भारत में संपत्ति रजिस्ट्रेशन 2025: जानें क्या है नियम, दस्तावेज और शुल्क

अचल संपत्ति के दस्तावेजों का पंजीकरण अनिवार्य है।

प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन क्या है?

जब कोई भू-संपत्ति एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को हस्तांतरित की जाती है तो इस लेनदेन को औपचारिक रूप देने के लिए उप-रजिस्ट्रार के ऑफिस में रजिस्ट्रेशन कराना बेहद जरूरी होता है। इसके लिए स्टांप ड्यूटी जैसी कुछ शुल्क का भुगतान करना पड़ता है और प्रक्रिया को ही प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री या पंजीकरण कहा जाता है।

Table of Contents

 

प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन के कानून

भूमि से संबंधित सभी दस्तावेजों के रजिस्ट्रेशन से जुड़े कानून का उल्लेख भारतीय रजिस्ट्रेशन अधिनियम 1908 में बताए गए हैं। इस कानून के तहत दस्तावेजों के रजिस्ट्रेशन के लिए प्रावधान किए गए हैं ताकि सबूत संरक्षित रहें और भू-संपत्ति से संबंधित धोखाधड़ी को रोका जा सके और संपत्ति के स्वामित्व की गारंटी सुनिश्चित की जा सके।

यह भी देखें: जानें अचल संपत्ति के बारे में सब कुछ

 

क्या संपत्ति का पंजीकरण अनिवार्य है?

संपत्ति से जुड़े कई लेन-देन में रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होता है जैसे कि महंगी आवासीय इकाइयों और प्लॉट्स की खरीद आदि। पंजीकरण अधिनियम 1908 की धारा 17 के अनुसार, किसी भी अचल संपत्ति की बिक्री का पंजीकरण अनिवार्य होता है, यदि उसका मूल्य 100 रुपए से अधिक है। इसका मतलब यह है कि सभी अचल संपत्तियों की बिक्री का रजिस्ट्रेशन जरूरी है, क्योंकि 100 रुपए में कोई अचल संपत्ति खरीदी नहीं जा सकती। यह नियम संपत्ति उपहार (गिफ्ट डीड) के लिए भी लागू होता है। भले ही उपहार देने वाले को संपत्ति के बदले में कोई धनराशि न मिले, फिर भी उपहार में मिली वस्तु की कानूनी मान्यता के लिए उसका रजिस्ट्रेशन करना बेहद जरूरी होता है।

इसके अलावा यदि किसी संपत्ति को 12 महीने से अधिक की अवधि के लिए किराए पर भी दिया गया है तो संपत्ति का रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है।

कुछ विशेष मामलों में, यदि लेनदेन से जुड़ा कोई पक्ष उप-पंजीयक कार्यालय नहीं आ सकता  है तो उप-पंजीयक अपने किसी अधिकारी को उस व्यक्ति के निवास पर दस्तावेजों की स्वीकृति के लिए भेज सकता है। अचल संपत्ति में जमीन व इमारत, अपार्टमेंट और उनसे जुड़े अधिकार शामिल होते हैं।

यह भी पढ़ें : भारत में संपत्ति पंजीकरण पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

 

क्या भूमि का पंजीकरण जरूरी है?  

जैसा कि ऊपर के सेक्शन में बताया गया है कि किसी भी संपत्ति के हस्तांतरण का रजिस्ट्रेशन कराना बेहद जरूरी है। अगर उसकी कीमत एक निश्चित राशि से अधिक हो। इसलिए यदि भूमि की बिक्री 100 रुपए से अधिक में होती है तो नए मालिक के नाम पर भूमि का पंजीकरण करना अनिवार्य है, जिसमें स्टांप शुल्क और रजिस्ट्रेशन चार्ज का भुगतान करना शामिल है।

यह भी देखें: भूमि स्वामित्व के प्रकार

 

संपत्ति पंजीकरण के लिए अनिवार्य दस्तावेज

  1. अचल संपत्ति के उपहार से संबंधित दस्तावेज।
  2. बिना वसीयत वाले दस्तावेज या ऐसा आर्थिक लेन-देन, जो 100 रुपए से अधिक मूल्य की अचल संपत्ति की बिक्री से संबंधित हो। 
  3. अचल संपत्ति का वार्षिक या उससे अधिक अवधि के लिए पट्टा।
  4. 1882 के संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम की धारा 53-ए में वर्णित उद्देश्यों के लिए अचल संपत्ति के हस्तांतरण के अनुबंध।

यह भी देखें: संपत्ति की बिक्री पर टीडीएस से संबंधित नियम

 

2025 मे संपत्ति के रजिस्ट्रेशन के लिए अन्य वैकल्पिक डॉक्यूमेंट

पंजीकरण अधिनियम, 1908 की धारा 18 के तहत निम्नलिखित दस्तावेजों का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य नहीं है, लेकिन इसे किया जा सकता है – 

  • वसीयत: वसीयत का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य नहीं है, लेकिन इसे कानूनी मान्यता देने के लिए रजिस्टर करना बेहतर होता है।  
  • किराए या लीज समझौता (11 महीने तक की अवधि): यही कारण है कि ज्यादातर किराए के समझौते 11 महीने की अवधि के लिए बनाए जाते हैं। 
  • पूर्व लेन-देन के दस्तावेज: इन दस्तावेजों को दोबारा पंजीकृत नहीं किया जा सकता।  
  • कोर्ट का आदेश (100 रुपए से कम मूल्य की अचल संपत्ति): कम मूल्य और प्रक्रिया में शामिल खर्च अधिक होने के कारण इनका रजिस्ट्रेशन जरूरी नहीं है।
  • बिक्री प्रमाण पत्र: जब नीलाम की गई संपत्ति खरीदी जाती है, तो यह दस्तावेज जारी किया जाता है, लेकिन यह स्वामित्व नहीं देता और इसके रजिस्ट्रेशन की आवश्यकता नहीं होती है।  
  • बंधक समझौता: इसे कानूनी मान्यता देने के लिए रजिस्ट्रेशन कराना बेहतर होता है।  
  • वचन-पत्र : यह किसी को भुगतान का वादा करने वाला दस्तावेज होता है, इसलिए इसे रजिस्टर्ड करने की आवश्यकता नहीं होती है। 
  • राजस्व अधिकारी द्वारा विभाजन का दस्तावेज: यह सरकारी मान्यता प्राप्त दस्तावेज है, इसलिए इसके भी पंजीकरण की आवश्यकता नहीं है।  
  • सरकार द्वारा अचल संपत्ति का अनुदान: क्योंकि अनुदान दाता संपत्ति का पूर्ण स्वामी होता है, इसलिए इसका भी रजिस्ट्रेशन कराने की जरूरत नहीं है। 

यह भी देखें: संपत्ति का सह-स्वामी कैसे बनें?

 

2025 मे संपत्ति के रजिस्ट्रेशन की पूरी प्रक्रिया

संपत्ति से जुड़े ऐसे दस्तावेज, जो रजिस्टर्ड किए जाने हैं, उन्हें उस उप-पंजीयक (Sub-Registrar) के कार्यालय में जमा करना पड़ता है, जिसके अधिकार क्षेत्र में वह भू-संपत्ति स्थित है। रजिस्ट्रेशन के लिए विक्रेता और खरीदार के अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता के साथ में दो गवाहों का भी उपस्थित होना अनिवार्य है।

रजिस्ट्रेशन के समय हस्ताक्षरकर्ताओं को अपनी पहचान के प्रमाण साथ में लाने होंगे। इसके लिए आधार कार्ड, पैन कार्ड, या किसी अन्य सरकारी पहचान पत्र को मान्य माना जाता है। यदि हस्ताक्षरकर्ता किसी अन्य व्यक्ति का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, तो उन्हें अधिकार पत्र (Power of Attorney) प्रस्तुत करना होगा। यदि कोई कंपनी समझौते का हिस्सा है, तो उस कंपनी के प्रतिनिधि को उपयुक्त दस्तावेज जैसे अधिकार पत्र, बोर्ड का प्रस्ताव पत्र और पंजीकरण की अनुमति से संबंधित अन्य कागजात साथ लाना जरूरी होता  है।

रजिस्ट्रेशन के दौरान आपको संपत्ति कार्ड, मूल दस्तावेज और स्टांप शुल्क के भुगतान का प्रमाण भी उप-पंजीयक के सामने पेश करना होगा। सभी डॉक्यूमेंट के रजिस्ट्रेशन से पहले उप-पंजीयक यह जांच करेगा कि संपत्ति पर स्टांप शुल्क तय दरों (Stamp Duty Ready Reckoner) के अनुसार सही मात्रा में जमा किया गया है या नहीं। यदि स्टांप शुल्क में कोई कमी पाई जाती है तो उप-पंजीयक डॉक्यूमेंट के रजिस्ट्रेशन से इनकार कर सकता है।

आपको बता दें कि ‘स्टांप शुल्क’ वह टैक्स है , जो सरकार को संपत्ति का कानूनी स्वामित्व प्राप्त करने के लिए देना पड़ता है, जबकि ‘रजिस्ट्री चार्ज’ वह शुल्क है, जो इस प्रक्रिया को सरकारी रिकॉर्ड में पूर्ण करने के लिए लिया जाता है। स्टांप शुल्क देश में हर राज्य के अनुसार अलग-अलग हो सकता है। देश के अधिकांश राज्यों में महिलाओं को स्टांप शुल्क में छूट दी जाती है। 

गौरतलब है कि पूरी रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया के दौरान गवाह बेहद महत्वपूर्ण होते हैं। रजिस्ट्रेशन के दौरान पेश किए गए दोनों गवाहों को उप-पंजीयक के समक्ष अपनी पहचान साबित करनी होगी। इसके लिए उन्हें अपनी पहचान और पते का प्रमाण-पत्र पेश करना पड़ता है। इसके अलावा प्रक्रिया के दौरान उनकी बायोमेट्रिक पहचान भी स्कैन की जाएगी। 

यह भी देखें: भारत में ऑनलाइन संपत्ति पंजीकरण के बारे में सब कुछ

 

2025 मे संपत्ति रजिस्ट्रेशन: समय सीमा और शुल्क  

संपत्ति से जुड़े जो डॉक्यूमेंट पंजीकरण के लिए अनिवार्य हैं, उन्हें उनके निष्पादन की तारीख से 4 माह के अंदर आवश्यक शुल्क के साथ पेश करना होगा। यदि समय-सीमा समाप्त हो जाती है, तो आप उप-पंजीयक के पास 4 माह के अंदर देरी की माफी के लिए आवेदन कर सकते हैं। ऐसी परिस्थिति में उप-पंजीयक जुर्माना लेकर दस्तावेजों का रजिस्ट्रेशन कर सकता है। यह जुर्माना मूल पंजीकरण शुल्क का 10 गुना तक हो सकता है। संपत्ति दस्तावेजों का रजिस्ट्रेशन चार्ज संपत्ति मूल्य का 1 फीसदी है, जो अधिकतम 30,000 रुपए तक है।  

पहले रजिस्ट्रेशन के लिए प्रस्तुत दस्तावेज 6 महीने बाद लौटाए जाते थे, लेकिन अब उप-पंजीयक कार्यालयों के कम्प्यूटरीकरण के कारण ये दस्तावेज (पंजीकरण संख्या और पंजीकरण प्रमाण के साथ) स्कैन करके उसी दिन वापस कर दिए जाते है। 

यह भी देखें: अपनी संपत्ति से अवैध कब्ज़ा कैसे हटाएं?

 

प्रमुख भारतीय शहरों में संपत्ति पंजीकरण शुल्क

शहर रजिस्ट्रेशन चार्ज
बेंगलुरु  संपत्ति मूल्य का 1 फीसदी
दिल्ली बिक्री विलेख के कुल बाजार मूल्य का 1 फीसदी, साथ में 100 रुपए रसीद टिकट चार्ज 
मुंबई संपत्ति के कुल बाजार मूल्य या अनुबंध मूल्य का 1 फीसदी या 30,000 रुपए, जो भी कम हो। 
चेन्नई संपत्ति के बाजार मूल्य का 1 फीसदी
कोलकाता संपत्ति की कुल लागत का 1 फीसदी

 

2025 मे संपत्ति का पंजीकरण: अगर आपने रजिस्ट्री नहीं कराई तो क्या होगा

यदि आप किसी भू-संपत्ति के खरीद समझौता को रजिस्टर्ड नहीं कराते हैं तो यह आपको किसी बड़े जोखिम में डाल सकता है। भूमि से संबंधित कोई भी डॉक्यूमेंट, जिसका पंजीकृत किया जाना आवश्यक है, लेकिन पंजीकृत नहीं किया गया है तो उसे किसी भी कोर्ट में साक्ष्य के रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता।  

यहां यह जानना भी जरूरी है कि जब तक आपका नाम सरकारी रिकॉर्ड में उस संपत्ति के मालिक के रूप में दर्ज नहीं होता, तब तक स्वामित्व साबित करना मुश्किल हो सकता है, इसलिए खरीदार के लिए संपत्ति का पंजीकरण अनिवार्य है।  

इसके अलावा, बगैर पंजीकरण वाली संपत्तियों की कोई कानूनी मान्यता नहीं होती और मालिक उस संपत्ति को खोने के जोखिम में रहता है, भले ही वह उस पर कब्जा रखता हो। यदि कभी सरकार इस संपत्ति का अधिग्रहण किसी इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजना के लिए करती है तो ऐसी स्थिति में मालिक को मुआवजे का दावा करने का अधिकार नहीं होगा, जो आमतौर पर संपत्ति मालिकों को दिया जाता है।  

यह भी देखें: संपत्ति का म्यूटेशन क्या है और यह महत्वपूर्ण क्यों है?

 

रजिस्ट्री अधिनियम में संशोधन 

तमिलनाडु भारत के उन पहले राज्यों में से एक है, जिसने संपत्ति पंजीकरण प्रक्रिया में धोखाधड़ी को रोकने के लिए रजिस्ट्री अधिनियम में महत्वपूर्ण संशोधन किए हैं। इस संशोधन के तहत, पंजीकरण महानिरीक्षक को यह अधिकार दिया गया है कि वह संपत्ति पंजीकरण प्रक्रिया के दौरान जमा किए गए फर्जी दस्तावेजों को रद्द कर सके। इससे पहले यह प्रावधान था कि फर्जी दस्तावेजों की पहचान होने पर इन्हें कोर्ट में भेजना पड़ता था, जिससे फर्जी दस्तावेजों को रद्द करने में देरी होती थी। अब इन दस्तावेजों को सीधे रद्द करने का अधिकार महानिरीक्षक के पास होता है। इसके अलावा संपत्ति पंजीकरण के डॉक्यूमेंट तैयार करने वाले वकीलों और लेखकों को अपने फोटो और हस्ताक्षर भी दस्तावेजों पर देने होंगे, ताकि धोखाधड़ी को रोका जा सके। फर्जी दस्तावेज जमा करने वाले व्यक्ति को 3 साल की सजा का प्रावधान भी है। तमिलनाडु में बड़े पैमाने पर संपत्ति पंजीकरण की जांच के लिए एक समिति गठित करने की योजना भी तैयार की जा रही है। 

 

ऑनलाइन संपत्ति पंजीकरण

भारत के अधिकांश राज्यों में संपत्ति खरीदार अब अपनी प्रॉपर्टी के रजिस्ट्रेशन की प्रोसेस का बड़ा हिस्सा ऑनलाइन भी पूरा कर सकते हैं। यह सुविधा हर राज्य के अनुसार अलग-अलग हो सकती है। हालांकि, अंतिम चरण के लिए खरीदार को विक्रेता और दो गवाहों के साथ उप-पंजीयक कार्यालय जाना होता है, जहां लेनदेन को पूरा किया जाता है। एक बार डॉक्यूमेंट रजिस्टर्ड होने के बाद खरीदार को इन्हें प्राप्त करने के लिए दोबारा उसी ऑफिस में जाना पड़ता है।

 

क्या मैं बगैर कहीं गए संपत्ति का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करा सकता हूं?  

देश के अधिकांश राज्यों में संपत्ति पंजीकरण प्रक्रिया का बड़ा हिस्सा ऑनलाइन किया जा सकता है। लेकिन अंतिम औपचारिकताएं पूरी करने के लिए सभी संबंधित पक्षों को सब-रजिस्ट्रार ऑफिस में जाना पड़ता है। ऑनलाइन प्रक्रिया के माध्यम से खरीदार स्टाम्प शुल्क भर सकते हैं और सभी आवश्यक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। इसके अलावा सब-रजिस्ट्रार ऑफिस में रजिस्ट्री का समय भी निर्धारित कर सकते हैं।  

अधिकतर राज्य अब एक जिले के अंदर किसी भी स्थान से संपत्ति पंजीकरण की सुविधा दे रहे हैं। जैसे मुंबई में यदि संपत्ति बांद्रा में है, तो उसे फोर्ट में भी रजिस्टर्ड किया जा सकता है।

 

क्या मैं बिना दस्तावेजों के जमीन पंजीकृत कर सकता हूूं?  

ग्रामीण भारत में बिना कानूनी दस्तावेजों के जमीन का मालिक होना एक आम समस्या है। हालांकि शहरी क्षेत्रों में ऐसे मामले कम होते हैं, लेकिन कुछ विशेष तरीकों से बिना दस्तावेजों के जमीन या संपत्ति का पंजीकरण किया जा सकता है। ऐसे मामलों में जमीन मालिक को भूमि पंजीकरण कार्यालय में आवेदन देना होता है। मालिक को अपनी स्वामित्व का पर्याप्त प्रमाण देना होता है या यह बताना होता है कि दस्तावेज क्यों उपलब्ध नहीं हैं। साथ ही, उसे अपने से पहले के मालिक की जानकारी और अन्य संबंधित विवरण भी पेश करना पड़ता है। भारत में ऐसे संपत्तियों का पंजीकरण केवल पर्याप्त जानकारी और प्रमाण के आधार पर ही किया जाता है।  

 

भारत में संपत्ति पंजीकरण की चरणबद्ध प्रक्रिया

  • संपत्ति पंजीकरण प्रक्रिया को पूरा करने के लिए निम्नलिखित चरणों का पालन करना आवश्यक है:  
  • संपत्ति, विक्रेता और खरीदार से जुड़ी सभी जानकारी, संपत्ति की मूल्यांकन राशि, सर्कल रेट या लेन-देन राशि (जो भी अधिक हो) पर आधारित स्टांप शुल्क, ट्रांसफर शुल्क, पंजीकरण शुल्क आदि की जानकारी राजस्व विभाग की वेबसाइट से प्राप्त करें। 
  • स्टांप शुल्क भरने के लिए ई-स्टांप पेपर एसएचसीआईएल (SHCIL) से खरीदे जा सकते हैं।  
  • स्टांप पेपर खरीदने के बाद दस्तावेज लेखक से इन्हें तैयार कराएं। यह दस्तावेज 2 गवाहों की उपस्थिति में बनाया जाए। जरूरी दस्तावेज जैसे- टाइटल डीड की कॉपी, जमाबंदी की कॉपी, संपत्ति का नक्शा, योजना, डिजिटल फोटो आदि जरूर संलग्न करें।  
  • संपत्ति जिस क्षेत्र में स्थित है, वहां के उप-पंजीयक के समक्ष सभी दस्तावेज प्रस्तुत करें। उप-पंजीयक दस्तावेज और स्टांप शुल्क, ट्रांसफर शुल्क और पंजीकरण शुल्क की जांच करेंगे।  
  • सभी दस्तावेज़ प्रस्तुत करने वाले व्यक्ति को उप-पंजीयक के समक्ष उपस्थित होना होगा। दस्तावेज की पहचान सुनिश्चित करने के लिए दो गवाहों का मौजूद होना अनिवार्य है।  
  • पंजीकरण के आखिरी चरण में दस्तावेज की एक कॉपी रिकॉर्ड में रखी जाती है और मूल दस्तावेज संबंधित व्यक्ति को लौटा दिया जाता है।  

 

एनआरआई भारत में संपत्ति का रजिस्ट्रेशन कैसे कर सकते हैं?  

  • एनआरआई भारत में जो भी संपत्ति खरीदते हैं, उसे कानूनी रिकॉर्ड्स में रजिस्टर करवाना जरूरी होता है। एनआरआई भी वही प्रक्रिया अपना सकते हैं, जो भारत में रहने वाले निवासी अपनाते हैं। हालांकि, अगर कोई एनआरआई भारत में शारीरिक रूप से मौजूद नहीं हो पाता है, तो वह पावर ऑफ अटॉर्नी (PoA) का उपयोग कर सकता है, जिससे वह किसी अन्य व्यक्ति को एनआरआई के नाम पर संपत्ति ट्रांसफर करने का अधिकार दे सकता है।
  • डॉक्यूमेंट के आधार पर उप-रजिस्ट्रार कौन-कौन सी कार्यवाही कर सकता है?
  • एक बार जब भू-संपत्ति से संबंधित दस्तावेज उप-रजिस्ट्रार के सामने प्रस्तुत किए जाते हैं तो इन दस्तावेजों के आधार पर उप-रजिस्ट्रार के पास कार्यवाही के लिए निम्नलिखित विकल्प होते हैं – 
  • दस्तावेज को रजिस्टर करना और मूल दस्तावेज को उचित तरीके से रजिस्टर करके उसे निष्पादक को वापस करना।
  • उप-रजिस्ट्रार दस्तावेज के रजिस्ट्रेशन को अस्वीकृत कर सकते हैं और अस्वीकृति का स्पष्ट कारण बताते हुए एक आदेश जारी कर सकता है।
  • उप-रजिस्ट्रार अपर्याप्त शुल्क और/या जुर्माना, यदि कोई हो, की वसूली के लिए दस्तावेज को स्टाम्प संग्रहकर्ता के पास जब्त कर सकता है।

 

संपत्ति की रजिस्ट्री के लिए जरूरी डॉक्यूमेंट

  1. बिक्री के लिए समझौता
  2. विक्रय विलेख
  3. प्रतिबंध प्रमाण पत्र
  4. संपत्ति कर रसीदें
  5. नो-ऑब्जेक्शन प्रमाण पत्र
  6. पावर ऑफ अटॉर्नी (यदि लागू हो)
  7. स्टांप ड्यूटी और पंजीकरण शुल्क का भुगतान प्रमाण पत्र
  8. नए भवन के लिए कब्जा प्रमाण पत्र
  9. निर्माणाधीन भवन के लिए पूर्णता प्रमाण पत्र
  10. टीडीएस कटौती प्रमाण पत्र (50 लाख रुपये से अधिक कीमत वाली संपत्तियों पर लागू)
  11. खरीदार का पैन कार्ड
  12. विक्रेता का पैन कार्ड
  13. विक्रेता का आधार कार्ड
  14. खरीदार का आधार कार्ड
  15. खरीदार और विक्रेता की पासपोर्ट साइज तस्वीरें
  16. खरीदार का पहचान प्रमाण
  17. विक्रेता का पहचान प्रमाण
  18. गवाहों का पहचान प्रमाण
  19. खरीदार का पता प्रमाण
  20. विक्रेता का पता प्रमाण
  21. गवाहों का पता प्रमाण

 

भारत में ऑनलाइन संपत्ति पंजीकरण से जुड़ी कुछ समस्याएं 

  • भारत के अधिकांश राज्यों ने संपत्ति पंजीकरण प्रक्रिया के कुछ हिस्सों का डिजिटलीकरण कर दिया है, ताकि उप-रजिस्ट्रार कार्यालय में लोग लंबी कतारों से बच सके और प्रक्रिया को पूरा करने में लगने वाले समय को कम किया जा सके, लेकिन इसके बावजूद ऑनलाइन माध्यम में भी अपनी समस्याएं हैं। 
  • तकनीकी खराबी एक सामान्य समस्या हैं, जिसके कारण संपत्ति पंजीकरण के लिए ऑनलाइन आवेदन में देरी हो सकती है। 
  • दस्तावेज अपलोड करना भी ऑनलाइन संपत्ति पंजीकरण के दौरान एक बड़ा मुद्दा हो सकता है। 
  • स्पष्ट मार्गदर्शन और डिजिटल जागरूकता की कमी के कारण भी घर खरीदने वाले लोग अक्सर उन दस्तावेजों को सही प्रारूप में सेव नहीं कर पाते, जिन्हें अपलोड करना होता है। फिर उन्हें प्रक्रिया पूरी करने के लिए तीसरे पक्ष से मदद लेनी पड़ती है। 
  • भारत में ऑनलाइन संपत्ति पंजीकरण का एक और बड़ा मुद्दा यह है कि यह केवल आंशिक रूप से ऑनलाइन है। अंतिम सत्यापन के लिए दोनों पक्षों और गवाहों को आखिरकार उप-रजिस्ट्रार कार्यालय में शारीरिक रूप से जाना पड़ता है। इससे इस प्रक्रिया को ऑनलाइन लाने का उद्देश्य बड़े पैमाने पर विफल हो जाता है।

 

Housing.com का पक्ष

संपत्ति का रजिस्ट्रेशन एक कानूनी आवश्यकता है, जिसे पूरा करना बेहद जरूरी है। यह न केवल जुर्माना से बचने के लिए, बल्कि संपत्ति मालिक के रूप में अपने हितों की सुरक्षा के लिए भी जरूरी है। संपत्ति का रजिस्ट्रेशन इसलिए भी जरूरी होता है क्योंकि आप लागू नियमों और विनियमों के बारे में अच्छी तरह से शोध करें, ताकि भविष्य में किसी भी कानूनी या वित्तीय परेशानी से बच सकें।  

जब आप इस पूरी प्रक्रिया के बारे में जानकारी प्राप्त करने की कोशिश करें तो राजस्व विभाग की आधिकारिक वेबसाइट्स भी मददगार साबित हो सकती हैं। कई राज्यों ने ऑनलाइन संपत्ति पंजीकरण की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए ऑनलाइन पोर्टल बनाए हैं। ये पोर्टल मॉडल डीड, स्टाम्प ड्यूटी दरों की जानकारी प्रदान करते हैं और दोनों पक्षों के लिए भू-संपत्ति की रजिस्ट्री से संबंधित प्रक्रिया को आसान बनाते हैं।

 

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

संपत्ति के पंजीकरण के लिए कौन से दस्तावेज आवश्यक हैं?

संपत्ति के पंजीकरण के लिए आवश्यक दस्तावेजों में आधार कार्ड, पैन कार्ड या किसी अन्य सरकारी प्राधिकृत संस्था द्वारा जारी पहचान पत्र जरूरी हैं। यदि कोई अन्य व्यक्ति के प्रतिनिधि के रूप में पंजीकरण करवा रहा है, तो उसे अधिकार पत्र (पावर ऑफ अटॉर्नी) भी पेश करना होगा।

भारत में संपत्ति पंजीकरण शुल्क क्या है?

संपत्ति दस्तावेजों का पंजीकरण शुल्क संपत्ति की मूल्य का 1 फीसदी है, जो अधिकतम 30,000 रुपए तक हो सकता है।

अगर संपत्ति की रजिस्ट्री न कराई जाए तो क्या होगा?

अगर संपत्ति के खरीद समझौते का पंजीकरण नहीं कराया जाता है तो भविष्य में किसी बड़े जोखिम मे आ सकते हैं। कोई भी दस्तावेज जो पंजीकरण के लिए अनिवार्य है, लेकिन पंजीकृत नहीं किया गया है, उसे किसी भी कोर्ट में साक्ष्य के रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता है।

संपत्ति पंजीकरण की समय सीमा क्या है?

जो दस्तावेज पंजीकरण के लिए आवश्यक हैं, उन्हें उनके निष्पादन के 4 महीने के भीतर पंजीकरण के लिए पेश करना चाहिए, साथ ही निर्धारित शुल्क भी देना होगा।

संपत्ति पंजीकरण की प्रक्रिया क्या है?

संपत्ति पंजीकरण के लिए आवश्यक दस्तावेजों को उस क्षेत्र के उप-रजिस्ट्रार कार्यालय में पेश करना होगा, जहां संपत्ति स्थित है। विक्रेता और क्रेता के प्रमाणित हस्ताक्षरकर्ता को दो गवाहों के साथ उपस्थित होना होगा, ताकि दस्तावेजों का पंजीकरण हो सके।

हमारे लेख से संबंधित कोई सवाल या प्रतिक्रिया है? हम आपकी बात सुनना चाहेंगे। हमारे प्रधान संपादक झूमर घोष को jhumur.ghosh1@housing.com पर लिखें

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