घर खरीदने वालों को सरकार को कई तरह के टैक्स देने पड़ते हैं, जिनमें से एक है वस्तु एवं सेवा कर (GST)। पिछले कुछ वर्षों में रियल एस्टेट क्षेत्र से जुड़े GST नियमों में काफी ज्यादा बदलाव किए गए हैं। चूंकि जीएसटी संपत्ति की कीमत का अहम हिस्सा होता है, इसलिए घर खरीदारों को इससे होने वाले असर के बारे में जानकारी जरूर होना चाहिए। इस विषय की पूरी जानकारी के लिए यह लेख पढ़ें।
रियल एस्टेट पर जीएसटी क्या है?
केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर (CGST) अधिनियम, 2017 की धारा 2(119) के तहत, जीएसटी का प्रभाव कॉम्प्लेक्स, बिल्डिंग, सिविल स्ट्रक्चर आदि के निर्माण पर पड़ता है। आसान शब्दों में कहें तो घर खरीदने वाले और निवेशक को अधूरे निर्माण वाले प्रोजेक्ट्स पर जीएसटी चुकाना पड़ता है। जीएसटी लागू होने से पहले, घर खरीदारों को वैट, स्टांप ड्यूटी, सेवा कर, रजिस्ट्रेशन शुल्क आदि जैसे कई कर चुकाने पड़ते थे, लेकिन जीएसटी व्यवस्था लागू होने के बाद अब यह सिर्फ अधूरे निर्माण वाले प्रोजेक्ट्स पर ही जीएसटी देना होता है।
विभिन्न प्रकार की संपत्ति पर जीएसटी 2025
संपत्ति का प्रकार | जो जीएसटी चार्ज लगेगा |
किफायती आवास | 1 फीसदी |
आवासीय | 5 फीसदी बिना आईटीसी के |
व्यावसायिक | 12 फीसदी |
जीएसटी कार्यान्वयन से पहले रियल एस्टेट कर
संपत्ति का प्रकार | वैट टैक्स | सेवा टैक्स | स्टाम्प शुल्क | पंजीकरण |
निर्माणाधीन संपत्तियां | 1 -4 फीसदी | 4.5 फीसदी | 5-7 फीसदी | 0.5-1 फीसदी |
ध्यान दें कि वैट, स्टाम्प ड्यूटी और पंजीकरण शुल्क हर राज्य के अनुसार अलग-अलग हो सकते हैं।
साल 2025 में रियल एस्टेट क्षेत्र पर जीएसटी
जीएसटी | कर की दर | इनपुट टैक्स क्रेडिट |
स्थानांतरित करने के लिए तैयार संपत्तियां | यह लागू नहीं है क्योंकि इसे लेनदेन माना जाता है न कि माल या सेवाओं की आपूर्ति | उपलब्ध नहीं है |
किसी संपत्ति को फिर से बेचना | लागू नहीं | उपलब्ध नहीं है |
भूमि खरीद और बिक्री | लागू नहीं होता क्योंकि भूमि की बिक्री अनुसूचीृIII के अनुसार न तो माल की आपूर्ति है और न ही सेवाओं की | उपलब्ध नहीं है |
निर्माणाधीन संपत्तियां (सीएलएसएस के तहत खरीदे गए आवास) | सेवाओं की आपूर्ति के आधार पर लागू – 8 फीसदी लागू | उपलब्ध |
निर्माणाधीन संपत्तियों पर (आवासीय रियल्टी परियोजना में प्रमोटर द्वारा किफायती आवास) | सेवाओं की आपूर्ति के आधार पर लागू- 1.5 फीसदी लागू | आरईपी के मामले में अनुलग्नक-I और आरआरईपी के मामले में अनुलग्नक-II में उल्लिखित के अलावा उपलब्ध नहीं है। |
1 अप्रैल, 2019 को या उसके बाद निर्माणाधीन संपत्तियों (आवासीय रियलिटी परियोजना में प्रमोटर द्वारा गैर-किफायती आवास) पर | सेवाओं की आपूर्ति के आधार पर लागू- 7.5 फीसदी लागू | आरईपी के मामले में अनुलग्नक-I और आरआरईपी के मामले में अनुलग्नक-II में उल्लिखित के अलावा उपलब्ध नहीं है। |
निर्माणाधीन संपत्तियां | 12 फीसदी | उपलब्ध |
कार्य अनुबंध | 18 फीसदी लागू | उपलब्ध |
कार्यों की समग्र आपूर्ति | 18 फीसदी लागू | उपलब्ध |
सरकारी प्राधिकरण को कार्यों की समग्र आपूर्ति | 12 फीसदी लागू | उपलब्ध |
आम जनता के लिए उपयोग की समग्र आपूर्ति | 12 फीसदी लागू | उपलब्ध |
किफायती आवास के लिए कार्य अनुबंध की समग्र आपूर्ति | 12 फीसदी लागू | उपलब्ध |
2025 तक रियल एस्टेट पर जीएसटी का प्रभाव
2025 में रियल एस्टेट पर जीएसटी का घर खरीदारों, डेवलपर्स और अन्य हितधारकों पर पड़ने वाले प्रभाव का उल्लेख नीचे किया गया है।
घर खरीदने वाले पर प्रभाव
पहले जब लोग निर्माणाधीन संपत्ति खरीदते थे, तो उन्हें कई तरह के कर देने पड़ते थे, जैसे सर्विस टैक्स, वैट, स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन शुल्क आदि। इनमें से आखिरी तीन टैक्स राज्य सरकार की ओर से संग्रहित किए जाने वाले टैक्स होते थे, जो अलग-अलग राज्यों में भिन्न होते थे, जिससे संपत्ति की कीमतों में अंतर आता है। लेकिन अब जीएसटी व्यवस्था लागू होने के बाद निर्माणाधीन संपत्तियों पर 12 फीसदी टैक्स देना होता है, जबकि पूरी तरह तैयार या रेडी-टू-मूव संपत्तियों पर कोई जीएसटी नहीं लगता, जिससे खरीदार को लाभ होता है।
होम डेवलपर्स पर जीएसटी का प्रभाव
जीएसटी व्यवस्था लागू होने से पहले, डेवलपर्स को कच्चे माल/इनपुट पर एक्साइज ड्यूटी, वैट, कस्टम ड्यूटी, ऑक्ट्रॉय जैसे कर चुकाने पड़ते थे। इसके अलावा आर्किटेक्ट फीस, अप्रूवल चार्ज, लेबर चार्ज, लीगल फीस आदि तमाम सेवाओं पर सर्विस टैक्स भी देना पड़ता था। चूंकि इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) कस्टम ड्यूटी, ऑक्ट्रॉय आदि पर उपलब्ध नहीं था, इसलिए रियल एस्टेट की लागत बढ़ जाती थी और इसका सीधा असर घर खरीदने वाले लोगों पर पड़ता था।
जीएसटी लागू होने के बाद, कई करों का विलय कर दिया गया है और ITC की उपलब्धता के कारण डेवलपर्स को लागत में कमी का लाभ मिला है। इससे डेवलपर्स अपने मार्जिन बनाए रख सकते हैं और खरीदारों पर अतिरिक्त बोझ नहीं डालना पड़ता। जीएसटी व्यवस्था से पारदर्शिता भी बढ़ी है, क्योंकि पहले डेवलपर्स द्वारा किए गए कई खर्चे रिकॉर्ड में नहीं आते थे। ITC मिलने के बाद, खर्चों को छिपाने की संभावना कम हो गई है।
हालांकि, इनपुट टैक्स क्रेडिट की गणना करना डेवलपर्स के लिए एक चुनौती है, क्योंकि इसे प्रोजेक्ट के अंतिम चरण में ही इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके अलावा, रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म (RCM) भी डेवलपर्स को प्रभावित करता है। यदि कोई डेवलपर ऐसे व्यक्ति से सामान या सेवाएं लेता है, जिसका जीएसटी के तहत रजिस्ट्रेशन नहीं है, तो डेवलपर को खुद ही उस पर जीएसटी भरना पड़ता है। यह भुगतान नकद या बैंक के जरिए ही किया जा सकता है और इसे इनपुट टैक्स क्रेडिट से समायोजित नहीं किया जा सकता। इस कारण डेवलपर्स पर अतिरिक्त लागत का बोझ बढ़ जाता है।
निर्माण क्षेत्र के सामान पर जीएसटी का प्रभाव
जीएसटी का निर्माण उद्योग से संबंधित वस्तुओं पर प्रभाव पड़ता है, जिसका रियल्टी क्षेत्र पर प्रभाव पड़ता है।
निर्माण क्षेत्र से जुड़ा सामान | जीएसटी दर |
सीमेंट | 28 फीसदी |
रेत | 5 फीसदी |
संगमरमर और ग्रेनाइट | 18 फीसदी |
पेंट | 18 फीसदी |
इस्पात | 18 फीसदी |
रेत और फ्लाई ऐश ईंटें | 12 फीसदी |
भवन निर्माण ईंटें | 5 फीसदी |
छत की टाइल | 5 फीसदी |
कांच | 18 फीसदी |
टाइल्स | 18 फीसदी |
पूर्वनिर्मित संरचनात्मक घटक | 18 फीसदी |
2025 में किफायती आवास पर जीएसटी का प्रभाव
किफायती आवास | 1 अप्रैल 2019 से पहले किफायती आवास पर जीएसटी | 1 अप्रैल 2019 के बाद किफायती आवास पर जीएसटी |
प्रति वर्ग फीट संपत्ति की कीमत | 3,500 रु. | 3,500 रु. |
फ्लैट खरीद पर जीएसटी दर | 8 फीसदी | 1 फीसदी |
जीएसटी | 280 रुपए | 35 रुपए |
1,500 रुपए की सामग्री लागत पर 18 फीसदी की दर से आईटीसी लाभ | 270 रुपए | लागू नहीं |
कुल | 3,510 रुपए | 3,553 रुपए |
2025 में सरकारी आवास योजनाओं पर जीएसटी का प्रभाव
सरकारी आवास पर जीएसटी दर 1 फीसदी होगी। इस सरकारी आवास योजनाओं में जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीकरण मिशन, राजीव आवास योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना और विभिन्न राज्य सरकारों की आवास योजनाएं शामिल की गई हैं।
2025 में लक्जरी आवास पर जीएसटी का प्रभाव
लक्जरी आवास | 1 अप्रैल 2019 से पहले | 1 अप्रैल 2019 के बाद |
प्रति वर्ग फीट संपत्ति की कीमत | 7,000 रुपए | 7,000 रुपए |
फ्लैट खरीद पर जीएसटी दर | 12 फीसदी | 5 फीसदी |
जीएसटी | 840 रुपए | 350 रुपए |
सामग्री लागत पर 13,000 रुपए की आईटीसी लाभ औसतन 15 फीसदी | 126 रुपए | लागू नहीं |
कुल | 7,714 रुपए | 7,350 रुपए |
एफएसआई पर जीएसटी का प्रभाव
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सरकार ने फ्लोर स्पेस इंडेक्स (FSI) और अतिरिक्त एफएसआई शुल्क पर 18 फीसदी जीएसटी लगाने का प्रस्ताव दिया है। ये चार्ज रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स के लिए डेवलपर्स को स्थानीय प्रशासन को देने होते हैं। PIB की रिपोर्ट के अनुसार, 55वीं जीएसटी काउंसिल बैठक में यह मुद्दा उठा था कि नगर पालिकाओं द्वारा एफएसआई (अतिरिक्त एफएसआई सहित) पर लिए गए शुल्क पर रिवर्स चार्ज के तहत जीएसटी लगाया जाए या नहीं। केंद्र सरकार के अनुरोध पर, फिलहाल यह मामला अभी आगे की जांच के लिए टाल दिया गया क्योंकि यह राशि नगर पालिकाओं या स्थानीय प्रशासन से जुड़ा हुआ है।
2025 में जीएसटी का स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन शुल्क पर प्रभाव
जीएसटी में कई राज्य और केंद्रीय करों को शामिल कर लिया गया है, लेकिन स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन शुल्क अभी भी अलग से लगाया जा रहा है। प्रॉपर्टी पर स्टांप ड्यूटी 5 से 10 फीसदी और रजिस्ट्रेशन शुल्क 0.5-1 फीसदी के बीच होता है।
2025 में रियल एस्टेट पर जीएसटी कैसे कैलकुलेट करें?
रियल एस्टेट पर जीएसटी की गणना प्रॉपर्टी की कीमत, उस पर लागू होने वाली जीएसटी दर और अन्य शुल्कों के आधार पर की जाती है। कुल जीएसटी, राज्य जीएसटी और केंद्रीय जीएसटी का योग होता है।
उदाहरण:
- निर्माणाधीन प्रॉपर्टी मूल्य: 1,000 रुपए
- जीएसटी के अनुसार 33 फीसदी भूमि मूल्य में छूट दी जाती है, यानी भूमि मूल्य 330 फीसदी होगा।
- जीएसटी 670 रुपए पर लागू दरों के अनुसार लगेगा।
2025 में GST पर ITC दावा करने की पात्रता
- डेवलपर के पास टैक्स इनवॉइस होना चाहिए और उसे इनवॉइस की तारीख से 6 महीने (180 दिन) के भीतर भुगतान करना चाहिए।
- डेवलपर को वे वस्तुएं/सेवाएं प्राप्त होनी चाहिए, जिनके लिए वह आईटीसी का दावा कर रहा है।
- प्राप्तकर्ता को GSTR-3B दाखिल करनी होगी, जो GSTR-2B में दिखाए गए विवरण से मेल खानी चाहिए।
- वस्तुओं/सेवाओं के आपूर्तिकर्ता ने सरकार को टैक्स भुगतान किया हो (वह जीएसटी पंजीकृत हो)।
- यदि पूंजीगत वस्तुओं के टैक्स पर अवमूल्यन (depreciation) का दावा किया गया है, तो ITC नहीं मिलेगा।
आईटीसी दावा करने की समय सीमा- जो भी पहले हो
- उस वित्तीय वर्ष के अगले साल 30 नवंबर, जिसमें दस्तावेज जारी किया गया था।
- वार्षिक रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तिथि।
रियल एस्टेट पर जीएसटी छूट 2025
जो लोग ऐसे प्रोजेक्ट में निवेश कर रहे हैं, जिनके पास कंप्लीशन सर्टिफिकेट (CC) है या जो रेडी-टू-मूव हैं, उन्हें जीएसटी नहीं देना होगा। इसके अलावा रीसेल प्रॉपर्टी और जमीन की खरीद-बिक्री पर भी जीएसटी व्यवस्था लागू नहीं होती है।
Housing.com का पक्ष
जीएसटी व्यवस्था लागू होने से पहले भारत में रियल एस्टेट पर कई अलग-अलग टैक्स लगाए जाते थे। इससे इस क्षेत्र में सख्त कर दरें और जटिल नियम बन गए थे, जबकि भारत में रियल एस्टेट सेक्टर कृषि के बाद दूसरा सबसे बड़ा रोजगार देने वाला क्षेत्र है। जीएसटी व्यवस्था लागू होने से पारदर्शिता बढ़ी है और अघोषित लेन-देन काफी कम हुए हैं। इसके लागू होने से रियल एस्टेट सेक्टर को बड़ी मजबूती मिली है, भले ही इसका अल्पकालिक प्रभाव कुछ अलग रहा हो।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
भारत में जीएसटी कब लागू हुआ?
जीएसटी 1 जुलाई 2017 को लागू किया गया था और इसे स्वतंत्रता के बाद भारत का सबसे बड़ा कर सुधार माना जाता है।
जीएसटी ने कौन-कौन से केंद्रीय करों को समाहित किया?
जीएसटी ने केंद्रीय उत्पाद शुल्क, सीमा शुल्क, विशेष अतिरिक्त सीमा शुल्क, सेवा कर, केंद्रीय बिक्री कर और वस्तु एवं सेवा आपूर्ति पर लगने वाले केंद्रीय उपकर व अधिभार को शामिल किया।
जीएसटी ने कौन-कौन से राज्य करों को समाहित किया?
जीएसटी ने राज्य मूल्य वर्धित कर (वैट), मनोरंजन कर, विलासिता कर, राज्य उत्पाद शुल्क, राज्य उपकर व अधिभार, विज्ञापन कर, खरीद कर, लॉटरी, जुआ और सट्टेबाजी पर लगने वाले करों को शामिल किया।
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