अगर जॉइंट होम लोन है तो एसे पा सकते हैं टैक्स में छूट, इन बातों का भी रखें ध्यान

कई घर ग्राहक अपनी एलिजिबिलिटी बढ़ाने के लिए जॉइंट होम लोन का विकल्प चुनते हैं। लेकिन लोन का भुगतान और उन पर टैक्स छूट एक अनुपात में क्लेम किया जाना चाहिए। आज हम आपको यही बताने जा रहे हैं।
होम लोन के संबंध में आयकर कानूनों के तहत आप कई फायदे पा सकते हैं। कुछ स्थितियों में चुकाए गए ब्याज पर फायदे सेक्शन 24 (बी) और प्रिसिंपल रीपेमेंट के लिए सेक्शन 80सी के तहत मौजूद होते हैं। होम लोन एलिजिबिलिटी बढ़ाने के लिए कपल्स अकसर जॉइंट होम लोन के विकल्प को चुनते हैं। लेकिन इसको लेकर काफी भ्रम है कि कौन जॉइंट होम लोन के फायदे और कितनी टैक्स छूट क्लेम कर सकता है।
 
 
प्रॉपर्टी के सह-उधारकर्ता और सह-मालिक: जॉइंट प्रॉपर्टी के मामले में टैक्स लगाने का शेयर क्या होगा, इसके लिए आयकर कानून के सेक्शन 26 में गाइडलाइंस बताई गई हैं। जॉइंट प्रॉपर्टी के मामले में आप पर प्रॉपर्टी के शेयर के संबंध में बतौर व्यक्ति टैक्स लगाया जाता है। इसलिेए अगर प्रॉपर्टी में आपका हिस्सा निश्चित या पता लगाने योग्य है तो आप पर व्यक्तिगत निकाय (Body of Individual i.e BOI) या व्यक्तियों की एसोसिएशन (Association of Persons) के तौर पर टैक्स नहीं लगाया जा सकता।
 
टैक्स छूट क्लेम करने की एक कंडीशन है कि आपको प्रॉपर्टी का सह-मालिक होने के अलावा लोन का सह-उधारकर्ता भी होना पड़ेगा। जब तक आप इस शर्त पर खरे नहीं उतरते, तब तक होम लोन पर टैक्स छूट क्लेम नहीं कर सकते। कुछ मामलों में होम लोन एलिजिबिलिटी बढ़ाने के लिए कोई शख्स परिवार के सदस्य (पिता, बेटा या पत्नी) के साथ शामिल हो जाता है, जबकि उसका प्रॉपर्टी खरीद में कोई हिस्सा नहीं होता। एेसे मामलों में सह-उधारकर्ता, जो प्रॉपर्टी का संयुक्त मालिक नहीं है, एेसे होम लोन्स पर टैक्स फायदे क्लेम नहीं कर सकता। यही कारण है कि आपको प्रॉपर्टी दो नामों पर खरीदनी चाहिए और व्यक्तिगत तौर पर टैक्स फायदे क्लेम करने चाहिए।
 

किस अनुपात में होम लोन पर टैक्स छूट क्लेम की जा सकती है:

हो सकता है आप जॉइंट ओनर होने के साथ-साथ सह-उधारकर्ता हों, लेकिन आप लोन नहीं चुका रहे हैं। एेसी स्थिति में आप होम लोन पर टैक्स छूट क्लेम नहीं कर सकते, टैक्स छूट सिर्फ आपके द्वारा चुकाई गई रकम पर ही उपलब्ध है। जॉइंट ओनर्स के मामले में स्वाधिकार संपत्ति पर आप 2 लाख रुपये की सीमा तक ब्याज के फायदे क्लेम कर सकते हैं। होम लोन के पुनर्भुगतान पर हर सह-उधारकर्ता सेक्शन 80सी के तहत 1.50 लाख रुपये सालाना टैक्स छूट क्लेम कर सकता है। आप किस अनुपात में होम लोन चुका रहे हैं, उसी के मुताबिक होम लोन पर टैक्स छूट मिलेगी।
 

होम लोन में किसी का शेयर कैसे निर्धारित किया जाएगा, क्या इसमें बदलाव हो सकता है?

प्रॉपर्टी की खरीद के वक्त आपका उसमें शेयर फिक्स किया जाता है। इसमें आपका योगदान डाउन पेमेंट से भी हो सकता है या होम लोन में आपके शेयर से भी। यह भी हो सकता है कि आपने डाउन पेमेंट के जरिए अपने पूरे शेयर का भुगतान कर दिया हो, भले ही आप प्रॉपर्टी में जॉइंट ओनर होने के साथ-साथ होम लोन एप्लिकेशन में सह-उधारकर्ता भी हों। एेसा भी हो सकता है कि घर की खरीद के अग्रीमेंट में आपका हिस्सा परिभाषित न हो, न ही होम लोन मंजूरी के लेटर में आपका शेयर और न ही कर्जदाता द्वारा जारी होम लोन सर्टिफिकेट में। प्रॉपर्टी में हिस्सा तब तक समान माना जा सकता है, जब तक अन्य परिस्थितियां अलग न हों।
 
होम लोन में हिस्सा संयुक्त मालिकों द्वारा किए गए भुगतानों से पता लगाया जा सकता है। एक्सपर्ट्स हमेशा यही सलाह देते हैं कि एक मोमोरेंडम अॉफ अंडरस्टैडिंग यानी MOU तैयार करें। इस पर स्टैंप लगवाने की भी जरूरत नहीं है। इससे यह साफ हो जाएगा कि प्रॉपर्टी में जॉइंट ओनर्स का कितना शेयर है। इससे भविष्य में होने वाली परेशानियों से भी बचा जा सकता है। हर जॉइंट ओनर द्वारा की गई पेमेंट की जानकारी भी MOU में शामिल की जा सकती है। अगर होम लोन प्रॉपर्टी खरीदने के लिए लिया गया है, तो होम लोन में हर उधारकर्ता के अनुपात का पता संपत्ति और भुगतान में हिस्सेदारी से लगाया जा सकता है। यह जरूरी नहीं कि जैसा संपत्ति में आपका मालिकाना हक है, वैसे ही होम लोन में समान अनुपात हो। चूंकि संपत्ति की खरीद के समय होम लोन में एक हिस्से को निश्चित रूप दिया जाता है, इसलिए खरीद के समय आने वाले अनुपात में होम लोन चुकाया जाना चाहिए। यह हिस्सा हर साल बदलता नहीं है और फिक्स रहता है। इसलिए होम लोन के सर्विसिंग का पैटर्न आप अपनी मर्जी से नहीं बदल सकते।
 
जब किसी सह-उधारकर्ता की नौकरी चली जाती है या वह पढ़ाई व प्रेग्नेंसी के कारण छुट्टी पर होता/होती है तो ज्यादातर लोग अनजाने में लोन के पैटर्न में बदलाव का सहारा लेते हैं। लेकिन यह गलत है। अगर आपको टैक्स अधिकारियों के साथ किसी झमेले में नहीं पड़ना तो एक बार फिक्स हो जाने के बाद आप होम लोन की सर्विसिंग का पैटर्न नहीं बदल सकते। अगर पैसे की कमी है तो अन्य सह-उधारकर्ता अस्थायी तौर पर उधार या पैसा गिफ्ट के तौर पर दे सकते हैं, ताकि पूरी अवधि के दौरान होम लोन की सर्विसिंग बरकरार रहे।
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