उत्तराखंड ‘जिसे पहले उत्तरांचल के नाम से जाना जाता था’ उत्तर भारत का एक राज्य, जिसे देवताओं की भूमि यानि देवभूमि के रूप में जाना जाता है। यह एक पहाड़ी राज्य है जो उत्तर में चीन और पूर्व में नेपाल के साथ अंतरराष्ट्रीय सीमा साझा करता है। यह विशाल हिमालयी क्षेत्र प्रकृति की सुंदरता और देवताओं के प्रति समर्पण को प्रदर्शित करता है। इसके दो मुख्य क्षेत्र है गढ़वाल और कुमाऊं ,जिनमें पहाड़ों, घाटियों, नदियों, झीलों, ग्लेशियरों और कई पवित्र मंदिरों का आकर्षण है। दुनिया भर से पर्यटक स्कीइंग,वन्यजीव,अभयारण्यों, रिवर राफ्टिंग, ध्यान और चार धाम यात्रा के लिए उत्तराखंड आते हैं।
उत्तराखंड कैसे पहुंचे
हवाई जहाज से
उत्तराखंड में दो घरेलू हवाई अड्डे हैं – राज्य की राजधानी देहरादून के पास जॉली ग्रांट हवाई अड्डा और नैनीताल के पास पंत नगर हवाई अड्डा। जॉली ग्रांट हवाई अड्डा दिल्ली, मुंबई, बैंगलोर, चेन्नई और हैदराबाद से जुड़ा हुआ है। पंत नगर हवाई अड्डा केवल दिल्ली से जुड़ता है।
सड़क द्वारा
उत्तराखंड में रोडवेज का एक अच्छी तरह से जुड़ा हुआ नेटवर्क है, जो इसे राज्य के माध्यम से यात्रा करने का सबसे अच्छा तरीका बनाता है। दिल्ली और इस क्षेत्र के आसपास के कई भारतीय शहरों में अंतरराज्यीय बसों या टैक्सियों द्वारा आसानी से पहुँचा जा सकता है।
रेल द्वारा
उत्तराखंड में लगभग 12 प्रमुख रेलवे स्टेशन हैं जो उत्तराखंड को अन्य भारतीय शहरों से जोड़ते हैं। पहाड़ी राज्य होने के कारण उत्तराखंड में 1,500 मीटर से ऊपर के रेलवे स्टेशन नहीं हैं। आप केवल तलहटी में रेलवे स्टेशन पा सकते हैं।
उत्तराखंड घूमने का सबसे अच्छा समय
अधिकतर उत्तराखंड के हिल स्टेशनों में दिसंबर में बर्फबारी होती है, जिससे यह समय घूमने का सबसे अच्छा समय होता है।
उत्तराखंड में घूमने की जगहें
ऋषिकेश
हिमालय की तलहटी में बसा ऋषिकेश उत्तराखंड के सबसे अच्छे पर्यटन स्थलों में से एक है।उत्तराखंड राज्य में स्थित, ऋषिकेश ऋषियों, योग साधकों और तीर्थयात्रियों का केंद्र है, जो घाटों (नदी के किनारे) और मंदिरों में आते है।यह अपने शांत मंदिरों और रिवर राफ्टिंग, बंजी जंपिंग, जिप-लाइनिंग, ट्रेकिंग, विशाल झूले और रॉक क्लाइम्बिंग जैसे रोमांचकारी साहसिक खेलों के लिए लोकप्रिय है। सुंदर हिमालय के पास स्थित, ऋषिकेश में पवित्र गंगा नदी भी है। पर्यटक यहां आध्यात्मिक तीर्थयात्रा और कल्याण के लिए आते हैं, क्योंकि यह योग और ध्यान की राजधानी के रूप में भी प्रसिद्ध है।यहां पर जुड़वां पुल’ राम और लक्ष्मण झूला हैं ‘क्योंकि ये पुल गंगा के ऊपर 750 फीट पर स्थित हैं। ऋषिकेश में विभिन्न घाटों पर पवित्र गंगा की पूजा की जाती है। परमार्थ निकेतन में गंगा आरती और त्रिवेणी घाट पर एक अलग अनुभव ही महसूस होता है। यहां क्षेत्र को रोशन करने के लिए पवित्र नदी के पार सैकड़ों जले हुए दीये तैरते हैं और घंटियों और मंत्रों की आवाज़ से इस जगह पर एक आनंदमय आध्यात्मिक अनुभव कराती है।यहां पर्यटन विभाग द्वारा आयोजित अंतर्राष्ट्रीय योग सप्ताह में भाग लेने के लिए आने वाले पर्यटकों और योग प्रेमियों की मेजबानी करता है। ऋषिकेश आयुर्वेद के लिए भी जाना जाता है, और यहां पर शिक्षा प्रदान करने वाले कई संस्थान भी हैं। यह अपने योग विद्यालयों के लिए भी जाना जाता है
कैसे पहुंचे ऋषिकेश
हवाई मार्ग से: जॉली ग्रांट हवाई अड्डा, देहरादून, ऋषिकेश का निकटतम हवाई अड्डा है, जो शहर से लगभग 35 किमी दूर है।
सड़क मार्ग से: ऋषिकेश प्रमुख सड़कों और राष्ट्रीय राजमार्गों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है और देश के सभी हिस्सों से आसानी से पहुंचा जा सकता है।
रेल द्वारा: ऋषिकेश में एक रेलवे स्टेशन है जो हरिद्वार के अलावा प्रमुख भारतीय शहरों से नहीं जुड़ा है। इसलिए, निकटतम प्रमुख स्टेशन हरिद्वार है, जो अन्य शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।
देहरादून
उत्तराखंड के पर्यटन स्थलों में से एक है देहरादून, देहरादून उत्तराखंड की राजधानी है। जो हिमालय की तलहटी में स्थित है। देहरादून की प्राकृतिक सुंदरता और यहां की शांति ही पर्यटकों को यहां पर आकर्षित करती है और अपनी तरफ खींच लाती है। देहरादून में अनेक पर्यटन स्थल हैं जिन्हें आप देख व घूम सकते हैं। देहरादून अपने झरनें, गुफ़ाएं, प्राकृतिक झरनें तथा अनेक सुंदर प्राचीन मंदिरों के लिये भी प्रसिद्ध है। यहां पर सहस्त्र धारा, लक्ष्मण सिद्ध मंदिर, तपकेश्वर महादेव मन्दिर, संता देवी मन्दिर, तपोवन आदि देहरादून में आप इन सभी धार्मिक स्थलों पर घूम सकते हैं व दर्शन कर सकते हैं। यहां पर दर्शन करने से आपको अपने अंदर एक सुकून भरी शांति महसूस होती है। इसके अलावा देहरादून में आप कुछ और अन्य पर्यटक स्थल हैं जिनका विजिट आप कर सकते हैं। क्योंकि देहरादून सिर्फ अपने प्राकृतिक सुंदरता के लिए नहीं अपितु अनेक प्रसिद्ध शिक्षण संस्थानों के कारण भी जाना जाता है। जैसे- राबर्ट की गुफा, सर्वे ऑफ़ इंडिया, भारतीय वानिकी अनुसंधान, शिक्षा परिषद, राजाजी राष्ट्रीय उद्यान, मासली हिरण पार्क आदि। यहां सब जगहों पर घूमने से आपको बहुत सी चीजों और रिसर्च के बारे में जानकारी प्राप्त होगी। आप जब भी यहां घूमने आयें तो अपने साथ अपने स्टडी कर रहे बच्चों को भी लेकर आयें। क्योंकि वे इन सभी चीजों को देखने व जानने में बहुत ही उत्सुक रहते हैं। इससे उनका नॉलेज भी बढ़ता है। इन सभी के साथ देहरादून में एक बौद्ध मठ भी है जिसका नाम है माइंड्रोलिंग मठ, जिसका इतिहास 300 से अधिक वर्षों का है। यह भारत में सबसे महत्वपूर्ण बौद्ध स्थलों में से एक है और एशिया में सबसे ऊंचा स्तूप है। मठ क्लेमेंट टाउन में शहर के केंद्र से 9 किमी दूर स्थित है। देहरादून का यह स्थान भी घूमने वाली जगहों में से एक है। इस बौद्ध मठ में घूमने का समय: सुबह 9:00 बजे से शाम 7:00 बजे तक है आप यहां पर सप्ताह के सभी दिन घूम सकते हैं। यहां का प्रवेश भी नि: शुल्क है।
कैसे पहुंचे देहरादून
हवाई मार्ग से: जॉली ग्रांट हवाई अड्डा देहरादून शहर के केंद्र से 20 किमी दूर स्थित है। दिल्ली के लिए रोजाना उड़ानें हैं। निकटतम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा दिल्ली से लगभग 235 किमी दूर स्थित है।
सड़क मार्ग से: देहरादून एनएच 72 के माध्यम से अन्य शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। सामान्य, साथ ही डीलक्स बसें आईएसबीटी कश्मीरी गेट, दिल्ली से देहरादून के लिए आसानी से उपलब्ध हैं।
रेल द्वारा: देहरादून रेलवे स्टेशन पर देश के सभी प्रमुख शहरों से ट्रेन सेवाएं उपलब्ध हैं।
नैनीताल
नैनीताल उत्तराखंड में घूमने के लिये व दर्शन करने के लिये तथा दर्शनीय हिल स्टेशनों के रूप में सबसे अच्छी जगहों में से एक है। तथा नैनीताल बेहद सुंदर और शांत जगह है, जहां लोग सबसे ज्यादा घूमना पसंद करते हैं। हर साल यहां पर्यटकों की भारी भीड़ भी देखने को मिलती है। नैनीताल कई पर्यटन स्थलों को समेटे हुए तथा अपनी झीलों के लिये जाना जाता है। इसके नैनीताल कई झीलों से घिरा हुआ भी है। तथा यहां पर हिल स्टेशनों के चारों ओर बर्फ़ से ढकी विशाल पहाड़ी चोटियाँ हैं। जो समुद्रतल से 7,000 फिट की उचाईं पर स्थित हैं। नैनीताल का मुख्य केंद्र यहां का आँखों के आकार वाली एक प्राकृतिक ताजा झील है। आँखों के आकार की यह झील कुमाऊँ क्षेत्र की सबसे प्रसिद्ध झीलों में से एक है। यहां पर नौका विहार, पिकनिक, व शाम को घूमने के लिये सबसे अच्छा स्थान है। तथा नैनीताल झील सात चोटियों से घिरी हुई एक मनमोहक जगह है। आप यहां पर पहाड़ों पर घूमने के लिये ट्रेकिंग का मजा ले सकते हैं साथ ही झील घूमने के लिए नाव की सवारी कर सकते हैं। तथा आप यहां पर अपने परिवार के साथ घूमने हुए सनसेट का भी मजा ले सकते हैं, यहां से सनसेट बेहद खूबसूरत दिखाई देता है। तथा साथ ही बगल में हिमालय के ऊँचे पहाड़ों से घिरे हुए नैना देवी मन्दिर में भी दर्शन व पूजा अर्चना कर सकते हैं। यह भारत में सबसे पवित्र व लोकप्रिय 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। जो माँ नैना देवी का मन्दिर है। इसके साथ ही आप नैनीताल में और भी प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों पर घूम सकते हैं। जैसे- जीबी पंत हाई एल्टीट्युड चिड़ियाघर, इको केव गार्डेंन, नैनी झील, नैनीताल हिल स्टेशन आदि। नैनीताल में नैनीताल हिल स्टेशनों की सबसे खास बात होती है वहाँ से दिखने वाली बर्फ़ीली पहाड़ियां और हिमालयी सुंदरता जो हम सभी का मन मोह लेती हैं। वहीं अगर आप नैनीताल के हाईयेस्ट चिड़ियाघर में घूमना चाहते हैं जो उत्तराखंड का एकमात्र चिड़ियाघर है। समुद्र तल से 2,100 मीटर की ऊंचाई पर, इसमें विभिन्न प्रकार के जानवर हैं जो केवल उच्च ऊंचाई पर रहते हैं जैसे साइबेरियन टाइगर, सेराओ, तिब्बती वूल्फ, रेड पांडा, हिरण और हिम तेंदुआ। यह चिड़ियाघर शेर का डंडा पहाड़ी की चोटी पर नैनीताल बस स्टैंड से 1.8 किमी की दूरी पर स्थित है। और सुबह 10:30 से शाम 4:30 बजे तक खुला रहता है।
नैनीताल घूमने कब जायें
अगर आप नैनीताल घूमने जा रहें हैं तो कोशिश करें कि जनवरी से मार्च के महीने में घूमने जायें, क्योंकि अगर आपको बर्फबारी पसंद है तो यहां इस मौसम में ही सबसे ज्यादा बर्फबारी होती है। तो इसलिए आप बर्फबारी इंजॉय करने जनवरी से मार्च तक के महीने में जाएं। लेकिन अगर आपको नैनीताल में एक और सुंदरता तथा फूलों से भरे हुए तथा फूल अपनी खुशबु बिखेरते हुए पूरे शहर को देखना पसंद है तो आप अप्रैल से जून के महीने में जाएं। तब यहां पर हल्की ठंडी भीरहती है और नैनीताल का पूरा शहर भी फूलों तथा उसकी खुशबु और अपनी प्राकृतिक सुंदरता से भरा रहता है।
कैसे पहुंचे नैनीताल
हवाई मार्ग से: पंत नगर हवाई अड्डा, 55 किमी दूर, नैनीताल का निकटतम घरेलू हवाई अड्डा है। हवाई अड्डा नई दिल्ली और मुंबई से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। देहरादून हवाई अड्डा नैनीताल से 283 किमी दूर है।
सड़क मार्ग से: नैनीताल उत्तर भारत के प्रमुख स्थलों के साथ सड़कों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। नैनीताल राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 87 से जुड़ा है। दिल्ली, आगरा, देहरादून, हरिद्वार, लखनऊ, कानपुर और से नियमित बसें चलती हैं। बरेली। दिल्ली से लग्जरी कोच उपलब्ध हैं। दिल्ली से नैनीताल के लिए निजी टैक्सी और रात भर की बसें आसानी से उपलब्ध हैं।
रेल द्वारा: निकटतम रेलवे स्टेशन, काठगोदाम रेलवे स्टेशन, नैनीताल से 23 किमी दूर है। नई दिल्ली, कोलकाता, आगरा और लखनऊ से रोजाना कई सीधी ट्रेनें चलती हैं।
जिम कॉर्बेट
जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क उत्तराखंड के सबसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में से एक है।यह उत्तराखंड के नैनीताल जिले का सबसे पुराना राष्ट्रीय उद्यान लुप्तप्राय बंगाल टाइगर के लिए जाना जाता है। जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क कॉर्बेट टाइगर रिजर्व का हिस्सा है।यह अपनी वन्यजीव सफारी के लिए प्रसिद्ध, पार्क में पक्षियों की 650 से अधिक प्रजातियां समेटे हुए हैं। साथ ही यहां की अन्य शिकारी प्रजातियों में तेंदुए, जंगली बिल्लियाँ, मछली पकड़ने वाली बिल्लियाँ, तेंदुआ, हाथी, हिप्पोपोटैमस, भौंकने वाले हिरण, सांभर हिरण, चीतल, काले भालू और नेवले शामिल हैं। साथ ही जिम कार्बेट में देखने लायक जगहों में से एक है कॉर्बेट संग्रहालय, जो पूरे राष्ट्रीय उद्यान में सबसे आकर्षक स्थानों में से एक है। संग्रहालय अब उस बंगले में स्थित है जो प्रसिद्ध संरक्षणवादी- जिम कॉर्बेट- का घर हुआ करता था- जिनके नाम पर पार्क का नाम रखा गया है। संग्रहालय उनके संस्मरणों, उनके निजी सामान, उनके द्वारा लिखे गए पत्रों के साथ-साथ उनके मित्रों और शुभचिंतकों, प्राचीन वस्तुओं और दुर्लभ तस्वीरों को प्रदर्शित करता है। यहां एक छोटी सी दुकान स्मृति चिन्ह और हाथ से तैयार की गई स्थानीय वस्तुओं को भी बेचती है जिन्हें कोई भी खरीद सकता है। इसके साथ ही आप कार्बेट पार्क में रिवर राफ्टिंग का मजा ले सकते हैं। तथा साथ ही राम गंगा नदी के किनारे सैर कर सकते हैं। क्योंकि राम गंगा नदी सूर्योदय और सूर्यास्त को देखने के लिये एक सुंदर स्थान है और साथ ही आप यहां पर अक्सर हिरणों को भी घूमते हुए देख सकते हैं।
जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क को पांच जोन में बांटा गया है। पर्यटक पार्क के मुख्य भाग में आप जानवरों के करीब पहुंच सकते हैं, एक बफर जोन या कोर क्षेत्र के रूप में सीमांकित कर दिये गये हैं। यहां का समय: ढिकाला और बिजरानी जोन, जून से अक्टूबर / नवंबर तक बंद रहते हैं। तथा ढेला और झिरना जोन पूरे साल खुले रहते हैं। हालांकि, जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में मानसून के दौरान बाढ़ का खतरा रहता है । इसलिए मौसम को ध्यान में रखकर ही जिम कार्बेट पार्क जाएं।
यहां सफारी का समय: सुबह 07:00 बजे से 10:00 बजे तक और दोपहर 02:00 बजे से शाम 05:30 बजे तक है। तथा प्रवेश शुल्क: 200 रुपये (भारतीय) जीप सफारी: 5000 रुपये (जीप;में अधिकतम 6 लोग और 2 बच्चे (5 से 12 वर्ष)) ही बैठ सकते हैं।तथा जंगल सफारी को पहले से बुक करने की सलाह दी जाती है।
कैसे पहुंचे जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क
हवाई मार्ग से: पंत नगर हवाई अड्डा निकटतम घरेलू हवाई अड्डा है, जो कॉर्बेट से लगभग 80 किमी दूर है। इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा (दिल्ली) निकटतम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है, जो कॉर्बेट से लगभग साढ़े चार घंटे की ड्राइव पर है।
रेल द्वारा: निकटतम स्टेशन रामनगर रेलवे स्टेशन है, जो लगभग 12 किमी दूर स्थित है। कई ट्रेनें रामनगर को दिल्ली और उत्तर भारत के अन्य शहरों और कस्बों से जोड़ती हैं। दिल्ली से रामनगर तक चलने वाली सीधी ट्रेन रानीखेत एक्सप्रेस दिल्ली से कॉर्बेट पहुंचने के लिए सबसे अच्छी ट्रेन है। स्टेशन के बाहर स्थानीय टैक्सियाँ उपलब्ध हैं, होटलों और पार्कों में जाने के लिए। कॉर्बेट रामनगर से 12 किमी और देहरादून से 227 किमी दूर है। यह उत्तराखंड राज्य सड़क परिवहन निगम (USRTC) और कुछ निजी यात्रा सेवाओं के माध्यम से जुड़ा हुआ है।
रानीखेत
उत्तराखंड का सबसे अच्छा पर्यटन स्थल रानीखेत है। यह उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में समुद्र तल से 1,829 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। वास्तुकला के हिसाब से रानीखेत हिमालय क्षेत्र में एक छोटा सा गांव है।तथा प्रकृति से रूबरू होने के लिए रानीखेत सबसे अच्छा स्थान है। जहां के देवदार और बलूत के पेड़ इस जगह की खूबसूरती में चार-चांद लगा देते हैं। अगर आप शहरी जीवन की भागदौड़ से कुछ दूर प्रकृति में एक अच्छा समय बिताना चाहते हैं, तो रानीखेत घूमने अवश्य जाएं। यहां पर सुंदर ब्रिटिश युग की पत्थर की इमारतें इस छोटे से शहर में आकर्षण को जोड़ती हैं, जो इसे उत्तराखंड की सबसे खूबसूरत जगहों में से एक बनाती है। रानीखेत, जिसका अर्थ है रानी की भूमि, प्रकृति प्रेमियों के लिए एक आदर्श पर्यटन स्थल है। इसमें सेब के बागों, खुबानी और देवदार के पेड़ों से घिरे खूबसूरत बगीचे हैं। इसमें जंगल भी है और झरने झरने भी। रानीखेत नंदा देवी चोटी, ट्रेकिंग रेंज और पहाड़ी चढ़ाई के अपने दृश्य के लिए लोकप्रिय है। रानीखेत भारतीय सेना की कुमाऊं रेजिमेंट का मुख्यालय भी है और इसमें कुमाऊं रेजिमेंटल सेंटर संग्रहालय भी है। रानीखेत में घूमने के लिए सबसे अच्छी जगहें भालू बांध, हैदाखान बाबाजी मंदिर, झूला देवी राम मंदिर, गोल्फ ग्राउंड और मनकामेश्वर , रानी झील तथा बिनसर महादेव हैं। यहां पर आप ब्रिटिश काल की इमारतों का भ्रमण करें या फिर रानीखेत और उसके आसपास के खूबसूरत मंदिरों के दर्शन करें। आप जो चाहें वो कर सकते हैं।
कैसे पहुंचें रानीखेत?
हवाई मार्ग से: पंत नगर हवाई अड्डा निकटतम हवाई अड्डा है।
रेल द्वारा: काठगोदाम पास का रेलवे स्टेशन है जो रानीखेत से 80 किमी की दूरी पर स्थित है। स्टेशन पर उतरने के बाद आप रानीखेत के लिए कैब या बस ले सकते हैं।
सड़क मार्ग से: रानीखेत उत्तराखंड और उत्तर भारत के प्रमुख शहरों के साथ मोटर योग्य सड़कों द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। दिल्ली और रानीखेत के बीच की दूरी लगभग 350 किमी है और इसमें लगभग 10 घंटे लगते हैं। नैनीताल से रानीखेत की दूरी करीब 60 किलोमीटर है।
मसूरी
मसूरी उत्तराखंड राज्य का एक पर्वतीय नगर है, जिसे पर्वतों की रानी भी कहा जाता है। देहरादून से 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित, मसूरी उन स्थानों में से एक है जहाॅं लोग बार-बार आते जाते हैं। घूमने-फिरने के लिए जाने वाली प्रमुख जगहों में मसूरी एक प्रमुख जगह है। यह पर्वतीय पर्यटन स्थल हिमालय पर्वतमाला के मध्य हिमालय श्रेणी में पड़ता है, जिसे पर्वतों की रानी भी कहा जाता है। यह उत्तराखंड का एक मुख्य पर्यटन स्थल है जो बड़ी संख्या में पर्यटकों को आकर्षित करता है। मसूरी का नाम मंसूर शब्द से पड़ा है, जो एक झाड़ी को संदर्भित करता है जो यहां बड़ी मात्रा में पाया जाता है। गढ़वाल हिमालय पर्वतमाला के बीच स्थित, मसूरी में पूरे साल सुखद मौसम रहता है। पहाड़ियों, झीलों और मंदिरों का घर, उत्तराखंड में मसूरी भारत में सबसे अच्छे हनीमून स्थानों में से एक है। इसमें बर्फ से ढके पहाड़ों और हरी-भरी घाटियों के मंत्रमुग्ध कर देने वाले दृश्य हैं। मसूरी में दर्शनीय स्थलों की सैर और ट्रेकिंग से लेकर धुंधली झीलों और राजसी झरनों तक जाने के लिए बहुत सी जगहें हैं। इसके साथ ही मसूरी के घूमने लायक जगहों में से कुछ हैं, दलाई हिल्स,केम्प्टी फॉल्स, कैमल्स बैक रोड, भट्टा वॉटरफॉल,लाल टिब्बा और कंपनी गार्डन आदि। गन हिल मसूरी की सबसे ऊंची चोटियों में से एक है और यहां पर मॉल रोड से केबल कार द्वारा पहुँचा जा सकता है। 2,024 मीटर से अधिक की ऊंचाई पर स्थित, यह हिमालय की बर्फ से ढकी चोटियों से घिरा हुआ है।
कैसे पहुंचे मसूरी
हवाई मार्ग से: देहरादून का जॉली ग्रांट हवाई अड्डा मसूरी का निकटतम हवाई अड्डा है।
रेल द्वारा: देहरादून रेलवे स्टेशन इस हिल स्टेशन की सेवा करता है।
सड़क मार्ग से: राज्य सरकार और निजी बसें मसूरी को यूपी और दिल्ली जैसे प्रमुख राज्यों से जोड़ती हैं।
औली
भारत में सबसे अच्छे स्कीयइंग स्थलों में से एक के रूप में प्रसिद्ध, औली उत्तराखंड की सबसे खूबसूरत जगहों में से एक है। तथा औली को भारत का मिनी स्वीटजरलैंड कहा जाता है। क्योंकि यहां की नेचुरल ब्यूटी तथा बर्फ से ढके पहाड़ , जंगली फूल, हरी- भरी वनस्पतियां आपका मन मोह लेती हैं। औली का मुख्य आकर्षण है यहां बर्फ से लकदक ढलानें। 1640 फीट की गहरी ढलान में स्कीइंग का जो रोमांच यहां है वह दुनिया में दूसरी जगहों पर शायद ही हो। इसलिए औली की ढलानें स्कीयरों के लिए बेहद मुफीद मानी जाती हैं।औली में घूमने लायक जगहों में है , छत्रकुंड झील, नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान, तथा यहां पर कुछ दर्शनीय स्थान व पहाड़ भी हैं। औली प्राकृतिक नजारों और करामाती शंकुधारी जंगलों के लिए प्रसिद्ध है। यह हिमालयन हिल स्टेशन और स्की रिसॉर्ट उत्तराखंड में ओक के पेड़ों से घिरा एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। सुरम्य गांव औली, हिमालय पर्वतमाला के मनोरम दृश्य के साथ एक बेहतर हनीमून स्पॉट भी है। यह दुनिया भर से स्कीइंग के प्रति उत्साही लोगों को आकर्षित करता है। यहां की अत्याधुनिक सुविधाएं और विश्व स्तरीय स्की रिसॉर्ट औली के आकर्षण को बढ़ाते हैं। औली में 4 किलोमीटर की दूरी तय करने वाली केबल कार गुलमर्ग के बाद एशिया की दूसरी सबसे ऊंची और सबसे लंबी केबल कार है। यहां की यात्रा जोशी मठ से शुरू होती है और औली पर समाप्त होती है। हालांकि यहां की मानव निर्मित औली की कृत्रिम झीलें सर्दियों में देखने लायक होती हैं। बेहद खूबसूरत।
कैसे पहुंचें औली
हवाई मार्ग से: जॉली ग्रांट हवाई अड्डा, देहरादून निकटतम हवाई अड्डा है।
रेल द्वारा: औली का निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश रेलवे स्टेशन है। जो भारत के प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।
सड़क मार्ग से: औली के लिए सभी प्रमुख शहरों से बस और टैक्सी सेवाएं उपलब्ध हैं। देहरादून से टैक्सी या बस से जोशी मठ तक यात्रा करना सबसे सुविधाजनक है और फिर रोपवे या सड़क से औली जाना है।
हरिद्वार
हरिद्वार उत्तराखंड के घूमने एवं दर्शन करने के स्थानों में से एक है। तथा यह चारों धामों में भी आता है। तथा हरिद्वार को ” ईश्वर का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है” भारत के सबसे पवित्र स्थानों में से एक माना जाने वाला हरिद्वार अपने शहर में तमाम मंदिरों और धार्मिक स्थलों को समेटे हुए है। आप अगर हरिद्वार आएं हैं, तो यहां की गंगा आरती में जरूर शामिल हो। यहां होने वाली आरती की सुंदरता का बखान कर पाना बहुत मुश्किल है। यहां की जलती बातियों और बजती घंटियों के बीच यहां के पंडित एक सुर में गंगा की आरती करते हैं। इस आरती में हजारों सैलानी शामिल होते हैं। यहां हर शाम 7 बजे आरती होती है, लेकिन लोगों की भीड़ 5 बजे से ही जुटना शुरू हो जाती है। शाम 6 बजे से ही लोग यहां हर-हर गंगे और जय गंगा मैया बोलने लगते हैं। इसके साथ ही आप यहां पर स्थित घाट हर की पैड़ी भी जरूर जाएं। माना जाता है राजा विक्रमादित्य ने बनवाया था।हरि की पैड़ी के पास बैठकर तथा गंगा में स्नान के बाद मन को बहुत ही शांति मिलती है। आप यहां पर मनसा देवी मन्दिर भी घूम सकते हैं। तथा चंडी देवी मन्दिर, भारत माता मन्दिर इन सभी जगहों पर आप दर्शन कर सकते हैं।
कैसे पहुंचे हरिद्वार
हवाई मार्ग से: जॉली ग्रांट हवाई अड्डा निकटतम हवाई अड्डा है।
रेल द्वारा: हरिद्वार जंक्शन दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, देहरादून, अहमदाबाद और पटना जैसे प्रमुख शहरों से रेल द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।
सड़क मार्ग से: हरिद्वार अन्य प्रमुख उत्तर भारतीय गंतव्यों जैसे दिल्ली, यूपी, हरियाणा और पंजाब के साथ-साथ उत्तराखंड के अन्य हिस्सों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। बस सेवाएं लगातार और किफायती दामों में होती हैं। कोई भी हरिद्वार के लिए ड्राइव कर सकता है या टैक्सी किराए पर ले सकता है। ए/सी, और नॉन-ए/सी और डीलक्स बसें हरिद्वार को प्रमुख भारतीय शहरों और पर्यटन स्थलों से जोड़ती हैं।
बद्रीनाथ
बद्रीनाथ उत्तराखंड का एक लोकप्रिय तीर्थ स्थल है। बद्रीनाथ समुद्रतल से लगभग 3,100 मीटर की उचाईं पर अलकनंदा नदी के तट पर स्थित है। यह तीर्थ हिंदुओं के चार प्रमुख धामों में से एक है। यह पवित्र स्थल भगवान विष्णु के चतुर्थ अवतार नर एवं नारायण की तपोभूमि है। इस धाम के बारे में कहावत है कि-“जो जाए बद्री,वो न आए ओदरी”यानि जो व्यक्ति बद्रीनाथ के दर्शन कर लेता है उसे माता के गर्भ में दोबारा नहीं आना पड़ता। माना जाता है यह मन्दिर ‘ दिव्य देशम’ के नाम से जाने, जाने वाले तमिल संतों के द्वारा भगवान विष्णु को समर्पित 108 मंदिरों में से एक है। यह मन्दिर हर साल अप्रैल- मई में खुलता है और सर्दियों में नवंबर के तीसरे सप्ताह में बंद हो जाता है क्योंकि यहां पर बहुत ही अधिक बर्फबारी होती है। इसके बाद भगवान बद्री विशाल की पूजा जोशीमठ के नरसिंग मन्दिर में की जाती है। यहां पर कई ऐसे जगहें हैं जहां आप घूम सकते हैं। आप यहां पर नीलकंठ चोटी, चरण पादुका, वसुधरा फॉल्स, व्यास गुफा, भीम पुल, सतोपंत झील इन सभी जगहों पर घूम सकते हैं।
कैसे पहुंचे बद्रीनाथ
हवाई मार्ग से: जॉली ग्रांट हवाई अड्डा निकटतम हवाई अड्डा है। देहरादून के लिए दिल्ली से उड़ान भरें और सड़क या हेलीकॉप्टर से बद्रीनाथ की यात्रा करें। सहस्त्रधारा हेलीपैड से आप हेलीकॉप्टर से बद्रीनाथ धाम भी जा सकते हैं।
रेल द्वारा:ऋषिकेश निकटतम रेलवे स्टेशन है। ऋषिकेश रेलवे स्टेशन NH58 पर स्थित है और भारत में प्रमुख स्थलों के साथ भारतीय रेलवे नेटवर्क द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।
सड़क मार्ग से: बद्रीनाथ उत्तराखंड के प्रमुख शहरों से मोटर योग्य सड़क द्वारा जुड़ा हुआ है। बद्रीनाथ पहुंचने के लिए देहरादून, ऋषिकेश और हरिद्वार से नियमित बसें चलती हैं।
केदारनाथ
उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित केदारनाथ, गढ़वाल हिमालय पर्वतमाला में स्थित एक छोटा सा शहर है। इसे हिंदुओं के सबसे पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक माना जाता है। यह प्रसिद्ध केदारनाथ मंदिर भगवान शिव का घर है और यह चारों धामो में एक प्रमुख धाम है। भगवान शिव के इस मन्दिर में किसी को भी शिवलिंग को छूने की अनुमति नहीं है।यह पवित्र नदी मंदाकिनी के पास 3584 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। केदारनाथ मंदिर भारत में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। ऐसा माना जाता है कि मंदिर का निर्माण पांडवों ने युद्ध के दौरान की गई हत्याओं के पाप से खुद को मुक्त करने के लिए किया था। केदारनाथ मंदिर के पीछे केदारनाथ शिखर, भीम शिला,केदार गुंबद और अन्य छोटे- छोटे मन्दिर हैं जिनका दर्शन आप कर सकते हैं। यहां पर केदारनाथ मन्दिर के ठीक पीछे हिमालय की चोटियाँ हैं।इसके साथ ही यहां पर दुनिया की दूसरी सबसे ऊंची झील गौरी कुंड देखने लायक है। यह वह स्थान माना जाता है जहां देवी पार्वती ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए तपस्या की थी और वह स्थान जहां पार्वती देवी ने इस झील में स्नान करने के बाद भगवान गणेश की रचना की थी। यह दोनों स्थान यहीं है। केदारनाथ मंदिर का समय: अप्रैल से नवंबर तक रोजाना खुला रहता है। नवंबर के बाद मन्दिर के कपाट बंद हो जाते हैं। क्योंकि वहां पर बर्फबारी बहुत अधिक होती है।नार्मल दिनों में मंदिर दोपहर 03:00 बजे से शाम 05:00 बजे तक बंद रहता है। केदारनाथ मन्दिर में प्रवेश नि: शुल्क है।
कैसे पहुंचे केदारनाथ
हवाई मार्ग से: जॉली ग्रांट हवाई अड्डा निकटतम हवाई अड्डा है। केदारनाथ के लिए हेलीकॉप्टर सेवाएं हेलीपैड से सुबह 06:30 बजे से 11:10 बजे के बीच उपलब्ध हैं। तीर्थयात्री विमानन सेवा की प्री-बुकिंग के लिए ऑनलाइन बुकिंग सुविधा का उपयोग कर सकते हैं। हेलीपैड सेरसी गांव में है, जो गुप्तकाशी से 22 किमी और फाटा गांव से 7 किमी दूर है।
रेल द्वारा: ऋषिकेश रेलवे स्टेशन निकटतम रेलवे स्टेशन है। यह रेलवे स्टेशन देश के प्रमुख शहरों और कस्बों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।
सड़क मार्ग से: गौरी कुंड निकटतम गाड़ी योग्य क्षेत्र है। चमोली, श्रीनगर, टिहरी, पौड़ी, ऋषिकेश, देहरादून, हरियाणा, चंडीगढ़, दिल्ली, उत्तरकाशी और के साथ आसपास के क्षेत्र को जोड़ने वाली अंतरराज्यीय बस सेवाएं हैं। हरिद्वार। फाटा हेलीपैड तक कैसे पहुंचे? फाटा से गौरी कुंड केवल 18 किमी दूर है। रुद्रप्रयाग से कोई टैक्सी किराए पर ले सकता है या साझा जीप या बस ले सकता है। ऐसे आप केदारनाथ पहुँच सकते हैं।
धनोल्टी
उत्तराखंड में हिमालय की खूबसूरत चोटियों के बीच में स्थित है धोनाल्टी. धोनाल्टी मसूरी स्टेशन से लगभग 60 किलोमीटर की दूरी पर है. धोनाल्टी पर्यटकों को अपनी शांति और खूबसूरती से अपनी तरफ आकर्षित करती है। इसलिए जिनको शांति और प्रकृति के बीच एक खूबसूरत मनोरम दृश्य देखना और उसके बीच अपने परिवार के साथ समय बिताना पसंद है, उन लोगों के लिये धोनाल्टी एकदम परफेक्ट जगह है। इसके साथ ही आप यहां पर सनसेट और सनराइज का खूबसूरत नजारा देखने के साथ ही धोनाल्टी के जंगलों में कैंपिंग कर सकते हैं। और घने देवदार के जंगलों के बीच में एक अच्छी सैर भी कर सकते हैं.तो अगर आप धोनाल्टी के पास रहते हैं या फिर आप दिल्ली के पास रहते हैं तो ऐसे में आप हर वीकेंड पर अपने परिवार के साथ अपनी छुट्टियों को यहां पर आकर खुबसूरती से बिता सकते हैं ,क्योंकि यह दिल्ली से पास में ही पड़ता है। और यह उत्तराखंड के सबसे सुंदर पर्यटन स्थलों में से एक है।
मुक्तेश्वर
मुक्तेश्वर नैनीताल से लगभग 50 किमी की दूरी पर एक छोटा सा पहाड़ी शहर है। मुक्तेश्वर शानदार ओक और रोडोडेंड्रोन जंगल से घिरा हुआ है। यह ट्रेकिंग, रॉक क्लाइम्बिंग और रैपलिंग जैसे साहसिक एक्टिविटी के लिए जाना जाता है और यहां के मुख्य आकर्षणों में आने वाला है यहां का शंकुधारी वन तथा इसमें भगवान् शिव का एक मुक्तेश्वर मंदिर और मुक्तेश्वर धाम है, जो समुद्र तल से 7000 फीट की ऊंचाई पर स्थित एक धार्मिक आस्था का केंद्र हैं,और बताया जाता है कि यह पांडवों के वनवास के समय का ही मन्दिर है क्योंकि पांडवों ने अपने वनवास के कुछ समय यहां पर बिताए थे।मुक्तेश्वर धाम मंदिर में सफेद संगमरमर का शिवलिंग भी मौजूद है।शिवलिंग के अलावा यहां पर भगवान गणेश, ब्रह्मा, विष्णु, पार्वती, हनुमान और नंदी समेत अन्य देवी-देवताओं की भी मूर्तियां स्थापित हैं. ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव ने यहां एक राक्षस का वध किया था और उसे मोक्ष यानी मुक्ति प्रदान की था जिसके बाद से ही इसका नाम मुक्तेश्वर पड़ा।मान्यता है कि जिन लोगों को संतान की प्राप्ति नहीं होती है ,वे यहां आकर भगवान् शिव से संतान प्राप्ति की कामना करते हैं तो उनकी यह इच्छा जल्द ही पूरी होती है।
बागेश्वर
उत्तराखंड के कुमाऊँ क्षेत्र में स्थित बागेश्वर एक ऐसी जगह है, जो पूर्व में भीलेश्वर, पश्चिम में निलेश्वर पहाड़, उत्तर में प्रसिद्ध सूरजकुंड और दक्षिण में अग्नि कुंड जैसे फेमस और पवित्र स्थलों से घिरा हुआ एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल भी है। यहां के मन्दिर नदियाँ और पहाड़ पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। इसके साथ ही यह जगह बागेश्वर भगवान शिव के मंदिर के रूप में भी प्रसिद्ध है। यहां हर दिन हजारों की संख्या में पर्यटक घूमने और दर्शन के लिए आते हैं। यह स्थान धार्मिक तीर्थ स्थल होने के साथ-साथ प्राकृतिक सुंदरता ,सुंदर ग्लेशियरों, नदियों तथा मंदिरों आदि के लिए भी जाना जाता है। इन सभी के साथ यह जगह उनके लिये तो और भी ख़ास है जो लोग ट्रेकिंग के शौकीन हैं क्योंकि यहां समुद्र तल से लगभग 3 हजार मीटर से अधिक उचांई पर मौजूद पिंडारी ग्लेशियर नंदा देवी पर्वत के किनारे मौजूद है और सुंदरढूंगा ग्लेशियर पिंडारी ग्लेशियर के पहाड़ी के दूसरी तरफ मौजूद है और ये दोनों ग्लेशियर अपनी सुंदरता से यहां पर एक अलग ही छटा बिखेरते रहते हैं। इनके इसी चीज को देखने के लिये जब आप ट्रेकिंग करके यहां पर पहुँचते हैं तो,इनको देखने के बाद मन यहां की सुंदरता और खूबसूरती से मंत्रमुग्ध हो जाता है।
फूलों की घाटी उत्तराखंड
उत्तराखंड के सबसे खूबसूरत जगहों में से एक है फूलों की घाटी. फूलों की घाटी उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र के चमोली जिले में हेमकुंड साहिब के पास में स्थित है और एक खूबसूरत पर्यटन स्थल भी है। उत्तराखंड में यह जगह अपनी फूलों की सुंदरता के कारण जाना जाता है। इस घाटी में फूलों की पांच सौ से भी ज्यादा प्रजातियाँ पाई जाती हैं और इसे ही देखने के लिये देश – विदेश से पर्यटक आते हैं, और वहाँ के पास के ही गाँव में कैपिंग करके रुकते हैं और जी भर के कई दिनों तक यहां की सुंदरता और फूलों की खुशबु से अपने मन को शांति प्रदान करते हैं। और यहां की सुंदरता से रूबरू होते हैं।
द्रप्रयाग
उत्तराखंड में स्थित रुद्रप्रयाग पंच प्रयागो में से एक माना जाता है।यह गढ़वाल क्षेत्र के अंतर्गत आता है और उत्तराखंड में यह खूबसूरत स्थान अलकनंदा नदी और मंदाकिनी नदी के संगम पर स्थित है। रुद्रप्रयाग अपने गढ़ में अनेक मंदिरों के नाते जाना जाता है और यह बद्रीनाथ धाम की यात्रा में आने वाला पहला पड़ाव भी है।इसीलिए यह अपनी प्राकृतिक सुंदरता और अनेक प्राचीन मंदिरों को अपने आप में समेटे हुए यह उत्तराखंड में पर्यटकों और दर्शनारथियों की पहली पसंद भी है। यहां रुद्रप्रयाग में भगवान् शिव के 200 मन्दिर बनाये गए हैं जो अति प्राचीन हैं । दर्शनीय स्थल होने के साथ ही साथ रुद्रप्रयाग अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिये भी जाना जाता है।रुद्रप्रयाग अपने चीड़ के पेड़ों की अधिकता से अपनी सुंदरता में चार चाँद लगाते हुए पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है।
भीमताल
प्रसिद्ध हिल-स्टेशन नैनीताल के साथ बसा भीमताल, शांति चाहने वाले पर्यटकों के लिए एक मनोरम स्थल के रूप में उभरता है। जैसे ही मानसून भूमि की शोभा बढ़ाता है, झील अपने लबालब तक भर जाती है, जिससे हरी-भरी पहाड़ियों के सामने एक मंत्रमुग्ध कर देने वाली झांकी बनती है। ढलानों के किनारे बसे आकर्षक घरों से सुसज्जित, भीमताल एक शांत छुट्टी विश्राम के लिए एक आदर्श स्थान प्रदान करता है।
सर्दियों का मौसम आते ही, भीमताल पक्षी प्रेमियों के लिए स्वर्ग में बदल जाता है, क्योंकि प्रवासी झुंड इसके तटों की शोभा बढ़ाते हैं, और अपनी जीवंत उपस्थिति से आसमान को रंग देते हैं किंवदंतियां भीमताल की वास्तविकता से जुड़ी हुई हैं, क्योंकि कहानियों में महाभारत के बहादुर पांडव राजकुमार भीम द्वारा झील के निर्माण की बात कही गई है, जिसने इस झील को अपना नाम दिया। इतिहासकार भीमताल के ऐतिहासिक महत्व पर अनुमान लगाते हैं और भारत को नेपाल और तिब्बत से जोड़ने वाले प्राचीन रेशम मार्ग पर एक पड़ाव के रूप में इसकी भूमिका का सुझाव देते हैं। अपनी प्राकृतिक सुंदरता के बीच, भीमताल में शैक्षणिक संस्थानों का एक समूह भी है, जो इसकी सांस्कृतिक समृद्धि को बढ़ाता है। जो लोग यात्रा की योजना बना रहे हैं, उनके लिए अप्रैल से जून और अक्टूबर से दिसंबर के महीने भीमताल को उसके पूरे वैभव में प्रदर्शित करते हैं, जो शहर के मनमोहक आकर्षण का आनंद लेने का एक उपयुक्त समय है।
भीमताल कैसे पहुँचें
हवाई मार्ग से भीमताल कैसे पहुँचें?
भीमताल का निकटतम एयरबेस पंतनगर हवाई अड्डा (लगभग 55 किमी दूर) है, जिसकी नई दिल्ली से नियमित उड़ानें हैं। हवाई अड्डे से, आगंतुक भीमताल के लिए टैक्सी ले सकते हैं या वैकल्पिक रूप से कार किराए पर ले सकते हैं। यात्रा में लगभग दो घंटे लगते हैं।
ट्रेन से भीमताल कैसे पहुँचें?
भीमताल का निकटतम रेलवे स्टेशन काठगोदाम (लगभग 21 किमी) है। रेलवे स्टेशन से किराए की टैक्सियाँ और बसें भीमताल के लिए नियमित रूप से चलती हैं।
सड़क मार्ग से भीमताल कैसे पहुँचें?
भीमताल सड़क नेटवर्क से भी अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। पर्यटक टैक्सी किराये पर ले सकते हैं जो कुमाऊँ क्षेत्र के कई लोकप्रिय स्थलों जैसे अल्मोडा, नैनीताल और काठगोदाम से संचालित होती हैं। वैकल्पिक रूप से, पर्यटक काठगोदाम और नैनीताल से भीमताल तक चलने वाली बसें भी ले सकते हैं।
पिथोरागढ़
उत्तराखंड में स्थित पिथौरागढ़ की मनमोहक सुंदरता अपने आप में एक मिसाल है।हिमालय की गोद में बसा यह शहर विशाल घास के मैदानों, घुमावदार सड़कों से कलकल करती बारहमासी जलधाराओं और वनस्पतियों और जीवों की अद्भुत विविधता से समृद्ध है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यहां की अछूती और बेदाग प्राकृतिक सुंदरता पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देती है पिथौरागढ़ को मिनी कश्मीर के नाम से भी जाना जाता है।और यह अपने सुंदर घाटियों के कारण प्रसिद्ध है ।यह शहर कैलाश मानसरोवर तीर्थयात्रा के जाने की लिए एक रास्ता यह भी है। कई बार तीर्थ यात्री पिथौरागढ़ में विश्राम के लिए रुक जाते है। पिथौरागढ़ सुन्दर घाटी में स्थित शहर है जोकि नेपाल और तिब्बत के बीच स्थित है।पिथौरागढ़ शहर बर्फ से ढकी चोटियों, उच्च हिमालयी पहाड़ों, घाटियों, झरनों और हिमनदों के राजसी स्थलों के लिए जाना जाता है।पिथौरागढ़ में करने के लिये भी बहुत कुछ है। पर्यटक इस पर्वतीय क्षेत्र में ट्रेकिंग का आनंद लेते है। शादीशुदा कपल के लिए पिथौरागढ़ हनीमून का सबसे अच्छा स्थान है। यह स्थान अपनी प्राकृतिक सुन्दरता और शांति के कारण पर्यटकों को अपनी तरफ बहुत ही ज्यादा आकर्षित करता है।पिथौरागढ़ में कई दर्शनीय स्थल हैं जहां पर्यटक घूमने की योजना बना सकते हैं जैसे चंडाक, थल केदार, गंगोलीहाट (77 किमी) जो अपने काली मंदिर के लिए प्रसिद्ध है, पाताल भुवनेश्वर (99 किमी), बेरीनाग (चौकोरी का चाय बागान – बेरीनाग से 11 किमी दूर) , डीडीहाट, मुनस्यारी (मिलम, रालम और नामिक ग्लेशियर के लिए ट्रेक के लिए बेस कैंप), धारचूला (कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए बेस कैंप, नारायण स्वामी आश्रम) और जौलजीबी।
पिथोरागढ़ कैसे पहुंचे?
हवाई मार्ग से पिथोरागढ़ कैसे पहुंचे?
पिथौरागढ़ का निकटतम हवाई अड्डा पंतनगर हवाई अड्डा है। यह हवाई अड्डा उत्तराखंड राज्य के नैनीताल जिले में पिथौरागढ़ से लगभग 241 किमी दूर स्थित है। आपको पिथौरागढ़ में किसी भी गंतव्य तक पहुंचने के लिए टैक्सी और बसें आसानी से मिल सकती हैं।
रेल मार्ग से पिथोरागढ़ कैसे पहुंचे?
पिथौरागढ़ का निकटतम रेलवे स्टेशन टनकपुर में स्थित है। टनकपुर रेलवे स्टेशन से पिथौरागढ़ की कुल दूरी लगभग 138 किलोमीटर है। यात्रियों को सटीक गंतव्य तक पहुंचने के लिए रेलवे स्टेशन के बाहर से बसें और टैक्सी आसानी से मिल सकती हैं।
सड़क मार्ग से पिथोरागढ़ कैसे पहुँचें?
अगर आपके मन में यह सवाल है कि सड़क मार्ग से पिथोरागढ़ कैसे पहुंचे तो गंतव्य तक पहुंचना काफी आसान है। पिथौरागढ़ पक्की सड़कों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है जो उत्तराखंड के सभी प्रमुख स्थलों को जोड़ता है। उत्तराखंड राज्य के प्रमुख स्थलों से पिथौरागढ़ के लिए टैक्सियाँ और बसें आसानी से उपलब्ध हैं। पिथौरागढ़ दिल्ली (457 किमी), नैनीताल (218 किमी) और बद्रीनाथ (329 किमी) से सड़क मार्ग द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।
उत्तरकाशी
उत्तराखंड की खूबसूरत वादियों के बीच में बसा उत्तरकाशी न सिर्फ एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है बल्कि एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थान भी है, साथ ही यहां पर कई धार्मिक स्थल मौजूद हैं , जहां पर दर्शन करने के लिए श्रध्दालु दूर-दूर से आते हैं । बताया जाता है यहां उत्तरकाशी में स्थित भगवान् शिव के रूप भगवान् विश्वनाथ का मंदिर यहां के सबसे पवित्र तीर्थ स्थलों में गिना जाता है। यह मंदिर देवो के देव महादेव को समर्पित है,माना जाता है यह धार्मिक स्थल उन लोगों के लिए सबसे अनिवार्य दर्शनीय स्थल है जो लोग चार धाम यात्रा करते हैं। यहां सैकड़ो की संख्या में शिवभक्तों का प्रवेश होता है। इसके अलावा यहां के प्राकृतिक दृश्य देखने लायक हैं। यहां के बहती भागीरथी नदी इस स्थल को खास बनाने के काम करती है।साथ ही अगर आप यहां की बर्फ़ीली चोटियों और यहां की पवित्र स्थानों की सुंदरता से रूबरू होना चाहते हैं तो आप अपने परिवार के साथ यहां पर आकर छुट्टियों में समय बिता सकते हैं। आपको यहां पर आकर एक अलग ही अनुभव का एहसास होगा।
कैसे पहुचें उत्तरकाशी?
हवाई मार्ग से कैसे पहुचें उत्तरकाशी?
उत्तरकाशी का निकटतम हवाई अड्डा जॉली ग्रांट हवाई अड्डा है। जो 160 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। जॉली ग्रांट हवाई अड्डा अपने दैनिक उड़ानों के माध्यम से लखनऊ, दिल्ली, मुम्बई से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। आप अपने शहर से फ्लाइट लेकर जॉली ग्रांट हवाई अड्डा पहुँच सकते हैं। आपको हवाई अड्डे के बाहर बस, टैक्सी, कैब आदि मिल जायेंगे जिससे आप आसानी से अपने गंतव्य तक पहुँच सकते हैं।
रेल मार्ग से कैसे पहुचें उत्तरकाशी?
उत्तरकाशी का निकतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश रेलवे स्टेशन है। जो उत्तरकाशी से 143 किलोमीटर पहले NH58 पर स्थित है । ऋषिकेश भारत के प्रमुख स्थलों के साथ रेलवे नेटवर्क के द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। ऋषिकेश के लिये ट्रेने अक्सर चलती रहती हैं। इसलिए रेलवे स्टेशन पर उतरने के बाद आपको ऋषिकेश से उत्तरकाशी के लिये बसें, टैक्सियां, कैब आदि मिल जायेंगे जो आपको उत्तरकाशी पहुँचा देंगे।
सड़क मार्ग से कैसे पहुचें उत्तरकाशी?
उत्तरकाशी उत्तराखंड के प्रमुख स्थलों के साथ मोटर गाड़ी योग्य सड़कों से जुड़ा हुआ है। देहरादून बस अड्डे से उत्तरकाशी तक नियमित बसें और टैक्सी उपलब्ध है ।देहरादून से उत्तरकाशी के लिये आपको आसानी से बस, टैक्सी, कैब आदि किराये पर मिल जायेंगे जो आपको उत्तरकाशी पहुँचा देंगे।
हर की दून घाटी
अगर आप उत्तराखंड में उत्तरकाशी घूमने जा रहें हैं तो उत्तरकाशी के पास में ही स्थित हर की दून की अदभुद प्राकृतिक स्थानो के सैर का आनंद अवश्य उठाएं। उत्तरकाशी के पास में ही स्थित या हर की दून प्रकृति प्रेमियों के लिये तथा साहसिक एडवेंचर एक्टिविटी के शौक रखने वाले लोंगो के लिये यह साथ बहुत ही अच्छा है। हर के दून की घाटी सभी ट्रैवलर्स के शौकीन लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करती है। क्योंकि यहां की खूबसूरत बर्फ़ से ढकी पहाड़ियां एक खूबसूरत रोमांच का एहसास कराती हैं। इसके साथ ही आप यहां से जौनधार ग्लेशियर तथा स्वर्गारोहिणी पहाड़ के अदभुद खूबसूरत दृश्यों का आनंद ले सकते हैं। और अगर आप घने जंगलों और पहाड़ों पर घूमकर वहां का भी आनंद लेना चाहते हैं तो आप जैसे- जैसे हर की दून से आगे बढ़ेंगे आपको खूबसूरत जंगल और पहाड़ दिखाई देंगे आप यहां पर भी घूम कर अच्छा अनुभव पा सकते हैं।
कैसे पहुचें हर की दून घाटी?
हवाई मार्ग से कैसे पहुचें हर की दून घाटी?
हवाई मार्ग से हर की दून घाटी पहुँचने के लिये निकटतम हवाई अड्डा देहरादून का जॉली ग्रांट हवाई अड्डा है। देहरादून के जॉली ग्रांट हवाई अड्डे से सांकरी की दूरी लगभग 220 किलोमीटर है।आपको हवाई अड्डे से सांकरी के लिये बस, टैक्सी या फिर कैब आसानी से मिल जायेंगे।
रेल मार्ग से कैसे पहुचें हर की दून घाटी?
रेल मार्ग से हर की दून घाटी पहुँचने के लिये यहां का निकटतम रेलवे स्टेशन देहरादून रेलवे स्टेशन है। यहां से सांकरी सड़क मार्ग की दूरी लगभग 200 किलोमीटर है। आप रेलवे स्टेशन से बस, कैब या टैक्सी लेकर आसानी से पहुँच सकते हैं।
सड़क मार्ग से कैसे पहुचें हर की दून घाटी?
हर की दून घाटी पहुँचने के लिये सबसे पहले देहरादून पहुंचना होता है। देहरादून, राज्य की राजधानी है और अच्छी तरह से सड़क, हवाई और रेल मार्ग द्वारा देश के अन्य सभी शहरों से जुड़ा है। हर की दून ट्रेक की शुरुआत सांकरी गांव से होती है। देहरादून से सांकरी की सड़क मार्ग दूरी लगभग 198 किलोमीटर है। इसके बाद लगभग 26-28 किलोमीटर का ट्रेक होता है।देहरादून प्रिंसचौक से सांकरी के लिए लोकल टैक्सी और बस की सुविधा उपलब्ध है। इसके साथ ही सरकारी रोडवेज़ की बस भी देहरादून से पुरोला या सांकरी तक उपलब्ध है।आप आसानी से बस या टैक्सी लेकर यहां पहुँच सकते हैं।
मनुस्यारी
मनुस्यारी उत्तराखंड में एक बहुत ही खूबसूरत पर्यटन स्थल है। यह हिमालय के निचले पहाड़ी क्षेत्र में गोरीगंगा नदी के तट पर बसा है।यहां से आपको बर्फ से ढके हिमालय के पहाड़ों का सुंदर शानदार दृश्य दिखाई देता है जो अपनी सुंदरता से पर्यटकों का मन मोह लेता है और यहां की ये सुंदरता बस देखते ही बनती है।ट्रेकिंग के शौकीनों के लिये यह जगह सबसे अच्छी है क्योंकि यहां पर ट्रेकिंग के लिये शानदार प्रतियोगिता भी रखी जाती है । इसलिए आप इस ट्रेकिंग प्रतियोगिता में भाग ले सकते हैं। इसके साथ ही आप यहां के हिमालय की पंचचूली चोटी से सूर्योदय और सूर्यास्त का एक बहुत ही सुंदर मनोरम दिल को खुश कर देने वाला दृश्य दिखाई देता हैं। मनुस्यारी का यही नज़ारा देखने के लिये हर पर्यटक का दिल बेकरार रहता है।
चकराता
चकराता अपने एकांत पहाड़ी के क्षेत्र के लिये जाना जाता है।यह एक उत्तराखंड में देहरादून के पास में स्थित एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। अगर आपको प्रकृति में शांति पसंद है तो आप चकराता घूमने अवश्य आयें। इसके साथ ही आप चकराता के पास में ही स्थित और कई सारे पर्यटन स्थलों को भी घूम सकते हैं जैसे- यहां पास में ही पड़ने वाले टाइगर फॉल को देखने व उसके सुंदर नज़ारों का आनंद उठाने के लिये अवश्य जाएं।
कैसे पहुचें चकराता?
हवाई मार्ग से कैसे पहुचें चकराता?
अगर आप चकराता पहुँचने के लिये हवाई मार्ग का विकल्प चुनते हैं तो नजदीकी हवाई अड्डा जॉली ग्रांट हवाई अड्डा है, जो चकराता से 113 किमी की दूरी पर स्थित है। चकराता जाने के लिए यहां से बस या टैक्सी की सेवाएं ली जा सकती हैं।
रेल मार्ग से कैसे पहुचें चकराता?
रेल मार्ग से चकराता पहुँचने के लिये चकराता से निकटतम रेलवे स्टेशन देहरादून रेलवे स्टेशन है, यहां से टैक्सी से, कैब या बस से आसानी से चकराता तक पहुंचा जा सकता है।
सड़क मार्ग से कैसे पहुचें चकराता?
देहरादून से चकराता की दूरी सड़क मार्ग से करीब 90 किमी है। इसलिए देहरादून से आप बस, टैक्सी या अन्य छोटे वाहनों से चकराता आसानी से पहुंच सकते हैं।
टाइगर फॉल चकराता
टाइगर फॉल उत्तराखंड का सबसे ऊंचा झरना है, जिसे देखने के लिए लोग सबसे ज्यादा यहां जाते हैं। बता दें, जमीन से करीबन 100 मीटर ऊंचा ये झरना, देखने में बड़ा ही खूबसूरत लगता है। अगर आप इस झरने को देखने के बारे में सोच रहे हैं, तो इसके लिए आपको 6 किमी की ट्रेकिंग करनी पड़ेगी। हालांकि इस झरने तक जाने के लिए कोई बस सुविधा भी नहीं है। लेकिन अगर आप अपने गाड़ी से हैं तो गाड़ी को धीरे चलाते हुए आप इस झरने तक पहुंच सकते हैं।इस झरने को देखने के लिए आपको कच्चे और संकरे रास्तों से जाना पड़ेगा। लेकिन अगर आप गाड़ी का सहारा न लेते हुए पैदल ट्रेकिंग करते हुए जाना चाह रहे हैं तो यही रास्ते आपकी ट्रेकिंग को और भी ज्यादा रोमांचक साथ ही बेहद खुशनुमा बना देंगे।
चमोली
उत्तराखंड के पहाड़ों में बसा एक खूबसूरत शहर है चमोली. चमोली मध्य हिमालय में स्थित पर्वतों से घिरा हुआ है। चमोली की वादियां अपने नित नए खूबसूरत दृश्यों से हमारा मन मोह लेती है.चमोली में एक तरफ धार्मिक स्थल हैं तो दूसरी तरफ हिल्स स्टेशन, झील-झरने और नदियाँ भी हैं।यहां के मखमली घास के मैदान यहाँ की खूबसूरती में और चार चाँद लगा देती हैं। गढ़वाल मंडल का यह चमोली प्राकृतिक सुंदरता से भरा हुआ हुआ है। चमोली की मुख्य नदी अलकनंदा है। यह करीब 3525 वर्ग मील में फैला है। चमोली अपने आगोश में खूबसूरती का हर आयाम रखता है। यही वजह है कि चमोली को उत्तराखंड की शान कहा जाता है।
कुछ पर्यटक यहां उत्तराखंड तीर्थ यात्रा करने के लिए आते हैं तो कुछ लोग यहां की खुबसूरती देखने व घूमने। क्योंकि यहाँ पर बर्फ के पहाड़ हैं, सुंदर वादियाँ हैं, मन मोह लेने वाले अत्यंत सुंदर झरने तो अनगिनत हैं। उत्तराखंड में वैसे तो हर जगह ही देखने लायक है लेकिन चमोली वो जगह है जहाँ पहुँचते ही वहां की सुंदरता और सुकून आपका स्वागत कर रही होती है। और आपका मन मोह लेती हैं।
कैसे पहुचें चमोली?
हवाई मार्ग से कैसे पहुचें चमोली?
चमोली में कोई हवाई अड्डा नहीं है, इसलिए चमोली का निकटतम हवाई अड्डा जॉली ग्रांट हवाई अड्डा है, देहरादून 222 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, जो केदारनाथ के सबसे नजदीक है, और यह मोटर योग्य सड़कों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है, कोई भी हवाई अड्डे से चमोली तक टैक्सी किराए पर ले सकता है।
रेल मार्ग से कैसे पहुचें चमोली?
चमोली का निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है। ऋषिकेश रेलवे स्टेशन चमोली से 202 किमी स्थित है। ऋषिकेश भारत के प्रमुख स्थलों के साथ रेलवे नेटवर्क से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। ऋषिकेश के लिए रेलगाड़ी अक्सर होती है। चामोली ऋषिकेश के साथ मोटर सड़कों से जुड़ा हुआ है। टैक्सी और बस ऋषिकेश, श्रीनगर, रुद्रप्रयाग और कई अन्य स्थलों से चमोली तक उपलब्ध हैं।
सड़क मार्ग से कैसे पहुचें चमोली?
चमोली उत्तराखंड राज्य के प्रमुख स्थलों के साथ मोटर सड़कों से जुड़ा हुआ है। ऋषिकेश और श्रीनगर के लिए बसें आईएसबीटी कश्मीरी गेट से उपलब्ध हैं ।उत्तराखंड के प्रमुख स्थलों जैसे कि ऋषिकेश, पौड़ी, उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, श्रीनगर, गोपेश्वर आदि से बसों और टैक्सी आसानी से उपलब्ध हैं। चमोली एनएच 58 में स्थित है जिससे यह आसानी से पंहुचा जा सकता है।
कौसानी
कौसानी उत्तराखंड के कुमाऊं मण्डल के बागेश्वर जिले की गरुड़ तहसील में स्थित एक हिल स्टेशन है, हिमालय की खूबसूरती के दर्शन कराता कौसानी पिंगनाथ चोटी पर बसा है। उत्तराखंड के प्रमुख पर्यटन स्थलों एवं हिल स्टेशनों में से एक है कौसानी. उत्तराखंड का यह हिल स्टेशन चीड़ और देवदार के जंगलों से ढकी एक पहाड़ी पर स्थित है। अगर आप कौसानी में अपना दिन बिताने का फैसला करते हैं, तो यह जगह आपको नंदा देवी, त्रिशूल और पंचचूली जैसे हिमालय पर्वतों के शानदार नज़ारों से रूबरू करवाएगा ।साथ ही यहां के सुंदर सूर्योदय और शांत परिदृश्य आपकी जर्नी को मनमोहक और ताज़ी ऊर्जा से भर देंगे। साथ ही यहां पर यहां के आस- पास के कुछ खूबसूरत स्थानों को भी देख व घूम सकते हैं जैसे रुद्रधारी जलप्रपात, कौसानी चाय बागान, अनासक्ति आश्रम, सोमेश्वर, पिन्नाथ, बाजीनाथ मंदिर, कौसानी तारामंडल आदि साथ यहां पर आपको करने के लिये भी कुछ साहसिक गतिविधियां मिलेंगी जैसे-चट्टान पर चढ़ना, पर्वतारोहण, ट्रैकिंग, संग्रहालयों और आश्रमों का भ्रमण और सूर्यास्त देखना आदि। अगर आप कौसानी घूमने जाना चाह रहें हैं तो आप अप्रैल-जून, सितम्बर-दिसम्बर इन महीनों में घूमने जा सकते हैं।
कैसे पहुचें कौसानी
हवाई जहाज़ से कैसे पहुचें कौसानी
कौसानी का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा पंतनगर हवाई अड्डा है। यहां पर पहुँचने के लिये आपको अपने शहर से फ्लाइट लेनी होगी। पंतनगर हवाई अड्डा पहुँचने के बाद आप यहां आप हवाई अड्डे से बाहर से कैब, टैक्सी या बस लेकर आसानी से कौसानी पहुँच सकते हैं।
रेल मार्ग से कैसे पहुचें कसौनी
उत्तराखंड का प्रसिद्द काठगोदाम रेलवे स्टेशन, कौसानी का निकटतम रेलवे स्टेशन है। यहाँ से कौसानी की दूरी लगभग 130 से 135 किलोमीटर है। काठगोदाम से कौसानी के लिए आपको बस, शेयर टैक्सी और प्राइवेट टैक्सी की सुविधा उपलब्ध हो जाती है, ताकि पर्यटकों को एक जगह से दूसरे जगह जाने में किसी परेशानी का सामना न करना पड़े। काठगोदाम से कौसानी जाने के लिए आप अपने बजट या अपने के सुविधा के अनुसार बस, शेयर टैक्सी या प्राइवेट टैक्सी तीनों में से किसी भी एक साधन का उपयोग कर सकते हैं।
सड़क मार्ग से कैसे पहुचें कसौनी
उत्तराखंड रोडवेज की अच्छी व्यवस्था कौसानी को उत्तराखंड के प्रमुख स्थानों से जोड़ती है। रानीखेत, अल्मोड़ा और हल्द्वानी से बसें चलती हैं। कई निजी ऑपरेटर नई दिल्ली से कौसानी के लिए बसें चलाते हैं। ऐसे में आप आराम से कौसानी पहुँच सकते हैं।
हरसिल
हरसिल उत्तराखंड के प्रमुख पर्यटन स्थलों में एक है। समुद्र तल से 2620 मीटर की ऊंचाई पर स्थित, हरसिल यहां आने वाले पर्यटकों को एक शांत और मनोरम परिदृश्य प्रदान करता है। यह भागीरथी नदी के तट पर स्थित है। शहरी जीवन की भागदौड़ से और प्रदूषण से दूर रहने की चाहत रखने वाले लोगों के लिए हरसिल उत्तराखंड में घूमने के लिए एक आदर्श स्थान है। आप यहां हरसिल में यहां की कई आस पास की जगहों को भी देख व घूम सकते हैं जैसे -धराली, केदार ताल, गंगोत्री ग्लेशियर, दयारा बुग्याल, डोडीताल झील आदि घूम सकते हैं और यहां पर आप कुछ साहसिक गतिविधियाँ भी कर सकते हैं।जैसे अगर आप ट्रैकिंग के शौकीन हैं तो आप यहां पर ट्रैकिंग कर सकते हैं।वहीं अगर आपको मंदिरों के दर्शन करना व उन्हें देखना पसंद है तो आप दर्शनीय स्थल घूम सकते हैं, लेकिन वहीं अगर आप फोटोग्राफी के शौकीन हैं तो यह जगह आपके लिये एकदम परफेक्ट है आप यहां अपने इंस्ट्राग्राम के लिये प्रकृति की उन खूबसूरत तस्वीरों को अपने कैमरे में कैद कर सकते हैं। अगर आप हरसिल घूमने जाना चाह रहें हैं तो आप यहां पर अप्रैल से अक्टूबर के बीच घूमने जा सकते हैं।
कैसे पहुचें हरसिल
हवाई जहाज़ से कैसे पहुचें हरसिल
हरसिल पहुँचने के लिये वहां का निकटतम हवाई अड्डा है जॉली ग्रांट हवाई अड्डा, देहरादून 232 किमी की दूरी पर है। ऐसे में आप अपने शहर से फ्लाइट लेकर जॉली ग्रांट हवाई अड्डा, देहरादून पहुँच सकते हैं उसके हवाई अड्डे के बाहर से आप कैब या बस लेकर आप हरसिल पहुँच सकते हैं।
रेल मार्ग से कैसे पहुचें हरसिल
ट्रेन से आप ऋषिकेश रेलवे स्टेशन जाकर लोकल बस या टैक्सी से भी हर्षिल जा सकते हैं। आप फ़रवरी में घूमने का एक अलग ही मज़ा है।
सड़क मार्ग से
यह स्थान उत्तराखंड के अन्य प्रमुख पर्यटन स्थलों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। उत्तरकाशी निकटतम बस स्टेशन है। पर्यटक उत्तरकाशी से हरसिल तक बस या टैक्सी से यात्रा कर सकते हैं।
उत्तराखंड किस मौसम में घूमने जाएं
उत्तराखंड घूमने जाने का सबसे अच्छा मौसम मार्च से मई तथा अक्टूबर से नवंबर के बीच माना जाता है। इस समय के दौरान यहां का मौसम सबसे अच्छा माना जाता है । इन महीनों के दौरान, यहां का मौसम सुहावना होता है और ट्रैकिंग और पैराग्लाइडिंग जैसी साहसिक गतिविधियों के लिए अच्छा होता है। वसंत (मार्च से मई) में, तापमान 10 डिग्री सेल्सियस से 25 डिग्री सेल्सियस तक होता है, साथ ही यहां के खिलते हुए फूल और हरे-भरे परिदृश्य क्षेत्र की प्राकृतिक सुंदरता को और बढ़ाते हैं, जो ऋषिकेश में राफ्टिंग और जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में वन्यजीवों को देखने के लिए एकदम सही है।
उत्तराखंड में क्या- क्या खायें
अगर आप उत्तराखंड घूमने जा रहे हैं, तो आप यहां पर आप यहां की फेमस तथा ट्रेडिशनल खाने को ही खायें, क्योंकि ये खाने आपको उत्तराखंड के अलावा और कहीं नहीं मिलेंगे । जैसे आप यहां पर कुमाउनी रायता, मंडवे की रोटी, भांग की चटनी, डुबुक, झंगोरा की खीर, आलू गुटुक, आलू का झोल जो पूरी के साथ खायी जाती है और यह यहां के स्ट्रीट फूड में भी आती है। इसके साथ ही आप कंडाली का साग, अरसा, गुलगुला, सिंगोरी, ठठवानी रास यह एक प्रकार का सूप होता है, फानू, बाड़ी, गढवाल का फनाह, काफूली, भट के डुबके यह एक प्रकार की दाल होती है जो चावल के साथ खाई जाती है।
उत्तराखंड में क्या शॉपिंग करें
उत्तराखंड में शॉपिंग के लिये बहुत सी वस्तुयें हैं जिन्हें आप आसानी से रिजनेबल रेट में खरीद सकते हैं। यहां पर आप हाथ से बने स्वेटर, हिमालायं बैग्स, स्कार्फ, श्रग, आर्टिफिशियल ज्वैलरी, तिब्बत एथनिक वियर, उत्तराखंड की मशहूर दाल भट, मलमल के कपड़े, जैम, अचार, यहां के अंगूर के ताजे बने हुए शराब, ताजा शहद, तांबे के बर्तन, बांस से बनी वस्तुयें, बैग, पर्स, फर्नीचर, सुंदर बांस से बनी टोकरीयां, वाॅल हैंगिंग, शोपीस, अंगोरा और पश्मीना शॉल, लकड़ी की ज्वैलरी बॉक्स, लकड़ी की जानवरों की मूर्तियाँ, गर्म कपड़े, आदि बहुत सी वस्तुओं की खरीददारी कर सकते हैं।
उत्तराखंड घूमने जाएं तो क्या- क्या सावधानियां रखें?
उत्तराखंड या किसी भी पहाड़ी ट्रिप पर जाने से पहले अपने पास रखें कुछ मेडिसिन
आईडी कार्ड्स रखें अपने पास
कुछ जरूरी सामान रखें अपने ट्रिप बैग में
रेनकोट ,सनग्लास ,कैमरा की एक्स्ट्रा बैटरी, दूरबीन,एक्स्ट्रा मेमोरी कार्ड , पावर बैंक, हैंड ग्लोवस कुछ कैश आदि।
ट्रिप के दौरान अपने आपको करें मानसिक व शरीरिक दोनों तरह से फिट
उतराखंड जैसे पहाड़ी इलाकों में पैदल ट्रेक के दौरान आपके पैरों मे दर्द ना हो और आप आसानी से ट्रेक कर लो,तो इसके लिए आपको इस ट्रिप से कम से कम 20 दिन पहले से आपको पांच या सात किमी चलने की आदत डालनी होगी। ताकि हमारा शरीर पहाड़ों पर कभी भी पैदल चलने के लिए आसानी से तैयार हो सके। लेकिन वहीं अगर आप ज्यादा खतरनाक ट्रेक पर जा रहे हो ,तो आप इस ट्रेक से एक महीने पहले ही लेग्स एवं बैक के कुछ हैवी वर्कआउट शुरू कर दें।
ट्रिप के दौरान अपने साथ रखें कुछ छोटे एक्स्ट्रा बैग
ट्रिप पर डायमॉक्स टेबलेट रखें अपने पास
ट्रिप के दौरान अपने पास रखें कपूर और लौंग
ट्रिप पर कभी भी एकदम नये शूज़ का प्रयोग न करें
पहाड़ी ट्रिप के दौरान हिल्स न करें कैरी
पहाड़ी इलाकों में गाड़ी चलायें धीरे
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
उत्तराखंड में पर्यटकों के लिए कुछ बेहतरीन चीजें क्या हैं?
उत्तराखंड पर्यटकों की रुचि के अनुसार विभिन्न गतिविधियों की पेशकश करता है। हरिद्वार में गंगा आरती, ऋषिकेश में बंजी जंपिंग और रिवर राफ्टिंग, जिम कॉर्बेट में जंगल सफारी, नैनीताल में नौका विहार, औली में स्कीइंग और गुफा उद्यानों की खोज उत्तराखंड में आनंद लेने के कुछ अनुभव हैं।
उत्तराखंड में क्या खाना चाहिए?
उत्तराखंड के व्यंजन दो अलग-अलग क्षेत्रों में विभाजित हैं - कुमाऊं और गढ़वाल। रबड़ी (झोंगोरा श्यामा का चावल, छाछ और मूली के पत्तों से बनी), खादी या झवई (दही या छाछ से बनी) और अरसा (चावल और गुड़ से बनी) को नहीं छोड़ना चाहिए। इसके अलावा, पालक और मेथी के पत्तों से तैयार उत्तराखंड के प्रसिद्ध भोजन काफुली को भी आजमाएं। आलू के गुटके आलू और मसालों से बना एक और व्यंजन है और पूरियों के साथ खाया जाता है। भांग की चटनी उत्तराखंड के व्यंजनों का एक हिस्सा है।
उत्तराखंड में कितने धाम हैं और क्या यात्रा के लिए पंजीकरण अनिवार्य है?
उत्तराखंड का चार धाम या छोटा चार धाम (छोटे चार निवास) भारत के सबसे महत्वपूर्ण हिंदू तीर्थों में से एक है। बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री मिलकर चार धाम बनाते हैं। ऐसा माना जाता है कि यह सभी पापों को धो देता है और जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति सुनिश्चित करता है। 2014 में चार धाम पंजीकरण अनिवार्य कर दिया गया था। बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री मंदिरों या हेमकुंड साहिब जाने के लिए यह एक अनिवार्य दस्तावेज है। सभी पंजीकृत भक्तों को बायोमेट्रिक कार्ड जारी किए जाते हैं जो तीर्थयात्रियों को विशेष सुविधाओं का लाभ उठाने की अनुमति देते हैं। पंजीकरण के लिए उत्तराखंड चार धाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड (यूसीडीडीएमबी) की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं।
उत्तराखंड की सबसे खूबसूरत जगह कौन सी है?
यहां घूमने के लिए कुछ खूबसूरत जगहें हैं, जैसे पहाड़ों की रानी के नाम से मशहूर मसूरी, स्कीइंग स्थल औली, और अपनी खूबसूरत नैनी झील और मंत्रमुग्ध कर देने वाले सूर्यास्त के दृश्यों के लिए नैनीताल।
उत्तराखंड में घूमने के लिये कौन सी जगह सबसे बेहतर है, औली या नैनीताल?
औली स्कीइंग गंतव्य है, और यदि कोई एक साहसिक यात्रा करना चाहता है, तो उसे सर्दियों में औली में करने के लिए बहुत सी रोमांचक चीजें मिल सकती हैं। यदि मन में एक शांत छुट्टी का मन है, तो कोई व्यक्ति नैनीताल में नैनी झील के किनारे एक अद्भुत समय बिता सकता है।
क्या उत्तराखंड में बर्फ है?
जी हां, उत्तराखंड में सर्दियों के दौरान कई जगहों पर बर्फबारी होती है।इस राज्य में बर्फ का आनंद लेने के लिए यह कुछ स्थान औली, धनोल्टी और चकराता हैं।