उत्तर मुखी घर के लिए वास्तु योजना, जानें इसका महत्व और डिजाइन टिप्स

उत्तर मुखी घर वास्तव में तब ही लाभकारी होता है, जब पूरा घर वास्तु अनुकूल हो और सभी वास्तु दोषों का निवारण किया जाए।

वास्तु के अनुसार किसी भी संपत्ति का अच्छा या बुरा होना उसके प्रवेश द्वार की दिशा के साथ-साथ कमरों, फर्नीचर, रंग आदि की स्थिति और वास्तु दोषों की उपस्थिति पर निर्भर करता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार उत्तर, पूर्व और उत्तर-पूर्व मुख वाले घर सबसे शुभ माने जाते हैं। किसी घर की शुभता घर के मालिक के स्वभाव (आयुर्वेद के अनुसार), व्यवसाय (वर्ण के अनुसार) और कुंडली में ग्रहों की स्थिति पर भी निर्भर करती है। हालांकि उत्तर मुखी घर का पूर्ण रूप से लाभकारी होना भी तभी संभव है, जब पूरा घर वास्तु के अनुसार हो और उसमें मौजूद दोषों का निवारण कर दिया गया हो।

Table of Contents

यदि आप अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि पाना चाहते हैं तो आपके उत्तर मुखी घर के लिए कुछ वास्तु दिशा निर्देशों का पालन करना आवश्यक है। वास्तु के अनुसार, उत्तर मुखी घर को उस स्थिति में ज्यादा लाभकारी बनाया जा सकता है, जब घर का मेट गेट भी उत्तर दिशा में और सीढ़ियां दक्षिण, पश्चिम, दक्षिण-पूर्व, दक्षिण-पश्चिम या उत्तर-पश्चिम दिशाओं में बनाई जाएं।

इस लेख में, हम उत्तर मुखी घर की वास्तु योजना के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।

Vastu tips to ensure your north-facing home is auspicious

 

उत्तरमुखी घर क्या होता है?

एक घर, जिसका मुख्य प्रवेश उत्तर दिशा की ओर हो, उत्तर मुखी घर कहलाता है। बहुत से लोगों का ये मानना है कि अगर किसी घर की उत्तर दिशा की ओर कोई सड़क है तो वह उत्तर मुखी घर है, जो कि सही नहीं है। किसी घर की दिशा उसके मुख्य दरवाजे की स्थिति से तय होती है।

Vastu tips to ensure your north-facing home is auspicious

उत्तरमुखी घर को कैसे पहचानें?

किसी घर की दिशा जानना बहुत जरूरी है, क्योंकि 3-4 डिग्री का छोटा सा अंतर भी 16 वास्तु ज़ोन्स की पूरी गणना बदल सकता है और समस्याओं की जड़ को समझना मुश्किल बना सकता है। घर की दिशा जानने के लिए मुख्य द्वार के बाहर खड़े हों, इस तरह कि घर आपकी पीठ के पीछे हो। अब एक चुम्बकीय कंपास लें और उसे अपने हाथ में छाती के सामने क्षैतिज रूप से रखें। चुम्बकीय कंपास की सुई स्वतंत्र रूप से घूमेगी और जब शून्य डिग्री पर आकर उत्तर दिशा से मेल खाएगी, तो वही चुंबकीय उत्तर दिशा होगी।

यह भी देखें: घर का नक्शा कैसे तैयार करें

उत्तर मुखी घर का वास्तु महत्व

वास्तु विशेषज्ञों के अनुसार, उत्तर दिशा को पृथ्वी के उत्तर ध्रुव से भरपूर सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है। यह ऊर्जा किसी भी घर या संरचना और उसमें रहने वालों के लिए फायदेमंद मानी जाती है, ऐसे में यह सलाह दी जाती है कि घर में उत्तर दिशा की ओर बड़े खुले स्थान रखें। इससे घर में ये सकारात्मक ऊर्जाएं प्रवेश करेंगी।

उत्तर दिशा का संबंध धन के देवता कुबेर से भी होता है और उत्तर दिशा जल तत्व से संबंधित है और यह अवसरों, धन और समृद्धि के प्रवाह का प्रतीक है। इस कारण उत्तरमुखी घर को शुभ माना जाता है और इस दिशा में बने घर का डिजाइन प्राकृतिक रोशनी और ठंडी हवा का भरपूर लाभ प्रदान करता है, जो घर को ऊर्जा से भर देता है।

उत्तर मुखी घर के लिए वास्तु योजना

Vastu tips to ensure your north-facing home is auspicious

यह भी देखें: वास्तु चार्ट

उत्तर मुखी घर मुख्य द्वार के लिए वास्तु

उत्तर मुखी घर में मुख्य प्रवेश द्वार उत्तर दिशा में होता है। उत्तर दिशा में भी पांचवां पाद (चरण) सबसे शुभ माना जाता है, क्योंकि इसे धन के देवता कुबेर का स्थान कहा गया है।

इसके अलावा, तीसरा, चौथा और आठवां पाद, जिन्हें क्रमशः मुख्या, भल्लाट और दिति कहा जाता है, इसे भी वास्तु नियमों के मुताबिक शुभ माना जाता है। मुख्य दरवाजे के वास्तु के अनुसार, मुख्य द्वार को इन पादों में रखने से धन की प्राप्ति होती है।

उत्तर दिशा वाले घर में निवेश करते समय, मुख्य प्रवेश द्वार की स्थिति जरूर चेक करना चाहिए। तीसरे, चौथे और आठवें पाद में मुख्य द्वार रखने से अधिकतम लाभ मिलता है।

उत्तर-पूर्व और उत्तर-पश्चिम के बीच की दूरी को नौ बराबर भागों में बांटा जाता है, जिसमें पांचवा पाद आध्यात्मिक प्रगति और लाभ के लिए सबसे शुभ माना जाता है। छठे पाद में द्वार न रखें। मुख्य प्रवेश द्वार को उत्तर-पश्चिम दिशा में रखने से भी बचें।

Vastu tips to ensure your north-facing home is auspicious

पादों और देवताओं का महत्व

देव अर्थ भूमिका और महत्व
मुख्य इमारत के मुख्य देवता भवन को अभिव्यक्ति की शक्ति प्रदान करता है
भल्लाट विशाल या प्रचंड विशाल स्तर तक प्रचुरता प्रदान करता है
दिति असुरों की माता सभी सम्पत्तियां प्रदान करती है, दृष्टिकोण और परिप्रेक्ष्य का विस्तार करती है।

उत्तर दिशा में कोई भी पाद अशुभ नहीं होता, इसीलिए उत्तर मुखी घर को अच्छा माना जाता है। हालांकि, घर में समृद्धि के लिए मेन गेट लगाते समय इन बातों का ध्यान जरूर रखना चाहिए –

  • धन आकर्षित करने के लिए: हर पाद यह निर्धारित करता है कि आप अपने घर में किस प्रकार की ऊर्जा आने दे रहे हैं। जैसा कि पहले ही बताया गया है, पांचवा पाद सबसे शुभ होता है, क्योंकि यह धन के देवता कुबेर का स्थान होता है। अतः यदि दरवाजा पांचवे पाद में लगाया जाए, तो धन आकर्षित होगा।
  • पाँचवें पाद का ऑप्शन: अब मान लीजिए कि आपका पांचवा पाद छोटा है या दरवाजे के लिए उपयुक्त नहीं है तो आप पहले से चौथे पाद का भी उपयोग कर सकते हैं। लेकिन पांचवे पाद को बिल्कुल न छोड़ें। यदि आपके पास और कोई ऑप्शन न हो, तो आप छठे से नौवें पाद तक का भी उपयोग कर सकते हैं।
  • सावधानी: यदि आप पहले पाद का उपयोग करते हैं, तो ऐसी स्थिति में मुख्य दरवाजा या प्रवेश द्वार उत्तर-पूर्व कोण को छूना नहीं चाहिए। इस कोने से थोड़ी दूरी रखना उचित होता है। घर के उत्तर दिशा में प्रवेश द्वार के लिए छठे पाद का उपयोग न करें, क्योंकि यह स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का कारण बन सकता है।

यह भी देखें: घर में सकारात्मक ऊर्जा के लिए वास्तु टिप्स

उत्तरमुखी घर के लिए सीढ़ियों का वास्तु

  • उत्तरमुखी घर में सीढ़ियां उत्तर दिशा में नहीं बनवाना चाहिए। इससे आर्थिक समस्याएं हो सकती हैं।
  • सीढ़ियां बनाने के लिए दक्षिण, पश्चिम, दक्षिण-पूर्व, दक्षिण-पश्चिम या उत्तर-पश्चिम दिशा का उपयोग कर सकते हैं।
  • उत्तर-पूर्व दिशा में भी सीढ़ियों का निर्माण नहीं करवाना चाहिए क्योंकि इससे नसों से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं।
  • घर में सीढ़ियां हमेशा घड़ी की सुई की दिशा में होनी चाहिए।

दक्षिण मुखी घर के वास्तु के बारे में भी पढ़ें

उत्तर मुखी घर लिविंग रूम के लिए वास्तु

वास्तु के अनुसार उत्तर-पूर्व दिशा में रहने वाले कमरे को उत्तर दिशा के प्रवेश द्वार वाले घर में डिजाइन किया जा सकता है। लिविंग रूम डिजाइन करने के लिए एक अन्य विकल्प पर विचार किया जा सकता है वह है उत्तर-पश्चिम कोना। हालांकि, फर्नीचर लगाने के लिए वास्तु शास्त्र के दिशानिर्देशों का पालन करना आवश्यक है। टेबल, सोफा सेट, टेबल आदि जैसी वस्तुओं को कमरे के पश्चिम या दक्षिण-पश्चिम कोने में रखना चाहिए।

उत्तर मुखी घर के बेडरूम के लिए वास्तु योजना

पश्चिम, उत्तर-पश्चिम, दक्षिण और दक्षिण-पश्चिम जैसी दिशाएं उत्तर मुखी घर में बेडरूम रखने के लिए आदर्श हैं। हालांकि, वास्तु के अनुसार उत्तर मुखी मुख्य द्वार वाली संपत्ति में मास्टर बेडरूम के लिए, दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र की सिफारिश की जाती है। घर के दक्षिण-पूर्व या उत्तर-पूर्व की ओर बेडरूम डिजाइन करने से बचें क्योंकि इससे स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं या परिवार में विवाद हो सकते हैं।

सुनिश्चित करें कि सोते समय आपका सिर उत्तर दिशा की ओर न हो क्योंकि इससे नींद की समस्या हो सकती है और नकारात्मक ऊर्जा पैदा हो सकती है। वास्तु के अनुसार सोने की सबसे अच्छी दिशा दक्षिण की ओर सिर करके होती है।

उत्तर मुखी घर में रसोई के लिए वास्तु योजना

रसोई दक्षिण-पूर्व या उत्तर-पश्चिम दिशा में होनी चाहिए। रसोई के लिए दक्षिण दिशा का चुनाव भी कर सकते हैं। यह भी महत्वपूर्ण है कि उत्तरमुखी घर वास्तु योजना के अनुसार उत्तर-पूर्व कोने में रसोई न हो। इसी तरह, उत्तर या दक्षिण-पश्चिम दिशा में रसोई बनाने से बचें। घर में संघर्ष को रोकने के लिए रसोई को इन दिशाओं में रखने से बचें। उत्तर-पूर्व दिशा में रसोईघर बनाने से भी बचना चाहिए क्योंकि यह किसी के करियर के विकास को प्रभावित कर सकता है। रसोईघर घर के मुख्य द्वार की ओर नहीं होना चाहिए।

रसोई डिजाइन करने के लिए दक्षिण-पूर्व पर विचार करें क्योंकि यह दिशा सूर्य और मंगल के संयोजन को दर्शाती है। इसलिए, परिणामी कीटाणुओं को समाप्त करता है, जो परिवार के लिए अच्छे स्वास्थ्य को सुनिश्चित करता है।

Kitchen in north-facing property

सोर्स – Pexels

भोजन कक्ष के लिए वास्तु

वास्तु शास्त्र के अनुसार भोजन करते समय पूर्व, पश्चिम या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठना शुभ होता है। उत्तरमुखी घर में भोजन कक्ष को वास्तु के अनुसार पश्चिम दिशा में बनाया जाना चाहिए।

उत्तर मुखी घर में बच्चों के कमरे का वास्तु

बच्चों के कमरे के लिए उपयुक्त दिशा उत्तर, उत्तर-पूर्व, पूर्व या पश्चिम कोना है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, उत्तर मुखी घर में बच्चों के कमरे के लिए पश्चिम और उत्तर-पश्चिम दिशाएं सबसे अच्छी मानी जाती हैं, जो उनके विकास और प्रगति को बढ़ावा देती हैं।

उत्तर मुखी घर के लिए वास्तु अनुसार अध्ययन कक्ष 

वास्तु शास्त्र के अनुसार, अध्ययन कक्ष को घर या फ्लैट के पूर्व, उत्तर-पूर्व, या उत्तर-पश्चिम दिशा में बनाना शुभ माना जाता है, क्योंकि ये ज्ञान की दिशाएं हैं। उत्तर मुखी घर या फ्लैट में अध्ययन कक्ष कभी भी दक्षिण-पूर्व या दक्षिण-पश्चिम कोने में नहीं होना चाहिए।

पढ़ाई के समय विद्यार्थी का चेहरा उत्तर-पूर्व, पूर्व या उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए। स्टडी रूम का मेन गेट पूर्व या पश्चिम दिशा की ओर होना आदर्श है, जबकि उत्तर दिशा दूसरा सबसे अच्छा ऑप्शन है।

उत्तर दिशा वाले घर में पूजा घर के लिए वास्तु

पूजा घर और बैठक का कमरा उत्तर-पूर्व दिशा में होना चाहिए। पूर्व और पश्चिम दिशा भी पूजा घर के लिए उपयुक्त मानी जाती है। आमतौर पर भारतीय मंदिरों का निर्माण पश्चिम दिशा में किया जाता है। इससे देवी-देवताओं की मूर्तियां पूर्व दिशा की ओर मुख करके स्थापित होती हैं। पूजा करते समय इस बात का ध्यान रखें कि आपका मुख उत्तर या पूर्व दिशा की ओर हो। उत्तर-पूर्व कोने में शौचालय, शयनकक्ष या रसोईघर नहीं होना चाहिए। पूजा घर के लिए समुद्री हरा, हल्का नीला, पीला जैसे शांत रंग चुनना चाहिए। सीढ़ियों के नीचे, बाथरूम के पास या शयनकक्ष में मंदिर नहीं बनाना चाहिए।

उत्तर दिशा में घर का कार्यालय

उत्तर दिशा धन के देवता की दिशा मानी जाती है। उत्तर दिशा में घर का ऑफिस बनाना आर्थिक लाभ में सहायक हो सकता है। अपने काम करने की टेबल को घर में उत्तर दिशा की ओर रखना चाहिए। इस बात का भी ध्यान रखें कि आपकी पीठ के पीछे दीवार हो। करियर में तरक्की के लिए उत्तर दिशा में फव्वारा रखना शुभ होता है। इसके अलावा उत्तर-पूर्व दिशा की ओर डेस्क पर सामान इकट्ठा न करें। सफलता आकर्षित करने के लिए ऊंची पीठ वाली कुर्सी और लकड़ी की डेस्क को रखना ज्यादा फायदेमंद हो सकता है।

जानें: घर के लिए वास्तु

फर्नीचर की व्यवस्था

उत्तरमुखी घर में फर्नीचर को इस तरह से रखना चाहिए कि अधिकतम प्रकाश और वेंटिलेशन मिले। भारी फर्नीचर को कमरे के दक्षिण-पश्चिम कोने में रखा जाना चाहिए, जिससे बीच में खुला क्षेत्र रहे। इससे ऊर्जा का प्रवाह भी ज्यादा बना रहता है। सोफा और अन्य बैठने की जगहों को उत्तर-पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रखा जाना चाहिए। इससे ऊर्जा का प्रवाह अच्छा रहता है और आपसी संवाद को बढ़ावा मिलता है।

बाथरूम के लिए वास्तु

उत्तर मुखी घर में बाथरूम का स्थान दक्षिण-पश्चिम, दक्षिण, पश्चिम या उत्तर-पश्चिम कोण में होना चाहिए। शौचालय सीट को उत्तर-दक्षिण दिशा में लगाना चाहिए क्योंकि यह अपशिष्ट निपटान के लिए उचित दिशा मानी जाती है। उत्तर-पूर्व या उत्तर दिशा में बाथरूम बनाने से बचना चाहिए। घर के उत्तर-पूर्व या मध्य भाग में बाथरूम का स्थान भूलकर भी नहीं बनाना  चाहिए क्योंकि यह क्षेत्र घर का पवित्र स्थान माना जाता है और यहां बाथरूम बनाने से स्वास्थ्य और आर्थिक समस्याएं जैसी नकारात्मक असरें आ सकती हैं।

उत्तर मुखी घरों में गार्डन के लिए वास्तु

  • वास्तु शास्त्र के अनुसार, गार्डन को उत्तर या पूर्व दिशा में होना चाहिए। उत्तर-पश्चिम दिशा में गार्डन बनाने से बचना चाहिए।
  • उत्तर दिशा में छोटे पौधे या मनी प्लांट लगाना चाहिए और पूर्व दिशा में फल देने वाले पेड़ लगाएं। मार्ग के दोनों ओर चमेली के पौधे लगाएं।
  • तुलसी को एक शुभ पौधा माना जाता है, इसका अलावा आप घर में सलाद, पुदीना आदि पौधे भी लगा सकते हैं।
  • उत्तर दिशा में बड़े पेड़, केला या नींबू के पौधे न लगाएं ताकि घर पर उनका छाया न पड़े।
  • झूलों को उत्तर या पूर्व दिशा में लगाएं।
  • उत्तर दिशा में कोई मूर्तियां या रॉक गार्डन नहीं होना चाहिए, लेकिन उत्तर दिशा में एक फव्वारा लगाया जा सकता है, क्योंकि यह समृद्धि आकर्षित करता है।

क्या उत्तर दिशा वाला घर सभी के लिए अच्छा होता है?

उत्तर दिशा का घर रहवासियों के लिए शुभ हो सकता है क्योंकि यह धन को आकर्षित करता है। यह दिशा धन के देवता कुबेर से संबंधित है। हालांकि, वास्तु विशेषज्ञों के अनुसार, उत्तर दिशा का घर सभी के लिए लाभदायक हो, यह जरूरी नहीं है। यह वहां रहने वाले व्यक्तियों के पेशे और राशिफल पर निर्भर करता है।

उत्तर दिशा का घर विशेष रूप से उन लोगों के लिए फायदेमंद हो सकता है, जो वित्तीय सेवाओं से जुड़े हैं या अपना व्यवसाय चलाते हैं।

  • यह दिशा बुध ग्रह से जुड़ी होती है, इसलिए, बैंकिंग और वित्तीय सेवाओं जैसे व्यापार, निवेश, शेयर बाजार, दलाली, बैंकिंग, और लेखा-जोखा से जुड़े लोगों के लिए उत्तर दिशा का घर उपयुक्त हो सकता है।
  • यात्रा, आतिथ्य, स्वास्थ्य और प्रकाशन उद्योग से जुड़े लोग भी उत्तर दिशा वाले घर से लाभ पा सकते हैं।
  • उत्तर दिशा जल तत्व का प्रतीक है, इसलिए मीडिया, मनोरंजन, संचार और ई-सेवा क्षेत्र से जुड़े लोग इन घरों में समृद्धि पा सकते हैं।
  • उत्तर दिशा के घर ज्योतिष और वास्तु सेवाओं से जुड़े पेशेवरों के लिए भी उपयुक्त माने जाते हैं।

इसके अलावा अच्छी प्लानिंग के साथ बना उत्तर दिशा का घर महिलाओं के स्वास्थ्य और नेतृत्व कौशल को निखार सकता है।

उत्तर मुखी घर इन राशियों के लिए अनुकूल है –

  • कर्क राशि
  • वृश्चिक राशि
  • मीन राशि

north facing house Vastu

उत्तर मुखी घर: वास्तु के अनुसार मुख्य लाभ

  • ऊर्जा का सकारात्मक प्रवाह: ऐसा माना जाता है कि उत्तर दिशा में घर का प्रवेश द्वार होने पर उत्तर ध्रुवीय चुंबकीय ऊर्जा और सकारात्मक तरंगों का प्रवाह बढ़ जाता है।
  • धन और समृद्धि: उत्तर दिशा का स्वामी धन के देवता कुबेर माने जाते हैं। इस कारण उत्तरमुखी घर को शुभ माना जाता है और यह धन व समृद्धि को आकर्षित करता है।
  • मानसिक स्पष्टता: उत्तरमुखी घर में प्रचुर मात्रा में सुबह की सूर्य किरणें प्रवेश करती हैं, जो कमरे को ऊर्जावान बनाती हैं। इससे घर में रहने वाले लोगों का मनोबल ऊंचा रहता है और निर्णय लेने की क्षमता मजबूत होती है, जिससे कार्यक्षमता में बढ़ोतरी होती है।
  • स्वास्थ्य, सुख और समग्र कल्याण: उत्तरमुखी घर में रहने वाले लोगों को अच्छे स्वास्थ्य, सुख और समग्र कल्याण का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
  • परिवार में सौहार्द्र: उत्तरमुखी घर को रिश्तों के लिए अच्छा माना जाता है, क्योंकि यह परिवार के सदस्यों के बीच प्रेम और समझ को बढ़ाता है। यह तनाव और नकारात्मक ऊर्जा को दूर कर शांतिपूर्ण और सौहार्द्रपूर्ण वातावरण बनाता है।
  • आध्यात्मिक लाभ: उत्तरमुखी घरों को व्यक्ति की आध्यात्मिक प्रगति के लिए लाभकारी माना गया है। इसी तरह उत्तर-पूर्व दिशा को भी आध्यात्मिकता और उच्च चेतना से जोड़ा जाता है।
  • अच्छे संतान सुख की प्राप्ति: उत्तरमुखी घर में रहने वालों को अच्छे संतान सुख की प्राप्ति होती है। वास्तु अनुसार, उत्तर-पूर्व दिशा से प्राप्त ऊर्जा शरीर में संग्रहित होकर समग्र विकास और प्रगति को सुनिश्चित करती है।

उत्तरमुखी घर के नुकसान

  • उत्तर दिशा में बहुत कम सूरज की रोशनी मिलती है और यह घर के अन्य हिस्सों की तुलना में ठंडा रहता है। यह ठंडे इलाकों में रहने वाले घरों के लिए एक कमी हो सकती है।
  • घर का मुख्य द्वार के सामने खुलापन रखने की सलाह दी जाती है, इसलिए उत्तरमुखी घर में सामने ऊंचे पेड़ नहीं लगाए जा सकते।
  • अगर घर का मुख्य प्रवेश द्वार वास्तु शास्त्र के अनुसार नहीं रखा जाता तो इससे स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।

ध्यान रखने योग्य वास्तु नियम

  • घर में कई प्रवेश द्वार: यदि घर में दो प्रवेश द्वार हैं, तो उन्हें एक सीधी रेखा में डिजाइन किया जाना चाहिए। मुख्य दरवाजे में दो शटर होने चाहिए, जबकि निकासी दरवाजे में केवल एक शटर हो सकता है।
  • दरवाजों की संख्या: यदि घर की उत्तर दिशा में दरवाजों की संख्या दक्षिण की तुलना में कम है, तो इससे वास्तु दोष उत्पन्न हो सकते हैं और अनावश्यक खर्च हो सकते हैं।
  • दरवाजों का आकार: यदि उत्तर दिशा का दरवाजा दक्षिण दिशा के दरवाजों से छोटा है तो इससे भी वास्तु दोष हो सकता है।
  • उत्तर से दक्षिण की ओर ढलान से बचें: उत्तरमुखी घर में उत्तर से दक्षिण की ओर ढलान वाली भूमि से बचना चाहिए। उत्तरमुखी घर की ढलान उत्तर या पूर्व दिशा की ओर होनी चाहिए।
  • अराजकता या रुकावट से बचें: घर के उत्तर या उत्तर-पूर्व दिशा में कचरा या रुकावट या अव्यवस्था न रखें, क्योंकि यह आपकी वित्तीय स्थिति और बच्चों के विकास पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
  • घर के प्रवेश द्वार को सजाएं: शुभ प्रतीक जैसे स्वस्तिक, ॐ, पेंटिंग्स आदि रखें या भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी की मूर्तियां रखें। आप फूलों और मोमबत्तियों से भरा पानी से भरा कटोरा भी रख सकते हैं।
  • उत्तर-पूर्व पर ध्यान दें: उत्तर-पूर्व कोने को शुभ माना जाता है, इसलिए इस दिशा में बाथरूम या सेप्टिक टैंक नहीं होना चाहिए।
  • बिजली का सर्किट बोर्ड: बिजली का सर्किट बोर्ड दक्षिण-पूर्व क्षेत्र में रखा जाना चाहिए, ताकि ऊर्जा का वितरण संतुलित रहे।
  • जल भंडारण टैंक: स्विमिंग पूल या जल भंडारण टैंक को उत्तर, उत्तर-पूर्व, पूर्व या पश्चिम दिशा में रखा जा सकता है। भूमिगत टैंक उत्तर-पश्चिम दिशा में नहीं होना चाहिए।
  • गैरेज/कार पार्किंग: गैरेज या कार पार्किंग क्षेत्र को उत्तर दिशा में न बनवाएं, क्योंकि यह आपके मानसिक शांति के लिए हानिकारक हो सकता है। गैरेज को दक्षिण-पूर्व या उत्तर-पश्चिम दिशा में बनवाएं।
  • बाउंड्री वॉल: उत्तर मुखी घर में जब बाउंड्री वॉल बनाई जाए तो इस बात का ध्यान रखें कि वे उत्तर और पूर्व दिशा की ओर थोड़ी नीची हो। घर बनाते समय उत्तर और उत्तर-पूर्व कोनों में कुछ स्थान छोड़ें।
  • घर में पिल्लर: उत्तरमुखी घर में उत्तर-पूर्व दिशा में भारी पिल्लर न बनवाएं। वास्तु के अनुसार, ऐसा पिल्लर जीवन में कई समस्याएं पैदा कर सकता है।
  • मेन गेट: द्वार को सामने के क्षेत्र के पूर्वी आधे या उत्तरी आधे में रखना चाहिए। उत्तर दिशा के घर का मुख्य द्वार चांदी या हरे रंग का हो सकता है।
  • सेफ्टी लॉकर: सेफ्टी लॉकर को दक्षिण दिशा में रखें। लॉकर का दरवाजा उत्तर की ओर खुलना चाहिए, जो वास्तु के अनुसार ‘कुबेर देव’ (धन के देवता) की दिशा है। लॉकर को उत्तर-पूर्व कोने में नहीं रखना चाहिए, क्योंकि इससे संपत्ति का नुकसान हो सकता है। उत्तर-पूर्व में लॉकर रखना स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले कॉर्नर यानी दक्षिण-पश्चिम कोने से टकरा सकता है।
  • उत्तरमुखी घर में भूमि का लेवल: घर में सभी हिस्सों का फर्श का लेवल नीचे होना चाहिए ताकि अच्छे परिणाम मिल सकें। उदाहरण के लिए, यदि सामने का हिस्सा बीचे वाले कमरे के के लेवल से नीचे है, तो यह प्रगति और प्रसिद्धि ला सकता है। ध्यान दें कि यदि घर का उत्तर भाग ऊंचा है तो परिणाम खराब होते हैं। उत्तर दिशा की भूमि का ऊंचा होना भी अच्छा नहीं होता।
  • लाइट फिटिंग्स: उत्तर और पूर्व दीवारों पर रखी गई लाइट फिटिंग्स सकारात्मकता और अच्छी ऊर्जा लाती हैं।
  • दर्पण की स्थिति: दर्पण उत्तर क्षेत्र में रखा जा सकता है। दक्षिण और दक्षिण-पूर्व दिशा में दर्पण न रखना चाहिए।
  • विस्तार: उत्तर दिशा की ओर स्थित संपत्ति यदि उत्तर-पूर्व दिशा में विस्तारित की जाए तो यह अधिक भाग्य ला सकती है।

उत्तर दिशा वाले घर में सकारात्मकता के लिए रखें ये चीजें: 

  • कुबेर जी की मूर्ति: नौकरी और धन के अवसरों के लिए उत्तर दिशा में भगवान कुबेर की मूर्ति रखें।
  • तुलसी का पौधा: उत्तर, उत्तर-पूर्व या पूर्व दिशा में तुलसी का पौधा रखने से नकारात्मक ऊर्जा सकारात्मक ऊर्जा में बदल जाती है।
  • विंड चाइम्स: धातु की विंड चाइम्स को घर के उत्तर या उत्तर-पश्चिम दिशा में लगाएं।
  • कछुआ: धातु का कछुआ उत्तर या उत्तर-पश्चिम दिशा में रखने से करियर में भाग्य साथ देता है। धन के प्रवाह के लिए उत्तर कोने में मनी प्लांट भी लगाएं।
  • वास्तु कलश: उत्तर-पूर्व दिशा में वास्तु कलश रखने से सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है।
  • कपूर के गोले: घर में अच्छी ऊर्जा बनाए रखने के लिए कपूर के कुछ टुकड़े रखें और इन्हें समय-समय पर बदलें।
  • हाथी की मूर्तियां: उत्तर दिशा में बेडरूम में दो हाथी की मूर्तियां रखने से घर में प्रेम और सौभाग्य आता है।

Vastu and clean home

उत्तर मुखी घर वास्तु रंग

  1. उत्तरी दीवारों के लिए लाल रंग से बचें। काले या गहरे रंगों का प्रयोग न करें।
  2. गर्म नीले, हरे, सफेद और न्यूट्रल जैसे क्रीम, खाकी और गर्म ग्रे चुनें।
  3. पर्दों के लिए हल्के हरे रंग का प्रयोग करें। आर्थिक समस्याओं को दूर करने के लिए नीले रंग के पर्दे चुनें।
  4. दक्षिण-पूर्व में रसोई के लिए काले रंग के संगमरमर के स्लैब से बचें।

इसके बारे में भी पढ़ें:  वास्तु शास्त्र के अनुसार सोने की सबसे अच्छी दिशा और वैज्ञानिक रूप से

उत्तर मुखी घर डुप्लेक्स के लिए वास्तु योजना

यदि आपके पास डुप्लेक्स घर है, तो यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि घर की योजना वास्तु दिशानिर्देशों के अनुसार हो। यहाँ कुछ उपयोगी सुझाव दिए गए हैं:

  1. इमारत की पहली मंजिल पर बेडरूम डिजाइन करें।
  2. परिवार के बड़े सदस्यों को पहली मंजिल पर रहना चाहिए।
  3. पहली मंजिल की बालकनी का मुख उत्तर-पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए।
  4. सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करने के लिए पहली मंजिल पर वास्तु के अनुकूल पौधे रखें।
  5. एकाग्रता में सुधार के लिए घर के एक शांतिपूर्ण कोने में अध्ययन कक्ष को डिजाइन करें।
  6. पूजा कक्ष को डुप्लेक्स में उत्तर-पूर्व दिशा में बनाएं।

उत्तरमुखी घर के प्लॉट के लिए वास्तु

उत्तरमुखी जमीन वास्तु के अनुसार शुभ मानी जाती है। उत्तर मुखी भूखंड के लिए उत्तर और पूर्व में चारदीवारी को दक्षिण और पश्चिम दिशा की दीवारों की तुलना में पतला और छोटा बनाएं। सुनिश्चित करें कि उत्तरमुखी भूखंड का ढलान दक्षिण-पश्चिम दिशा में न हो, क्योंकि इससे धन की हानि हो सकती है। प्लॉट का ढलान उत्तर या पूर्व दिशा में होना बेहतर होता है। उत्तर-पूर्व दिशा में विस्तार वाला प्लॉट शुभ होता है और समृद्धि लाता है। वास्तु के अनुसार किसी अन्य तरफ के एक्सटेंशन को अच्छा नहीं माना जाता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर के उत्तर-पूर्वी कोने में कोई कट या खिड़कियां नहीं होनी चाहिए क्योंकि इससे अवसाद, बीमारी और वित्तीय समस्याएं हो सकती हैं।

उत्तर की ओर मुख वाले घर के लिए विभिन्न प्लॉट साइज 

  • आप वास्तु सिद्धांतों के अनुसार 30×40 का घर का आइडियल नक्शा तैयार कर सकते हैं। इसमें पूर्वोत्तर दिशा में रहने का स्थान, पश्चिम और दक्षिण दिशा में बेडरूम और जगह बचने की स्थिति में गलियारा रखने पर विचार कर सकते हैं।
  • आपको पास दूसरा ऑप्शन 40×50 के प्लॉट साइज का है और इसे ध्यान में रखकर घर का नक्शा तैयार कर सकते हैं। इसमें आप प्लॉट की पूर्वोत्तर दिशा में बड़े गार्डन या बाहरी स्थानों को शामिल करने पर विचार कर सकते हैं। भारी संरचनाओं को दक्षिण-पश्चिम दिशा में रखने पर विचार कर सकते हैं।
  • यदि आप छोटे प्लॉट पर उत्तर मुखी घर बना रहे हैं, तो 30×30 का साधारण घर का नक्शा चुन सकते हैं। जगह का अधिकतम उपयोग करें और पूर्वोत्तर दिशा में पूजा का कोना बनाकर सकारात्मक ऊर्जा बढ़ा सकते हैं।

साथ ही पढ़ें: पश्चिम मुखी घर का वास्तु प्लान

उत्तरमुखी घर और घर की महिलाओं के लिए वास्तु

क्या आप जानते हैं कि उत्तरमुखी घर होने का अच्छा और बुरा परिणाम, काफी हद तक घर की महिलाओं या परिवार में धन को प्रभावित करता है। एक कामकाजी महिला की सफलता उत्तर मुखी घर के वास्तु से भी जुड़ी होती है, जिसमें वह रह रही है। इसलिए, सभी वास्तु दोषों को ठीक करें।

निम्नलिखित पर ध्यान दें:

  1. दक्षिण-पूर्व में शुक्र ग्रह का घर है। चूंकि ग्रह महिलाओं से संबंधित है, अगर दक्षिण-पूर्व वास्तु के अनुरूप नहीं है, तो कामकाजी महिलाओं या महिलाओं के पास आमतौर पर अच्छा समय नहीं हो सकता है।
  2. यदि मुख्य द्वार या बेडरूम का दरवाजा दक्षिण-पूर्व में खुलता है तो एक अच्छी तरह से रोशनी वाला क्षेत्र सुनिश्चित करें।
  3. यदि उत्तर क्षेत्र खुला और चौड़ा हो या यहां पानी की टंकी या पानी का स्रोत हो तो यह महिला के विकास के लिए अच्छा माना जाता है।
  4. दक्षिण-पूर्व, उत्तर-पश्चिम या पश्चिम क्षेत्र को नुकसान स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं या यहां तक कि एक असफल कैरियर का कारण बन सकता है।

उत्तर मुखी मकान वास्‍तु दोष उपाय

  • मुख्य दरवाजे का गलत स्थान: वास्‍तु अनुसार प्रवेश द्वार उत्तर या उत्तर-पूर्व दिशा में वास्‍तु द्वारा बताए गए पादों पर होना चाहिए। उत्तर दिशा में एक कांच का कटोरा रखें जिसमें चांदी का सिक्का हो या तुलसी का पौधा लगाएं ताकि नकारात्मक ऊर्जा दूर हो।
  • अवरोधित प्रवेश द्वार: यदि प्रवेश द्वार के सामने कोई पेड़ या अन्य कोई अवरोध है, तो यह घर पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। घर के प्रवेश द्वार को किसी भी प्रकार के अवरोध से मुक्त रखें ताकि ऊर्जा का सुचारू प्रवाह बना रहे।
  • उत्तर-पूर्व में बाथरूम और रसोई: घर के उत्तर-पूर्व कोने में शौचालय, बाथरूम, शयनकक्ष या रसोई नहीं होनी चाहिए। उत्तर दिशा में शौचालय होने पर एक सरल वास्‍तु उपाय है – शौचालय के दरवाजे के फ्रेम पर वास्‍तु तांबे की पट्टियां लगाएं। शौचालय में नमक रखें और हर सप्ताह बदलें। घर को नमक वाले पानी से भी साफ किया जा सकता है।
  • रंग दोष: वास्‍तु अनुसार अनुपयुक्त रंगों से दीवारें न रंगें। शुभ रंगों का चयन करें, जैसे नीला या हरा।

उत्तर मुखी घर का वास्तु: फायदे और नुकसान

लाभ नुकसान
निष्क्रिय सौर ऊर्जा और बिना गर्मी के भरपूर रोशनी प्राप्त होती है। यह योजना गर्मियों के लिए आदर्श है। ठंडे क्षेत्रों में घर में सूर्य की रोशनी कम आती है और वह ठंडा रहता है।
उत्तर दिशा पर धन के देवता कुबेर का आधिपत्य है, इसलिए यह घर धन और संपदा को आकर्षित करेगा। यदि प्रवेश द्वार सोच-समझकर नहीं बनाया गया है तो उत्तर मुखी घर स्वास्थ्य समस्याओं को आकर्षित कर सकता है।
उत्तर मुखी घरों में जल तत्व जैसे फव्वारे, पानी की टंकियां आदि रखना अच्छा होता है और इससे समृद्धि आती है। उत्तर-पूर्व कोने में शौचालय, स्नानघर, शयनकक्ष या रसोईघर होना वास्तु दोष है और इसे अवश्य हटा देना चाहिए।
उत्तर मुखी घर में अधिक खुली जगह होनी चाहिए। वास्तु नियमों के मुताबिक, उत्तर दिशा को खुला रखने की सलाह दी जाती है, इसलिए उत्तरमुखी घर के सामने ज्यादा ऊंचे पेड़ नहीं लगाना चाहिए।

Housing.com का पक्ष

मुख्य द्वार के लिए उत्तर एक शुभ दिशा है। हालांकि, घर के प्रवेश द्वार को डिजाइन करते समय विभिन्न वास्तु नियमों को ध्यान में रखना और मौजूद किसी भी वास्तु दोष को खत्म करना आवश्यक है। यह सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह को सुनिश्चित करता है।

अगर आप उत्तर मुखी घर खरीदने की योजना बना रहे हैं तो इस बात का ध्यान जरूर रखें कि वह घर आपके पेशे और कुंडली के अनुसार आपके लिए शुभ है या नहीं।

 

पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

उत्तरमुखी घरों को लोकप्रिय क्यों माना जाता है?

उत्तरमुखी घरों को शुभ माना जाता है, क्योंकि उत्तर दिशा कुबेर या धन के देवता की है।

उत्तर मुखी घरों के लिए सबसे अच्छे रंग कौन से हैं?

सफेद, क्रीम, खाकी, गर्म ग्रे, हरे और गर्म नीले रंगों के टोन्ड और गर्म रंग अच्छे हैं।

उत्तर मुखी घर में नेम प्लेट किसकी बनी होनी चाहिए?

उत्तर मुखी घर में मुख्य द्वार के लिए धातु की नेम प्लेट आदर्श होती है।

वास्तु के अनुसार उत्तर की दीवार पर कौन सी पेंटिंग आदर्श हैं?

उत्तर और उत्तर-पूर्व दिशा जल तत्व का प्रतिनिधित्व करती है। इसलिए, अपने घर की इन दिशाओं में नीले रंग या पानी से संबंधित पेंटिंग लटकाएं। घर के उत्तर या उत्तर-पूर्व में सुखद तस्वीर वाला कैलेंडर भी लटका सकते हैं।

क्या हम खाना बनाते समय उत्तर दिशा की ओर मुख कर सकते हैं?

रसोई में खाना बनाते समय आप उत्तर की ओर मुंह कर सकते हैं। हालांकि, खाना बनाते समय सामना करने के लिए सबसे अच्छी दिशा पूर्व दिशा है।

Was this article useful?
  • ? (8)
  • ? (2)
  • ? (1)

Recent Podcasts

  • 7 घोड़ों की पेंटिंग के वास्तु लाभ और सफलता आकर्षित करने के टिप्स7 घोड़ों की पेंटिंग के वास्तु लाभ और सफलता आकर्षित करने के टिप्स
  • नॉन-ऑक्यूपेंसी चार्जेस क्या होते हैं और इसे कौन देता है, जानें सबकुछनॉन-ऑक्यूपेंसी चार्जेस क्या होते हैं और इसे कौन देता है, जानें सबकुछ
  • सौभाग्य के लिए होती है घोड़े की नाल: जानें घर में कैसे उपयोग करें?सौभाग्य के लिए होती है घोड़े की नाल: जानें घर में कैसे उपयोग करें?
  • वास्तु के अनुसार नेम प्लेट: ध्यान रखने योग्य कुछ उपयोगी टिप्सवास्तु के अनुसार नेम प्लेट: ध्यान रखने योग्य कुछ उपयोगी टिप्स
  • वास्तु के अनुसार सोने की सबसे शुभ दिशा क्या है, यहां जानें विस्तार सेवास्तु के अनुसार सोने की सबसे शुभ दिशा क्या है, यहां जानें विस्तार से
  • आपके लिए फायदेमंद होंगे संपत्ति खरीद पर स्टाम्प ड्यूटी बचाने के ये 10 कानूनी तरीकेआपके लिए फायदेमंद होंगे संपत्ति खरीद पर स्टाम्प ड्यूटी बचाने के ये 10 कानूनी तरीके