अगर कोई प्रॉपर्टी डील रद्द हो जाए तो पैसा कैसे वापस मिलेगा

अगर प्रॉपर्टी डील कैंसल हो जाए तो किस तरह के वित्तीय और आयकर परिणाम होंगे, आज हम इसी पर बात करेंगे.

प्रॉपर्टी डील हमेशा एक्जीक्यूशन और अग्रीमेंट के रजिस्ट्रेशन पर ही खत्म नहीं होती. कई बार टोकन मनी या कुछ पेमेंट भरने के बाद भी डील आधे रास्ते में ही खत्म हो जाती है. किसी भी कारण से डील या तो विक्रेता या खरीदार रद्द कर देता है.

टोकन मनी पर टैक्स कैसे लगाया जाता है?

किसी भी रियल एस्टेट की खरीद के सौदों के मामले में, जब संपत्ति के ट्रांसफर के लिए अन्य नियम और शर्तों पर सहमति होती है, तब खरीदार आमतौर पर कुछ रकम टोकन मनी के रूप में चुकाता है. टोकन मनी की राशि भिन्न हो सकती है. यह या तो केवल टोकन मनी या फिर प्रॉपर्टी की वैल्यू का कुछ हिस्सा भी हो सकती है. अगर विक्रेता प्रॉपर्टी बेचने के अपने वादे से मुकर जाता है तो तुरंत कोई वित्तीय परेशानियां नहीं होती हैं. सिवाय इसके कि खरीदार कोर्ट में केस फाइल कर सकता है. हालांकि आमतौर पर इसका सहारा नहीं लिया जाता है.

अगर खरीदार डील से पीछे हट जाता है, तो विक्रेता को भुगतान किए गए टोकन मनी को जब्त करने का अधिकार है. जहां तक जब्त टोकन मनी की बात है, खरीदार उस पर कोई आयकर छूट का दावा नहीं कर सकता क्योंकि इसे टैक्स कानूनों में पूंजीगत हानि माना जाएगा.

हालांकि, जब्त किया गया अग्रिम धन या बयाना, उस साल में विक्रेता की आय बन जाती है जिसमें सौदा बंद हो जाता है. जब्त की गई ऐसी रकम पर कैपिटल गेन्स के तहत नहीं बल्कि ‘अन्य स्रोत से हुई आय’ के तहत टैक्स लगाया जाता है, भले ही इनकम एक कैपिटल असेट के संबंध में मिली हो.

2014 में कानून में संशोधन से पहले, जिस धन को हासिल किया गया था, उसके साथ संपत्ति के अधिग्रहण की लागत से जब्त बयाना राशि को उस साल में काट दिया जाना चाहिए, जिसमें उसे बेचा गया है.

स्टांप ड्यूटी का रिफंड

आमतौर पर सभी प्रॉपर्टी लेनदेन के लिए, खरीदार को कुछ रकम बतौर स्टैंप ड्यूटी चुकानी पड़ती है. ये या तो तय राशि होगी या फिर प्रॉपर्टी की मार्केट वैल्यू का कुछ प्रतिशत. आपको अग्रीमेंट के रजिस्ट्रेशन के लिए रजिस्ट्रेशन चार्जेज भी चुकाने होंगे. स्टैंप ड्यूटी रेट्स और रजिस्ट्रेशन चार्जेज हर राज्य में अलग-अलग होते हैं. इसलिए प्रॉपर्टी लेनदेन के लिए चुकाई गई स्टैंप ड्यूटी के रिफंड के नियम भी हर राज्य में अलग-अलग हैं. आपको दस्तावेजों के निष्पादन से पहले स्टैंप ड्यूटी का भुगतान करना होता है.

महाराष्ट्र में कुछ स्थितियों में आप इसके भुगतान से छह महीने के भीतर स्टांप शुल्क की वापसी का दावा करने के हकदार हैं. अगर इसे निष्पादित नहीं किया गया है तो आप ऐसे इंस्ट्रूमेंट पर चुकाई गई स्टैंप ड्यूटी के रिफंड का दावा कर सकते हैं. न्यूनतम 200 रुपये और भुगतान किए गए स्टैंप शुल्क के अधिकतम 1,000 रुपये पर सरकार स्टैंप ड्यूटी का 1% काटती है.

प्रॉपर्टी की खरीद के लिए डील कैंसल होने के मामले में और जिसके लिए अग्रीमेंट रजिस्टर हो चुका है, महाराष्ट्र सरकार ने स्टैंप ड्यूटी के रिफंड पर दावा करने के लिए कुछ शर्तों के साथ अग्रीमेंट की तारीख से दो साल की लंबी अवधि का समय दिया है. इस रिफंड की इजाजत केवल तभी दी जाती है जब डेवलपर बुक की गई संपत्ति के कब्जे को सौंपने में विफल हो जाता है और डील को कैंसल करने का कारण समझौते में लिखा हो. नियम यह भी कहते हैं कि रद्द समझौते का भी पंजीकरण होना चाहिए.

अगर स्टैंप ड्यूटी के रिफंड के लिए आवेदन दिया जाता है तो प्रॉपर्टी के खरीदार को स्टैंप ड्यूटी का 98 प्रतिशत ही मिलेगा. रिफंड एप्लिकेशन के साथ, आपको ओरिजनल अग्रीमेंट और कैंसेलेशन डीड को अटैच करना जरूरी है, साथ ही दोनों दस्तावेजों के साथ पंजीकृत होना चाहिए. लेकिन आपको रजिस्ट्रेशन चार्जेज का रिफंड नहीं मिलेगा.

जीएसटी (गुड्स एंड सर्विस टैक्स) का रिफंड

अगर आप निर्माणाधीन संपत्ति को मौजूदा कानूनों के तहत बुक करते हैं तो डेवेलपर्स एक रेट पर अग्रीमेंट वैल्यू पर जीएसटी लगाते हैं. यह रकम कितनी होगी, यह इस पर आधारित होगा कि क्या प्रॉप्रटी अफोर्डेबल हाउसिंग कैटेगरी के तहत आती है या नहीं. या फिर डेवेलपर इनपुट क्रेडिट ले रहा है या नहीं. किसी भी कारण से अगर आप बुकिंग कैंसल करना चाहते हैं और निर्माणाधीन संपत्ति में अपने अधिकार छोड़ना चाहते हैं तो बिल्डर उस समय की मांग और आपूर्ति की गतिशीलता के आधार पर, आपके द्वारा भुगतान की गई बुकिंग राशि और किस्तों को वापस करने के लिए सहमत हो सकता है, या आपको अधिक राशि का भुगतान करने के लिए भी राजी हो सकता है.

हो सकता है कि डेवेलपर ने आपसे जीएसटी भी लिया हो, वह इस राशि को वापस देने के लिए मान भी सकता है या नहीं भी. हो सकता है उसने इस राशि को सरकार को चुका दिया हो. जीएसटी को लेकर बिल्डर कोई भी रिफंड चुकाने के लिए बाध्य नहीं है क्योंकि वह आपको सेवाएं दे चुका है.

यदि आप अंडर कंस्ट्रक्शन प्रॉपर्टी में अपने अधिकारों को तीसरे पक्ष को ट्रांसफर करने के लिए एक समझौता करते हैं, जिसमें बिल्डर भी एक कन्फर्म पार्टी है तो आपकी बिक्री की कीमत में GST शामिल होगी और आप इस तरह के लेनदेन पर अलग से GST की वसूली या शुल्क नहीं ले पाएंगे.

वहीं कैपिटल गेन्स की कैलकुलेशन करते वक्त, जो जीएसटी आप भुगतान कर चुके हैं, वह अधिग्रहण की लागत का हिस्सा बनेगा. लंबी अवधि में कैपिटल गेन्स टैक्सेबल होगा, अगर होल्डिंग पीरियड 3 साल का है या फिर मुनाफा, उस पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स के तहत टैक्स लगेगा.

इन बातों का रखें ध्यान

ये मुमकिन है कि प्रॉपर्टी डील उस दिशा में नहीं बढ़ सकती, जिसमें आप इसे चाहते थे, खरीदारों को अपने हितों की सुरक्षा के लिए कुछ बिंदुओं को ध्यान में रखना चाहिए. पहला कदम यह होना चाहिए कि आप कोई भी रकम कैश में न दें. अगर कैश में रकम का भुगतान किया जाता है तो विक्रेता बाद में उस पैसे को लौटाने से इनकार कर सकता है. ऐसे में आपके पास कोई कानूनी सबूत भी नहीं होगा कि आपने भुगतान किया है.

पूछे जाने वाले सवाल

क्या फ्लैट के कैंसल होने पर स्टैंप ड्यूटी रिफंडेबल है?

अगर स्टैंप ड्यूटी के रिफंड पर कोई एप्लिकेशन लगाई जाती है तो प्रॉपर्टी के खरीदार को स्टैंप ड्यूटी का 98 प्रतिशत तक रिफंड मिल जाता है. रिफंड एप्लिकेशऩ के साथ, आपको ओरिजनल अग्रीमेंट और कैंसेलेशन डीड को अटैच करना जरूरी है, साथ ही दोनों दस्तावेजों के साथ पंजीकृत होना चाहिए. लेकिन आपको रजिस्ट्रेशन चार्जेज का रिफंड नहीं मिलेगा.

क्या फ्लैट को रद्द करने पर जीएसटी रिफंडेबल है?

हो सकता है कि बिल्डर ने आपसे जीएसटी वसूला हो, वह इस राशि को वापस देने के लिए मान भी सकता है और नहीं भी. मुमकिन है कि उसने यह पैसा सरकार को चुका दिया हो.

क्या मिला हुआ टोकन मनी का पैसा विक्रेता के लिए टैक्सेबल होगा?

एडवांस मनी/ बयाना जो कि ज़ब्त किया गया है, वह उस वर्ष में विक्रेता की आय बन जाती है जिसमें सौदा बंद हो जाता है. जब्त हुए ऐसे बयाना पर अन्य स्रोत से हुई आय के तहत टैक्स लगता है न कि कैपिटल गेन्स के तहत, भले ही आय कैपिटल असेट के लिए मिली हो.

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