संपत्ति का म्यूटेशन: डाक्युमेंट, चार्ज और पेनाल्टी के बारे में विस्तार से जानें

इस गाइड में हम विस्तार से जानेंगे कि म्यूटेशन (Mutation) क्या होता है, इसकी जरूरत क्यों पड़ती है, इसके लिए किन दस्तावेजों की आवश्यकता होती है और देरी होने पर क्या जुर्माना देना पड़ सकता है।

संपत्ति खरीदना न सिर्फ जेब पर भारी निवेश होता है, बल्कि इसमें कानूनी रूप से खरीदार के नाम पर स्वामित्व दर्ज करने के लिए कई तरह की औपचारिक दस्तावेजी प्रक्रिया भी पूरी करना पड़ती है। संपत्ति के हस्तांतरण के बाद जहां रजिस्ट्री (टाइटल डीड) में नए मालिक का नाम दर्ज हो जाता है, वहीं एक और प्रमाणपत्र में भी बदलाव करना आवश्यक होता है जिसे “नामांतरण प्रमाणपत्र” (Mutation Certificate) कहा जाता है। इस गाइड में हम विस्तार से समझेंगे कि नामांतरण क्या है, इसकी जरूरत क्यों पड़ती है, इसके लिए किन दस्तावेजों की आवश्यकता होती है और देरी करने पर क्या जुर्माना लग सकता है।

Table of Contents

रियल एस्टेट में म्यूटेशन क्या होता है?

म्यूटेशन वह प्रक्रिया है, जिसके तहत किसी संपत्ति के मालिकाना हक के हस्तांतरण के बाद सरकारी रिकॉर्ड में पुराने मालिक का नाम हटाकर उसके स्थान पर नए मालिक का नाम दर्ज किया जाता है। यह भूमि या संपत्ति का नामांतरण कहलाता है। म्यूटेशन से स्थानीय प्रशासन को यह तय करने में मदद मिलती है कि किस व्यक्ति पर संपत्ति कर (Property Tax) और अन्य सुविधा शुल्क (Utility Charges) लगाए जाएं। भारत के अलग-अलग राज्यों में इसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है। उदाहरण के लिए, उत्तर प्रदेश और बिहार में इस प्रक्रिया को “दाखिल-खारिज” कहा जाता है, जिसका अर्थ होता है—पुराने नाम की प्रविष्टि हटाकर नए नाम की प्रविष्टि दर्ज करना।

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म्यूटेशन (भूमि, संपत्ति): त्वरित तथ्य

म्यूटेशन का अर्थ म्यूटेशन वह प्रक्रिया है, जिसके द्वारा संपत्ति को नए मालिक को हस्तांतरित करने के बाद सरकारी अभिलेखों में नाम प्रविष्टि बदल दी जाती है।
म्यूटेशन पूरा होने में लगने वाला समय संपत्ति हस्तांतरण के छह महीने के भीतर
अन्य नामों नामजारी, दाखिल-खारिज

कब की जाती है प्रॉपर्टी म्यूटेशन (नामांतरण)?

जब भी किसी संपत्ति का स्वामित्व एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के नाम पर जाता है, तब प्रॉपर्टी म्यूटेशन की प्रक्रिया जरूरी होती है। यह निम्न स्थितियों में की जाती है – 

  • जब आप कोई संपत्ति खरीदते हैं। 
  • जब आप किसी संपत्ति के उत्तराधिकारी बनते हैं। 
  • जब आपको संपत्ति गिफ्ट या वसीयत के माध्यम से मिलती है। 
  • जब आप पावर ऑफ अटॉर्नी के जरिए कोई संपत्ति खरीदते हैं। 

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म्यूटेशन होने के बाद संपत्ति का रिकॉर्ड सरकारी दस्तावेजों में खरीदार के नाम पर दर्ज हो जाता है। यह जानकारी सरकार को प्रॉपर्टी टैक्स लगाने में मदद करती है और इसकी प्रक्रिया हर राज्य में अलग-अलग होती है।

क्या जमीन का नामांतरण कराने की कोई समय सीमा होती है?

जमीन खरीदने वाले लोगों को नामांतरण की प्रक्रिया तुरंत पूरी करनी चाहिए, जबकि फ्लैट या अपार्टमेंट खरीदने वाले इसे अपनी सुविधा के अनुसार करवा सकते हैं। यह प्रक्रिया 6 माह के भीतर पूरी करना आवश्यक है, ताकि संपत्ति पर कोई धोखाधड़ी या अवैध गिरवी लेन-देन न हो सके।

संपत्ति के म्यूटेशन (नामांतरण) का महत्व

  • संपत्ति पुनर्विक्रय: जब आप अपनी संपत्ति बेचना चाहते हैं, तब म्यूटेशन एक अत्यंत आवश्यक दस्तावेज होता है। यह साबित करता है कि संपत्ति का स्वामित्व कानूनी रूप से आपके नाम पर दर्ज है।
  • कानूनी स्वामित्व की पुष्टि: म्यूटेशन वह कानूनी प्रक्रिया है, जिसके माध्यम से संपत्ति का स्वामित्व विक्रेता से खरीदार के नाम स्थानांतरित किया जाता है। जब म्यूटेशन पूरा हो जाता है, तब यह स्वामित्व को प्रमाणित करता है।
  • विवादों से बचाव: म्यूटेशन होने से संपत्ति का स्वामित्व पारदर्शी तरीके से स्थापित होता है, जिससे संपत्ति को लेकर किसी भी प्रकार के कानूनी विवाद या झगड़े नहीं होते। यह डबल डीलिंग (एक ही संपत्ति को दो लोगों को बेचने) जैसे मामलों से भी बचाता है। यदि संपत्ति विरासत में मिल रही हो तो म्यूटेशन सर्टिफिकेट प्रक्रिया को पारदर्शी बनाता है और किसी तरह का मुकदमा नहीं होता।
  • संपत्ति संबंधी डेटा में सुधार: म्यूटेशन सर्टिफिकेट की मदद से संपत्ति के रिकॉर्ड में मौजूद त्रुटियों को सुधारा जा सकता है। इसके होने से अनधिकृत लेन-देन को भी रोका जा सकता है।
  • दस्तावेज के रूप में प्रमाण: बिजली बिल, पानी बिल या पहचान प्रमाण के रूप में इन दस्तावेजों के उपयोग के लिए संपत्ति का म्यूटेशन कराना आवश्यक है।
  • संपत्ति कर (Property Tax): संपत्ति कर का निर्धारण और समय पर भुगतान करने के लिए भी यह दस्तावेज जरूरी होता है। समय पर टैक्स न चुकाने पर जुर्माना लग सकता है या नगर निगम संपत्ति को अधिगृहित (attach) कर सकता है।

म्यूटेशन (Mutation) के कितने प्रकार होते हैं?

म्यूटेशन दो प्रकार का होता है – 

  • कृषि भूमि म्यूटेशन (Agricultural Land Mutation): यह प्रमाणपत्र कृषि भूमि के स्वामित्व को एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के नाम पर दर्ज करने के लिए अनिवार्य होता है। इससे यह सुनिश्चित किया जाता है कि भूमि अभिलेख कृषि कार्यों के लिए सही और अपडेट रहें।
  • गैर-कृषि भूमि म्यूटेशन (Non-Agricultural Land Mutation): यह प्रक्रिया आवासीय, व्यावसायिक और औद्योगिक संपत्तियों पर लागू होती है। इस म्यूटेशन प्रमाणपत्र का होना अनिवार्य नहीं है, लेकिन इसे करवाना लाभदायक माना जाता है क्योंकि यह संपत्ति कर (property tax) से जुड़ा होता है और स्वामित्व स्थापित करने में मदद करता है, जिससे भविष्य में संपत्ति विवादों से बचा जा सकता है।

संपत्ति का म्यूटेशन किसे करवाना होता है? 

जो लोग जमीन या फ्लैट खरीदते हैं या वसीयत अथवा गिफ्ट डीड के जरिए संपत्ति प्राप्त करते हैं, उन्हें संपत्ति का म्यूटेशन करवाना जरूरी होता है।

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संपत्ति का नामांतरण बनाम पंजीकरण

संपत्ति नामांतरण (म्यूटेशन) संपत्ति पंजीकरण
नगरपालिका अभिलेखों में स्वामित्व परिवर्तन की प्रक्रिया इस प्रकार है संपत्ति को एक मालिक से दूसरे मालिक को हस्तांतरित करने की प्रक्रिया।
संपत्ति के पंजीकरण के बाद होता है। संपत्ति के पंजीकरण के कई महीनों बाद होता है। 

 

स्टाम्प शुल्क और पंजीकरण शुल्क के भुगतान के बाद संपत्ति खरीदार के नाम पर स्थानांतरित हो जाती है ।
ऐसा करने के लिए आपके पास पंजीकृत संपत्ति के कागजात होने चाहिए। यह कार्य बिक्री विलेख निष्पादित होने के बाद किया जाता है।
नामांतरण प्रक्रिया से सरकारी रिकॉर्ड में नाम बदला जा सकता है। यह संपत्ति कर, बिजली बिल, पानी बिल आदि के लिए महत्वपूर्ण है, जिन्हें बाद में नए खरीदार के नाम पर स्थानांतरित किया जा सकता है। सम्पूर्ण संपत्ति का स्वामित्व क्रेता को हस्तांतरित कर दिया जाता है और मालिक की सहमति के बिना इस संपत्ति पर कोई भी लेन-देन नहीं हो सकता।
पंजीकरण के लिए आवश्यक दस्तावेज हैं – स्वामित्व विलेख, ई.सी., सी.सी., भवन अनुमोदन योजना, सरकारी आईडी, पिछली संपत्ति कर रसीदें, बिजली रसीद।

 

संपत्ति के म्यूटेशन के लिए आवश्यक दस्तावेज हैं बिक्री विलेख की प्रति, क्षतिपूर्ति बांड, सरकारी पहचान पत्र, पिछली संपत्ति कर रसीदें, मुख्तारनामा/उत्तराधिकार प्रमाण पत्र या मालिक का मृत्यु प्रमाण पत्र।
संपत्ति का नामांतरण क्रेता की जिम्मेदारी है, जहां वह स्थानीय राजस्व कार्यालय में अपने नाम पर नव-स्वामित्व वाली संपत्ति को अपडेट कराता है। संपत्ति का पंजीकरण बिक्री विलेख के निष्पादन के माध्यम से किया जाता है।
क्या नामांतरण (म्यूटेशन) कब्जे का प्रमाण है? नहीं। यह केवल उस व्यक्ति को भू-राजस्व देने का अधिकार देता है, जिसके नाम पर संपत्ति है। यह पंजीकरण के बाद किया जाता है। पंजीकरण वास्तव में संपत्ति के कब्जे का प्रमाण है।

भूमि (संपत्ति) के नामांतरण के लिए आवेदन कैसे करें?

आपके क्षेत्र पर नियंत्रण रखने वाली नगर निकाय संस्थाएं भूमि अभिलेख का रखरखाव करती हैं और आपको अपनी भूमि या संपत्ति का नामांतरण (Mutation) वहीं करवाना होता है। कई राज्यों में यह प्रक्रिया ऑनलाइन शुरू हो चुकी है, लेकिन अंतिम चरण में आपको नगर निगम कार्यालय में स्वयं उपस्थित होना पड़ता है ताकि प्रक्रिया पूरी हो सके।

बिहार में भूमि मालिक अब ऑनलाइन नामांतरण करवा सकते हैं। वहीं पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों ने इस प्रक्रिया को पूरी तरह डिजिटल बनाने की योजना तो शुरू की है, लेकिन यह अभी पूरी नहीं हुई है।

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संपत्ति के म्यूटेशन (नामांतरण) के लिए किन दस्तावेजों की आवश्यकता होती है?

संपत्ति के म्यूटेशन की प्रक्रिया पूरी करने के लिए आवश्यक दस्तावेज राज्य के अनुसार थोड़ा भिन्न हो सकते हैं, लेकिन सामान्य रूप से खरीदार को निम्नलिखित दस्तावेज जमा करने होते हैं – 

  • सही तरीके से भरा हुआ संपत्ति म्यूटेशन आवेदन फॉर्म
  • सेल डीड / टाइटल डीड / गिफ्ट डीड / एक्सचेंज डीड / पार्टिशन डीड / ट्रांसफर डीड की कॉपी
  • वसीयत (Will) की कॉपी (यदि आपके मामले में लागू हो)
  • उत्तराधिकार प्रमाण पत्र (Succession Certificate) की कॉपी (यदि लागू हो)
  • पावर ऑफ अटॉर्नी (Power of Attorney) की कॉपी (यदि लागू हो)
  • मालिक का मृत्यु प्रमाण पत्र (Death Certificate) (यदि लागू हो)
  • सोसायटी से नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC)
  • नाम परिवर्तन के आवेदन के साथ 3 रुपए का न्यायालय शुल्क स्टाम्प
  • स्टाम्प पेपर पर शपथ पत्र (Affidavit)
  • इंडेम्निटी बॉन्ड (Indemnity Bond)
  • आधार कार्ड की कॉपी
  • प्रॉपर्टी टैक्स की रसीदें (Property Tax Receipts)

संपत्ति का नामांतरण कैसे किया जाता है?

  • खरीदार को सभी आवश्यक दस्तावेजों के साथ नगर निगम कार्यालय में उपस्थित होना होता है।
  • दस्तावेज जमा करने के बाद विभाग संपत्ति का भौतिक सत्यापन (physical verification) करता है और फिर नामांतरण प्रमाणपत्र (property mutation certificate) जारी करता है।
  • आजकल कई राज्यों में यह प्रक्रिया ऑनलाइन भी पूरी की जा सकती है। आप संबंधित राज्य की आधिकारिक वेबसाइट (official portal) पर जाकर नामांतरण की प्रक्रिया आगे बढ़ा सकते हैं।
  • साथ ही आप पहले किए गए नामांतरण या “दाखिल-खारिज” के रिकॉर्ड भी ऑनलाइन देख सकते हैं इसके लिए बस संपत्ति और मालिक का विवरण पोर्टल पर दर्ज करना होता है।

ऑनलाइन म्यूटेशन (नामांतरण) की प्रक्रिया क्या है?

इस उदाहरण में हम उत्तर प्रदेश, विशेष रूप से राज्य की राजधानी लखनऊ में संपत्ति के ऑनलाइन नामांतरण (mutation) की प्रक्रिया को समझेंगे।

चरण 1: सबसे पहले लखनऊ नगर निगम की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं। होम स्क्रीन पर आपको “हाउस म्यूटेशन” (House Mutation) का ऑप्शन दिखाई देगा। उस पर क्लिक करें।

 

संपत्ति का म्यूटेशन: डाक्युमेंट, चार्ज और पेनाल्टी के बारे में विस्तार से जानें

 

चरण 2: नई खुलने वाली पेज पर आपको दो ऑप्शन मिलेंगे- पहला “New Property Mutation” और दूसरा “Mutation Status”। अगर आप पहली बार आवेदन कर रहे हैं, तो New Property Mutation पर क्लिक करें। यदि आपने पहले ही आवेदन किया है, तो Mutation Status पर क्लिक करके उसकी स्थिति देख सकते हैं।

 

संपत्ति का म्यूटेशन: डाक्युमेंट, चार्ज और पेनाल्टी के बारे में विस्तार से जानें

 

 

चरण 3: इसके बाद एक नया पेज खुलेगा, जिसमें आपको मोबाइल नंबर, हाउस आईडी (House ID) और सिक्योरिटी पिन डालकर OTP जनरेट करना होगा। यह OTP आपके रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर भेजा जाएगा।

 

संपत्ति का म्यूटेशन: डाक्युमेंट, चार्ज और पेनाल्टी के बारे में विस्तार से जानें

 

 

 

चरण 4: इसके बाद एक विस्तृत संपत्ति नामांतरण (Property Mutation) फॉर्म खुलेगा, जिसमें आपको निम्नलिखित विवरण भरने होंगे – 

  • संपत्ति स्वामी का नाम
  • संपत्ति आईडी
  • संपत्ति का स्थान
  • संपत्ति का पिन कोड
  • संपत्ति का प्रकार
  • नामांतरण का कारण

इसके साथ ही आपको प्रमाण स्वरूप संबंधित दस्तावेज अपलोड करने होंगे। नामांतरण शुल्क (mutation fee) जमा करने के बाद आपकी संपत्ति का नामांतरण प्रक्रिया पूरी हो जाएगी।

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महाराष्ट्र में ऑनलाइन म्यूटेशन सर्टिफिकेट 2025 कैसे प्राप्त करें?

महाराष्ट्र में संपत्ति म्यूटेशन (नामांतरण) के लिए निम्नलिखित चरणों का पालन करें – 

  1. सबसे पहले https://aaplesarkar.mahaonline.gov.in/en वेबसाइट पर जाएं और अपना रजिस्ट्रेशन करें। इसके बाद यूजर नेम और पासवर्ड से लॉगिन करें।
  2. उपलब्ध ऑनलाइन सेवाओं में से ‘Mutation’ ऑप्शन का चुनाव करें। यह सेवा विवादित (Disputed) या अविवादित (Un-disputed) दोनों प्रकार की एंट्री के लिए होती है।
  3. मांगी गई सभी जानकारी भरें और ‘Apply’ पर क्लिक करें और जरूरी दस्तावेज अपलोड करें, जो ऊपर बताई गई सूची में दिए गए हैं।
  4. Aaple Sarkar पोर्टल पर उपलब्ध विभिन्न भुगतान माध्यमों से ऑनलाइन भुगतान (Online Payment) करें।
  5. आपके दस्तावेजों का सत्यापन (Verification) किया जाएगा। स्वीकृति के बाद आपका Mutation Certificate जारी हो जाएगा और इसे सरकारी अभिलेखों (official records) में भी अपडेट कर दिया जाएगा।

ऑफलाइन म्यूटेशन की प्रक्रिया क्या है?

  • ऑफलाइन म्यूटेशन कराने के लिए संबंधित नगर निगम के वार्ड कार्यालय में जाना होता है।
  • वहां संपत्ति के दस्तावेज, संपत्ति का स्थान, संपत्ति का प्रकार और म्यूटेशन का कारण प्रस्तुत करना होता है।
  • इसके बाद म्यूटेशन शुल्क जमा करें और स्वीकृति रसीद (Acknowledgement) प्राप्त करें।
  • दस्तावेजों के सत्यापन के बाद आपको मालिकाना हक में बदलाव दिखाने वाला रिकॉर्ड जारी किया जाएगा।

संपत्ति म्यूटेशन में कितना समय लगता है?

आवेदन और आवश्यक दस्तावेज जमा करने के बाद नगर निगम को रिकॉर्ड अपडेट करने में लगभग 15 से 30 दिन लग सकते हैं। इसके बाद आपको संपत्ति म्यूटेशन प्रमाणपत्र (Property Mutation Certificate) जारी किया जाएगा। अगर यह भूमि म्यूटेशन (Land Mutation) है तो रिकॉर्ड में स्वामित्व परिवर्तन दिखने में कम से कम एक माह लग सकता है।

संपत्ति म्यूटेशन चार्ज

कुछ राज्यों में संपत्ति और भूमि म्यूटेशन पर सिर्फ नाममात्र का शुल्क लिया जाता है, जबकि कुछ राज्यों में यह संपत्ति मूल्य के निश्चित प्रतिशत के रूप में लगाया जाता है। जहां नाममात्र शुल्क होता है, वहां यह 25 से 100 रुपए के बीच हो सकता है। जहां शुल्क अधिक है, वहां संपत्ति मूल्य का लगभग 1 फीसदी तक म्यूटेशन शुल्क के रूप में लिया जा सकता है। ध्यान दें, यह एक बार ही देय शुल्क (One-time Duty) होता है।

कुछ भारतीय राज्यों में म्यूटेशन शुल्क इस प्रकार हैं – 

  • दिल्ली में संपत्ति के म्यूटेशन के लिए नाममात्र शुल्क लिया जाता है। रिपोर्ट्स के अनुसार यह शुल्क लगभग 200 से 500 रुपए तक होता है।
  • गुजरात में संपत्ति के बाजार मूल्य का 0.5 फीसदी से 1 फीसदी म्यूटेशन शुल्क के रूप में लिया जाता है।
  • कर्नाटक में भी यह शुल्क संपत्ति के बाजार मूल्य का 0.5 फीसदी से 1 फीसदी होता है।
  • केरल में संपत्ति के वास्तविक मूल्य (fair value) का 1 फीसदी से 2 फीसदी शुल्क लिया जाता है।
  • महाराष्ट्र में म्यूटेशन शुल्क संपत्ति के बाजार मूल्य का 1 फीसदी से 2 फीसदी तक होता है।
  • तमिलनाडु में भी यह शुल्क संपत्ति के मूल्य का 1 फीसदी से 2 फीसदी तक निर्धारित है।
  • तेलंगाना में म्यूटेशन शुल्क निश्चित राशि होती है, जो संपत्ति के प्रकार और आकार पर निर्भर करती है, आम तौर पर यह 100 से 500 रुपए के बीच होती है।
  • उत्तर प्रदेश में भी म्यूटेशन शुल्क 100 से 500 रुपए तक रहता है।
  • पश्चिम बंगाल में संपत्ति के बाजार मूल्य का 1 फीसदी से 2 फीसदी शुल्क लिया जाता है।
  • बिहार में म्यूटेशन शुल्क संपत्ति के निर्देशांक मूल्य का 1 फीसदी से 2 फीसदी होता है।

संपत्ति म्यूटेशन में आने वाली चुनौतियां

  1. अधूरी दस्तावेजी प्रक्रिया: यदि सभी आवश्यक दस्तावेज पूरे नहीं दिए जाते तो संपत्ति का म्यूटेशन अस्वीकृत किया जा सकता है।
  2. सत्यापन में देरी: संपत्ति की जांच या निरीक्षण मैन्युअल रूप से होने के कारण प्रक्रिया में विलंब हो सकता है।
  3. स्वामित्व रिकॉर्ड में असमानता: यदि प्रस्तुत दस्तावेजों और रिकॉर्ड में कोई अंतर पाया जाता है तो म्यूटेशन की प्रक्रिया रुक जाती है।
  4. राज्यवार अलग-अलग नियम: अलग-अलग राज्यों में म्यूटेशन से जुड़े नियम भिन्न हो सकते हैं, जिससे प्रक्रिया में देरी होती है।
  5. ऑनलाइन पोर्टल की तकनीकी दिक्कतें: यदि ऑनलाइन म्यूटेशन पोर्टल डाउन हो जाए या गेटवे फेल हो जाए तो पूरी प्रक्रिया प्रभावित होती है।

यदि संपत्ति का म्यूटेशन पूरा न हो तो क्या होता है?

अधिकांश राज्यों में देरी पर बहुत अधिक जुर्माना नहीं लगता (आमतौर पर 25 रुपए से 100 रुपए तक)। इसी कारण खरीदार अक्सर म्यूटेशन की प्रक्रिया को टाल देते हैं, लेकिन सलाह दी जाती है कि संपत्ति खरीदने से संबंधित अन्य औपचारिकताएं पूरी होते ही म्यूटेशन करा लिया जाए। भविष्य में संपत्ति बेचने की स्थिति में म्यूटेशन का प्रमाण आवश्यक होता है। इसके अलावा कानूनी दृष्टि से भी स्वामित्व के हस्तांतरण को सुरक्षित बनाने के लिए संपत्ति का म्यूटेशन तुरंत कराना बेहतर रहता है।

क्या आप म्यूटेशन के आधार पर संपत्ति का मालिकाना हक दावा कर सकते हैं? 

मालिकों को यह बात याद रखनी चाहिए कि म्यूटेशन एंट्री (Mutation Entry) सिर्फ संपत्ति के कब्जे (Possession) का प्रमाण होती है, मालिकाना हक़ (Ownership) का नहीं। भारत के सुप्रीम कोर्ट ने इस बात को लेकर कई बार स्पष्ट निर्णय दिए हैं।

अगर म्यूटेशन का आवेदन खारिज हो जाए तो क्या अपील की जा सकती है?

हां, अगर किसी पक्ष का म्यूटेशन आवेदन अस्वीकार कर दिया गया है तो वह आदेश की तारीख से 30 दिनों के भीतर अतिरिक्त कलेक्टर या डिप्टी कमिश्नर के समक्ष अपील कर सकता है। अगर अपील का निर्णय सकारात्मक होता है तो म्यूटेशन की प्रक्रिया दोबारा शुरू की जा सकती है।

क्या बिना म्यूटेशन के संपत्ति बेची जा सकती है?

हां। म्यूटेशन सर्टिफिकेट की जरूरत तभी पड़ती है, जब रीसेल फ्लैट या संपत्ति खरीदी जाती है और उसका मालिकाना हक़ नए खरीदार के नाम स्थानांतरित किया जाता है।

संपत्ति म्यूटेशन के लिए इंडेम्निटी बॉन्ड कितना जरूरी है?

इंडेम्निटी बॉन्ड (Indemnity Bond) एक ऐसा दस्तावेज होता है, जिसमें यह उल्लेख होता है कि संपत्ति के म्यूटेशन (नामांतरण) की प्रक्रिया पूरी करने वाला व्यक्ति किसी भी विवाद की स्थिति में नगर निगम को होने वाले नुकसान की भरपाई करेगा। यह बॉन्ड तभी मान्य होता है, जब आवेदन संपत्ति के वास्तविक मालिक द्वारा किया गया हो। ध्यान रखें कि इस बॉन्ड को 100 रुपए के स्टाम्प पेपर पर तैयार कराना और नोटरी से प्रमाणित करवाना आवश्यक है।

Housing.com का पक्ष

संपत्ति म्यूटेशन सर्टिफिकेट (Property Mutation Certificate) बनवाना अनिवार्य नहीं है, लेकिन इसे बनवाना एक अच्छी और समझदारी भरी प्रक्रिया है। भले ही संपत्ति खरीदते समय इसका कोई तत्काल प्रभाव न दिखे, लेकिन भविष्य में नया मालिक कई दिक्कतों का सामना कर सकता है, अगर म्यूटेशन नहीं कराया गया। इससे प्रॉपर्टी टैक्स भुगतान, बिजली-पानी जैसी सुविधाओं की उपलब्धता पर असर पड़ सकता है, जो अंततः घर खरीदार के लिए परेशानी का कारण बनता है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

संपत्ति का म्यूटेशन क्या होता है?

संपत्ति का म्यूटेशन मतलब है, स्वामित्व परिवर्तन की प्रक्रिया, जब कोई संपत्ति बेची या ट्रांसफर की जाती है। यह बदलाव भूमि राजस्व विभाग (Land Revenue Department) के रिकॉर्ड में दर्ज किया जाता है।

संपत्ति का म्यूटेशन कैसे कराया जाता है?

संपत्ति का मालिक अपने नाम पर म्यूटेशन कराने के लिए उस नगर निकाय में आवेदन करता है, जो उस संपत्ति का भूमि रिकॉर्ड रखता है।

संपत्ति का म्यूटेशन क्यों जरूरी है?

संपत्ति का म्यूटेशन मालिकाना हक का प्रमाण (Proof of Ownership) होता है। यह दस्तावेज बिजली या पानी के कनेक्शन जैसी सुविधाओं के लिए आवेदन करते समय भी काम आता है।

अगर म्यूटेशन नहीं कराया जाए तो क्या होता है?

भूमि के खरीदारों के लिए म्यूटेशन कराना अनिवार्य (Compulsory) है। हालांकि गैर-कृषि भूमि (Non-agricultural land) या फ्लैट्स और अपार्टमेंट्स के खरीदारों के लिए यह एक कानूनी औपचारिकता (Legal Formality) है और इसे न कराने पर भी संपत्ति पर उनका अधिकार (Right) समाप्त नहीं होता।

 

(हमारे लेख से संबंधित कोई सवाल या प्रतिक्रिया है? हम आपकी बात सुनना चाहेंगे। हमारे प्रधान संपादक झूमर घोष को jhumur.ghosh1@housing.com पर लिखें।)

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