जमीन की वैल्यू को कैसे आंका जाता है, ये हैं तरीके

जमीन के टुकड़े की कीमत क्या है, यह पता लगाने के लिए कई तरीके हैं. आइए आपको उन तरीकों के बारे में बताते हैं, जो सबसे ज्यादा इस्तेमाल होते हैं.

भारत में जमीन की वैल्यू खासकर शहरी इलाकों में पिछले दो दशकों में तेजी से बढ़ी है, जिससे ‘भूमि की कमी’ और ‘कम जगह’ जैसे शब्द काफी प्रचलित हुए. हालांकि अर्थशास्त्री अजय शाह ने कहा, अगर 1.2 बिलियन लोगों को एक परिवार के रहने लायक 1000 स्क्वेयर फुट घर में ठहरा दिया जाए और 400 वर्ग फुट के ऑफिस/फैक्टरी स्पेस में परिवार के दो श्रमिकों को तो इसके लिए भारत के लगभग 1% भूमि क्षेत्र की जरूरत है, जिसमें एफएसआई 1 माना जाएगा.

यह कमी नहीं है, बल्कि एक-दूसरे के करीब रहने की मानवीय प्रकृति, जिससे देश के कुछ हिस्सों में जमीन की कीमत बढ़ जाती है. यह निर्णायक कारक भारत में भूमि के मूल्यांकन को हासिल करने के लिए अपनाई गई हर लोकप्रिय पद्धति के पीछे है.

जमीन के टुकड़े का मौद्रिक मूल्य पता लगाने के लिए कई तरीके इस्तेमाल किए जाते हैं. आइए उनके बारे में आपको बताते हैं.

कंपैरेटिव प्रॉपर्टी वैल्यूएशन मेथड

ऐसे समय में जब अपार्टमेंट बेस्ड प्रोजेक्ट शहरी जीवन का एक अहम हिस्सा बन चुके हैं, यह मैथड अब भी चलन में है ताकि फ्लैट्स की कीमत का मूल्यांकन किया जा सके. मान लीजिए कि हाल ही में दो फ्लैट्स एक हाउसिंग सोसाइटी ने 1-1 करोड़ रुपये में बेचे. अगर आप भविष्य में इन प्रॉपर्टीज को बेचेंगे तो वही राशि आपकी संपत्ति के लिए पूछ कीमत होगी.

यहां प्रॉपर्टी वैल्यूएशन मैथड काम करती है, क्योंकि आप एक एक्टिव मार्केट में रह रहे हैं जहां गणना के लिए तुलनीय डेटा मौजूद है. हालांकि जब आप अपने फ्लैट को बेचने के लिए डालते हैं, तो आपको ऐसे खरीदार भी मिल सकते हैं जो आपके फ्लैट के लिए 90 लाख रुपये से ज्यादा देने को तैयार न हों. ऐसा कई कारणों से हो सकता है.

लोकेशन: किसी हाउसिंग सोसाइटी में भी, प्रॉपर्टी की वैल्यू को तय करने में लोकेशन अहम रोल निभाती है. जो फ्लैट्स मेन एंट्री पॉइंट्स के करीब होते हैं, उदाहरण के तौर पर, उनकी कीमत कम होती है क्योंकि लगातार लोगों का अंदर-बाहर आना-जाना लगा रहेगा. इससे शोर भी होता है. वहीं पार्क-फेसिंग फ्लैट खरीदारों को ज्यादा पसंद आएगा इसलिए आसपास के मुकाबले वह ज्यादा लायक होगा.

शेप: कोई भी शख्स अनियमित आकार का घर नहीं खरीदना चाहेगा. ऐसे घरों की आगे ज्यादा कीमत मिलने की संभावना भी वास्तु के कारण कम हो जाती है, जिसकी भारत में वापसी हो रही है. वास्तु के सिद्धांतों के मुताबिक अनियमित आकार के फ्लैट्स मालिक के निजी के साथ-साथ व्यावसायिक वृद्धि में बाधा डालते हैं.

साइज: अगर पड़ोसी की तुलना में आपका घर छोटा है तो आपको कभी संपत्ति का वो दाम नहीं मिलेगा, जो उनका है.

लेवल: जिस शहर में आपका अपार्टमेंट है, वो किस मंजिल पर है, वह भी आपकी प्रॉपर्टी का दाम तय करेगा. मुंबई में हाउसिंग सोसाइटी में अपर स्टोरी फ्लैट की कीमत ग्राउंड फ्लोर के अपार्टमेंट की तुलना में ज्यादा होती है. इसका कारण है मॉनसून में होने वाली जबरदस्त बारिश. लेकिन दिल्ली में इसका उलटा है. दिल्ली-नेशनल कैपिटल रीजन (NCR) में ग्राउंड फ्लोर के घरों की कीमत ज्यादा होती है.

फ्रंटेज: कॉर्नर फ्लैट या कॉर्नर प्लॉट में सौभाग्य से सबसे आसान एंट्री और एग्जिट होती है, जिससे अन्य प्रॉपर्टीज की तुलना में इसकी कीमत ज्यादा होती है.

लीगल इश्यूज: मान लीजिए कि प्रॉपर्टी संयुक्त रूप से आप और आपके भाई/बहन के नाम पर है जो प्रॉपर्टी में अपना शेयर बेचना नहीं चाहते. इस परेशानी के कारण न सिर्फ बिक्री प्रभावित होगी बल्कि उसकी कीमत भी गिरा देगी.

डेवेलपमेंट मेथड

ऐसे प्लॉट्स पर बनाए गए अपार्टमेंट्स की कीमत तय करने के लिए इस मैथड का इस्तेमाल किया जाता है. एक बिंदु पर, प्लॉट की कीमत बहुत कम हो सकती है लेकिन आने वाले इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवेलपमेंट के कारण उसकी कीमत कई गुना बढ़ सकती है.

उदाहरण के तौर पर, जेवर में एक बीघा (27 हजार स्क्वेयर फुट) जमीन 4-5 लाख रुपये में बिकती थी. एनसीआर का दूसरा एयरपोर्ट जेवर में बनने के ऐलान के बाद जमीन के दाम 20-25 लाख रुपये प्रति बीघा तक पहुंच गई है. नतीजतन, आसपास के ग्रेटर नोएडा की जगहों में स्थित हाउसिंग सोसाइटियों में किराए के साथ-साथ अपार्टमेंट के मूल्यों में भी इजाफा हुआ है.

द लैंड एंड बिल्डिंग मैथड

लैंड वैल्यूएशन मैथड के तहत, भूमि की वैल्यू का अलग-अलग मूल्यांकन किया जाता है और आखिरी वैल्यू तक पहुंचने के लिए भवन के मूल्य को संख्या में जोड़ा जाता है. इस मैथड का इस्तेमाल कर जमीन के मूल्यांकन के साथ-साथ संपत्ति के मूल्यांकन पर पहुंचा जा सकता है.

बिल्डिंग की वैल्यू तक पहुंचने के लिए, पुनर्निर्माण लागत पर पहले काम किया जाता है और फिर, मूल्यह्रास (Depreciation) के लिए व्यवस्था की जाती है. अगर बिल्डिंग को फिर से 25 लाख रुपये में बनवाया जा सकता है तो 5 लाख रुपये उसकी उम्र, निर्माण के तरीके, मौजूदा स्थिति, क्वॉलिटी डेप्रिसिएशन के कारण उसके वैल्यू ऑफ डेप्रिसिएशन में 5 लाख रुपये तक की कटौती हो सकती है. इस प्रक्रिया के जरिए इस मामले में बिल्डिंग की कीमत 20 लाख रुपये रह जाएगी. अब किसी भी तुलनीय संपत्ति की किराये की क्षमता में फैक्टर होना चाहिए, ताकि अपनी शुद्ध वार्षिक आय को गुणा करके अपने पूंजीकृत मूल्य तक पहुंचा जा सके (चलिए इसे 55 लाख मान लेते हैं). दोनों की आंकड़ों का फर्क है 35 लाख, जो जमीन की वैल्यू है.

जमीन की वैल्यू मालूम करने के लिए बेल्टिंग मैथड

शहरी इलाके में एक बड़े जमीन के टुकड़े की कीमत जांचने के लिए बेल्टिंग मेथड सबसे कारगर है और आमतौर पर इसका ही इस्तेमाल किया जाता है. इस मकसद के लिए, पूरे जमीन के टुकड़े को तीन बेल्ट्स में बांटा जाता है. सबसे ज्यादा तवज्जो उस टुकड़े को दी जाती है, जो मेन रोड के करीब होता है. आमतौर पर फ्रंट बेल्ट को 10 फीट तक खींचा जा सकता है, जबकि सेकंड बेल्ट को 50 फीट तक. इसके बाद जो होगा, उसे थर्ड बेल्ट कहा जाएगा. फर्स्ट बेल्ट की वैल्यू का 75 प्रतिशत सेकंड बेल्ट को असाइन किया जा सकता है. उसकी वैल्यू का आधा थर्ड बेल्ट को. अगर बेल्ट वन 10 लाख रुपये की है तो 150 फीट तक का एरिया 7.50 लाख रुपये तक का होगा. इसके बाद का एरिया 5 लाख रुपये का, लेकिन यह निर्भर करेगा कि यह कितना बड़ा है.

प्रॉपर्टी वैल्यूएशन के लए द गाइडेंस वैल्यू मैथड

जबसे प्रशासन ने जमीन के लिए कुछ खास गाइडेंस वैल्यू जारी की हैं, जिन्हें सर्किल रेट, रेडी रेकनर रेट इत्यादि कहा जाता है, तबसे हम से कुछ लोगों के लिए चीजें आसान हो गई हैं.

प्रॉपर्टीज के ट्रांसफर पर स्टैंप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन चार्जेज राज्यों द्वारा लगाए जाते हैं. उदाहरण के तौर पर गुरुग्राम जिला प्रशासन ने हाल ही में सर्किल रेट्स में बढ़ोतरी की है, जो प्लॉट आधारित प्रॉपर्टीज को और महंगा बना देगी. लेकिन सरकार द्वारा निर्दिष्ट दरें संपत्ति के प्रचलित बाजार मूल्य से अधिक और कम हो सकती हैं. अगर आप अपने प्लॉट/फ्लैट को बेचने की तैयारी कर रहे हैं तो प्रचलित मार्केट रेट्स के बारे में मालूम करें.

पूछे जाने वाले सवाल

क्या होती है लैंड वैल्यू?

प्रॉपर्टी के साथ जुड़ी हुई लागत को उसकी वैल्यू कहा जाता है.

क्या होती है गाइडेंस वैल्यू?

गाइडेंस वैल्यू राज्य द्वारा निर्दिष्ट वैल्यू होती है, जो लैंड/प्रॉपर्टी को दी जाती है.

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