बैनामा या सेल डीड में कैसे करें सुधार?

कभी भी बैनामे या सेल डील में कोई गलती हो जाए तो उसके सुधार के लिए क्या प्रक्रिया होगी?

प्रॉपर्टी को बैनामा या सेल डीड के माध्यम से ही खरीदा या बेचा जा सकता।  सेल डीड एक महत्वपूर्ण पेपर होता है और इसमें किसी भी तरह की कोई गलती चाहे वो जाने में हुई हो या अनजाने में भविष्य में चिंता का कारण बन सकती है।  लेकिन वही अक्सर यह भी देखा गया है कि पेपर वर्क के समय बैनामे में कभी-कभी कोई-न-कोई गलती छूट ही जाती है।  बैनामे में  हुई गलती के सुधार की क्या प्रक्रिया है, हम इस लेख के माध्यम से समझेंगे।

 

क्या होता है बैनामा?

बैनामा जिसे अंग्रेजी में सेल डीड (sale deed) कहते हैं वह दस्ताबेज या पेपर होता है, जिसमे सम्पत्ति को खरीदते या बेचते समय सम्पत्ति से सम्बन्धित समस्त बातें लिखी जाती हैं।   इनमे शामिल हैं, सम्पत्ति का असली मूल्य, सम्पत्ति का बाजार मूल्य, क्रेता,  विक्रेता, चुकाई गई स्टाम्प ड्यूटी, गवाहो के नाम, आदि।  सावधानी पूर्वक लिखे जाने के बावजूद भी कभी-कभी बैनामे में छोटी-मोटी गलती हो जाती है।  उन गलतियों मे सुधार अगर समय रहते न किया गया तो बैनामे की वैधानिकता पर ही सवाल उठ सकता है।  यहाँ यह भी जान लेना ज़रूरी होगा कि  सेल डीड में विधि की गलती मे कोई सुधार सम्भव नहीं है, केवल तथ्य की भूल को ही सुधार जा सकता है।

 

आइये जानते है किन-किन गलतियों का सुधार सेल डीड में किया जा सकता है। 

टाइपिंग में हुई गलती में सुधार: अगर सेल डीड या बैनामे में टाइपिंग में कोई गलती हुई है तो इसमें सुधार किया जा सकता है। शर्त यह है कि वह गलती विधिक या कानूनी गलती नहीं होनी चाहिए।

  • संख्यात्मक गलतिया: संख्यात्मक या नूमेरिक गलतियों में भी सुधार किया जा सकता है ।
  • दोहराई गई बात में सुधार
  • स्पेलिंग मे हुई गलतिया
  • न समझ मे आने वाले वाक्य

इस प्रकार की गलतियों को रेक्टीफिशेन डीड के माध्यम से सही किया जा सकता है।

 

बैनामे या सेल डीड में सुधार के रेक्टीफिशेन (rectification) डीड की शर्ते

रेक्टीफिकेशन डीड को तैयार करने की शर्तें होती हैं। हमे उसका अनुपालन करके ही इसे तैयार कर सकते हैं।

  • प्रथम शर्त यह है कि सेल डीड मे जो गलती हुई है वह जान बूझकर नहीं बल्कि गलती वश हुई होनी चाहिए।
  • क्रेता व विक्रेता दोनों पक्षों का सुधार के लिए तैयार होना।
  • सही स्टाम्प फीस देना।

 

बैनामे या सेल डीड में रेक्टिफिकेशन की प्रक्रिया

  1. रेक्टिफिकेशन डीड को तैयार करते समय सब से पहले उसके लेख पत्र पर विशेष ध्यान देना चाहिए। वैसे तो यह भी बैनामे की तरह ही तैयार किया जाता है किन्तु, इसमें इस बात को दर्शाया जाता है कि पूर्व के बैनामे या सेल डीड मे क्या गलती रह गई थी और उसको किस तरह से सही किया जा रहा है। यह भी स्पष्ट किया जाता है कि उस सुधार की आवश्यकता क्यों है।
  2. साथ ही दोनों पक्षों को सब-रजिस्ट्रार के समक्ष शपथ पत्र भी देना होता है कि पूर्व के बैनामे या सेट डीड में उन्होंने कोई परिवर्तन नही किया है तथा दोनों गवाहो द्वारा भी इसे प्रमाणित किया जाता है। सर्व प्रथम सब-रजिस्ट्रार के समक्ष रेक्टिफिकेशन डीड को प्रस्तुत करना होता है, और उसे इस बात से सन्तुष्ट करना होता है कि जो गलती हुई है उसमे सुधार करना अति-आवश्यक है।
  3. यही भी सपष्ट करना होता है कि गलती एक मानवीय भूल थी तथा पर्याप्त स्टाम्प ड्यूटी के साथ-साथ राजिस्ट्रेशन फीस का भी भुगतान करना होता है।
  4. बता दें कि रेक्टिफिकेशन डीड रजिस्टर करनने के लिए क्रेता और विक्रेता की सहमति अहम भूमिका निभाती है। अगर एक पक्ष तैयार नहीं है
  5. तो रेक्टीफिकेशन डीड तैयार नहीं की जा सकती है। यदि एक पक्ष की मृत्यु हो गई है तो उसके कानूनी उत्त्यधिकरियों द्वारा सहमति की भावश्यकता पड़ती है।

 

असहमति कि स्थिति में कानूनी अधिकार

अगर विक्रेता या क्रेता के मध्य सहमति न बन पाये तो एक पक्ष के पास क्या कानूनी अधिकार होंगे?। रेक्टीफिकेशन डीड को एक्जीक्यूट करने के इस विषय में कानूनी रूप से सिविल कोर्ट द्वारा व्यक्ति को उपचार प्राप्त है।  स्पेरियल रीलीफ एक्ट 1963 की धारा 26(a) के तहत सिविल कोर्ट में दावा किया जा सकता है

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