कोविड-19: जानिए क्यों प्राइवेट सैनिटाइजेशन सर्विसेज की घरों में बढ़ रही डिमांड

ज्यादातर हाउसिंग सोसाइटीज में रेग्युलर मेंटेनेंस स्टाफ की गैरहाजिरी में प्राइवेट सैनिटाइजेशन सर्विसेज आगे आ रही हैं.

सैनिटाइजेशन शावर्स से लेकर डिसइन्फेक्टेंट स्प्रेइंग तक, पूरे भारत में हाउसिंग सोसाइटीज  अनोखे तरीके अपना रही हैं ताकि उनके कंपाउंड में कोरोना वायरस को दाखिल होने से रोका जा सके. कई रेजिडेंट वेलफेयर असोसिएशन्स (RWA) हैं, जिन्होंने प्राइवेट पेस्ट कंट्रोलर्स हायर किए हैं ताकि कंपाउंड को साफ और सैनिटाइज किया जा सके. कॉमन कॉरिडोर के अलावा अन्य चीजें, जैसे कार, लिफ्ट, बच्चों के खेलने की जगह और लॉन में अकसर कीटाणुनाशक छिड़के जाते हैं. नतीजतन, कोविड-19 महामारी अब प्राइवेट पेस्ट कंट्रोल कंपनियों के लिए अवसर बन गई है, जो एक्स्ट्रा पैसे लेकर सरकारी एजेंसियों की जगह ले रही हैं.

प्राइवेट सैनिटाइजेशन सर्विसेज को बढ़ती तवज्जो

लॉकडाउन के बाद अधिकतर घरेलू घरों और हाउसिंग सोसाइटीज में सफाईकर्मियों और स्वीपर्स की एंट्री पर बैन है. ऐसे में उनके पास अपनी सोसाइटी को साफ कराने के लिए प्राइवेट एजेंसियों को हायर करने के अलावा कोई विकल्प शेष नहीं बचा है. नतीजतन, कई हाउसिंग सोसाइटियां अपने कंपाउंड के लिए डिसइन्फेक्टेंट लाने के लिए दौड़ रही हैं.

ईस्ट दिल्ली की पेस्ट कंट्रोल कंपनी के मालिक रवि आहुजा ने कहा, ”हमें हर रोज 10-15 इन्क्वॉयरी मिल रही हैं और हमारा स्टाफ जरूरतों को पूरा करने के लिए ओवरटाइम तक कर रहा है. कोरोना वायरस महामारी के बाद कॉलोनियों के लोग अकसर डरे हुए हैं.” वहीं गुरुग्राम में एक पेस्ट कंट्रोल कंपनी के मालिक कार्तिक मुरलीधर बताते हैं, ‘औसतन, एक दिन में हम 6-7 कॉलोनियों में डिसइन्फेक्टेंट करते थे. सीमित स्टाफ के कारण, हम 40 प्रतिशत क्वेरीज का जवाब नहीं दे पाते.’

प्राइवेट सैनिटाइजेशन की लागत कितनी आती है?

हाउसिंग सोसाइटीज आमतौर पर सैनिटाइजेशन ड्राइव के लिए 15 से 50 हजार रुपये खर्च करते हैं. यह एरिया पर निर्भर करता है. इसमें कॉम्प्लेक्स के सभी टावर्स, छज्जे, प्ले एरिया, पार्किंग एरिया, एलिवेटर्स, स्टेयरकेस इत्यादि शामिल होते हैं.

मुंबई में निकाय प्रशासन ने हाउसिंग सोसाइटीज को सैनिटाइजेशन के लिए प्राइवेट कंपनियों को हायर करने से मना कर दिया है ताकि डिसइन्फेक्टेंट के लिए गैरनियंत्रित स्प्रे के कारण स्वास्थ्य समस्याओं से बचा जा सके. लेकिन फिर भी ऐसी कई आरडब्ल्यूए हैं, जो नियमित सैनिटाइजेशन करा रही हैं, ताकि कोविड महामारी से बचा जा सके.

कई ऐसी भी प्राइवेट कंपनियां हैं, जो सरकारी प्रशासन को उनके प्रोजेक्ट्स में सैनिटाइजेशन सर्विसेज और साफ-सफाई के तौर पर मदद दे रही हैं. रहेजा डेवेलपर्स के सीएमडी नवीन रहेजा ने कहा, ”हमने पांच टीमें बनाई हैं, जो मास्क, प्रोटेक्टिव गियर के साथ विभिन्न सरकारी एजेंसियों के अनुरोध पर आरडब्ल्यूए और विभिन्न साइट्स पर भेजी जा रही हैं. इसका मकसद उनके प्रयासों का समर्थन करना है. ये टीमें हमारा प्रोजेक्ट भी वक्त-वक्त पर सैनिटाइज कर रही हैं.”

घरेलू सैनिटाइजेशन ने भी पकड़ा जोर:

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कहा कि कोरोना वायरस लकड़ी की सतह पर 4 और धातु की सतह पर 5 दिन तक रह सकता है. इसलिए मकानमालिक सोफा, कार्पेट, रेक्लाइनर, मैट्रेस, कुशन्स, फर्नीचर और कार सैनिटाइजेशन सर्विसेज को चुन रहे हैं. स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक, जिन सतहों को नियमित रूप से छुआ जाता है, उन्हें डिसइन्फेक्टेंट करना जरूरी है ताकि कोविड-19 की महामारी से बचा जा सके.

वहीं कालीन की सफाई की लागत क्षेत्र पर निर्भर करती है, सोफा की सफाई प्रति सीट 300 रुपये से शुरू होती है, रिक्लाइनर 800 रुपये प्रति सीट और गद्दे 800 रुपये से शुरू होते हैं. यह सैनिटाइजेशन के लिए उपयोग में लाए जाने वाले कैमिकल सॉल्यूशन्स की लागत पर निर्भर करता है. आमतौर पर सॉल्यूशन में 68% एल्कोहॉल होती है. सख्त कैमिकल घर की चीजों के रंगों को प्रभावित कर सकते हैं.

एक कार सैनिटाइजेशन पैकेज 1,000 रुपये से शुरू होता है, जिसमें वैक्यूम क्लीनिंग, कार की सीट की ड्राई क्लीनिंग, दरवाजों की सफाई और चमक, छत और डैशबोर्ड शामिल हैं. सफाई और शाइनिंग सर्विसेज 2,500 रुपये तक जा सकती है, जिसमें यूवी पेंट प्रोटेक्शन, कार एक्सटीरियर वॉशिंग और शैम्पू वॉश शामिल हैं. लागत कार मॉडल के अनुसार भी भिन्न हो सकती हैं.

घरेलू उपयोग के लिए स्वच्छता उपकरणों का उदय:

मार्केट में अब ऐसे कई उपकरण आ गए हैं, जो कोविड-19 वायरस के खिलाफ पूरी तरह सैनिटाइजेशन का वादा करते हैं. गन स्प्रेयर्स से लेकर सरफेस स्प्रेयर्स तक, रोजाना सतहों को साफ करने वाले इन उपकरणों से ऑनलाइन ई कॉमर्स वेबसाइट्स भरी पड़ी हैं. हाल ही में कई सैनिटाइजर्स रूम स्प्रे भी लॉन्च किए गए हैं, हालांकि अभी भी इस बात पर बहस जारी है कि क्या नोवेल कोरोनावायरस हवा में फैल सकता है या नहीं.

इसके अलावा, मोबाइल फोन को सैनिटाइज करने के लिए यूवी स्टर्लाइजर काफी पॉपुलर हुए हैं. यह डिवाइस 99.9 प्रतिशत कीटाणु मारने का दावा करता है और इससे मास्क, जूलरी, मेकअप ब्रश, लिपस्टिक इत्यादि को स्टर्लाइज किया जा सकता है. इस स्टर्लाइजर का एक पॉकेट वर्जन भी है, जिसकी शुरुआती कीमत 2500 रुपये है.

FAQs

कोरोना वायरस महामारी के दौरान सतहों को मैं कीटाणुरहित कैसे करूं?

सबसे पहले, अगर संभव हो तो सतह को साबुन या डिटर्जेंट और पानी से साफ करें. सतह को कीटाणुरहित करने के लिए कोई ब्लीच/ क्लोरीन या एल्कोहल-आधारित सॉल्यूशन्स का उपयोग कर सकते हैं.

बिल्डिंग सैनिटाइजेशन सर्विसेज में क्या-क्या चीजें कवर होती हैं?

प्राइवेट सैनिटाइजेशन सर्विसेज आम तौर पर बिल्डिंग के आम क्षेत्रों में स्प्रे करती हैं, जिसमें लॉन, लिफ्ट, बच्चों की खेलने की जगह आदि शामिल होते हैं.

क्या कोरोना वायरस हवा से फैलता है?

नए वैज्ञानिक सबूतों से पता चला है कि कोरोना वायरस स्थिर हवा में छोटी बूंदों में बचा रह सकता है, जिससे इस हवा में सांस लेने वाले अन्य लोग संक्रमित हो सकते हैं.

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