जब भी प्रॉपर्टी का लेनदेन होता है (जब प्रॉपर्टी एक से दूसरे के हाथ में जाती है) तो एक तरह का टैक्स सरकार को दिया जाता है। इस टैक्स को स्टैंप ड्यूटी कहते हैं। इसे रिहायशी, कमर्शियल लेनदेन के अलावा फ्रीहोल्ड और लीजहोल्ड संपत्तियों पर भी वसूला जाता है। हर राज्य में स्टैंप ड्यूटी की दर अलग-अलग होती है।
कैसे करें स्टैंप ड्यूटी की गणना:
किसी राज्य द्वारा तय किए गए स्लैब के आधार पर स्टैंप ड्यूटी 3 से 10 प्रतिशत के बीच हो सकती है। स्टैंप ड्यूटी का भुगतान घर खरीददार करते हैं।
स्टैंप ड्यूटी की गणना रेडी रेकनर रेट (सर्किल रेट) या प्रॉपर्टी की अग्रीमेंट वैल्यू जो भी ज्यादा हो से की जाती है। उदाहरण के तौर पर अगर प्रॉपर्टी की अग्रीमेंट वैल्यू 50 लाख है और सर्किल रेट 40 लाख है तो स्टैंप ड्यूटी की गणना ज्यादा वैल्यू यानी 50 लाख से की जाएगी।
इन फैक्टर्स पर निर्भर करती है स्टैंप ड्यूटी प्रतिशत:
- प्रॉपर्टी का स्टेटस-यह नया है या पुराना
- प्रॉपर्टी की लोकेशन-शहरी इलाका या ग्रामीण, मेट्रोपॉलिटन या उपनगर।
- मालिक की उम्र-कुछ राज्यों में वरिष्ठ नागरिकों को छूट मिल सकती है।
- मालिक का लिंग: घर खरीदने वाली महिलाओं को कुछ राज्य छूट देते हैं।
- संपत्ति का इस्तेमाल: क्या यह रिहायशी है या कमर्शियल।
- प्रॉपर्टी का प्रकार: स्वतंत्र घर या फ्लैट इत्यादि।
कैसे चुकाई जाती है स्टैंप ड्यूटी:
स्टैंप ड्यूटी चुकाने के तीन तरीके हैं-गैर-न्यायिक स्टैंप पेपर, फ्रैंकिंग विधि या ई-स्टैंपिंग।
गैर न्यायिक स्टैंप पेपर विधि में अग्रीमेंट की जानकारी कागजों में लिखी होती है और इस पर दस्तखत किए जाते हैं। चार महीने बाद इसे सब-रजिस्ट्रार के दफ्तर में रजिस्टर्ड कराना पड़ता है।
फ्रैंकिंग विधि में एक प्लेन पेपर पर अग्रीमेंट प्रिंट किया जाता है। फिर इसे बैंक में जमा कराया जाता है, जो फ्रैंकिंग मशीन के जरिए दस्तावेजों की प्रक्रिया पूरी करता है।
कुछ राज्यों में आप स्टैंप ड्यूटी की राशि का आरटीजीएस/एनईएफटी के जरिेए भुगतान करते हैं। इसके बाद स्टैंप ड्यूटी सर्टिफिकेट, जिसमें डेट, स्टैंप ड्यूटी, टाइप इत्यादि लिखा रहता है, उसे रजिस्ट्रेशन प्रोसेस के लिए डाउनलोड किया जा सकता है।
अगर आप अपर्याप्त स्टैंप ड्यूटी चुकाते हैं:
कुछ मामलों में स्टैंप ड्यूटी बचाने के लिए लोग अग्रीमेंट में प्रॉपर्टी की कम कीमत बताते हैं। इससे सरकार के राजस्व को नुकसान पहुंचता है। अगर आप अपर्याप्त स्टैंप ड्यूटी चुकाते हैं तो चोरी के लिए भारी जुर्माना झेलना पड़ सकता है। स्टैंप ड्यूटी चोरी की सजा और पेनाल्टी हर राज्य में अलग-अलग है। राज्य के नियमों के मुताबिक जुर्माना वास्तविक स्टैंप ड्यूटी के आठ प्रतिशत से लेकर 20 प्रतिशत तक हो सकता है, जिसमें न्यूनतम जुर्माना सीमा और कुछ समय की जेल शामिल है।
कैसे बचाएं स्टैंप ड्यूटी शुल्क:
महिला घर ग्राहकों को कुछ राज्य स्टैंप ड्यूटी पर अच्छा खासा डिस्काउंट देते हैं। अगर आप स्टैंप ड्यूटी पर ज्यादा जेब ढीली नहीं करना चाहते तो आप किसी महिला सदस्य के नाम पर संपत्ति ले सकते हैं। अगर प्रॉपर्टी खरीदने के लिए आपने कुछ जगहों का चुनाव कर लिया है तो आप विभिन्न इलाकों के स्टैंप ड्यूटी शुल्क की तुलना कर सकते हैं। इससे आपको मालूम हो जाएगा कि किस जगह कम स्टैंप ड्यूटी चुकानी होगी।
रियल एस्टेट से जुड़े लोग की मांग है कि किफायती आवास को स्टैंप ड्यूटी से छूट दी जाए। अगर एेसा होता है तो इस वर्ग का ग्राहक अच्छी खासी राशि बचा सकता है। कई बार बिल्डर भी स्टैंप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन चार्जेज की लागत उठाने को तैयार हो जाते हैं। लेकिन इस बात को लेकर सावधान रहें कि आपको दूसरे तरीकों के लिए शुल्क न चुकाना पड़े।
विभिन्न शहरों में स्टैंप ड्यूटी चार्जेज
शहर | स्टैंप ड्यूटी रेट्स |
मुंबई | 3 से 5% |
पुणे | 3 से 5% |
हैदराबाद | 4% |
चेन्नई | 7% |
बेंगलुरु | 5% |
दिल्ली | 4 से 6% |
अहमदाबाद | 4.90% |
कोलकाता | 5 से 7% |