हर साल माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन सम्पूर्ण भारतवर्ष में सरस्वती देवी की विधि–विधान से पूजा की जाती है। सरस्वती पूजा, श्री पंचमी और बसंत पंचमी जैसे नामों से भी यह पर्व प्रसिद्ध है।
बसन्त पंचमी के त्योहार वाले शुभ दिन से ही बसंत ऋतु की शुरुआत होती है। शांत, ठंडी, मंद वायु, कटु शीत का स्थान ले लेती है तथा सब को नवप्राण व उत्साह से स्पर्श करती है। शुक्ल पक्ष के पांचवें दिन को बसन्त पंचमी तथा ऋतु कहा जाता है। अंग्रेजी कलेंडर के अनुसार यह पर्व जनवरी–फरवरी तथा हिन्दू तिथि के अनुसार माघ के महीने में मनाया जाता है।

माघ मास की पंचमी के दिन ज्ञान की देवी की सरस्वती की पूजा की जाती है। बसंत के दिन देवी की पूजा करना विशेष फलदायी माना गया है। तो चलिए जानें कि देवी सरस्वती की विधिवत पूजा कैसे करें
मां शारदे की पूजा कैसे करनी चाहिए, आज इस लेख में आपको संपू्र्ण पूजा विधि के बारे में बता रहे हैं। बसंत पंचमी के दिन पर इस विधि से पूजा करने से आपकी सारी ही मनोकामनाएं पूर्ण हो जाएंगी।
बसंत पंचमी (सरस्वती पूजन) की विधि

आइए अब सरस्वती पूजन की सम्पूर्ण विधि के बारे में जानते हैं। सरस्वती पूजन के शुभ मुहूर्त में पूरे विधि विधान से देवी सरस्वती की पूजा करने पर शुभ फल प्राप्त होता है
बसंत पंचमी के दिन सुबह सुबह उठकर गंगा स्नान या घर पर ही स्नान करके पीले पीले रंग का वस्त्र धारण करना अत्यंत शुभ होता है। स्नान करने के बाद सरस्वती पूजन का संकल्प लें और मां की मूर्ति की स्थापना करें। मूर्ति स्थापित करने के बाद देवी मां को पीले वस्त्र पहनाएं और पीले फूलों से श्रृंगार करें और सफेद चंदन, अक्षत और पीले रंग की रोली चढ़ाएं। देवी सरस्वती को पीले रंग के फूलों या गेंदे के फूल से बना हार चढ़ाएं। अब देवी सरस्वती को पीले रंग की मिठाइयों का भोग चढ़ाएं और विधिवत उनकी पूजा करें। और याद रहे कि सबसे पेहले गणेश जी की पूजा जरूर करें उनके बाद देवी सरस्वती की पूजा करें और उनके बाद अन्य देवताओं की भी पूजा करें। पूजन के अंत में ॐ श्री सरस्वतयै नमः के साथ हवन में आहुति दें और हवन पूर्ण हो जाने के बाद प्रसाद ग्रहण और वितरण करें।
आरती श्री सरस्वती जी
जय सरस्वती माता, मैया जय सरस्वती माता।
सदगुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥
जय सरस्वती माता॥
चन्द्रवदनि पद्मासिनि, द्युति मंगलकारी।
सोहे शुभ हंस सवारी, अतुल तेजधारी॥
जय सरस्वती माता॥
बाएं कर में वीणा, दाएं कर माला।
शीश मुकुट मणि सोहे, गल मोतियन माला॥
जय सरस्वती माता॥
देवी शरण जो आए, उनका उद्धार किया।
पैठी मंथरा दासी, रावण संहार किया॥
जय सरस्वती माता॥
विद्या ज्ञान प्रदायिनि, ज्ञान प्रकाश भरो।
मोह अज्ञान और तिमिर का, जग से नाश करो॥
जय सरस्वती माता॥
धूप दीप फल मेवा, माँ स्वीकार करो।
ज्ञानचक्षु दे माता, जग निस्तार करो॥
जय सरस्वती माता॥
माँ सरस्वती की आरती, जो कोई जन गावे।
हितकारी सुखकारी ज्ञान भक्ति पावे॥
जय सरस्वती माता॥
जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता।
सदगुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥
जय सरस्वती माता॥





