सुप्रीम कोर्ट (एससी) का कहना है कि एक संयुक्त संपत्ति का विभाजन मुकदमा केवल तभी कानूनी रूप से बाध्यकारी होगा जब इसमें संबंधित सभी पक्षों की लिखित सहमति हो।
प्रशांत साहू और अन्य बनाम चारुलता साहू और अन्य के मामले में एक अपील पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि केवल कुछ सह-मालिकों की सहमति ही विभाजन सूट को कानूनी दर्जा देने के लिए पर्याप्त नहीं है।
सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 के आदेश XXIII नियम 3 में नियम है कि किसी भी वैध समझौते या समझौते के लिए सभी सह-मालिकों की सहमति और हस्ताक्षर आवश्यक हैं, जब दावा आंशिक रूप से या पूरी तरह से समायोजित किया गया हो।