देश में आर्थिक गलियारों (इकोनॉमिक कॉरिडोर), दूसरे देशों की सीमा से सटे इलाकों तथा दूर-दराज के क्षेत्रों में कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने के इरादे के साथ केंद्र सरकार ने साल 2017 में भारतमाला प्रोजेक्ट (या भारतमाला परियोजना) के नाम से हाईवे (राजमार्ग) के विकास की एक बड़ी योजना की शुरुआत की।
भारतमाला प्रोजेक्ट (भारतमाला परियोजना) क्या है?
भारतमाला परियोजना भारत में बड़ी एवं चौड़ी सड़कों तथा हाईवे (राजमार्ग) के निर्माण के लिए केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही एक परियोजना है, जिसके तहत केंद्र सरकार ने देश भर में एक मजबूत हाई–स्पीड रोड नेटवर्क तैयार करने की योजना बनाई है।
भारतमाला परियोजना: मुख्य जानकारी
योजना का नाम | भारतमाला परियोजना |
योजना की शुरुआत | 31 जुलाई, 2015 |
यह क्या है? | राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना के बाद यह भारत में हाईवे (राजमार्ग) के निर्माण की दूसरी सबसे बड़ी परियोजना है। |
परियोजना की निगरानी करने वाला मंत्रालय | सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय |
चरण | 2 |
अनुमानित खर्च | 5.35 लाख करोड़ रुपये |
योजना को लागू करने के लिए जिम्मेदार एजेंसियाँ | भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण, राष्ट्रीय राजमार्ग एवं औद्योगिक विकास निगम, राज्यों के लोक निर्माण विभाग |
मौजूदा स्थिति | वर्तमान में जारी |
भारतमाला परियोजना की पूरी जानकारी
भारतमाला परियोजना को राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना (एनएचडीपी) के बाद भारत में हाईवे (राजमार्ग) के निर्माण की दूसरी सबसे बड़ी परियोजना के तौर पर देखा गया है। भारतमाला परियोजना केंद्र सरकार की प्रमुख योजना है जिसके तहत बनाए जा रहे सड़क नेटवर्क से, कई अन्य फायदों के अलावा कार्गो की तेज आवाजाही और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 25 अक्टूबर, 2017 को परियोजना को मंजूरी दी, जिसके बाद माननीय सड़क परिवहन मंत्री, श्री नितिन गडकरी ने कहा, “भारतमाला परियोजना से लॉजिस्टिक की लागत में कमी लाएगी, जिससे निर्यात और निवेश को काफी फायदा मिलेगा।” तेजी से आवाजाही के चलते सप्लाई चेन की लागत में भी कमी आने की संभावना है, जो 18% के वर्तमान औसत से घटकर 6% हो जाएगा।
सड़क परिवहन मंत्रालय ने अपने एक बयान में कहा, “यह परियोजना देश भर में सामानों की ढुलाई और यात्रियों की आवाजाही को बेहतर बनाने पर केंद्रित है। इसे ध्यान में रखते हुए, इन्फ्रास्ट्रक्चर की खामियों को दूर करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए जाएँगे, जिनमें इकोनॉमिक कॉरिडोर, इंटर-कॉरिडोर और फीडर रूट का विकास, नेशनल कॉरिडोर की क्षमता को बेहतर बनाना, सीमा से सटे इलाकों के साथ-साथ दूसरे देशों से संपर्क के लिए सड़कों का निर्माण, तटीय इलाकों और बंदरगाह को जोड़ने वाली सड़कों तथा ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे का निर्माण शामिल है।”
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गुजरात और राजस्थान से शुरू होकर पंजाब, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों, बिहार और पश्चिम बंगाल से गुजरते हुए सिक्किम, असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और मिजोरम तक फैली यह परियोजना माननीय प्रधानमंत्री, श्री नरेंद्र मोदी के दिल के करीब है, जिसमें भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों को कनेक्टिविटी प्रदान करने पर विशेष ध्यान दिया गया है।
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भारतमाला परियोजना के विकास के चरण
भारतमाला परियोजना के तहत लगभग 65,000 किलोमीटर नेशनल हाईवे (राष्ट्रीय राजमार्ग) का निर्माण दो चरणों में किया जाएगा।
भारतमाला परियोजना का पहला चरण
आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने अक्टूबर 2017 में भारतमाला परियोजना के पहले चरण को मंजूरी दी थी। पहले चरण में कुल 34,800 किलोमीटर सड़कों का विकास किया जाएगा। भारतमाला परियोजना के पहले में अब तक 571 इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट को मंजूरी दी जा चुकी है, जिन की कुल लंबाई 19,785 किमी है। इन परियोजनाओं के विकास पर 593,820 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान लगाया गया है।
भारतमाला के चरण 1 में बनाई गई सड़कें:
- इकोनॉमिक कॉरिडोर (9,000 किमी)
- इंटर-कॉरिडोर और फीडर रूट (6,000 किमी)
- राष्ट्रीय कॉरिडोर दक्षता सुधार कार्यक्रम के तहत बनी सड़कें (5,000 किमी)
- सीमा और अंतर्राष्ट्रीय संपर्क सड़कें (2,000 किमी)
- तटीय और बंदरगाह संपर्क सड़कें (2,000 किमी)
- एक्सप्रेसवे (800 किमी)
- एनएचडीपी सड़कें (10,000 किमी)
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भारतमाला परियोजना के चरण-I में बनाए जाने वाले एक्सप्रेस–वे
भारतमाला परियोजना के चरण-I में सरकार कुछ एक्सप्रेसवे और एक्सेस कंट्रोल कॉरिडोर का विकास करेगी, जिनके नाम नीचे दिए गए हैं:
- दिल्ली-वडोदरा एक्सप्रेसवे
- वडोदरा-मुंबई एक्सप्रेसवे
- दिल्ली-फरीदाबाद-सोहना एक्सप्रेसवे
- अहमदाबाद-धोलेरा एक्सप्रेसवे
- दिल्ली-अमृतसर-कटरा एक्सप्रेसवे
- बेंगलुरु-चेन्नई एक्सप्रेसवे
- कानपुर-लखनऊ एक्सप्रेसवे
- अंबाला-कोटपुतली कॉरिडोर
- चेन्नई-सलेम कॉरिडोर
- अमृतसर-भटिंडा-जामनगर कॉरिडोर
- दुर्ग-रायपुर-आरंग कॉरिडोर
- रायपुर-विशाखापत्तनम कॉरिडोर
- चित्तूर-थैचूर कॉरिडोर
- अर्बन एक्सटेंशन रोड II
- दिल्ली-देहरादून कॉरिडोर
- बेंगलुरु-सैटेलाइट रिंग रोड
- सूरत-अहमदनगर सोलापुर
- सोलापुर-कुर्नूल कॉरिडोर
- खड़गपुर-सिलीगुड़ी कॉरिडोर (मोरग्राम तक)
- इंदौर-हैदराबाद कॉरिडोर
- हैदराबाद (सूर्यपेट)-विशाखापत्तनम (देवरपल्ले) कॉरिडोर
- कोटा–इंदौर (गरोठ–उज्जैन) कॉरिडोर
- हैदराबाद-रायपुर कॉरिडोर
- नागपुर-विजयवाड़ा कॉरिडोर
भारतमाला प्रोजेक्ट की मौजूदा स्थिति 2022
हालाँकि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने साल 2022 तक इस पूरे सड़क नेटवर्क का निर्माण करने की योजना बनाई थी, लेकिन जमीन अधिग्रहण से जुड़ी समस्याओं, लागत में वृद्धि तथा कोरोनावायरस महामारी की कई लहरों की वजह से भारतमाला परियोजना के पहले चरण का काम पूरा होने में चार साल की देरी होने की संभावना है। अक्टूबर 2020 में सरकार ने बताया कि इस परियोजना के पहले चरण के तहत 2,921 किमी हाईवे (राजमार्गों) का निर्माण किया जा चुका है।
रेटिंग एजेंसी आईसीआरए के अनुसार, अगर वित्त-वर्ष 2023 तक इस परियोजना के लिए सभी कॉन्ट्रैक्ट दे दिए जाएँ, तो वित्त-वर्ष 2026 तक इसके चरण 1 का काम पूरा हो सकता है।
इससे पहले भारतमाला परियोजना के चरण 1 पर 5.35 लाख करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान लगाया गया था, लेकिन अब यह राशि बढ़कर 8.5 लाख करोड़ रुपये हो गई है, जिसका मुख्य कारण जमीन के अधिग्रहण में देरी है।
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भारतमाला परियोजना का चरण 2
भारतमाला परियोजना के चरण 2 की योजना बनाने का काम पहले ही शुरू किया जा चुका है, और एनएचएआई ने इसके दूसरे चरण में कवर किए जाने वाले 5,000 किमी नेटवर्क की पहचान कर ली है।
भारतमाला परियोजना के तहत रोजगार के अवसर
इस परियोजना से पूरे भारत में आर्थिक गतिविधियाँ काफी बढ़ जाएँगी जिससे लगभग 22 मिलियन लोगों को रोजगार मिलेगा, साथ ही 100 मिलियन लोगों को दिहाड़ी मजदूरी मिलने की उम्मीद है।
भारतमाला परियोजना के लिए फंडिंग
भारतमाला परियोजना दरअसल केंद्र सरकार की सड़क एवं राजमार्ग परियोजना है और इसकी फंडिंग कई तरीकों से की जाती है, जिसमें बजट के जरिए आवंटन, निजी निवेश, ऋण के जरिए मिलने वाली पूँजी, टोल-ऑपरेटर-ट्रांसफर मॉडल, आदि शामिल हैं।
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भारतमाला के तहत सड़क बनाने के लिए जिम्मेदार एजेंसियाँ
इस परियोजना को पूरा करने की जिम्मेदारी भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण, राष्ट्रीय राजमार्ग एवं औद्योगिक विकास निगम तथा राज्यों के लोक निर्माण विभागों को सौंपी गई है।
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भारतमाला परियोजना से जुड़ी नवीनतम जानकारी
केंद्र सरकार ने भारतमाला परियोजना के पहले चरण में नासिक रोड खंड को शामिल किया
19 अगस्त, 2021: केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री, श्री नितिन गडकरी ने बताया कि, केंद्र ने नासिक रोड के द्वारका सर्किल से दत्ता मंदिर चौक तक की 5.9 किलोमीटर सड़क को भारतमाला परियोजना के चरण-1 में शामिल किया है। 19 अगस्त, 2021 को एक ट्वीट के जरिए श्री गडकरी ने कहा कि, इस फैसले से नासिक शहर और नासिक रोड रेलवे स्टेशन के बीच हर दिन यात्रा करने वाले लोगों को बड़ी राहत मिलेगी, जो नासिक-पुणे राष्ट्रीय राजमार्ग के सात किलोमीटर लंबे खंड से अलग है।
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की ओर से द्वारका सर्किल से दत्ता मंदिर चौक तक एक फ्लाईओवर बनवाया जाएगा, जिससे लोगों को नासिक रोड पर ट्रैफिक जाम से छुटकारा मिलेगा। नासिक के सांसद, श्री हेमंत तुकाराम गोडसे ने कहा कि इन दोनों स्थानों के बीच आने-जाने वाले भारी वाहन फ्लाईओवर का उपयोग कर सकते हैं और पूरे शहर में घूमने से बच सकते हैं।
चंबल एक्सप्रेसवे को भारतमाला परियोजना के चरण-1 में शामिल किया गया
19 अगस्त, 2021: केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री, श्री नितिन गडकरी ने कहा कि, केंद्र ने 404 किलोमीटर लंबे चंबल एक्सप्रेसवे को भारतमाला परियोजना के चरण-1 में शामिल किया है। मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के दूर-दराज के इलाकों से गुजरने वाले चंबल एक्सप्रेसवे के निर्माण पर 8,250 करोड़ रुपये खर्च होंगे। यह एक्सप्रेसवे स्वर्णिम चतुर्भुज के दिल्ली-कोलकाता कॉरिडोर, उत्तर-दक्षिण कॉरिडोर, पूर्व-पश्चिम कॉरिडोर तथा दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे के साथ क्रॉस-कनेक्टिविटी भी प्रदान करेगा।
केंद्र सरकार ने मध्य प्रदेश के अटल प्रोग्रेस–वे प्रोजेक्ट को भारतमाला के पहले चरण में शामिल किया
19 अगस्त, 2021: मध्य प्रदेश के अटल प्रोग्रेस-वे प्रोजेक्ट को भारतमाला परियोजना के पहले चरण में शामिल किया जाएगा, जिसके लिए केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय द्वारा मंजूरी दी जा चुकी है। अटल प्रोग्रेस-वे प्रोजेक्ट का निर्माण 1,500 हेक्टेयर की सरकारी जमीन पर किया जाएगा, जिसे तैयार करने में 7,000 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री, श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा, “अटल प्रोग्रेस-वे सही मायने में ग्वालियर-चंबल क्षेत्र के विकास के लिए बेहद महत्वपूर्ण साबित होगा। 404 किलोमीटर लंबे इस एक्सप्रेस-वे के आसपास इंडस्ट्रियल कॉरिडोर भी बनाया जाएगा। यह इस क्षेत्र के आर्थिक विकास की सबसे अहम कड़ी बनेगा। मध्य प्रदेश में पूर्व में झांसी (उत्तर प्रदेश) और पश्चिम में कोटा (राजस्थान) को जोड़ने वाले इस एक्सप्रेसवे की लंबाई 404 किलोमीटर होगी, जो चंबल के भिंड, मुरैना और श्योपुर जिलों से होकर गुजरेगा।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
भारतमाला परियोजना (भारतमाला प्रोजेक्ट) क्या है?
भारतमाला परियोजना देश में हाईवे (राजमार्ग) के विकास के लिए केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई एक योजना है, ताकि देश भर में माल ढुलाई और यात्रियों की आवाजाही की सुविधाओं को बेहतर बनाया जा सके, और इसके परिणामस्वरूप आर्थिक विकास को बढ़ावा मिल सके।
भारतमाला परियोजना किस मंत्रालय के अधीन है?
भारतमाला परियोजना सड़क परिवहन मंत्रालय के अधीन है।