पूर्व मुखी घर का वास्तु प्लान: पूरब मुखी घर के लिए वास्तु टिप्स और उपाय

क्या पूर्व मुखी घर या संपत्ति वास्तु शास्त्र के अनुसार शुभ होती है? इस आर्टिकल में विस्तार से जानकारी दी गई है।

भारत में घर खरीदना एक लंबी और थकाऊ प्रक्रिया है, जिसमें वास्तु शास्त्र की भी अहम भूमिका है. हालांकि वास्तु शास्त्र के जानकार मानते हैं कि सभी दिशाएं अच्छी होती हैं और इस मामले में काफी भ्रम हैं. उदाहरण के तौर पर, दक्षिण और पश्चिम की ओर जो संपत्ति होती है, वह मालिकों के लिए कम शुभ मानी जाती है जबकि पूर्व की ओर जिस प्रॉपर्टी का मुंह होता है, वह उसमें रहने वालों के लिए भाग्यशाली होती है. कई बार लोग वास्तु शास्त्र के अनुकूल घर के लिए ज्यादा पैसे देने के लिए भी तैयार रहते हैं. लेकिन क्या यह इस लायक है? चलिए जानते हैं.

Table of Contents

 

पूर्व मुखी घर क्या है?

अगर आप घर के अंदर हैं, तो प्रवेश द्वार के सामने, घर से बाहर निकलते समय आपका मुख इसी दिशा में होता है। अगर घर से बाहर निकलते समय आपका मुख पूर्व दिशा की ओर होता है तो आपका घर पूर्व मुखी है।

वास्तु शास्त्र के अनुसार, पूर्व मुखी घर या अपार्टमेंट बहुत अच्छा माना जाता है। अगर इसे वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें, तो सूरज पूर्व में उगता है, जिससे पूर्व मुखी घर में रहने वालों को सुबह की सूर्य की किरणें मिलती हैं। सुबह-सुबह सूरज की किरणें स्वास्थ्य के लिए अच्छी होती हैं। यह दिशा सबसे ज्यादा सकारात्मक ऊर्जा आकर्षित है।

 

वास्तु के अनुसार पूर्व मुखी घर के लाभ

सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह

वास्तु के अनुसार पूर्व मुखी घर के अंदर प्राकृतिक रोशनी अच्छी आती है जिसके कारण घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बना रहता है। इसलिए भी पूर्व मुखी घर अच्छे मानें जाते हैं।

स्वास्थ्य बेहतर रहना

अच्छे स्वास्थ्य और शरीर दोनों का बेहतर रहना बेहद आवश्यक होता है। यह संभव होता है प्राकृतिक हवा और एक अच्छी धूप से. शरीर के अच्छी तरह से कार्य करने के लिये धूप की अधिक आवश्यकता होती है और पूर्व मुखी घर में अच्छी प्राकृतिक हवा और धूप दोनों आते हैं जिससे हमारा स्वास्थ्य बेहतर रहता है और हमें आरोग्यता प्राप्त होती है।

पूर्व मुखी घरों में खुशी का माहौल

वास्तु के अनुसार पूर्व मुखी घर , घर में सकरात्मक ऊर्जा का प्रवाह और घर में शांति लाता है। इससे घर में खुशहाली, सुख- समृद्धि और संतुष्टि की भावना जाग्रत होती है।

 

पूर्व मुखी घर का वास्तु योजना

अगर आप पूर्व मुखी घर बनाने की योजना बना रहे हैं, तो यह जरूरी है कि आप वास्तु के अनुसार घर की योजना बनाएं, ताकि घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहे। आप किसी आर्किटेक्ट से भी सलाह ले सकते हैं, जो आपकी जरूरतों के अनुसार एक विशेष पूर्व मुखी वास्तु योजना तैयार कर सकते हैं। यहां संक्षेप में बताया गया है कि पूर्व मुखी घर की योजना कैसी होनी चाहिए –

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ऊपर बताया गया हाउस प्लान पूर्व की ओर मुंह वाले घरों का है. यह उत्तर से दक्षिण तक नौ पाड़ा में विभाजित है.

आइए आपको कुछ फैक्ट्स बताते हैं, जो आपको निर्माण कराते वक्त ध्यान में रखने चाहिए.

  • अगर पूर्व मुखी घर है तो पांचवां पाड़ा में मेन डोर लगाएं. इससे सम्मान, शोहरत और रुतबा बढ़ेगा. अगर पांचवां पाड़ा छोटा है तो आप तीसरे, चौथे, छठे और सातवें पाड़ा का भी इस्तेमाल कर सकते हैं.
  • पहला, दूसरा, आठवां और नौवें पाड़ा का इस्तेमाल मेन डोर लगाने के लिए न करें.
  • वास्तु में पूरब मुखी घर के मुख्य प्रवेश द्वार के लिए आठवां और नौवां पाड़ा वर्जित है क्योंकि यहाँ से बीमारी घर में प्रवेश कर सकती है। यदि मुख्य द्वार है तो वास्तु उपायों का पालन करना चाहिए।
  • अगर आप पहले पाड़ा में दरवाजा लगा रहे हैं तो पूर्वोत्तर की दीवार से कम से कम छह इंच की जगह छोड़ दें।

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गृह पद क्या दर्शाता है?

वास्तु शास्त्र के अनुसार, वास्तु पुरुष मंडल का इस्तेमाल करके 81 छोटे वर्ग (9X9=81) बनाने के लिए साइट को अलग-अलग भागों में बांटा जा सकता है। प्रत्येक भाग/चरण एक ऊर्जा क्षेत्र है जिसे पाड़ा कहा जाता है। कुल मिलाकर 9 पाड़ा होते हैं। पाड़ा 1 और 2 का इस्तेमाल मना है, क्योंकि यह फायदेमंद नहीं हो सकता है। फिर भी अगर कोई और विकल्प न हो तो उत्तर-पूर्व दिशा में दीवार से कम से कम छह इंच की जगह छोड़ दें। उत्तर-पश्चिम पाड़ा पहला है जबकि दक्षिण-पश्चिम पाड़ा नौवां है।

पूर्व मुखी घर में मुख्य प्रवेश द्वार के लिए पांचवां पाड़ा सबसे भाग्यशाली स्थान माना जाता है।

 

पूर्व मुखी घर का वास्तु कैसे तय करें?

पूर्व मुखी घर के लिए वास्तु को समझते समय यह समझना जरूरी है कि पूर्व मुखी घर का क्या मतलब है और पूर्व मुखी फ्लैट की सही पहचान कैसे करें। हालाँकि, कई लोग यह मानने की सामान्य गलती करते हैं कि जिस घर का मुख उगते सूरज की ओर होता है, वह घर पूर्व मुखी होता है। इसे समझने के लिए ये पता होना चाहिए कि पृथ्वी के ऐक्सिस की धुरी 23.5 डिग्री झुकी होती है और उगते सूरज की दिशा साल भर में बदल जाती है। मलतब जैसे ही पृथ्वी सूर्य की एक परिक्रमा पूरी करती है, सीजन बदल जाते होते हैं। सूर्य वर्ष में दो बार, 20 मार्च या 21 मार्च और 22 सितम्बर या 23 सितम्बर को ठीक पूर्व दिशा में उगता है। वास्तु के अनुसार, पूर्व मुखी घर की दिशा तय करने के लिए एक ऐसे कंपास का इस्तेमाल करें जो उत्तर दिशा को सटीक रूप से दर्शाए। पूर्व दिशा निर्धारित करने के लिए कम्पास का इस्तेमाल एक विश्वसनीय तरीका है। अब घर के मुख्य द्वार से बाहर निकलें। अगर आपका मुख पूर्व दिशा की ओर है, तो आपके पास एक पूर्व मुखी दरवाजा है, यानी कि यह पूर्व मुखी घर है।

क्या पूर्व मुखी घर अच्छा होता है? 

अक्सर यह माना जाता है कि ऐसे घर, जो पूर्व दिशा में ज्यादा खुले और विशाल होते हैं, वहां अधिक भाग्य और समृद्धि का वास होता है। ऐसे घर जो पूर्व दिशा में अन्य दिशाओं की तुलना में चौड़े और निचले स्तर पर होते हैं, उन्हें सबसे शुभ भी माना जाता है। कुछ लोगों का यह भी विश्वास है कि पूर्वमुखी घर होने पर सोना या धन संपदा प्राप्त करने में मदद मिलती है। हालांकि, यह दिशा हर किसी के लिए अनुकूल नहीं हो सकती है और इसलिए इसे सभी के लिए सिफारिश नहीं की जाती।

वास्तु विशेषज्ञों के अनुसार, केवल किसी संपत्ति की दिशा के आधार पर उसका वास्तु तय नहीं किया जा सकता है। घर के विभिन्न कमरों जैसे लिविंग रूम, बेडरूम, रसोई, शौचालय और पूजा कक्ष की स्थिति भी महत्वपूर्ण होती है। वास्तु के अनुसार, इन कमरों का सही स्थान तय करने से ही घर की समृद्धि सुनिश्चित होती है।

वास्तु शास्त्र के नियमों के अनुसार, आमतौर पर पूर्वमुखी संपत्तियां, भवनों और बहुमंजिला अपार्टमेंट्स के लिए शुभ मानी जाती हैं। लेकिन स्वतंत्र घरों और बंगलों के लिए यह दिशा सबसे अच्छी नहीं मानी जाती। साथ ही, पूर्व मुखी संपत्ति के लिए वास्तु नियम, दिशा-निर्देश और सिद्धांतों का पालन करना आवश्यक है।

 

क्या पूर्व मुखी घर अच्छा होता है?

आमतौर पर, पूर्व दिशा की ओर मुख वाला घर शुभ माना जाता है। लेकिन वास्तु विशेषज्ञों के अनुसार, केवल दिशा के आधार पर पूरे घर का वास्तु तय नहीं किया जा सकता। घर के विभिन्न कमरों जैसे कि लिविंग रूम, बेडरूम, रसोई, बाथरूम और पूजा कक्ष की स्थिति भी महत्वपूर्ण होती है।

वास्तु शास्त्र के अनुसार, पूर्वमुखी संपत्तियां बहुमंजिला इमारतों और अपार्टमेंट्स के लिए अच्छी मानी जाती हैं, लेकिन स्वतंत्र घरों और बंगलों के लिए यह दिशा सबसे उत्तम नहीं मानी जाती। साथ ही पूर्वमुखी संपत्तियों के लिए कुछ विशेष वास्तु नियम और सिद्धांतों का पालन करना आवश्यक होता है।

 

पूर्वमुखी घर कब अशुभ माना जाता है?

सिर्फ दिशा से कोई घर शुभ या अशुभ नहीं होता। कई कारण इसे अशुभ बना सकते हैं। जैसे मुख्य द्वार, पूजा कक्ष या रसोई का गलत स्थान घर में नकारात्मक ऊर्जा ला सकता है। इन दोषों को ठीक करना जरूरी होता है। इसके लिए वास्तु विशेषज्ञ की सलाह भी ली जा सकती है।

 

पूर्व मुखी घर से होने वाले वास्तु लाभ

  • प्राकृतिक रोशनी की प्रचुरता: पूर्व दिशा सूर्य के उगने की दिशा है, इसलिए पूर्वमुखी घरों को सुबह की भरपूर धूप मिलती है, जो शुभ और स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होती है। यह सकारात्मक ऊर्जा को आमंत्रित करती है।
  • सकारात्मक ऊर्जा: पूर्व दिशा से उगता सूर्य सकारात्मक ऊर्जा का स्रोत है। इसी कारण पूर्वमुखी घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है, जो विकास, आशावाद और समग्र सुख-शांति को बढ़ावा देती है।
  • आध्यात्मिक महत्व: कई संस्कृतियों में पूर्व दिशा को आध्यात्मिकता और ज्ञान से जोड़ा गया है, इसलिए पूर्वमुखी घर को शुभ माना जाता है, क्योंकि यह आंतरिक शांति और आध्यात्मिक गतिविधियों को बढ़ावा देता है।
  • स्वास्थ्य लाभ: पूर्वमुखी घर की सुबह की धूप शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभकारी मानी जाती है। यह शरीर में विटामिन-डी के उत्पादन में सहायक होती है और सकारात्मक दृष्टिकोण को प्रोत्साहित करती है।
  • बुद्धि और रचनात्मकता में सुधार: उगता सूर्य नई शुरुआत और नए विचारों का प्रतीक है। पूर्वमुखी घर व्यक्ति की बुद्धि और रचनात्मकता को बढ़ावा दे सकता है।
  • रिश्तों में सामंजस्य: पूर्वमुखी घर का प्रवेश द्वार परिवार में सामंजस्य और समझ बढ़ाने में मदद करता है। यह रिश्तों और संचार को मजबूत बनाता है।
  • विकासशील परिवार के लिए आदर्श: पूर्व मुखी घर विकास और ऊर्जा से जुड़े होते हैं। इसलिए यह बढ़ते परिवारों या नए परिवार शुरू करने वाले जोड़ों के लिए सबसे उपयुक्त है, क्योंकि यह छोटे सदस्यों के विकास और समग्र कल्याण को प्रोत्साहित करता है।

 

पूर्वमुखी घर में मुख्य द्वार का वास्तु

मुख्य दरवाजा बाहरी दुनिया को घर से जोड़ता है और यहीं से घर में सकारात्मक ऊर्जा प्रवेश करती है। मुख्य प्रवेश द्वार की गलत दिशा घर को अशुभ बना सकती है और परिवार पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है।

पूर्वमुखी घर में मुख्य द्वार कहां बनाना चाहिए, यह जानने के लिए सबसे पहले घर के पूर्व दिशा को उत्तर-पूर्व कोने (पहला पाद) से दक्षिण-पूर्व कोने (नवां पाद) तक 9 बराबर भागों में बांट लें। वास्तु नियमों के अनुसार, इन भागों को पाद या चरण कहा जाता है। मुख्य द्वार के लिए पांचवां पाद शुभ माना जाता है, क्योंकि यह सूर्य देव का स्थान है, जो कीर्ति और यश के देवता माने जाते हैं। यह घर के निवासियों के लिए नाम, सम्मान और प्रतिष्ठा लाता है।

वास्तु विशेषज्ञों के अनुसार, पूर्व दिशा में 8 पाद होते हैं, जो इस प्रकार है – अग्नि, जयंत, इंद्र, सूर्य, सत्य, भृश, अंतरिक्ष, और अनिल (ऊपर से नीचे की ओर)। पूर्वमुखी घर के वास्तु में, जयंत या इंद्र पाद को मुख्य द्वार के लिए सबसे शुभ स्थान माना जाता है। ऐसा विश्वास है कि यह स्थान परिवार के सदस्यों के लिए समृद्धि और खुशी आकर्षित करता है।

यदि आपका घर पूर्व दिशा की ओर मुख करके बना है तो मेन गेट को लगाते समय सावधानी बरतना चाहिए। हमेशा यह सुनिश्चित करें कि आपका मुख्य द्वार बिलकुल बीच में हो और इसे दक्षिण-पूर्व या उत्तर-पूर्व के कोने में लगाने से बचना चाहिए। वास्तु के अनुसार, इन दोनों कोनों में मुख्य द्वार लगाना अशुभ माना जाता है।

यदि आपका मुख्य द्वार उत्तर-पूर्व के कोने में है, तो ध्यान दें कि वह दीवार से बिल्कुल सटा हुआ न हो। इसके लिए मुख्य द्वार और दीवार के बीच कम से कम 6 इंच (आधा फुट) का अंतर रखें।

अगर आपके घर का मुख्य द्वार दक्षिण-पूर्व दिशा में है तो वास्तु दोष को दूर करने के लिए ये उपाय अपनाएं –

  1. तीन वास्तु पिरामिड लगाएं, एक दरवाजे के हर किनारे पर और तीसरा दरवाजे के ऊपर, बीच में।
  2. दरवाजे के दोनों तरफ ‘ओम’, ‘स्वस्तिक’ और ‘त्रिशूल’ के चिन्ह लगाएं।
  3. नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने के लिए सिद्ध शुक्र यंत्र स्थापित करें।
  4. वैकल्पिक रूप से, सिद्ध वास्तु कलश का उपयोग करें, जिससे इस कोने में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाई जा सके।

पूर्व दिशा में मुख्य द्वार और खिड़कियों के वास्तु नियम:

  • पूर्व दिशा वाले घर का मुख्य द्वार सबसे बड़ा होना चाहिए।
  • घर में पर्याप्त धूप आने के लिए पूर्व दिशा में अधिक खिड़कियां लगवाएं।

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पूर्व की ओर मुंह वाला घर क्या है?

अगर आप घर के अंदर हैं और घर के मुख्य द्वार पर खड़े हैं और घर से निकलते वक्त जिस दिशा में आपका मुख है. अगर घर से निकलते वक्त आपका मुख पूर्व की ओर है तो आपका ईस्ट-फेसिंग हाउस है.

वास्तु शास्त्र के अनुसार, पूर्व मुखी घर या अपार्टमेंट सबसे अच्छी चीजों में से एक है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो सूरज पूरब दिशा में उगता है और पूर्वमुखी घर वालों को प्रातःकाल की सूर्य की किरणें प्रदान करता है। सुबह की धूप सेहत के लिए अच्छी होती है। यह दिशा अधिकतम सकारात्मक ऊर्जा खींचती है।

 

 

पूर्व मुखी घर या फ्लैट के लिए वास्तु

वास्तु शास्त्र के दिशा-निर्देशों के अनुसार, पूरब मुखी प्रॉपर्टी इमारतों और बहुमंजिला अपार्टमेंट के लिए अच्छी मानी जाती है। हालांकि, स्वतंत्र घरों और बंगलों के लिए इस दिशा को सबसे अच्छे विकल्पों में नहीं गिना जाता है। इसके अलावा, कुछ वास्तु नियम, दिशा-निर्देश और सिद्धांत हैं जिनका पालन पूरब की ओर की संपत्ति के लिए किया जाना चाहिए।

 

पूर्व मुखी घर के लिए किचन का वास्तु

अगर घर का मुंह पूर्व की ओर है तो वास्तु के मुताबिक किचन घर के साउथ ईस्ट दिशा में होनी चाहिए. अगर ऐसा मुमकिन नहीं है तो नॉर्थ वेस्ट से भी काम चल सकता है. नॉर्थ, वेस्ट और नॉर्थ-वेस्ट दिशा से बचें. जो शख्स खाना बनाएगा, उसका मुंह दक्षिण-पूर्व की ओर रसोई में पूर्व दिशा में या पश्चिम दिशा में उत्तर-पश्चिम की ओर होना चाहिए. सकारात्मक ऊर्जा के लिए कुकिंग स्टोव, अवन और टोस्टर्स को साउथ-ईस्ट में रखें. स्टोरेज और रेफ्रिजरेटर को साउथ-वेस्ट दिशा में रखें.

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पूर्वमुखी घर का वास्तु: मास्टर बेडरूम

वास्तु के अनुसार, पूर्वमुखी घर में मास्टर बेडरूम दक्षिण-पश्चिम दिशा में होना चाहिए। यह कमरे में मौजूद अन्य कमरों से बड़ा होना जरूरी है। बेड को दक्षिण या पश्चिम दीवार के पास रखना चाहिए, ताकि सिर दक्षिण या पश्चिम दिशा में और पैर उत्तर या पूर्व दिशा में रहें। मास्टर बेडरूम में बदलने (ड्रेसिंग) का कमरा पश्चिम या उत्तर दिशा में होना चाहिए। साथ ही, बाथरूम का दरवाजा सीधे बेड की ओर नहीं होना चाहिए और उसे हमेशा बंद रखना चाहिए।

 

पूर्व मुखी घर में पूजा कक्ष का वास्तु प्लान

पूर्व दिशा की ओर मुख वाले घर के वास्तु प्लान में पूजा कक्ष को ध्यान में रखते हुए वास्तु सिद्धांतों का पालन करना जरूरी है, क्योंकि मंदिर या पूजा कक्ष एक पवित्र स्थान है, जहां भगवान की मूर्तियां स्थापित की जाती हैं।

वास्तु निर्देशों के अनुसार, पूर्व दिशा की ओर मुख वाले घर में पूजा कक्ष उत्तर-पूर्व दिशा में होना चाहिए। अगर यह स्थान उपलब्ध न हो तो वास्तु प्लान में उत्तर या पूर्व कोने को भी पूजा कक्ष के लिए उपयुक्त माना जाता है। इस बात का ध्यान रखें कि पूजा करने वाले व्यक्ति का मुख इन दिशाओं की ओर होना चाहिए। पूजा कक्ष की छत अन्य कमरों की तुलना में नीची होनी चाहिए।

साथ ही, पूजा कक्ष को बाथरूम जैसी जगहों से दूर रखना बेहतर होता है। पूजा कक्ष बाथरूम के बिल्कुल पास नहीं होना चाहिए।

पूर्व मुखी घर वास्तु: गेस्ट रूम

अधिकतर घरों में गेस्ट रूम होता है। वास्तु के अनुसार, गेस्ट रूम को घर के उत्तर-पश्चिम दिशा में होना चाहिए। उत्तर-पश्चिम दिशा वायु तत्व से जुड़ी होती है, जो ताजगी और नए अवसरों का प्रतीक है। कमरे में बिस्तर को दक्षिण-पश्चिम कोने में रखना चाहिए। वास्तु नियमों का पालन करने से मेहमानों और घर के सदस्यों के बीच अच्छी बातचीत और मजबूत संबंध बनते हैं।

पूर्व मुखी घर में स्टडी रूम का वास्तु

पूर्व की ओर मुंह वाले घर में, स्टडी रूम घर की पूर्व या पश्चिम दिशा में होना चाहिए, जबकि उत्तर दूसरी सबसे अच्छी दिशा है। हालांकि, सुनिश्चित करें कि स्टडी चेयर के ठीक पीछे दरवाजा न हो। साथ ही स्टडी टेबल के सामने एक खुला एरिया होना चाहिए। अगर आपको टेबल को दीवार के साथ लगाना है, तो ऊर्जा के संचार के लिए आप स्टडी टेबल और बगल की दीवार के बीच थोड़ा सा गैप भी छोड़ सकते हैं।

पूर्व मुखी घर में सीढ़ियों के लिए वास्तु

पूर्व मुखी घरों में साउथ-वेस्ट दिशा में मास्टर बेडरूम बनवाना चाहिए. मास्टर बेडरूम हमेशा घर के बाकी कमरों से बड़ा होना चाहिए. वास्तु के मुताबिक बेड रखने के लिए सबसे मुफीद जगह कमरे की दक्षिण या पश्चिम दिशा होती है ताकि सिर दक्षिण या पश्चिम दिशा की ओर हों और पैर उत्तर या पूर्व दिशा की ओर. मास्टर बेडरूम में चेंजिंग रूम के लिए सबसे अच्छी जगह कमरे के पश्चिम या उत्तर की ओर है. इसके अलावा बाथरूम बिल्कुल बेड के सामने नहीं होना चाहिए और बाथरूम का दरवाजा हर वक्त बंद होना चाहिए.

यह भी देखें: वास्तु के अनुसार सोने की सबसे अच्छी दिशा 

 

पूर्व मुखी घरों के लिए लिविंग रूम का वास्तु

पूर्व मुखी घरों के लिए लिविंग रूम उत्तर-पूर्व की ओर होना चाहिए क्योंकि इसे शुभ माना जाता है. इसके अलावा, सुनिश्चित करें कि उत्तर और पूर्व की ओर की दीवारें दक्षिण और पश्चिम की तुलना में थोड़ी छोटी और पतली हों. यह व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन दोनों में समृद्धि और सफलता को आकर्षित करता है.

 

पूर्व मुखी घरों के लिए डाइनिंग रूम का वास्तु

पूर्व मुखी घर में डाइनिंग रूम पूर्व, पश्चिम या दक्षिण दिशा में रसोई के क्रम में होना चाहिए. साथ ही डाइनिंग रूम का दरवाजा एंट्रेंस गेट की ओर नहीं होना चाहिए. बैठने की व्यवस्था ऐसी होनी चाहिए ताकि शख्स का मुंह पूर्व, उत्तर या पश्चिम दिशा की ओर हो. परिवार के मुखिया को पूर्व दिशा में बैठना चाहिए और परिवार के बाकी सदस्य पूर्व, उत्तर या पश्चिम दिशा की ओर मुंह करके बैठ सकते हैं.\

 

पूरब मुखी घर के लिए वास्तु प्लान पूजा रूम के साथ

पूजा रूम के साथ पूरब मुखी घर के वास्तु प्लान के लिए वास्तु सिद्धांतों को ध्यान में रखना आवश्यक है क्योंकि मंदिर एक पवित्र स्थान है जहाँ भगवान की मूर्तियाँ रखी जाती हैं।

पूजा रूम के लिए वास्तु दिशा-निर्देशों के अनुसार, पूरब मुखी घर के लिए पूजा रूम उत्तर-पूर्व दिशा में होना चाहिए। हालाँकि, यदि यह लोकेशन पूरब मुखी घर में पूजा रूम के लिए उपलब्ध नहीं है, तो वास्तु प्लान में उत्तर या पूर्व कोने का विकल्प भी मौजूद है। सुनिश्चित करें कि कमरे में प्रार्थना करने वाले व्यक्ति का मुख इन दिशाओं में हो। पूजा रूम की छत अन्य कमरों की तुलना में कम होनी चाहिए।

पूरब मुखी घर के वास्तु प्लान को बाथरूम जैसे क्षेत्रों से दूर पूजा रूम के साथ डिजाइन करना बेहतर है। पूजा रूम बाथरूम से सटा नहीं होना चाहिए।

 

पूर्व मुखी घर में स्टडी रूम का वास्तु

पूर्व की ओर मुंह वाले घर में, स्टडी रूम घर की पूर्व या पश्चिम दिशा में होना चाहिए, जबकि उत्तर दूसरी सबसे अच्छी दिशा है. हालांकि, सुनिश्चित करें कि स्टडी चेयर के ठीक पीछे दरवाजा न हो. साथ ही स्टडी टेबल के सामने एक खुला एरिया होना चाहिए. अगर आपको टेबल को दीवार के साथ लगाना है तो ऊर्जा के संचार के लिए आप स्टडी टेबल और बगल की दीवार के बीच थोड़ा सा गैप भी छोड़ सकते हैं.

 

पूर्व मुखी घर में सीढ़ियों के लिए वास्तु

वास्तु के अनुसार, पूर्वमुखी घरों में सीढ़ियां उत्तर-पूर्व कोने में नहीं बनानी चाहिए। आदर्श स्थान दक्षिण-पूर्व या उत्तर-पश्चिम कोना होता है। सीढ़ियां घर के मध्य भाग में नहीं होनी चाहिए और इन्हें हमेशा घड़ी की दिशा में घुमाव लेना चाहिए। सीढ़ियों के नीचे कोई कमरा नहीं बनाना चाहिए, इसे स्थान को स्टोरेज के लिए उपयोग किया जा सकता है।

यह भी देखें: वास्तु के अनुसार सोने की सबसे अच्छी दिशा

 

पूर्वमुखी घर का वास्तु: बाथरूम

यदि आप अपने घर को पूर्वमुखी वास्तु योजना के अनुसार बना रहे हैं, तो बाथरूम दक्षिण-पूर्व या उत्तर-पश्चिम दिशा में होना चाहिए। उत्तर-पूर्व दिशा में बाथरूम या टॉयलेट बनाने से बचें।

 

पूर्वमुखी घर वास्तु: दीवार के रंग

वास्तु के अनुसार पूर्वमुखी अपार्टमेंट की दीवारों के रंगों का चुनाव इस विचार पर आधारित होना चाहिए कि घर उज्ज्वल और स्वागत योग्य दिखे। इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि इसे पर्याप्त धूप मिले। इसके अलावा, चमक बढ़ाने के लिए, सुनिश्चित करें कि आपने दीवार के लिए सही रंग चुना है। पूर्व की ओर मुख वाले अपार्टमेंट के लिए हरा और नीला रंग बहुत ही अच्छा विकल्प हैं। शांत प्रभाव देने के अलावा,वह कमरे को अधिक आकर्षक बनाते हैं। गुलाबी रंग के शेड्स और सफेद रंग न्यूनतर थीम केलिए सही चुनाव है।

 

पूरब मुखी घर का वास्तु: कलाकृतियां रखने के लिए टिप्स

वास्तु के अनुसार, पूरब की ओर मुख वाले अपार्टमेंट में परिवार और दोस्तों के साथ संबंधों को बेहतर बनाने और प्रसिद्धि को आकर्षित करने के लिए उगते सूरज की तस्वीरों को पूरब दिशा में रखा जा सकता है। लिविंग रूम की दीवार पर पूरब दशा में पानी में दौड़ते सात घोड़ों की एक पेंटिंग लगाएं। यह धन को आकर्षित करने में मदद करता है। हरा वायु तत्व को समर्पित रंग है और यह पूरब दिशा को नियंत्रित करता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, हरे भरे पेड़ों, खेतों, जंगलों आदि की पेंटिंग विकास को दर्शाती है। इस तरह के चित्रों को पूरब की दीवार में प्रदर्शित किया जा सकता है। साथ ही परिवार में सुख शांति के लिए लाफिंग बुद्धा की मूर्ति को पूरब दिशा में रखें।

 

पूर्व मुखी घर में पानी की टंकी का वास्तु

पानी की टंकी रखने के लिए नॉर्थ या नॉर्थ ईस्ट सबसे अच्छी जगह होती है. अंडरग्राउंड वाटर टैंक के लिए आप ईस्ट-नॉर्थ-ईस्ट दिशा को भी चुन सकते हैं. ओवरहेड वाटर टैंक के लिए सर्वश्रेष्ठ दिशा साउथ-वेस्ट या वेस्ट होती है. वास्तु के मुताबिक कभी भी टैंक को बीच में ना रखें.

 

पूर्वमुखी घर में सेप्टिक टैंक का स्थान

वास्तु के अनुसार, पूर्वमुखी घर में सेप्टिक टैंक रखने के लिए उत्तर-पश्चिम दिशा सबसे उपयुक्त होती है। इस स्थान से मुख्य प्रवेश द्वार सेप्टिक टैंक से दूर रहता है, जिससे नकारात्मक ऊर्जा नहीं फैलती। दक्षिण-पश्चिम (या उत्तर-पूर्व दिशा में सेप्टिक टैंक लगाने से बचें। इसे कंपाउंड की दीवार से एक या दो फीट की दूरी पर रखें। प्लिंथ लेवल से नीचे सेप्टिक टैंक न बनाएं।

 

पूरब मुखी घर में बालकनी या खुली जगह के लिए वास्तु

पूरब मुखी घर के वास्तु के अनुसार, अक्सर पूरब दिशा में खुली जगह बची रहती है। ऐसा यह सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है कि सूरज की रोशनी बिना किसी रुकावट के घर में प्रवेश कर सके। यह नकारात्मक ऊर्जा को भी समाप्त करता है और सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ावा देता है। इस तरह से इस प्रकार की पूरब मुखी घर की वास्तु योजना घर में रहने वाले लोगों के लिए अच्छा स्वास्थ्य लाती है। पूर्वी कोने को अवरुद्ध रखने से स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं, जिसमें बच्चे के जन्म के दौरान कठिनाइयां भी शामिल हैं।

घर के पूर्वी हिस्से में पर्याप्त जगह दें। अगर पर्याप्त जगह न हो तो एक छोटी बालकनी बनाएं।

 

पूर्व मुखी घरों में इन चीजों को करने से बचें

  • नॉर्थ ईस्ट कॉर्नर में किचन न बनाएं.
  • घर के उत्तरी और पूर्वी हिस्से में कोई बड़ा पेड़ नहीं होना चाहिए.
  • उत्तर या उत्तर पूर्व कोने में कोई भी गंदगी, अव्यवस्था और डस्टबिन इत्यादि नहीं होना चाहिए.
  • नॉर्थ ईस्ट दिशा में सीढ़ियां नहीं होनी चाहिए.
  • नॉर्थ ईस्ट दिशा में गैरेज नहीं होना चाहिए।

 

पूर्व मुखी घर के लिए वास्तु: क्या करें और क्या न करें

क्या करें क्या न करें
चुंबकीय कम्पास का उपयोग करके वास्तविक पूर्व दिशा निर्धारित करें। उगते सूर्य के अनुसार पूर्व दिशा का निर्धारण करने से बचें।
पूजा कक्ष और लिविंग रूम को पूर्वोत्तर दिशा में डिजाइन करें। उत्तर-पूर्व दिशा में शयनकक्ष, सीढ़ियां, गेराज, स्नानघर और रसोईघर बनाने से बचें।
घर के पूर्वी और उत्तरी भाग में अधिक खुला स्थान छोड़ें। घर के उत्तरी और पूर्वी हिस्से में कोई बड़ा पेड़ नहीं होना चाहिए।
ऐसा प्लॉट चुनें, जिसका ढलान दक्षिण से उत्तर की ओर हो। ऐसी संपत्ति खरीदने से बचें, जो दक्षिण या पश्चिम दिशा की जमीन से जुड़ी हो।
यदि दरवाजा पूर्व दिशा में है तो लकड़ी की नेमप्लेट चुनें पूर्व दिशा को पूरी तरह से अवरुद्ध न करें।
यह सुनिश्चित करें कि उत्तर और पूर्व की दीवारें दक्षिण और पश्चिम की दीवारों की तुलना में थोड़ी छोटी और पतली हों। ऐसी संपत्ति चुनें जिसका प्लॉट उत्तर दिशा में हो, जो समृद्धि और सौभाग्य लाता है।
भूखंड के दक्षिणी और पश्चिमी भाग में चारदीवारी को ऊंचा डिजाइन करें। उत्तर-पूर्व दिशा में तीखे किनारों या कट से बचें।
इस बात का ध्यान रखें कि छत या चादरें पूर्व दिशा की ओर मुड़ी हों। बिजली के खंभे, पेड़ आदि जैसी वस्तुओं को पूर्व दिशा में मुख्य प्रवेश द्वार को अवरुद्ध नहीं करना चाहिए।
अगर घर में कोई विद्यार्थी है तो उत्तर-पूर्व क्षेत्र में क्रिस्टल ग्लोब रखें। मुख्य प्रवेश द्वार के बाहरी भाग पर फव्वारा या कोई सजावटी वस्तु न रखें।
पूर्व दिशा में बरामदा या आंगन जैसी पर्याप्त खुली जगह रखें, जिससे निवासियों को धन, स्वास्थ्य और संतान की प्राप्ति होती है। पूर्वी सामने की दीवार की ऊंचाई पश्चिमी पीछे की दीवार से अधिक न रखें। मुख्य द्वार उत्तर-पूर्व में होना चाहिए।
ऊर्जा बढ़ाने के लिए घर को सप्ताह में दो बार पहाड़ी नमक से शुद्ध करें। घर को अव्यवस्थित न रखें, विशेष रूप से प्रवेश द्वार के पास, क्योंकि मलबा और कचरा ब्रह्मांडीय अंतरिक्ष से आने वाली सकारात्मक ऊर्जा को zबाधित करता है।

 

पूर्व मुखी घर किनके लिए उपयुक्त है?

वास्तु विशेषज्ञों के अनुसार, प्रत्येक घर व्यक्तियों की तरह ही अद्वितीय होता है। हर घर हर किसी को सूट नहीं करता। पूरब मुखी घर में सूरज प्रबल वस्तु है और उन कार्यों से संबंधित है जिनमें अधिकार, शक्ति और खूबसूरती है। पूरब दिशा हवा, चपलता, रचनात्मकता, फोकस और सुरक्षा भी दर्शाती है। पूरब मुखी घर उन लोगों के लिए आदर्श हैं जो सरकारी कार्यालयों में हैं या जिनका व्यवसाय है। इसके अलावा, पूरब मुखी घर रचनात्मक पेशेवरों जैसे कलाकारों, संगीतकारों और डांसर्स के लिए अच्छे हैं।

यह जानना कि क्या वास्तु में घर का पूर्वमुखी प्रवेश करना किसी व्यक्ति के लिए उपयुक्त है, इसके साथ ही ज्योतिषीय चार्ट की जांच करना भी आवश्यक है। ऐसे परिवार में रहते हुए जहां कई सदस्य अपने यूनिक ज्योतिषीय चार्ट के साथ हैं, परिवार के मुखिया के ज्योतिषीय चार्ट पर विचार करना चाहिए। इसी तरह, एक कमर्शियल संपत्ति के लिए, संपत्ति के मालिक के ज्योतिषीय चार्ट को ध्यान में रखना चाहिए।

कुछ सूर्य राशियों के लोगों को वास्तु के अनुसार पूर्वमुखी प्रॉपर्टी या संपत्ति काफी अनुकूल रहती है जैसे की :

  • मेष (मेष)
  • 0सिंह (सिम्हा)
  • धनु (धनुष)

पूर्वमुखी घर के लिए कौन सी राशि उपयुक्त है?

तुला राशि के व्यक्तियों के लिए पूर्वमुखी घर अनुकूल माने जाते हैं।

यह भी देखें: दीवार घड़ी के लिए वास्तु टिप्स

 

पूर्व मुखी घरों के लिए आम वास्तु दोष

  • अगर आपको शोहरत पाने या फिर स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं आ रही हैं या परिवारिक मन-मुटाव है तो पूर्व दिशा में कोई नकारात्मक ऊर्जा हो सकती है. यह पूर्व दिशा में सीढ़ियों, बाथरूम या रसोई की मौजूदगी के कारण हो सकता है.
  • एक अन्य सामान्य वास्तु दोष है पूर्व की ओर और बाहर की ओर खुलने वाले दरवाजे. साथ ही, वास्तु के अनुसार, दरवाजों की कुल संख्या ऑड नहीं होनी चाहिए और गिनती शून्य के साथ खत्म नहीं होनी चाहिए.
  • पूर्व दिशा में बहुत ज्यादा अव्यवस्था नहीं होनी चाहिए. घर के मालिकों को पूर्व मुखी घरों को हवादार रखना चाहिए.

पूर्व मुखी घरों के लिए सामान्य वास्तु दोष

  • यदि आपको पहचान या प्रसिद्धि पाने में परेशानी हो रही है, स्वास्थ्य समस्याएं आ रही हैं, या पारिवारिक रिश्तों में तनाव है, तो इसका कारण पूर्व दिशा में नकारात्मक ऊर्जा हो सकती है। यह पूर्व दिशा में सीढ़ियां, बाथरूम, या रसोई होने के कारण भी हो सकता है।
    • पूर्व दिशा में रसोई होने पर दीवारों को पीले या नारंगी रंग से रंगें। हरा या भूरा रंग का स्लैब चुनें।
    • अगर पूर्व में बाथरूम है तो शौचालय के चारों ओर नीली पट्टी लगाएं।
    •  पूर्व दिशा में सीढ़ियां होने पर लकड़ी का रेलिंग चुनें।
  • एक और सामान्य वास्तु दोष ये है कि जब दरवाजे पूर्व की दिशा में खुलते हैं और बाहर की ओर मुड़ते हैं। वास्तु के अनुसार, दरवाजों की कुल संख्या विषम नहीं होनी चाहिए और वह शून्य पर समाप्त नहीं होनी चाहिए।
  • पूर्व दिशा में अधिक अव्यवस्था भी नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करती है। घर मालिकों को पूर्वमुखी घरों को हवादार और संपूर्ण रूप से वेंटिलेटेड रखना चाहिए।

 

पूर्वमुखी घर के लिए पौधे

नीचे कुछ पौधों के बारे में हम आपको बता रहे हैं जो पूर्व की ओर मुख वाले घरों में अच्छी तरह से विकसित हो सकते हैं:

  • तुलसी का पौधा
  • लकी बैंबू
  • मनी प्लांट
  • नीम का पौधा
  • केले का पौधा
  • गुलदाउदी
  • बेर के फूल
  • सिट्रस प्लांट
  • डैफ़ोडिल
  • कमल
  • एलोवेरा

 

पूर्वमुखी घर का वास्तु कैसे निर्धारित करें?

पूर्व मुखी घर के वास्तु को समझने के लिए, यह आवश्यक है कि आप पूर्व मुखी का अर्थ समझें और पूर्व मुखी फ्लैट की सही पहचान करें। हालांकि, बहुत से लोग यह मानने की सामान्य गलती करते हैं कि जिस घर का मुख उगते सूरज की ओर है वह पूर्वमुखी घर है। इसे समझने के लिए, सबको यह पता होना चाहिए कि पृथ्वी की घूर्णन की धुरी 23.5 डिग्री झुकी हुई है और उगते सूरज की दिशा एक वर्ष में, एक निश्चित अवधि में बदल जाती है। अर्थात्, जैसे-जैसे पृथ्वी सूर्य के चारों ओर एक चक्कर पूरा करती है, वैसे-वैसे ऋतु परिवर्तन होते हैं। सूर्य ठीक पूर्व दिशा में वर्ष में दो बार 20 मार्च या 21 मार्च और 22 सितंबर या 23 सितंबर को उगता है। वास्तु के अनुसार पूर्व मुखी घर की दिशा निर्धारित करने के लिए, एक कंपास का उपयोग करें जो उत्तर दिशा को सटीक रूप से पॉइंट करता है। अब मुख्य द्वार से घर से बाहर निकलें। यदि आप जिस दिशा की ओर मुख कर रहे हैं वह पूर्व की ओर है, तो आपके पास पूर्व की ओर मुख वाला दरवाज़ा है, जिसका अर्थ है कि यह पूर्व की ओर मुख वाला घर है।

 

पूर्व मुखी घर बनाने के लिए टिप्स

पूरब मुखी घर के प्लान पर विचार करते समय घर बनाने से पहले पूरब दिशा में पर्याप्त खुली जगह रखें। इससे यह सुनिश्चित होगा कि निवासियों को धन और संतान सुख प्राप्त हो।

मुख्य द्वार पूर्वोत्तर दिशा में होना चाहिए लेकिन पूर्वी परिसर में सामने की दीवार की ऊंचाई प्रॉपर्टी की पश्चिम की पिछली परिसर की दीवार से कम होनी चाहिए।

प्लानिंग के चरण में, पूर्वी भाग में एक बरामदा या आँगन होना चाहिए क्योंकि यह घर के निवासियों के लिए समृद्धि और अच्छा स्वास्थ्य सुनिश्चित करता है।

निर्माण के चरण में भी सामने के हिस्से में कोई अव्यवस्था से बचें। मलबा या कचरा ब्रह्मांडीय अंतरिक्ष से मुख्य द्वार की ओर आने वाली सकारात्मक ऊर्जा को बाधित करता है।

 

पूर्वमुखी घरों के लिए वास्तु उपाय

  • वास्तु दोषों के नकारात्मक प्रभावों को खत्म करने और सकारात्मकता को आमंत्रित करने के लिए प्रवेश द्वार के नीचे एक दरवाजा पिरामिड या उत्तर-पूर्व दिशा में एक वास्तु कलश रखें।
  • यदि पूर्व मुखी घर बंगला या स्वतंत्र घर है तो पर्याप्त खुली जगह रखें।
  • स्थान को साफ और शुद्ध करने के लिए सप्ताह में दो बार पहाड़ी नमक का प्रयोग करें।
  • मानसिक शांति के लिए मंदिर को उत्तर-पूर्व दिशा में स्थापित करें।
  • यदि पूर्व मुखी घर में पूर्व क्षेत्र में पर्याप्त स्थान नहीं है या पश्चिम की ओर ढलान है, तो पूर्व की दीवार पर सूर्य यंत्र के साथ तांबे का सूर्य स्थापित करें।
  • पूर्व दिशा में बढ़ा हुआ कोना उत्तर-पूर्व में कट का कारण बन सकता है, जिसे अशुभ माना जाता है। इस वास्तु दोष को दूर करने के लिए वास्तु पेंटिंग स्थापित करें।
  • घर को शुद्ध करने के लिए घर के विभिन्न कोनों में सेंधा नमक की कटोरी रखें।
  • यदि कोई विद्यार्थी पूर्वमुखी घर में रहता है, तो सौभाग्य और सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाने के लिए उत्तर-पूर्व दिशा में क्रिस्टल ग्लोब रखें।

विभिन्न प्लॉट साइज के लिए पूर्व मुखी घर का वास्तु

30 X 40 पूर्व दिशा में स्थित घर का वास्तु योजना: 30 X 40 आकार का प्लॉट प्रॉपर्टी खरीदने वालों द्वारा बहुत पसंद किया जाता है। यह वास्तु योजना सुविधाजनक मानी जाती है क्योंकि यह संकुचित होते हुए भी पर्याप्त रहने की जगह प्रदान करती है। इस बात का ध्यान रखें कि घर का मेन गेट रहने की जगह और निजी स्थानों को सही वास्तु दिशाओं के अनुसार संरेखित किया गया हो।

30 X 60 पूर्व दिशा में स्थित घर का वास्तु योजना: यह उन लोगों के लिए आदर्श आकार है, जो पतले और लंबे प्लॉट को पसंद करते हैं। 30 X 60 पूर्व दिशा में स्थित घर के वास्तु योजना में विस्तारित लेआउट शामिल है, जो सामने के यार्ड या बगीचे के लिए पर्याप्त जगह देता है। इस प्लॉट पर घर डिजाइन करते समय विशेष रूप से मुख्य प्रवेश द्वार, रसोई और मास्टर बेडरूम के वास्तु सिद्धांतों का पालन करना चाहिए।

40 X 60 पूर्व दिशा में स्थित घर का वास्तु योजना: यदि आप एक विशाल घर बनाने की योजना बना रहे हैं तो 40 X 60 आकार का प्लॉट पूर्व दिशा में स्थित घर के लिए आदर्श है। इस बात का ध्यान रखें कि घर की संरचना वास्तु अनुरूप हो, ताकि आप शांति, संपत्ति और अच्छे स्वास्थ्य को आमंत्रित कर सकें।

 

पूर्व मुखी घर के लिए वास्तु सजावट के आसान उपाय

  • पूर्व दिशा सूर्योदय की दिशा होती है, इसलिए पूर्व दीवार पर उगते सूरज की तस्वीर लगाना शुभ होता है।
  • वृद्धि और तरक्की के लिए घर में पौधा या पौधे की पेंटिंग लगाएं।
  • सही रंगों का इस्तेमाल करें ताकि घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहे और वास्तु संतुलन बना रहे। हल्के रंगों का चुनाव करें ताकि घर में शांति बनी रहे।
  • उत्तर-पूर्व दिशा में क्रिस्टल ग्लोब रखें, यह बच्चों की पढ़ाई में सुधार लाने में मदद करेगा।
  • तुलसी या शमी जैसे पवित्र पौधे लगाएं, जिन्हें शुभ माना जाता है।

पूर्व दिशा के कोने में लाफिंग बुद्धा की मूर्ति रखें, यह घर में शांति और सौहार्द बढ़ाने में सहायक होगी।

 

Housing.com का पक्ष 

पूर्व दिशा घर के प्रवेश द्वार के लिए शुभ मानी जाती है, विशेष रूप से कुछ पेशेवर लोगों के लिए। ऐसा कहा जाता है कि यह सकारात्मक ऊर्जा, प्राकृतिक प्रकाश और स्वास्थ्य लाभ को आकर्षित करती है। यह बौद्धिक क्षमता और रचनात्मकता को बढ़ाती है और रिश्तों में सामंजस्य लाती है।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

ईस्ट-फेसिंग हाउस का क्या मतलब है?

ये वो दिशा है, जो आपके घर के बाहर निकलने वक्त सामने दिखाई देती है.

क्या वास्तु के मुताबिक ईस्ट-फेसिंग हाउस अच्छा होता है?

पूर्व दिशा जिंदगी, रोशनी और ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करती है क्योंकि सूर्य पूर्व दिशा से ही निकलता है. यही वजह है कि इसे भाग्यशाली माना जाता है.

वास्तु शास्त्र के अनुसार, पूरब मुखी घर के लिए कौन सी दरवाजा सामग्री अच्छी है?

लकड़ी से बना और धातु के सामान से सजा हुआ दरवाजा पूरब दिशा के लिए अच्छा होता है।

पूरब मुखी घर अच्छा होता है या खराब?

वास्तु के अनुसार, पूरब मुखी घर को विशेष रूप से बहुमंजिला अपार्टमेंट के लिए अच्छा माना जाता है।

पूर्व-मुखी घर में किस राशि को सबसे अधिक लाभ होता है?

माना जाता है कि सिंह राशि (सिंह राशि) को पूर्व-मुखी घर में सबसे अधिक लाभ होता है क्योंकि इस राशि के लोग पूर्व दिशा से जुड़े लक्षणों के समान आत्मविश्वासी, आत्मनिर्भर और उग्र होते हैं। पूर्व दिशा की ओर मुख वाला घर सिंह राशि के साथ अच्छी तरह मेल खाता है क्योंकि दोनों का संयोजन अत्यधिक शक्ति, प्रभुत्व, नेतृत्व और ऐसे अन्य गुणों को बढ़ावा देता है।

(पूर्णिमा गोस्वामी शर्मा और सुरभि गुप्ता के इनपुट्स के साथ)

 

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