जानिए मेंटेनेंस चार्जेज पर जीएसटी का कैसा होगा प्रभाव

कॉपरेटिव हाउसिंग सोसाइटीज में रहने वाले लोगों द्वारा भुगतान किए जाने वाले मेंटेनेंस चार्जेज पर गुड्स एंड सर्विस टैक्स यानी जीएसटी का क्या प्रभाव पड़ेगा? आज हम आपको बता रहे हैं कि कब और किन चीजों पर जीएसटी लागू होगा।

कब मेंटेनेंस चार्जेज पर लागू होगा जीएसटी?

पहले मेंटेनेंस चार्जेज सर्विस टैक्स की लेवी के तहत आते थे, अगर एक वित्त वर्ष में हाउसिंग सोसाइटी के मेंटेनेंस चार्जेज 10 लाख से ज्यादा होते हैं तो। जीएसटी के तहत प्रारंभिक सीमा 20 लाख रुपये तक बढ़ा दी गई है। इसलिए अगर एक वित्त वर्ष में कुल चार्जेज 20 लाख से ऊपर होते हैं (चाहे यह जीएसटी का विषय है या नहीं) तो हाउसिंग सोसाइटी को अपने सदस्यों से जीएसटी वसूलना पड़ेगा। इसके लिए हाउसिंग सोसाइटी को जीएसटी के तहत रजिस्ट्रेशन कराना होगा।

लेकिन अगर सोसाइटी रजिस्ट्रेशन हासिल भी कर लेती है तो वह उस वक्त जीएसटी नहीं लगा पाएगी, अगर एक फ्लैट का महीने का मेंटेनेंस चार्ज 5000 रुपये से ज्यादा नहीं है। हाउसिंग सोसाइटी द्वारा लगाए गए शुल्क एक साल में अगर 20 लाख रुपये से अधिक नहीं है तो उसे जीएसटी के तहत रजिस्ट्रेशन कराने की जरूरत नहीं है। इसलिए अगर फ्लैट का मासिक शुल्क 5000 से ज्यादा भी होता है तो सदस्यों से वसूले गए मेंटेनेंस शुल्क पर जीएसटी लगाने की जरूरत नहीं है। एक हाउसिंग सोसाइटी में अगर फ्लैट विभिन्न आकार के हैं तो एेसा हो सकता है कि छोटे फ्लैट्स के लिए मासिक बिल 5000 से कम हो, जिस पर जीएसटी लागू नहीं होगा। जिन सदस्यों के उसी हाउसिंग सोसाइटी में बड़े फ्लैट्स हैं, उन्हें जीएसटी का भुगतान करना पड़ सकता है।

मेंटेनेंस चार्जेज के किस हिस्से पर जीएसटी लगाया जाएगा?

ऐसा नहीं है कि सोसाइटी मेंबर्स से हासिल किए गए सभी कंपोनेंट्स पर जीएसटी वसूला जाएगा। हाउसिंग सोसाइटी आपसे उस वक्त जीएसटी नहीं वसूल सकती, अगर सोसाइटी द्वारा उठाए गए खर्च की प्रकृति रिंबर्समेंट या सदस्यों से ली गई है। इसमें सदस्यों की ओर से सोसाइटी द्वारा चुकाए गए विभिन्न टैक्स जैसे म्युनिसिपल टैक्स, प्रॉपर्टी टैक्स, पानी का बिल, गैर-कृषि टैक्स आदि शामिल है। इसी तरह ऋण शोधन निधि (सिंकिंग फंड) में योगदान भी जीएसटी के दायरे से बाहर है। हालांकि, हाउसिंग सोसाइटी को अपने सदस्यों से लिए गए रिपेयरिंग फंड्स के योगदान में जीएसटी का भुगतान करना होगा।

जीएसटी की दरें, इनपुट टैक्स क्रेडिट और रिवर्स चार्ज मिकैनिजम:

सदस्यों से लिए गए मेंटेनेंस चार्जेज पर हाउसिंग सोसाइटी को 18 प्रतिशत जीएसटी लागू करना होगा। विभिन्न सप्लाई पर भुगतान किए गए जीएसटी पर हाउसिंग सोसाइटी इनपुट क्रेडिट का फायदा उठा सकती है। (उदाहरण के तौर पर सुरक्षा या अॉडिट फीस का भुगतान जैसी सुविधाएं) हालांकि सोसाइटी एेसे सामानों पर इनपुट क्रेडिट का फायदा ले सकती है, लेकिन सदस्यों पर लगाए गए शुल्क पर जीएसटी की दरें कम नहीं कर सकती। अगर गैरपंजीकृत सप्लायर्स से सोसाइटी को सामान और सुविधाएं मिलती हैं तो जीएसटी में रजिस्टर्ड होने की दशा में उसे रिवर्स चार्ज मिकैनिजम पर जीएसटी का भुगतान करना होगा। मेंटेनेंस चार्जेज के संबंध में जीएसटी देयता के खिलाफ  इस तरह की आपूर्ति पर जीएसटी का भुगतान करने का अधिकार सोसाइटी को दिया जाएगा।
एेसा भी हो सकता है कि सोसाइटी ने खरीदे गए सामान और सुविधाओं पर विभिन्न दरों से जीएसटी का भुगतान कर इनपुट क्रेडिट का लाभ लिया हो।
इसलिए सोसाइटी इनपुट क्रेडिट के फायदों को पहुंचाने के लिए कम मेंटेनेंस चार्जेज वसूल सकती है। कम मेंटेनेंस चार्जेज के सटीक फायदे उपलब्ध इनपुट क्रेडिट और रिवर्स चार्ज मिकैनिजम के तहत उसकी देयता पर निर्भर करेंगे। चूंकि जीएसटी के तहत हर महीने रिटर्न का भुगतान करना है, इसलिए सोसाइटी के लिए कुल लागत बढ़ सकती है। जीएसटी के तहत ज्यादा दरें व रिवर्स चार्ज मिकैनिजम और बढ़ी अनुपालन लागत के कारण फ्लैट मालिकों के लिए मासिक खर्च में बढ़ोतरी हो सकती है।
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