तलाक होने पर ऐसे करें प्रॉपर्टी का बंटवारा, ये हैं सभी कानूनी विकल्प

अगर कोई दंपति तलाक लेने का विचार बनाती है तो उनके बीच प्रॉपर्टी का बंटवारा कैसे होगा. आज हम आपको सारे उपलब्ध कानूनी विकल्प बता रहे हैं.
तलाक न सिर्फ कपल के बीच कानूनी संबंध खत्म कर देता है बल्कि इसके बाद पति-पत्नी के बीच प्रॉपर्टी का बंटवारा भी किया जाता है. तलाक के बाद दोनों को तय करना होता है कि प्रॉपर्टी के साथ क्या करना है. प्रॉपर्टी या तो दोनों के नाम पर होगी या सिर्फ किसी एक के नाम पर.

अगर प्रॉपर्टी दोनों के नाम पर है तो?

अगर प्रॉपर्टी दोनों के नाम पर है तो इसका बंटवारा उनके व्यक्तिगत शेयर के आधार पर किया जाएगा. व्यक्तिगत शेयर पर आने के लिए आप प्रॉपर्टी का मूल्यांकन उसकी मार्केट वैल्यू के आधार पर कर सकते हैं. साथ ही, जब पति-पत्नी के पास जॉइंट प्रॉपर्टी टाइटल होता है तो उन्हें जरूरी कागजी कार्यवाही कर संपत्ति को एक शख्स के नाम ट्रांसफर कराना पड़ता है.

अगर प्रॉपर्टी दोनों के नाम पर हो तो ये विकल्प उपलब्ध हैं-

*प्रॉपर्टी बेच दें: प्रॉपर्टी को बेचकर व्यक्तिगत शेयर के आधार पर उसे बांट लें. अगर कोई लोन बकाया है तो आपको पहले उसे चुकाना होगा और फिर उसके बाद आप हिस्सा बांट सकते हैं.
*एक शख्स घर रख ले: अगर पति-पत्नी में से कोई एक घर रखना चाहता है तो वह मार्केट वैल्यू के आधार पर दूसरे का हिस्सा खरीद सकता है. इसके लिए पेपरवर्क करना होगा और प्रॉपर्टी टाइटल उस शख्स के नाम कराना होगा.
*घर जॉइंट प्रॉपर्टी रह सकता है: टैक्स के झमेलों को कम करने और प्रॉपर्टी की बढ़ती कीमतों का फायदा लेने के लिए कपल प्रॉपर्टी को होल्ड पर भी रख सकता है. इस मामले में यह जरूरी है कि आप अलग होने वाले समझौते में देयता और प्रॉपर्टी पर क्लेम को परिभाषित करें.
आपसी सहमति से तलाक के मामले में प्रॉपर्टी का बंटवारा काफी आसान है. ऐसे मामलों में पति-पत्नी आपस में तय कर सकते हैं कि वे कैसे प्रॉपर्टी का निपटारा करना चाहते हैं.

अगर प्रॉपर्टी टाइटल पति के नाम पर हो तो?

मौजूदा कानून के मुताबिक, तलाक मांगने वाली महिला पति की संपत्ति में किसी भी हिस्से की हकदार नहीं है. वर्तमान व्यवस्था के मुताबिक, घर का मालिकाना हक उस शख्स के पास रहता है, जिसके नाम प्रॉपर्टी है. उदाहरण के तौर पर, अगर प्रॉपर्टी टाइटल दोनों के नाम पर है, दोनों ने मिलकर उसे खरीदा है तो पत्नी को अपना हिस्सा साबित करना होगा और फिर कोर्ट में यह मामला रफा-दफा होगा.

अगर पत्नी के नाम प्रॉपर्टी हो तो?

दूसरी ओर, कम रजिस्ट्रेशन फीस का फायदा उठाने के लिए अगर पति अपने पैसे से प्रॉपर्टी खरीदकर पत्नी के नाम पर रजिस्ट्रेशन कराता है तो ऐसे मामलों में पत्नी के पास ही प्रॉपर्टी का मालिकाना हक रहेगा. जब कोई शख्स कोर्ट में यह साबित कर देगा कि उसने प्रॉपर्टी खरीदने में पैसा दिया है तो वह संपत्ति में हक पाने का हकदार होगा. भले ही प्रॉपर्टी टाइटल किसी और के नाम पर हो. आसानी से होने वाले तलाक में आपसी सहमति से प्रॉपर्टी का बंटवारा हो सकता है या फिर व्यक्तिगत योगदान या स्वामित्व के आधार पर.
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