गवर्नर्स कैंप, बीबीडी बाग, कोलकाता – 700062 में मार्क्स एंगेल्स बीथी रोड के प्रमुख जंक्शन पर स्थित राजभवन पश्चिम बंगाल की राजधानी में सभी स्थलों और महलों में सबसे भव्य है. राजभवन पश्चिम बंगाल के राज्यपाल का आधिकारिक निवास है और इसे साल 1803 में बनवाया गया था. आजादी मिलने से पहले, इसे गवर्नमेंट हाउस कहा जाता था. ईस्ट इंडिया कंपनी (ईआईसी) से अधिकारियों का ट्रांसफर जब ब्रिटिश साम्राज्य को किया गया तो यह भारत के वाइसरॉय का आधिकारिक निवास बन गया, जो पास के राजसी बेलवेदर इस्टेट से यहां शिफ्ट हुए थे.
Raj Bhavan in Kolkata, West Bengal
साल 1911 में जब राजधानी दिल्ली शिफ्ट हुई तब यह बंगाल के लेफ्टिनेंट गवर्नर का आधिकारिक निवास बन गया. इसके बाद इसे राजभवन कहा गया. यही नाम भारत के अन्य राज्यपाल के निवासों को दिया गया. राजभवन 27 एकड़ में फैला है और इसका फ्लोर स्पेस 84000 स्क्वेयर फुट है. दूसरे फ्लोर के चार कोनों पर रहने के लिए सुइट हैं और मेन सुइट (जिसे द प्रिंस ऑफ वेल्स सुइट कहा जाता है, जिसे विजिटर्स और गणमान्य इस्तेमाल करते हैं) को पहले फ्लोर पर नॉर्थ-वेस्ट साइड बनाया गया है. सेंट्रल जोन के ग्राउंड फ्लोर पर आपको एक मार्बल हॉल मिलेगा. सेंट्रल एरिया में एक सिंहासन कक्ष, ब्लू ड्राइंग, बैंक्वेट हॉल और ब्राउन डाइनिंग रूम्स हैं. पहले फ्लोर के नॉर्थ ईस्ट कॉर्नर पर काउंसिल चेम्बर है, जहां ब्रिटिश राज में कई अहम सरकारी फैसले लिए जाते थे. दूसरे फ्लोर पर बॉलरूम और गवर्नर के अपार्टमेंट्स हैं.
कोलकाता के राजभवन की वैल्यूएशन
ब्रिटिश शासन के बाद आज भी कोलकाता के गवर्नर हाउस की आभा मंत्रमुग्ध कर देने वाली है. साल 1947 में सर फ्रेडरिक बरोज जब पद से हटे तो सी राजगोपालाचारी ने भारत के पहले गवर्नर जनरल का पदभार संभाला. कोलकाता का गवर्नर हाउस इलाके की प्राइम कमर्शियल प्रॉपर्टी है और यह करीब 15000 प्रति वर्ग फुट से लेकर 17000 प्रति वर्ग फुट के बीच है. अगर इस ऐतिहासिक इमारत की उच्चतम वैल्यू भी मान लें तो 11,76,120 स्क्वेयर फुट ग्राउंड और इमारत की वैल्यू करीब 1,999,40,40,000 रुपये बैठेगी. इसके ऐतिहासिक, सामाजिक-राजनीतिक और सांस्कृतिक महत्व के हिसाब से यह वैल्यू करीब 2000 करोड़ रुपये तक भी जा सकती है.
Aerial view of Raj Bhavan Kolkata
कोलकाता राजभवन: इतिहास और निर्माण
तीन मंजिला राजभवन में बड़ा हॉल, चारों तरफ घुमावदार गलियारे और एक आलीशान सेंट्रल जोन है, जो इसे अपने आप में एक पूरा घर बनाता है. राजभवन को 1799 से 1803 के बीच बनाया गया था और 1803 में इसमें गवर्नर-जनरल लॉर्ड वेलेस्ले रहे थे. यह अद्भुत ढांचा 18 जनवरी 1803 में जाकर पूरा हुआ था. 1912 में राजधानी दिल्ली शिफ्ट होने से पहले करीब 23 गवर्नर जनरल और फिर वाइसरॉय इस इमारत में रहे. इसमें लॉर्ड मेटकाल्फ की सोच भी शामिल थी. इसे शहर की भीड़ भाड़ से दूर शांत जगह पर बनाया गया था. कई एकड़ में तो सिर्फ इसमें बगीचे हैं. इसमें विशाल लोहे के गेट हैं, जिसके ऊपर बड़े शेरों की आकृति है.
Kolkata Raj Bhavan garden
1799 से पहले गवर्नर-जनरल इसी इलाके में एक किराये के घर बकिंघम हाउस में रहा करते थे. यह चितपुर के नवाब मोहम्मद रजा खान की संपत्ति थी. 1799 में गवर्नर जनरल फर्स्ट मार्केस वेलेस्ले ने इस भव्य इमारत को बनवाने का बीड़ा उठाया. इसे बनाने में उस वक्त करीब 63,291 पाउंड का खर्च आया था, जो आज 3.8 मिलियन पाउंड बैठता है. राजभवन को कैप्टन चार्ल्स व्याट ने डिजाइन किया था और इसे डर्बीशायर के केडलस्टन हॉल में स्थित कर्ज़न परिवार की हवेली की तर्ज पर बनाया गया था. इसे बनाने में न्यू क्लासिकल आर्किटेक्चर स्टाइल को फॉलो किया गया. इसके निर्माण के 100 वर्ष बाद कर्जन परिवार के एक नामी सदस्य जॉर्ज नथानिएल कर्ज़न बतौर वाइसरॉय इस राजभवन में रहे. उन्होंने उस समय इसे दुनिया के किसी भी संप्रभु या सरकार के प्रतिनिधि के लिए सबसे ‘बेहतरीन सरकारी घर’ बताया था.
साल 1860 में लॉर्ड एल्गिन ने इसमें मशहूर धातु गुंबद जुड़वाया था जबकि लॉर्ड कर्जन ने बिजली की शुरुआत की और इस इमारत में लिफ्ट को बर्ड केज लिफ्ट कहा जाता था. यह छोटी सी लिफ्ट आज भी काम करती है.
Elevator in Kolkata Raj Bhavan
बिल्डिंग में एक सेंट्रल जोन है और चार अलग-अलग विंग्स हैं. सेंट्रल जोन में जो स्टेट रूम्स हैं, उनमें उत्तर दिशा से बाहर से सीढ़ियों के जरिए भी जाया जा सकता है. दक्षिण में, एक बरामदा के साथ पोर्टिको है, जिसके ऊपर एक गुंबद है. चारों विंग्स में ऑफिस, रिहायशी विंग्स और सीढ़ियां हैं. यहां प्राकृतिक वेंटिलेशन है और खूबसूरत दृश्य नजर आता है. पूरा परिसर कठघरों और आर्क गेट्स से घिरा हुआ है.
कोलकाता के राजभवन से जुड़े दिलचस्प तथ्य
आइए आपको कोलकाता के राजभवन से जुड़ी कुछ अहम बातें बताते हैं:
-इमारत में 6 गेट हैं और पश्चिम और पूर्व के चार गेट्स में शेरों के चित्रण के साथ मेहराब हैं.
-इमारत का सबसे खूबसूरत दृश्य उत्तरी गेट से दिखाई देता है, जो मुख्य द्वार भी है.
-एंट्री के बाद काफी लंबा चलना पड़ता है और सीढ़ियों से पहले एक चाइनीज तोप रखी हुई है और फिर इमारत के द्वारमंडप में आपको छह स्तंभों पर टिका त्रिकोणीय पेडिमेंट मिलेगा.
-चीनी तोप एक ड्रैगन के ऊपर टिकी हुई है और इसके आसपास काफी सारी तोप हैं, जो 1842 में नैनकिंग से लाई गई थीं. एक शिलालेख में लिखा है, इंग्लैंड और भारत के सैन्य बल द्वारा नानकिंग की दीवारों के अंदर चीन के सम्राट को शांति प्रदान की गई. ‘
-राजभवन में पब्लिक हॉल, बैंक्वेट, हॉल, द्वारमंडप, बरामदा और सिंहासन कक्ष के अलावा 60 कमरे हैं.
-रिहायशी एरिया में प्रिंस ऑफ वेल्स सुइट है, जो राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और अन्य राष्ट्राध्यक्षों के लिए आरक्षित रहते हैं. इसमें डफ़रिन और एंडरसन सुइट के साथ वेलेस्ली सुइट भी हैं. अब इनके नाम रबींद्रनाथ टैगोर, सागर, कंचनजंगा और विवेकानंद कक्ष हो चुके हैं.
-पहले फ्लोर के पीले ड्राइंग रूम में कई आकर्षक पेंटिंग्स हैं.
-राजभवन में एक ब्लू ड्राइंग रूम, ब्राउन डाइनिंग रूम, सिंहासन कक्ष (वेल्सली का सिंहासन, टीपू सुल्तान का सिंहासन, प्रसिद्ध हस्तियों की ऑयल पेंटिंग और महात्मा गांधी की राख ले जाने में लिए इस्तेमाल किया गया कलश), काउंसिल चेम्बर, मार्बल हॉल और बैंक्वेट हॉल है.
The Throne Room in Raj Bhavan, Kolkata
– लॉर्ड वेलेस्ली पर राजभवन के निर्माण के लिए सार्वजनिक धन का दुरुपयोग करने का आरोप लगा था और उन्हें 1805 में इंग्लैंड वापस बुला लिया गया था.
-1892 में ओटिस एलिवेटर कंपनी ने भारत का पहला एलिवेटर राजभवन में लगाया था.
पूछे जाने वाले सवाल
कोलकाता का राजभवन कहां स्थित है?
राजभवन कोलकाता में मार्क्स एंजेल्स बीथी रोड, गवर्नर्स कैंप, बीबीडी बाग में स्थित है.
राजभवन कब बनकर पूरा हुआ?
राजभवन की कंस्ट्रक्शन 1803 में पूरी हुई थी.
राजभवन का पुराना नाम क्या था?
राजभवन का पुराना नाम गवर्नमेंट हाउस था.