अगर आप नौकरीपेशा हैं तो जिस घर में रह रहे हैं, उसके किराये के संबंध में आयकर कानून आपको कुछ फायदे देते हैं. अगर आपको कंपनी से एचआरए मिलता है और आप उस घर का वास्तव में किराया दे रहे हैं, जो आपका नहीं है तो सेक्शन 10 (13A) के तहत आप हाउस रेंट अलाउंस (HRA) क्लेम कर सकते हैं. अगर आप अपने रिश्तेदारों को किराया चुकाकर टैक्स छूट पाना चाहते हैं तो भी कानूनन कोई पाबंदी नहीं है. लेकिन किराया वास्तव में चुकाया जाना चाहिए. तो अगर आप अपने करीबी रिश्तेदार को किराया दे रहे हैं और सेक्शन 10 (13ए) के तहत टैक्स छूट पा रहे हैं तो आपको कुछ सावधानियां बरतने की जरूरत है ताकि आपका क्लेम मुकदमे का विषय न बन जाए.
किन दस्तावेजों से बचा सकते हैं टैक्स
चूंकि आप किराए का भुगतान कर टैक्स का फायदा उठा रहे हैं, इसलिए आपको उस शख्स के साथ लीव एंड लाइसेंस एग्रीमेंट करना चाहिए जो प्रॉपर्टी का मालिक है. एग्रीमेंट रजिस्टर्ड कराना भी जरूरी है. इसके अलावा, चुकाए गए किराये की रसीद अपने मकानमालिक से जरूर ले लें. इसकी आपको
मूल्यांकन अधिकारी के सामने जरूरत पड़ेगी.
रिश्तेदारों को किराया चुकाने का प्रॉसेस
अगर आप किराया कैश में चुकाते हैं तो उस पर कोई पाबंदी नहीं है. लेकिन लेनदेन की विश्वसनीयता के लिए आपको नियमित तौर पर किराया बैंकों के माध्यम से चुकाना चाहिए. अगर आप कैश में भुगतान करते हैं तो बैंक से पर्याप्त नकदी निकासी होनी चाहिए या फिर आपको यह साबित करना होगा कि पर्याप्त नकद पैदा हुआ था ताकि आकलन अधिकारी संतुष्ट हो जाए.
रिश्तेदारों को किराया चुकाते वक्त इनकम टैक्स फाइल करना
हालांकि आप चुकाए गए किराये पर टैक्स छूट का फायदा उठा सकते हैं जो आपने अपने रिश्तेदारों को दिया है. लेकिन वह किराया रिश्तेदारों की कर योग्य आय कहलाएगी. इसलिए यह आपके फायदे के लिए है कि किराया मकानमालिक की इनकम में शामिल हो. अगर किराया कैश में दिया गया है तो इनकम में उसके नहीं जुड़ने के चांस बहुत ज्यादा होते हैं क्योंकि यह बैंक अकाउंट में दिखाई नहीं देगा. जिस रिश्तेदार को आप किराया दे रहे हैं, अगर उसकी कुल आय (किराया सहित) टैक्स की सीमा को पार नहीं करती तो उसे इनकम टैक्स रिटर्न्स फाइल करने की जरूरत नहीं है. अगर आपकी इनकम भी आयकर सीमा को पार नहीं करती तब भी आप रिटर्न फाइल कर सकते हैं. रिटर्न फाइल होने की पावती जरूर हासिल कर लें.
रिश्तेदारों को किराया भुगतान करते वक्त होम लोन और HRA का समानांतर दावा
अगर आप साथ-साथ एचआरए और होम लोन से जुड़े टैक्स फायदों को क्लेम करना चाहते हैं तो आयकर कानूनों में इसके लेकर कोई पाबंदी नहीं है. लेकिन जिस घर के लिए आप होम लोन छूट क्लेम कर रहे हैं और जिस घर के लिए एचआरए क्लेम कर रहे हैं, वह दोनों एक जगह नहीं होने चाहिए. क्योंकि यह मुमकिन नहीं कि एक ही इलाके में कोई शख्स घर का मालिक भी है और किराए का भुगतान करेगा. लेकिन अगर आप ऐसे घर के लिए किराया दे रहे हैं जो आपकी कंपनी के पास है और होम लोन के फायदे उस घर पर ले रहे हैं, जहां से रोजाना आना-जाना मुश्किल है तो आपको दोनों फायदे मिलेंगे.
डाक मेल और अन्य संचार
अगर आप किराया सिर्फ कागजातों पर ही दे रहे हैं, बिना उस घर में रहे. ऐसे में टैक्स अधिकारी यह साबित कर देंगे कि लेनदेन असली नहीं है. ऐसा भी हो सकता है कि जिस अड्रेस का इस्तेमाल वास्तव में आप कम्युनिकेशन के लिए कर रहे हैं और जिस पर आप किराया दे रहे हैं, वह दोनों अलग हों. इसमें आपके द्वारा बैंक, शेयर डिपॉजिट अकाउंट, म्युचुअल फंड्स इन्वेस्टमेंट, राशन कार्ड, वोटर आईडी, इनकम टैक्स रिटर्न्स रिकॉर्ड्स और कंपनी में दिया गया अड्रेस भी शामिल होगा. तो अगर आप वास्तव में किराया चुका रहे हैं, लेकिन विभिन्न कामों के लिए अड्रेस एक नहीं है तो तुरंत पता बदलवाएं ताकि किसी कानूनी पचड़े से बच सकें.
स्रोत पर टैक्स कटौती
ऐसे लोग जो हर महीने 50 हजार रुपये किराया चुका रहे हैं उनके लिए 2017 के बजट में आयकर कानून में एक प्रावधान लागू किया गया है. ऐसे मामलों में, आपको किराए पर 5 प्रतिशत की दर से टैक्स में कटौती करनी चाहिए और केंद्र सरकार के क्रेडिट पर जमा करना चाहिए.