वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 क्या है?

इस आर्टिकल में हम बताएंगे कि वक्फ क्या है और वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 में क्या प्रावधान है।

वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की 5 अप्रैल 2025 को दी गई स्वीकृति के बाद कानून का दर्जा मिल गया है। इसके साथ ही, राष्ट्रपति ने मुस्लिम वक्फ (निरसन) विधेयक, 2025 को भी अपनी मंजूरी दे दी है। इस आर्टिकल में हम यह विस्तार से बताएंगे कि वक्फ क्या है और वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 में क्या प्रावधान किए गए हैं।

 

वक्फ क्या है?

‘वक्फ’ एक इस्लामी परंपरा है, जिसमें कोई मुस्लिम व्यक्ति धार्मिक या सामाजिक कल्याण के उद्देश्य से अपनी संपत्ति को स्थायी रूप से दान कर देता है, जैसे मस्जिद, स्कूल, अस्पताल या अन्य जनसेवा संस्थान बनवाने के लिए। एक बार संपत्ति वक्फ कर दी जाती है तो फिर ऐसी संपत्ति को बेचा नहीं जा सकता और न ही किसी को उपहार में दिया जा सकता है और ना ही विरासत में लिया जा सकता है और न ही किसी कर्ज के बोझ में डाला जा सकता है। इस्लामी परंपरा या मान्यता के अनुसार, जब कोई संपत्ति वक्फ की जाती है तो वह अल्लाह की संपत्ति हो जाती है और यह मान्यता है कि अल्लाह हमेशा रहने वाला है, इसलिए वक्फ की संपत्ति भी हमेशा के लिए होती है।

 

वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025

संसद ने 4 अप्रैल 2025 को वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 को मंजूरी दे दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अनुसार, “वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 और मुस्लिम वक्फ (निरसन) विधेयक को दोनों सदनों द्वारा पारित किया जाना हमारे सामूहिक सामाजिक, आर्थिक न्याय, पारदर्शिता और समावेशी विकास की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है। यह विशेष रूप से उन लोगों की मदद करेगा, जो लंबे समय से हाशिए पर हैं और जिनकी आवाज और अवसर को हमेशा नकारा गया है।”

 

ऐसे प्रमुख मुद्दे, जिन्हें वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 हल करने का उद्देश्य रखता है

भारत सरकार के अनुसार, वक्फ संपत्तियों से संबंधित निम्नलिखित प्रमुख मुद्दे हैं –

  1. वक्फ संपत्ति प्रबंधन में पारदर्शिता का अभाव।
  2. वक्फ भूमि रिकॉर्ड्स का अधूरा सर्वेक्षण और म्युटेशन।
  3. महिलाओं के उत्तराधिकार अधिकारों के लिए अपर्याप्त प्रावधान।
  4. भूमि पर अतिक्रमण और लंबित मुकदमे, जिसमें अतिक्रमण भी शामिल हैं। उदाहरण स्वरूप, 2013 में 10,381 लंबित मामले थे, जो 2025 में बढ़कर 21,618 मामले हो गए हैं।
  5. वक्फ बोर्ड्स द्वारा अपनी जांच के आधार पर किसी भी संपत्ति को वक्फ भूमि घोषित करने का अव्यावहारिक अधिकार।
  6. कई सरकारी संपत्तियों को वक्फ भूमि के रूप में घोषित किया जा रहा था।
  7. वक्फ संपत्तियों का सही लेखांकन और लेखा परीक्षा नहीं।
  8. वक्फ प्रबंधन में प्रशासनिक अक्षमताएं।
  9. ट्रस्ट संपत्तियों का उचित तरीके से देखभाल नहीं।
  10. केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्ड्स में हितधारकों का अपर्याप्त प्रतिनिधित्व।

पीआईबी ने जानकारी दी कि, केंद्र सरकार इन मुद्दों को हल करने के लिए इस संशोधित वक्फ विधेयक का प्रस्ताव किया।

 

वक्फ (संशोधन) बिल, 2025 में किए गए सुधार

वक्फ (संशोधन) बिल, 2025 को वक्फ प्रशासन में पारदर्शिता और निष्पक्षता को सुधारने के लिए पेश किया गया है। पीआईबी के अनुसार, मुख्य सुधारों में इन बातों को शामिल किया गया है –

  • मनमानी संपत्ति दावों का अंत: धारा 40, जो वक्फ बोर्डों को किसी भी संपत्ति को एकतरफा रूप से वक्फ घोषित करने की अनुमति देती थी, उसे हटा दिया गया है।
  • संपत्ति प्रबंधन: यह बिल वक्फ संपत्ति प्रबंधन को सुव्यवस्थित करने का लक्ष्य रखता है, साथ ही व्यक्तिगत संपत्ति अधिकारों और धरोहर स्थलों की सुरक्षा भी सुनिश्चित करता है।
  • रिकॉर्ड्स का डिजिटलीकरण: अब वक्फ संपत्तियों का डिजिटलीकरण किया जाएगा ताकि अवैध दावों को रोका जा सके और ट्रैकिंग को बेहतर बनाया जा सके।
  • विवादों के समाधान को मजबूत करना: वक्फ ट्रिब्यूनल्स को संपत्ति विवादों का कुशलतापूर्वक समाधान करने के लिए अधिक अधिकार दिए जाएंगे।
  • जवाबदेही सुनिश्चित करना: अब वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिम सदस्य शामिल होंगे ताकि निष्पक्ष निर्णय लेने की प्रक्रिया को बढ़ावा दिया जा सके।
  • मुस्लिम महिलाओं और कानूनी उत्तराधिकारियों के अधिकार: यह विधेयक मुस्लिम महिलाओं, विशेष रूप से विधवाओं और तलाकशुदा महिलाओं की आर्थिक और सामाजिक स्थिति में सुधार लाने का प्रयास करता है और इसके लिए स्वयं सहायता समूहों और वित्तीय स्वतंत्रता कार्यक्रमों को बढ़ावा दिया जाएगा। वक्फ-अलाल-आलद के माध्यम से वक्फ की आय से विधवाओं, तलाकशुदा महिलाओं और अनाथों के लिए वित्तीय सुरक्षा प्राप्त होगी। यह इस्लामी कल्याण सिद्धांतों के अनुरूप होगा।

इसके अतिरिक्त, पीआई ने जानकारी दी कि यह विधेयक मुस्लिम महिलाओं के लाभ के लिए निम्नलिखित उद्देश्यों को प्राप्त करने का लक्ष्य रखता है –

  • वक्फ प्रबंधन में पारदर्शिता: वक्फ रिकॉर्ड को डिजिटलीकरण करके भ्रष्टाचार को रोकना। एक केंद्रीकृत डिजिटल पोर्टल वक्फ संपत्तियों का ट्रैक रखेगा। इससे वक्फ संपत्ति की बेहतर पहचान, निगरानी और प्रबंधन सुनिश्चित होगा। साथ ही, लेखा-जोखा और ऑडिटिंग उपाय वित्तीय कुप्रबंधन को रोकेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि फंड केवल कल्याणकारी उद्देश्यों के लिए उपयोग किए जाएं।
  • कानूनी सहायता और सामाजिक कल्याण – पारिवारिक विवादों और उत्तराधिकार अधिकारों के लिए कानूनी सहायता केंद्रों की स्थापना। महिला उत्तराधिकारियों को पारिवारिक वक्फ में उनके अधिकार की गारंटी दी जाती है। धारा 3A(2) के तहत वक्फ संपत्ति समर्पित करने से पहले महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा करना अनिवार्य है, जिससे उत्तराधिकार कानूनों की अनदेखी न हो।
  • संस्कृतिक और धार्मिक पहचान – सांस्कृतिक संरक्षण और अंतरधार्मिक संवाद को मजबूत करना।

 

वक्फ अधिनियम, 1995 में किए गए संशोधन

अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के अनुसार, वक्फ (संशोधन) बिल, 2025 में किए गए कुछ संशोधनों का उल्लेख इस प्रकार है –

नए अनुभाग 3A, 3B, 3C, 3D और 3E का समावेश।

  • मुख्य अधिनियम के अनुभाग-3 के बाद निम्नलिखित अनुभाग जोड़े जाएंगे, अर्थात – 3A

(1) कोई व्यक्ति संपत्ति को वक्फ नहीं कर सकता, जब तक कि वह संपत्ति का वैध मालिक न हो और उस संपत्ति को स्थानांतरित करने या समर्पित करने के लिए सक्षम न हो।

(2) वक्फ-अलाल-औलाद (वंशीय वक्फ) का निर्माण, वक्फ करने वाले के वारिसों, विशेष रूप से महिला वारिसों के उत्तराधिकार अधिकारों या किसी अन्य व्यक्ति के वैध दावा अधिकारों को नकारने का कारण नहीं बनेगा।

  • हर वह वक्फ, जो इस अधिनियम के अंतर्गत, वक्फ (संशोधन) अधिनियम-2025 के प्रारंभ होने से पहले पंजीकृत है, उसे वक्फ तथा उससे संबंधित संपत्ति का विवरण उक्त प्रारंभ तिथि से 6 माह की अवधि के भीतर पोर्टल और डाटाबेस पर दर्ज कराना होगा, बशर्ते कि अगर मुतवल्ली द्वारा प्रकट कारणों के आधार पर न्यायाधिकरण को यह संतोष हो कि निर्धारित अवधि में विवरण दर्ज न करा पाने का उसके पास समुचित कारण था, तो वह मुतवल्ली द्वारा प्रस्तुत आवेदन पर इस धारा के अंतर्गत उक्त 6 माह की अवधि को अधिकतम 6 माह की अतिरिक्त अवधि तक बढ़ा सकता है, जैसा कि वह उपयुक्त समझे।

 

वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 की मुख्य विशेषताएं

विशेषता वक्फ अधिनियम, 1995 वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025
अधिनियम का नाम वक्फ अधिनियम, 1995 एकीकृत वक्फ प्रबंधन, सशक्तिकरण, दक्षता और विकास अधिनियम, 2025।
वक्फ का गठन वक्फ का गठन घोषणा, उपयोगकर्ता या बंदोबस्ती (वक्फ-अलल-औलाद) द्वारा किया जा सकता है। ●      उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ को हटा दिया गया है और केवल घोषणा या बंदोबस्ती के जरिए गठन की अनुमति दी गई है।

●      दानकर्ता को कम से कम 5 वर्षों से मुसलमान होना चाहिए और संपत्ति का मालिक होना चाहिए।

●      वक्फ-अल-औलाद महिला उत्तराधिकारियों को उत्तराधिकार के अधिकार से वंचित नहीं कर सकता।

वक्फ के रूप में सरकारी संपत्ति कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है। वक्फ के रूप में पहचानी गई कोई भी सरकारी संपत्ति वक्फ नहीं रहेगी। स्वामित्व संबंधी विवादों का समाधान कलेक्टर द्वारा किया जाएगा, जो राज्य सरकार को रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा।
वक्फ संपत्ति निर्धारित करने की शक्ति पहले वक्फ बोर्ड के पास वक्फ संपत्ति की जांच और निर्धारण का अधिकार था।

 

अब यह प्रावधान हटा दिया गया।
वक्फ संपत्ति का सर्वेक्षण वक्फ संपत्ति का सर्वेक्षण करने के लिए सर्वेक्षण आयुक्तों और अतिरिक्त आयुक्तों को नियुक्त किया गया था।

 

अब यह विधेयक कलेक्टरों को सर्वेक्षण करने का अधिकार देता है और लंबित सर्वेक्षणों को राज्य के राजस्व कानूनों के अनुसार संचालित करने का आदेश देता है।

 

केंद्रीय वक्फ परिषद संरचना ●      केंद्र और राज्य सरकारों और वक्फ बोर्डों को सलाह देने के लिए केंद्रीय वक्फ परिषद का गठन किया गया।

●      केंद्रीय वक्फ परिषद के सभी सदस्य मुसलमान होने चाहिए, जिनमें कम से कम दो महिला सदस्य भी शामिल होनी चाहिए।

 

●      अब दो सदस्य गैर-मुस्लिम होने चाहिए।

●      अधिनियम के अनुसार परिषद में नियुक्त सांसदों, पूर्व न्यायाधीशों और प्रतिष्ठित व्यक्तियों का मुसलमान होना आवश्यक नहीं है।

●      निम्नलिखित सदस्य मुस्लिम होने चाहिए: मुस्लिम संगठनों के प्रतिनिधि, इस्लामी कानून के विद्वान, वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष

●      मुस्लिम सदस्यों में से दो सदस्य महिलाएं होना चाहिए।

वक्फ बोर्ड की संरचना ●      वक्फ बोर्ड में राज्य से मुस्लिम निर्वाचक मंडल से अधिकतम 2 सदस्यों के निर्वाचन का प्रावधान है: (i) सांसद, (ii) विधायक और विधान पार्षद, और (iii) बार काउंसिल के सदस्य।

●      कम से कम दो सदस्य महिलाएं होनी चाहिए

विधेयक राज्य सरकार को प्रत्येक पृष्ठभूमि से एक व्यक्ति को बोर्ड में नामित करने का अधिकार देता है। उन्हें मुस्लिम होने की आवश्यकता नहीं है। इसमें यह भी कहा गया है कि बोर्ड में निम्नलिखित होना चाहिए:

●      दो गैर-मुस्लिम सदस्य

●      मुसलमानों के शिया, सुन्नी और पिछड़े वर्गों से कम से कम एक सदस्य

●      बोहरा एवं आगाखानी समुदाय से एक-एक सदस्य (यदि राज्य में वक्फ है)

●      दो मुस्लिम सदस्य महिलाएं होनी चाहिए।

न्यायाधिकरण संरचना वक्फ विवादों के लिए राज्य स्तरीय न्यायाधिकरण की आवश्यकता थी, जिसका नेतृत्व एक न्यायाधीश (श्रेणी-1, जिला, सत्र या सिविल न्यायाधीश) द्वारा किया जाता था और इसमें शामिल थे:

●      एक राज्य अधिकारी (अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट रैंक)

●      एक मुस्लिम कानून विशेषज्ञ

अब संशोधन के बाद मुस्लिम कानून विशेषज्ञ को हटा दिया गया है और इसके स्थान पर निम्नलिखित को शामिल किया गया है:

●      वर्तमान या पूर्व जिला न्यायालय के न्यायाधीश को अध्यक्ष बनाया जाएगा

●      राज्य सरकार का वर्तमान या पूर्व संयुक्त सचिव

न्यायाधिकरण के आदेश पर अपील न्यायाधिकरण का फैसला अंतिम था और इसके फैसलों के खिलाफ न्यायालयों में अपील निषिद्ध थी। केवल उच्च न्यायालय ही विशेष परिस्थितियों में हस्तक्षेप कर सकते हैं।

 

अब विधेयक में न्यायाधिकरण के फैसलों को अंतिम मानने वाले प्रावधानों को हटा दिया गया है। 90 दिनों के भीतर उच्च न्यायालय में अपील की अनुमति दी गई है।

 

केन्द्र सरकार की शक्तियां राज्य सरकारें किसी भी समय वक्फ खातों का ऑडिट कर सकती हैं।

 

●      यह विधेयक केंद्र सरकार को वक्फ के पंजीकरण, खातों के प्रकाशन और वक्फ बोर्डों की कार्यवाही के प्रकाशन के संबंध में नियम बनाने का अधिकार देता है।

●      विधेयक केंद्र सरकार को इनका लेखापरीक्षण CAG (नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक) या किसी नामित अधिकारी से कराने का अधिकार देता है।

संप्रदायों के लिए अलग-अलग वक्फ बोर्ड यदि राज्य में सभी वक्फ संपत्तियों या वक्फ आय में शिया वक्फ का हिस्सा 15 फीसदी से अधिक है तो सुन्नी और शिया संप्रदायों के लिए अलग-अलग वक्फ बोर्ड बनाए जाएंगे।

 

शिया और सुन्नी संप्रदायों के साथ-साथ बोहरा और आगाखानी संप्रदायों के लिए अलग-अलग वक्फ बोर्ड की अनुमति दी गई।

 स्रोत: अनुसंधान इकाई पीआईबी

 

उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ क्या है?

उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ एक ऐसा सिद्धांत है, जो वक्फ के तहत संपत्तियों को दस्तावेजी प्रमाण के अभाव में सामुदायिक और धार्मिक उद्देश्यों के उपयोग के आधार पर दर्ज करने की अनुमति देता है। ऐसी कुछ संपत्तियों में सामुदायिक रसोई, मस्जिद, दरगाह, कब्रिस्तान आदि शामिल हैं। इसे वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2013 में कानूनी मान्यता प्राप्त थी।

भारत के वक्फ संपत्ति प्रबंधन प्रणाली (WAMSI) के अनुसार, भारत में 872,852 अचल संपत्तियां हैं, जो 32 राज्य/संघ राज्य क्षेत्र के वक्फ बोर्डों में फैली हुई हैं। इनमें से सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार, 4,02,000 संपत्तियां ‘उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ’ के रूप में वर्गीकृत हैं।

वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के तहत अब दस्तावेजी प्रमाण अनिवार्य कर दिया गया है, जिसमें यह स्पष्ट किया गया है कि केवल एक ऐसा मुस्लिम, जो कम से कम 5 वर्षों से प्रैक्टिस कर रहा हो और जो संपत्ति का कानूनी मालिक हो, वही उसे वक्फ घोषित कर सकता है। हालांकि, यह संशोधन यह भी स्पष्ट करता है कि पहले से पंजीकृत ‘वक्फ बाय यूज़र’ वैसा ही रहेगा, जब तक उसे चुनौती न दी जाए या वह सरकारी संपत्ति न हो।

 

वक्फ संपत्ति से संबंधित ये जानकारी पोर्टल पर होगी रिकॉर्ड

माइनॉरिटी अफेयर्स मंत्रालय के अनुसार, वक्फ बिल (संशोधन) 2025 के तहत, वक्फ संपत्ति की निम्नलिखित जानकारी पोर्टल और डेटाबेस पर भरना चाहिए –

  1. वक्फ संपत्तियों की पहचान और सीमाएं, उनका उपयोग और कब्जेदार।
  2. वक्फ के सर्जक का नाम और पता, उस निर्माण का तरीका और तिथि।
  3. वक्फ का कागज, यदि उपलब्ध हो।
  4. वर्तमान मुतवली और इसका प्रबंधन।
  5. ऐसी वक्फ संपत्तियों से प्राप्त होने वाली कुल वार्षिक आय।
  6. वक्फ संपत्तियों के संबंध में वार्षिक रूप से भुगतान किए जाने वाले भूमि-राजस्व, कर, दरें और शुल्क।
  7. वक्फ संपत्तियों से आय प्राप्त करने में होने वाले वार्षिक खर्च का अनुमान।
  8. वक्फ के तहत अलग रखी गई राशि –

(i) मुतवली का वेतन और व्यक्तियों को दी जाने वाली भत्ते

(ii) शुद्ध धार्मिक उद्देश्यों के लिए

(iii) धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए और

(iv) अन्य किसी उद्देश्यों के लिए

(i) संबंधित वक्फ संपत्ति से जुड़ी किसी भी कोर्ट केस का विवरण, यदि कोई हो

(j) कोई अन्य विशेषताएं जैसा कि केंद्रीय सरकार द्वारा निर्धारित किया जा सकता है।

 

मुस्लिम वक्फ (निरसन) विधेयक, 2025 क्या है?

अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के अनुसार, मुस्लिम वक्फ (निरसन) विधेयक, 2025 का उद्देश्य 1923 के मुस्लिम वक्फ अधिनियम को समाप्त करना है, जो आधुनिक भारत के लिए अप्रासंगिक हो चुका है। इस निरसन के माध्यम से:

  • वक्फ अधिनियम, 1995 के अंतर्गत वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन के लिए एक समान नियम सुनिश्चित किए जाएंगे।
  • वक्फ प्रबंधन में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व को बेहतर किया जाएगा।
  • पुराने कानून के कारण उत्पन्न भ्रम और कानूनी विरोधाभासों को समाप्त किया जाएगा।

 

निष्कर्ष

केंद्र सरकार की एक आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, “वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 वक्फ प्रशासन के लिए एक धर्मनिरपेक्ष, पारदर्शी और जवाबदेह प्रणाली स्थापित करता है। जहां वक्फ संपत्तियां धार्मिक और परोपकारी उद्देश्यों की पूर्ति करती हैं, वहीं इनका प्रबंधन कानूनी, वित्तीय और प्रशासनिक जिम्मेदारियों से जुड़ा होता है, जिनके लिए एक संगठित शासन प्रणाली आवश्यक है। वक्फ बोर्डों और केंद्रीय वक्फ परिषद (CWC) की भूमिका धार्मिक नहीं, बल्कि नियामक होती है, जो कानूनी अनुपालन सुनिश्चित करने और जनहित की रक्षा करने में सहायक होती है। जांच और संतुलन की व्यवस्था, हितधारकों को सशक्त बनाने और प्रशासन में सुधार के जरिए यह विधेयक भारत में वक्फ प्रशासन के लिए एक प्रगतिशील और न्यायसंगत ढांचा पेश करता है।”

 

वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को चुनौती देने वाली याचिकाएं दायर

सुप्रीम कोर्ट ने 16 और 17 अप्रैल, 2025 को वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण सवाल उठाया कि ‘यूज़र द्वारा वक्फ’ को किस प्रकार पंजीकृत किया जाएगा। इस पर जवाब दाखिल करने के लिए कोर्ट ने 7 दिन का समय दिया है। हालांकि, कोर्ट ने पूरे वक्फ संशोधन अधिनियम, 2025 पर रोक नहीं लगाई है, लेकिन केंद्र सरकार के इस बयान को दर्ज किया है कि अगली सुनवाई तक वक्फ संस्था में किसी भी प्रकार की नियुक्ति नहीं की जाएगी। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया है कि वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम व्यक्तियों की नियुक्ति न की जाए। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर भी चिंता जताई है कि यदि कोई संपत्ति विवादित सरकारी जमीन पर स्थित है, तो उसे वक्फ के रूप में कार्य करने की अनुमति न दी जाए। अगली सुनवाई की तारीख 5 मई, 2025 निर्धारित की गई है। इस मामले से जुड़े किसी भी नए घटनाक्रम की जानकारी के लिए हमारे साथ जुड़े रहें।

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