गिफ्ट डीड या वसीयत: प्रॉपर्टी ट्रांसफर करने के लिए क्या बेहतर विकल्प है

जिन्हें आप चाहते हैं, उन्हें गिफ्ट या वसीयत के जरिए प्रॉपर्टी ट्रांसफर कर सकते हैं, बिना कोई मुआवजा लिए. आइए आपको दोनों तरीकों के फायदे और नुकसान बताते हैं.

गिफ्ट के जरिए प्रॉपर्टी ट्रांसफर

अगर आप प्रॉपर्टी ट्रांसफर करना चाहते हैं ताकि आदाता प्रॉपर्टी का तुरंत आनंद लेने लगे तो आप ये गिफ्ट के माध्यम से कर सकते हैं. इंडियन कॉन्ट्रैक्ट एक्ट के प्रावधानों के अनुसार, जब तक आप कॉन्ट्रैक्ट करने के लिए सक्षम हैं, तब तक आप किसी को भी खुद कमाई हुई प्रॉपर्टी गिफ्ट में दे सकते हैं. कोई भी शख्स जो दिमागी तौर पर स्वस्थ है और नाबालिग है वो कॉन्ट्रैक्ट कर सकता है बशर्ते वो अघोषित दिवालिया न हो. गिफ्ट डीड के जरिए अचल संपत्ति को तोहफे में दिया जा सकता है. जिस तारीख पर गिफ्ट डीड अमल में लाई गई है, उस पर आपको प्रॉपर्टी की मार्केट वैल्यू के हिसाब से स्टैंप ड्यूटी चुकानी होगी. अगर गिफ्ट करीबी रिश्तेदारों को देना है तो कुछ राज्यों जैसे महाराष्ट्र ने स्टैंप ड्यूटी के भुगतान पर छूट का प्रावधान भी रखा है.

एक गिफ्ट डीड किसी भी शख्स के पक्ष में बनाई जा सकती है जो उसे बनाने के समय रहा हो. गिफ्ट को पाने वाले या उसकी ओर से किसी को रिसीव करना चाहिए, वो भी गिफ्ट बनाने वाले शख्स की जिंदगी के दौरान. ट्रांसफर ऑफ प्रॉपर्टी एक्ट के प्रावधानों के मुताबिक, हर लेनदेन, जिसमें किसी अचल संपत्ति का ट्रांसफर शामिल है और वो 100 रुपये की वैल्यू से ज्यादा है उसे उस इलाके के रजिस्ट्रार दफ्तर में जाकर रजिस्टर कराना जरूरी है. इतना ही नहीं, अगर गिफ्ट ऐसे शख्स को देना है, जो सेक्शन 56 (2) के प्रावधानों की परिभाषा के तहत आपका रिश्तेदार नहीं है और प्रॉपर्टी की वैल्यू और गिफ्ट की तारीख के अनुसार प्रॉपर्टी का मूल्य जो गिफ्ट का विषय है, 50,000 रुपये से अधिक है, भले ही ऐसे तोहफों में कोई कर निहितार्थ नहीं है, ऐसी संपत्ति पाने वाले को रसीद के साल में अपनी कुल आय में संपत्ति के बाजार मूल्य को शामिल करना पड़ता है और ऐसे तोहफों के लिए उचित टैक्स का भुगतान करना पड़ता है.

वसीयत से प्रॉपर्टी का ट्रांसफर

प्रॉपर्टी का ट्रांसफर वसीयत बनाकर भी किया जा सकता है लेकिन जिसके नाम पर प्रॉपर्टी बनाई गई है, उसे अधिकार तब मिलेगा, जब वसीयत बनाने वाले की मृत्यु हो जाएगी. मौजूदा कानूनों के मुताबिक, वसीयत को न तो स्टैंप करवाने की जरूरत पड़ती है और न ही रजिस्टर कराने की. इसलिए प्रॉपर्टी ट्रांसफर करने के लिए यह सबसे सस्ता रास्ता है.

हालांकि वसीयत को रजिस्टर कराना अनिवार्य नहीं होता है लेकिन हमेशा सलाह दी जाती है कि वसीयत को रजिस्टर कराया जाए ताकि आपकी संपत्तियों के उत्तराधिकार में मुकदमेबाजी की संभावना कम से कम हो. मृतक की संपत्ति जिसे मिलती है, उसे कोई शुल्क नहीं देना होता.

इसके अलावा, कोई भी संपत्ति चाहे वो उत्तराधिकार के नियमों के तहत मिली हो या वसीयत से, उस पर आयकर कानून के साथ-साथ धारा 56 (2) के तहत छूट है, जो पर्याप्त विवेचन के बिना या पाने वाले की आय के रूप में एक अपर्याप्त विवेचन के साथ संपत्ति के कुछ ट्रांसफर को मानता है.

किसी शख्स की मृत्यु के बाद लोग उसकी संपत्ति का अधिग्रहण दो तरीकों से कर सकते हैं. अगर किसी शख्स ने वसीयत नहीं बनाई है तो वह मृत्यु के समय उत्तराधिकार के प्रावधानों के तहत संपत्ति अपने रिश्तेदारों को दे सकता है. दूसरा, अगर उसने वसीयत बनाई है तो जिनका नाम उसमें है, उन्हें प्रॉपर्टी मिल जाएगी. अगर सारी संपत्तियां वसीयत में नहीं कवर हो पाती हैं तो जो संपत्तियां वसीयत में कवर नहीं हो पाई हैं, उन्हें मृतक के कानूनी उत्तराधिकारी उत्तराधिकार कानून के तहत विरासत में हासिल कर लेंगे.

हिंदुओं पर लागू होने वाले उत्तराधिकार कानून के तहत, किसी शख्स पर अपने कानूनी उत्तराधिकारियों के बहिष्कार से लेकर किसी को भी अपनी संपत्ति देने को लेकर कोई प्रतिबंध नहीं है. वहीं मुस्लिम कानूनों के तहत एक मुस्लिम अपनी एक-तिहाई से ज्यादा संपत्ति को वसीयत में नहीं दे सकता.

गिफ्ट बनाम वसीयत: मकानमालिक को किस विकल्प को चुनना चाहिए?

इस सवाल का जवाब मुश्किल है क्योंकि हर शख्स की परिस्थितियां अलग होती हैं. लेकिन, कोई फैसला लेने से पहले आप कुछ पॉइंट्स पर विचार कर सकते हैं. अगर आपकी ख्वाहिश यह सुनिश्चित करना है कि जो संपत्ति आपके पास है, वो आपकी पसंद के लोगों के पास आपकी मृत्यु के बाद जाए और आपकी जिंदगी में वो संपत्ति आपके ही नियंत्रण में रहे तो वसीयत बनाने की सलाह दी जाती है. वसीयत की सलाह इसलिए भी दी जाती है, ताकि आपकी संपत्ति का हस्तांतरण आपकी मृत्यु के बाद आसानी से हो जाए. वसीयत का मकसद भी यही होता है कि आपके नॉमिनी प्रॉपर्टी का अधिग्रहण कर लें.

लेकिन अगर आप किसी जरूरतमंद की तुरंत मदद करना चाहते हैं तो यह सिर्फ गिफ्ट डीड के जरिए ही हो सकता है. किसी गिफ्ट के जरिए प्रॉपर्टी का ट्रांसफर केवल तभी किया जाना चाहिए जब खास परिस्थितियों में इसकी जरूरत हो. अगर आप पूरा या संपत्ति का कुछ हिस्सा अपने कानूनी उत्तराधिकारियों को ट्रांसफर करते हैं तो बुढ़ापे में आप मुश्किल स्थिति में फंस जाएंगे.

इसी तरह, सिर्फ टैक्स प्लानिंग की खातिर अपनी संपत्तियों को ट्रांसफर करना सही नहीं है, क्योंकि अपनी संपत्ति पर नियंत्रण खोना नासमझी होगी, वो भी सिर्फ टैक्स के कुछ पैसे बचाने के लिए. लेकिन अगर अपने जीवन में आप संपत्ति का हिस्सा ट्रांसफर करना चाहते हैं, ताकि मुकदमेबाजी न हो तो गिफ्ट डीड की सलाह दी जाती है.

(लेखक टैक्स और इन्वेस्टमेंट एक्सपर्ट हैं, जिन्हें 35 वर्ष का अनुभव है)

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