋण स्थगन चुनने से आपके क्रेडिट स्कोर पर कोई असर नहीं पड़ेगा. बाकी वित्तीय संस्थानों से इस मसले पर अधिक स्पष्टता का इंतजार है.

क्या कोई जुर्माना भी लगेगा?

नहीं,  ना तो कोई जुर्माना लगाया जाएगा और ना ही आपके क्रेडिट स्कोर पर इस अवधि के दौरान असर पड़ेगा.

अगर मेरे कई सारे लोन चल रहे हों तो?

मोरेटोरियम सुविधा आपके सारे टर्म लोन्स के लिए बढ़ाई जाएगी. हालांकि आप अपने बैंक से जानकारी ले सकते हैं कि क्या वे चाहते हैं कि आप इस सुविधा से ऑप्ट-इन करें या ऑप्ट-आउट करें.

स्वरोजगार पर 6 महीने की रोक का क्या असर होगा?

ऊपर दिए गए उदाहरण से देखें तो कह सकते हैं कि आप कह सकते हैं कि अर्जित अतिरिक्त ब्याज का भुगतान करने के लिए एक छोटी सी कीमत है. खुद का रोजगार करने वाले उधारकर्ताओं को चुकाने में मुश्किल हो सकती है, अधिकांश व्यवसायों को लॉकडाउन के कारण नुकसान उठाना पड़ता है. इन तीन महीनों में खुद का रोजगार करने वाले लोग इस ईएमआई राशि को कहीं और इस्तेमाल कर सकते हैं. लिहाजा कैश के नुकसान को लेकर कोई टेंशन ही नहीं है. तीन महीनों के बाद उधारकर्ता अपने मासिक बकाये का भुगतान इस बात के साथ कर सकता है कि वह अब ज्यादा राशि चुकाएगा.

नए कर्ज लेने वालों पर 3 महीने की मोहलत का क्या असर होगा?

असर वैसा ही होगा, जैसे अन्य सेक्शनों पर होगा. आप तीन महीनों के लिए अपने पेमेंट्स को टाल सकते हैं. लेकिन, आपको मालूम होना चाहिए कि यह कोई ब्याज में छूट नहीं है. आपको कोई डिस्काउंट नहीं मिलेगा. अगर पुनर्भुगतान करने की आपकी क्षमता है तो आपको ऐसा करना चाहिए. इससे आपके पैसे भी बचेंगे. लेकिन अगर कोविड-19 के कारण आपको पैसों का नुकसान हो रहा है तो आपको ऋण स्थगन का विकल्प अपनाना चाहिए, अगर बैंक ऑफर कर रहा है तो.

बैंकों और वित्तीय कर्जदाताओं की गाइडलाइंस

क्या स्थगन का मतलब सिर्फ नेशनलाइज्ड बैंकों के लिए है या इसमें सभी बैंक और को-ऑपरेटिव बैंक भी आते हैं?

सभी उधार देने वाले संस्थान जो वाणिज्यिक बैंक हैं, जिनमें क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, छोटे वित्त बैंक, स्थानीय क्षेत्र के बैंक, सहकारी बैंक, अखिल भारतीय वित्तीय संस्थान और आवास वित्त कंपनियों सहित NBFC को ऋण स्थगन की अनुमति दी गई है.

क्या यह कर्जमाफी (6 महीने के लिए) है या फिर मोहलत है?

ध्यान रहे कि आरबीआई ने सिर्फ टर्म लोन के स्थगन को मंजूरी दी है. इसमें कोई कर्जमाफी, डिस्काउंट या छूट नहीं. स्थगन में भी शुल्क लगेंगे.

क्या NRI ग्राहकों के लिए मोरेटोरियम सुविधा उपलब्ध है?

हां मोरेटोरियम सुविधा एनआरआई ग्राहकों के लिए भी उपलब्ध है.

अगर आपने मार्च 2020 की ईएमआई पहले ही दे दी है?

कई कर्ज लेने वाले इलेक्ट्रॉनिक क्लियरिंग सर्विसेज (ECS) के जरिए हर महीने के पहले हफ्ते में ही ईएमआई चुका देते हैं. इसलिए कई लोगों ने मार्च की ईएमआई पहले ही चुका दी. ऐसे लोगों को ईएमआई चुकाने में सिर्फ दो महीने ही ही मोहलत मिलेगी- अप्रैल और मई 2020.

क्या होगा अगर मेरी ईएमआई 28 मार्च, 2020 को देय थी?

आप रीफंड को लेकर अपने बैंक से जानकारी ले सकते हैं. उदाहरण के तौर पर आईसीआईसीआई बैंक ने कहा कि वह मार्च के लिए ईएमआई वापस करने पर विचार कर सकता है यदि इसे 27 मार्च, 2020 के बाद डेबिट किया गया था. आईसीआईसीआई बैंक के दिशा-निर्देश इस प्रकार हैं, ’27 मार्च, 2020 से पहले भुगतान की गई ईएमआई वापस नहीं की जाएगी. हालांकि, अगर 27 मार्च, 2020 के बाद कोई ईएमआई डेबिट की जाती है और कर्ज लेने वाला ग्राहक मोरेटोरियम का विकल्प चुनता है तो ऐसी ईएमआई पर कर्जदार/ग्राहक के अनुरोध पर रिफंड के लिए विचार किया जा सकता है’.

क्या बैंक खुद ही मोहलत दे देंगे या फिर आपको बैंक का रुख करना पड़ेगा?

हर बैंक के अपने अलग पैमाने होते हैं. एक्सपर्ट्स की सलाह है कि चूंकि आरबीआई ने ‘इजाजत’ शब्द इस्तेमाल किया ‘आदेश’ नहीं, इसलिए मोहलत देने के लिए लोगों को अपने बैंकों से गुजारिश करनी पड़ेगी. स्टेट बैंक ऑफ इंडिया अपने सभी ग्राहकों को मोहलत देने को तैयार है, चाहे उन्हें जरूरत है या नहीं. फिलहाल अन्य बैंकों से स्पष्टता का इंतजार है. आरबीआई ने बैंकों से नियम तय करने को कहा है, जो उनके बोर्ड द्वारा मंजूर हो चुका हो ताकि योग्य ग्राहकों को राहत दी जा सके.

क्या मोहलत सिर्फ लोगों के लिए है या कॉरपोरेट्स के लिए भी?

आरबीआई के मुताबिक, मोहलत देने की इजाजत सभी को दी गई है लेकिन बैंक योग्यता के अपने पैमाने लेकर आ सकते हैं. विभिन्न बैंकों की पुष्टि और दिशा-निर्देश आने बाकी हैं. बैंकों की ओर से पुष्टि आने के बाद हम इस आर्टिकल को अपडेट करेंगे.

क्या यह उन पर भी लागू होगा, जिन को लॉकडाउन के दौरान पूरी सैलरी मिल रही है?

कोविड-19 का आर्थिक प्रभाव सभी लोगों- नौकरीपेशा और खुद का रोजगार करने वालों पर लागू होगा. नौकरीपेशा लोगों पर आर्थिक प्रभाव सैलरी कटने, सैलरी भुगतान में देरी और छंटनी के तौर पर हो सकता है. इसलिए, आरबीआई ने कई लोगों के वित्तीय तनाव को कम करने के लिए यह कदम उठाया है. व्यक्तिगत बैंकों से अधिक जानकारी का इंतजार है. एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया जल्द ही घोषित किए जाएंगे.

अगर बैंक मोहलत नहीं देता है तो मैं क्या कर सकता हूं?

जैसा कि हमने पहले ही बताया कि यह पूरी तरह से बैंकों के ऊपर है कि वे आपको स्थगन प्रस्ताव दें या नहीं. आरबीआई के शब्दों में, ‘उधार देने वाली संस्थाएं सभी योग्य उधारकर्ताओं, अन्य लोगों को राहत देने के लिए बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीतियों को लागू करेंगी, जिसमें राहत और विचार के लिए सार्वजनिक मानदंड शामिल हैं.’

‘मकसद’ शब्द पर ध्यान दें. यह एक व्यक्तिपरक आधार पर नहीं बल्कि मकसद के आधार पर है कि आपका बैंक इस स्थगन को लागू करने के लिए एक पैमाना तय करेगा. यदि बैंक इस राहत की पेशकश नहीं करता और आप ईएमआई का भुगतान नहीं करते तो आपकी संपत्ति जाने का भी खतरा है.

आमतौर पर पूछे जाने वाले सवाल

क्या ऋण स्थगन एक नया कॉन्सेप्ट है?

ऋण स्थगन नया कॉन्सेप्ट नहीं है. अधिकतर ग्राहक जो निर्माणाधीन प्रॉपर्टी खरीदते हैं, वे ऋण स्थगन अवधि मांगते हैं.  मंजूरी देने वाले बैंक आमतौर पर तीन साल की स्थगन अवधि देते हैं. लेकिन ऐसे मामलों में, बैंक स्थगन अवधि के दौरान ग्राहक से ब्याज चुकाने को कहते हैं, जिसे प्री ईएमआई ब्याज कहते हैं. तीन साल की अवधि के बाद ग्राहक को पूरी ईएमआई चुकानी पड़ती है. रेडी-टू-मूव इन प्रॉपर्टी के मामले में बैंक आमतौर पर 3 से 6 महीने के बीच की स्थगन अवधि देते हैं.

इस कदम से कर्ज देने वाले संस्थानों को कैसे फायदा होगा?

ध्यान रखें कि कर्ज देने वाले संस्थान ईएमआई या ब्याज में छूट नहीं दे रहे हैं. वे सिर्फ आपको तीन महीने के लिए भुगतान में मोहलत दे रहे हैं, जिस पर ब्याज लागू होगा. कर्जदाताओं को इस कदम से फायदा मिलेगा. उदाहरण के तौर पर, एसबीआई टर्म लोन बुक काफी बड़ा होता है. लेकिन बैंक के चेयरमैन रजनीश कुमार ने कहा,  ऋण स्थगन का कदम और ज्यादा लेकर आएगा. मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा, टर्म लोन बुक काफी बड़ा होता है और मुझे लगता है कि 2-2.5 ट्रिलियन सालाना हर साल भुगतान किया जाता है तो तीन महीने के लिए यह 50-60 हजार करोड़ होगा.

अन्य टर्म लोन का क्या?

टर्म लोन सुरक्षित लोन (कभी-कभार असुरक्षित) होता है और ग्राहक को ब्याज के साथ लोन चुकाना होता है वो भी एक निश्चित अवधि में. कुछ उदाहरण हैं कृषि टर्म लोन, रिटेल लोन, फसल ऋण, कार लोन, एजुकेशन लोन, पर्सनल लोन इत्यादि.

हाउसिंग की सिफारिशें

ध्यान दें कि अगर आप मोरेटोरियम को चुन रहे हैं तो साथ में ब्याज भी लगेगा. आइए आपको उदाहरण से समझाते हैं.

देव शर्मा ने 1 मार्च 2020 को 1 करोड़ का हाउसिंग लोन 236 महीने के लिए लिया. अगर शर्मा 90,521.00 की किस्त पर मोरेटोरियम चाहते हैं, जिसकी बकाया तारीख 1 अप्रैल 2020 है तो  मार्च के महीने का 75000 रुपये का ब्याज उनके प्रिंसिपल अमाउंट में जुड़े जाएगा और रिवाइज ओपनिंग प्रिंसिपल अमाउंट होगा 10,075,000 रुपये. ब्याज रिवाइज प्रिंसिपल अमाउंट पर कैलकुलेट किया जाएगा. बिना बदलाव वाली ब्याज दरों और इस अवधि में किस्तों की रकम को ध्यान में रखते हुए इस मामले में शर्मा की अवधि 236 महीने से बढ़कर 249 महीने हो जाएगी.

लिहाजा अगर इस वक्त आपको पैसों की तंगी नहीं है तो अपनी ईएमआई जैसे देते आ रहे हैं, वैसे ही देते रहें. इससे आपके पैसे की बचत होगी.

लोन रीस्ट्रक्चरिंग लेने के लिए कुछ जरूरी शर्तें

दोनों ही कॉरपोरेट और रिटेल ग्राहकों को कुछ समय के लिए डिफॉल्ट की श्रेणी में नहीं रखा जाएगा. लोन रीस्ट्रक्चरिंग का विकल्प उन लोगों को दिया जाएगा, जिन पर वाकई मार पड़ी है. इन बातों को ध्यान में रखें:

-अगर आप रीस्ट्रक्चरिंग सुविधा को लेने के बारे में सोच रहे हैं तो ठोस सबूत के साथ तैयार रहें जैसे नौकरी से निकाले जाने का लेटर या फिर दफ्तर में सैलरी में कटौती या फिर बिजनेस में नुकसान के बहीखाते इत्यादि.

-रीस्ट्रक्चरिंग केवल उन लोगों को दी जाएगी, जिनके लोन 1 मार्च, 2020 तक एक महीने से अधिक समय से बकाया नहीं थे. अगर आपने मोरेटोरियम का फायदा नहीं उठाया है तब भी आप लोन रीस्ट्रक्चरिंग का फायदा उठा सकते हैं.

-रीस्ट्रक्चरिंग से आपके क्रेडिट स्कोर पर असर नहीं पड़ेगा, लेकिन इसकी खबर क्रेडिट ब्यूरोज को दी जाएगी.

मोरेटोरियम लेने के लिए बैंक के नियम

अधिकतर बैंकों ने मोरेटोरियम पीरियड की अपनी गाइडलाइंस ट्विटर पर बता दी हैं.

भारतीय स्टेट बैंक

विवरण कोर्स ऑफ एक्शन
ग्राहक जो ईमआई/किस्तों की वसूली को स्थगित नहीं करना चाहते हैं. कुछ करने की जरूरत नहीं है. वे जैसे अपनी ईएमआई देते आए हैं, वैसे देते रहें.
ग्राहक जो किस्तों/ईएमआई की वसूली को स्थगित करना चाहता है एनएसीएच- जहां ऐसी किस्तों/ईएमआई की कलेक्शन्स नेशनल ऑटोमेटेड क्लीयरिंग हाउस (NACH) के माध्यम से किया जाता है. कृपया ईमेल आईडी (एनेक्सचर-III) पर ई-मेल के जरिए इन किस्तों के लिए एनएसीएच को रोकने के लिए एनएसीएच एक्सटेंशन- (एनेक्सचर-II) के लिए आदेश के साथ एक एप्लिकेशन (एनेक्सचर-I) जमा करें.

स्टैंडर्ड इंस्ट्रक्शन्स (SI)-कृपया एक ईमेल के जरिए खास ईमेल आईडी (एनेक्सचर-III) पर एक एप्लिकेशन (एनेक्सचर-I) जमा करें.

जो ग्राहक पहले ही भुगतान की गई किस्त/ईएमआई की वापसी चाहते हैं कृपया खास मेल आईडी (एनेक्सचर-III) पर ईमेल के जरिए एक आवेदन (एनेक्सचर-I) जमा करें.

विवरण के लिए देखें https://www.sbi.co.in/stopemi

पंजाब और सिंध बैंक

सारे टर्म लोन पर मोरेटोरियम

बैंक सभी टर्म लोन्स के संबंध में 1 मार्च, 2020 और 31 मई, 2020 के बीच देय किश्तों (इसमें प्रिंसिपल, ब्याज, बुलेट रीपेमेंट, ईएमआई भी शामिल है) के भुगतान पर तीन महीने की मोहलत देगा.  ऐसे लोन्स के लिए रीपेमेंट शेड्यूल के साथ-साथ अवशिष्ट अवधि, मोरेटोरियम पीरियड के तीन महीने बाद पूरे बोर्ड में शिफ्ट कर दी जाएगी. मोरेटोरियम अवधि के दौरान टर्म लोन के बकाया हिस्से पर ब्याज मिलता रहेगा.
बैंक द्वारा स्टैंडिंग इंस्ट्रक्शन (सिम) को 31 मई, 2020 तक के लिए टाल दिया जाएगा. हालांकि, अगर उधारकर्ता किस्त का भुगतान करने को तैयार है, तो उसे वसूल किया जाएगा.

ज्यादा जानकारी के लिए- https://www.psbindia.com/document/Advisory.pdf पर जाएं.

IDBI बैंक 

विवरण क्या एक्शन लिया जाएगा
ग्राहक जो किस्तों/ईएमआई की वसूली को स्थगित करना चाहता है यह योजना 1 मार्च, 2020 तक हाउसिंग लोन, प्रॉपर्टी के एवज में लोन, ऑटो लोन, एजुकेशन लोन और पर्सनल लोन के तहत सभी स्टैंडर्ड टर्म लोन पर लागू होगी. जहां कहीं भी मार्च 2020 की किस्त का भुगतान उधारकर्ता द्वारा किया जा चुका है, वहां ईएमआई भुगतान के लिए राहत अप्रैल 2020 और मई 2020 से लागू होगी.
ग्राहक जो किस्तों/ईएमआई की वसूली को स्थगित नहीं करना चाहते हैं ग्राहक 3 अप्रैल, 2020 तक [email protected] पर ईमेल लिखकर ईएमआई मोरेटोरियम से बाहर निकल सकते हैं।

ई-मेल में इन बातों का जिक्र होना चाहिए

ईमेल का सब्जेक्ट लोन अकाउंट नंबर होना चाहिए

मेल बॉडी में कृपया इन विवरणों का जिक्र करें

उधारकर्ता का नाम.

लोन अकाउंट नंबर.

ग्राहक ईमेल में लिखें कि “मैं बैंक द्वारा दी जाने वाली लोन इन्स्टॉलमेंट सुविधा से बाहर निकलना चाहता हूं, इसलिए कृपया ईसीएस/एसआई के माध्यम से मेरी ईएमआई जमा करें.”

ज्यादा जानकारी के लिए- https://www.idbibank.in/faq-covid-installment.asp पर जाएं

HDFC बैंक

विवरण क्या एक्शन लिया गया
ग्राहक जो किस्त/ईएमआई की वसूली को स्थगित करना चाहता है सभी एचडीएफसी बैंक ग्राहक जिन्होंने 1 मार्च 2020 से पहले रिटेल इंस्टॉलमेंट लोन या किसी अन्य रिटेल क्रेडिट फैसिलिटी का फायदा उठाया है, वे इसके लिए योग्य हैं.

1 मार्च 2020 से पहले बकाया राशि वाले ग्राहक भी मोरेटोरियम का विकल्प चुन सकते हैं, और उनके अनुरोधों पर बैंक द्वारा इसकी योग्यता के आधार पर विचार किया जाएगा.

इस नंबर पर कॉल करें और निर्देशों का पालन करें – 022-50042333, 022-50042211

ग्राहक जो किस्तों/ईएमआई की वसूली को स्थगित नहीं करना चाहते हैं अगर आप ईएमआई मोरेटोरियम नहीं चाहते हैं, तो आपकी ओर से किसी और कार्रवाई की आवश्यकता नहीं है.

ज्यादा जानकारी के लिए यहां जाएं- https://www.hdfcbank.com/personal/pay/payment-solutions/loan-repayment

ICICI बैंक

 विवरण क्या एक्शन लिया गया
ग्राहक जो किस्तों/ईएमआई की वसूली को स्थगित करना चाहता है अन्य सभी प्रकार की सुविधाओं के संबंध में, उधारकर्ता(ओं)/ग्राहक (ग्राहकों) को विशेष रूप से मोरेटोरियम का फायदा उठाने के लिए ऑप्ट-इन की जरूरत होगी और मार्च 01 से 31 मई, 2020 तक की अवधि के बीच भुगतान के कारण भुगतान को स्थगित करने की जरूरत होगी. आप ऑप्ट-इन करने के लिए यहां जा सकते हैं.
जो ग्राहक किस्तों /ईएमआई की वसूली को स्थगित नहीं करना चाहते हैं जो लोग मोरेटोरियम का फायदा नहीं लेना चाहते हैं, उधारकर्ता (उधारकर्ताओं)/ ग्राहक (ग्राहकों)

बैंक द्वारा शेयर किए गए लिंक, एसएमएस ईमेल के जरिए मोरेटोरियम से ऑप्ट आउट कर सकते हैं.  आप आईसीआईसीआई बैंक की वेबसाइट www.icicibank.com पर भी जा सकते हैं, ऐसा न करने पर यह माना जाएगा कि उधारकर्ता/ग्राहक ने मोरेटोरियम का विकल्प चुना है.

अन्य बैंक जिन्होंने मोरेटोरियम की इजाजत दी है, उसमें केनरा बैंक, आंध्र बैंक, यूको बैंक, इंडियन बैंक, सिंडिकेट बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स, पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, इलाहाबाद बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, कॉरपोरेशन बैंक शामिल है.

नोट: कुछ बैंक चाहते हैं कि अगर ग्राहक मोरेटोरियम का फायदा नहीं उठाना चाहते हैं तो वे मोरेटोरियम के ऑप्शन से बाहर निकल सकते हैं. अगर आप अपनी ईएमआई का भुगतान जारी रखना चाहते हैं तो कुछ अन्य नहीं चाहते कि आप कोई एक्शन लें. यह सलाह दी जाती है कि आप ऑनलाइन प्रकाशित विवरण के लिए अपने बैंक से संपर्क करें.

नोट: इस आर्टिकल पर नजर बनाए रखें. जैसे ही बैंक गाइडलाइंस जारी करेंगे, हम इस आर्टिकल को अपडेट करेंगे.

सवाल और जवाब

क्या ऋण स्थगन (moratorium) का मतलब है कि आपको ज्यादा पैसा चुकाना पड़ेगा?

जी हां. ऋण स्थगन से आपका ईएमआई का बोझ और बढ़ जाएगा.

क्या मैं अब लोन लेकर मोहलत का फायदा उठा सकता है?

नहीं, आप ऐसा नहीं कर सकते. मोहलत की अवधि सिर्फ उन लोन के लिए हैं, जो मार्च 2020 से पहले के हैं.

आरबीआई की तीन महीने की मोहलत से किसे फायदा होगा?

जो भी शख्स इस वक्त पैसों की तंगी से जूझ रहा है, उसे फायदा होगा. इसके बाद भी अगर ईएमआई का बोझ बढ़ेगा तो यह आर्थिक रूप से तनावग्रस्त परिवारों को COVID -19 के तत्काल आर्थिक प्रभाव को खत्म करने में मदद करेगा.

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