प्रॉपर्टी लेनदेन के दौरान आपको ‘कन्वेयंस डीड‘ नाम का शब्द सुनने को मिलेगा. यह ऐसा शब्द है जिसकी प्रॉपर्टी लेनदेन के दौरान आपको ज्यादा समझ नहीं होगी. इसकी समझ तभी होगी, जब आप प्रॉपर्टी के जुड़े मामलों में पड़ेंगे. आइए आपको इस शब्द का मतलब इस आर्टिकल में समझाएंगे.
कन्वेयंस का मतलब होता है टाइटल डीड, ओनरशिप और प्रॉपर्टी में हितों और अधिकारों का एक शख्स से दूसरे शख्स को ट्रांसफर. शब्द ‘डीड’ एक इंस्ट्रूमेंट की ओर संकेत करता है, जैसे एक लिखित दस्तावेज, जिस पर सभी पक्षों द्वारा एक कॉन्ट्रैक्ट पर दस्तखत किया जाता है, इस मामले में, विक्रेता और खरीदार. यह एक बाध्यकारी अनुबंध है, जिसका कानूनी तौर पर पालन करना जरूरी है. एक कन्वेयंस डीड वो कॉन्ट्रैक्ट होता है, जहां विक्रेता अपने सारे अधिकार कानूनी मालिक को ट्रांसफर कर देता है. वैध कन्वेयंस डीड के बिना प्रॉपर्टी की खरीद पूरी नहीं होती है.
कन्वेयंस डीड का मतलब
कन्वेयंस डीड या सेल डीड जैसे शब्दों का इस्तेमाल एक दूसरे के स्थान पर होता है और जब वे एक ही कॉन्ट्रैक्ट का जिक्र करते हैं, तो दोनों के बीच एक सूक्ष्म अंतर होता है. सभी सेल डीड कन्वेयंस डीड हैं लेकिन कन्वेयंस डीड में गिफ्ट, एक्सचेंज, गिरवी और लीज डीड भी शामिल हो सकता है.
बिक्रीनामा, सेल/कन्वेयंस डीड के बीच फर्क को समझना बहुत जरूरी है. बिक्री के लिए एक समझौते में कुछ नियमों और शर्तों की संतुष्टि पर, भविष्य में संपत्ति के ट्रांसफर का वादा किया जाता है. बिक्री के लिए एक कॉन्ट्रैक्ट, अपने आप में, किसी संपत्ति पर कोई ब्याज या शुल्क नहीं बनाता है. इसलिए, संपत्ति की बिक्री एक कन्वेयंस डीड के बिना पूरी नहीं होती है.
कन्वेयन्स डीड में क्या लिखा होता है
- प्रॉपर्टी का वास्तविक सीमांकन
- संपत्ति के इस्तेमाल और उससे जुड़े अन्य अधिकार
- टाइटल्स की पूरी सीरीज, यानी सभी कानूनी अधिकार, वर्तमान विक्रेता तक.
- खरीदार को प्रॉपर्टी डिलिवरी का तरीका
- विचार-विमर्श का एक ज्ञापन, जिसमें यह बताया गया हो कि यह कैसे हासिल हुआ है.
- मालिकाना अधिकारों के फुल ट्रांसफर के लिए आगे लागू नियम और शर्तें.
- अगर इस्तेमाल होती है तो पावर ऑफ अटॉर्नी
- प्रॉपर्टी ओनरशिप का मेमो
- दोनों पक्षों के हस्ताक्षर
ये भी देखें: रियल एस्टेट सेल डीड: वो नियम व शर्तें, जिनके बारे में घर ग्राहक को मालूम हो
कन्वेयंस डीड की खास बातें
- विक्रेता को यह प्रमाणित कराने की जरूरत है कि प्रॉपर्टी किसी भी कानूनी अतिक्रमण से मुक्त है.
- अगर प्रॉपर्टी के एवज में लोन लिया गया है तो डीड के साइन होने से पहले मॉर्गेज को चुका देना चाहिए. ग्राहकों के पास विकल्प है कि वो इसे लोकल सब-रजिस्ट्रार के दफ्तर में जाकर चेक कर सकते हैं.
- कन्वेयंस डीड में वह सटीक तारीख होनी चाहिए, जिस दिन प्रॉपर्टी खरीदार को सौंपी जाएगी.
- डीड के निष्पादन के 4 महीने के भीतर, प्रॉपर्टी की बिक्री से जुड़े सभी असली दस्तावेजों को रजिस्ट्रेशन के लिए स्थानीय रजिस्ट्रार के सामने पेश किए जाने चाहिए.
- डीड पर कम से कम दो गवाहों के दस्तखत होने चाहिए.
कन्वेयंस डीड कितने प्रकार की होती हैं?
कन्वेयंस डीड तीन प्रकार की होती हैं:
डीड ऑफ कन्वेयंस ऑफ फ्रीहोल्ड प्रॉपर्टी: संबंधित अथॉरिटी जैसे दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) या किसी राज्य के प्राधिकरण के जरिए किसी प्रॉपर्टी को फ्रीहोल्ड में कन्वर्ट कराया जा सकता है. अंतिम दस्तावेज के रूप में कन्वेयंस डीड को मालिक को दिया जाता है.
डीड ऑफ कन्वेयंस ऑफ लीजहोल्ड प्रॉपर्टी: लीजहोल्ड ओनरशिप ऑफ प्रॉपर्टी का मतलब है कि प्रॉपर्टी में चार दीवारी के भीतर मालिक के पास सारे अधिकार हैं लेकिन इसमें बाहरी और ढांचागत दीवारें शामिल नहीं हैं. जमीन का मालिक ढांचे का मालिक है, इमारत के सामान्य क्षेत्रों को भूमि पर बनाया गया है जिस पर वह बनी है.
डीड ऑफ कन्वेयंस सब्जेक्ट टू मॉर्गेज: इस मामले में, गिरवी के अधीन ग्राहक समय-समय पर परिसर और उसमें मौजूद भूमि का लाभ ले सकता है.
कन्वेयंस डीड का नमूना प्रारूप

कन्वेयंस डीड हासिल करने की प्रक्रिया
कन्वेयंस डीड का निष्पादन एक गैर-न्यायिक स्टैंप पेपर पर किया जाता है और पास के रजिस्ट्रार दफ्तर में उसे दिखाकर रजिस्टर कराना होता है. रजिस्ट्रेशन होने के बाद, स्टैंप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस का भुगतान करना होता है. स्टैंप ड्यूटी और रजिस्ट्री चार्जेज हर राज्य में अलग-अलग होते हैं.
कन्वेयंस डीड के लिए जरूरी दस्तावेज
- बिक्री के लिए विक्रेता और खरीदार के बीच पंजीकृत समझौता
- म्यूटेशन एंट्रीज/प्रॉपर्टी कार्ड
- लोकेशन प्लान
- सिटी सर्वे प्लान या रेवेन्यू डिपार्टमेंट का सर्वे प्लान
- स्थानीय प्रशासन द्वारा मंजूर किया गया लेआउट प्लॉट प्लान
- पूरे प्लॉट, कॉमन एरिया और हर इकाई के जरिए सुविधा या बना हुआ ढांचा या ऐसे लेआउट प्लॉट पर बनाए जाने वाले प्लॉट में गैर विभाजित हित की हकदारी को लेकर आर्किटेक्चर का सर्टिफिकेट.
- अर्बन लैंड सीलिंग एक्ट, 1976 के तहत सर्टिफिकेट
- संबंधित प्राधिकरण द्वारा मंजूर किया गया बिल्डिंग या स्ट्रक्चर प्लान
- कमेंसमेंट सर्टिफिकेट
- कंप्लीशन सर्टिफिकेट
- ऑक्युपेंसी सर्टिफिकेट (अगर उपलब्ध नहीं है तो छूट मिलेगी)
- मालिकों की सूची
- स्टैंप ड्यूटी के भुगतान का सबूत
- रजिस्ट्रेशन का प्रूफ
- डेवेलपमेंट अग्रीमेंट या पावर ऑफ अटॉर्नी या बिक्रीनामा, अगर विक्रेता द्वारा निष्पादित किया गया है तो.
- ड्राफ्ट कन्वेयंस डीड/ घोषणा को आवेदक के पक्ष में निष्पादित करने का प्रस्ताव.
अग्रीमेंट टू सेल और कन्वेयंस डीड में क्या फर्क है?
चूंकि रजिस्टर्ड अग्रीमेंट टू सेल प्रॉपर्टी के लेनदेन की प्रक्रिया शुरू करता है. यह कन्वेयंस डीड की बड़ी श्रेणी के तहत आ सकता है. हालांकि इसे सेल डीड जैसा नहीं मानना चाहिए, जो लेनदेन के पूरे होने के सबूत माना जाता है और यह अग्रीमेंट टू से सेल से शुरू होता है.
कन्वेयंस डीड और सेल डीड के बीच क्या फर्क है
कोई भी ऐसा दस्तावेज जो प्रॉपर्टी में अधिकारों के ट्रांसफर के कानूनी सबूत के तौर पर काम करे, वह कन्वेयंस डीड के तहत आता है. इस तरीके से सेल डीड भी कन्वेयंस डीड है. अन्य प्रॉपर्टी ट्रांसफर दस्तावेज जो कन्वेयंस डीड की श्रेणी में आते हैं, उनमें गिफ्ट डीड, एक्सचेंज डीड, त्याग विलेख इत्यादि शामिल हैं. इसका मतलब यह भी है कि सारी सेल डीड कन्वेयंस डीड हैं लेकिन सारी कन्वेयंस डीड सेल डीड नहीं हैं.
क्या हो अगर कन्वेयंस डीड खो गई हो?
अगर बैंकर की लापरवाही से कन्वेयंस डीड खो जाए तो ये अहम कदम उठाने जरूरी हैं:
- मालिक को जल्द से जल्द पुलिस में शिकायत दर्ज करानी चाहिए. एफआईआर की कॉपी को संभालकर रखें क्योंकि उसे बेचने के दौरान घर खरीदार उसे मांग सकता है.
- आप दस्तावेज़ों के खो जाने के बारे में किसी अखबार में इश्तेहार भी दे सकते हैं. आपको 15 दिन के निश्चित समय का इंतजार करना पड़ सकता है, यह जानने के लिए कि उस अवधि में किसी को दस्तावेज मिल जाएं और वह उन्हें लौटा दे.
- आप एक एफिडेविड बनवाकर उसे नोटराइज्ड करा लें. इसमें प्रॉपर्टी की सारी जानकारियां, एफआईआर की डिटेल्स और अखबार के इश्तेहार के बारे में लिखा होगा.
- आप सब-रजिस्ट्रार दफ्तर से कानूनी तौर पर सर्टिफाइड डीड की कॉपी भी हासिल कर सकते हैं, जहां प्रॉपर्टी रजिस्टर हुई थी. दस्तावेज हासिल करने के लिए आपको कुछ शुल्क अदा करने होंगे.
इन बातों का रखें ध्यान
सारी सेल डीड कन्वेयंस डीड हैं लेकिन यह बात सच नहीं है. |
कन्वेयंस डीड रजिस्ट्रेशन एक्ट के तहत आती हैं और गैर- न्यायिक स्टैंप पेपर पर निष्पादित होता है. |
कन्वेयंस डीड पर दस्तखत होने के बाद उसे स्थानीय सब-रजिस्ट्रार दफ्तर में रजिस्टर करना होता है. साथ में रजिस्ट्रेशन शुल्क भी देना होता है. |
कन्वेयंस डीड में विक्रेता और ग्राहक के नाम, उनके पते, संपत्ति का सीमांकन, टाइटल डिटेल्स, संपत्ति की डिलिवरी का तरीका आदि. |
कन्वेयंस डीड पर कम से कम दो गवाहों के दस्तखत होने चाहिए, जिसमें उनके सभी विवरण शामिल हों. |
नोट: कन्वेयंस डीड गैर-न्यायिक स्टैंप पेपर पर निष्पादित होता है, जिसे रजिस्टर्ड कराना चाहिए. कुछ शुल्क चुकाने के बाद यह पूरा होता है. फिर इसे सार्वजनिक डोमेन में ट्रांसफर कर दिया जाता है. रजिस्ट्रेशन चार्जेज और स्टैंप ड्यूटी के रूप में सरकार को राजस्व हासिल होता है.
ताजा अपडेट्स
कन्वेयंस डीड के लिए महाराष्ट्र ने शुरू की ड्राइव
मुंबई में 30 हजार हाउसिंग सोसाइटीज और महाराष्ट्र में एक लाख से ज्यादा सोसाइटीज के पास कन्वेयंस डीड नहीं है. साल 2012 में राज्य सरकार डीम्ड कन्वेयंस का कॉन्सेप्ट लेकर आई थी, जहां एक सोसाइटी उस बिल्डर को बायपास कर सकती है जो कन्वेयंस डीड को निष्पादित करने और रजिस्ट्रार से उसे हासिल करने में विफल रहता है.
जनवरी 2021 में राज्य सरकार ने एक ऐसी हाउसिंग सोसाइटीज की मदद के लिए खास पहल शुरू की. हासांलि एक्सपर्ट्स ने इस पहल में खामी की ओर संकेत किया. उनका कहना था कि यह बिल्डर के लिए अनिवार्य है कि वह प्रोजेक्ट के पूरा होने के 4 महीने के भीतर जमीन और बिल्डिंग को सोसाइटी के हवाले कर दे. लेकिन इसमें बिल्डरों की विफलताओं को नजरअंदाज किया गया है और घर के मालिकों को जिम्मेदार बनाया गया है.
PM-UDAY स्कीम के तहत जारी कन्वेयंस डीड
हाल ही में दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने कहा कि 4371 कन्वेयंस डीड और प्राधिकरण पर्ची को 26 फरवरी को दिल्ली आवास अधिकार योजना (PM-UDAY) में प्रधानमंत्री अवैध कॉलोनियों के तहत जारी किया गया था. यह योजना अवैध कॉलोनियों में लोगों को एक ऑनलाइन पोर्टल के जरिए स्वामित्व अधिकारों के लिए आवेदन करने में सक्षम बनाने के लिए शुरू की गई थी.
केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा था कि डीडीए को 26 फरवरी तक पीएम-उदय योजना के तहत अधिकार देने के लिए पोर्टल पर 61,184 आवेदन हासिल हुए थे. कुल 23,884 पर कार्रवाई की गई और 12,959 का निपटारा किया गया.
पूछे जाने वाले सवाल
कन्वेयंस डीड एक प्रकार का कॉन्ट्रैक्ट है, जिसमें विक्रेता अपने सारे अधिकार कानूनी मालिक को ट्रांसफर कर देता है. वैध कन्वेयंस डीड के बिना प्रॉपर्टी खरीद पूरी नहीं होती.
कन्वेयंस डीड और सेल डीड जैसे शब्द अकसर एक-दूसरे के स्थान पर इस्तेमाल किए जाते हैं और जब वे एक ही कॉन्ट्रैक्ट का जिक्र करते हैं तो दोनों के बीच मामूली फर्क है. सारी सेल डीड कन्वेयंस डीड होती हैं लेकिन कन्वेयंस डीड में गिफ्ट, एक्सचेंज, मॉर्गेज और लीज डीड भी शामिल हो सकती हैं.
द स्पेसिफिक रिलीफ एक्ट 1963 के सेक्शन 31 और 33 के अनुसार, इसे रद्द कराना मुमकिन है अगर व्यक्ति को यह लगता है कि डीड अमान्य करणीय है या शक है कि अगर बकाया छोड़ा गया तो इससे उसे चोट पहुंचेगी. अगर इंडियन रजिस्ट्रेशन एक्ट 1908 के प्रावधानों के तहत डीड को रजिस्टर किया गया है तो दोनों पक्षों की सहमति से इसे रद्द कराया जा सकता है. क्या होती है कन्वेयंस डीड?
सेल डीड और कन्वेयंस डीड के बीच क्या फर्क है?
क्या कन्वेयंस डीड को रद्द कराया जा सकता है?
(सुनीता मिश्रा और स्नेहा शैरन मैमन के इनपुट्स के साथ)