रियल स्टेट के मालिक होने की कीमत भी चुकानी पड़ती है। एक बार जब यह आपके नाम हो जाता है, तो उसके बाद आपको मालिकाना हक के लिए पैसा चुकाना जारी रखना होता है। राज्यों के विशिष्ट कानूनों के तहत, मालिक को विभिन्न प्रकार की अचल संपत्ति पर द्वि-वार्षिक या वार्षिक संपत्ति कर (प्रॉपर्टी टैक्स) का भुगतान करना पड़ता है – भूमि, प्लॉट या इन पर किए गए किसी भी निर्माण, जिसमें भवन, दुकानें, घर आदि शामिल हैं।
भूमि कर संपत्ति की व्यापक परिभाषा के अंतर्गत आता है और मालिकों को अपने प्लॉट और भूमि पार्सल होल्डिंग्स पर वार्षिक कर का भुगतान करना पड़ता है। साथ ही फ्लैट, अपार्टमेंट, बंगले, हवेली और विला के लिए अलग से संपत्ति कर का भुगतान करना पड़ता है। आइए जानें कि भूमि कर कौन लगाता है और आपकी प्रॉपर्टी पर भूमि टैक्स कैलक्युलेट करने के लिए किन तरीकों का इस्तेमाल किया जाता है।
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भूमि कर कौन लगाता है?
संपत्ति कर, जिसे भूमि कर के रूप में भी जाना जाता है, शहर के नगर निकायों के लिए आय के प्रमुख स्रोतों में से एक है। आपकी अचल संपत्ति का वार्षिक मूल्य कैलक्युलेट करने के लिए नगरपालिका विभिन्न तरीकों का इस्तेमाल करती है और उस मूल्य के आधार पर टैक्स रेट लागू करती है। यह कर एक आकलन वर्ष में एक या दो बार आपको अपने क्षेत्र के स्थानीय नगर निकाय को देना पड़ता है। भूमि कर संग्रह के द्वारा उत्पन्न राजस्व, नागरिक निकाय द्वारा क्षेत्र में इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण और सुधार के अलावा, पानी और बिजली आपूर्ति, सीवेज सिस्टम, लाइटिंग और सफाई सहित अन्य सुविधाओं और रखरखाव के लिए इस्तेमाल किया जाता है। चूंकि नागरिक निकायों के नियम और मूल्यांकन के तरीके अलग-अलग हैं, इसलिए भूमि कर की दर एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र और एक शहर से दूसरे शहर में अलग-अलग होती है।
भूमि टैक्स किसे देना होता है?
ध्यान दें कि जब तक प्लॉट खाली रहता है, तब तक मालिक को कोई भूमि टैक्स नहीं देना होता है। हालांकि, घर खाली रहने पर यह लागू नहीं होता है।
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साथ ही, भूमि या प्रॉपर्टी टैक्स उस वार्षिक टैक्स जैसा नहीं है जिसे आप आयकर कानूनों के तहत हर साल अपनी इनकम में से भुगतान करते हैं। आपकी वार्षिक आय पर आपको आयकर अधिनियम के तहत गृह संपत्ति (हाउस प्रॉपर्टी) से आय के मद के तहत अपनी रियल स्टेट प्रॉपर्टी पर टैक्स देना होगा।
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भूमि टैक्स कैसे कैलक्युलेट किया जाता है?
आकार, लोकेशन और सुविधाओं जैसे कई कारकों के आधार पर नागरिक निकाय भूमि कर संग्रह के लिए अपने क्षेत्र में प्रॉपर्टीज के लिए वार्षिक मूल्य तय करते हैं। हालांकि, वे इसकी गणना के लिए अलग-अलग तरीकों का इस्तेमाल करते हैं। इस वार्षिक टैक्स को तय करने के लिए भारत में कई नगर निकायों द्वारा भूमि के मूल्य की गणना के लिए मुख्य रूप से तीन तरीके अपनाए जाते हैं।
वार्षिक किराया मूल्य प्रणाली
चेन्नई और हैदराबाद में नगर निकाय वार्षिक संपत्ति मूल्य की गणना के लिए इस तरीके का इस्तेमाल करते हैं। हर प्रॉपर्टी में कुछ मासिक किराया अर्जित करने की क्षमता होती है, भले ही यह वास्तव में किराए पर दिया गया हो या नहीं। आपकी प्रॉपर्टी के वार्षिक किराए के मूल्य के आधार पर आपकी कमाई का एक निश्चित प्रतिशत आपको भूमि टैक्स के रूप में भुगतान करना होता है।
इकाई क्षेत्र मूल्य प्रणाली
अहमदाबाद, बेंगलुरु, दिल्ली, कोलकाता, हैदराबाद और पटना में नगर पालिकाएं भूमि कर की गणना के लिए इस प्रणाली का इस्तेमाल करती हैं। इस सिस्टम के तहत, इसके निर्मित क्षेत्र या कालीन क्षेत्र (कार्पेट एरिया) के आधार पर प्रति इकाई मूल्य तय किया जाता है। मूल्य तय करते समय प्रॉपर्टी का लोकेशन और उपयोग महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और संपत्ति पर अपेक्षित रिटर्न के आधार पर टैक्स रेट लागू होती है।
पूंजी मूल्य आधारित प्रणाली
बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) ने संपत्ति के पूंजीगत मूल्य के आधार पर प्रॉपर्टी टैक्स लगाने के लिए नियम बनाना चाहा। हालांकि, बॉम्बे हाईकोर्ट ने अप्रैल 2019 में बीएमसी के आदेश को रद्द कर दिया। इस प्रणाली के तहत, संपत्ति के बाजार मूल्य, जिसे नागरिक निकाय द्वारा वार्षिक आधार पर संशोधित किया जाता है, का उपयोग भूमि कर तय करने के लिए किया जाता है।
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बड़े शहरों में प्रॉपर्टी टैक्स का भुगतान करने के लिए एक गाइड
- अहमदाबाद प्रॉपर्टी टैक्स गाइड
- बेंगलुरु प्रॉपर्टी टैक्स गाइड
- चेन्नई प्रॉपर्टी टैक्स गाइड
- दिल्ली प्रॉपर्टी टैक्स गाइड
- गुरुग्राम प्रॉपर्टी टैक्स गाइड
- हैदराबाद प्रॉपर्टी टैक्स गाइड
- कोलकाता प्रॉपर्टी टैक्स गाइड
- मुंबई प्रॉपर्टी टैक्स गाइड
- पुणे प्रॉपर्टी टैक्स गाइड
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भूमि कर का भुगतान कैसे करें?
भारत में अधिकतर नागरिक निकाय भूमि कर के भुगतान के लिए अब ऑनलाइन मोड में चले गए हैं। इसलिए, आप नगर निकाय की वेबसाइट या अपने मोबाइल फोन पर नगर निकाय के ऐप को डाउनलोड करके भूमि टैक्स का भुगतान ऑनलाइन कर सकते हैं। आप अपनी संपत्ति की विशिष्ट आईडी और पिन का इस्तेमाल करके भूमि कर का भुगतान ऑनलाइन कर सकते हैं। नेट बैंकिंग, डेबिट/क्रेडिट कार्ड और मोबाइल वॉलेट क्रेडेंशियल्स का इस्तेमाल करके टैक्स का भुगतान किया जा सकता है। इसके अलावा, आप नगरपालिका कार्यालय में जाकर प्रॉपर्टी टैक्स का भुगतान ऑफलाइन भी कर सकते हैं। वहां आप उपयुक्त फॉर्म भरकर जमा कर सकते हैं और चेक द्वारा भुगतान कर सकते हैं।
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खाली जमीन पर टैक्स
पहले यह आम बात नहीं थी, लेकिन अब बड़े शहरों में कई स्थानीय निकायों ने खाली प्लॉट्स पर भूमि टैक्स लगाना शुरू कर दिया है, खास तौर पर तब जब खाली प्लॉट किसी प्रीमियम लोकेशन पर हो। नगर पालिकाओं द्वारा खाली प्लॉट पर टैक्स इस वजह से लगाया जाता है कि जमीन को इस तरह छोड़ना इतने महंगे संसाधन को बेकार छोड़ने जैसा है।
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भूमि टैक्स का ऑनलाइन भुगतान करने के लिए आवश्यक जानकारी
भूमि कर का ऑनलाइन भुगतान करते समय यूजर को निम्नलिखित विवरणों की जरूरत होगी:
- नाम
- पता
- प्रॉपर्टी आईडी नंबर
- ईमेल आईडी
- फ़ोन नंबर
भुगतान के लिए
- डेबिट कार्ड विवरण
- क्रेडिट कार्ड विवरण
- नेट-बैंकिंग विवरण
- ई-वॉलेट या यूपीआई विवरण
भूमि कर पर छूट
देश के नगर निकाय विभिन्न कारकों के आधार पर करदाताओं को कई छूट प्रदान करते हैं।
मालिक की उम्र के आधार पर: वरिष्ठ नागरिकों के लिए दरें कम हैं।
क्षेत्र की प्रकृति के आधार पर: बाढ़ संभावित क्षेत्रों में संपत्तियों के लिए दरें कम हैं।
संपत्ति के इस्तेमाल के आधार पर: सार्वजनिक इस्तेमाल के लिए या परोपकारी ट्रस्टों के स्वामित्व वाली प्रॉपर्टीज के लिए टैक्स कम है।
प्रॉपर्टी की उम्र के आधार पर: कुछ शहरों में पुरानी प्रॉपर्टीज पर टैक्स कम लगता है।
प्रॉपर्टी में निवास के आधार पर: कुछ शहरों में आप प्रॉपर्टी में जितने ज्यादा दिनों तक रहेंगे, टैक्स उतनी ही कम होगी।
मालिक की आय के आधार पर: आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग और निम्न आय वर्ग के लोगों के लिए भूमि कर की दरें भी कम होती हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
भूमि कर क्या है?
मालिकों को अपनी संपत्ति के मालिकाना हक के लिए संबंधित नागरिक निकायों को टैक्स देना पड़ता है। यह द्वि-वार्षिक या वार्षिक प्रॉपर्टी टैक्स हो सकता है और भूमि या प्लॉट सहित रियल स्टेट प्रॉपर्टी या इन पर किए गए किसी भी निर्माण, जैसे इमारत, दुकानें, घर आदि पर लागू होता है।
इकाई क्षेत्र मूल्य प्रणाली क्या है?
दिल्ली, बेंगलुरु, कोलकाता, अहमदाबाद, हैदराबाद और पटना में नगर पालिकाएं भूमि कर की गणना के लिए इस प्रणाली का इस्तेमाल करती हैं। इस प्रणाली के तहत निर्मित क्षेत्र या कालीन क्षेत्र के आधार पर प्रति इकाई मूल्य तय किया जाता है। प्रॉपर्टी की लोकेशन और उसका इस्तेमाल भी लागू होने वाली टैक्स रेट को निर्धारित करता है, जो उस प्रॉपर्टी से अपेक्षित रिटर्न पर आधारित होता है।