वास्तु के मुताबिक घर खरीदने के लिए 5 सुनहरे नियम

आज हम आपको वास्तु शास्त्र के पांच ऐसे नियम बताने जा रहे हैं, जिससे घर खरीददार खुद यह चेक कर सकते हैं कि उनका घर वास्तु सिद्धांतों के मुताबिक बने हैं या नहीं.
हर कोई ऐसा घर खरीदना चाहता है, जिसमें रहने से खुशियां, शांति और सकारात्मकता आए. माना जाता है कि जो घर वास्तु शास्त्र के मुताबिक होता है, वह उसमें रहने वालों के लिए अच्छा भाग्य लाता है. वास्तु सभी इंजीनियरिंग, प्रकाश विज्ञान, अकाउस्टिक्स और आध्यात्मिकता की अवधारणाओं के सामंजस्य के बारे में है. नीचे घर खरीददारों के लिए 5 बेहद खास नियम हैं, जिससे घर खरीददार यह मालूम कर सकते हैं कि जिस प्रॉपर्टी को वे खरीदना चाहते हैं, वह वास्तु के मुताबिक है भी या नहीं.

नियम 1: प्लॉट की दिशा और कंस्ट्रक्शन उत्तर या पूर्व की तरफ होना चाहिए.

एलीसियम एडोब्स के प्रोजेक्ट हेड राकेश पाटेकर ने कहा कि कुछ दिशाओं का सकारात्मक असर पड़ता है. जबकि बाकी घर के मालिकों पर बुरा असर डालते हैं. उन्होंने कहा, ”वास्तु के मुताबिक, जिन प्लॉट्स का मुंह पूर्व और उत्तर की ओर होता है वे निर्माण के लिहाज से मुफीद माने जाते हैं. अगर पश्चिम और दक्षिण दिशा की ओर घर का निर्माण हो रहा है तो सावधानियां बरतें.”

नियम 2: प्लॉट का आकार चौकोर या आयताकार होना चाहिए

एक्सपर्ट्स का कहना है कि जिस प्लॉट पर घर बनना है, उसका आकार चौकोर या आयतकार होना चाहिए. भवन की लंबाई और चौड़ाई के बीच का अनुपात 1:1, 1:1.5 या अधिकतम 1:2 होना चाहिए. ए2जेडवास्तु.कॉम के सीईओ और फाउंडर विकास सेठी ने कहा, ”घर खरीददारों को ऐसे प्लॉट्स नहीं खरीदने चाहिए, जिनका आकार अजीबोगरीब, अंडाकार, गोलाकार, त्रिकोणीय हो या फिर उसके उत्तर, पूर्व, दक्षिण या पश्चिमी कोने गायब हों.” जो प्लॉट चौकोर आकार में होते हैं, उन्हें सर्वश्रेष्ठ माना जाता है. वे वास्तु के अनुरूप होते हैं.

नियम 3: बिल्डिंग का आकार/ढांचा वास्तु के सिद्धांतों के मुताबिक होना चाहिए

वास्तु में गौमुखी और शेरमुखी आकार को महत्व दिया गया है क्योंकि ये आकार घर में रहने वालों की समृद्धि और स्वास्थ्य को तय करते हैं. गौमुखी आकार में एंट्री पॉइंट छोटी और पीछे की ओर चौड़ी होती है, जबकि शेरमुखी एंट्रेंस पर चौड़ा और पीछे से छोटा होता है. गौमुखी को रहने के लिहाज से बेहतर माना जाता है जबकि शेखमुखी को कमर्शियल के लिए. इसी तरह जिन घरों के कोनों का विस्तार (उत्तर-पूर्व को छोड़कर) किया जाता है, उन्हें रहने के लिहाज से अच्छा नहीं माना जाता.

नियम 4: वास्तु के सिद्धांतों के मुताबिक घर के इंटीरियर और रंग

गहरे रंग जैसे काले से नकारात्मक ऊर्जा फैलती है. लिहाजा घर की दीवारों, फर्नीचर, फ्लोर इत्यादि के लिए गहरे रंगों को न चुनें. सकारात्मक ऊर्जा लाने के लिए गुलाबी, पीला या संतरी रंग का इस्तेमाल करें. उदाहरण के तौर पर संतरी रंग डाइनिंग एरिया के लिए मुफीद है जबकि मास्टर बेडरूम (साउथ-वेस्ट दिशा में) के लिए क्रीम कलर.

नियम 5: घर में रखी चीजों की जगह

पाटेकर ने कहा, ”वास्तु के तहत कई ऐसे नियम हैं, जो फर्नीचर से जुड़ी चीजों की जगह से संबंधित हैं.”

  • बेड हमेशा बेडरूम के साउथ-वेस्ट दिशा में रखना चाहिए.
  • जूते रखने की जगह (शू रैक) साउथ वेस्ट दिशा में होनी चाहिए.
  • डाइनिंग टेबल हमेशा डाइनिंग रूम के नॉर्थ-वेस्ट हिस्से में रखना चाहिए.
  • पढ़ाई करते वक्त बच्चों का मुंह उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए.
घर खरीदारों को रसोई, शौचालय, सीढ़ी और मुख्य द्वार जैसी जगहों पर भी विचार करना चाहिए, जो दक्षिण / दक्षिण-पश्चिम दिशा में नहीं होने चाहिए. इसके अलावा प्रॉपर्टी खरीदने वालों को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी पंचतत्वों के बीच सौहार्द होना चाहिए ताकि वास्तु के सकारात्मक  प्रभाव पैदा हों.
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