2025 के लिए छत्तीसगढ़ में स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन शुल्क, जानें हर जानकारी

जानें इस अतिरिक्त खर्च को पूरा करने के लिए आपको कितने पैसों की जरूरत होगी?

छत्तीसगढ़ में घर खरीदने वाले लोगों को अपनी संपत्ति का एक निश्चित हिस्सा स्टाम्प ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन शुल्क के रूप में चुकाना पड़ता है, ताकि उनका सेल डीड सरकारी रिकॉर्ड में उनके नाम पर पंजीकृत हो सके। यह लेख इसी पर रोशनी डालता है कि छत्तीसगढ़ में एक घर खरीदार को अपनी संपत्ति का पंजीकरण कराने के लिए कितनी राशि अलग से रखनी चाहिए।

Table of Contents

 

स्टांप ड्यूटी क्या है?

स्टांप ड्यूटी एक राज्य-निर्धारित कर है, जिसे घर खरीदार को संपत्ति के मालिकाना हक को अपनी तरफ बदलने के लिए भुगतान करना होता है। भारतीय संविधान के तहत भूमि एक राज्य का विषय है, इसलिए संपत्ति पर स्टाम्प ड्यूटी शुल्क राज्यों के अनुसार भिन्न होते हैं क्योंकि राज्यों को इस कर की सीमा निर्धारित करने का अधिकार होता है।

 

छत्तीसगढ़ में 2025 में संपत्ति पंजीकरण पर स्टाम्प शुल्क

जिसके नाम पर संपत्ति का पंजीकरण संपत्ति की लागत के प्रतिशत के रूप में स्टाम्प शुल्क संपत्ति लागत के प्रतिशत के रूप में पंजीकरण शुल्क
आदमी 5% 4%
महिला 4% 4%
संयुक्त (पुरुष और महिला) 4% 4%

अगर आप छत्तीसगढ़ के राज्य राजधानी रायपुर या किसी अन्य शहर में संपत्ति खरीद रहे हैं, तो आपको संपत्ति की कीमत का 5% स्टांप ड्यूटी के रूप में चुकाना होगा। इसके अतिरिक्त, आपको छत्तीसगढ़ में संपत्ति पंजीकरण शुल्क के रूप में लेनदेन मूल्य का 1% और चुकाना होगा। हालांकि, यह केवल तब सही है जब संपत्ति किसी पुरुष के नाम पर पंजीकृत की जा रही हो।

नोट: छत्तीसगढ़ में स्टांप ड्यूटी की गणना संपत्ति की बिक्री कीमत (जो विक्रय अनुबंध में उल्लिखित होती है) और स्थानीय उप-पंजीयक कार्यालय द्वारा निर्धारित गाइडलाइन मूल्य, इन दोनों में जो अधिक हो, उसके आधार पर की जाती है।

छत्तीसगढ़ में वाणिज्यिक संपत्तियों पर स्टाम्प ड्यूटी

छत्तीसगढ़ में स्टाम्प ड्यूटी और पंजीकरण शुल्क केवल आवासीय संपत्तियों तक सीमित नहीं हैं, ये वाणिज्यिक और गैर-आवासीय संपत्तियों पर भी समान रूप से लागू होते हैं। हालांकि, ये दरें और कराधान संरचना, संपत्ति के उपयोग, प्रकार और स्थान के अनुसार अलग-अलग हो सकती हैं।

बेस स्टाम्प ड्यूटी का लागू होना

  • वाणिज्यिक संपत्तियां (जैसे ऑफिस स्पेस, रिटेल शॉप, शोरूम और औद्योगिक प्लॉट) पर आमतौर पर वही बेस स्टाम्प ड्यूटी लागू होती है जो आवासीय इकाइयों पर होती है। पुरुष खरीदारों के लिए 5 फीसदी और महिला या संयुक्त स्वामित्व के लिए 4 फीसदी।
  •  पंजीकरण शुल्क भी आवासीय संपत्तियों की तरह 4 फीसदी ही रहता है।

अतिरिक्त शुल्क की संभावना

  • कुछ नगरपालिका क्षेत्रों में, स्थानीय निकाय वाणिज्यिक लेन-देन पर अतिरिक्त अधिभार या सेस लगा सकते हैं, जिसका उद्देश्य शहरी बुनियादी ढांचे के विकास के लिए धन जुटाना होता है।
  • ये अधिभार (यदि लागू हों) स्थानीय प्रशासन द्वारा अधिसूचित किए जाते हैं और क्षेत्र के अनुसार अलग-अलग होते हैं।

जीएसटी का प्रभाव

  • आवासीय संपत्तियों के विपरीत (जो कुछ परिस्थितियों में जीएसटी से छूट या विशेष दर पर कराधान के अंतर्गत आती हैं), निर्माणाधीन वाणिज्यिक संपत्तियों पर 18 फीसदी जीएसटी लागू होता है।
  • जीएसटी स्टाम्प ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन शुल्क के अतिरिक्त लगाया जाता है और इसे स्टाम्पेबल मूल्य का हिस्सा नहीं माना जाता।

ये जानना भी जरूरी है

  • मिश्रित उपयोग संपत्तियां (जैसे, नीचे एक दुकान और ऊपर आवास) उनके उपयोग के अनुपात के आधार पर मूल्यांकन की जाती हैं। स्टाम्प ड्यूटी प्रत्येक घटक के लिए अलग से निर्धारित की जा सकती है।
  • खरीदारों को सलाह दी जाती है कि वे लेन-देन अंतिम रूप देने से पहले स्थानीय विकास प्राधिकरण से जोनिंग क्लासीफिकेशन और स्वीकृत भूमि उपयोग की पुष्टि अवश्य कर लें, क्योंकि यह सीधे स्टाम्प ड्यूटी पर असर डालता है। 

छत्तीसगढ़ में वाणिज्यिक संपत्तियों पर स्टाम्प ड्यूटी

छत्तीसगढ़ में स्टाम्प ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन शुल्क केवल आवासीय संपत्तियों तक सीमित नहीं हैं। यह वाणिज्यिक और गैर-आवासीय संपत्तियों पर भी समान रूप से लागू होते हैं। हालांकि, दरें और कराधान संरचना संपत्ति के उपयोग के प्रकार और स्थान के आधार पर भिन्न हो सकती हैं।

बेस स्टाम्प ड्यूटी की प्रवर्तनीयता

  • वाणिज्यिक संपत्तियों (जैसे ऑफिस स्पेस, रिटेल शॉप, शोरूम, और औद्योगिक प्लॉट) पर आम तौर पर आवासीय इकाइयों के समान बेस स्टाम्प ड्यूटी लागू होती है। पुरुष खरीदारों के लिए 5 फीसदी और महिला या संयुक्त स्वामित्व के लिए 4 फीसदी।
  • रजिस्ट्रेशन शुल्क भी 4 फीसदी ही रहता है, जो आवासीय संपत्तियों के समान है।

अतिरिक्त शुल्क की संभावना

  • चयनित नगरपालिका क्षेत्रों में, स्थानीय निकाय शहरी अवसंरचना विकास के लिए वाणिज्यिक लेन-देन पर स्टाम्प ड्यूटी के अतिरिक्त अधिभार (सर्चार्ज) या सेस भी लगा सकते हैं।
  • ये अतिरिक्त शुल्क (यदि लागू हों) स्थानीय प्राधिकरणों द्वारा अधिसूचित किए जाते हैं और क्षेत्र के अनुसार भिन्न होते हैं।

जीएसटी का प्रभाव

  • आवासीय संपत्तियों के विपरीत (जिन पर कभी-कभी जीएसटी छूट या विशेष दरें लागू होती हैं), निर्माणाधीन वाणिज्यिक संपत्तियों पर 18 फीसदी जीएसटी लागू होता है।
  • जीएसटी, स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन चार्जेज के अलावा लगाया जाता है और इसे स्टांप मूल्य का हिस्सा नहीं माना जाता।

ये जानना भी जरूरी है

  • मिश्रित उपयोग संपत्तियां (जैसे, नीचे दुकान और ऊपर आवास) उपयोग के अनुपात के अनुसार मूल्यांकन की जाती हैं। प्रत्येक घटक के लिए स्टांप ड्यूटी अलग से गणना की जा सकती है।
  • खरीदारों को सलाह दी जाती है कि लेन-देन को अंतिम रूप देने से पहले स्थानीय विकास प्राधिकरण से जोनिंग क्लासिफिकेशन और स्वीकृत भूमि उपयोग की पुष्टि अवश्य कर लें, क्योंकि यह स्टांप ड्यूटी पर सीधे प्रभाव डालता है।

2025 में रायपुर, छत्तीसगढ़ में महिलाओं के लिए स्टाम्प शुल्क

प्रॉपर्टी खरीदार स्टाम्प शुल्क पंजीकरण शुल्क
महिला 4 फीसदी 4 फीसदी
पुरुष + महिला 4 फीसदी 4 फीसदी
महिला + महिला 4 फीसदी 4  फीसदी

भारत के अधिकांश राज्यों की तरह छत्तीसगढ़ में भी घर खरीदने वाली महिलाओं को कुछ विशेष लाभ दिया जाता है। इसके तहत महिला के नाम पर संपत्ति रजिस्टर्ड कराने पर स्टांप ड्यूटी में एक फीसदी की छूट मिलती है। इस वजह से महिला के नाम पर रजिस्टर्ड संपत्तियों पर केवल 4 फीसदी स्टांप ड्यूटी लगती है।

यह भी देखें : उपहार विलेख स्टाम्प ड्यूटी के बारे में सब कुछ

क्या महिलाओं को मिलने वाली स्टाम्प ड्यूटी छूट का दुरुपयोग किया जा सकता है?

छत्तीसगढ़ में यदि संपत्ति किसी महिला के नाम रजिस्टर्ड की जाती है तो स्टाम्प ड्यूटी में 1 फीसदी की छूट दी जाती है, लेकिन हाल के वर्षों में अधिकारियों ने देखा है कि इस लाभ का दुरुपयोग बढ़ता जा रहा है। कई मामलों में महिलाओं को केवल नाम के लिए सह-मालिक बनाया जाता है, ताकि अस्थायी रूप से स्टाम्प ड्यूटी में छूट का लाभ प्राप्त किया जा सके। 

दुरुपयोग के आम तरीके:

  • केवल नाम पर पंजीकरण: कई बार संपत्ति पत्नी, बहन या मां के नाम पर रजिस्टर्ड कराई जाती है ताकि स्टाम्प ड्यूटी में छूट मिल सके, जबकि असली खरीदार और वित्तीय योगदान घर  के पुरुष सदस्य का होता है।
  • रजिस्ट्रेशन के बाद स्वामित्व से हटाना: स्टाम्प शुल्क में छूट मिलने के बाद महिला को मालिकाना हक से हटा दिया जाता है, जैसे कि गिफ्ट डीड या बिक्री के माध्यम से, ऐसे कदम से स्टाम्प ड्यूटी में छूट दिए जाने की नीति की मूल भावना को ही ठेस पहुंचती है।

विभागीय जांच और ऑडिट

  • सब-रजिस्ट्रार कार्यालय यादृच्छिक रूप से डॉक्युमेंट की जांच और लेन-देन का क्रॉस-वेरिफिकेशन करते हैं ताकि छूट के दुरुपयोग जैसे मामलों का पता लगाया जा सके।
  • यदि दुरुपयोग साबित हो जाता है तो दी गई छूट राशि की वसूली ब्याज और जुर्माने सहित पिछली तारीख से की जाती है।

कानूनी परिणाम

  • माफ की गई स्टाम्प ड्यूटी की वसूली के साथ-साथ 10 फीसदी से 20 फीसदी तक जुर्माना और अतिरिक्त ब्याज लगाया जा सकता है।
  • गंभीर मामलों में संपत्ति का पंजीकरण धोखाधड़ी माना जा सकता है, जिससे उसकी दोबारा बिक्री या कानूनी वैधता पर असर पड़ सकता है।
  • झूठा एफिडेविड देने पर भारतीय स्टाम्प अधिनियम की धारा-64 के तहत अभियोजन चलाया जा सकता है।

नोट: स्टाम्प ड्यूटी में वास्तविक छूट का लाभ केवल तब मान्य है, जब महिला सचमुच खरीदार या वित्तीय रूप से योगदानकर्ता हो। केवल प्रतीकात्मक रूप से नाम जोड़ना सह-स्वामित्व नहीं माना जाएगा।

छत्तीसगढ़ में बिक्री अनुबंध पर स्टांप ड्यूटी

छत्तीसगढ़ में किसी संपत्ति की बिक्री के लिए किया गया “एग्रीमेंट टू सेल” (बिक्री अनुबंध) विधिक रूप से मान्य होता है, जो अंतिम विक्रय विलेख से पहले तैयार किया जाता है। इस पर स्टांप ड्यूटी देय होती है। इस ड्यूटी की दर इस बात पर निर्भर करती है कि क्या संपत्ति का कब्जा इस अनुबंध के तहत हस्तांतरित किया गया है या नहीं।

  • यदि संपत्ति का कब्जा नहीं दिया गया है तो केवल 20 रुपए की नाममात्र स्टांप ड्यूटी देना होती है।
  • यदि अनुबंध के समय संपत्ति का कब्जा भी हस्तांतरित किया जाता है, तो कुल बिक्री मूल्य या अग्रिम भुगतान (जो भी अधिक हो) का 1 फीसदी स्टाम्प ड्यूटी के रूप में देय होता है।

संपत्ति अनुबंध को उचित स्टांप ड्यूटी के साथ रजिस्टर्ड कराने से लेन-देन की वैधता प्रमाणित होती है और भविष्य में विवाद होने की स्थिति में खरीदार और विक्रेता दोनों के हितों की रक्षा होती  है।

छत्तीसगढ़ में स्टाम्प ड्यूटी ऑनलाइन कैसे भरें?

स्टेप 1: SHCIL की आधिकारिक वेबसाइट https://www.stockholding.com पर जाएं और ‘प्रोडक्ट्स और सर्विसेज’ पर क्लिक करें। इसके बाद फिर ‘e-Stamp Services’ चुनें और आखिर में में ‘e-Stamping’ पर जाएं।

यदि आपके राज्य में e-Stamping की सुविधा उपलब्ध है तो वेबसाइट पर यह दिखेगा।

स्टेप 2: ड्रॉपडाउन लिस्ट से अपना राज्य चुनें। उदाहरण के लिए, हमने NCT दिल्ली को चुना।

स्टेप 3: एक एप्लीकेशन फॉर्म भरना होगा। होमपेज पर ‘डाउनलोड्स’ टैब पर जाएं और आवश्यक आवेदन पत्र चुनें। यदि स्टाम्प ड्यूटी की राशि 501 रुपये से कम है, तो संबंधित फॉर्म डाउनलोड करें और इसे भरें।

स्टेप 4: यह फॉर्म और भुगतान स्टाम्प सर्टिफिकेट के लिए जमा करें।

स्टेप 5: ऑनलाइन रेफरेंस एक्नॉलेजमेंट नंबर का प्रिंट आउट लेकर नजदीकी स्टॉक होल्डिंग ब्रांच जाएं और वहां से e-Stamp सर्टिफिकेट का अंतिम प्रिंट आउट लें।

 

छत्तीसगढ़ स्टाम्प ड्यूटी ऑफलाइन कैसे भरें? 

अधिकृत स्टाम्प विक्रेता से स्टाम्प पेपर खरीदें

इस प्रोसेस में आपको अपनी बिक्री दस्तावेज के लिए जरूरी मूल्य का स्टाम्प पेपर एक लाइसेंसधारी स्टाम्प विक्रेता से खरीदना होता है। यदि स्टाम्प की कीमत 50,000 रुपये से अधिक नहीं है तो यह तरीका अपनाया जा सकता है।

फ्रैंकिंग 

फ्रैंकिंग के ज़रिए भारत के अधिकृत बैंक संपत्ति खरीद दस्तावेज पर स्टाम्प लगाते हैं या उस पर एक निश्चित मूल्य अंकित करते हैं। यह प्रमाण होता है कि उस लेन-देन के लिए स्टाम्प ड्यूटी का भुगतान किया जा चुका है।

छत्तीसगढ़ में स्टाम्प ड्यूटी की वापसी 

छत्तीसगढ़ में स्टाम्प ड्यूटी की वापसी केवल ई-स्टाम्प पर लागू होती है। वापसी प्रक्रिया शुरू करने के लिए व्यक्ति को कलेक्टर के पास एक फॉर्म जमा करना होता है, जिसमें ई-स्टाम्प प्रमाण पत्र की सारी जानकारी जैसे नाम, प्रमाण पत्र संख्या, आईडी और आवेदन की तारीख दर्ज हो। पूरी जांच के बाद कलेक्टर रिफंड की प्रक्रिया करता है, जिसमें सेवा शुल्क के रूप में 10 फीसदी काटा जाता है।

2025 में छत्तीसगढ़ में संपत्ति/भूमि पंजीकरण शुल्क

क्रेता पंजीकरण शुल्क
पुरुष 5  फीसदी
महिला 4 फीसदी 
पुरुष + महिला 4 फीसदी 
पुरुष + पुरुष 4 फीसदी
महिला + महिला 4 फीसदी

बहुत से राज्यों में खरीदारों को संपत्ति पंजीकरण के लिए एक तय शुल्क या लेन-देन मूल्य का 1 फीसदी देना पड़ता है, इसके विपरित छत्तीसगढ़ में पंजीकरण दरें अधिक हैं। इसके परिणामस्वरूप, छत्तीसगढ़ के सभी शहरों में खरीदारों को संपत्ति पंजीकरण के लिए 4 फीसदी शुल्क देना होता है, बशर्ते संपत्ति का मूल्य 50,000 रुपए से अधिक हो। ध्यान दें कि इस स्थिति में 4 फीसदी पंजीकरण शुल्क केवल 50,000 रुपए से अधिक की राशि पर ही लागू होगा। उदाहरण के तौर पर, यदि आपने रायपुर में 10 लाख रुपए की संपत्ति खरीदी है तो पंजीकरण शुल्क के तौर पर 9.50 लाख रुपए का 4 फीसदी देना होगा, जो 38,000 रुपए होता है।

कृपया ध्यान दें कि छत्तीसगढ़ में रजिस्ट्रेशन शुल्क उस स्थिति में अलग हो जाता है, जब लेन-देन की घोषित कीमत 50,000 रुपए से कम हो। विस्तृत रजिस्ट्रेशन शुल्क सूची देखने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी देखें: WB पंजीकरण के बारे में सब कुछ 

छत्तीसगढ़ की अन्य राज्यों से तुलना

जहां छत्तीसगढ़ में संपत्ति पंजीकरण पर 4 से 5 फीसदी शुल्क लिया जाता है, वहीं अधिकांश भारतीय राज्यों में यह दर कहीं कम होती है। उदाहरण के तौर पर, महाराष्ट्र, दिल्ली और हरियाणा में केवल 1 फीसदी मूल्य का पंजीकरण शुल्क लिया जाता है (कुछ मामलों में अधिकतम सीमा लागू होती है)। इसके अतिरिक्त, कर्नाटक जैसे राज्यों में स्टांप ड्यूटी के अलावा एक निश्चित राशि का फ्लैट पंजीकरण शुल्क भी लागू होता है। ऐसे में छत्तीसगढ़ संपत्ति पंजीकरण के मामले में देश के महंगे राज्यों में शामिल हो जाता है।

प्रभाव: उच्च पंजीकरण शुल्क की वजह से मध्यम से उच्च मूल्य वाली संपत्तियों पर लाखों रुपए तक अतिरिक्त लेन-देन लागत जुड़ जाती है। इससे खरीदार और निवेशक दोनों पर असर पड़ता है और वे कम लागत वाले राज्यों की ओर आकर्षित हो सकते हैं।

छत्तीसगढ़ में संपत्ति दस्तावेजों की सूची, जिनका पंजीकरण अनिवार्य है

  • स्वामित्व सहित विक्रय समझौता
  • स्वामित्व के बिना विक्रय समझौता
  • पुरस्कार विलेख (Award Deed)
  • बॉन्ड (Bond)
  • रद्द करने का विलेख (Cancellation Deed)
  • स्थानांतरण (विक्रय) विलेख (Conveyance/Sale Deed)
  • प्रतिलिपि विलेख (Counterpart/Duplicate Deed)
  • विनिमय विलेख (Exchange Deed)
  • उपहार विलेख (Gift Deed)
  • पट्टा अनुबंध (एक वर्ष या उससे अधिक की अवधि के लिए)
  • बंधक विलेख (Mortgage Deed)
  • विभाजन विलेख (Partition Deed)
  • पावर ऑफ अटॉर्नी (Power of Attorney)
  • बंधक संपत्ति की पुनः हस्तांतरण विलेख (Reconveyance of Mortgaged Property)
  • मुक्ति विलेख (Release Deed)
  • सुरक्षा बॉन्ड (Security Bond)
  • समझौता विलेख (Settlement Deed)
  • पट्टा समर्पण विलेख (Surrender of Lease)
  • हस्तांतरण विलेख (Transfer Deed)
  • पट्टे का हस्तांतरण – उप पट्टा के माध्यम से नहीं, बल्कि असाइनमेंट के जरिए

यह भी देखें: भारत में संपत्ति पंजीकरण  के कानूनों के बारे में सब कुछ 

छत्तीसगढ़ में संपत्ति पंजीकरण के लिए आवश्यक दस्तावेज

छत्तीसगढ़ राज्य में संपत्ति का पंजीकरण करवाने के लिए निम्नलिखित आवश्यक दस्तावेज आवेदन पत्र के साथ जमा करने होते हैं – 

  1. जमीन या भवन की रजिस्ट्री कॉपी
  2. पट्टे की प्रति
  3. ऋण पुस्तिका / खसरा क्लोन
  4. संबंधित भूमि/भवन से जुड़ी किसी सरकारी विभाग द्वारा आवंटन या रजिस्ट्री की प्रति
  5. बिजली बिल की प्रति (अतिक्रमण होने की स्थिति में)
  6. विक्रय समझौता (Agreement to Sale)
  7. विक्रय विलेख (Sale Deed)
  8. ऋणमुक्ति प्रमाणपत्र (Encumbrance Certificate)
  9. संपत्ति कर रसीदें
  10. नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC)
  11. पावर ऑफ अटॉर्नी (यदि लागू हो)
  12. स्टाम्प ड्यूटी और पंजीकरण शुल्क का भुगतान प्रमाण
  13. नए भवन के लिए ऑक्युपेंसी सर्टिफिकेट
  14. निर्माणाधीन भवन के लिए कंप्लीशन सर्टिफिकेट
  15. टीडीएस कटौती प्रमाणपत्र (यदि संपत्ति का मूल्य ₹50 लाख से अधिक हो)
  16. खरीदार का पैन कार्ड
  17. विक्रेता का पैन कार्ड
  18. विक्रेता का आधार कार्ड
  19. खरीदार का आधार कार्ड
  20. खरीदार और विक्रेता की पासपोर्ट साइज फोटो
  21. खरीदार का पहचान प्रमाण पत्र
  22. विक्रेता का पहचान प्रमाण पत्र
  23. गवाहों के पहचान प्रमाण पत्र
  24. खरीदार का पता प्रमाण पत्र
  25. विक्रेता का पता प्रमाण पत्र
  26. गवाहों का पता प्रमाण पत्र

 

यह भी देखें: सुधार विलेख के बारे में सब कुछ 

छत्तीसगढ़ में स्टांप ड्यूटी कैसे कैलकुलेट करें?

महिला के नाम पर प्रॉपर्टी रजिस्ट्री

मान लीजिए कि मीना शाही साल 2024 में रायपुर में 50 लाख रुपए की प्रॉपर्टी खरीद रही हैं। ऐसे में छत्तीसगढ़ सरकार को उन्हें स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्री फीस के रूप में कुल कितना भुगतान करना पड़ेगा, आइए देखते हैं: 

  • प्रॉपर्टी की कीमत: 50 लाख रुपए 
  • लागू स्टांप ड्यूटी: 50 लाख का 4 फीसदी = 2 लाख रुपए
  • लागू रजिस्ट्री फीस: 50 लाख  का 4 फीसदी = 2 लाख रुपए
  • कुल खर्च: 4 लाख रुपए

पुरुष के नाम संपत्ति पंजीकरण

मान लीजिए कि रतन शाही वर्ष 2024 में रायपुर, छत्तीसगढ़ में एक संपत्ति खरीद रहे हैं। 50 लाख रुपये की संपत्ति पर छत्तीसगढ़ सरकार को उन्हें कितना स्टाम्प ड्यूटी और पंजीकरण शुल्क देना होगा, यह इस प्रकार है:

  • संपत्ति का मूल्य: 50 लाख रुपए
  • लागू स्टाम्प ड्यूटी: 50 लाख रुपए का 5 फीसदी = 2.5 लाख रुपए
  • पंजीकरण शुल्क: 50 लाख रुपए का 4 फीसदी= 2.0 लाख रुपए
  • कुल खर्च: 4.5 लाख रुपए

पुरुष और महिला के नाम पर संपत्ति पंजीकरण

मान लीजिए मीना और रतन शाही, वर्ष 2024 में रायपुर में एक संयुक्त संपत्ति खरीद रहे हैं। छत्तीसगढ़ सरकार को वे कितनी रकम स्टाम्प ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस के तौर पर चुकाएंगे, यदि संपत्ति की कीमत 50 लाख रुपए हो तो इसका विवरण इस प्रकार है – 

  • संपत्ति का मूल्य: 50 लाख रुपए
  • लागू स्टाम्प ड्यूटी: 50 लाख रुपए का 4 फीसदी = 2 लाख रुपए
  • पंजीकरण शुल्क: 50 लाख रुपए का 4 फीसदी = 2 लाख रुपए

कुल भुगतान: 4 लाख रुपए

 

छत्तीसगढ़ में पंजीकरण शुल्क की वापसी

छत्तीसगढ़ पंजीकरण नियम, 1939 के नियम-120 के तहत पंजीकरण शुल्क की वापसी होती है। इस नियम के अनुसार, शुल्क की वापसी निम्नलिखित स्थितियों में ही की जा सकती है –

  • अगर भुगतान किया गया पंजीकरण शुल्क निर्धारित सीमा से अधिक हो।
  • वापसी का दावा उस तारीख से 3 महीने के भीतर करना होगा, जब संबंधित पक्ष को वापसी योग्य होने की जानकारी मिले।

 

छत्तीसगढ़ में संपत्ति पंजीकरण कैसे करें?

  • स्टेप 1: संपत्ति ऑनलाइन पंजीकरण के लिए विभाग की वेबसाइट http://www.epanjeeyan.cg.gov.in पर लॉगिन करें। लॉगिन के बाद रजिस्ट्रेशन मेनू पर क्लिक करें।
  • स्टेप 2: “सेल्फ-रजिस्ट्रेशन” मेनू पर क्लिक करें। यहां क्लिक करने के बाद लॉगिन पेज खुलेगा। यहां “New User” के ऑप्शन पर क्लिक करें और अपना यूजर आईडी और पासवर्ड बनाएं।
  • स्टेप 3: अपना नाम, मोबाइल नंबर, ईमेल आईडी और पासवर्ड दर्ज करके रजिस्टर करें।
  • स्टेप 4: रजिस्ट्रेशन के बाद होम पर क्लिक करें और अपना मोबाइल नंबर और पासवर्ड डालकर लॉगिन करें।
  • स्टेप 5: लॉगिन करने के बाद न्यू प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन के ऑप्शन पर जाएं और दिखाए गए अनुसार सभी जानकारी भरें।
  • स्टेप 6: सभी जानकारी की अच्छी तरह से जांच करने के बाद “सबमिट” बटन पर क्लिक करें।

 

छत्तीसगढ़ में पंजीकरण शुल्क की वापसी 

छत्तीसगढ़ पंजीकरण नियम, 1939 के नियम 120 के तहत पंजीकरण शुल्क की वापसी निम्नलिखित शर्तों पर की जा सकती है –

  • यदि भुगतान किया गया पंजीकरण शुल्क निर्धारित सीमा से अधिक हो।
  • यदि वापसी का दावा उस तारीख से 3 महीने के भीतर किया गया हो, जब किसी पक्ष को वापसी के योग्य होने का पता चले।

 

छत्तीसगढ़ में रजिस्ट्रेशन और स्टाम्प ड्यूटी: यहां करें संपर्क 

यदि आप छत्तीसगढ़ में प्रॉपर्टी के स्टाम्प ड्यूटी भुगतान से संबंध में कोई जानकारी चाहते हैं, तो SHCIL वेबसाइट की राज्यवार संपर्क निर्देशिका के माध्यम से प्रतिनिधियों से संपर्क कर सकते हैं। यहां छत्तीसगढ़ में यहां संपर्क कर सकते हैं –

विकास सिंह

ईमेल: shcil.raipur@stockholding.com

फोन: 8871362000

संदीप कुमार शर्मा

ईमेल: shcil.raipur@stockholding.com

फोन: 9571166668

 

छत्तीसगढ़ में लाया भारतीय स्टांप (छत्तीसगढ़ संशोधन) विधेयक, 2023

छत्तीसगढ़ सरकार ने जुलाई 2023 में भारतीय स्टांप (छत्तीसगढ़ संशोधन) विधेयक, 2023 को अधिसूचित किया, ताकि भारतीय स्टाम्प अधिनियम, 1899 में संशोधन किया जा सके। इस संशोधन के तहत, धारा-2 में एक नया प्रावधान जोड़ा गया है, जिसमें ई-स्टांप या इलेक्ट्रॉनिक स्टाम्प की परिभाषा दी गई है। वहीं, धारा 12-ए में अधिग्रहण (Impound) शब्द का विस्तार से उल्लेख किया गया है।

भारतीय स्टांप (छत्तीसगढ़ संशोधन) विधेयक, 2023

भारतीय स्टांप (छत्तीसगढ़ संशोधन) विधेयक, 2023, जिसे जुलाई 2023 में अधिसूचित किया गया, राज्य के स्टांप शुल्क प्रणाली में महत्वपूर्ण बदलाव लाता है, खासकर इलेक्ट्रॉनिक स्टांपिंग (ई-स्टांपिंग) को लेकर। इस संशोधन में भारतीय स्टांप अधिनियम, 1899 की धारा-2 में नई परिभाषाएं जोड़ी गई हैं:

धारा (11-क): “ई-स्टांप” या “इलेक्ट्रॉनिक स्टांप” की परिभाषा, जो डिजिटल स्टांप प्रमाणपत्रों के लिए कानूनी आधार प्रदान करती है।

धारा (12-क):”जब्त करना” शब्द का विस्तार, जिसमें किसी दस्तावेज को किसी लोक अधिकारी की अभिरक्षा में लेना और उस पर इस संबंध में अंकन करना शामिल है।

ये संशोधन स्टांप शुल्क प्रणाली को आधुनिक बनाने के उद्देश्य से किए गए हैं, ताकि इलेक्ट्रॉनिक स्टांप का उपयोग आसान हो सके, संपत्ति के लेन-देन को सुगम बनाया जा सके और भौतिक स्टांप पेपर पर निर्भरता कम हो। ई-स्टांपिंग से संपत्ति के लेन-देन में पारदर्शिता, दक्षता और अनुपालन में सुधार की उम्मीद है।

छत्तीसगढ़ में ई-स्टांपिंग सेवाओं, अधिकृत संग्रह केंद्रों और प्रक्रियाओं के बारे में विस्तृत जानकारी के लिए, आप स्टॉक होल्डिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (SHCIL) की आधिकारिक वेबसाइट पर जा सकते हैं।

 

छत्तीसगढ़ के रियल एस्टेट मार्केट में हाल ही में हुए बदलावों और उसका स्टाम्प ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस पर प्रभाव

छत्तीसगढ़ के रियल एस्टेट मार्केट में बीते कुछ सालों में काफी ज्यादा बढ़ोतरी देखी गई है, जो शहरीकरण, बुनियादी ढांचे के विकास और नीति सुधारों से प्रभावित है। साल 2024 तक छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में औसत संपत्ति की कीमत लगभग 3,679 रुपये प्रति वर्ग फुट है, जो 350 रुपये से 1 लाख रुपये प्रति वर्ग फुट के बीच हो सकती है।

इसी तरह, दुर्ग में संपत्ति की कीमत औसतन 3,026 रुपये प्रति वर्ग फुट है, जो 1,000 रुपये से 5,625 रुपये प्रति वर्ग फुट के बीच है।

 

ऐसे कारण, जो इन प्रॉपर्टी की कीमत को प्रभावित करते हैं

शहरी विकास और अवसंरचना: नए और योजनाबद्ध अवसंरचना परियोजनाएं, जैसे बेहतर सड़क नेटवर्क, मेट्रो लाइन और हवाई अड्डे, छत्तीसगढ़ में शहरी विकास में काफी ज्यादा अहम योगदान दे रही हैं। जब ये प्रोजेक्ट पूरे हो जाएंगे तो छत्तीसगढ़ में बेहतर कनेक्टिविटी के कारण प्रॉपर्टी की कीमत में महत्वपूर्ण बढ़ोतरी होगी, जिससे यह एक आकर्षक निवेश ऑप्शन बन सकता है।

स्मार्ट शहरों का उदय: रायपुर जैसे स्मार्ट शहरों ने छत्तीसगढ़ में रियल एस्टेट सेक्टर का काफी ज्यादा बदल दिया है। ये हरे भरे आर्किटेक्चर, तकनीकी कौशल और बेहतर जीवन शैली पर केंद्रित हैं, जो अधिक रहवासियों और निवेशकों को आकर्षित करता है, जिससे संपत्ति की मांग और कीमत में काफी बढ़ोतरी हो रही है।

सस्ते आवास की मांग: छत्तीसगढ़ में शहरीकरण और जनसंख्या में तेजी से हो रही बढ़ोतरी के कारण सस्ती आवास की मांग बढ़ रही है। डेवलपर्स भी इस जरूरत के हिसाब से खुद को तैयार कर रहे हैं और ताकि सस्ती कीमतों पर लग्जरी घरों की पेशकश पूरी की जा सके, जिससे सस्ते आवास की पहुंच को बेहतर बनाया जा सके और छत्तीसगढ़ के रियल एस्टेट क्षेत्र में समग्र विकास में योगदान किया जा सके।

व्यावसायिक रियल एस्टेट में उछाल: रायपुर और बिलासपुर में व्यावसायिक रियल एस्टेट का तेजी से विकास हो रहा है, जिसमें कमर्शियल कॉम्प्लेक्स, रिटेल कॉम्प्लेक्स और इंडस्ट्रियल पार्क की संख्या बढ़ रही है। यह बढ़ती व्यापारिक गतिविधियों और आर्थिक विकास के कारण है, जो इन क्षेत्रों को प्रमुख व्यावसायिक निवेश स्थलों में बदल रहा है।

संपत्ति की कीमतों में बढ़ोतरी का असर स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस पर पड़ता है, जो संपत्ति के बाजार मूल्य के आधार पर निर्धारित होती हैं। छत्तीसगढ़ में पुरुषों के लिए स्टांप ड्यूटी दर 5 फीसदी और महिलाओं के लिए 4 फीसदी है, जबकि सभी के लिए रजिस्ट्रेशन फीस 4 फीसदी है।

जब संपत्ति की कीमतें बढ़ती हैं तो स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस की कुल राशि भी बढ़ जाती है, जिससे संपत्ति लेनदेन की कुल लागत पर असर पड़ता है।

 

सस्ती आवासीय मांग पर बढ़े हुए शुल्कों का प्रभाव

छत्तीसगढ़ का रियल एस्टेट बाजार, विशेषकर रायपुर और उभरते टियर-थ्री शहरों में पिछले कुछ वर्षों में लगातार विकास कर रहा है, लेकिन ऊंचे ट्रांजेक्शन चार्ज विशेष रूप से स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस, सस्ते आवास की मांग को बनाए रखने में बड़ी चुनौती बन गए हैं।

1. पहली बार घर खरीदने वालों के लिए बढ़ी मुश्किलें

छत्तीसगढ़ में स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन शुल्क मिलाकर कुल प्रॉपर्टी मूल्य का करीब 8 से 9 प्रतिशत तक होता है। यानी यदि कोई व्यक्ति 30 लाख रुपए की सस्ती आवासीय संपत्ति खरीदना चाहता है, तो उसे केवल सरकारी शुल्क के रूप में ही लगभग 2.5 लाख रुपए से 2.7 लाख रुपए तक अतिरिक्त भुगतान करना पड़ता है।

  • यह अतिरिक्त खर्च उन खरीदारों के लिए बड़ी बाधा बन जाता है जो पहली बार घर खरीद रहे हैं और पहले से ही डाउन पेमेंट और होम लोन प्रोसेसिंग फीस के दबाव में हैं।
  • कई मध्यम आय वर्ग के परिवारों के लिए यह अग्रिम खर्च इतना बड़ा होता है कि वे पर्याप्त बचत इकट्ठी करने तक घर खरीदने का निर्णय कई महीनों, कभी-कभी वर्षों तक टाल देते हैं।

2. निम्न और मध्यम आय वर्ग पर असमान बोझ

किफायती आवास क्षेत्र, जो मुख्यतः 25,000 रुपए से 60,000 रुपए मासिक आय वाले परिवारों की जरूरतों को पूरा करता है, इस समय सबसे अधिक प्रभावित है। प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) जैसी सरकारी योजनाओं ने स्वामित्व को प्रोत्साहन तो दिया है, लेकिन ऊंची लेनदेन लागत (transaction cost) अक्सर इन लाभों को संतुलित कर देती है।

  • उदाहरण के लिए, पीएमएवाई की 2.5 लाख रुपए की सब्सिडी के बावजूद अनिवार्य स्टांप और पंजीकरण शुल्क से यह लाभ लगभग निष्प्रभावी हो जाता है। 
  • खरीदारों को या तो छोटे घरों की ओर झुकना पड़ता है, संयुक्त वित्तपोषण (joint financing) का सहारा लेना पड़ता है या फिर खरीद का निर्णय टालना पड़ता है, जिसके परिणामस्वरूप किफायती आवास की मांग और बिक्री दर दोनों धीमी हो जाती हैं।

3. अन्य राज्यों की तुलना में प्रतिस्पर्धात्मक नुकसान

जब छत्तीसगढ़ की तुलना पड़ोसी या समान स्तर के राज्यों से की जाती है तो किफायती आवास वर्ग में संपत्ति लेनदेन की लागत सबसे अधिक दिखाई देती है।

  • महाराष्ट्र में कई जिलों में महिला खरीदारों को मात्र 5 फीसदी स्टांप शुल्क देना पड़ता है।
  • दिल्ली-एनसीआर में यह दर पुरुषों के लिए लगभग 6 फीसदी और महिलाओं के लिए 4 फीसदी के आसपास है, जबकि कर्नाटक और तमिलनाडु में छोटे घरों के लिए यही दरें समान या उससे भी कम हैं। यह अंतर छत्तीसगढ़ को अंतिम खरीदारों और निवेशकों दोनों के लिए कम आकर्षक बनाता है, क्योंकि वे ऐसे बाजारों को प्राथमिकता देते हैं, जहां प्रवेश आसान हो और तरलता (liquidity) अधिक हो।

4. डेवलपर्स पर भी अप्रत्यक्ष असर

रायपुर, भिलाई और दुर्ग में बजट हाउसिंग प्रोजेक्ट्स पर काम करने वाले डेवलपर्स पर भी अप्रत्यक्ष असर पड़ रहा है।

  • लेनदेन की ऊंची लागत के कारण बिक्री की रफ्तार धीमी हो गई है, जिससे पूंजी का तेजी से पुनः निवेश (capital rotation) करना कठिन हो गया है। 
  • कुछ डेवलपर्स अब मिड-सेगमेंट या प्लॉटेड डेवेलपमेंट्स की ओर रुख कर रहे हैं, जहां मुनाफा ज्यादा और खरीदारों की कीमत के प्रति संवेदनशीलता कम होती है।
  • वहीं कुछ डेवलपर्स खरीदारों को आकर्षित करने के लिए पंजीयन शुल्क (registration cost) का एक हिस्सा खुद वहन कर रहे हैं, लेकिन यह रणनीति अक्सर उनकी लाभप्रदता को कम कर देती है।

5. सस्ती आवास नीति पर दीर्घकालिक असर (Long-term Implications)

अगर ट्रांजेक्शन चार्ज ऊंचे बने रहे तो राज्य की दीर्घकालिक सस्ती आवास (affordable housing) नीति को झटका लग सकता है।

  • खरीदारों की घटती सक्रियता से बगैर बिके फ्लैटों का स्टॉक बढ़ सकता है और निजी डेवलपर्स की भागीदारी घट सकती है।
  • विडंबना यह है कि ऊंचे शुल्क के बावजूद पंजीयन की कुल संख्या घटने से राज्य के राजस्व पर भी नकारात्मक असर पड़ सकता है।
  • इस स्थिति में नीति-निर्माताओं को शुल्क संरचना पर दोबारा विचार करना पड़ सकता है, जैसे पहली बार घर खरीदने वालों के लिए रियायती दरें, डिजिटल पंजीयन पर छूट या 40 लाख रुपए से कम मूल्य वाली संपत्तियों पर अलग दरें लागू कर सामर्थ्यता की रफ्तार को फिर से गति देना।
  • किराये और अनौपचारिक आवास बाजारों की ओर झुकाव किराये और अनौपचारिक आवास बाजारों की ओर झुकाव स्वामित्व की आर्थिक जटिलताओं के कारण अब कई परिवार लंबे समय तक किराये के मकानों में रहना पसंद कर रहे हैं, खासकर रायपुर और कोरबा जैसे शहरी इलाकों में।
  • शहरों के बाहरी (peri-urban) क्षेत्रों में बिना पंजीकरण या अनौपचारिक रूप से संपत्ति के लेन-देन आम हो गए हैं। खरीदार औपचारिक स्टाम्प ड्यूटी से बचने के लिए इस रास्ते का उपयोग करते हैं, लेकिन इसके बदले में वे कानूनी सुरक्षा खो देते हैं।
  • यह प्रवृत्ति औपचारिक आवास बाजार को कमजोर करती है और दीर्घकाल में संपत्ति स्वामित्व की पारदर्शिता को नुकसान पहुंचाती है।

असल में ऊंची स्टाम्प ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस छत्तीसगढ़ के सस्ते आवास बाजार के विकास में एक संरचनात्मक बाधा की तरह काम कर रही है। जब तक इन शुल्कों को तार्किक नहीं बनाया जाता, तब तक ये वास्तविक खरीदारों को हतोत्साहित करते रहेंगे, निवेश को अन्य सस्ते राज्यों की ओर मोड़ देंगे और राज्य के समावेशी शहरी आवास विकास के लक्ष्य को टाल देंगे।

 

छत्तीसगढ़ में संपत्ति का गाइडलाइन मूल्य कैसे जांचें?

छत्तीसगढ़ में स्टाम्प शुल्क और रजिस्ट्रेशन शुल्क की गणना संपत्ति के विक्रय मूल्य (एग्रीमेंट वैल्यू) और शासन द्वारा निर्धारित गाइडलाइन मूल्य, जिसे स्थानीय रूप में “पंजी पत्रक” या “निर्धारित मूल्य” कहा जाता है, इन दोनों में से जो अधिक होता है, उसके आधार पर की जाती है। इस प्रणाली का उद्देश्य यह है कि सरकार को संपत्ति के वास्तविक मूल्य के अनुसार राजस्व प्राप्त हो और लेन-देन के समय संपत्ति का कम मूल्यांकन (अंडरवैल्यूएशन) रोका जा सके।

फिलहाल छत्तीसगढ़ राज्य के सभी जिलों के लिए कोई एकीकृत ऑनलाइन पोर्टल उपलब्ध नहीं है, जहां सीधे गाइडलाइन मूल्य देखा जा सके। फिर भी खरीदार निम्नलिखित उपाय अपना सकते हैं – 

  • नजदीकी उप-पंजीयक कार्यालय (Sub-Registrar Office – SRO) जाकर अपनी संपत्ति के लिए गलीवार या क्षेत्रवार लागू गाइडलाइन रेट प्राप्त करें।
  • राज्य सरकार की ई-पंजीयन पोर्टल (www.epanjeeyan.cg.gov.in) पर जाकर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया शुरू करें, जहां अक्सर चयनित क्षेत्र के अनुसार सिस्टम स्वचालित रूप से निर्धारित मूल्य भर देता है।

किसी भी भुगतान से पहले संबंधित संपत्ति का गाइडलाइन मूल्य उप-पंजीयक कार्यालय से क्रॉस-चेक करना अत्यंत आवश्यक है। ऐसा न करने पर स्टाम्प शुल्क की कमी के कारण पेनल्टी या रजिस्ट्रेशन में देरी हो सकती है।

छत्तीसगढ़ में संपत्ति पंजीकरण शुल्क कैसे गणना करें?

छत्तीसगढ़ में संपत्ति पंजीकरण शुल्क की गणना करते समय दो मुख्य घटकों को ध्यान में रखना होता है, पहला स्टांप ड्यूटी और दूसरा रजिस्ट्रेशन फीस। ये दोनों ही किसी भी संपत्ति की वैध खरीद-परोख्त में अनिवार्य भूमिका निभाते हैं।

जैसा कि हम पहले ही चर्चा कर चुके हैं कि छत्तीसगढ़ में स्टांप ड्यूटी कैसे तय की जाती है, अब आइए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि रजिस्ट्रेशन शुल्क की गणना कैसे की जाती है।

पंजीयन शुल्क की गणना

छत्तीसगढ़ में संपत्ति की बाजार कीमत का 4 फीसदी पंजीयन शुल्क लिया जाता है, जो सभी खरीदारों पर समान रूप से लागू होता है, चाहे वे पुरुष हों या महिला।

उदाहरण: यदि किसी संपत्ति की कीमत 10,00,000 रुपए है, तो उसका पंजीयन शुल्क होगा – 

पंजीयन शुल्क: 10,00,000 रुपए का 4 फीसदी = 40,000 रुपए

कुल शुल्क:

  • पुरुषों के लिए: स्टांप ड्यूटी (50,000 रुपए) + पंजीयन शुल्क (40,000 रुपए) = 90,000 रुपए
  • महिलाओं के लिए: स्टांप ड्यूटी (40,000 रुपए) + पंजीयन शुल्क (40,000 रुपए) = 80,000 रुपए

इन बातों का भी ध्यान रखें:

  • छूट की सीमा: पंजीयन शुल्क केवल उन संपत्तियों पर लागू होता है, जिनकी कीमत 50,000 रुपए से अधिक है। यदि संपत्ति का मूल्य 50,000 रुपए या इससे कम है, तो पंजीयन शुल्क मात्र 500 रुपए निर्धारित है।

रिफंड पॉलिसी: छत्तीसगढ़ पंजीयन नियमावली, 1939 के नियम 120 के अनुसार, यदि पंजीयन शुल्क निर्धारित मानकों से अधिक चुका दिया गया है तो अतिरिक्त राशि की वापसी का दावा किया जा सकता है। यह दावा उस तिथि से 3 माह के अंदर किया जाना चाहिए, जिस दिन संबंधित पक्ष को यह ज्ञात होता है कि वह रिफंड के लिए पात्र है।

छत्तीसगढ़ संपत्ति पंजीकरण अधिनियम, धारा 25

पंजीकरण अधिनियम, 1908 की धारा-25 के अनुसार, संपत्ति पंजीकरण के लिए आवश्यक सभी दस्तावेज निष्पादन की तारीख से 4 महीने के भीतर सक्षम रजिस्ट्रार अधिकारी के अंदर पेश करना अनिवार्य है। यदि इस समय सीमा का पालन नहीं किया जाता है, तो पंजीकरण शुल्क की राशि के 10 गुना तक का जुर्माना लग सकता है।

छत्तीसगढ़ में यह प्रावधान छत्तीसगढ़ पंजीकरण नियम, 1939 के तहत लागू होता है। इसमें नियम-16 के अनुसार, यदि दस्तावेज निर्धारित समय सीमा के बाद पंजीकरण के लिए प्रस्तुत किया जाता है, तो पंजीकरण अधिकारी प्रस्तुतकर्ता को अधिनियम की धारा-25 के तहत समय सीमा बढ़ाने के लिए आवेदन करने की सलाह देता है। यह आवेदन रजिस्ट्रार को भेजा जाता है और आदेश प्राप्त होने तक कार्यवाही रोक दी जाती है। यदि दस्तावेज 8 महीने की अधिकतम समय सीमा समाप्त होने के बाद प्रस्तुत किया जाता है, तो पंजीकरण तुरंत अस्वीकार कर दिया जाता है।

स्टांप शुल्क कम देना या देरी से भुगतान करने पर दंड

अक्सर घर खरीदने वाले लोग यह अंदाजा नहीं लगा पाते कि यदि वे तय राशि से कम स्टाम्प शुल्क चुकाते हैं या समय पर रजिस्ट्रेशन नहीं कराते हैं तो इसके क्या गंभीर परिणाम हो सकते हैं। यह केवल एक प्रक्रिया में देरी नहीं होती, बल्कि इससे आपको भारी आर्थिक और कानूनी दंड झेलने पड़ सकते हैं।

यदि स्टांप शुल्क कम चुकाया गया तो क्या होगा?

  • दस्तावेज जब्त किए जा सकते हैं: भारतीय स्टांप अधिनियम की धारा-33 के तहत यदि कोई दस्तावेज ठीक से स्टांप नहीं किया गया है, तो सब-रजिस्ट्रार या कोई अधिकृत अधिकारी उस दस्तावेज को जब्त कर सकता है।
  • कम शुल्क का 10 गुना तक जुर्माना: धारा-39 के अनुसार, यदि कम स्टांप शुल्क चुकाने का पता चलता है, तो रजिस्ट्रेशन अथॉरिटी कम चुकाए गए शुल्क की राशि पर 10 गुना तक जुर्माना लगा सकती है।
  • न्यायालय में दस्तावेज अस्वीकार्य: अगर विक्रय पत्र (सेल डीड) पर पूरा स्टांप शुल्क नहीं दिया गया है, तो वह दस्तावेज कोर्ट में प्रमाण के रूप में तब तक स्वीकार नहीं किया जाएगा, जब तक कि बकाया शुल्क और जुर्माना जमा न कर दिया जाए।
  • बैंक ऋण अस्वीकृति: यदि प्रॉपर्टी के टाइटल डीड पर पूरा स्टांप शुल्क नहीं चुकाया गया है या रजिस्ट्रेशन में देरी हुई है, तो बैंक लोन की स्वीकृति या संपत्ति सत्यापन से मना कर सकते हैं।

4 माह से अधिक विलंब से दस्तावेज प्रस्तुत करने पर

  • धारा-25 के अंतर्गत, पंजीकरण के लिए दस्तावेजों को 4 माह की समय-सीमा के बाद पेशन करने की अनुमति केवल रजिस्ट्रार की स्वीकृति से ही दी जाती है।
  • यदि विलंब अत्यधिक हो (जैसे 8 माह या उससे अधिक) तो ऐसे मामलों में रजिस्ट्रेशन स्पष्ट रूप से अस्वीकृत कर दिया जाता है और संपूर्ण लेन-देन अमान्य घोषित हो सकता है।

महत्वपूर्ण सूचना: स्टाम्प ड्यूटी की गणना घोषित मूल्य और गाइडलाइन मूल्य में से जो अधिक हो, उस पर की जाती है। यदि संपत्ति का मूल्य जानबूझकर कम दर्शाया गया हो और उसी आधार पर स्टाम्प शुल्क कम भरा गया हो, तो वर्षों बाद भी ऑडिट के दौरान जुर्माना लगाया जा सकता है।

छत्तीसगढ़ में स्टाम्प ड्यूटी की वापसी 

छत्तीसगढ़ में स्टाम्प ड्यूटी की वापसी केवल ई-स्टाम्प पर लागू होती है। वापसी प्रक्रिया शुरू करने के लिए व्यक्ति को कलेक्टर के पास एक फॉर्म जमा करना होता है, जिसमें ई-स्टाम्प प्रमाण पत्र की सारी जानकारी जैसे नाम, प्रमाण पत्र संख्या, आईडी और आवेदन की तारीख दर्ज हो। पूरी जांच के बाद कलेक्टर रिफंड की प्रक्रिया करता है, जिसमें सेवा शुल्क के रूप में 10 फीसदी काटा जाता है। 

छत्तीसगढ़ में पंजीकरण शुल्क की वापसी

छत्तीसगढ़ पंजीकरण नियम, 1939 के नियम-120 के तहत पंजीकरण शुल्क की वापसी होती है। इस नियम के अनुसार, शुल्क की वापसी निम्नलिखित स्थितियों में ही की जा सकती है –

  • अगर भुगतान किया गया पंजीकरण शुल्क निर्धारित सीमा से अधिक हो।
  • वापसी का दावा उस तारीख से 3 महीने के भीतर करना होगा, जब संबंधित पक्ष को वापसी योग्य होने की जानकारी मिले।

छत्तीसगढ़ में संपत्ति पंजीकरण कैसे करें?

  • स्टेप 1: संपत्ति ऑनलाइन पंजीकरण के लिए विभाग की वेबसाइट http://www.epanjeeyan.cg.gov.in पर लॉगिन करें। लॉगिन के बाद रजिस्ट्रेशन मेनू पर क्लिक करें।
  • स्टेप 2: “सेल्फ-रजिस्ट्रेशन” मेनू पर क्लिक करें। यहां क्लिक करने के बाद लॉगिन पेज खुलेगा। यहां “New User” के ऑप्शन पर क्लिक करें और अपना यूजर आईडी और पासवर्ड बनाएं।
  • स्टेप 3: अपना नाम, मोबाइल नंबर, ईमेल आईडी और पासवर्ड दर्ज करके रजिस्टर करें।
  • स्टेप 4: रजिस्ट्रेशन के बाद होम पर क्लिक करें और अपना मोबाइल नंबर और पासवर्ड डालकर लॉगिन करें।
  • स्टेप 5: लॉगिन करने के बाद न्यू प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन के ऑप्शन पर जाएं और दिखाए गए अनुसार सभी जानकारी भरें।
  • स्टेप 6: सभी जानकारी की अच्छी तरह से जांच करने के बाद “सबमिट” बटन पर क्लिक करें। 

छत्तीसगढ़ में पंजीकरण शुल्क की वापसी 

छत्तीसगढ़ पंजीकरण नियम, 1939 के नियम 120 के तहत पंजीकरण शुल्क की वापसी निम्नलिखित शर्तों पर की जा सकती है –

  • यदि भुगतान किया गया पंजीकरण शुल्क निर्धारित सीमा से अधिक हो।
  • यदि वापसी का दावा उस तारीख से 3 महीने के भीतर किया गया हो, जब किसी पक्ष को वापसी के योग्य होने का पता चले।

छत्तीसगढ़ में रजिस्ट्रेशन और स्टाम्प ड्यूटी: यहां करें संपर्क 

यदि आप छत्तीसगढ़ में प्रॉपर्टी के स्टाम्प ड्यूटी भुगतान से संबंध में कोई जानकारी चाहते हैं, तो SHCIL वेबसाइट की राज्यवार संपर्क निर्देशिका के माध्यम से प्रतिनिधियों से संपर्क कर सकते हैं। यहां छत्तीसगढ़ में यहां संपर्क कर सकते हैं –

विकास सिंह

  • ईमेल: shcil.raipur@stockholding.com
  • फोन: 8871362000

संदीप कुमार शर्मा

  • ईमेल: shcil.raipur@stockholding.com
  • फोन: 9571166668

भारतीय स्टांप (छत्तीसगढ़ संशोधन) विधेयक, 2023

भारतीय स्टांप (छत्तीसगढ़ संशोधन) विधेयक, 2023, जिसे जुलाई 2023 में अधिसूचित किया गया, राज्य के स्टांप शुल्क प्रणाली में महत्वपूर्ण बदलाव लाता है, खासकर इलेक्ट्रॉनिक स्टांपिंग (ई-स्टांपिंग) को लेकर। इस संशोधन में भारतीय स्टांप अधिनियम, 1899 की धारा-2 में नई परिभाषाएं जोड़ी गई हैं:

  • धारा (11-क): “ई-स्टांप” या “इलेक्ट्रॉनिक स्टांप” की परिभाषा, जो डिजिटल स्टांप प्रमाणपत्रों के लिए कानूनी आधार प्रदान करती है।
  • धारा (12-क):”जब्त करना” शब्द का विस्तार, जिसमें किसी दस्तावेज को किसी लोक अधिकारी की अभिरक्षा में लेना और उस पर इस संबंध में अंकन करना शामिल है।

ये संशोधन स्टांप शुल्क प्रणाली को आधुनिक बनाने के उद्देश्य से किए गए हैं, ताकि इलेक्ट्रॉनिक स्टांप का उपयोग आसान हो सके, संपत्ति के लेन-देन को सुगम बनाया जा सके और भौतिक स्टांप पेपर पर निर्भरता कम हो। ई-स्टांपिंग से संपत्ति के लेन-देन में पारदर्शिता, दक्षता और अनुपालन में सुधार की उम्मीद है।

छत्तीसगढ़ में ई-स्टांपिंग सेवाओं, अधिकृत संग्रह केंद्रों और प्रक्रियाओं के बारे में विस्तृत जानकारी के लिए, आप स्टॉक होल्डिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (SHCIL) की आधिकारिक वेबसाइट पर जा सकते हैं।

छत्तीसगढ़ के रियल एस्टेट मार्केट में हाल ही में हुए बदलावों और उसका स्टाम्प ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस पर प्रभाव

छत्तीसगढ़ के रियल एस्टेट मार्केट में बीते कुछ सालों में काफी ज्यादा बढ़ोतरी देखी गई है, जो शहरीकरण, बुनियादी ढांचे के विकास और नीति सुधारों से प्रभावित है। साल 2024 तक छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में औसत संपत्ति की कीमत लगभग 3,679 रुपये प्रति वर्ग फुट है, जो 350 रुपये से 1 लाख रुपये प्रति वर्ग फुट के बीच हो सकती है।

इसी तरह, दुर्ग में संपत्ति की कीमत औसतन 3,026 रुपये प्रति वर्ग फुट है, जो 1,000 रुपये से 5,625 रुपये प्रति वर्ग फुट के बीच है।

ऐसे कारण, जो इन प्रॉपर्टी की कीमत को प्रभावित करते हैं

  • शहरी विकास और अवसंरचना: नए और योजनाबद्ध अवसंरचना परियोजनाएं, जैसे बेहतर सड़क नेटवर्क, मेट्रो लाइन और हवाई अड्डे, छत्तीसगढ़ में शहरी विकास में काफी ज्यादा अहम योगदान दे रही हैं। जब ये प्रोजेक्ट पूरे हो जाएंगे तो छत्तीसगढ़ में बेहतर कनेक्टिविटी के कारण प्रॉपर्टी की कीमत में महत्वपूर्ण बढ़ोतरी होगी, जिससे यह एक आकर्षक निवेश ऑप्शन बन सकता है।
  • स्मार्ट शहरों का उदय: रायपुर जैसे स्मार्ट शहरों ने छत्तीसगढ़ में रियल एस्टेट सेक्टर का काफी ज्यादा बदल दिया है। ये हरे भरे आर्किटेक्चर, तकनीकी कौशल और बेहतर जीवन शैली पर केंद्रित हैं, जो अधिक रहवासियों और निवेशकों को आकर्षित करता है, जिससे संपत्ति की मांग और कीमत में काफी बढ़ोतरी हो रही है।
  • सस्ते आवास की मांग: छत्तीसगढ़ में शहरीकरण और जनसंख्या में तेजी से हो रही बढ़ोतरी के कारण सस्ती आवास की मांग बढ़ रही है। डेवलपर्स भी इस जरूरत के हिसाब से खुद को तैयार कर रहे हैं और ताकि सस्ती कीमतों पर लग्जरी घरों की पेशकश पूरी की जा सके, जिससे सस्ते आवास की पहुंच को बेहतर बनाया जा सके और छत्तीसगढ़ के रियल एस्टेट क्षेत्र में समग्र विकास में योगदान किया जा सके।
  • व्यावसायिक रियल एस्टेट में उछाल: रायपुर और बिलासपुर में व्यावसायिक रियल एस्टेट का तेजी से विकास हो रहा है, जिसमें कमर्शियल कॉम्प्लेक्स, रिटेल कॉम्प्लेक्स और इंडस्ट्रियल पार्क की संख्या बढ़ रही है। यह बढ़ती व्यापारिक गतिविधियों और आर्थिक विकास के कारण है, जो इन क्षेत्रों को प्रमुख व्यावसायिक निवेश स्थलों में बदल रहा है।

संपत्ति की कीमतों में बढ़ोतरी का असर स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस पर पड़ता है, जो संपत्ति के बाजार मूल्य के आधार पर निर्धारित होती हैं। छत्तीसगढ़ में पुरुषों के लिए स्टांप ड्यूटी दर 5 फीसदी और महिलाओं के लिए 4 फीसदी है, जबकि सभी के लिए रजिस्ट्रेशन फीस 4 फीसदी है।

जब संपत्ति की कीमतें बढ़ती हैं तो स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस की कुल राशि भी बढ़ जाती है, जिससे संपत्ति लेनदेन की कुल लागत पर असर पड़ता है।

 

सस्ते आवास की मांग पर बढ़ती लागत का प्रभाव

छत्तीसगढ़ का संपत्ति बाजार तो लगातार बढ़ रहा है, लेकिन बढ़ती संपत्ति कीमतों के साथ-साथ अपेक्षाकृत उच्च स्टाम्प ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस (कुल मिलाकर 8 से 9 फीसदी ने घर खरीदने वालों के लिए प्रवेश की लागत बहुत बढ़ा दी है। यदि किसी संपत्ति की कीमत 30 लाख रुपए है तो खरीदारों को केवल शुल्क और टैक्स में लगभग 2.5 से 2.7 लाख रुपए चुकाने पड़ते हैं। यह भार विशेष रूप से कम और मध्यम आय वर्गीय परिवारों के लिए निराशाजनक है, जो सस्ते आवास की मुख्य मांगकर्ता माने जाते हैं।

ऐसे में कई खरीदार अपनी खरीदारी को टाल देते हैं या ऐसे राज्यों की ओर रुख करते हैं, जहां लेन-देन लागत कम होती है। वहीं निवेशक भी छत्तीसगढ़ को छोड़कर महाराष्ट्र या दिल्ली एनसीआर जैसे बाजारों की ओर बढ़ जाते हैं, जहां रजिस्ट्रेशन शुल्क कम होने के कारण संपत्ति अधिग्रहण में आसानी रहती है।

 

Housing.com का पक्ष

छत्तीसगढ़ भारत के उन राज्यों में शामिल है, जहां अन्य राज्यों के मुकाबले रजिस्ट्रेशन फीस अपेक्षाकृत ज्यादा है। देश के अधिकांश राज्य संपत्ति खरीदने पर केवल 1 फीसदी ट्रांजैक्शन वैल्यू को रजिस्ट्रेशन फीस के रूप में लेते हैं। कुछ अन्य राज्य केवल एक मानक फीस लेते हैं। संपत्ति रजिस्ट्रेशन की ये ज्यादा फीस संपत्ति रजिस्ट्रेशन के लिए एक रुकावट बन सकती हैं। राज्य को यहां संपत्ति में निवेश को बढ़ावा देने के लिए इन दरों को कम करने पर विचार करना चाहिए।

 

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

स्टांप ड्यूटी क्या है?

स्टांप ड्यूटी वह टैक्स है, जो भारत में राज्य सरकारों को लेन-देन से संबंधित दस्तावेजों के पंजीकरण के लिए चुकाया जाता है।

ई-स्टांपिंग क्या है?

ई-स्टांप एक इलेक्ट्रॉनिक प्रति है स्टांप पेपर की। यह डिजिटल प्रति पारंपरिक स्टांप पेपर की तरह ही वैध और कानूनी है।

भारत में ई-स्टांपिंग कब शुरू हुई थी?

ई-स्टांपिंग भारत में जुलाई 2013 में शुरू हुई थी।

मैं ई-स्टांप पेपर कैसे प्राप्त कर सकता हूं?

आप किसी भी SHCIL द्वारा अनुमोदित ACC से ई-स्टांप पेपर खरीद सकते हैं।

ई-स्टांप प्रमाणपत्र के लिए आवेदन पत्र कहां से डाउनलोड कर सकता हूं?

आप SHCIL की आधिकारिक वेबसाइट से ई-स्टांप प्रमाणपत्र के लिए आवेदन पत्र डाउनलोड कर सकते हैं।

हमारे लेख से संबंधित कोई सवाल या प्रतिक्रिया है? हम आपकी बात सुनना चाहेंगे। हमारे प्रधान संपादक झूमर घोष को jhumur.ghosh1@housing.com पर लिखें

 

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