एक नए संपत्ति या घर खरीदार को संपत्ति का कानूनी स्वामित्व हासिल करने के लिए विभिन्न प्रक्रियाओं का पालन करना होता है. प्रॉपर्टी म्यूटेशन या लैंड म्यूटेशन ऐसा ही एक कदम है. इस आर्टिकल में हम आपको प्रॉपर्टी म्यूटेशन की प्रक्रिया के बुनियादी तथ्यों के बारे में बताएंगे ताकि आप इसे अच्छे से समझ सकें.
क्या होता है प्रॉपर्टी/लैंड म्यूटेशन?
जमीन राज्य का विषय है और हर राज्य के पास प्रॉपर्टी या जमीन समझौतों का रिकॉर्ड होता है. ये रिकॉर्ड्स स्वामित्व के सबूत का काम करते हैं और हर आम आदमी के प्रॉपर्टी निवेश को सुरक्षित रखने में मदद करते हैं. चूंकि जमीन के रिकॉर्ड्स से जुड़ी सारी जानकारी रजिस्टर्ड होती है इसलिए प्रॉपर्टी से जुड़े फ्रॉड का स्कोप घट जाता है. जब खरीदार भूमि खरीदने की प्रक्रिया को पूरा कर लेता है तो उसके सामने नई जानकारी रेवेन्यू रिकॉर्ड्स में रजिस्टर करने की आती है. लैंड और प्रॉपर्टी म्यूटेशन राज्यों की प्रॉपर्टी टैक्स लायबिलिटी की परेशानी को हल करने में मदद करते हैं.
विभिन्न राज्यों में इसकी अलग-अलग परिभाषा है. उत्तर प्रदेश और बिहार में उदाहरण के तौर पर इस प्रक्रिया को दाखिल-खारिज कहा जाता है.
प्रॉपर्टी म्यूटेशन किसे कराना पड़ता है?
जो लोग जमीन, अपार्टमेंट खरीदते हैं या फिर वसीयत व गिफ्ट डीड से उसे हासिल करते हैं, उन्हें प्रॉपर्टी म्यूटेशन कराना पड़ता है.
लैंड म्यूटेशन
जमीन खरीदारी के मामले में एक चीज ध्यान रखने योग्य है वो ये कि प्रॉपर्टी म्यूटेशन अनिवार्य है क्योंकि इसे कराए बिना स्वामित्व का हस्तांतरण पूरा नहीं होगा. यहां बताना जरूरी है कि जमीन का म्यूटेशन कानूनी रूप से भूमि खरीदार पर बाध्यकारी नहीं है, उन्हें जमीन खरीद के 3-6 महीने के भीतर इसे करा लेना चाहिए ताकि सरकारी रिकॉर्ड्स अपडेट हो जाएं और जमीन के स्वामित्व में बदलाव के मद्देनजर कोई कन्फ्यूजन न रहे.
अपार्टमेंट म्यूटेशन
फ्लैट्स और अपार्टमेंट्स के खरीदारों के लिए ओनरशिप का ट्रांसफर तभी हो जाता है, जब प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन पूरा होता है. म्यूटेशन एक कानूनी औपचारिकता है, जिसे लेनदेन के बाद कभी भी किया जा सकता है. लेकिन कोई भविष्य में प्रॉपर्टी को बेचना चाहता है तो उसे म्यूटेशन दस्तावेज दिखाने होंगे. जब आप जरूरी सुविधाएं जैसे बिजली और पानी के लिए अप्लाई करेंगे तब भी आपको इन दस्तावेजों की जरूरत पड़ेगी.
प्रॉपर्टी म्यूटेशन से जुड़ी जरूरी जानकारियां
-जो लोग जमीन खरीदते हैं या फिर प्रॉपर्टी वसीयत या बतौर गिफ्ट डीड मिलती है, उनके लिए प्रॉपर्टी म्यूटेशन अनिवार्य है.
-आपके इलाके का म्युनिसिपल दफ्तर, जो जमीन से जुड़े रिकॉर्ड्स रखता है, वहां म्यूटेशन की प्रक्रिया पूरी की जाती है.
-प्रॉपर्टी म्यूटेशन के लिए अप्लाई करने को लेकर कुछ राज्यों ने ऑनलाइन सर्विसेज भी लॉन्च की है.
-प्रॉपर्टी म्यूटेशन की फीस आमतौर पर 25 रुपये से 100 रुपये के बीच होती है.
जमीन/प्रॉपर्टी के म्यूटेशन के लिए कैसे अप्लाई करें?
आपके इलाके का म्युनिसिपल दफ्तर, जो जमीन से जुड़े रिकॉर्ड्स रखता है, वहां म्यूटेशन की प्रक्रिया पूरी की जाती है. म्यूटेशन की प्रक्रिया शुरू करने के लिए आप ऑनलाइन माध्यम भी चुन सकते हैं क्योंकि कई राज्यों ने यह सुविधा लॉन्च की है. लेकिन अंत में प्रक्रिया को पूरा करने के लिए आपको खुद म्युनिसिपल दफ्तर में हाजिर होना होगा.
बिहार में जमीन के मालिक लैंड म्यूटेशन ऑनलाइन करा सकते हैं. वहीं पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों की योजना इस प्रक्रिया को पूरी तरह ऑनलाइन बनाने की है, लेकिन प्रक्रिया अभी पूरी नहीं हुई है.
प्रॉपर्टी म्यूटेशन के लिए किन दस्तावेजों की होगी जरूरत?
म्यूटेशन की प्रक्रिया को पूरी करने के लिए जरूरी दस्तावेजों की मांग हर राज्य में अलग-अलग हो सकती है लेकिन खरीदार को इन्हें जमा करना होगा.
-सही से भरा गया म्यूटेशन एप्लिकेशन फॉर्म.
-टाइटल/सेल डीड की कॉपी
-स्टैंप पेपर्स पर एफिडेविट
-क्षतिपूर्ति बॉन्ड
-आधार कार्ड की कॉपी
-प्रॉपर्टी टैक्स की रसीद
-वसीयत की कॉपी, उत्तराधिकार प्रमाण पत्र या मालिक का डेथ सर्टिफिकेट (अगर लागू होता है तो)
प्रॉपर्टी म्यूटेशन की क्या फीस है?
प्रॉपर्टी और लैंड म्यूटेशन के लिए राज्य मामूली फीस वसूलते हैं. यह 25 से 100 रुपये के बीच हो सकता है, जो राज्य पर निर्भर करता है.
कैसे होता है प्रॉपर्टी म्यूटेशन?
खरीदार को दस्तावेजों के साथ म्युनिसिपल दफ्तर में हाजिर होना पड़ता है. इन्हें जमा करने के बाद डिपार्टमेंट खुद जाकर प्रॉपर्टी की वेरिफिकेशन करेगा और उसके बाद म्यूटेशन सर्टिफिकेट जारी कर देगा. बिहार जैसे राज्यों में लैंड म्यूटेशन की प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन है.
प्रॉपर्टी म्यूटेशन को पूरा होने में कितना समय लगता है?
दस्तावेजों के साथ एप्लिकेशन जमा करने के बाद म्युनिसिपल कॉरपोरेशन को रिकॉर्ड्स को अपडेट करने के लिए 15-30 दिनों का वक्त लगता है. इसके बाद आपको प्रॉपर्टी म्यूटेशन सर्टिफिकेट जारी हो जाता है. लैंड म्यूटेशन के मामले में जमीन का स्वामित्व रिकॉर्ड्स में बदलने के लिए कम से कम एक महीने का समय लगता है.
क्या खरीदार द्वारा प्रॉपर्टी म्यूटेशन को पूरा करने के लिए कोई समयसीमा है?
हालांकि जमीन के खरीदारों को म्यूटेशन की प्रक्रिया को तुरंत पूरा कर देना चाहिए. वहीं फ्लैट्स और अपार्टमेंट्स के खरीदार अपनी सहूलियत के हिसाब से इसे करा सकते हैं. लेकिन इस काम को जितना जल्दी हो सके करा देना चाहिए ताकि प्रॉपर्टी के दस्तावेज क्रम में रहें.
पूछे जाने वाले सवाल
क्या होती है प्रॉपर्टी म्यूटेशन?
प्रॉपर्टी म्यूटेशन का मतलब जब प्रॉपर्टी को बेचा या ट्रांसफर किया जाता है तो टाइटल ओनरशिप में बदलाव, जो जमीन राजस्व विभाग के रिकॉर्ड्स में दर्ज होता है.
प्रॉपर्टी म्यूटेशन के लिए कैसे अप्लाई करें?
एक संपत्ति के मालिक को नगरपालिका निकाय में अपने नाम पर संपत्ति के म्यूटेशन के लिए आवेदन करना होगा जो संपत्ति का भूमि रिकॉर्ड रखता है.
प्रॉपर्टी म्यूटेशन की जरूरत क्यों है?
मालिक के नाम पर प्रॉपर्टी म्यूटेशन प्रॉपर्टी के स्वामित्व के सबूत का काम करता है. पानी और बिजली जैसी सुविधाओं के लिए अप्लाई करने के लिए भी ये दस्तावेज काफी अहम है.
अगर प्रॉपर्टी का म्यूटेशन नहीं कराया गया तो क्या होगा?
जमीन के खरीदारों के लिए प्रॉपर्टी म्यूटेशन अनिवार्य है. गैर-कृषि भूमि के मामले और फ्लैट-अपार्टमेंट के खरीदारों के लिए म्यूटेशन एक कानूनी औपचारिकता है और ऐसा नहीं करने से आपके प्रॉपर्टी में अधिकार खत्म नहीं हो जाएंगे.