स्टाम्प ड्यूटी एक प्रकार का कर (टैक्स) है, जिसे हर संपत्ति खरीदार को राज्य सरकार को अदा करना अनिवार्य होता है। इसका भुगतान इसलिए किया जाता है ताकि संपत्ति को सरकारी रिकॉर्ड में कानूनी रूप से रजिस्टर्ड किया जा सके। यह एक बार दिया जाने वाला अनिवार्य टैक्स है, जो भविष्य में किसी भी प्रकार के कानूनी विवाद से बचने के लिए राज्य सरकार द्वारा लिया जाता है। संपत्ति के सौदे को रजिस्टर्ड करवाने की प्रक्रिया की शुरुआत में ही यह स्टाम्प ड्यूटी देनी होती है। लेकिन कई बार ऐसा भी होता है कि संपत्ति का सौदा पूरा नहीं हो पाता। यानी अगर संपत्ति न तो बेची गई और न ही खरीदी गई, तो स्वाभाविक है कि वह सरकारी रिकॉर्ड में रजिस्टर्ड भी नहीं होगी। अब सवाल उठता है कि ऐसी स्थिति में जो स्टाम्प ड्यूटी दी गई थी, उसका क्या होता है? क्या संपत्ति खरीदने वाले को स्टाम्प ड्यूटी की राशि वापस मिल सकती है? इसका जवाब हां भी है और नहीं भी। दरअसल अगर खरीदार सरकार द्वारा निर्धारित समयसीमा के भीतर रिफंड के लिए आवेदन कर दें तो स्टाम्प ड्यूटी वापस मिल जाती है, लेकिन वे निर्धारित अवधि के बाद आवेदन करते हैं या आवश्यक प्रक्रिया पूरी नहीं करते हैं तो स्टाम्प ड्यूटी वापस नहीं मिलती है। इस आर्टिकल में हम इसी बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।
महाराष्ट्र में स्टांप ड्यूटी की राशि कब वापस मिल सकती है?
आप महाराष्ट्र में स्टांप ड्यूटी की राशि वापस पा सकते हैं यदि –
- स्टांप पेपर लेखन की गलतियों के कारण उपयोग के योग्य नहीं है।
- स्टांप पेपर पर हस्ताक्षर नहीं हुए हैं और आंशिक या पूर्ण जानकारी भर दी गई है, लेकिन अब इसका उपयोग नहीं करने का फैसला लिया गया है।
- स्टांप पेपर पर हस्ताक्षर किए गए हैं, लेकिन लेन-देन को पक्ष द्वारा अवैध माना गया है, जैसा कि विशिष्ट राहत अधिनियम की धारा-31 के अंतर्गत उल्लेख किया गया है।
- कोर्ट यह मानता है कि लेन-देन प्रारंभ से ही पूरी तरह अवैध था, जैसा कि विशिष्ट राहत अधिनियम की धारा-31 में उल्लेखित है।
- वह व्यक्ति जिसके साइन की आवश्यकता है और वह हस्ताक्षर करने से मना कर देता है या हस्ताक्षर करने से पहले उसकी मौत हो जाती है।
- स्टाम्प पेपर दस्तावेज में शामिल कोई भी पक्ष हस्ताक्षर करने से मना कर देता है।
- स्टाम्प पेपर दस्तावेज में शामिल कोई भी पक्ष उसकी शर्तों और नियमों का पालन नहीं करता है।
- दस्तावेज के लिए प्रयुक्त स्टाम्प का मूल्य अपर्याप्त होता है और लेनदेन सही मूल्य वाले अन्य स्टाम्प पेपर पर पूर्ण किया गया होता है।
- स्टाम्प ड्यूटी पेपर खराब हो जाता है और दोनों पक्षों द्वारा उसी उद्देश्य के लिए नया स्टाम्प पेपर दस्तावेज तैयार किया जाता है।
महाराष्ट्र में स्टाम्प ड्यूटी रिफंड के लिए आवेदन करने के लिए कौन से दस्तावेज जरूरी हैं?
महाराष्ट्र में स्टाम्प ड्यूटी रिफंड के लिए आवेदन करते समय आमतौर पर इन डाक्युमेंट की जरूरत होती है –
- मूल स्टांप पेपर: वह असली स्टांप पेपर, जो या तो बिना उपयोग के है या जिसमें कोई त्रुटि है, उसे प्रस्तुत करना होता है।
- रिफंड आवेदन पत्र: यह फॉर्म उस तिथि से 6 माह के अंदर भरा जाना चाहिए, जिस दिन स्टांप पेपर खरीदा गया था।
- शपथपत्र (एफिडेविट): एक नोटरीकृत शपथपत्र, जिसमें यह उल्लेख हो कि स्टांप ड्यूटी की वापसी क्यों वापस मांगी जा रही है।
- रद्द किया गया दस्तावेज: यदि दस्तावेज रद्द होने के कारण रिफंड मांगा जा रहा है तो उस रद्द किए गए सेल एग्रीमेंट की प्रति जमा करना होगी।
- भुगतान प्रमाण: वह रसीद या दस्तावेज जिससे यह सिद्ध हो कि स्टांप ड्यूटी का भुगतान किया गया था।
- बैंक विवरण: रिफंड प्रक्रिया के लिए रद्द किया गया चेक या बैंक खाता संबंधी विवरण।
- पहचान पत्र: आधार कार्ड, पैन कार्ड आदि की प्रति।
महाराष्ट्र में स्टांप ड्यूटी की ऑनलाइन रिफंड कैसे लें?
यदि आप महाराष्ट्र में स्टांप ड्यूटी की राशि ऑनलाइन वापस लेना चाहते हैं तो इसके लिए आपको महाराष्ट्र सरकार की आधिकारिक वेबसाइट IGR (Inspector General of Registration पर लॉग-इन करना होगा। नीचे इस प्रक्रिया को विस्तार से बताया गया है –
- IGR महाराष्ट्र की वेबसाइट पर जाएं और Online Services में जाकर Stamp Duty Refund पर क्लिक करें।
- इसके बाद आप इस लिंक पर पहुंचेंगे: https://appl2igr.maharashtra.gov.in/refund/
- नियम व शर्तें स्वीकार करने के बाद New Entry पर क्लिक करें।
- अगली स्क्रीन पर आपको अपना मोबाइल नंबर दर्ज करना होगा और फिर OTP पर क्लिक करना होगा।
- ओटीपी दर्ज करें।
- फिर स्क्रीन पर दिए गए कैप्चा को भरें और Submit बटन पर क्लिक करें।
फिर आपको महाराष्ट्र स्टाम्प ड्यूटी रिफंड का टोकन नंबर मिल जाएगा। अब एक पासवर्ड बनाएं, उसे कन्फर्म करें और कैप्चा कोड दर्ज करने के बाद ‘सबमिट’ बटन पर क्लिक करें।
- इसके बाद एक पॉप-अप संदेश आएगा, जिसमें पूछा जाएगा कि क्या आप पुराने डेटा को देखना चाहते हैं या नहीं।
- अब तय करें कि आप रिफंड किसका चाहते हैं- स्टाम्प ड्यूटी का या रजिस्ट्रेशन फीस का।

- इसके बाद व्यक्तिगत विवरण, पता, बैंक खाता संख्या और रिफंड का कारण दर्ज करें।
- दस्तावेज से संबंधित विवरण जैसे कि वह निष्पादित है या नहीं, रजिस्टर्ड है या नहीं आदि की जानकारी “डॉक्यूमेंट के विशेष विवरण” वाले खंड में भरें।
- यदि दस्तावेज रजिस्टर्ड है और आप महाराष्ट्र में स्टांप ड्यूटी की वापसी चाहते हैं तो आपको दस्तावेज संख्या, तारीख और संबंधित उप-पंजीयक कार्यालय (SRO) का विवरण भरना होगा। इसी तरह, यदि रद्दीकरण विलेख (cancellation deed) भी रजिस्टर्ड है तो उसका रजिस्ट्रेशन नंबर और SRO विवरण दर्ज करना होगा।
- इसके बाद स्टाम्प से जुड़ी जानकारी भरें जैसे स्टाम्प का प्रकार (ई-पेमेंट, ई-एसबीटीआर या फ्रैंकिंग), स्टांप विक्रेता का नाम और पता, स्टाम्प क्रेता का नाम व विवरण, स्टाम्प की कीमत आदि।
- जैसे ही आप सभी स्टाम्प संबंधित जानकारी भर देते हैं तो स्क्रीन पर लाल रंग में एक ‘इमेज कोड’ दिखाई देगा। आपको इस कोड को खाली बॉक्स में भरना होगा और ‘रजिस्टर’ बटन पर क्लिक करना होगा।
- इसके बाद मुंबई या महाराष्ट्र में स्टांप ड्यूटी रिफंड की आपकी जानकारी सफलतापूर्वक जमा हो जाएगी और स्क्रीन पर एक ‘प्राप्ति रसीद’ (Acknowledgement) दिखाई देने लगेगा।
- आखिर में इस प्राप्ति रसीद में जो टोकन नंबर है, उसे उस आवेदन पत्र में भरें, जिसे स्टाम्प ड्यूटी वापसी प्रक्रिया शुरू करने के लिए स्टाम्प कलेक्टर के कार्यालय में जमा करना होता है।
महाराष्ट्र में स्टाम्प ड्यूटी रिफंड की स्थिति कैसे जांचें?
- स्थिति जांचने के लिए https://appl2igr.maharashtra.gov.in/refund/ पर लॉग-इन करें।
- रिफंड टोकन नंबर, पासवर्ड भरें और View Status पर क्लिक करें। अगर आप रिफंड आवेदन में कोई बदलाव करना चाहते हैं तो Modify पर क्लिक करें।
स्टांप ड्यूटी रिफंड आवेदन की भौतिक रूप से जमा करने की प्रक्रिया
यहां इस बात का विशेष रूप से ध्यान दें कि केवल इस पोर्टल में डेटा एंट्री करने से रिफंड आवेदन मान्य नहीं माना जाएगा। आवेदक को अपना रिफंड आवेदन भौतिक रूप से निम्नलिखित अधिकारियों को समय सीमा के अंदर जमा करना अनिवार्य है –
- a) महाराष्ट्र स्टाम्प अधिनियम के अंतर्गत निर्धारित समय सीमा के भीतर स्टाम्प की वापसी के लिए संबंधित स्टाम्प संग्राहक (कलेक्टर) से संपर्क करें।
- b) दस्तावेज का पंजीकरण न होने की स्थिति में ई-भुगतान की तिथि से 6 माह के भीतर पंजीकरण शुल्क की वापसी के लिए संबंधित संयुक्त जिला पंजीयक से संपर्क करें।
यह ध्यान दें कि स्टाम्प ड्यूटी की वापसी राशि में से एक छोटी-सी राशि प्रशासनिक शुल्क के रूप में काट ली जाती है। ई-स्टाम्प पेपर के मामले में महाराष्ट्र में स्टाम्प ड्यूटी की वापसी की प्रक्रिया उसी इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली के माध्यम से की जाती है, जिससे मूल रूप से स्टाम्प ड्यूटी जारी की गई थी।
आईजीआर महाराष्ट्र का स्टाम्प ड्यूटी रिफंड मॉड्यूल कैसे मदद करता है?
स्टाम्प ड्यूटी रिफंड मॉड्यूल में लॉगिन करके आप निम्नलिखित कार्य कर सकते हैं –
- अपनी रिफंड आवेदन से संबंधित जानकारी को सही ढंग से दर्ज कर सकते हैं।
- जरूरत पड़ने पर दर्ज की गई जानकारी को संशोधित कर सकते हैं।
- आवेदन पत्र, आवश्यक शपथपत्र आदि तैयार कर सकते हैं।
- डेटा सबमिट कर सकते हैं और रिफंड आईडी नंबर प्राप्त कर सकते हैं।
- अपने आवेदन की स्थिति (जैसे विभाग द्वारा की गई कार्यवाही) को ऑनलाइन और एसएमएस के माध्यम से जान सकते हैं।
- प्राधिकृत अधिकारी द्वारा जारी किए गए पत्र या आदेश की प्रतियां डाउनलोड कर सकते हैं।
महाराष्ट्र में स्टाम्प ड्यूटी रिफंड कब नहीं मिलता?
- यदि दस्तावेज पर स्टाम्प ड्यूटी लगने के बाद वह निष्पादित (साइन या अमल में) हो चुका है, तो ऐसी स्थिति में रिफंड नहीं मिलता।
- ऐसे दस्तावेज, जिनकी प्रक्रिया अधूरी हो या जिनकी तिथि 6 महीने की वैध सीमा से बाहर हो गई हो, उनके लिए भी स्टाम्प ड्यूटी की वापसी संभव नहीं होती।
Housing.com का पक्ष
महाराष्ट्र के पंजीयक एवं महानिरीक्षक (IGR) द्वारा स्टांप ड्यूटी की वापसी के लिए एक सुव्यवस्थित प्रक्रिया निर्धारित की गई है, जिसमें ऑनलाइन आवेदन जमा करना, उसकी स्थिति जांचना और फिर फॉर्म को ऑफलाइन जमा करना शामिल है। लेकिन यह पूरी प्रक्रिया 6 महीने के अंदर पूरी करना होती है। इसके बाद स्टांप ड्यूटी रिफंड को अस्वीकार कर दिया जाता है। हालांकि कोई व्यक्ति इन चरणों को स्वयं भी पूरा कर सकता है, लेकिन किसी भी प्रकार की शंका या जटिलता के लिए किसी विशेषज्ञ कानूनी सलाहकार की मदद लेना बेहतर माना जाता है।
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