क्या कोरोना वायरस महामारी के कारण किरायों में गिरावट आएगी?

मौजूदा कोरोना वायरस महामारी के कारण वे 28 प्रतिशत लोग सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे, जो शहरी इलाकों में किराये के घरों में रह रहे हैं. इन लोगों को अब तक सरकार की ओर से रेंट पेमेंट के मुद्दे पर राहत का इंतजार है.

नोवल कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए 40 दिनों का लॉकडाउन लागू किया गया है. इसके बाद भारी संख्या में प्रवासी मजदूरों की आय पर भारी असर पड़ा है. इस वजह से कई मकानमालिकों को अप्रैल 2020 का किराया नहीं मिल पाया. इससे पहले सरकार ने 25 मार्च से लेकर 14 अप्रैल तक 21 दिनों का लॉकडाउन लागू किया था. इसके बाद संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए इसे 3 मई तक बढ़ा दिया गया.

जिन मकानमालिकों को किराया मिल गया है, वे भी आराम में नहीं हैं क्योंकि कोरोना वायरस ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को तगड़ा नुकसान पहुंचाया है, जिससे पूरी दुनिया में करोड़ों लोगों की नौकरियां चली गईं. नियमित किराये की आय पैदा करने की भविष्य में संभावनाएं अभी के लिए काफी धूमिल दिख रही हैं. किरायेदारों की स्थिति और भी खराब है.

इकोनॉमिक सर्वे 2017-18 के मुताबिक शहरी इलाकों में किराये पर रह रहे लोगों की तादाद 28 प्रतिशत है. इसका मतलब है कि देश की अच्छी-खासी शहरी आबादी को ऐसे समय में सिर छत मिलने में दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है, जब भारत में दुनिया का सबसे बड़ा सेल्फ क्वारनटीन एक्सपेरिमेंट चल रहा है. अर्थव्यवस्था को चलाने वाली इंडस्ट्री के पहिये कोरोना ने जकड़ लिए हैं, जिससे प्रवासी मजदूरों के लिए आय से सभी स्रोत बंद हो गए हैं और वे किराया तक चुकाने में असमर्थ हैं. बदतर स्थिति यह है कि वे कानूनी तौर पर अपना घर भी नहीं छोड़ सकते. लेकिन अगर जल्द ही उन्होंने किराया नहीं भरा तो वे गैरकानूनी निवासी बन जाएंगे.

भारत के मॉडल टेनेंसी एक्ट 2019 के प्रावधानों के तहत, अगर किरायेदार दो महीने तक लगातार किराया नहीं देता है तो मकानमालिक उन्हें निकालने के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं. कोरोना वायरस के प्रभाव को कम करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 25 मार्च 2020 को संपूर्ण लॉकडाउन की घोषणा के बाद भारतीय अधिकारियों ने 1.3 बिलियन नागरिकों के लिए विभिन्न राहत पैकेज के ऐलान में जल्दबाजी की.  केंद्र सरकार ने लाखों गरीब लोगों के खातों में सीधे पैसे और खाना पहुंचाने की घोषणा के साथ-साथ 1.7 लाख करोड़ के पैकेज का भी ऐलान किया. वहीं आरबीआई ने भी 3.7 लाख करोड़ रुपये बैंकिंग सेक्टर में डाले. साथ ही लोन चुकाने पर 3 महीने की मोहलत के बाद रेपो रेट को रिकॉर्ड स्तर पर घटाते हुए उसे 3.75 प्रतिशत करने का फैसला किया.

इनमें से अधिकतर कदम घर ग्राहकों और आम जनता को फायदा पहुंचाने के लिए उठाए गए हैं. लेकिन इनमें से कोई भी कदम उन लोगों को सुरक्षा नहीं देता, जो किराये के मकान में रह रहे हैं. उदाहरण के लिए आरबीआई ने 3 महीने की मोहलत देकर उन लोगों को थोड़ी राहत जरूर दी, जिनका होम लोन चल रहा है.

किराया अदायगी में छूट:

दिल्ली और ओडिशा के मुख्यमंत्रियों ने मकानमालिकों से अपील की है कि वे 2-3 महीने के लिए किरायेदारों से किराया न लें. लेकिन इस अपील के बाद भी किरायेदारों को राहत नहीं मिली है.

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 29 मार्च को एक डिजिटल प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा था, ‘मैं सभी मकान मालिकों से अपील करता हूं कि वे किरायेदारों को दो या तीन महीने के लिए किराए का भुगतान करने के लिए मजबूर न करें. जब तक स्थिति सामान्य नहीं होती, कृपया इसे कुछ महीनों के लिए स्थगित कर दें. अगर कोई भुगतान करने में असमर्थ है, तो सरकार उनके लिए भुगतान करेगी. अगर कोई मकान मालिक अभी भी अपने किरायेदारों को किराए का भुगतान करने के लिए मजबूर करता है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.’

वहीं ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने ट्वीट में कहा था, ‘मैं सभी मकानमालिकों से अपील करता हूं कि वे 2-3 महीनों का किराया या तो माफ कर दें या फिर छूट दें. इस आपदा की घड़ी में किरायेदारों से किराया न चुकाने पर घर खाली करने को न कहें.’

जब आपदा का यह समय खत्म हो जाएगा तो इस महामारी का भारतीय किरायेदारी बाजार और विभिन्न स्टेकहोल्डर्स पर क्या असर पड़ेगा, इसकी समीक्षा करना जरूरी होगा.

किराये पर प्रभाव:

PropTiger.com डेटा के मुताबिक, साल 2019 में बढ़ी हुई हाउसिंग सप्लाई के बीच कुछ प्रमुख भारतीय बाजारों में किराए में गिरावट आई है. इस तथ्य के बावजूद कि होम फाइनेंस की आसान उपलब्धता के साथ अब घर का मालिकाना हक हासिल करना आसान है, भारत के 9 अहम आवासीय बाजारों में डेवलपर्स के पास बिना बिकी 7.5 लाख यूनिट का स्टॉक था.

क्या किराये घटेंगे?

दिल्ली      13,532 रुपये -8%
नोएडा     10,499 रुपये -8%
गुरुग्राम    18,064 रुपये -5%
मुंबई    18,476 रुपये कोई बदलाव नहीं
बेंगलुरु   16, 498 रुपये -1%
हैदराबाद    13,604 रुपये -3%

क्या कोविड-19 के बाद घर के किरायों में गिरावट आएगी? सेक्टर के स्टेकहोल्डर्स का मानना है कि ऐसा जरूर होगा. अंसल हाउसिंग के डायरेक्टर कुशाग्र अंसल ने कहा, ‘आने वाली आर्थिक स्थिति को देखते हुए किरायों पर जबरदस्त दबाव होगा. हालांकि हमें जनरल ट्रेंड देखने को नहीं मिलेगा, लेकिन किरायों में कटौती के चांस ज्यादा हैं, खासकर उन इलाकों में जहां किराये ज्यादा हैं.’

किराए में गिरावट भारत में नौकरी के नुकसान की संख्या के अनुपात में होगी. अजनारा इंडिया लिमिटेड के सीएमडी अशोक गुप्ता ने कहा,  “किराये के आवास पूरी तरह से किरायेदारों पर निर्भर हैं, जो ज्यादातर मजदूर वर्ग से हैं. यदि सैलरी में कोई कमी आती है, जैसा कि कई भविष्यवाणी कर रहे हैं, तो निश्चित रूप से (किराये में) कमी होगी.’

गुप्ता ने आगे कहा, ‘गिरावट की राशि हर मामले में अलग-अलग होगी. हम सामान्य प्रतिशत में बदलाव की भविष्यवाणी नहीं कर सकते, लेकिन  अगर नौकरी बाजार प्रभावित होता है तो यह अहम होगा.’

सवाल और जवाब

क्या कोविड-19 की वजह से साल 2020 में किरायों में गिरावट आएगी?

ज्यादा महंगे किराया बाजारों में गिरावट आ सकती है.

भारत में रेंटल हाउसिंग का बाजार क्या है?

2017-18 के आर्थिक सर्वे के मुताबिक शहरी इलाकों में 28 प्रतिशत लोग किरायों पर रहते हैं.

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