म्हाडा ट्रांजिट कैंपों में बायोमेट्रिक सर्वे शुरू – पहले ही दिन १९५ रहवासियों का पंजीकरण

मुंबई बोर्ड द्वारा ३४ ट्रांजिट कैंपों में रहिवास सत्यापन के लिए व्यापक बायोमेट्रिक सर्वेक्षण शुरू

महाराष्ट्र गृहनिर्माण व क्षेत्र विकास प्राधिकरण (म्हाडा) ने मुंबई शहर और उपनगरों के ट्रांजिट कैंपों में बायोमेट्रिक सर्वेक्षण शुरू कर दिया है। पहले दिन सहकार नगर, चेंबूर के ट्रांजिट कैंप में १९५ रहिवासियों और किरायेदारों का सफलतापूर्वक पंजीकरण किया गया।

म्हाडा मुंबई इमारत दुरुस्ती व पुनर्रचना मंडळ के अधीन मुंबई और उपनगरों में कुल ३४ ट्रांजिट कैंप हैं। महाराष्ट्र शासन के १३ सितंबर २०१९ के शासन निर्णय (संदर्भ क्रमांक १०१४/१०२) के अनुसार, ट्रांजिट कैंपों में रहने वाले रहिवासियों को ‘अ’, ‘ब’ और ‘क’ इन तीन वर्गों में विभाजित करना अनिवार्य किया गया है। हाल ही में जारी एक अधिसूचना के अनुसार, म्हाडा मुंबई इमारत दुरुस्ती व पुनर्रचना मंडळ को इन ट्रांजिट कैंपों में रहने वाले भाड़ेकरुओं के बायोमेट्रिक सत्यापन की जिम्मेदारी सौंपी गई है, जिससे उनके रहिवास की प्रमाणिकता की पुष्टि की जा सके।

 

इस बायोमेट्रिक सर्वेक्षण के माध्यम से किरायेदारों के आधार कार्ड की जानकारी को सत्यापित किया जाएगा और ई-केवायसी प्रमाणीकरण प्रणाली का उपयोग कर रहिवास की स्थिति जांची जाएगी। इस प्रक्रिया के आधार पर म्हाडा यह निर्धारित करेगा कि ट्रांजिट कैंपों में रहने वाले रहिवासी अधिकृत हैं या अनधिकृत। यह सर्वेक्षण रहिवासियों के बीच सकारात्मक प्रतिक्रिया प्राप्त कर रहा है और इसमें भाग लेने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है।

 

११ फरवरी २०२५ को सहकार नगर, चेंबूर में निवासियों की मांग के अनुसार बायोमेट्रिक सर्वेक्षण जारी रहेगा। १२ से १७ फरवरी २०२५ के दौरान बिंबिसार नगर, गोरेगांव (पूर्व) में यह सर्वेक्षण किया जाएगा। इसके बाद, सर्वेक्षण को अन्य ट्रांजिट कैंपों और किराये की इमारतों तक बढ़ाया जाएगा ताकि सभी किरायेदारों और रहिवासियों का पंजीकरण सुनिश्चित किया जा सके।

 

१३ सितंबर २०१९ के शासन निर्णय के अनुसार, ट्रांजिट कैंप रहिवासियों को तीन श्रेणियों में विभाजित किया गया है। ‘अ’ श्रेणी में वे मूल निवासी आते हैं जिन्हें आधिकारिक रूप से ट्रांजिट कैंपों में स्थानांतरित किया गया है। ‘ब’ श्रेणी में वे रहिवासी शामिल हैं जिन्होंने पावर ऑफ अटॉर्नी या इसी प्रकार के अधिकृत दस्तावेजों के माध्यम से मूल रहिवासियों से किरायेदारी का अधिकार प्राप्त किया है। ‘क’ श्रेणी में वे अनधिकृत निवासी आते हैं जिन्होंने ट्रांजिट कैंपों में बिना किसी अधिकार के कब्जा कर लिया है।

म्हाडा का बायोमेट्रिक सर्वेक्षण ट्रांजिट कैंप रहिवासियों की प्रमाणिकता की पुष्टि करने और अनधिकृत निवासियों की पहचान करने में सहायक होगा। इस पहल का उद्देश्य पात्र रहिवासियों के पुनर्वास की प्रक्रिया को सुचारू बनाना और सरकारी आवास नीतियों को पारदर्शी रूप से लागू करना है।

हमारे लेख से संबंधित कोई सवाल या प्रतिक्रिया है? हम आपकी बात सुनना चाहेंगे। हमारे प्रधान संपादक झूमर घोष को jhumur.ghosh1@housing.com पर लिखें

 

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